Sansar डेली करंट अफेयर्स, 02 November 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 02 November 2020


GS Paper 1 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Important Geophysical phenomena such as earthquakes, Tsunami, Volcanic activity, cyclone etc.

Topic : Typhoon Goni

संदर्भ

पूर्वी फिलीपींस में शक्तिशाली तूफान गोनी (Typhoon Goni) का कहर देखा जा रहा है. फलस्वरूप राजधानी समेत इसके मार्ग में पड़ने वाले स्थानों से लगभग 10 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया है.

संबन्धित जानकारी

  • टाइफ़ून गोनी को वर्ष 2020 का सबसे शक्तिशाली तूफान माना जा रहा है.
  • प्रशांत महासागर से पश्चिम की ओर बढ़ रहे चर्क्वात गोनी के कारण फिलीपींस की राजधानी मनीला और निकटवर्ती 14 प्रांतों में तीव्र बरसात की संभावना के साथ-साथ बाढ़ और भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है.
  • फिलीपींस के आस-पास हर वर्ष 20 के करीब टाइफ़ून आते हैं, इसलिए चक्रवतों की विनाशकारी प्रकृति को ध्यान में रखते हुये समय पूर्व चेतावनी के प्रसार और आपदा प्रबंधन के लिए आवश्यक तैयारियों को हमेशा सक्रिय रखने की आवश्यक्ता है.

हरिकेन क्या है?

हरिकेन एक प्रकार का तूफान है, जिसे “उष्ण कटिबंधीय चक्रवात” (tropical cyclone) कहा जाता है. उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में हरिकेन सर्वाधिक शक्तिशाली एवं विनाशकारी तूफान होते हैं. उष्णकटिबंधीय चक्रवात उष्णकटिबंधीय अथवा उप-उष्णकटिबंधीय जल के ऊपर बनने वाली निम्न दाब युक्त मौसम प्रणाली में घूर्णन करते हैं. इनसे आँधियाँ तो आती हैं परन्तु वाताग्रों (भिन्न घनत्वों के दो भिन्न वायुभारों को पृथक करने वाली सीमा) का निर्माण नहीं होता है.

उष्ण कटिबंधीय चक्रवात (TROPICAL CYCLONES)

उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों को कैरबियन सागर में हरिकेन, पूर्वी चीन सागर में टायफून, फिलीपिंस में “बैगयू”, जापान में “टायसू”, ऑस्ट्रेलिया में “विलिबिलि” तथा हिन्द महासागर में “चक्रवात” और “साइक्लोन” के नाम से जाना जाता है.

उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की अधिकतम बारंबारता पूर्वी चीन सागर में मिलती है और इसके बाद कैरिबियन, हिन्द महासागर और फिलीपिन्स उसी क्रम में आते हैं. उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के प्रमुख क्षेत्र निम्न्वित हैं –

  1. उत्तरी अटलांटिक महासागर– वर्ड अंतरीप का क्षेत्र, कैरबियन सागर, मैक्सिको की खाड़ी, पश्चिमी द्वीप समूह.
  2. प्रशांत महासागर– दक्षिणी चीन, जापान, फिलीपिन्स, कोरिया एवं वियतनाम के तटीय क्षेत्र, ऑस्ट्रेलिया, मैक्सिको तथा मध्य अमेरिका का पश्चिमी तटीय क्षेत्र.
  3. हिन्द महासागर– बंगाल की खाड़ी, अरब सागर, मॉरिसस, मेडागास्कर एवं रियूनियन द्वीपों के क्षेत्र.

उष्ण कटिबंधीय चक्रवात की विशेषताएँ

  1. इनका व्यास 80 से 300 किमी. होता है. कभी-कभी इनका व्यास 50 किमी. से भी कम होता है.
  2. इसकी औसत गति 28-32 किमी. प्रतिघंटा होती है, मगर हरिकेन और टायफून 120 किमी. प्रतिघंटा से भी अधिक गति से चलते हैं.
  3. इनकी गति स्थल की अपेक्षा सागरों पर अधिक तेज होती है.
  4. सामान्यतः व्यापारिक हवाओं के साथ पूर्व से पश्चिम की ओर गति करते हैं.
  5. इसमें अनेक वाताग्र नहीं होते और न ही तापक्रम सम्बन्धी विभिन्नता पाई जाती है.
  6. कभी-कभी एक ही स्थान पर ठहरकर तीव्र वर्षा करते हैं.
  7. समदाब रेखाएँ अल्पसंख्यक और वृताकार होती है.
  8. केंद्र में न्यून वायुदाब होता है.
  9. इनका विस्तार भूमध्य रेखा के 33 1/2 उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों तक होता है.

निर्माण संबंधी दशाएँ

  1. एक विशाल गर्म सागर की उपस्थिति जिसके सतह का तापमान कम से कम 27°C हो.
  2. सागर के उष्ण जल की गहराई कम से कम 200 मी. होनी चाहिए.
  3. पृथ्वी का परिभ्रमण वेग उपर्युक्त स्थानों पर 0 से अधिक होनी चाहिए.
  4. उच्चतम आद्रता की प्राप्ति.
  5. उच्च वायुमंडलीय अपसरण घटातलीय अपसरण से अधिक होनी चाहिए.
  6. उध्वार्धर वायुप्रवाह (vertical wind flow) नहीं होनी चाहिए.
  7. निम्न स्तरीय एवं उष्ण स्तरीय विक्षोभ की उपस्थति.

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

लैंडफॉल क्या है?

  • उष्णकटिबंधीय चक्रवात के केंद्र का समुद्र तट के साथ प्रतिच्छेदन या तट रेखा पर प्रवेश करना लैंडफॉल कहलाता है.
  • एक लैंडफॉल में सामान्यतः तेज हवाएँ, भारी वर्षा और उठती हुई समुद्री लहरें होती हैं.

भारत में चक्रवात

  • भारत अपने लम्बे समुद्र तट के चलते विश्व के लगभग 10% उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के प्रभाव क्षेत्र में आता है.
  • ज्यादातर चक्रवात बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न होते हैं और इसलिए अधिकांशतः भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी तट से टकराते हैं.
  • भारतीय तट रेखा पर 2016 में ऐसे अन्य चक्रवात भी आये जैसे रोआनु और नाडा.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization of resources, growth, development and employment.

Topic : Manufacturing Purchasing Managers’ Index

संदर्भ

हाल ही में जारी हुई मासिक सर्वे विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक (PMI) के अनुसार देश की विनिर्माण गतिविधियों में अक्टूबर सहित लगातार तीसरे महीने सुधार हुआ है. सर्वे के अनुसार बिक्री में सुधार के साथ कंपनियों के उत्पादन में 13 साल की (अक्टूबर, 2007 के बाद) सबसे तेज वृद्धि हुई है.

पृष्ठभूमि

  • पिछले एक दशक से अधिक समय का सबसे अच्छा सुधार करते हुए आईएचएस मार्किट इंडिया का विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) अक्टूबर में बढ़कर 58.9 पर पहुंच गया, जो सितंबर में 56.8 था. उल्लेखनीय है कि लगातार 32 माह तक वृद्धि दर्ज करने के बाद अप्रैल में इस सूचकांक में गिरावट आई थी.
  • गौरतलब है कि पीएमआई के 50 से ऊपर होने का मतलब गतिविधियों के विस्तार से और 50 से नीचे होने का मतलब संकुचन से होता है.

क्रय प्रबंधक सूचकांक (Purchasing Manager’s Index- PMI)

  • PMI विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधियों का एक संकेतक है. यह एक सर्वेक्षण-आधारित प्रणाली है.
  • PMI की गणना विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों हेतु अलग-अलग की जाती है जिसके पश्चात् एक समग्र सूचकांक का तैयार किया जाता है.
  • PMI को 0 से 100 तक के सूचकांक पर मापा जाता है.
  • 50 से ऊपर का आँकड़ा व्यावसायिक गतिविधि में विस्तार या विकास को दर्शाता है, जबकि 50 से नीचे का आँकड़ा संकुचन (गिरावट) को प्रदर्शित करता है.

GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Issues related to direct and indirect farm subsidies and minimum support prices; Public Distribution System objectives, functioning, limitations, revamping; issues of buffer stocks and food security; Technology missions; economics of animal-rearing.

Topic : Minimum Support Price

संदर्भ

केंद्र सरकार ने वर्ष 2021-22 के रबी मौसम के 6 रबी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा की है. ज्ञातव्य है की भारत में रबी फसलें उन कृषि फसलों को कहा जाता है जिन्हे सर्दी में बोया जाता है और बसंत में काट लिया जाता है. रबी की फसलों में गेहूँ ,जौ, सरसों आदि की फसलें आती हैं.

गेहूँ ,जौ ,चना ,मसूर ,सूरजमुखी ,अलसी और सरसों की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया गया हैं. हालांकि साल 2020 -21 के मुकाबले बढ़ाई गयी कीमतों के मुकाबले ये बढ़ोतरी कम मानी जा रही है. गेहूँ के न्यूनतम समर्थन मूल्य में महज़ 6 फीसदी की बढ़त की गयी जो पिछले 11 सालों में की गयी सबसे कम बढ़ोत्तरी है.

एम.एस.पी में की गयी वृद्धि इस सिद्धांत पर आधारित है की पूरे भारत में उत्पादन की लागत का डेढ़ गुना एम एस पी होनी चाहिए जैसा की संघीय बजट 2018 -19 में घोषणा की गयी थी.

नए कृषि सुधार के विरोधियों के तर्क

  • किसानों ने हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा पारित किये गए तीन विधेयकों पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया इन तीन बिलों में पहला है किसानों से संबंधित कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा प्रदान करना) विधेयक, 2020, दूसरा है कृषक (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक और तीसरा है आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 संक्षेप में समझें तो इन
    विधेयकों का मकसद कृषि व्यापार में सरकार का दखल ख़त्म करके ऐसे व्यापार क्षेत्रों का गठन करना है जो बिचौलियों से मुक्त हों और जिन पर किसी भी तरह का सरकारी कर न लगे.
  • किसानो की माने नयी व्यवस्था में निजी कंपनियों को अधिक लाभ मिलेगा क्योंकि कृषि उत्पादों के दाम बाज़ार के माध्यम से तय किये जाएंगे और सरकारी दखल समाप्त होने से कम्पनियाँ किसानों को दाम कम करने के लिए मज़बूर करेंगी.
  • कई ऐसी फसलें जहां न्यूनतम समर्थन मूल्य आधारित खरीद का वज़ूद नहीं है वहाँ किसानों की उपज का दाम लगातार गिरा है. सरकारी दखल के बगैर कई नकदी फसलें जैसे कपास के दामों में भी भारी गिरावट देखने को मिली है.
  • खेती में लागत दाम बढ़ने के बावजूद किसानों को बाज़ार से अपनी उपज के अच्छे दाम नहीं मिल रहे हैं. किसानों का कहना है की सरकार का दखल ख़त्म होना और बाज़ार का कीमतें निर्धारित करना किसी भी तरह किसानों के हित में नहीं है.

न्यूनतम समर्थन मूल्य

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सरकार के द्वारा तय किया गया वह मूल्य है जिसपर कृषक अपनी फसल सरकार को बेच सकते हैं.
  • जब बाजार की कीमतें सरकार द्वारा तय किये गए न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे आ जाती हैं तो सरकार की खरीद-एजेंसियाँ किसानों के ​​फसल को खरीदने के लिए आगे आ जाती हैं.
  • जिन फसलों की आपूर्ति घट जाती है, उन फसलों को आगामी मौसम में लगाने के लिए किसानों को प्रेरित करने हेतु MSP का सहारा लिया जाता है.
  • आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समितिबुवाई के हर मौसम की शुरुआत में विभिन्न फसलों के लिए MSP की घोषणा करती है.
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य का फैसला कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Costs and Prices – CACP) की अनुशंसा पर लिया जाता है.
  • CACP अपनी अनुशंसा माँग और आपूर्ति, उत्पादन की लागत एवं कीमत की रुझान के आधार पर करता है

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

न्यूनतम विक्रय मूल्य

न्यूनतम विक्रय मूल्य (MSP) वह दर है जिसके नीचे मिलों को (mills) खुले बाज़ार में चीनी को थोक व्यापारी एवं थोक उपभोक्ता जैसे पेय और बिस्किट निर्माताओं को बेचने की अनुमति नहीं है.

लघु वन उपज (MFP) के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजना का कार्यान्वयन

  • इस योजना में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लघु वन उत्पादों के क्रय का दायित्व राज्यों द्वारा नामित एजेंसियों के ऊपर होता है.
  • ये एजेंसियाँ बाजार का मूल्य बाजार संवादाताओं के माध्यम से पता लगाती हैं.
  • इस योजना में शीतभंडार, गोदाम आदि अवसंरचनाओं के साथ-साथ उत्पादों को अधिक गुणवत्तापूर्ण बनाने की भी व्यवस्था की जाती है.
  • इस योजना के कार्यान्वयन और अनुश्रवण के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालयनाभिक मंत्रालय (nodal ministry) होता है. यही मंत्रालय TRIFED की तकनीकी सहायता से न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण करता है.

भावान्तर भुगतान योजना 

मध्य प्रदेश में भावान्तर भुगतान योजना चल रही है जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य और बाजार मूल्य के अंतर की राशि किसानों को दी जाती है.


GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : Carbon Tax

संदर्भ

चीन अभी दुनिया में कार्बन उत्सर्जन के मामले में पहले पायदान पर है. दूसरी ओर, कार्बन उत्सर्जन के मामले में अमेरिका दुसरे और भारत तीसरे पायदान पर हैं.ऐसे में चीन ने यह एलान किया है की वो 2060 से पहले तक कार्बन उत्सर्जन को ख़त्म कर देगा.इस एलन के बाद भारत और चीन की ज़िम्मेदारी भी हो जाएगी की किसी तरह वो भी अपने देश में होने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम करने के कदम उठाएं.

इसके अंतर्गत एक कदम ये उठाया जा सकता है की ये देश ऐसी गतिविधियों पर अंकुश लगाएं जिसके अंतर्गत सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन हो रहा है. इसका सबसे अच्छा तरीका है उन उद्योगों और आयतों पर कर आरोपित करना जिनसे सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन हो रहा है चाहे वो ऊर्जा से सम्बंधित हो या परिवहन से.

कोविड 19 वैश्विक महामारी के चलते भारत समेत पूरी दुनिया में वायु प्रदूषण का स्तर गिरा है. लेकिन बढ़ती औद्योगिक गतिविधियों के साथ भारत में फिर से ये स्तर बहुत तेज़ी से बढ़ने के कयास लगाए जा रहे हैं. बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग में सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाला कार्बन डाई ऑक्साइड का सांद्रण 414 पार्ट्स पर मिलियन के आस पास था.

कड़े कदम उठाने की ज़रुरत

भारत ने साल 2060 तक गैर जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल कर 40 फीसदी बिजली पैदा करने का लक्ष्य तय किया है. इससे भारत के कार्बन उत्सर्जन 2005 के स्तर से तकरीबन एक तिहाई होने की उम्मीद लगाई जा रही है. भारत को 2030 से पहले कार्बन उत्सर्जन को कम करने के मद्देनज़र कुछ ठोस कदम उठाने होंगे ताकि 2050 तक कार्बन उत्सर्जन को पूरी तरह से ख़त्म करने का लक्ष्य आसानी से पूरा किया जा सके.

कार्बन कर  क्या है?

  • कार्बन कर एक अप्रत्यक्ष कर है. यह उन आर्थिक गतिविधियों पर लगाया जाता है जिनसे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जनजीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
  • इसके द्वारा सरकारें अपना राजकोष भी संवर्धित करती हैं. इस कर से दो अन्य कर भी संबंधित हैं- उत्सर्जन कर और ऊर्जा कर. उत्सर्जन कर जहाँ प्रत्येक टन हरितगृह गैस के उत्सर्जन पर लगने वाला कर है, वहीं ऊर्जा कर ऊर्जा से संबंधित वस्तुओं पर आरोपित कर है.

इतिहास

  • 1992 में संयुक्त राष्ट्र ने बढ़ते हरितगृह गैस के स्तर को नियंत्रित करने तथा इससे पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को कम करने की दिशा में पहल की.
  • ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में जलवायु परिवर्तन पर एक सम्मेलन का आयोजन किया गया. पृथ्वी सम्मेलन के नाम से आयोजित इस आयोजन में सदस्य देशों द्वारा कार्बन कर लगाने के आशय पर विचार विमर्श प्रारंभ हुआ. हालांकि इस दिशा में पहले से पहल करते हुए फिनलैण्ड ने 1990 में अपने यहाँ कार्बन कर लगाने की शुरुआत की. ऐसा करने वाला फिनलैण्ड पहला राष्ट्र है. तत्पश्चात स्वीडन और ब्रिटेन ने 1991 में इस प्रक्रिया को अपनी भूमि पर लागू किया.

कार्बन टैक्स का आधार

  • कार्बन टैक्स, नेगेटिव एक्सटर्नलिटीज़ के आर्थिक सिद्धांत (the economic principle of negative externalities) पर आधारित है.
  • एक्सटर्नलिटीज़ (externalities) वस्तु एवं सेवाओं के उत्पादन से प्राप्त लागत या लाभ (costs or benefits) हैं, जबकि नेगेटिव एक्सटर्नलिटीज़ वैसे लाभ हैं जिनके लिये भुगतान नहीं किया जाता है.
  • जब जीवाश्म ईंधन के दहन से कोई व्यक्ति या समूह लाभ कमाता है तो होने वाले उत्सर्जन का नकारात्मक प्रभाव पूरे समाज पर पड़ता है.
  • यही नेगेटिव एक्सटर्नलिटीज़ है, अर्थात् उत्सर्जन के नकारात्मक प्रभाव के एवज़ में लाभ तो कमाया जा रहा है लेकिन इसके लिये कोई टैक्स नहीं दिया जा रहा है.
  • नेगेटिव एक्सटर्नलिटीज़ का आर्थिक सिद्धांत मांग करता है कि ऐसा नहीं होना चाहिये और नेगेटिव एक्सटर्नलिटीज़ के एवज़ में भी टैक्स वसूला जाना चाहिये.

Prelims Vishesh

Eurpoean Commission, Indian Council of Social Science Research (ICSSR) Sign New Pact :-

  • यह शीर्ष भारतीय सामाजिक वैज्ञानिकों को यूरोप में यूरोपीय अनुसंधान परिषद (European Research Council: ERC) द्वारा वित्त पोषित अस्थायी अनुसंधान दलों में शामिल होने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए वैज्ञानिक सहयोग बढ़ाने की एक व्यवस्था है.
  • वर्ष 2007 में स्थापित, ERC का उद्देश्य प्रतिस्पर्धी वित्त पोषण के माध्यम से यूरोप में उच्चतम गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान को प्रोत्साहन करना और सभी क्षेत्रों में अनुसंधानकर्ता द्वारा संचालित शोध का समर्थन करना है.
  • ERC होराइजन-2020 का एक प्रमुख घटक है, जो वर्ष 2014 से वर्ष 2020 तक के लिए “यूरोपीय संघ का अनुसंधान फ्रेमवर्क कार्यक्रम है.

Public Affairs Index: PAI 2020 :-

  • PAI, शासन के आधार पर राज्यों / संघ शासित प्रदेशों को रैंकिंग प्रदान करने के लिए एक डेटा संचालित मंच है.
  • PAI को गैर-लाभकारी संस्था पब्लिक अफेयर्स सेंटर (PAC) द्वारा विकसित किया गया है.
  • शासन के प्रदर्शन का विश्लेषण समानता, विकास और घारणीयता के तीन स्तंभों द्वारा परिभाषित सतत विकास के संदर्भ में किया जाता है.
  • बड़े राज्यों की श्रेणी में: केरल, तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश शीर्ष तीन राज्य हैं. उत्तर प्रदेश, ओडिशा और बिहार सबसे निचले क्रम पर हैं.
  • छोटे राज्यों की श्रेणी में: गोवा प्रथम स्थान पर और मणिपुर अंतिम स्थान पर रहा. संघ शासित प्रदेशों की श्रेणी में चंडीगढ़ शीर्ष स्थान पर रहा.

New wage bars bonus for those facing sex abuse charges :-

  • अन्य प्रावधानों के अतिरिक्त, मजदूरी संहिता कर्मचारियों को मिलने वाले वार्षिक बोनस के लिए मानदंड भी निर्धारित करती है.
  • नई संहिता में कर्मचारियों को बोनस का भुगतान नहीं किए जाने के लिए एक आधार के रूप में “यौन उत्पीड़न के लिए दोषसिद्धि” को शामिल किया गया है.
  • मौजूदा कानून के अनुसार, कपट अथवा परिसर (कार्यस्थल) में हिंसात्मक आचरण अथवा स्थापन की किसी संपत्ति की चोरी, उसमें दुर्विनियोग व अभिध्वंस के कारण हटाए गए कर्मचारी को बोनस प्राप्त करने के लिए निरर्हित किया जाएगा.

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