Sansar Daily Current Affairs, 02 July 2021
GS Paper 1 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Important Geophysical phenomena.
Topic : Heat Dome
संदर्भ
कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका के कुछ हिस्से, ‘हीट डोम’ (Heat Dome) की वजह से भीषण गर्म-लहरों (Heatwave) का सामना कर रहे हैं.
हीट डोम क्या है?
- यह घटना तब शुरू होती है जब समुद्र के तापमान में प्रबल परिवर्तन (चढ़ाव या उतार) होता है. संवहन के कारण समुद्र के सतह की गर्म हवा ऊपर उठती है.
- जैसे-जैसे प्रचलित हवाएँ गर्म हवा को पूर्व की ओर ले जाती हैं, वैसे-वैसे जेट स्ट्रीम की उत्तरी शिफ्ट हवा को भूमि की ओर मोड़ देती है, जहाँ यह समाप्त हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप गर्म लहरों का जन्म होता है.
- जेट स्ट्रीम वायुमंडल के ऊपरी स्तरों में तेज़ हवा की अपेक्षा संकीर्ण बैंड (Narrow Band) हैं. जेट धाराओं में हवाएँ पश्चिम से पूर्व की ओर चलती हैं लेकिन इनका प्रवाह अक्सर उत्तर और दक्षिण में बदल जाता है.
- पश्चिम से पूर्व की ओर समुद्र के तापमान में यह तीव्र परिवर्तन हीट डोम का कारण है. पश्चिमी प्रशांत महासागर के तापमान में पिछले कुछ दशकों में वृद्धि हुई है और यह पूर्वी प्रशांत महासागर के तापमान से अपेक्षाकृत अधिक है.
- हीट डोम बादलों को बनने से भी रोकता है, जिससे सूर्य के अधिक विकिरण धरती तक पहुँच जाते हैं.
- हीट डोम उच्च दबाव क्षेत्र है जो उस बर्तन की तरह होता है जिस पर लगा ढक्कन गर्मी को रोककर रखता है. वर्ष 2021 जैसे ला नीना (La Niña) बनने की संभावना अधिक होती है, जब पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में पानी ठंडा होता है और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में गर्म होता है.
हीट डोम का प्रभाव
- अत्यधिक गर्मी जनित स्थितियों के कारण होने वाली मौतों में अचानक वृद्धि.
- गर्मी के फंसने से फसलों को भी क्षति हो सकती है, वनस्पति सूख सकती है और इसके परिणामस्वरूप सूखा पड़ सकता है.
- गर्म लहरों की वजह से ऊर्जा-मांग, विशेष रूप से बिजली की मांग में वृद्धि होगी, जिस कारण इसकी दरों में इजाफा होगा.
- ‘हीट डोम’ वनाग्नि के लिये ईंधन के रूप में भी काम कर सकते हैं. ‘वनाग्नि’ के कारण हर साल अमेरिका में बहुत सारा स्थलीय क्षेत्र बर्बाद हो जाता है.
- ‘हीट डोम’ के चलते बादलों को निर्माण भी बाधित होता है, जिससे सूर्य-विकिरण अधिक मात्रा में पृथ्वी की सतह पर पहुँचता है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.
Topic : International Solar Alliance
संदर्भ
हाल ही में इटली ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance – ISA) में शामिल होने के लिए 17 मार्च, 2021 को भारत के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके अतिरिक्त अजय माथुर को ISA के अगले महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है.
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन
- ISA (International Solar Alliance) की स्थापना CoP21 पेरिस घोषणा के अनुसार हुई है. 6 दिसम्बर, 2017 को ISA का फ्रेमवर्क समझौता लागू हो गया और इसके साथ ही यह संधि पर आधारित एक अंतर्राष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन के तौर पर औपचारिक रूप से अस्तित्व में आया.
- इस संघ का उद्देश्य है सौर ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना जिससे पेट्रोल, डीजल पर निर्भरता कम की जा सके.
- सौर संघ का प्रधान लक्ष्य विश्व-भर में 1,000 GW सौर ऊर्जा का उत्पादन करना और इसके लिए 2030 तक सौर ऊर्जा में 1,000 बिलियन डॉलर के निवेश का प्रबंध करना है.
- यह एक अंतर्राष्ट्रीय, अंतर-सरकारी संघ है जो आपसी समझौते पर आधारित है.
- अब तक 54 देशों ने इसके फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.
- यह 121 ऐसे देशों का संघ है जो सौर प्रकाश की दृष्टि से समृद्ध हैं.
- ये देश पूर्ण या आंशिक रूप से कर्क और मकर रेखा के बीच स्थित हैं.
- इसका मुख्यालय भारत में है और इसका अंतरिम सचिवालय फिलहाल गुरुग्राम में बन रहा है.
कार्य
- यह सौर ऊर्जा क्षमता वाले देशों को एक साथ लेकर आता है तथा आवश्यक तकनीकों तक उनकी पहुंच सुनिश्चित करता है.
- इसके अलावा सौर ऊर्जा अनुसंधान क्षमता विकास कार्यक्रमों का संचालन करता है. यह सभी कार्य उसके सचिवालय के माध्यम से करता है जो कि गुरुग्राम, भारत में स्थित है.
भारत के लिए इसका महत्त्व
- भारत ने 2022 तक 100 गीगा वाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है.
- इसके अलावा INDCs के तहत 2030 तक कुल ऊर्जा उत्पादन का 40% नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करना है.
- इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से प्राप्त निविश, तकनीक तथा सहयोग महत्त्वपूर्ण सिद्ध होंगे.
- इससे ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित होगी. परंपरागत ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता में कमी होगी. इको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.
Topic : International Labour Organisation – ILO
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अध्यक्ष के रूप में भारत का कार्यकाल (अक्टूबर 2020 – जून 2021) पूर्ण हो गया है. भारत के श्रम सचिव अपूर्व चंद्र को ILO की गवर्निंग बॉडी का अध्यक्ष चुना गया था. ज्ञातव्य है कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की गवर्निंग बॉडी, सर्वोच्च कार्यकारी निकाय है. यह नीतियों, एजेंडा. कार्यक्रमों पर निर्णय लेती है और महानिदेशक का चुनाव करती है.
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के बारे में
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की स्थापना प्रथम विश्व युद्ध के बाद ‘लीग ऑफ़ नेशन’ की एक एजेंसी के रूप में की गयी थी.
- इसे वर्ष 1919 में वर्साय की संधि द्वारा स्थापित किया गया था.
- वर्ष 1946 में ILO, संयुक्त राष्ट्र (United Nations– UN) की पहली विशिष्ट एजेंसी बन गया.
- वर्ष 1969 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन को नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया.
- यह संयुक्त राष्ट्र की एकमात्र त्रिपक्षीय एजेंसी है जो सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिकों को एक साथ लाती है.
- मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Conservation related issues.
Topic : Green Hydrogen
संदर्भ
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) द्वारा ‘सौर ऊर्जा’ और ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ जैसी स्वच्छ ऊर्जा पर केंद्रित अपने नए कारोबार में 75,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है.
रिलायंस द्वारा सौर ऊर्जा, स्टोरेज बैटरी, ग्रीन हाइड्रोजन और हाइड्रोजन को गतिक और स्थायी विद्युत् में परिवर्तित करने सक्षम एक ईंधन सेल फैक्ट्री पर ध्यान केंद्रित करते हुए चार गीगा फैक्ट्रियों का निर्माण किया जाएगा.
हरित हाइड्रोजन
- हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन केंद्रीय बजट वर्ष 2021-22 की सबसे बड़ी घोषणाओं में से एक है, जो हाइड्रोजन को हरित हाइड्रोजन के रूप में निर्दिष्ट करती है.
- जब नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा संचालित इलेक्ट्रोलिसिस का उपयोग करके जल से हाइड्रोजन का निष्कर्षण किया जाता है, तो इसे हरित हाइड्रोजन कहा जाता है.
- भारत के लिये राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contribution- NDC) लक्ष्य को पूरा करने, क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा, पहुँच एवं उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये हरित हाइड्रोजन ऊर्जा महत्त्वपूर्ण है.
- वर्तमान में देश में करीब 6 टन हाइड्रोजन का उत्पादन होता है जो वर्ष 2050 तक 5 गुना बढ़ जाएगा.
हरित हाइड्रोजन क्यों?
- हाइड्रोजन एक ऊर्जा भंडारण विकल्प के रूप में कार्य कर सकता है, जो भविष्य में नवीकरणीय ऊर्जा के रिक्त स्थान को भरने के लिये आवश्यक होगा.
- गतिशीलता के संदर्भ में माल ढुलाई अथवा यात्रियों की लंबी दूरी की आवाजाही के लिये यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण पहल है. रेलवे, बड़े जहाज़ों, बसों अथवा ट्रकों में हाइड्रोजन का उपयोग किया जा सकता है जहाँ लंबी दूरी की यात्रा के लिये पर्याप्त क्षमता नह होने के कारण इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग नहीं किया जा सकता है.
- बुनियादी अवसंरचना के साथ-साथ हाइड्रोजन प्रमुख नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य प्राप्त करने की क्षमता रखता है.
- हाइड्रोजन का उपयोग निम्नलिखित रूप में किया जा सकता है:
- एक वाहक के रूप में.
- पेट्रोल एवं डीज़ल के लिये एक ईंधन सह ऊर्जा भंडारण विकल्प के रूप में.
- प्रत्यक्ष ईंधन के रूप में.
- जापान जैसे विश्व के कई देश हाइड्रोजन को भविष्य के ऊर्जा माध्यम के रूप में अपनाने हेतु अग्रसर हो रहे हैं.
- जर्मनी एवं कई अन्य यूरोपीय संघ के देशों ने पहले से ही एक महत्त्वाकांक्षी हरित हाइड्रोजन नीति निर्धारित की है.
- यहाँ तक कि UAE एवं ऑस्ट्रेलिया जैसे देश जिन्हें पारंपरिक रूप से जलवायु कार्रवाई के प्रति पिछड़ा (Laggards) माना जाता है, हरित हाइड्रोजन की ओर अग्रसर है.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Infrastructure.
Topic : Project Seabird
संदर्भ
हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कर्नाटक के कारवार नौसेना अड्डे का दौरा कर “प्रोजेक्ट सीबर्ड” के अंतर्गत जारी ढांचागत निर्माण के विकास की प्रगति की समीक्षा की.
प्रोजेक्ट सीबर्ड क्या है?
- कर्नाटक के कारवार में नए नौसैनिक अड्डे के निर्माण को आगे बढ़ाने के लिए “प्रोजेक्ट सीबर्ड” को वर्ष 1999 में स्वीकृति दी गई थी.
- इस परियोजना के प्रथम चरण को 2005 में पूर्ण किया गया था और 31 मई 2005 को इसे नौसेना के लिए चालू कर दिया गया था.
- प्रोजेक्ट सीबर्ड के दूसरे चरण का प्रारम्भ वर्ष 2011 में हुआ परन्तु पर्यावरणीय अनुमति न मिलने के चलते प्रोजेक्ट अटका रहा है.
- वर्ष 2014 में नई सरकार आने के पश्चात् इस परियोजना को दोबारा प्रारम्भ किया गया.
- इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 3 बिलियन रु. है.
- इस प्रोजेक्ट का दूसरा चरण पूर्ण होने के पश्चात् यह “स्वेज नहर” के पूर्व में विश्व का सर्वाधिक विशाल नौसैनिक अड्डा होगा.
कारवार नोसैन्य अडूडा, मुंबई और गोवा में भारतीय नौसेना के ठिकानों के दक्षिण में और कोच्चि के उत्तर में स्थित है. यह विश्व के व्यस्तम शिपिंग मार्ग, फारस की खाड़ी और पूर्वी एशिया के बहुत निकट है. यहाँ एक प्राकृतिक गहरे पानी का बंदरगाह है, जो बड़े विमान वाहक युद्धपोत को समायोजित करने में सहायक है. इसके अतिरिक्त यहाँ अन्य आवश्यक विस्तार के लिए काफी क्षेत्र है.
Prelims Vishesh
India abstains from vote on UNGA’s Myanmar resolution :-
- भारत ने इस आधार पर मतदान में भाग नहीं लिया, कि प्रस्ताव म्यांमार में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने की दिशा में भारत के संयुक्त प्रयासों में सहायता के लिए अनुकूल नहीं है.
- इस प्रस्ताव को UNGA द्वारा अपनाया गया था.
- UNGA ने 1 फरवरी को हुए सत्ता परिवर्तन पर चिंता व्यक्त की और म्यांमार की सैन्य सरकार से सरकारी अधिकारियों, राजनेताओं तथा मनमाने ढंग से हिरासत में लिए गए या गिरफ्तार किए गए लोगों को रिहा करने की मांग की.
- वर्ष 1945 में स्थापित, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) संयुक्त राष्ट्र के मुख्य विचार-विमर्शकर्ता, नीति निर्माणकारी और प्रतिनिधि अंग के रूप मे कार्य करती है.
- यह संयुक्त राष्ट्र का एकमात्र मंच है, जिसमें सभी सदस्यों को समान प्रतिनिधित्व प्राप्त है.
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्तावों के विपरीत,UNGA के प्रस्ताव, सदस्य देशों पर बाध्यकारी नहीं होते हैं.
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