Sansar Daily Current Affairs, 02 May 2020
GS Paper 2 Source : Down to Earth
UPSC Syllabus : Issues related to health.
Topic : Acute Encephalitis Syndrome (AES)
संदर्भ
मुजफ्फरपुर और आस-पास के जिलों में कोविड-19 की तालेबंदी के बीच चमकी बुखार के प्रकोप की आशंका से गाँव के लोग और स्वास्थ्यकर्मी चिंतित हो गये हैं.
चमकी बुखार का वैज्ञानिक नाम अति-तीव्र कपाल ज्वर सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome – AES) है. इस रोग से इस वर्ष अभी तक तीन बच्चों के मरने की सूचना है.
AES क्या है?
- एक ऐसा रोग है जिसमें बुखार के साथ-साथ कुछ मानसिक लक्षण भी उत्पन्न हो जाते हैं, जैसे – मानसिक सम्भ्रम, भ्रान्ति, प्रलाप अथवा सन्निपात आदि.
- कुछ मामलों में रोगी को मिर्गी भी हो जाती है. इस रोग के लिए कोई आयु अथवा ऋतु का बंधन नहीं होता. फिर भी अधिकतर यह रोग बच्चों और किशोरों को होता है. रोग के कारण या तो मृत्यु हो जाती है अथवा अच्छी-खासी शारीरिक क्षति पहुँचती है.
- AES मुख्य रूप से वायरसों के चलते होता है. इस रोग के अन्य स्रोत हैं – बैक्टीरिया, फफूंद, परजीवी, स्पाइरोशेट, रसायन, विषाक्त तत्त्व एवं कतिपय असंक्रामक एजेंट.
- भारत में AES के 5% से 35% तक मामले जापानी कपाल ज्वर वायरस (Japanese encephalitis virus – JEV) के कारण होता है.
- इस रोग को फैलाने वाले अन्य वायरस हैं – निपाह और जीका.
- यह रोग भारत में उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में होता है. बताया जाता है कि यह रोग तब होता है जब बच्चे खाली पेट कच्ची लीची खा लेते हैं. विदित हो कि कच्ची लीची में हाइपोग्लीसिन A और मेंथलीनसाइक्लोप्रोपिलग्लिसिन (MCPG) नामक विषाक्त तत्त्व होते हैं. इनमें हाइपोग्लीसिन A के कारण उल्टियाँ होने लगती हैं. ऐसी उल्टियों को जमैकन वमन रोग कहा जाता है. दूसरा विषाक्त तत्त्व MCPG लीची के बीजों में पाया जाता है.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : One Nation-One Ration Card scheme
संदर्भ
केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने “एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड” योजना के तहत राष्ट्रीय क्लस्टर के साथ पांच राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों- उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और दादर नागर हवेली तथा दमन व दीव को जोड़ने को स्वीकृति दे दी है.
इस योजना के अन्दर 17 राज्य और संघीय क्षेत्रों के 60 करोड़ राशन कार्डधारी अपने राशन कार्ड से देश में कहीं भी सब्सिडी वाले अनाज का लाभ उठा सकते हैं.
पृष्ठभूमि
राष्ट्रीय क्लस्टर से 12 राज्य आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना और त्रिपुरा पहले ही जुड़ चुके हैं.
एक राष्ट्र – एक राशन कार्ड योजना क्या है?
यह एक राष्ट्रीय योजना है जो यह सुनिश्चित करती है कि कि जन-वितरण प्रणाली से लाभ लेने वाले सभी व्यक्ति, विशेषकर एक स्थान से दूसरे स्थान जाने वाले, देश के अन्दर किसी भी अपनी पसंद की PDS दुकान से अनाज आदि प्राप्त कर सकें.
लाभ
इस योजना का लाभ यह होगा कि खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत सब्सिडी युक्त अनाज पाने से कोई निर्धन व्यक्ति इसलिए वंचित न हो जाए कि वह एक स्थान से दूसरे स्थान चला गया है. इस योजना से एक अतिरिक्त लाभ यह होगा कि कोई व्यक्ति अलग-अलग राज्यों में जन-वितरण प्रणाली का लाभ लेने के लिए एक से अधिक राशन कार्ड नहीं बनवा पायेगा.
माहात्म्य
इस योजना से के फ़लस्वरूप लाभार्थी किसी एक PDS दुकान से बंधा नहीं रह जाएगा और ऐसी दुकान चलाने वालों पर उसकी निर्भरता घट जायेगी और साथ ही भ्रष्टाचार के मामलों में भी कटौती होगी.
चुनौतियाँ
- प्रत्येक राज्य के पास जन-वितरण प्रणाली के विषय में अपने नियम होते हैं. यदि एक राष्ट्र – एक राशन कार्ड योजना लागू की गई तो संभावना है कि इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिले. वैसे भी सभी जानते हैं कि इस प्रणाली में भ्रष्टाचार होता रहता है.
- इस योजना से जन-सामान्य का कष्ट बढ़ जाएगा और बिचौलिए तथा भ्रष्ट PDS दुकान के मालिक उसका शोषण करेंगे.
- इन्हीं कारणों से तमिलनाडु ने इस योजना का विरोध किया है और कहा है कि इसको लागू करने से अवांछित परिणाम होंगे. साथ ही उसका कहना है कि यह योजना संघवाद पर कुठाराघात करती है.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.
Topic : Research & Development (R&D) Statistics and Indicators 2019-20 report
संदर्भ
2019-20 के अनुसंधान एवं विकास से सम्बंधित आंकड़ों और संकेतकों के विषय में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अधीनस्थ राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रबंधन सूचना (National Science and Technology Management Information – NSTMIS) संस्था ने प्रतिवेदन प्रकाशित कर दिया है.
प्रतिवेदन के मुख्य तथ्य
- यह प्रतिवेदन 2018 के राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सर्वेक्षण पर आधारित है.
- अनुसंधान एवं विकास में भारत का सकल व्यय2008 से 2018 के बीच बढ़कर तीन गुना हो गया है जो मुख्य रूप से सरकार द्वारा संचालित है और वैज्ञानिक प्रकाशनों ने देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष स्थानों में ला दिया है.
- प्रतिवेदन से पता चलता है कि प्रकाशन में वृद्धि के साथ, देश विश्व स्तर पर तीसरे स्थान परपहुंच गया है.
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी के पी.एचडी. में भी तीसरे स्थान पर आ गया है.
- 2000 के बाद प्रति मिलियन आबादी पर शोधकर्ताओं की संख्या दोगुनी हो गई है.
- यह रिपोर्ट सरकारी और निजी क्षेत्र द्वारा राष्ट्रीय अनुसंधान और विकासमें निवेश, अनुसंधान और विकास के निवेशों से संबंधित है; अर्थव्यवस्था के साथ अनुसंधान और विकास का संबंध (जीडीपी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नामांकन, अनुसंधान और विकास में लगा मानव श्रम, विज्ञान और प्रौद्योगिकी कर्मियों की संख्या, कागजात प्रकाशित, पेटेंट और उनकी अंतरराष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी तुलनाओं से जुड़ा हुआ है.
- इस सर्वेक्षण में देशभर में फैले केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, उच्च शिक्षा, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग और निजी क्षेत्र के उद्योग से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों के6800 से अधिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थाओं को शामिल किया गया और 90 प्रतिशत से अधिक प्रतिक्रिया दर प्राप्त कर लिया गया था.
- सरकार द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में लिए गए कई पहल के कारण बाहरी अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) परियोजनाओं में महिलाओं की भागीदारी वित्तीय वर्ष 2000-01 के 13 प्रतिशत से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2016-17 में 24 प्रतिशत हो गया.
- भारत का प्रति व्यक्ति अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) व्यय वित्तीय वर्ष 2017-18 में बढ़कर 47.2 डॉलर हो गया है जबकि यह वित्तीय वर्ष 2007-08 में 29.2 डॉलर पीपीपी ही था.
- वित्तीय वर्ष 2017-18 में भारत ने अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.7 प्रतिशत ही अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) पर व्यय किया, जबकि अन्य विकासशील ब्रिक्स देशों में शामिल ब्राजील ने 1.3 प्रतिशत, रूसी संघ ने 1.1 प्रतिशत, चीन ने 2.1 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका ने 0.8 प्रतिशत किया.
- विश्व में रेजिडेंट पेटेंट फाइलिंग गतिविधि (Resident Patent Filing activity) के मामले में भारत 9वें स्थान पर है
- डब्ल्यूआईपीओ के अनुसार, भारत का पेटेंट कार्यालय विश्व के शीर्ष 10 पेटेंट दाखिल करने वाले कार्यालयों में 7वें स्थान पर है.
आगे की राह
राष्ट्र के लिए अनुसंधान और विकास संकेतकों पर रिपोर्ट उच्च शिक्षा, अनुसंधान और विकास गतिविधियों और समर्थन, बौद्धिक संपदा और औद्योगिक प्रतिस्पर्धा में प्रमाण-आधारित नीति निर्धारण और नियोजन के लिए असाधारण रूप से महत्वपूर्ण दस्तावेज है. जबकि अनुसंधान और विकास के बुनियादी संकेतकों में पर्याप्त प्रगति देखना खुशी की बात है, जिसके तहत वैज्ञानिक प्रकाशनों में वैश्विक स्तर पर नेतृत्व शामिल है. कुछ ऐसे भी और क्षेत्र हैं जिन्हें मजबूती प्रदान करने की आवश्यकता है.
GS Paper 3 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Awareness in the fields of IT, Space, Computers, robotics, nano-technology, bio-technology and issues relating to intellectual property rights.
Topic : China’s central bank digital currency
संदर्भ
दुनिया को कोरोना वायरस महामारी देकर चौतरफा आलोचना झेल रहा चीन अब बड़े बदलाव की ओर है. अगले हफ्ते से यह देश अपने चार प्रमुख शहरों में डिजिटल करेंसी में भुगतान की व्यवस्था करने जा रहा है. बीते महीनों में, चीन के केंद्रीय बैंक ने e- RMB नामक डिजिटल मुद्रा को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं. अगर यह प्रयोग सफल रहा तो दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में से एक चीन डिजिटल मुद्रा संचालित करने वाला पहला देश होगा.
आरम्भ में इसके विषय में जो प्रयोग होगा वह स्थानीय शासन के कर्मचारियों को मिलने वाली परिवहन सब्सिडी के भुगतान के लिए होगा.
e- RMB
- यह मुद्रा बहुत मात्रा में सार्वजनिक प्रयोग में नहीं आएगी और इसलिए इसके परिचालन से मुद्रा स्फीति में बढ़ोतरी नहीं होगी.
- यह मुद्रा परीक्षण के तौर पर इन तीन बड़े शहरों में चलाई जायेगी – Shenzhen, Suzhou और Chengdu.
- डिजिटल मुद्रा केवल चीन का केन्द्रीय बैंक People’s Bank of China (PBOC) व्यावसायिक बैंकों और अन्य संचालकों को निर्गत करेगा .
- बैंक खातों में रखे अपने पैसों को लोग डिजिटल मुद्रा में बदल सकेंगे और इलेक्ट्रॉनिक बटुओं के माध्यम से जमा भी कर सकेंगे.
प्रयोग का महत्त्व
देखा जा रहा है कि विश्व-भर में नकद का प्रयोग घटता जा रहा है और निजी-स्वामित्व वाले स्टेबल कॉइन का प्रचलन बढ़ता जा रहा है. विदित हो कि फेसबुक ने भी लिब्रा नामक एक डिजिटल मुद्रा आरम्भ करने की बात कही है. ऐसी स्थिति में केन्द्रीय बैंकों द्वारा डिजिटल मुद्रा चलाने के विषय में कई देशों में काम चल रहा है.
GS Paper 3 Source : Economic Times
UPSC Syllabus : Infrastructure- energy.
Topic : Global Energy Review 2020
संदर्भ
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency- IEA) ने वैश्विक ऊर्जा मांग और CO2 उत्सर्जन पर ‘वन्स-इन-ए-सेंचुरी क्राइसिस’ (Once-in-a-Century Crisis) नामक रिपोर्ट जारी की है.
मुख्य तथ्य
- प्रतिवेदन के अनुसार, लॉकडाउन के चलते प्रति सप्ताह ऊर्जा की माँग में औसत रूप से 25% तक गिरावट देखी जा रही है.
- भारत में लॉकडाउन के परिणामस्वरूप ऊर्जा मांग में 30% से अधिक की कमी देखी गई.
- वर्ष 2020 में COVID- 19 महामारी के कारण वैश्विक ऊर्जा की माँग में वर्ष 2008 के वित्तीय संकट की तुलना में सात गुना अधिक तक कमी देखी जा सकती है.
वैश्विक ईंधन मांग पर प्रभाव
- तेल की मांग:
- वर्ष 2020 में तेल के मूल्य में औसतन 9% या इससे अधिक की गिरावट दर्ज की गई है तथा तेल की खपत वर्ष 2012 के स्तर पर पहुँचने की संभावना है.
- कोयले की मांग:
- कोयले की मांग में 8% तक की कमी हो सकती है, क्योंकि बिजली की मांग में लगभग 5% कमी देखी जा सकती है.
- गैस की मांग:
- बिजली और औद्योगिक कार्यों में गैस की मांग कम होने से वर्ष 2020 की पहली तिमाही की तुलना में आने वाली तिमाही में और अधिक गिरावट देखी जा सकती है.
- नवीकरणीय ऊर्जा मांग:
- परिचालन लागत कम होने तथा बिजली की सरलता से पहुँच को लॉकडाउन के दौरान तरजीह देने के कारण नवीकरणीय ऊर्जा मांग बढ़ने की आशा है.
COVID-19 का CO2 उत्सर्जन पर प्रभाव
- द्वितीय विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद से पहली बार वर्ष 2020 में CO2 उत्सर्जन में सर्वाधिक गिरावट देखी गई है. क्योंकि वर्ष 2020 की पहली तिमाही में कार्बन-गहन ईंधन की मांग में बहुत अधिक गिरावट देखी गई है.
- वैश्विक CO2 उत्सर्जन में, वैश्विक ऊर्जा मांग की तुलना में अधिक गिरावट हुई. वर्ष 2020 की पहली तिमाही में कार्बन उत्सर्जन वर्ष 2019 की तुलना में 5% कम रहा.
भारत की ऊर्जा मांग
- भारत की ऊर्जा मांग में 30% से अधिक की कमी देखी गई है और लॉकडाउन को आगे बढ़ाने पर, प्रति सप्ताह के साथ ऊर्जा मांग में 0.6% की गिरावट होने की संभावना है.
ऊर्जा मांग में कमी के निहितार्थ
- ऊर्जा उद्योग
- ऊर्जा उद्योग की मूल्य श्रृंखलाएँ (Value Chains) वित्तीय रूप से प्रभावित हो सकती हैं. अधिकांश ऊर्जा कंपनियों के राजस्व में गिरावट देखी जा सकती है क्योंकि एक ओर तो ऊर्जा उत्पादों, जैसे – तेल, गैस, कोयला और बिजली आदि की मांग में कमी हुई है दूसरी ओर इन उत्पादों की कीमतों में भारी गिरावट देखी गई है.
- ऊर्जा सुरक्षा:
- तेल की आपूर्ति और मांग में व्यापक परिवर्तन के चलते उत्पन्न होने वाले आर्थिक और वित्तीय व्यवधान के कारण उद्योगों की उत्पादन क्षमता में अतीव कमी आ सकती है तथा इससे देश की ऊर्जा सुरक्षा पर प्रभाव पड़ेगा.
IEA क्या है?
IEA एक अंतर्राष्ट्रीय निकाय है जिसकी स्थापना 1974 इसलिए किये गयी थी कि उस वर्ष खनिज तेल की आपूर्ति में जो बाधाएँ आई थीं उनका निराकरण किया जा सके. तब से इस निकाय की गतिविधियों में विविधता और विस्तार हुआ है.
IEA के प्रमुख कार्य
- IEA ऊर्जा से सम्बंधित सभी विषयों की पड़ताल करता है, जैसे – तेल, गैस और कोयला आपूर्ति एवं माँग, नवीकरणीय ऊर्जा तकनीक, बिजली बाजार, ऊर्जा क्षमता, ऊर्जा की उपलब्धता, माँग का प्रबंधन आदि आदि.
- IEA उन नीतियों का पक्षधर है जिनसे इसके सदस्य देशों और अन्य देशों में ऊर्जा की विश्वसनीयता, सुलभता एवं सततता में वृद्धि हो सकती है.
- IEA प्रशिक्षण एवं क्षमता वृद्धि के लिए कार्यशालाओं, भाषणों एवं संसाधनों के कई कार्यक्रम चलाता ही है, इसके अतिरिक्त इसने कुछ प्रतिवेदन आदि भी प्रकाशित किये हैं, जैसे – इसका अपना मुख्य पत्रविश्व ऊर्जा दृष्टिकोण (World Energy Outlook), IEA बाजार प्रतिवेदन (IEA Market Reports), मुख्य विश्व ऊर्जा आँकड़े तथा मासिक खनिज तेल डाटा सेवा.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Infrastructure.
Topic : Report on National Infrastructure Pipeline (NIP)
संदर्भ
राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (National Infrastructure Pipeline – NIP) पर अतनु चक्रवर्ती की अध्यक्षता में गठित कार्यदल ने हाल ही में केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री को वित्त वर्ष 2020-25 के लिए NIP पर अपना अंतिम प्रतिवेदन प्रस्तुत किया.
पृष्ठभूमि
विदित हो कि प्रधानमन्त्री के द्वारा 2024-25 तक भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के संकल्प के अनुरूप वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 102 लाख करोड़ रु. के राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन का पिछले दिनों अनावरण किया है.
प्रतिवेदन की महत्त्वपूर्ण सिफारिशें
- रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2020-25 की अवधि के दौरान 111 लाख करोड़ रुपये के कुल अवसंरचना निवेश का अनुमान लगाया गया है.
- 111 लाख करोड़ रुपये के कुल अपेक्षित पूंजीगत व्यय में से 44 लाख करोड़ रुपये (एनआईपी का 40%) की लागत वाली परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं, 33 लाख करोड़ रुपये (30%) की लागत वाली परियोजनाएं अभी परिकल्पना के स्तर पर हैं और 22 लाख करोड़ रुपये (20%) की लागत वाली परियोजनाएं अभी विकास के चरण में हैं.
- 11 लाख करोड़ रुपये (10%) की लागत वाली परियोजनाओं के लिए परियोजना चरण की जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है. विभिन्न सेक्टरों जैसे कि ऊर्जा (24%), सड़कें (18%), शहरी (17%) और रेलवे (12%) का हिस्सा भारत में कुल अनुमानित अवसंरचना निवेश में लगभग 71% है.
- बुनियादी ढांचे के सभी सेक्टरों में भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में अवसंरचना संबंधी हालिया रुझानों की पहचान की गई है और उन पर प्रकाश डाला गया है. इसमें सेक्टर-वार प्रगति, कमी और चुनौतियों के बारे में भी बताया गया है. मौजूदा सेक्टर-वार नीतियों को अपडेट करने के अलावा अंतिम रिपोर्ट में सुधारों के एक समूह की पहचान की गई है और उन पर प्रकाश डाला गया है, ताकि पूरे देश में विभिन्न सेक्टरों में बुनियादी ढांचागत निवेश को बढ़ाया जा सके. रिपोर्ट में एनआईपी के वित्तपोषण के तरीके और साधन भी सुझाए गए हैं जिनमें नगरपालिका बॉन्डों के बाजार सहित कॉरपोरेट बॉन्ड के बाजारों को मजबूत करना, बुनियादी ढांचागत क्षेत्र के लिए विकास वित्तीय संस्थान स्थापित करना, बुनियादी ढांचागत परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण में तेजी लाना, भूमि मुद्रीकरण, इत्यादि शामिल हैं.
- भारत में एनआईपी को कार्यान्वित करने में केंद्र (39%) एवं राज्यों (40%) की लगभग समान हिस्सेदारी है और इसके बाद निजी क्षेत्र (21%) की हिस्सेदारी है.
- कार्यदल ने सिफारिश की है कि निम्नलिखित तीन समितियां स्थापित की जाएँ : – 1) एनआईपी की प्रगति की निगरानी करने और देरी समाप्त करने के लिए एक समिति; 2) कार्यान्वयन में सहयोग करने के लिए प्रत्येक अवसंरचना मंत्रालय स्तर पर एक संचालन समिति; और 3) एनआईपी हेतु वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए डीईए में एक संचालन समिति.
- वैसे तो बुनियादी निगरानी का अधिकार मंत्रालय और परियोजना एजेंसी के पास होगा, लेकिन लागू किए जाने वाले सुधारों और रुकी हुई परियोजनाओं के मुद्दों से निपटने के लिए उच्च स्तर की निगरानी की आवश्यकता है. गवर्नेंस बढ़ाने संबंधी अनुशंसित संरचना सहित निगरानी और आकलन की रूपरेखा के मूल तत्वों का उललेख किया गया है.
- एनआईपी परियोजना के डेटाबेस को जल्द ही इंडिया इन्वेस्टमेंट ग्रिड (आईआईजी) पर उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि एनआईपी को दृश्यता प्रदान की जा सके और उन भावी घरेलू एवं विदेशी निवेशकों के जरिए इसके वित्तपोषण में मदद मिल सके, जो परियोजना स्तर की अद्यतन जानकारियों तक पहुंचने में सक्षम हैं. प्रत्येक संबंधित मंत्रालय/राज्य कुछ और नई परियोजनाओं को जोड़ेंगे एवं पूर्व-निर्धारित समय अंतराल पर अपने संबंधित परियोजना विवरण को अपडेट करेंगे, ताकि भावी निवेशकों को अद्यतन डेटा उपलब्ध हो सके.
व्यय की जाने वाली धनराशियों का प्रक्षेत्रवार विववरण निम्नलिखित है –
- सिंचाई और ग्रामीण अवसरंचना की परियोजनाओं में प्रत्येक परियोजना पर 7.7 लाख करोड़ रु. व्यय किया जाएगा.
- औद्योगिक अवसंरचना पर 3.07 लाख करोड़ रु. खर्च किया जाएगा.
- सड़क परियोजनाओं में 19.63 लाख करोड़ रु. लगाया जाएगा.
- रेलवे परियोजनाओं पर 13.68 लाख करोड़ रु. लगाया जाएगा.
- बंदरगाह परियोजनाओं पर 1 लाख करोड़ रु. खर्च होगा.
- हवाई अड्डों के लिए 1.43 लाख करोड़ रु. की व्यवस्था है.
- शहरी अवसंरचना के लिए 16.29 लाख करोड़ रु. दिए जाएँगे.
- टेलिकॉम परियोजनाओं पर 3.2 लाख करोड़ रु. खर्च होंगे.
- ऊर्जा प्रक्षेत्र में 24.54 लाख करोड़ रु. का निवेश होगा.
- विद्युत प्रक्षेत्र में 11.7 लाख करोड़. का व्यय होगा.
- राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन परियोजनाओं में अब एक्सप्रेस मार्गों, राष्ट्रीय गैस ग्रिड और PMAY-G को भी सम्मिलित कर लिया गया है.
राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन क्या है और इसका महत्त्व क्या है?
- अनुमान है कि अपनी वृद्धि दर को बनाये रखने के लिए भारत को 2030 तक अवसंरचना पर 4.5 ट्रिलियन डॉलर खर्च करने पड़ेंगे. इसी तथ्य को ध्यान में रखकर राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन योजना बनाई गई है जिसका काम इस लक्ष्य को कुशलतापूर्वक प्राप्त करना होगा.
- राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन यह देखेगी कि देश में चल रहीं अवसंरचना से जुड़ी परियोजनाएँ ठीक से तैयार हुईं हैं और उनका काम ठीक से शुरू हुआ है अथवा नहीं.
- ये परियोजनाएँ ग्रीन फील्ड और ब्राउन फील्ड दोनों प्रकार की होंगी. शर्त यह है कि इनकी लागत 100 करोड़ से ऊपर की होनी चाहिए.
- प्रत्येक मंत्रालय/विभाग का यह दायित्व होगा कि वह परियोजनाओं का अनुश्रवन करे और यह सुनिश्चित करे कि उनका समय पर तथा निर्धारित लागत के अन्दर कार्यान्वयन हो जाए.
- राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन का उद्देश्य देश में अवसंरचना के क्षेत्र में वार्षिक निवेश इतना बढ़ाया जाए कि 2024-25 तक पाँच ट्रिलियन डॉलर की GDP का लक्ष्य पूरा किया जा सके.
अवसंरचना में पैसा लगाना आवश्यक क्यों?
- 2008-17 के दशक में भारत ने अवसंरचना में 1.1 ट्रिलियन डॉलर का निवेश किया था.
- यदि सतत आधार व्यापक एवं समावेशी वृद्धि का लक्ष्य प्राप्त करना है तो उसके लिए यह आवश्यक हो जाता है कि हमारी अवसरंचनाएँ उच्च गुणवत्ता वाली हों.
- भारत की वृद्धि दर अभी ऊँची चल रही है. इसको बनाये रखने के लिए अवसंरचना में निवेश आवश्यक होगा.
- 2024-25 तक पाँच ट्रिलियन GDP (पढ़ें > GDP in Hindi) पाने के लिए भारत को 2019-20 से लेकर 2024-25 तक 4 ट्रिलियन डॉलर खर्च करने पड़ेंगे.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Conservation related issues.
Topic : Jal Shakti Abhiyan
संदर्भ
आगामी मानसून का लाभ उठाकर जल संरक्षण की अपनी चेष्टाओं को विस्तार देने के लिए राष्ट्रीय जल शक्ति अभियान ने निर्णय किया है.
ज्ञातव्य है कि कोविड-19 के कारण चल रही तालेबंदी के समय जल संरक्षण और सिंचाई कार्यों को प्राथमिकता देने और इसके लिए मनरेगा का उपयोग करने की गृह मंत्रालय ने भी अनुमति दे दी है.
पृष्ठभूमि
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने हाल ही में घोषणा की थी कि देश में मानसून की बारिश सामान्य होगी. इसके साथ ही जल शक्ति अभियान ने जल संरक्षण, पुनर्भरण और जल स्रोतों को फिर से भरने की तैयारी की थी.
जल शक्ति अभियान
पिछले वर्ष (2019) जल संरक्षण के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा जल शक्ति अभियान नामक मिशन का अनावरण किया गया था.
मुख्य तथ्य
- यह मिशन मोड में चलाये जाने वाला एक समयबद्ध अभियान होगा जिसका ध्यान देश के 256 जिलों के 1,592 प्रखंडों पर केन्द्रित होगा जहाँ पानी का अभाव रहता है.
- इस अभियान को इस वर्ष वर्षा ऋतु में अर्थात् 1 जुलाई से 15 सितम्बर तक नागरिकों की प्रतिभागिता से संचालित किया जाएगा.
- ऊपर बताये गये 1,592 प्रखंडों का चुनाव केन्द्रीय भूजल बोर्ड के 2017 के डाटा के आधार पर हुआ है. इस डाटा में यह भी बताया गया है कि देश में 313 प्रखंडों में जल की स्थिति चिंतनीय है और 1,000 प्रखंड ऐसे हैं जहाँ भूजल का आवश्यकता से अधिक दोहन हो चुका है. इस डाटा से पता चलता है कि जिन राज्यों में पानी के संकट वाले प्रखंड नहीं हैं, वहाँ भी 94 प्रखंड ऐसे हैं जहाँ जल की उपयोगिता अपेक्षाकृत कम है.
- जल शक्ति अभियान को लागू करने में भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों एवं राज्य सरकारों की बड़ी भूमिका होगी. इस अभियान का समन्वयन पेय जल एवं स्वच्छता विभाग करेगा.
- अभियान के अंतर्गत केंद्र सरकार के अधिकारियों के दल जल संकट को झेल रहे प्रखंडों से सम्बंधित जिलों की यात्रा करेंगे और वहाँ के प्रशासन के साथ काम करते हुए जल संरक्षण के पाँच महत्त्वपूर्ण उपायों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करेंगे. ये पाँच उपाय होंगे – जल संरक्षण एवं वर्षा जल संचयन; पारम्परिक और अन्य जलाशयों/तालाबों का पुनुरुद्धार; नलकूप का फिर से उपयोग एवं उनमें पानी लाने की व्यवस्था; जलच्छादन विकास एवं गहन वन रोपण.
अन्य उपाय
इस अभियान के अंतर्गत किये जाने वाले अन्य कार्य होंगे – प्रखंड और जिला के स्तर पर जल संरक्षण की योजनाओं का निर्माण, सिंचाई के लिए पानी के कुशल उपयोग को बढ़ावा देना तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से पानी की कम खपत वाली फसलें लगाना.
जल शक्ति अभियान के साथ-साथ एक वृहद् संचार अभियान भी चलाया जाएगा जिसमें समाज के इन समूहों को जल के संरक्षण के प्रति सजग बनाया जाएगा – विद्यालयों के छात्र, महाविद्यालयों के छात्र, स्वच्छाग्रही, स्वयं सहायता समूह, पंचायती राज्य के सदस्य, युवा समूह (NSS/NYKS/NCC), सैनिक, भूतपूर्व सैनिक, पेन्शनधारी आदि.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : IP related issues.
Topic : GI tags to new products
संदर्भ
हाल ही में मणिपुर के काले चावल (चक-हाओ),गोरखपुर के मृण्मयी (टेराकोटा) मूर्तियों और कोविलपट्टी की कदलाई मितई को भौगोलिक संकेत प्रदान किया गया.
पृष्ठभूमि
चक हाओ के लिए भौगोलिक संकेत प्राप्त करने के लिए आवेदन उत्तर पूर्वी क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम लिमिटेड (NERAMAC) द्वारा प्रारम्भ किया गया था.
काला चावल
यह चावल गहरा काला रंग का होता है और अन्य चावल की किस्मों, जैसे – भूरे चावल आदि की तुलना में इसका भार अधिक होता है. एंथोसायनिन एजेंट के चलते इसका रंग काला होता है. यह चावल मिष्ठान, दलिया बनाने के लिए उपयुक्त है. इसका प्रयोग प्रायः चीन की पारंपरिक रोटी, नूडल्स और राइस केक व्यंजनों को बनाने में किया जाता है.
कोविलपट्टी कदलाई मितई
कदलाई मितई एक मूंगफली की कैंडी है जो तमिलनाडु के दक्षिणी भागों में निर्मित की जाती है. इस कैंडी को मूंगफली और गुड़ को मिलाकर तैयार किया जाता है. इसके लिए विशेष रूप से थामीबरानी नदी का पानी उपयोग किया जाता है. क्षेत्र के उत्पादकों के अनुसार, इस विशेष नदी का पानी कैंडी के स्वाद में वृद्धि है. थामीररानी नदी पश्चिमी घाट में निकलती है और मुन्नार की खाड़ी में बहती है. यह तमिलनाडु की एक बारहमासी नदी है.
गोरखपुर टेराकोटा
गोरखपुर का टेराकोटा सदियों पुराना है. शहर के कुम्हार हाथी, घोड़े जैसे जानवरों की आकृतियाँ बनाते हैं. ऐसी मूर्तियों को बनाने में बहुत मेहनत लगता है, मगर इसका पारिश्रमिक अधिक नही मिलता. जीआई टैग कुम्हारों की आय बढ़ाने में मदद करेगा.
GI टैग क्या है?
- GI का full-form है – Geographical Indicator
- भौगोलिक संकेतक के रूप में GI टैग किसी उत्पाद को दिया जाने वाला एक विशेष टैग है.
- नाम से स्पष्ट है कि यह टैग केवल उन उत्पादों को दिया जाता है जो किसी विशेष भगौलिक क्षेत्र में उत्पादित किये गए हों.
- इस टैग के कारण उत्पादों को कानूनी संरक्षण मिल जाता है.
- यह टैग ग्राहकों को उस उत्पाद की प्रामाणिकता के विषय में आश्वस्त करता है.
- डब्ल्यूटीओ समझौते के अनुच्छेद 22 (1) के तहत GI को परिभाषित किया गया है.
- औद्योगिक सम्पत्ति की सुरक्षा से सम्बंधित पहली संधि के अनुसार GI tag को बौद्धिक सम्पदा अधिकारों का एक अवयव माना गया है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर GI WTO के बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के व्यापार से सम्बंधित पहलुओं पर हुए समझौते से शाषित होता है. भारत में वह भौगोलिक वस्तु संकेतक (पंजीकरण एवं सुरक्षा) अधिनयम, 1999 से शाषित होता है.
भौगोलिक संकेतक पंजीयक
- भौगोलिक वस्तु संकेतक (पंजीकरण एवं सुरक्षा) अधिनयम, 1999 के अनुभाग 3 के उप-अनुभाग (1) के अंतर्गत पेटेंट, रूपांकन एवं व्यापार चिन्ह महानिदेशक की नियुक्ति GI पंजीयक के रूप में की जाती है.
- पंजीयक को उसके काम में सहयोग करने के लिए केंद्र सरकार समय-समय पर अधिकारियों को उपयुक्त पदनाम के साथ नियुक्त करती है.
Prelims Vishesh
Saudi Arabia abolishes flogging :-
- अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों को देखते हुए सऊदी अरब ने अपराध के लिए कोड़े लगाने की सजा को बंद कर दिया है.
- इसके बदले अपराधी जुर्माना, कारावास आदि का विकल्प चुन सकते हैं.
Unified Geologic Map of the Moon :-
- संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (United States Geological Survey – USGS), नासा और चन्द्रग्रहीय संस्थान (Lunar Planetary Institute) ने संयुक्त रूप से अप्रैल 22, 2020 को चाँद का पहला डिजिटल, समेकित, वैश्विक और भूवैज्ञानिक मानचित्र निर्गत किया है जो 1:5,000,000 के मान पर बना है.
- भविष्य में चाँद पर भेजे जाने वाले मानव-सहित अभियानों के लिए तथा साथ ही अनुसंधान एवं विश्लेषण में यह मानचित्र काम आएगा.
Total Nobels for the Curie family :-
- यदि किसी एक परिवार को सबसे अधिक नॉबल पुरस्कार मिले हैं तो वह परिवार क्यूरी परिवार है जिसने चार नॉबल पुरस्कार अर्जित किये हैं.
- 1903 में पोलैंड की मैरी क्यूरी को पति पियरे क्यूरी और बेकरल के साथ भौतिकी में रेडियोधर्मिता पर काम करने के लिए यह पुरस्कार मिला था.
- फिर मैरी क्यूरी को दुबारा यह पुरस्कार 1911 में रसायनशास्त्र के लिए मिला क्योंकि उसने शुद्ध धातु के रूप रेडियम उत्पन्न किया था.
- 1935 में रसायनशास्त्र का नॉबल पुरस्कार मैरी क्यूरी की बेटी आइरीन क्यूरी और उसके पति फ्रेड्रिक जोलियो को नए रेडियोधर्मी तत्त्वों के कृत्रिम निर्माण के लिए मिला.
Rohtang Pass :-
हिमालय की पूर्वी पीर पंजाल श्रेणी में स्थित रोहतांग दर्रा हिमाचल प्रदेश में कुल्लू घाटी को लाहौल-स्पीति घाटियों से जोड़ता है और चेनाब तथा व्यास नदी घाटियों से गुजरता है.
Yemen separatists declare self-rule in south :-
- यमन में हूथियों और सरकार समर्थित गठबंधन के बीच गृह युद्ध चल रहा है.
- दोनों पक्षों में शान्ति समझौता हुआ था, परन्तु इसको तोड़ते हुए दक्षिणी यमन के अलगाववादियों ने स्वराज घोषित कर दिया.
Pitch Black 2020 :-
- भारतीय वायु सेना और ऑस्ट्रेलिया द्वारा होने वाले पिच ब्लैक नामक युद्ध प्रशिक्षण का अभ्यास इस वर्ष कोविड-19 के कारण रद्द हो गया है.
- इस प्रकार के सैन्य अभ्यास में दोनों पक्ष जानकारियों और अनुभवों का आदान-प्रदान करते हैं और युद्ध का अभ्यास भी करते हैं.
CERT-In :-
- CERT-In का full form है – Computer Emergency Response Team – India
- यह एक सरकारी सूचना प्रौद्योगिकी सुरक्षा संगठन है.
- इसे 2004 में भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने सृजित किया था और यह उसी विभाग के अधीन काम करता है.
- CERT- In के कार्य हैं – कंप्यूटर सुरक्षा से सम्बंधित मामलों पर प्रतिक्रिया देना, कहाँ-कहाँ साइबर आक्रमण हो सकता है उस पर प्रतिवेदन देना और देशभर में सूचना प्रौद्योगिकी सुरक्षा के लिए कारगर चलनों को बढ़ावा देना.
- सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम, 2008 में यह प्रावधान किया गया है कि इस अधिनियम के कार्यान्वयन का निरीक्षण करने के लिए CERT-In ही उत्तरदायी होगी.
Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Sansar DCA
April, 2020 Sansar DCA is available Now, Click to Download