Sansar Daily Current Affairs, 03 August 2019
GS Paper 1 Source: PIB
Topic : Commission to Examine Sub Categorization of other Backward Classes
संदर्भ
पिछले दिनों केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने संविधान की धारा 340 (Article 340) के अंतर्गत गठित उस आयोग के कार्यकाल को बढ़ा दिया है जिसे केंद्रीय सूची में वर्णित अन्य पिछड़े वर्गों को उप-श्रेणियों में बाँटने के प्रस्ताव के परीक्षण का कार्य सौंपा गया था.
पृष्ठभूमि
संविधान की धारा 14 में प्रदत्त समानता के अधिकार के परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) ने 2015 में अन्य पिछड़ा वर्गों के उप-श्रेणीकरण का प्रस्ताव दिया था. इस प्रस्ताव को देखते हुए राष्ट्रपति ने संविधान की धारा 340 में प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए इस विषय में एक आयोग गठित किया था जिसका अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश जी.रोहिणी को बनाया गया था.
उप-श्रेणीकरण की आवश्यकता क्यों?
यह अनुभव किया जा रहा था कि OBC के अन्दर जितनी जातियाँ और समुदाय आते हैं उन सब को आरक्षण का लाभ समान ढंग से प्राप्त नहीं हो रहा है अर्थात् कुछ जातियों को यह लाभ अधिक मिल रहा था और कुछ को नहीं के बराबर. विदित हो कि इस श्रेणी में 27% आरक्षण है और इसके अंतर्गत अनेक जातियाँ और समुदाय आते हैं. यह समझा गया कि यदि OBC वर्ग को एक से अधिक उपश्रेणी में बाँट दिया जाए तो जो जातियाँ अधिक पिछड़ी हैं इनको भी सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का लाभ मिलने लगे. उसी बात को दृष्टि में रखते हुए सरकार ने ऊपर वर्णित आयोग का गठन किया है.
NCBC क्या है?
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग 14 अगस्त, 1993 को स्थापित भारत के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक संवैधानिक निकाय है. इसका गठन राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के अनुसार किया गया था.
NCBC के कार्य
NCBC संविधान एवं अन्य कानूनों के तहत पिछड़े वर्गों के लिए प्रावधान की गई सुरक्षा की जाँच-पड़ताल और निगरानी करेगा. साथ ही वह अधिकारों के उल्लंघन से सम्बंधित विशेष शिकायतों की जाँच भी करेगा.
प्रतिवेदन (Report)
NCBC को पिछड़े वर्गों की सुरक्षा पर उसके द्वारा किए गये काम के बारे में राष्ट्रपति को प्रत्येक वर्ष प्रतिवेदन देना होता है. यह प्रतिवेदन संसद और सम्बंधित राज्यों के विधानमंडलों में उपस्थापित किया जाता है.
व्यवहार न्यायालय की भूमिका
NCBC को छानबीन करने अथवा शिकायतों की जाँच करने के लिए एक व्यवहार न्यायालय के समान शक्तियाँ होती है. ये शक्तियाँ हैं :-
- लोगों को बुला भेजना (summon) और उनसे शपथ लेकर जाँच-पड़ताल करना
- किसी दस्तावेज अथवा सार्वजनिक अभिलेख को प्रस्तुत करने का आदेश देना
- गवाही लेना
NCBC का वर्तमान दर्जा
विदित हो कि इंदिरा साहनी (मंडल आयोग) वाद/Indira Sawhney (Mandal Commission) case में अपना अंतिम निर्णय देते समय सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि NCBC को वैधानिक निकाय (statutory body) के रूप में स्थापित किया जाए.
इस निर्देश के आधार पर 1993 में इस आयोग के गठन के लिए कानून पारित किया था. तब से NCBC केंद्र सरकार के लिए पिछड़े वर्ग की सूची में विभिन्न जातियों को सम्मिलित करने के मामलों की जाँच करता आया है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Banning of Unregulated Deposit Schemes Bill, 2019
संदर्भ
पिछले दिनों राज्य सभा ने अनियमित जमा योजना प्रतिबंध विधेयक, 2019 (Banning of Unregulated Deposit Schemes Bill, 2019) को पारित कर दिया.
अनियमित जमा योजना प्रतिबंध विधेयक के मुख्य तत्त्व
- यह विधेयक जमा लेने वालों पर किसी अनियमित जमा योजना को बढ़ावा देने, संचालित करने, विज्ञापन निकालने या जमा स्वीकार करने पर प्रतिबंध लगाता है. यह प्रतिबंध इस प्रकार का जमा लेने की गतिविधि को भूतलक्षी प्रभाव से अपराध घोषित करता है अर्थात् अधिनियम के बनने के पहले से चल रही योजनाएँ भी प्रतिबंध कर दी जाएँगी.
- अनियमित जमा योजना प्रतिबंध विधेयक में जमा योजनाओं से सम्बंधित अपराधों को तीन वर्गों में बाँटा गया है – i) अनियमित जमा योजनाओं का संचालन ii) नियमित जमा योजनाओं में जालसाजी iii) अनियमित जमा योजनाओं के लिए गलत ढंग से प्रेरित करना.
- विधेयक में ऐसे अपराधों को रोकने के लिए कठोर दंड और भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
- विधेयक में अवैध रूप से लिए गये जमा की राशि को वापस लेने के लिए भी प्रावधान किये गये हैं. इनके तहत सक्षम प्राधिकारी संपत्तियों को जब्त कर के उनका निष्पादन कर पैसा उगाह सकता है जिससे कि जमाकर्ताओं को पैसा वापस मिल सके. इस पूरी प्रक्रिया के लिए स्पष्ट रूप से समय-सीमाएँ तय कर दी गई हैं.
- प्रस्तावित अधिनियम में एक केन्द्रीय ऑनलाइन डाटाबेस बनाने की भी बात कही गई है. यह डेटाबेस देश-भर में जमा लेने से सम्बंधित चल रही गतिविधियों के बारे में सूचनाओं का संग्रह करेगा और उसे साझा करेगा.
“जमा लेने वाले” और “जमा” की परिभाषा
- विधेयक के अनुसार, “जमा लेने वालों” में कानून के द्वारा निगमित विशेष प्रतिष्ठानों को छोड़कर अन्य वैसे सभी प्रतिस्ठान (व्यक्तियों सहित) आते हैं जो जमा मांगते हैं अथवा प्राप्त करते हैं.
- विधेयक में “जमा” उस राशि को कहा गया है जो जनसाधारण किसी प्रतिष्ठान में जमा करते हैं. इसमें स्पष्ट किया गया है कि कुछ प्रतिष्ठान सार्वजनिक जमा को रसीद के रूप में दिखाते हैं, परन्तु विधेयक के अनुसार, उसे भी जमा मानते हुए आवश्यक कार्रवाई की जायेगी.
माहात्म्य और प्रभाव
- वर्तमान में ऐसे कई प्रतिष्ठान देश में चल रहे हैं जो नियामक व्यवस्था में त्रुटि तथा कठोर प्रशासनिक उपायों के अभाव के कारण जनसाधारण को ठगते हैं और उनकी भारी कमाई को डुबो देते हैं. इस समस्या के समाधान के लिए अनियमित जमा योजना प्रतिबंध विधेयक में कई प्रावधान किये गये हैं जो अत्यन्त कारगर सिद्ध होंगे तथा तत्काल रूप से अवैध जमा लेने की गतिविधियाँ रुक जाएँगी.
- प्रस्तावित अधिनियम में दंड देने और जमा हो चुकी राशि को वसूलने के लिए पर्याप्त प्रावधान किए गये हैं जो अंततः जनसाधारण को प्रवंचित होने से बचा सकेगी.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : PRAGATI
संदर्भ
पिछले दिनों “प्रगति” के माध्यम से 30वाँ संवाद आयोजित हुआ जिसकी अध्यक्षता प्रधानमन्त्री ने की.
PRAGATI क्या है?
- PRAGATI का पूरा नाम है –Pro-Active Governance And Timely Implementation अर्थात् सक्रिय शासन एवं सामयिक कार्यान्वयन.
- यह एक अनूठा संवाद मंच है जिसका उद्देश्य जन-साधारण की शिकायतों का समाधान करना और साथ-ही-साथ भारत सरकार और राज्य सरकारों के महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों और परियोजनाओं पर नजर रखना एवं उनकी समीक्षा करना है.
प्रगति की विशेषताएँ
- “प्रगति” मंच में एक ही साथ तीन नवीनतम प्रौद्योगिकियों का संगम होता है जो हैं – डिजिटल डाटा प्रबंधन, विडियो सम्मेलन तथा भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी.
- यह मंच भारत सरकार के सचिवों और राज्यों के मुख्य सचिवों को एक स्थान पर लाता है. अतः हम कह सकते हैं कि यह सहकारी संघवाद का एक अनूठा उदाहरण है.
- इस मंच के कारण प्रधानमंत्री केंद्र और राज्य के अधिकारियों के साथ आवश्यक विषयों पर चर्चा करने में समर्थ होते हैं. अधिकारीगण इसकी बैठक में पूरी जानकारी और जमीनी स्तर पर कार्यक्रमों की स्थिति के सम्बन्ध में नवीनतम विडियो भी लेकर आते हैं.
- वस्तुतः यह एक ऐसी नवाचारी परियोजना है जो ई-प्रशासन तथा सुशासन की दिशा में एक ठोस कदम कहा जा सकता है.
- “प्रगति” एक त्रि-स्तरीय तंत्र है जिसमें प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारी, केन्द्रीय सचिव और राज्यों के मुख्य सचिव सम्मिलित होते हैं.
- बैठक में प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किए जाने वाले विषयों का चयन लोक शिकायतों, संचालित हो रहे कार्यक्रमों एवं लंबित परियोजनाओं से सम्बंधित उपलब्ध डेटाबेस से किया जाता है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Atal Community Innovation Centre (ACIC) Program
संदर्भ
पिछले दिनों अटल नवाचार मिशन (AIM) ने अटल समुदाय नवाचार केंद्र (ACIC) कार्यक्रम का अनावरण किया.
अटल समुदाय नवाचार केंद्र (ACIC) कार्यक्रम क्या है?
यह भारत सरकार का एक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य देश के पिछड़े क्षेत्रों में सामुदायिक नवाचार को उत्प्रेरित करना है. यह कार्यक्रम इन पिछड़े समुदायों को उन्नत तकनीकी प्रणालियों से जोड़ता है और इस प्रकार उन्हें सशक्त बनाता है.
कार्यक्रम की आवश्यकताएँ
- इस कार्यक्रम के माध्यम से नवाचार की भावना को प्रोत्साहन दिया जाता है.
- यह कार्यक्रम देश के उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देता है जहाँ स्टार्ट-अप और नवाचार के सम्बन्ध में बहुत कम या नगण्य काम हुआ है.
- यह कार्यक्रम या तो निजी-सार्वजनिक-भागीदारी पद्धति (PPP mode) से संचालित होगा या सार्वजनिक लोक उपक्रमों एवं अन्य अभिकरणों के सहयोग से.
- अटल नवाचार मिशन इसके लिए अधिकतम 5 करोड़ की राशि अनुदान के रूप में देगा और इतनी ही राशि वे संस्थाएँ और भागीदार मुहैया करायेंगे.
अटल नवाचार मिशन क्या है?
- यह मिशन भारत सरकार की प्रमुख पहल है जिसका प्रयोजन देश में नवाचार एवं उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देना है.
- इस मिशन का कार्य देश के अन्दर नवाचार के वातावरण पर दृष्टि रखने के लिए एक बहु-आयामी अवसरंचना का निर्माण करना है जिससे विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से नवाचार पारिस्थितिकी तन्त्र में क्रान्ति लाई जा सके.
अटल नवाचार मिशन के दो प्रमुख कार्य
स्वरोजगार और प्रतिभा के उपयोग के द्वारा उद्यमिता को बढ़ावा देना. इसके लिए नवाचार करने वाले को सफल उद्यमी बनाने के निमित्त सहायता और मन्त्रणा दोनों दी जायेगी.
अटल टिंकरिंग लैब (ATL) क्या है?
- ATLs वे प्रयोगशालाएँ हैं जिनमें 3D प्रिंटर, रोबोटिक्स, सेंसर टेक्नोलॉजी उपकरण, इन्टरनेट प्रणाली और सूक्ष्म इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की व्यवस्था होती है.
- प्रयोगशाला का उद्देश्य है कि बच्चे पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकीय ज्ञान की परिधि से बाहर निकलकर रचनात्मक गतिविधियाँ सम्पन्न करें.
- अटल इनोवेशन स्कीम मिशन (AIM) का लक्ष्य है देश के 98% अधिक स्मार्ट शहरों में और 93% जिलों में ऐसी प्रयोगशालाएँ तैयार हों.
- मिशन का स्वप्न है कि देश के 10 लाख बच्चों को भविष्य के innovators के रूप में विकसित किया जाए और 1500 नए स्कूलों में ATL स्थापित करने के इस कदम से इस दिशा में सफलता मिलेगी.
- कक्षा6 से 10 तक की पढ़ाई देने वाले सरकारी विद्यालयों के अतिरिक्त स्थानीय निकायों अथवा निजी न्यासों/संस्थाओं में भी ये लैब स्थापित किये जाएँगे.
- ATL स्थापित करने के लिए अटल नवाचार मिशन अनुदान देगा. इस अनुदान में दस लाख रु. की एकमुश्त स्थापना राशि के अतिरिक्त अधिकतम पाँच वर्षों तक प्रयोगशाला के संचालन हेतु दस लाख रु. भी दिए जाएँगे.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : The Motor Vehicles (Amendment) Bill, 2019
संदर्भ
पिछले दिनों राज्य सभा में मोटर वाहन संशोधन विधेयक, 2019 पारित हो गया. यह विधेयक मोटर वाहन अधिनियम, 1988 को संशोधित कर रहा है.
मोटर वाहन संशोधन विधेयक, 2019 के मुख्य तथ्य
- भारत सरकार दुर्घटना के एक घंटे (गोल्डन आवर) के अन्दर दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति के लिए नकदरहित उपचार की एक योजना बनाएगी.
- तृतीय पक्ष बीमा के अंतर्गत क्षतिपूर्ति का दावा करने वालों के लिए अंतरिम राहत देने की एक योजना बनाई जायेगी.
- भारत सरकार मोटर वाहन दुर्घटना कोष की स्थापना करेगी जिससे सड़क का उपयोग करने वाले सभी व्यक्तियों को अनिवार्य रूप से बीमा का लाभ दिया जा सके.
- इस कोष के लिए धनराशि केंद्र सरकार के अनुदान अथवा ऋण, सोलेटियम कोष में बची हुई राशि तथा अन्य विहित स्रोतों से इकठ्ठा की जायेगी.
- जो लोग दुर्घटना के समय दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को शुद्ध भाव से और स्वैच्छिक रूप से बिना किसी पुरस्कार की आशा के चिकत्सकीय अथवा अन्य सहायता पहुंचाते हैं उनके विरुद्ध कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जायेगी यदि ऐसा करते समय दुर्घटना व्यक्ति को कोई क्षति पहुँच जाती है अथवा उसका निधन हो जाता है.
- यदि किसी मोटर वाहन में ऐसा दोष पाया जाता है जिसके चलते पर्यावरण अथवा चालक अथवा सड़क का उपयोग करने वालों को क्षति पहुँचती है तो केंद्र सरकार ऐसे वाहन को वापस बुलाने का आदेश दे सकती है.
- वापस बुलाये गये वाहनों के निर्माता को क्रेता को वाहन की पूरी लागत लौटानी होगी अथवा उसी प्रकार की नई गाड़ी देनी होगी.
- यह भी प्रस्ताव है कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों से सलाह करके एक राष्ट्रीय परिवहन नीति बनाएगी जिसमें परमिट देने, सड़क परिवहन की योजना बनाने तथा परिवहन प्रणाली की प्राथमिकताओं आदि का उल्लेख होगा.
- केंद्र सरकार राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड का गठन करेगी, जो केंद्र और राज्य सरकारों को सड़क सुरक्षा एवं यातायात प्रबंधन के सभी पहलुओं पर परामर्श देगी.
- विधेयक के अनुसार अधिनियम के अंतर्गत किये गये अनेक अपराधों के लिए दंड बढ़ा दिए गये हैं.
- टैक्सी एग्रीगेटरों को लाइसेंस राज्य द्वारा दिया जाएगा. साथ ही उनको सूचना तकनीक अधिनियम, 2000 का पालन करना होगा.
विधेयक से सम्बंधित आलोचनाएँ
- दुर्घटना से होने वाली क्षति की पूर्ति के लिए पहले से ही एक कोष बना हुआ है. अतः विधेयक में प्रस्तावित दुर्घटना कोष किस लिए बना है यह अस्पष्ट है.
- केन्द्रीय सरकार के निर्देशों के अनुसार टैक्सी एग्रीगेटरों को लाइसेंस देने का काम राज्य सरकारों का होगा. वर्तमान में राज्य सरकारें इन एग्रीगेटरों के लिए दिशानिर्देश निर्गत करती हैं. ऐसे में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के मार्गनिर्देशों में अंतर हो सकता है और इसके फलस्वरूप भ्रांति उत्पन्न हो सकती है.
- विधेयक में दुर्घटनाग्रस्त लोगों की अंतरिम राहत की योजना में डंडों का प्रावधान तो किया गया है परन्तु ये दंड किन अपराधों के लिए किये जाएँगे उसका वर्णन नहीं किया गया है.
- राज्य इस विधेयक की आलोचना इस आधार पर करते हैं कि उन्हें लगता है कि इससे उनकी शक्तियों में कटौती की जा रही है.
Prelims Vishesh
Securitypedia :-
- केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) ने एक ऑनलाइन विश्व कोष का अनावरण किया है जिसे “सिक्यूरिटीपीडिया” नाम दिया गया है.
- इस विश्वकोष में विश्व-भर में प्रचलित सुरक्षा विषयक प्रथाओं से सम्बंधित सूचनाएँ संगृहित की गई हैं.
- इसके अतिरिक्त इसमें CISF के हस्तकों, केस-अध्ययनों, तकनीकी संग्रह-पुस्तिका आदि का भी समावेश है.
Republic of Benin :–
- पिछले दिनों भारत ने बेनिन गणतंत्र को उसकी विकास परियोजनाओं के लिए 100 मिलियन डॉलर का ऋण देने का प्रस्ताव दिया है.
- विदित हो कि बेनिन पश्चिमी अफ्रीका का एक देश है जिसकी चौहद्दी में पश्चिम में टोगो, पूर्व में नाइजीरिया और उत्तर में बुर्किना फासो और नाइजर हैं.
About the National Centre for Disease Control :–
- 30 जुलाई को प्रत्येक वर्ष की भाँति राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) दिवस मनाया गया. इस बार यह 110वाँ दिवस था.
- यह केंद्र स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अधीनस्थ स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के अंतर्गत आता है.
- इसकी स्थापना जुलाई, 1963 में महामारियों के बारे में शोध करने और संक्रमणीय रोगों के नियंत्रण के लिए की गई थी.
- पहले इसे “राष्ट्रीय संक्रामक रोग संस्थान” कहा जाता था.
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