Sansar डेली करंट अफेयर्स, 02 June 2021

Sansar LochanSansar DCA

Sansar Daily Current Affairs, 02 June 2021


GS Paper 2 Source : The Hindu

the_hindu_sansar

UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations.

Topic : Thousands of Rohingya protest at Bhashan Char

संदर्भ

हाल ही में, बांग्लादेश के तटवर्ती क्षेत्र में स्थित एक चक्रवात-प्रवण ‘भासन चार’ (Bhashan Char) द्वीप पर रहने लायक हालातों को लेकर कई हजार रोहिंग्याओं ने अनियंत्रित विरोध प्रदर्शन किया.

संबंधित प्रकरण

दिसंबर के बाद से, बांग्लादेश द्वारा 18,000 शरणार्थियों को बंगाल की खाड़ी में स्थित एक गाद-निर्मित एवं निम्नस्थ भासन चार द्वीप पर स्थानांतरित किया जा चुका है, जहां ये लोग मलिन और तंग परिस्थितियों में रहते हैं.

वर्तमान में मुख्य चिंताएं

  1. भासन चार (फ्लोटिंग आइलैंड), जिसे ‘चार पिया’ (Char Piya) या ‘थेंगर चार आइलैंड’ (Thengar Char Island) के नाम से भी जाना जाता है, बांग्लादेश के हटिया में स्थित एक द्वीप है.
  2. भासन चार द्वीप का निर्माण मात्र 20 वर्ष पूर्व बंगाल की खाड़ी में हिमालयन गाद से हुआ था. बांग्लादेश द्वारा इस विचार को पेश किये जाने के समय से ही भासन चार द्वीप पर मौसमी चरम स्थितियों और आपात स्थिति में मुख्य भूमि से दूरी को लेकर लगातार चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं.

रोहिंग्या कौन हैं?

  • रोहिंग्या म्यांमार के रखाइन प्रांत में रहने वाला एक समुदाय है जिसमें अधिकांश मुसलमान हैं.
  • उस देश में रोहिंग्याओं को पूर्ण नागरिकता प्राप्त नहीं है और उन्हें निवासी विदेशी अथवा सह-नागरिक के रूप में वर्गीकृत किया गया.
  • नस्ल की दृष्टि से ये म्यांमार में रहने वाले चीनी तिब्बती लोगों से अलग हैं और थोड़ा बहुत भारत के और बांग्लादेश के भारतीय आर्य जनों से मिलते-जुलते हैं.
  • इनकी भाषा और संस्कृति सभी देशों से बिल्कुल अलग है.
  • म्यांमार में 10 लाख से अधिक रोहिंग्या बसते हैं पर म्यांमार उन्हें अपना नागरिक मानने को तैयार नहीं है. न ही इस प्रजाति को कोई सरकारी ID या चुनाव में भाग लेने का अधिकार दिया गया है.

रोहिंग्या संकट का इतिहास

अधिकांश रोहिंग्या मुसलमान हैं लेकिन कुछ रोहिंग्या अन्य धर्मों का भी अनुसरण करते हैं. 2017 में रोहिंग्या समुदाय के लोगों के विरुद्ध म्यांमार में हिंसा हुई थी. इस हिंसा के बाद लाखों रोहिंग्या म्यांमार को छोड़ कर कहीं और चले गए. अब भी कई रोहिंग्या म्यांमार में ही रखाइन के राहत शिविरों में दिन काट रहे हैं.

रोहिंग्या समुदाय को सदियों पहले अराकान (म्यांमार) के मुग़ल शासकों ने यहाँ बसाया था, साल 1785 में, बर्मा के बौद्ध लोगों ने देश के दक्षिणी हिस्से अराकान पर कब्ज़ा कर लिया था. उन्होंने हजारों की संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों को खदेड़ कर बाहर भगाने की कोशिश की. इसी के बाद से बौद्ध धर्म के लोगों और इन मुसलमानों के बीच हिंसा और कत्लेआम का दौर शुरू हुआ जो अब तक जारी है.

क्या रोहिंग्या मुसलमान भारत के लिए खतरनाक हैं?

एक रिपोर्ट के अनुसार रोहिंग्या बड़ी संख्या में जम्मू के बाहरी भागों में और जम्मू के साम्बा और कठुआ इलाकों में बस गए हैं. ये इलाके हमारे अंतर्राष्ट्रीय सीमा से अधिक दूर नहीं है जो भारत की सुरक्षा के लिए एक खतरा है.

अता उल्लाह जो Arkan Rohingya Salvation Army का सरगना है, उसका जन्म कराँची, पाकिस्तान में हुआ था. इसकी परवरिश मक्का में हुई. ऐसा कहा जाता है कि रोहिंग्या मुसलमान पाकिस्तान के आतंकवाद संगठनों के साथ जुड़े हुए हैं और लगातार उनसे संपर्क में रहते हैं. सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन द्वारा रोहिंग्या, जो बांग्लादेश के शरणार्थी कैंपों में रह रहे हैं, को आंतकवादी बनाया जा रहा है और पूरे देश की अशांति फैलाने के लिए इनका इस्तेमाल भी किया जा रहा है. सऊदी अरबिया का वहाबी ग्रुप इन्हें आंतकवाद की ट्रेनिंग दे रहा है.

bhasan char island map

भासन चार द्वीप

  • बांग्लादेश में बंगाल की खाड़ी में 40 किलोमीटर के विस्तार वाला एक द्वीप है जिसे भासन चार अर्थात् चार पिया नाम से जाना जाता है.
  • इसका निर्माण 2006 में हिमालय से आने वाली गाद से हुआ था.
  • इस पर आजकल रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं. पिछले दिनों बांग्लादेश ने आदेश दिया है कि रोहिंग्याओं को यहाँ से तभी निकलने दिया जाएगा जब वे सीधे अपने घर लौटेंगे.
  • विदित हो कि यह स्थल मेघना नदीके मुहाने पर स्थित है जहाँ बाढ़, भूक्षरण और चक्रवात जैसी घटनाएँ होती रहती हैं.

 


GS Paper 2 Source : PIB

pib_logo

UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : SAGY

संदर्भ

आधिकारिक आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि इस कार्यक्रम के तहत अब तक 2,111 ग्राम पंचायतों की पहचान की गई है और उनमें से केवल 1,618 ने ही अपनी विकास योजनाएं तैयार की हैं.

2,65,000 ग्राम पंचायतों में से कुल 6,433 ग्रामों को वर्ष 2024 तक आदर्श ग्राम बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

सांसद आदर्श ग्राम योजना (SAGY) क्या है?

  • सांसद आदर्श ग्राम योजना 2014 में ग्राम विकास के लिए आरम्भ हुई थी.
  • इसके अन्दर प्रत्येक सांसद को 2019 तक तीन-तीन गाँवों में भौतिक एवं संस्थागत अवसंरचनाओं के विकास का उत्तरदायित्व लेना था.
  • यह परियोजना लोक नायक जय प्रकाश नारायण की जयंती पर आरम्भ की गई थी.

कार्यान्वयन और लाभ

  1. इस योजना के संचालन के लिए एक ग्राम विकास योजना बनेगी जिसको प्रत्येक चुनी हुई ग्राम पंचायत तैयार करेगी.
  2. इस योजना में इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाएगा कि प्रत्येक गरीब परिवार गरीबी से ऊपर आने में समर्थ हो जाए.
  3. इस योजना में जहाँ कहीं भी वित्त की कमी होगी उसकी भरपाई सांसद अपनी MPLAD के बजट से करेगा.
  4. प्रत्येक गाँव के लिए योजना बनाने में ग्रामीणों का हाथ होगा और इस कार्य का समन्वयन जिला कलेक्टर करेंगे. सम्बंधित सांसद इस प्रक्रिया में अपना सक्रिय योगदान देंगे.
  5. इस कार्यक्रम की सफलता के लिए नई तकनीकों को अपनाना और नवाचार लाना आवश्यक होगा. इसके लिए अन्तरिक्ष में स्थित उपग्रहों एवं दूरस्थ सेंसरों का प्रयोग होगा तथा निगरानी के लिए मोबाइल पर आधारित तकनीक का प्रयोग किया जाएगा. साथ ही कृषि तकनीक का उपयोग करते हुए उत्पादकता को बढ़ाई जायेगी.
  6. योजना के कार्यान्वयन के लिए राज्य स्तर पर एक प्राधिकृत समिति होगी जिसका अध्यक्ष मुख्य सचिव होगा. इस समिति में सम्बंधित विभाग के अधिकारी और विशेषज्ञों के अतिरिक्त सिविल सोसाइटी से सम्बंधित कम से कम दो प्रतिनिधि होंगे.
  7. SAGY के कार्यान्वयन के लिए जिला कलेक्टर नाभिक अधिकारी होगा. वह प्रत्येक महीने सम्बन्धित विभागों के प्रतिनिधियों के साथ समीक्षात्मक बैठक करेगा. ऐसी बैठक की अध्यक्षता वह सांसद करेगा जिसने गाँव को गोद लिया है.
  8. SAGY सामुदायिक प्रतिभागिता पर बल देता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ग्रामीण समुदाय को सामाजिक रूप से सक्रिय बनाने पर गाँव में अपने-आप कई विकासात्मक गतिविधियों की एक शृंखला शुरू हो सकती है.

GS Paper 2 Source : The Hindu

the_hindu_sansar

UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : As births decline, China to allow couples to have third child

संदर्भ

हाल ही में जारी किए गए, चीन के जनगणना आंकड़ों से पता चला है, कि देश की जनसंख्या वृद्धि दर, 1950 के दशक के बाद, सबसे धीमी है और कम होती जा रही है.

  1. इसके बाद से, चीन द्वारा प्रत्येक विवाहित जोड़े को तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति देने संबंधी घोषणा की गई है.
  2. ज्ञातव्य है कि पांच साल पहले वर्ष 2016 में, विवादास्पद चीन की एक-बच्चा नीति’ (One-Child Policy) में बदलाव कर इस देश ने दो बच्चों की सीमा लगा दी थी.

चीन में एक बच्चे की नीति क्यों अपनाई गई थी?

यह नीति माल्थस के सिद्धांत को देखते हुए अपनाई गई थी जिसके अनुसार, अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि अंततः आर्थिक एवं पर्यावरणगत विभीषिका में फलित होती है.

70 के दशक में चीन खाद्य पदार्थों की कमी भी थी और यह भी एक बच्चे की नीति के पीछे एक कारण था.

china_demography

माल्थस का सिद्धांत क्या है?

जनसंख्या के बारे में एक सुगठित सिद्धांत प्रस्तुत करने वाला पहला अर्थशास्त्री टॉमस रोबर्ट माल्थस था. उसने प्रायोगिक आँकड़ों को जमा करके जनसंख्या का एक सिद्धांत बनाया था जो उसने अपनी पुस्तक “Essay on the Principle of Population (1798)” में प्रकट किया. इसमें उसने यह तर्क दिया कि यदि जनसंख्या को नियंत्रित नहीं किया गया तो वह संसाधनों से आगे बढ़ जायेगी और ढेर सारी समस्याओं का कारण बनेगी.

विस्तार से पढ़ें > माल्थस का सिद्धांत

क्या एक बच्चे की नीति सफल रही?

चीनी अधिकारीयों के अनुसार, इस नीति के कारण जनसंख्या में 400 मिलियन की कमी आई. परन्तु इससे जनसंख्या पर अनपेक्षित दुष्प्रभाव देखने को मिला. इस नीति के अंतर्गत लोगों को दूसरे बच्चे के लिए सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य था. परन्तु यह पाया गया कि लोग दूसरे बच्चे में अधिक रूचि प्रदर्शित नहीं कर रहे थे. जिस समय एक बच्चे की नीति आई थी उस समय 11 मिलियन जोड़े दूसरे बच्चे के लिए पात्रता रखते थे. सरकार आशा कर रही थी कि 2014 में 2 मिलियन बच्चे जन्मेंगे, परन्तु ऐसा हो न सका. मात्र 7 लाख जोड़ों ने दूसरे बच्चे के लिए आवेदन दिया और उनमें 6 लाख 20 हजार को ही अनुमति मिली. परिणामस्वरूप, आने वाले वर्षों में जनसंख्या में कमी एक समस्या के रूप में विद्यमान रहेगी.

चीन में बूढ़े लोगों की गिनती बढ़ गई है. वस्तुतः जनसंख्या का एक चौथाई भाग 2030 तक 60 वर्ष की आयु से अधिक का होगा.

एक बच्चे की नीति के लाभ

  1. इससे जनसंख्या की समस्या का समाधान करने में सहायता मिलती है.
  2. कुछ परिवारों को यह नीति व्यावहारिक प्रतीत होती है.
  3. इससे दरिद्रता की दर नीचे आती है.

एक-बच्चा नीति के दोष

  1. यह सामान रूप से लागू नहीं हो पाती.
  2. इससे मानव अधिकार का उल्लंघन होता है.
  3. कामगार लोगों की संख्या घटती जाती है.
  4. सांस्कृतिक कारणों से लोग बेटी के स्थान पर बेटा चाहते हैं. फलतः लैंगिक असंतुलन देखने को मिलता है.
  5. गर्भपात और कन्या भ्रूण हत्या के मामलों में बढ़ोतरी होती है.
  6. एक बच्चे से अधिक बच्चे पैदा करने पर उस परिवार के शेष बच्चे गैर-कानूनी हो जाते हैं और फिर वे कभी भी देश के नागरिक नहीं बनते. पता चलने पर उस परिवार पर अर्थदंड लगाया जाता है.
  7. यह नीति लोगों की व्यक्ति मान्यताओं और विचारों का हनन करती है.

भारत में ऐसी नीति लागू करना कहा तक ठीक है?

  • यदि इस प्रकार की नीति भारत में लागू की जाती है तो उसके परिणाम चीन की तुलना में अधिक विनाशकारी हो सकते हैं.
  • जीवन प्रत्याशा, शिशु मृत्यु दर (MIR), जच्चा मृत्यु दर जैसे मूलभूत विकास संकेतकों के मामले में भारत चीन से कोसों पीछे है. बेटे की चाह, पूरे देश में एक समान विकास न होना आदि तत्त्व भी ऐसी नीति लागू करने में अड़चन पैदा करेंगे.
  • सरकार एक बच्चे की नीति लागू करने के लिए किसी घर में प्रवेश करेगी तो इसका भीषण विरोध हो सकता है.
  • परिवार छोटा रखने का काम स्त्रियों का माना जाता है और इसके लिए गर्भनिरोध के उपाय उन पर ही लागू होते हैं जबकि इसमें पति को खुली छूट मिल जाती है. यह पितृसत्तामात्क परिवेश भी एक बच्चे की नीति के लिए बाधा हैं.
  • मात्र परिवार छोटा करने से बात नहीं बनेगी. वास्तविक लक्ष्य खाद्य सुरक्षा, आवास, शिक्षा एवं स्वास्थ्य की मूलभूत आवश्यकताओं और सेवाओं की सुविधा प्रधान करना होना चाहिए.

GS Paper 3 Source : Indian Express

indian_express

UPSC Syllabus : Awareness in the fields of IT, Space, Computers, robotics, nano-technology, bio-technology and issues relating to intellectual property rights.

Topic : 5G Technology

संदर्भ

हाल ही में, बॉलीवुड अभिनेत्री जूही चावला ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक अपील दायर की गई है, जिसमे उन्होंने सेलुलर दूरसंचार द्वारा 5G तकनीक शुरू करने से पहले, इस तकनीक के उपयोग से उत्सर्जित होने वाले रेडियो-आवृत्ति विकिरण के ‘वयस्कों अथवा बच्चों के स्वास्थ्य, जीवन तथा इनके अंगो, और वनस्पतियों तथा जीवों’ पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव पर एक वैज्ञानिक अध्ययन कराए जाने की मांग की है.

5G क्या है?

  • 5G एक वायरलेस दूरसंचार प्रौद्योगिकी है. इसमें डेटा प्रसारण एवं प्राप्ति के लिए रेडियो तरंगे और रेडियो आवृत्ति (RF) का प्रयोग किया जाता है.
  • यह 4G LTE नेटवर्क के बाद मोबाइल नेटवर्क प्रौद्योगिकी की अगली पीढ़ी है. 2019 के आरम्भ में 5G प्रौद्योगिकी का उपयोग सेवाओं में क्रमिक रूप से शुरू किया जाएगा और 2024 तक सम्पूर्ण सेवाओं तक इसका विस्तार किया जायेगा.
  • 5G के लिए अंतिम मानक अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) द्वारा निर्धारित किया जाएगा.

5G की विशेषताएँ

  • उच्च डेटा दर (Hotspots के लिए 1Gbps, डाउनलोड गति 100Mbps तथा वाइड-एरिया कवरेज हेतु 50Mbps की अपलोड गति).
  • व्यापक कनेक्टिविटी (प्रति वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 1 मिलियन कनेक्शन)
  • अल्ट्रा-लो-लेटेंसी (1 मिलीसेकंड)
  • उच्च विश्वसनीयता (मिशन क्रिटिकल “अल्ट्रा-रिलाएबल” संचार हेतु 99.999%).
  • उच्च गति पर गतिशीलता (500 किमी./घंटा की गति तक अर्थात् उच्च-गति ट्रेन के लिए).

इस प्रौद्योगिकी को वास्तविकता में परिणत होने में अभी काफी समय लगेगा किन्तु इसमें वायरलेस उपकरणों के साथ अंतर्क्रिया के हमारे वर्तमान तरीके को पूर्णतया परिवर्तित करने की पर्याप्त क्षमता है.

5G के लाभ

  • इन्टरनेट की तीव्र गति –वर्तमान में 4G नेटवर्क एक गीगाबाइट प्रति सेकंड की अधिकतम डाउनलोड गति प्राप्त करने में सक्षम है. 5 के साथ इस गति को10 गीगाबाइट प्रति सेकंड तक बढ़ाया जा सकता है.
  • अल्ट्रा-लो-लेटेंसी –लेटेंसी उस समय को संदर्भित करती है जो एक device से दूसरी device तक एक डेटा पैकेट को भेजने में लगता है. 4G में लेटेंसी दर 50 milliseconds है जबकि 5G में 1 millisecond तक हो सकती है.
  • अच्छी तरह से कनेक्टेड विश्व –5G इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्सजैसी प्रौद्योगिकियों  के समायोजन के लिए प्रयोक्ता की आवश्यकता के अनुसार क्षमता तथा बैंडविड्थ प्रदान करेगा. इस प्रकार यह आर्टिफिशियल इन्टेलिजेन्स को अपनाने में सहायता करेगा.
  • डिजिटल आर्थिक नीति पर आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) समिति के अनुसार 5G प्रौद्योगिकी का क्रियान्वयन GDP में वृद्धि, रोजगारों का सृजन तथा अर्थव्यवस्था को डिजिटल बनाने में सहायता करेगा.

भारत को 5G से लाभ

  • भारत पर 5G का संचयी आर्थिक प्रभाव 2035 तक एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच सकता है. यह हमारे जीवन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को सम्मिलित करने में सहायता करेगा और इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स (IOT) के लिए परिवेश प्रदान करने हेतु स्मार्ट उपकरणों को निर्बाध रूप से डेटा के आदान-प्रदान को सक्षम बनाएगा.
  • 5G कृषि से लेकर, स्मार्ट सिंचाई, मृदा एवं फसल की बेहतर निगरानी एवं पशुधन प्रबन्धन तक सम्पूर्ण मूल्य शृंखला में सुधार को सक्षम बना सकता है.
  • 5G सटीक विनिर्माण के लिए रोबोटिक्स के उपयोग को सक्षम बनायेगा, विशेषत: जहाँ मनुष्य इन कार्यों को सुरक्षित या सटीकता से निष्पादित नहीं कर सकता.
  • ऊर्जा क्षेत्र में, “स्मार्ट ग्रिड” और “स्मार्ट मीटरिंग” को सहायता प्रदान की जा सकती है.
  • स्वास्थ्य देखभाल में, 5G अधिक प्रभावी दूरस्थ-चिकित्सा वितरण, सर्जिकल रोबोटिक्स के दूरस्थ नियंत्रण और महत्त्वपूर्ण आँकड़ों की वायरलेस निगरानी को सक्षम बना सकता है.

चुनौतियाँ

यह एक विशाल कार्य है जिसमें स्पेक्ट्रम और नए एंटेना की स्थापना सम्बन्धित मुद्दे सम्मिलित हैं. जैसे कि ईमारतें, वृक्ष, खराब मौसम आदि भी अवरोधक का कारण बन सकते हैं. अतः बेहतर कनेक्शन हेतु अधिक बेस स्टेशनों का निर्माण किये जाने की आवश्यकता है.

5G तक संक्रमण हेतु भारत के पास एक मजबूत बैकहॉल (backhaul) का अभाव है. दरअसल बैकहॉल एक प्रकार का नेटवर्क होता है जो सेल साइट्स को सेन्ट्रल एक्सचेंज से जोड़ता है. इस समय 80% सेल साइट्स माइक्रोवेव बैकहॉल तथा 20% साइट्स फाइबर के माध्यम से कनेक्टेड हैं.  भारतीय बाजार आज की तिथि में सिर्फ 4G के लिए अनुकूल है.

यह जरूर पढ़ें > 5G तकनीक


Prelims Vishesh

Antibody-dependent Enhancement : ADE :-

  • कुछ विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि सार्स-कोव-2-रोधी एंटीबॉडीज ADE के माध्यम से कोविड-19 की तीव्रता को बढ़ा सकती हैं.
  • ADE तब होता है, जब एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के दौरान उत्पन्न एंटीबॉडीज एक रोगजनक्‌ को पहचानती और उससे आबद्ध हो जाती हैं, किन्तु वे संक्रमण को रोकने में असमर्थ होते हैं.
  • इसकी बजाय, ये एंटीबॉडीज ‘ट्रोजन हॉर्स’ के रूप में कार्य करते हैं, जिससे रोगजनक्‌ को कोशिकाओं में प्रवेश करने में सहायता मिलती है और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया अप्रभावी हो जाती है.
  • हालांकि, विभिन्‍न विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि ADE की संभावित समस्या को पहले से ही कोविड-19 वैक्सीन विकास के दौरान संबोधित किया गया है.

Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Current Affairs Hindi

May,2021 Sansar DCA is available Now, Click to Downloadnew_gif_blinking

Spread the love
Read them too :
[related_posts_by_tax]