Sansar डेली करंट अफेयर्स, 02 June 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 02 June 2020


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes; mechanisms, laws, institutions and bodies constituted for the protection and betterment of these vulnerable sections.

Table of Contents

Topic : PM Svanidhi

संदर्भ

हाल ही में ‘केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय’ (Ministry of Housing and Urban Affairs- MoHUA) द्वारा छोटे दुकानदारों और फेरीवालों (Street Venders) को आर्थिक रूप से सहयोग प्रदान करने हेतु ‘प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (The Pradhan Mantri Street Vendor’s AtmaNirbhar Nidhi- PM SVANidhi) या पीएम स्वनिधि नामक योजना की शुरुआत की गई है.

PM Svanidhi योजना का लाभ किसे मिलेगा?

  • इस योजना का लाभ रेहड़ी पटरी वालों और छोटी-मोटी दुकान लगाकर आजीविका चलाने वालों को मिलेगा.
  • इस योजना के तहत सरकार इन लोगों को अपना कारोबार शुरू करने के लिए मदद करेगी. इससे रेहड़ी-पटरी वाले बिना किसी देरी के अपना काम-धंधा फिर से शुरू कर सकेंगे.

पीएम स्वनिधि योजना के बारे में मुख्य तथ्य

  • यह योजना मार्च 2022 तक वैध है.
  • इस योजना के लिये सरकार द्वारा 5,000 करोड़ रुपए की राशि मंज़ूर की गई है.
  • कोरोना वायरस की वजह से लड़खड़ाई देश की अर्थव्यवस्था से सबसे अधिक प्रभावित फेरीवालों, रेहड़ी-पटरी पर काम करने वालों (स्ट्रीट वेंडर्स) को अब पीएम स्व निधि स्कीम के तहत 10 हजार का कर्ज दिया जाएगा.
  • इस राशि को रेहड़ी-पटरी वाले 1 साल के भीतर किस्त में लौटा सकते हैं.
  • यह ऋण बहुत ही आसान शर्तों के साथ दिया जाएगा. इसमें किसी गारंटी की जरूरत नहीं होगी.
  • इस ऋण को समय पर चुकाने वाले छोटे दुकानदारों, फेरीवालों को 7% का वार्षिक ब्याज सब्सिडी के तौर पर उनके खाते में सरकार की ओर से स्थानान्तरण किया जाएगा.
  • इस योजना के तहत जुर्माने का कोई प्रावधान नहीं है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

मेरी राय – मेंस के लिए

कोरोना की सबसे अधिक मार किसी ने झेला है तो वे छोटे-मोटे विक्रेता और रेहड़ी वाले ही हैं जिनकी रोजाना आय से उनका घर चलता था और उन्हें दो वक्त की रोटी मिलती थी. देश में बड़े पैमाने पर असंगठित क्षेत्र के प्रमाणिक आँकड़े उपलब्ध न होने से इससे जुड़े लोगों को सहायता पहुँचाना एक बड़ी चुनौती रही है.

हमें आशा है कि ‘पीएम स्वनिधि’ योजना से अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिलेगा और वे लॉकडाउन के चलते प्रभावित हुई आजीविका को पुनः प्रारम्भ कर सकेंगे.

इससे ये लोग कोरोना संकट के समय अपने कारोबार को नए सिरे से खड़ा कर आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति देंगे. यह भारत में पहली बार हुआ है कि शहरी/ग्रामीण क्षेत्रों के आस-पास सड़क पर माल बेचने वाले विक्रेता शहरी आजीविका कार्यक्रम के लाभार्थी बन गए हैं. वेंडर 10,000 रुपये तक की कार्यशील पूंजी ऋण का लाभ उठा सकते हैं जिसे वे एक वर्ष में मासिक किस्तों में चुका सकते हैं.

इस योजना के माध्यम से डिजिटल पेमेंट को भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है क्योंकि इस योजना के अंतर्गत जो भी खुदरा विक्रेता डिजिटल पेमेंट करेगा, उसे इनाम देकर प्रोत्साहित किया जाएगा. डिजिटल पेमेंट पर एक लाभ यह भी है कि आने वाले समय में उन्हें ​कामकाज बढ़ाने के लिए अतिरिक्त धन उपलब्ध कराया जा सकेगा. 

प्रीलिम्स बूस्टर

 

SIDBI : भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) संसद के एक अधिनियम द्वारा 2 अप्रैल, 1990 को स्थापित किया गया था. यह बैंक सूक्ष्म, मघु और मध्यम उद्यमों (Micro, Small and Medium Enterprise – MSME) के लिए वित्त जुटाने वाला प्रधान बैंक है. साथ ही समान प्रकार की गतिविधियों में संलग्न अन्य संस्थाओं के कार्यकलाप का समन्वयन भी करता है.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues related to health.

Topic : Congo declares new Ebola epidemic

संदर्भ

अफ्रीका (Africa) में कोरोना संक्रमण (Coronavirus) के डेढ़ लाख से अधिक मामले सामने आ चुके हैं और लगभग 6000 लोग इस संक्रमण की चपेट में आकर अपनी जान भी गँवा चुके हैं. भुखमरी, टिड्डी हमला, खसरा (Measles) झेल रहे अफ्रीका (Africa) में अब इबोला वायरस (Ebola Virus) की भी वापसी होती नज़र आ रही है. डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो (DRC) में इबोला वायरस के नए मामले सामने आए हैं.

  • एक प्रतिवेदन के अनुसार, कांगो के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित शहर मेबंका में इबोला वायरस के कई नवीन मामले सामने आ रहे हैं. UNICES के अनुसार सोमवार अभी तक इबोला के चलते यहाँ 5 लोगों की मौत हो चुकी थी. केवल एक महीने पहले ही कांगो ने देश में इबोला के मामले न होने की और महामारी पर काबू पा लिए जाने कि घोषणा की थी.
  • वर्ष 1976 में देश में पहली बार इस वायरस का पता चलने के बाद से यह कांगो में इबोला का 11वाँ प्रकोप है.

Ebola के बारे में

  1. Ebola वायरस एक जानलेवा वायरस है.
  2. इसका वायरस जंगली जानवरों से इंसान में संक्रमित होता है.
  3. जनता को इस रोग के प्रति जागरूक बनाने, आवश्यक औषधियाँ उपलब्ध कराने और समाज के अन्दर विशेष सावधानी रखने से इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है.
  4. यदि रोग को शुरू ही में पकड़ लिया जाए और रोगी खूब पानी पिला जाए तो इस रोग को तेजी से बढ़ने से रोका जा सकता है.
  5. अभी तक इस रोग से लड़ने के लिए कोई कारगर दवा नहीं निकली है.

चिंता का विषय

  • गत 2 वर्षों में कांगो में इबोला वायरस से 2275 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. 
  • WHO के अनुसार, कांगो और कई अफ्रीकी देश टेस्ट किट और अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं. ऐसे में यहां संक्रमण के मामलों में अचानक तेज़ी दर्ज की जा सकती है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

  • भारत-दक्षिण अफ्रीका संबंध 1994 में दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की समाप्ति के बाद से भारत और दक्षिण अफ्रीका गणराज्य के बीच द्विपक्षीय संबंध तीव्रता से दृढ हुए हैं. दोनों देशों ने तब से रणनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध विकसित किये हैं. दोनों पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश हैं और राष्ट्र के राष्ट्रमंडल के पूर्ण सदस्य हैं.
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य की अत्यंत कमजोर स्थिति के कारण अफ्रीका बाह्य सहायता पर निर्भर है. अफ्रीका को इस वैश्विक महामारी में कार्य कर रहे अग्रिम पंक्ति के सार्वजनिक स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिये चिकित्सा सुरक्षा उपकरण और समर्थन की आवश्यकता है. एशिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ अफ्रीका में लंबे समय से कार्यरत हैं, भारत और चीन ने चिकित्सा सहायता के माध्यम से अफ्रीका में अपनी पहुँच बढ़ाई है.
  • भारत और अफ्रीका के बीच अनुक्रियाओं का एक दीर्घ और समृद्ध इतिहास रहा है जिसमें दक्षिण-दक्षिण सहयोग पर आधारित सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक विनिमय उल्लेखनीय हैं.
  • पिछले महीने, ‘अफ्रीका-फोकस कार्य दिवस’ के मद्देनज़र, भारतीय विदेश मंत्री ने नाइजीरिया, नाइजर, बुर्किना फासो, युगांडा और माली सहित कुछ अफ्रीकी देशों के अपने समकक्षों के साथ बातचीत की एक श्रृंखला आयोजित की थी.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

  • भारत इस साल सितंबर में भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन के चौथे संस्करण की मेजबानी करने वाला है. यह योजना नोवल कोरोनावायरस के प्रकोप से पहले ही तैयार की गई थी. आखिरी शिखर सम्मेलन 2015 में नई दिल्ली में आयोजित किया गया था जिसमें सभी 54 अफ्रीकी देशों ने भाग लिया था.
  • ज़मीन और जनसंख्या दोनों दृष्टि से अफ्रीका विश्व का दूसरा सबसे बड़ा महाद्वीप है जिसमें 54 देश हैं और विश्व की कुल जनसंख्या का 15 प्रतिशत यहाँ निवास करता है.

GS Paper 2 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : Why China is opposing THAAD defence systems in South Korea?

संदर्भ

चीन ने दक्षिण कोरिया में अमेरिकी रक्षा प्रणाली थाड (THAAD) की तैनाती का एक बार पुनः विरोध जताया है.

पंरतु दक्षिण कोरिया ने एक आधिकारिक ब्यान निर्गत करके कहा है कि मिसाइलों की संख्या में उसने वृद्धि नहीं की गई है. केवल उसने उन्हें नए संस्करणों के साथ प्रतिस्थापित किया  है.

THAAD क्या है?

  • THAAD एक बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली है.
  • यह खाड़ी युद्ध 1991 में अमेरिका के अनुभवों के बाद विकसित किया गया था.
  • THAAD को इजरायल, यूएई, रोमानिया और दक्षिण कोरिया में तैनात किया गया है.
  • THAAD मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है. इसमें काइनेटिक किल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है.

पृष्ठभूमि

  • विदित हो कि दक्षिण कोरिया में तैनात अमेरिकी सेना द्वारा ‘थाड मिसाइल रक्षा प्रणाली’ को संचालित किया जाता है.
  • उत्तर कोरिया द्वारा बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण को ध्यान में रखते हुए अमेरिका ने संभावित हमलों के विरुद्ध एक जवाबी कार्रवाई हेतु दक्षिण कोरिया में ‘थाड मिसाइल रक्षा प्रणाली’ की तैनाती की थी.
  • वर्ष 2017 में उत्तर कोरिया द्वारा जापान में स्थित अमेरिकी ठिकानों की दिशा में कुछ मिसाइलों का परीक्षण किये जाने के बाद कोरियाई प्रायद्वीप में इस घटनाक्रम को लेकर चर्चा बढ़ गई थी.
  • इस घटना के पश्चात् अमेरिका ने अपनी योजनाओं में संशोधन कर दक्षिण कोरिया के ओसान में अपने सेना बेस को स्थानांतरित कर दिया था.
  • तब से चीन अमेरिका की इस तरह की गतिविधियों को लेकर अपनी चिंता व्यक्त कर रहा है.

चीन द्वारा थाड के विरोध के कारण

  • थाड मिसाइल रक्षा प्रणाली में उन्नत रडार सिस्टम है जो चीन की सैन्य गतिविधियों पर नजर रख सकता है.
  • अमेरिका ‘जापान और दक्षिण कोरिया’ में अपने कई सैन्य ठिकानों के जरिये पूर्वी एशिया क्षेत्र में मौजूद है जिसको लेकर चीन चिंतित है.
  • पूर्वी एशिया के कुछ पर्यवेक्षकों के अनुसार, चीन का कहना है कि अमेरिका ‘दक्षिण कोरिया और जापान’ पर अपना प्रभाव कायम कर रहा है और पूर्वी एशिया में चीन के दीर्घकालिक सैन्य, राजनयिक और आर्थिक हितों पर हस्तक्षेप कर सकता है.

पूर्व में थाड को लेकर चीन की प्रतिक्रिया

  • वर्ष 2017 में चीन ने ‘थाड’ के मद्देनज़र दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया था. दक्षिण कोरियाई व्यवसायों और एलजी, लोटे और सैमसंग जैसी बड़ी कंपनियों के विविध कार्यों में चीन द्वारा बाधा उत्पन्न की गई थी.
  • कई चीनी पर्यटकों को कोरिया का मनोरंजन उद्योग पसंद है और वे बहुधा दक्षिण कोरिया की यात्रा करते हैं. इस घटनाक्रम के मद्देनज़र दक्षिण कोरिया के पर्यटन क्षेत्र में भारी गिरावट आई थी.
  • दक्षिण कोरियाई सौंदर्य उत्पाद की मांग चीन में बहुत ही अधिक है. सोशल मीडिया पर दक्षिण कोरियाई उत्पादों के बहिष्कार के आह्वान के कारण उनकी बिक्री पर भी प्रभाव देखा गया था.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

दक्षिण कोरिया में अमेरिकी मिसाइल रक्षा प्रणाली की तैनाती से चीन विचलित है, क्योंकि वह उसकी मारक क्षमता से अनभिज्ञ है और बीजिंग को यह डर सता रहा है कि कहीं उसके परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम भी इसकी जद में न आ जाएं. यही कारण है कि वह इसका कड़ा विरोध कर रहा है. दक्षिणी सोल में मिसाइल रक्षा प्रणाली थाड (टर्मिनल हाई अल्टीट्यूड एरिया डिफेंस) चीन और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों के मार्ग में एक बड़ी बाधा बन गया है. माना जा रहा है कि अपने आगामी अमेरिकी दौरे के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग डोनाल्ड ट्रम्प के साथ बैठक में इस मुद्दे को जरूर उठाएंगे. हालांकि अमेरिका कहता है कि उत्तर कोरिया की लगातार विकसित हो रही परमाणु और मिसाइल क्षमता से दक्षिण कोरिया की रक्षा के लिए वह मिसाइल रक्षा प्रणाली तैनात कर रहा है, लेकिन चीनी विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी जद में उनके देश के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम भी आ जाएंगे. आधिकारिक रूप से चीन का कहना है कि वह थाड पर आपत्ति जताता है, क्योंकि यह क्षेत्रीय शक्ति और सुरक्षा संतुलन को अस्थिर कर देगा. चीन ने थाड के शक्तिशाली एक्स बैंड रडार को लेकर भी अपनी चिंता जताई है, क्योंकि यह 2000 किलोमीटर की दूरी तक मिसाइलों का पता लगा सकता है. इसलिए चीन को लगता है कि थाड की तैनाती केवल उत्तर कोरिया को ध्यान में रखकर नहीं की जा रही है. उल्लेखनीय है कि थाड की तैनाती के कारण न केवल अमेरिका और चीन के बीच खटास उत्पन्न हो गई है, बल्कि चीन और दक्षिण कोरिया के बीच रिश्तों में भी दरार पड़ गई है.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

  • थाड का पूरा नाम ‘टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस’ (Terminal High Altitude Area Defence) है, जिसे विश्व की सर्वश्रेष्ठ मिसाइल रक्षा प्रणालियों में गिना जाता है.
  • थाड अंतरिक्ष-आधारित और जमीन-आधारित निगरानी स्टेशन से जुड़ा होता है. यह स्टेशन अपनी तरफ आने वाली मिसाइलों के बारे में ‘थाड इंटरसेप्टर मिसाइल’ (Thaad Interceptor Missile) को डेटा ट्रांसफर कर खतरे के प्रकार के बारे में सूचित करता है.
  • यह 200 किलोमीटर दूर तक और 150 किलोमीटर की ऊँचाई तक मार करने में सक्षम है.
  • इसकी तकनीक ‘हिट टू किल’ है अर्थात् सामने से आ रहे हथियार को रोकती नहीं बल्कि नष्ट कर देती है.

GS Paper 2 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : Group of Seven (G-7) club

संदर्भ

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जी7 को पुराना बताते हुए जून में व्हाइट हाउस में होने वाले इसके शिखर सम्मेलन को शनिवार को टालते की घोषणा की और विश्व की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के इस समूह में भारत और कुछ अन्य देशों को शामिल करने की मांग की.

  • अमेरिका सितंबर तक इसे स्थगित कर रहा है और इसमें भारत, रूस, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया को शामिल करने की इच्छा जता रहा है.

G7 शिखर सम्मेलन क्या है?

  1. यह 7 प्रमुख राष्ट्रों के प्रमुखों की बैठक है. पहले इसमें 8 देश थे. इसकी स्थापना 1975 में हुई थी.
  2. इसमें विश्व के 7 प्रमुख सशक्त देश शामिल होते हैं – अमेरिका, कनाडा, UK, फ़्रांस, जर्मनी, जापान और इटली. इसके अतिरिक्त यूरोपीय संघ के नेतागण भी इस बैठक में बुलाये जाते हैं. वे आपसी सहमति से नीतियाँ बनाते हैं और फिर सम्बंधित मुद्दों का समाधान ढूँढते हैं.
  3. इस सम्मलेन में विश्व भर के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा होती है. जहाँ यह सम्मलेन होता है उसी देश का राष्ट्र प्रमुख बैठक की अध्यक्षता करता है और उसे यह अधिकार होता है कि वह अपनी इच्छा से किसी एक और देश को बैठक में आमंत्रित करे.

उद्देश्य

समूह खुद को “कम्यूनिटी ऑफ़ वैल्यूज” यानी मूल्यों का आदर करने वाला समुदाय मानता है. स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र और क़ानून का शासन और समृद्धि और सतत विकास, इसके प्रमुख सिद्धांत हैं.

  1. अवसरों में असमानता दूर करना, लैंगिक समानता को बढ़ावा देना, शिक्षा और उच्चकोटि की स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता प्रदान करना.
  2. पर्यवारणगत असमानता घटाना.
  3. वैश्वीकरण के सामाजिक आयाम को सुदृढ़ करना.
  4. सुरक्षागत खतरों और आतंकवाद के विरुद्ध कार्रवाई करना.
  5. डिजिटल तकनीक और कृत्रिम बुद्धि से उत्पन्न अवसरों का पता लगाना.

G7 का माहात्म्य

G7 में विश्व की बड़ी-बड़ी आर्थिक शक्तियाँ सम्मिलित होती हैं. अतः G7 जो भी निर्णय लेता है उसका पूरे विश्व पर व्यापक प्रभाव पड़ता है. यद्यपि G7 के निर्णय कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं हैं, परन्तु इनका राजनैतिक प्रभाव अत्यंत प्रबल होता है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

कोरोना वायरस के कारण दुनियभर में आलोचनाओं का सामना कर रहा चीन दुनिया की सबसे शक्तिशाली आर्थिक शक्तियों के संगठन ‘ग्रुप ऑफ सेवन’ (G-7) में भारत के सम्मिलित होने से बुरी तरह घिरने वाला है.

ट्रंप द्वारा भारत और तीन अन्य देशों को आमंत्रित किए जाने से चीन में बेचैनी की भावना है. G-7 की बैठक में अमेरिका कोरोना वायरस और दक्षिणी चीन सागर के मुद्दे पर चीन के विरुद्ध कड़े प्रतिबंधों के लिए अपने गुट को दृढ करने का प्रयास कर रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विदेश मंत्री माइक पोम्पियो कई बार सार्वजनिक रूप से चीन की आलोचना कर चुके हैं. इतना ही नहीं, ट्रंप तो कोरोना वायरस को वुहान वायरस और चीनी वायरस का नाम भी दे चुके हैं.

भारत के संबंध शीत युद्ध के समय से ही रूस के साथ बहुत ही प्रगाढ़ रहे हैं और चीन को चौतरफा घेरने में जुटे डोनाल्ड ट्रंप के लिए भारत का सहयोग आवश्यक हो गया है. ट्रंप यह जानते हैं कि भारत के बिना वह चीन को मात नहीं दे सकते हैं. इसलिए ही अमेरिका ने कई ऐसे स्टेट ऑफ द ऑर्ट हथियारों को भारत को दिया है जो वह जल्दी किसी दूसरे देश को नहीं देता. अमेरिकी सेना भारत के साथ हिंद महासागर में खुफिया सूचनाओं का भी आदान-प्रदान करती हैं. वहीं, हाल के 3-4 वर्षों में अमेरिका ने भारत के साथ सैन्य अभ्यास को भी बढ़ाया है.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

2020 में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन का आयोजन रूस में होना है जिसकी अध्यक्षता भारत करेगा. 2017 से इस संगठन का पूर्णकालिक सदस्य बनने के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि भी बहुत दृढ हुई है.


GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization of resources, growth, development and employment.

Topic : Why Moody’s downgraded India’s rating?

संदर्भ

ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने 22 वर्षों में पहली बार भारत की रेटिंग को बीएए 2 से घटाकर बीएए 3 पर ला दिया है. इसके पूर्व पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद 19 जून 1998 में मूडीज ने भारत की रेटिंग घटाई थी. मूडीज ने बताया कि भारत में आर्थिक स्थिति से सम्बंधित परिवेश नकारात्मक हैं.

इसके अतिरिक्त एस एंड पी तथा फिच जैसी एजेंसियां भी भारत की रेटिंग घटाकर बीबीबी (नकारात्मक) कर चुकी हैं. इस तरह देश को सबसे नीचा इन्वेस्टमेंट ग्रेड दिया गया है.

निहितार्थ

ऐसे समय जबकि सरकार निवेश बढ़ाने के लिए उत्सुक है, ऐसी रेटिंग, निवेशकों को हतोत्साहित करेगी. मूडीज ने भारत की रेटिंग घटाकर न्यूनतम निवेश ग्रेड पर लाते हुए कहा कि सरकार की वित्तीय स्थिति में गिरावट, लगातार विकास दर का कम होना तथा वित्तीय क्षेत्र पर दबाव बना रहना चिंताजनक है. देश की नीति-निर्धारक संस्थाओं के लिए भी चुनौतीपूर्ण स्थिति बनी रहेगी.

रेटिंग में गिरावट क्यों आई?

  1. 2017 से आर्थिक सुधारों का धीमा कार्यान्वयन
  2. अनवरत अपेक्षाकृत निम्न आर्थिक विकास
  3. सरकारों (केंद्र और राज्य) की राजकोषीय स्थिति में अच्छी-खासी गिरावट
  4. भारत के वित्तीय क्षेत्र में बढ़ता तनाव

नकारात्मक’ दृष्टिकोण से क्या तात्पर्य है?

यहाँ पर “नकारात्मक” आर्थिक स्थिति से तात्पर्य अर्थव्यवस्था एवं वित्तीय प्रणाली पर पड़ रहे दबाव के कारण उत्पन्न उन जोखिमों से है जो राजकोषीय सुदृढ़ता को दुर्बल कर सकते हैं.

मूडीज ने इस संदर्भ में आर्थिक वृद्धि की कुछ चुनौतियों का उल्लेख किया है, जैसे – दुर्बल अवसंरचना, श्रम भूमि एवं उत्पादन बाजारों में लचीलेपन का अभाव, वित्तीय प्रक्षेत्र से सम्बंधित बढ़ते हुए जोखिम.

आर्थिक विकासनौकरियों और प्रति व्यक्ति आय पर मूडी का दृष्टिकोण क्या है?

मूडीज का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की वास्तविक जीडीपी में 4.0% सिकुड़ जायेगी. इसके बाद 2021-22 तेजी से सुधार होगा परन्तु फिर भी वृद्धि की दर भूतकाल की दरों की तुलना में अच्छी-खासी कम रहेगी. 

मूडीज क्या है?

  • मूडीज अमेरिका की एक कंपनी है, जो व्यवसाय और आर्थिक मामलों से जुड़ी हुई है. यह कंपनी  थी 1909 में बनी थी. इसके मालिक जॉन मूडी थे. इस कंपनी को बनाने के पीछे जॉन मूडी का उद्देश्य स्टॉक मार्केट और बॉन्ड की रेटिंग बताना था अर्थात् यह बताना कि कौन-सा स्टॉक एक्सचेंज कैसा प्रदर्शन कर रहा है और कौन-सा बॉन्ड खरीदने पर अधिक मुनाफा हो सकता है. इसके लिए जॉन मूडी स्टॉक मार्केट और बॉन्ड की रेटिंग किया करते थे.
  • साल 1962 में अमेरिका की ही एक अन्य कंपनी डॉन एंड ब्रॉडस्ट्रीट ने इसे खरीद लिया और विलय कर लिया.
  • वर्ष 2000 में डॉन एंड ब्रॉडस्ट्रीट ने मूडीज को अलग से एक कंपनी के तौर पर स्थापित कर दिया और इसे न्यू यॉर्क स्टॉक एक्सजेंच में लिस्ट करवा दिया.
  • फिर 2007 में मूडीज़ के दो हिस्से हो गए. एक हिस्सा बना मूडीज इन्वेस्टर सर्विस, जिसका कार्य था रेटिंग देना. दूसरा हिस्सा था मूडीज़ एनालिटिक्स का, जिसके जिम्मे कंपनी के बचे हुए काम आ गए.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

रेटिंग तो यही बताती है कि भारत के समक्ष गंभीर आर्थिक सुस्ती का भारी खतरा है, जिसके कारण राजकोषीय लक्ष्य पर दबाव बढ़ रहा है. वैसे यह भी सत्य है कि भारत की रेटिंग को गिरा देने से भारतीय रुपये के विनियम दर और इंडिया ऑफशोर बॉन्ड पर पर तुरंत कोई प्रभाव नहीं दिखने वाला है. परन्तु इस तथ्य को भी स्वीकार करना पड़ेगा कि अर्थव्यवस्था एक अभूतपूर्व दौर से गुजर रही है. जहाँ तक रेटिंग के अवक्रमण की बात है तो ऐसा पहले भी हो चुका है, लेकिन हमें सावधान रहना होगा और इस तरह की नीतियाँ बनानी होंगी, जिनसे विकास को बल मिले. भारत सरकार के लिए चुनौती बढ़ गई है, क्योंकि इससे देश के विदेशी निवेश पर असर पड़ता है. अंतर्राष्ट्रीय संगठन अलग-अलग देश की सरकारों की उधारी चुकाने की क्षमता का आकलन करती हैं. इसके लिए आर्थिक, बाजार और राजनीतिक जोखिम को आधार बनाया जाता है. इस तरह की रेटिंग यह बताती है कि क्या देश आगे चलकर अपनी देनदारियों को समय पर पूरा चुका सकेगा. यह रेटिंग टॉप इंवेस्टमेंट ग्रेड से लेकर जंक ग्रेड तक होती हैं. जंक ग्रेड को डिफॉल्ट श्रेणी में माना जाता है.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

मूडीज की क्रेडिट रेटिंग की श्रेणियाँ

AAA : ऋण की गुणवत्ता जब सबसे ऊँची होती है तो AAA श्रेणी दी जाती है.

AA+/AA/AA– : ऋण की बहुत ऊँची गुणवत्ता.

A+/A/A– : ऋण की ऊँची गुणवत्ता

BBB+/BBB/BBB– : ऋण की अच्छी गुणवत्ता

BB+/BB/BB– : यह श्रेणी तब दी जाती है जब ऋण की डिफ़ॉल्ट का जोखिम अधिक होता है.

B+/B/B- : यह श्रेणी बताती है कि ऋण के डिफ़ॉल्ट का ठोस खतरा है.

BAA2 –  मध्यम क्रेडिट जोखिम को दर्शाता है. इन्हें मीडियम ग्रेड के तौर पर लिया जाता है. इससे अर्थव्यवस्था में बेहतर निवेश के मौके बनते हैं.

Baa3 – सबसे कम इन्वेस्टमेंट ग्रोथ या यूं कहें इन्वेस्टमेंट के लिए सबसे ​निचले स्तर की रेटिंग है.

CCC+/CCC/CCC- : यह श्रेणी तब दी  जाती है जब ऋण के डिफ़ॉल्ट की प्रबल संभावना होती है.

CC : यह श्रेणी बतलाती है कि डिफ़ॉल्ट होने ही होने हैं.

C : यह श्रेणी तब दी जाती है जब डिफ़ॉल्ट हो चुका होता है अथवा डिफ़ॉल्ट जैसी प्रक्रिया आरम्भ हो चुकी होती है.

DDD/RD/SD/DD/D : यह श्रेणी तब दी जाती है जब ऋण की वसूली के लिए दिवालियापन का आवेदन पड़ जाता है और व्यवसाय को समेटने या बंद करने की प्रक्रिया चल निकलती है.

क्रेडिंग रेटिंग के बारे में अधिक जानकारी के लिए यह अवश्य पढ़ेंCredit Rating in Hindi


Prelims Vishesh

Interahamwe militia :-

  • Interahamwe militia कांगो और युगांडा देशों में सक्रिय एक धुर दक्षिण पंथी हुतू (Hutu) परासैन्य संगठन है जिसकी स्थापना 1990 में हुई थी और जिसे रवांडा जनसंहार का मुख्य दोषी माना जाता है.
  • इस जनसंहार में अनुमानतः 5 लाख से 10 लाख तक तुत्सी, त्वा और उदारवादी हुतू अप्रैल से जुलाई 1994 के बीच मारे गये थे.

Uttar Pradesh govt to develop 800 km roads as Herbal roads :-

  • राज्य से होकर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों और राज्य के राज्यमार्गों के किनारे-किनारे 800 किलोमीटर तक औषधीय पेड़ लगाने की एक योजना उत्तर प्रदेश सरकार ने बनाई है.
  • इस योजना के अंतर्गत ये पेड़ लगाये जायेंगे – पीपल, नीम, सहजन, ब्राह्मी, अश्वगंधा, जटरोपा आदि आदि.
  • आशा की जाती है कि इन पेड़ों की सहायता से हवा में रहने वाले बैक्टेरियों से होने वाले रोगों तथा अन्य कई रोगों से छुटकारा मिलेगा.

Military Gender Advocate of the Year 2019 Award :-

  • 2019 का संयुक्त राष्ट्र सैन्य जेंडर अधिवक्ता का पुरस्कार भारत और ब्राजील की महिला शान्तिरक्षकों को संयुक्त रूप से दिया गया है.
  • इसके लिए भारत की मेजर सुमन गवानी और ब्राजील की कमांडर कार्ला मोंटेरो द कास्त्रो अरौजो को चुना गया है.
  • यह पुरस्कार 2016 से चल रहा है.

WHO Foundation :-

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विश्व की स्वास्थ्यगत चुनौतियों के समाधान में सहायता पहुँचाने के लिए एक स्वतंत्र प्रतिष्ठान का सृजन करने की घोषणा की है जिसका नाम WHO फाउंडेशन होगा.
  • यह फाउंडेशन WHO और उसके विश्वस्त प्रतिभागियों को सार्वजनिक स्वास्थ्यगत कार्यों के लिए निधि मुहैया करेगा.
  • इसका मुख्यालय जिनेवा में रहेगा परन्तु कानूनी रूप से यह WHO से एक अलग संस्था होगी.

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