Sansar Daily Current Affairs, 03 April 2019
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : BS norms
संदर्भ
अति स्वच्छ यूरो-VI कोटि के इंधन की आपूर्ति अप्रैल 1, 2019 से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के आस-पास के शहरों में शुरू हुई. यह ईंधन भारत स्टेज VI (BS-VI) कोटि के ईंधन के नाम से भी जाना जाता है. स्मरणीय है कि पिछले वर्ष अप्रैल में दिल्ली देश का वह पहला शहर बनी थी जहाँ पेट्रोल और डीजल दोनों में भारत स्टेज VI (BS-VI) कोटि के ईंधन का प्रयोग आरम्भ हो गया था.
BS मानक (BS Norms) क्या है?
- BS का full-form है – Bharat Stage
- Bharat Stage (BS) कारों के अन्दर प्रयोग होने वाले ईंजन के द्वारा मुक्त किये गये प्रदूषक तत्त्वों के स्तर को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार के द्वारा बनाया गया मानक है.
- विदित हो कि भारत प्रदूषण के विषय में यूरो (European) प्रदूषण मानकों का अनुसरण करता रहा है पर इस मामले में वह पाँच साल पीछे चल रहा है.
BS IV और BS VI में क्या अंतर है?
- वर्तमान बीएस -4 और नए बीएस -6 मानकों में जो मुख्य अंतर है वहगंधक (sulfur) की मात्रा से सम्बंधित है.
- BS VI प्रमाणित ईंजन 80% कम सल्फर छोड़ता है.
- विश्लेषकों का कहना है कि BS VI प्रमाणित ईंजन लगाने से डीजल की गाड़ियों में 70% कम NOx (nitrogen oxides) निकलेगा तथा पेट्रोल की गाड़ियों में 25% कम NOx निकलने की आशा है.
ईंधन के स्तरों का उत्क्रमण आवश्यक क्यों?
वायु प्रदूषण को रोकने के लिए यह आवश्यक है कि ईंधन से सम्बंधित मानकों का कठोरता से उत्क्रमण होता रहे. भारत में अभी भी मोटर वाहनों का प्रचलन विकसित देशों की तुलना में कम है. इसलिए विश्व-भर के कार निर्माताओं की नज़र भारत पर टिकी हुई है. दूसरी ओर, दिल्ली जैसे शहरों की वायु गुणवत्ता संसार भर में सबसे निकृष्ट मानी जाती है. कुछ दिन पहले राष्ट्रीय राजधानी में सम-विषम योजना लागू की गई थी जिससे वहाँ वायु की गुणवत्ता में सुधार हुआ. इसके अतिरिक्त बड़े-बड़े डीजल कारों का पंजीकरण रोकने के लिए न्यायालय में याचिकाएं दी गई हैं. अतः सरकार इस विषय में शिथिलता से काम नहीं चला सकती.
चीन जैसे अन्य विकासशील देशों ने कुछ समय पहले अपने वाहनों को उत्क्रमित कर उन्हें यूरो 5 उत्सर्जन मानकों के बराबर पहुँचा दिया है, परन्तु भारत इस मामले में पीछे रह गया है. चीन और मलेशिया का इस विषय में यह अनुभव रहा है कि निकृष्ट वायु गुणवत्ता व्यवसाय के लिए भी ठीक नहीं है. अतः उत्सर्जन मानकों में सुधार करने से हमारे यहाँ निवेश भी बढ़ेंगे.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Global Report on Food Crises 2019
संदर्भ
खाद्य संकट से सम्बंधित 2019 का वैश्विक प्रतिवेदन निर्गत हो चुका है. यह प्रतिवेदन संयुक्त रूप से खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO), विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) तथा यूरोपीय संघ (EU) के द्वारा तैयार किया जाता है.
प्रतिवेदन के मुख्य निष्कर्ष
- पिछले वर्ष 53 देशों में रहने वाले लगभग 113 मिलियन लोगों को विकट स्तर की खाद्य असुरक्षा से गुजरना पड़ा.
- खाद्य असुरक्षा का सबसे बड़े कारण युद्ध एवं जलवायु से सम्बंधित आपदाएँ रहीं.
- पिछले तीन वर्षों में लगातार भूखे रहने वालों की संख्या 100 मिलियन से ऊपर बनी रही.
- भूख से ग्रस्त देशों की संख्या भी तीन वर्षों से बढ़ती जा रही है.
- प्रतिवेदन के अनुसार विश्व के मात्र आठ देशों में ही भूख के विकट अनुभव को झेलने वाले दो तिहाई लोग थे. ये देश हैं – अफगानिस्तान, कांगो, यूथोपिया, नाइजीरिया, साउथ सूडान, सूडान, सीरिया और यमन.
- 2018 में जलवायु और प्राकृतिक आपदाओं के कारण 29 मिलियन लोगों को विकट खाद्य संकट झेलना पड़ा. इसमें असंगत डाटा के कारण 13 देशों (उत्तरी कोरिया और वेनेजुएला सहित) को शामिल ही नहीं किया गया.
FAO
खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) संयुक्त राष्ट्र की एक विशेषज्ञता प्राप्त एजेंसी है जो भूख को समाप्त करने के लिए विश्व-भर में किये जा रहे प्रयासों का नेतृत्व करती है. यह एक तटस्थ मंच है जिसपर सभी देश मिलकर भूख के बारे में समझौतों और विमर्श की नीति निर्धारित करते हैं. इसमें विकसित और विकासशील दोनों प्रकार के देश शामिल होते हैं और उन सब को बराबर का महत्त्व दिया जाता है. इसका मुख्यालय इटली के रोम शहर में है. इसकी स्थापना 16 अक्टूबर, 1945 में हुई थी.
इस संगठन का मुख्य उद्देश्य सब के लिए खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराना और यह सुनिश्चित करना है कि सक्रिय एवं स्वस्थ जीवन बिताने के लिए वांछनीय उच्च गुणवत्ता वाला भोजन सबको नियमित रूप से मिलता रहे.
FAO परिषद्
इस परिषद् की स्थापना 1947 में FAO की मूल कार्यकारिणी समिति के स्थान पर की गई थी जिसके लिए विश्व खाद्य प्रस्तावों के विषय में गठित प्रारम्भिक आयोग ने संस्तुति दी थी. FAO परिषद् इसके सम्मेलन के दो सत्रों के बीच में कार्यकारी अवयव के रूप में काम करती है इसके कार्य विश्व में खाद्य एवं कृषि की परिस्थिति और जुड़े हुए मामलों से सम्बंधित होते हैं. इसके अतिरिक्त यह संगठन की वर्तमान और भविष्य में होने वाली गतिविधियों को, जिनमें काम के कार्यक्रम, बजट, प्रशासनिक मामले, वित्तीय प्रबंधन और संवैधानिक विषय शामिल हैं, को भी देखती है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Committees to hear and decide on complaints against CIC and ICs
संदर्भ
मुख्य सूचना आयुक्त (Chief Information Commissioner – CIC) और सूचना आयुक्तों के विरुद्ध पड़ने वाली शिकायतों को सुनने और उनपर निर्णय देने के लिए भारत सरकार ऐसी समितियों का गठन करने जा रही है जिसके प्रमुख नौकरशाह होंगे.
प्रस्ताव पर व्यक्त की जा रहीं चिंताएँ
- सरकार के इस कदम की आलोचना सूचना अधिकार कार्यकर्ता और भूतपूर्व सूचना आयुक्त कर रहे हैं.
- उनका कहना है कि प्रस्तावित समितियों का गठन सूचना अधिकार कानून का उल्लंघन होगा. आरोप लगाया जा रहा है कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि मुख्य सूचना आयोग की स्वायत्तता और भूमिका कम की जा सके.
- आलोचकों का कहना है कि केन्द्रीय सूचना आयोग को पूर्ण स्वायत्तता मिलनी चाहिए और उस पर किसी का निर्देश थोपना सूचना अधिकार अधिनियम के विरुद्ध होगा.
- प्रस्तावित समितियों के लिए अधिनियम में कोई स्थान नहीं है. ऐसी स्थिति में सरकार इनका गठन नहीं कर सकती है.
ऐसे में किया जा सकता है?
सरकार के प्रस्ताव से हितों के टकराव का मामला उभर सकता है. इस टकराव से बचने के लिए एक ऐसी समिति बनाई जा सकती है जिसमें प्रत्येक दल का एक सांसद सदस्य के रूप में हो. यह समिति सूचना अधिकारियों के विरुद्ध दाखिल की गई गंभीर प्रकृति की शिकायतों का परीक्षण करेगी. इसके अतिरिक्त एक अन्य समिति भी हो सकती है जो यह देखेगी कि कौन-सी शिकयातें निराधार हैं और उनमें कोई सार नहीं है. इस समिति में सदस्य के रूप में वे सांसद हो सकते हैं जो निर्दलीय चुने गये हैं. सूचना आयुक्तों के विरुद्ध शिकायत पर कार्रवाई की कोई भी बेहतर प्रक्रिया अपनाई जा सकती है, परन्तु यह सब कुछ आयोग के अन्दर ही होना चाहिए तथा की गई कार्रवाई के विषय में वेबसाइट पर प्रकाशन होना चाहिए.
सूचना अधिकार अधिनियम में शक्तियों पर रोक लगाने और उन्हें संतुलित रखने के विषय में अनुभाग 14 में किये गये प्रावधान
1. सूचना आयुक्त या मुख्य सूचना आयुक्त का हटाया जाना- (1) उपधारा (3) के उपबंधों के अधीन रहते हुए, मुख्य सूचना आयुक्त या किसी सूचना आयुक्त को राष्ट्रपति के आदेश द्वारा साबित कदाचार या असमर्थता के आधार पर उसके पद से तभी हटाया जाएगा, जब उच्चतम न्यायालय ने, राष्ट्रपति द्वारा उसे किए गए किसी निर्देश पर जाँच के पश्चात यह रिपोर्ट दी हो कि, यथास्थिति, मुख्य सूचना आयुक्त या सूचना आयुक्त को उस आधार पर हटा दिया जाना चाहिए.
2. राष्ट्रपति, उस मुख्य सूचना आयुक्त या सूचना आयुक्त को, जिसके विरुद्ध उपधारा (1) के अधीन उच्चतम न्यायालय को निर्देश किया गया है, ऐसे निर्देश पर उच्चतम न्यायालय की रिपोर्ट प्राप्त होने पर राष्ट्रपति द्वारा आदेश पारित किए जाने तक पद से निलंबित कर सकेगा और यदि आवश्यक समझे तो, जाँच के दौरान कार्यालय में उपस्थित होने से भी प्रतिबद्धित कर सकेगा.
3. उपधारा (1) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी राष्ट्रपति, मुख्य सूचना आयुक्त या किसी सूचना आयुक्त को आदेश द्वार पद से हटा सकेगा, यदि, यथास्थिति, मुख्य सूचना आयुक्त या सूचना आयुक्त,-
(क) दिवालिया न्यायनिर्णीत किया गया है; या
(ख) वह ऐसे अपराध के लिये दोषसिद्ध ठहराया गया है, जिसमें राष्ट्रपति की राय में, नैतिक अधमता अन्तर्वलित है; या
(ग) अपनी पदावधि के दौरान, अपने पद के कर्तव्यों से परे किसी वैतनिक नियोजन में लगा हुआ है; या
(घ) राष्ट्रपति की राय में, मानसिक या शारीरिक अक्षमता के कारण पद पर बने रहने के अयोग्य है; या
(ड.) उसने ऐसे वित्तीय और अन्य हित अर्जित किए हैं, जिनसे मुख्य सूचना आयुक्त या किसी सूचना आयुक्त के रूप में उसके कृत्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है.
4. यदि मुख्य सूचना आयुक्त या कोई सूचना आयुक्त, किसी प्रकार भारत सरकार द्वारा या उसकी ओर से की गई किसी संविदा या करार से संबद्ध या उसमें हितबद्ध है या किसी निगमित कंपनी के किसी सदस्य के रूप में से अन्यथा और उसके अन्य सदस्यों के साथ सामान्यतः उसके लाभ में या उससे प्रोद्भूत होने वाले किसी फायदे या परिलब्धियों में हिस्सा लेता है तो वह, उपधारा (1) के प्रयोजनों के लिये, कदाचार का दोषी समझा जाएगा.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Ways and Means Advances (WMA)
संदर्भ
भारत सरकार से परामर्श करके भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के पूर्वार्द्ध के लिए वेज़ एंड मीन्स एडवांसेज (WMA) के लिए सीमा 75,000 करोड़ रु. पर निर्धारित कर दी है.
WMA क्या है?
भारतीय रिज़र्व बैंक सरकार का बैंकर होता है, अतः वह केंद्र एवं राज्य सरकारों को तात्कालिक ऋण की सुविधा प्रदान करता है. इस तात्कालिक ऋण सुविधा को लिए वेज़ एंड मीन्स एडवांसेज (WMA) कहते हैं.
केंद्र सरकार के लिए WMA
- केंद्र सरकार के लिए WMA योजना का आरम्भ अप्रैल 1, 1997 में हुआ था. इसके पहले केंद्र सरकार के घाटे को पूरा करने के लिए वित्त देने हेतु चार दशकों से एक प्रणाली अपनाई जाती थी जिसके अंतर्गत तदर्थ कोषागार विपत्र निर्गत होते थे.
- WMA योजना का उद्देश्य सरकार की प्राप्ति और भुगतान के अंतर को तात्कालिक रूप से दूर करना होता है. यदि सरकार को तत्काल रूप से नकद की आवश्यकता होती है तो वह RBI से नकद ले सकती है. किन्तु 90 दिनों के भीतर-भीतर इस भुगतान की प्रतिपूर्ति कर दी जाती है. WMA पर ब्याज भी लगता है जो रेपो दर के अनुरुप होता है. WMA की सीमा क्या हो, इसके लिए भारतीय रिज़र्व बैंक और भारत सरकार मिलकर निर्णय लेते हैं.
राज्य सरकारों के लिए WMA
- राज्य सरकारों के लिए WMA योजना दो प्रकार की होती हैं – विशेष WMA एवं सामान्य WMA.
- विशेष WMA राज्य सरकार की सरकारी प्रतिभूतियों को बंधक के रूप में लेकर दिया जाता है.
- विशेष WMA की सीमा पार हो जाने पर राज्य सरकार को सामान्य WMA दिया जाता है. सामान्य WMA की सीमा सम्बंधित राज्य के वास्तविक राजस्व और पूँजी व्यय के तीन वर्षों की औसत पर आधारित होती है. यदि राज्य सरकार इस सीमा से ऊपर पैसा निकालती है तो इसे ओवरड्राफ्ट कहा जाता है.
- कोई भी राज्य सरकार अधिकतम चार लगातार कार्यदिवसों के लिए ओवरड्राफ्ट ले सकती है, परन्तु एक तिमाही में ऐसे दिवसों की संख्या अधिकतम 36 होनी चाहिए.
- WMA की ब्याज दर रेपो दर के अनुरूप होती है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : AFSPA
संदर्भ
हाल ही में 32 वर्षों के बाद विवादित सैन्य बल (विशेष शक्तियाँ) अधिनियम [Armed Forces (Special Powers) Act – AFSPA] को अरुणाचल प्रदेश के नौ जिलों में से तीन जिलों से आंशिक रूप से हटा लिया गया है. इस अधिनियम के प्रावधान म्यांमार की सीमावर्ती क्षेत्रों में पहले के समान लागू रहेंगे.
AFSPA क्या है?
सरल शब्दों में कहा जाए तो AFSPA वह अधिनियम है जो सैन्य बलों को उपद्रवग्रस्त क्षेत्रों में विधि-व्यवस्था बनाने के लिए शक्ति प्रदान करता है. इसके अनुसार सैन्य बल को यह अधिकार होता है कि किसी क्षेत्र में वह पाँच या उससे अधिक लोगों के जमावड़े को प्रतिबंधित कर सकता है. इसके अतिरिक्त वह बल का प्रयोग कर सकता है अथवा समुचित चेतवानी के बाद गोली भी चला सकता है यदि उसको लगे कि कोई व्यक्ति विधि का उल्लंघन कर रहा है. यदि सैन्य बल को लगे कि किसी व्यक्ति की गतिविधियाँ संदेहास्पद हैं तो वह उस व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकता है. सेना किसी भी घर में घुसकर बिना वारंट के तलाशी ले सकती है और आग्नेयास्त्र रखने पर रोक लगा सकती है. यदि कोई व्यक्ति गिरफ्तार होता है अथवा कस्टडी में लिया जाता है तो सेना उसे निकटतम पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी को गिरफ्तारी की परिस्थितियों का विवरण देते हुए सौंप सकती है.
पृष्ठभूमि
सैन्य बल (विशेष शक्तियाँ) अधिनियम 1958 में पारित हुआ था और उसको समूचे तत्कालीन असम राज्य और मणिपुर संघीय क्षेत्र पर लागू किया गया था. कालांतर में जब फरवरी 20, 1987 को असम के विभाजन के उपरान्त अरुणाचल प्रदेश का सृजन हुआ तो यह विवादित अधिनियम वहाँ स्वतः लागू हो गया. आगे चलकर मेघालय, मिजोरम और नागालैंड राज्य अस्तित्व में आये तो इस अधिनियम को थोड़- बहुत संशोधित करते हुए इन राज्यों पर भी लागू कर दिया गया.
“उपद्रवग्रस्त क्षेत्र” किसे कहते हैं?
उपद्रवग्रस्त क्षेत्र उस क्षेत्र को कहते हैं जिसको AFSPA के अनुभाग 3 के अंतर्गत इस रूप में अधिसूचित किया जाता है. किसी क्षेत्र के उपद्रवग्रस्त घोषित होने के कारण अनेक हो सकते हैं, जैसे – धार्मिक, नस्ली, भाषाई, जातीय, सामुदायिक, क्षेत्रीय.
केंद्र सरकार अथवा सम्बंधित राज्य के राज्यपाल अथवा सम्बंधित संघीय क्षेत्र के प्रशासक राज्य अथवा सनघीय क्षेत्र के सम्पूर्ण भाग अथवा एक भाग को उपद्रवग्रस्त क्षेत्र घोषित कर सकते हैं. इसके लिए शासकीय राजपत्र में अधिसूचना निकाली जाती है.
Prelims Vishesh
US approves sale of 24 MH 60 helicopters to India :-
- हाल ही में अमेरिका ने भारत को 24 MH-60 रोमिओ सी-हॉक हेलिकॉप्टर बेचने की अनुमति दे दी है.
- रोमिओ सी-हॉक एक अत्यंत उन्नत समुद्री हेलिकॉप्टर है जो पनडुब्बियों को नष्ट कर सकता है और साथ ही जहाज़ों को भी क्षति पहुँचा सकता है.
- यह समुद्र में तलाशी और बचाव का काम भी कर सकता है. इसे Lockheed Martin कंपनी ने बनाया है.
Indian Army built longest suspension bridge at Leh :–
भारतीय सेना ने लेह-लद्दाख क्षेत्र में सिन्धु नदी के ऊपर 260 फुट लम्बे मैत्री सेतु नामक लटकते हुए पुल को 40 दिन के रिकॉर्ड-समय में सफलतापूर्वक बना लिया है.
Reiwa :–
- जापान में सम्राट के राज्यकाल को एक विशेष नाम दिया जाता है. इसी क्रम में मई 1, 2019 को राजगद्दी पर युवराज नारूहितो के बैठने पर जो राज्यकाल आरम्भ होगा, उसे Reiwa नाम दिया गया है.
- विदित हो कि वर्तमान सम्राट आकिहितो ने घोषणा कर दी है कि वह अप्रैल 30, 2019 को गद्दी छोड़ देंगे और उनके तीन वर्षों का ‘हेसेई’ राज्यकाल समाप्त हो जाएगा.
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