Sansar Daily Current Affairs, 02 March 2020
GS Paper 2 Source: PIB
UPSC Syllabus : Development processes and the development industry the role of NGOs, SHGs, various groups and associations, donors, charities, institutional and other stakeholders
Topic : National Sports Development Fund
संदर्भ
नैगम सामाजिक उत्तरदायित्व पहल (CSR initiative) के अंतर्गत भारतीय सुरक्षा मुद्रण एवं टकसाल निगम (Security Printing & Minting Corporation of India – SPMCIL) ने राष्ट्रीय खेलकूद विकास कोष में एक करोड़ रु. का अंशदान किया है.
राष्ट्रीय खेलकूद विकास कोष क्या है?
- केंद्र सरकार के राष्ट्रीय खेलकूद विकास कोष का गठन देश में खेलकूद को प्रोत्साहन देने के लिए किया गया.
- इसके अंतर्गत प्रवासी भारतीयों और निजी-कार्पोरेट क्षेत्र सहित सरकारी और गैर-सरकारी सभी स्रोतों से पैसा जुटाया जाता है.
- राष्ट्रीय खेलकूद विकास कोष में सहायता करने को आकर्षक बनाने के लिए अंशदान की राशि पर आयकर में शत प्रतिशत छूट दी जाती है.
- सरकार ने 1998-99 में दो करोड़ रुपये के अंशदान से कोष का प्रारम्भ किया.
- इसके अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों से मिले अंशदान के अनुसार सरकार समान सहायता प्रदान करती है.
राष्ट्रीय खेलकूद विकास कोष का प्रबंधन एवं प्रशासन
इस कोष का प्रबंधन केंद्र सरकार द्वारा गठित एक परिषद् करती है जिसका अध्यक्ष केन्द्रीय युवा मामले और खेलकूद मंत्री करता है. इस परिषद् में सदस्य के रूप में खेलकूद विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों/निगमों के अध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक, खेलकूद प्रोत्साहन बोर्ड के प्रतिनिधिगण आदि होते हैं.
उद्देश्य
राष्ट्रीय खेलकूद विकास कोष में प्राप्त धनराशि का उपयोग खेलकूद को सामान्य रूप से बढ़ावा देने के साथ-साथ ख़ास खेलों और कुछ विशिष्ट खिलाड़ियों को राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्टता हासिल करने, खिलाड़ियों, कोच और खेल विशेषज्ञों को विशेष प्रशिक्षण देने, खेल-कूद में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढाँचे के निर्माण तथा रख-रखाव, सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों तथा व्यक्तियों को खेल-कूद के उपकरण व सामग्री मुहैया कराने और खेल-कूद के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए समस्याओं का पता लगाने तथा अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने में किया जाता है.
GS Paper 2 Source: Down to Earth
UPSC Syllabus : Issues relating to development and management of Social Sector/Services relating to Health, Education, Human Resources.
Topic : Rare Disease Day
संदर्भ
फरवरी 20 को दुर्लभ रोग दिवस मनाया जाता है.
दुर्लभ रोग क्या होता है?
- दुर्लभ रोग अर्थात् अनाथ रोग (orphan disease) एक ऐसा रोग है जिससे बहुत कम लोग ग्रस्त होते हैं.
- अधिकांश दुर्लभ रोग आनुवंशिक होते हैं और ये किसी व्यक्ति के पूरे जीवन तक चलते हैं, चाहे इसके लक्षण तुरंत न दिखें. जहाँ तक यूरोप की बात है तो वहाँ दुर्लभ रोग अथवा विकृति उस रोग अथवा विकृति को कहते हैं जिसकी चपेट में 2,000 नागरिकों में से एक से भी कम नागरिक आता है.
- दुर्लभ रोगों में भाँति-भाँति के अनेक लक्षण होते हैं जो रोगानुसार बदलते रहते हैं.
- यदि एक से अधिक रोगी किसी एक दुर्लभ रोग से ग्रस्त हैं तो भी उनमें अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं. बहुत से लक्षण ऐसे होते हैं जो सामान्य लक्षण हैं अतः किसी दुर्लभ रोग के निदान में बहुधा भूल हो जाती है.
- भारत में सबसे अधिक पाए जाने वाले दुर्लभ रोग हैं – हीमोफिलिया, थैलसीमिया, सिकल-सेल एनीमिया, बच्चों में प्राथमिक इम्युनो की कमी, ऑटो-इम्यून रोग, लाइसो सोमल स्टोरेज विकृतियाँ, जैसे – पोम्पे डिजीज, हिर्स्चप्रंग रोग, गौचर की बीमारी, सिस्टिक फाइब्रोसिस, हेमांगीओमास और कुछ प्रकार के मस्कुलर डिस्ट्रोफी.
समस्या और निदान
- सरकार का यह कर्तव्य बनता है कि वह प्रत्येक नागरिक को स्वास्थ्य की देखभाल सम्बन्धी सुविधा दे. संविधान की धारा 21, 38 और 47 में भी इस बात का उल्लेख है.
- जो रोग दुर्लभ हैं उनसे ग्रस्त रोगी भी दुर्लभ होते हैं. कहने का अभिप्राय यह है कि यदि कोई कम्पनी इनके लिए दवा बनाए तो उसे बहुत कम मात्रा में दवा बनानी होगी. इस कारण यह मुनाफे का सौदा नहीं है. अतः आवश्यकता है कि ऐसी दवा कंपनियों को आगे आने के लिए उत्प्रेरणा देकर प्रोत्साहित किया जाए.
- दवा बनाने वाली कंपनियाँ कम मात्रा में बनी दवाइयों से अधिक से अधिक पैसा कमाना चाहेंगी और इसलिए इनका दाम बहुत ऊँचा रखना चाहेंगी. इसलिए यह आवश्यक होगा कि सरकार अनाप-शनाप मूल्य रखने से इन्हें रोकने के लिए एक विनियमन प्रणाली स्थापित करे.
- यह सच है कि दुर्लभ रोग हजारों में एक को ही होता है परन्तु उस एक आदमी के जीवन का भी मोल होता है. अतः सरकार को चाहिए कि इस विषय में एक राष्ट्रीय नीति लेकर आये जिससे दुर्लभ रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों को देखभाल उपलब्ध हो सके.
GS Paper 2 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.
Topic : Agreement for Bringing Peace to Afghanistan
संदर्भ
कतर के दोहा में शनिवार को अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौते पर सहमति बन गई. करीब 18 महीने की वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने इस शांति समझौता पर हस्ताक्षर किए हैं. लगभग 30 देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के विदेश मंत्री और प्रतिनिधि अमेरिका-तालिबान शांति समझौते पर हस्ताक्षर के गवाह बने.
समझौते के मुख्य बिंदु
- अमेरिकी-तालिबान शांति समझौते में किए गए वादों को 135 दिन में लागू किया जाएगा.
- अमेरिकी सैनिक 14 महीने के अंदर वापस अपने देश चले जाएंगे. विदित हो कि वहां आठ हजार से ज्यादा अमेरिकी सैनिक तैनात हैं.
- तालिबान को आतंकी संगठन अलकायदा और दूसरे विदेशी आतंकी संगठनों से अपने सभी रिश्ते तोड़ने होंगे. साथ ही अफगानिस्तान की धरती को आतंकवादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल नहीं होने देने में अमेरिका की मदद करेगा.
- अमेरिका अपनी ओर से अफगानिस्तान के सैन्य बलों को सैन्य साजो-सामान देने के साथ प्रशिक्षित भी करेगा, ताकि वह भविष्य आंतरिक और बाहरी हमलों से खुद के बचाव में पूरी तरह से सक्षम हो सकें.
संभावित लाभ
- अमेरिका और तालिबान के बीच हुए समझौते से अफगानिस्तान में शांति कायम होगी.
- साथ ही लंबे समय बाद अफगानिस्तान गृह युद्ध से बाहर निकलेगा.
- इस समझौते के साथ अफगानिस्तान में सबसे लंबे अमेरिकी युद्ध का अंत होगा.
- इस समझौते से अफगानिस्तान के गृह युद्ध में फंसे अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के हजारों सैनिकों की वापसी संभव होगी
पृष्ठभूमि
गृह युद्ध की आग में झुलसे अफगानिस्तान में अमेरिका पिछले 18 वर्षों से जंग लड़ रहा है. लगभग 19 साल पहले 9/11 हमलों के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों को जड़ से खत्म करने के लिए अमेरिकी सेवा सदस्य अफगानिस्तान गए थे. इस सैन्य लड़ाई में अब तक काफी संख्या में लोग मारे जा चुके हैं.
भारत पर इस समझौते का क्या प्रभाव पड़ेगा?
- भू राजनैतिक रूप से अहम अफगानिस्तान में तालिबान के कदम पसारने से वहां की नवनिर्वाचित सरकार को खतरा होगा और भारत की कई विकास परियोजनाएं प्रभावित होंगी. इसके अलावा भी पश्चिम एशिया में पांव पसारने की तैयारी में लगी मोदी सरकार को बड़ा नुकसान होगा. यही कारण है कि अमेरिका और तालिबान के बीच सफल शांति वार्ता से भारत की मुश्किलें बढ़ सकती है.
- भारत पहले से ही अफगानिस्तान में अरबों डॉलर की लागत से कई बड़ी परियोजनाएं पूरी कर चुका है और इनमें से कुछ पर अभी काम चल रहा है. भारत ने अब तक अफगानिस्तान को करीब तीन अरब डॉलर की मदद दी है, जिससे वहां संसद भवन, सड़कों और बांध आदि का निर्माण हुआ है. यही भारत की अफगानिस्तान में लोकप्रियता बढ़ने की वजह भी है. हालांकि भारत अभी भी वहां कई मानवीय और विकासशी परियोजनाओं पर काम कर रहा है.
- भारत 116 सामुदायिक विकास परियोजनाओं पर काम कर रहा है, जिन्हें अफगानिस्तान के 31 प्रांतों में क्रियान्वित किया जाएगा. इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, पेयजल, नवीकरणीय ऊर्जा, खेल अवसंरचना और प्रशासनिक अवसंरचना के क्षेत्र शामिल हैं. भारत काबुल के लिए शहतूत बांध और पेयजल परियोजना पर भी काम कर रहा है.
- अफगान शरणार्थियों के पुनर्वास को प्रोत्साहित करने के लिए भी नानगरहर प्रांत में कम लागत से घरों के निर्माण का काम भी प्रस्तावित है. बामयान प्रांत में बंद-ए-अमीर तक सड़क संपर्क, परवान प्रांत में चारिकार शहर के लिए जलापूर्ति तंत्र और मजार-ए-शरीफ में पॉलीटेक्नीक के निर्माण में भी भारत सहयोग दे रहा है. वहीं कंधार में अफगान राष्ट्रीय कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की स्थापना में भारत सहयोगी है.
GS Paper 3 Source: PIB
UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.
Topic : RaIDer-X
संदर्भ
पुणे में आयोजित राष्ट्रीय विस्फोटक डिटेक्शन कार्यशाला (एनडब्ल्यूएनडी-2020) में आज रेडर–एक्स (RaIDer-X) नामक एक नए विस्फोटक डिटेक्शन डिवाइस का अनावरण किया गया. विदित हो कि इस कार्यशाला में डीआरडीओ प्रयोगशालाओं, सेना, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, राज्य पुलिस, शैक्षिक संस्थानों, उद्योगजगत तथा अन्य सुरक्षा एजेंसियों के कुल 250 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.
रेडर–एक्स के बारे में मुख्य तथ्य
- रेडर-एक्स में एक दूरी से विस्फोटकों की पहचान करने की क्षमता है.
- शुद्ध रूप में अनेक विस्फोटकों के साथ-साथ मिलावट वाले विस्फोटकों का पता लगाने की क्षमता बढ़ाने के लिए सिस्टम में डेटा लाइब्रेरी बनाई जा सकती है.
- इस डिवाइस के द्वारा छुपाकर रखे गये विस्फोटकों की ढेर का भी पता लगाया जा सकता है.
- उच्च ऊर्जा पदार्थ अनुसंधान प्रयोगशाला (High Energy Material Research Laboratory – HEMRL), पुणे तथा भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर ने मिलकर रेडर-एक्स को विकसित किया है.
उच्च ऊर्जा पदार्थ अनुसंधान प्रयोगशाला
- HEMRL पुणे, डीआरडीओ की एक अग्रणी प्रयोगशाला है.
- वैज्ञानिकों, टेक्नोक्रेटों तथा उपयोगकर्ताओं को हाल के प्रौद्योगिकीय सुधारों के बारे में ज्ञान, अनुभव तथा नवीनतम जानकारी साझा करने के लिए यह एक मंच प्रदान करता है.
- इस कार्यशाला से विस्फोटक डिटेक्शन डिवाइसों के और भी अधिक विकास में मदद मिलेगी.
माहात्म्य
विस्फोटकों का पता लगाना समय की अत्यधिक मांग है. इस डिवाइस के द्वारा छुपाकर रखे गये विस्फोटकों की ढेर का भी पता लगाया जा सकता है. अधिकांश आतंकवादी आक्रमणों में ऐसे विस्फोटकों का प्रयोग देखा गया था जिन्हें पेट्रोल और जिलेटिन की छड़ों जैसे सरलता से उपलब्ध होने वाली वस्तुओं से बनाया गया था. इसी तथ्य को ध्यान में रखकर RaIDer-X लाया गया है. यह घरेलू विस्फोटकों के खतरे को निरस्त करने में भरपूर सहायता पहुँचायेगा.
आगे की राह
सुरक्षा एजेंसियां असामाजिक तत्वों के हमलों को विफल करने के लिए खुफिया एजेंसियों की मदद करने के साथ-साथ नाजुक ठिकानों की निरंतर निगरानी कर रही हैं. हल्के डिवाइसों को विकसित करने में शिक्षाजगत एवं डीआरडीओ के संयुक्त प्रयास किये जा रहे हैं, जिसका सुरक्षा एजेंसियों द्वारा अब सुरक्षित एवं प्रभावी प्रयोग किया जा सकता है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Security challenges and their management in border areas; linkages of organized crime with terrorism.
Topic : Inner Line Permit (ILP)
संदर्भ
मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले में संशोधित नागरिकता कानून (CAA) और इनर लाइन परमिट (ILP) पर हुई एक बैठक के दौरान गैर-आदिवासियों और केएसयू सदस्यों के बीच में झड़प हो गई. इस दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई. जिसके बाद इलाके में अफरा-तफरी मच गई. इसके बाद प्रशासन ने एहतियात के तौर पर छह जिलों में मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी.
पृष्ठभूमि
वर्तमान में इनर लाइन परमिट में चार पूर्वोत्तर राज्य शामिल हैं – अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर और नागालैंड. इनर लाइन परमिट प्रणाली की माँग अब असम, त्रिपुरा और मेघालय भी कर रहे हैं.
इनर लाइन परमिट (ILP) क्या है?
- Inner Line Permit सरकार द्वारा जारी किया जाने वाला एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज है जो भारत के किसी नागरिक को किसी संरक्षित क्षेत्र के भीतर सीमित अवधि के लिए प्रवेश की छूट देटा है.
- फिलहाल Inner Line Permit की आवश्यकता भारतीय नागरिकों को तब होती है जब वह इन चार राज्यों में प्रवेश करना चाहते हैं – अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर और नागालैंड.
- वर्तमान में यह परमिट मात्र यात्रा के लिए निर्गत होते हैं.
- इसमें यह प्रावधान है कि ऐसे यात्री सम्बंधित राज्य में भूसंपदा नहीं खरीद सकेंगे.
इतिहास
इनर लाइन परमिट का इतिहास बंगाल पूर्वी-सीमांत नियमन अधिनियम 1873 (Bengal Eastern Frontier Regulation Act 1873) से आरम्भ होता है. इस अधिनियम को अंग्रेजों ने कतिपय घोषित क्षेत्रों में प्रवेश को सीमित करने के लिए गढ़ा था.
इसका उद्देश्य उन क्षेत्रों में ब्रिटिश नागरिकों अर्थात् भारतीयों को व्यापार करने से रोकना और अंग्रेजों के हितों की सुरक्षा करना था. स्वतंत्रता के पश्चात् 1950 में इस अधिनियम में संशोधन करके “ब्रिटिश नागरिक” के स्थान पर “भारतीय नागरिक” कर दिया गया था.
आज सभी बाहरी निवासियों को यह परमिट लेना पड़ता है जिससे इन राज्यों के मूल जातीय समुदाय शोषण से बच सकें.
विदेशियों के लिए ILP
ILP मात्र घरेलू पर्यटकों के लिए ही है. जहाँ तक विदेशी पर्यटकों की बात है उनको इस परमिट की आवश्यकता नहीं होती है, परन्तु मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड में प्रवेश करते समय इन्हें पंजीकरण करवाना पड़ता है. अरुणाचल प्रदेश पर्यटकों को भारत सरकार के गृह मंत्रालय से सुरक्षित क्षेत्र अनुमति (Protected Area Permit – PAP) अथवा प्रतिबंध क्षेत्र अनुमति (Restricted Area Permit – RAP) लेने की आवश्यकता पड़ती है.
Prelims Vishesh
Ekam Fest :-
- सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीनस्थ राष्ट्रीय दिव्यांग वित्त विकास निगम (National Handicapped Finance Development Corporation – NHFDC) एक प्रदर्शनी/मेला आयोजित कर रहा है जिसका नाम एकम फेस्ट रखा गया है.
- इसका उद्देश्य दिव्यांग शिल्पियों और उद्यमियों द्वारा बनाए गये उत्पादों को बढ़ावा देना है.
Eurasian Otter :-
- पिछले दिनों ओडिशा की चिल्का झील में एक उदबिलाव देखा गया.
- यह पशु पूरे यूरोप और एशिया में पाया जाता है.
- भारत में यह हिमालय की तराई, दक्षिणी-पश्चिमी घाट और मध्य भारत में देखा जाता है.
- IUCN लाल सूची में इसे संकटासन्न श्रेणी (Near Threatened) में रखा गया है.
- CITES के परिशिष्ट I तथा भारतीय वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम, 1972 की अनुसूची II द्वारा इसका संरक्षण किया गया है.
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