Sansar डेली करंट अफेयर्स, 03 August 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 03 August 2018


GS Paper 1 Source: The Hindu

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Topic : Pingali Venkayya

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सन्दर्भ

अगस्त 2, 2018 को स्वतंत्रता सेनानी एवं भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूपांकणकर्ता पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya) की 141वीं जयंती मनाई गई.

पिंगली वेंकैया कौन थे?

  • पिंगली वेंकैया का जन्म अगस्त 2, 1876 में आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हुआ था.
  • अफ्रीका में हुए Anglo Boer युद्ध में उन्होंने दक्षिणी अफ्रीका में ब्रिटिश सेना में सैनिक के रूप में काम किया था.
  • वे गाँधीवादी सिद्धांतों में दृढ़ विश्वास रखते थे और एक कट्टर राष्ट्रवादी भी थे.
  • उन्होंने एंग्लो-बोर युद्ध के समय महात्मा गाँधी से भेंट भी की थी.

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास

1918 से लेकर 1921 तक सम्पन्न कांग्रेस के हर अधिवेशन में वेंकैया ने एक अलग झंडा होना चाहिए, यह बात उठायी थी. उस समय वे मछलीपट्टनम में स्थित आंध्र नेशनल कॉलेज में व्याख्याता थे.

  • वे महात्मा गाँधी से एक बार फिर विजयवाड़ा में मिले और उन्हें झंडे की ढेर सारी रूपरेखाएँ दिखायीं. गाँधी ने राष्ट्रीय ध्वज होने की आवश्यकता को स्वीकार किया और पिंगली वेंकैया को एक नई रुपरेखा तैयार कर कांग्रेस की 1921 में होने वाली बैठक में प्रस्तुत करने करने को कहा.
  • प्रारम्भ में वेंकैया ने अपने झंडे में केसरिया और और हरा रंग का प्रयोग किया है पर बाद में उन्होंने उसमें श्वेत रंग जोड़ते हुए बीच में एक चरखा भी डाल दिया. चरखे का सुझाव लाला हंस राज सोंढ़ी ने दिया था.
  • पिंगली वेंकैया द्वारा सुझाया गया झंडा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा 1931 में अपना लिया गया.

GS Paper 2 Source: The Hindi

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Topic : 123rd Constitutional Amendment Bill

सन्दर्भ

हाल ही में लोक सभा ने 123वें संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर दिया है जिसमें एक संवैधानिक निकाय – राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (National Commission for Backward Classes) – का प्रावधान किया गया है.

विधेयक के मुख्य तत्त्व

इस विधेयक के द्वारा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) को राष्ट्रीय अनुसूची जाति आयोग तथा राष्ट्रीय अनुसूची जनजाति आयोग के समान संवैधानिक दर्जा (constitutional status) दिया गया है.

राष्ट्रपति का अधिकार : विधेयक में कहा गया है कि राष्ट्रपति विभिन्न राज्यों एवं केंद्रशाषित क्षेत्रों में सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को विनिर्दिष्ट कर सकता है. इसके लिए वह सम्बंधित राज्य के राज्यपाल से परामर्श ले सकता है.

NCBC के कार्य: विधेयक के अनुसार NCBC संविधान एवं अन्य कानूनों के तहत पिछड़े वर्गों के लिए प्रावधान की गई सुरक्षा की जाँच-पड़ताल और निगरानी करेगा. साथ ही वह अधिकारों के उल्लंघन से सम्बंधित विशेष शिकायतों की जाँच भी करेगा.

प्रतिवेदन (Report) : NCBC को पिछड़े वर्गों की सुरक्षा पर उसके द्वारा किए गये काम के बारे में राष्ट्रपति को प्रत्येक वर्ष प्रतिवेदन देना होगा. यह प्रतिवेदन संसद और सम्बंधित राज्यों के विधानमंडलों में उपस्थापित किया जयेगा.

व्यवहार न्यायालय की भूमिका : इस संविधान संशोधन विधेयक के तहत NCBC को छानबीन करने अथवा शिकायतों की जाँच करने के लिए एक व्यवहार न्यायालय के समान शक्तियाँ होंगी. ये शक्तियाँ हैं :-

  1. लोगों को बुला भेजना (summon) और उनसे शपथ लेकर जाँच-पड़ताल करना
  2. किसी दस्तावेज अथवा सार्वजनिक अभिलेख को प्रस्तुत करने का आदेश देना
  3. गवाही लेना

NCBC का वर्तमान दर्जा

विदित हो कि इंदिरा साहनी (मंडल आयोग) वाद/Indira Sawhney (Mandal Commission) case में अपना अंतिम निर्णय देते समय सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि NCBC को वैधानिक निकाय (statutory body) के रूप में स्थापित किया जाए.

इस निर्देश के आधार पर 1993 में इस आयोग के गठन के लिए कानून पारित किया था. तब से NCBC केंद्र सरकार के लिए पिछड़े वर्ग की सूची में विभिन्न जातियों को सम्मिलित करने के मामलों की जाँच करता आया है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Benami Transactions (Prohibition) Act

सन्दर्भ

उल्लेखनीय है कि बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम के तहत दायर किये गये वादों में लगभग 100 वाद संपुष्ट (confirm) हो चुके हैं, परन्तु इनसे सम्बंधित आरोपित व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने का काम अवरुद्ध पड़ा है क्योंकि इन मुकदमों के लिए अपेक्षित विशेष न्यायालयों की अभी तक स्थापना नहीं हो सकी है.

समस्या क्या है?

बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम में यह प्रावधान है कि केंद्र सरकार राज्यों के उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से परामर्श कर विशेष न्यायालयों की स्थापना करेगा. इस प्रावधान का उद्देश्य बेनामी मामलों की शीघ्र से शीघ्र सुनवाई सुनिश्चित करना था परन्तु अभी तक इन विशेष न्यायालयों की स्थापना नहीं हो सकी है जबकि आयकर विभाग ने देश भर में 100 बेनामी वादों में जाँच पूरी कर ली है.

यही नहीं इन मामलों में सम्पत्ति को जब्त भी कर लिया गया है, फिर भी मुकदमा शुरू नहीं किया जा सका है.

बेनामी अधिनियम क्या है?

बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम, 2016 अगस्त, 2016 में संसद द्वारा पारित किया गया था. इसके द्वारा 1988 के बेनामी लेनदेन अधिनियम को संशोधित किया गया था. इस संशोधन का उद्देश्य काले धन पर लगाम लगाना था. संशोधन अधिनियम नवम्बर 1, 2016 से लागू हुआ था.

बेनामी अधिनियम के मुख्य तत्त्व

  • अधिनयम में बेनामी लेनदेन में लिप्त व्यक्ति के लिए सात साल के कारावास तथा जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
  • इस कानून में सम्पत्ति के वास्तविक स्वामी द्वारा बेनामदार से बेनामी सम्पत्ति को फिर से अपने हाथ में ले लेने को निषिद्ध किया गया है.
  • अधिनियम के अनुसार बेनामी सिद्ध हुई सम्पत्तियों को सरकार बिना क्षति-पूर्ति किये हुए जब्त कर सकती है.
  • अधिनियम में बेनामी वादों में अपील की भी व्यवस्था करते हुए एक अपीलीय न्यायाधिकरण का प्रावधान किया गया है. साथ ही चार अधिकारियों को सरकार की ओर से जाँच-पड़ताल करने के लिए अधिकृत किया गया है. यह अधिकारी हैं – प्रवर्तक अधिकारी (initiating officer), अनुमोदक अधिकारी (approving authority), प्रशासक (administrator) तथा निर्णायक अधिकारी (adjudicating authority).

बेनामी लेनदेन क्या है?

कोई भी लेनदेन तब बेनामी कहलाता है जब सम्पत्ति के लिए पैसा देना वाला कोई और होता है एवं जिसके नाम पर सम्पत्ति होती है वह कोई और होता है. इसलिए इस बेनामी लेनदेन में, जिस व्यक्ति ने सम्पत्ति के लिए भुगतान किया है उसके नाम का उल्लेख नहीं होता है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : World Breastfeeding Week (August 1 to 7)

सन्दर्भ

अगस्त 1 से 7 तक प्रत्येक वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है जिसका आयोजन विश्व स्तनपान कार्रवाई गठबंधन (World Alliance for Breastfeeding Action – WABA), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और UNICEF द्वारा किया जाता है.

इस आयोजन का लक्ष्य जीवन के पहले 6 महीनों के भीतर बच्चे को स्तनपान कराने को बढ़ावा देना है क्योंकि इस समय स्तनपान कराने से बच्चे के स्वास्थ्य को बड़ा लाभ होता है. स्तनपान से बच्चों को कई महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्व मिलते हैं, निमोनिया जैसे मारक रोगों से सुरक्षा मिलती है और उसका सम्यक विकास भी होता है.

MAA कार्यक्रम

स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम आरम्भ किया है जिसका नाम MAA अर्थात् Mother’s Absolute Affection रखा गया है.

इस कार्यक्रम के मुख्य तत्त्व निम्नलिखित हैं –

  1. स्तनपान के विषय में जागरूकता उत्पन्न करना
  2. स्तनपान को प्रोत्साहित करना
  3. सामुदायिक स्तर पर परामर्श देना
  4. स्वास्थ्य सुविधा की निगरानी करना
  5. स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने वालों को पुरस्कृत करना

इस कार्यक्रम के तहत ASHA कर्मियों को गर्भवती और दूध पिलाने वाली माताओं तक पहुँचने और उन्हें स्तनपान के सही तरीकों और लाभों के बारे में जानकारी देने के लिए प्रेरित किया जाता है.

स्तनपान को शीघ्र चालू करने विषयक UNICEF प्रतिवेदन

UNICEF और WHO ने हाल ही में विश्व-भर के देशों में स्तनपान को शीघ्र चालू करने के विषयक एक रिपोर्ट निर्गत किया है. इस रिपोर्ट में 76 देशों से प्राप्त आँकड़ों का विश्लेषण किया गया है.

  • इस रिपोर्ट में श्रीलंका को पहले नंबर पर रखा गया है.
  • भारत का इस सूची में 56वाँ स्थान है.
  • कज़ाकिस्तान, रवांडा, भूटान और उरुग्वे भारत से बेहतर स्थिति में हैं.
  • इस सूची में सबसे अंत में आने वाले देश हैं – अज़रबैजान, पाकिस्तान और मोंटेनेग्रो
  • प्रतिवेदन से एक बात उभर कर आई है कि पूरे विश्व में जन्मने वाले पाँच शिशुओं से केवल दो ही पहले घंटे में स्तनपान कर पाते हैं.

GS Paper 3 Source: The Hindi

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Topic : Ballistic Missile Interceptor AAD

सन्दर्भ

हाल ही में DRDO ने ओडिशा अब्दुल कलाम द्वीप से बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर एडवांस्ड एरिया डिफेंस (AAD) का सफल परीक्षण किया है.

AAD क्या है?

  • यह एक मिसाइल है जो शत्रु के द्वारा प्रक्षेपित मिसाइल को वायुमंडल (endo-atmospheric missile) में ही 15 से 25 किलोमीटर की ऊँचाई पर नष्ट कर सकती है.
  • DRDO द्वारा स्वदेश में ही विकसित यह हस्तक्षेपक मिसाइल एकल चरण वाली मिसाइल है जो ठोस ईंधन से चलती है.
  • यह मिसाइल भारत के बैलास्टिक मिसाइल डिफेन्स (BMD) कार्यकम के अंतर्गत देश की सुरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए विकसित की गई है.
  • यह 7.5 मीटर लम्बी है और इसका भार लगभग 1.2 टन है.
  • इस हस्तकक्षेपक मिसाइल का अपना एक चलंत लौन्चर होता है. इसमें उन्नत प्रकार के रडार तथा शत्रु मिसाइल को पता करने तथा उसे नष्ट करने से सम्बंधित क्षमताएँ विद्यमान होती हैं.

बैलास्टिक मिसाइल डिफेन्स (BMD) आवश्यक क्यों है?

  • ज्ञातव्य है कि भारत की नीति “पहले आक्रमण नहीं करने/No First Use policy” की है. इसलिए एक सुदृढ़ BMD कार्यक्रम होना आवश्यक है जिससे कि यदि कोई शत्रु देश अणु बम युक्त मिसाइल भारत पर छोड़ता है तो उसे वायुमंडल में ही नष्ट किया सके. (No First Use Policy) << के बारे में डिटेल में पढ़ें
  • BMD भारत को आतंकवादियों द्वारा फेंकी गई मिसाइल से भी रक्षा कर सकती है.
  • BMD के कारण कोई शत्रु देश भारत पर आणविक आक्रमण नहीं कर पायेगा जिससे देश में रणनीतिक स्थिरिता आएगी.
  • BMD एक स्वदेशी प्रणाली है जिसके कारण दूसरे देशों से रक्षा प्रणालियों के आयात पर निर्भरता घट जायेगी और धन की बचत होगी.
  • BMD के लिए विकसित तकनीक का प्रयोग अन्य क्षेत्रों, विशेषकर अन्तरिक्ष तकनीक में किया जा सकता है.

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