Sansar डेली करंट अफेयर्स, 03 August 2020

Sansar LochanSansar DCA

Sansar Daily Current Affairs, 03 August 2020


GS Paper 1 Source : The Hindu

the_hindu_sansar

UPSC Syllabus : Modern Indian history from about the middle of the eighteenth century until the present- significant events, personalities, issues.

Table of Contents

Topic : Bal Gangadhar Tilak

संदर्भ

बाल गंगाधर तिलक की 100वीं पुण्यतिथि संदर्भ: महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक तथा ‘पूर्ण स्वराज’  के प्रबल समर्थक, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की 100 वीं पुण्यतिथि 1 अगस्त को मनाई गयी.

लोकमान्य तिलक

प्रथम चरण में तिलक की गतिविधियाँ मुख्यतः महाराष्ट्र तक ही सीमित रहीं, परन्तु, दूसरे चरण में उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में अग्रणी भूमिका निभाई. सर्वप्रथम उन्होंने भारतीयों के दिमाग से हीनता की भावना मिटाने का निश्चय किया. इस उद्देश्य से उन्होंने देशभक्ति और नैतिकता की शिक्षा पर बल दिया. उन्हीं के प्रयासों से ‘‘दक्कन एजुकेशन सोसायटी’’ एवं ‘‘फरग्यूसन कॉलेज’’ की स्थापना हुई. शिक्षण संस्थाओं की स्थापना के अतिरिक्त उन्होंने जनमत को जाग्रत करने के लिए केसरी (मराठी दैनिक) और मराठा (अंग्रेजी साप्ताहिक) का प्रकाशन आरंभ किया. इन समाचार पत्रों में उन्होंने भारतीय संस्कृति की सराहना की तथा पश्चिमी सभ्यता के अंधाधुंध अनुकरण की प्रवृत्ति की खिल्ली उड़ाई. भारतीयों के गौरव को बढ़ाने के लिए आर्यों की जन्मभूमि पर विद्वतापूर्ण लेख लिखे. वे भारतीयों को नैतिकता और कर्म मार्ग की शिक्षा देने के लिए गीता की व्याख्या भी करते थे.

बाद में जब वह मांडले जेल में थे तब उन्होंने मराठी में गीता पर टीका लिखी, जो ‘गीता रहस्य’ के नाम से जानी जाती है. तिलक ने राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति एवं जनता को संगठित करने के लिए धार्मिक मनोभावना को भी उभारने का प्रयास किया. इस उद्देश्य से उन्होंने ‘गणपति उत्सव’ एवं ‘शिवाजी उत्सव’ बड़े संगठित पैमाने पर मनाने की व्यवस्था की. उन्होंने गोहत्या विरोधी समितियाँ, लाठी और अखाड़ा क्लब भी स्थापित किए.

राजनीतिक जीवन

1900 में तिलक कांग्रेस से प्रभावित होकर इसमें सम्मिलित हुए, परन्तु आरंभ से ही उन्हें कांग्रेस की नरमपंथी नीतियों में विश्वास नहीं था. उनका विचार था कि कागंसे्र का लक्ष्य अपने लिए स्वयं कानून बनाने का अधिकार प्राप्ति होना चाहिए, न कि ऐसे सामाजिक सुधार जिन्हें स्वाधीनता मिलने तक टाला जा सकता था. तिलक ने कांग्रेस पर ऐसे कार्यक्रम रखने के लिए दबाव डाला, जिससे उसे जन समर्थन प्राप्त हो सके. वे यह भी मानते थे कि जनता को और कांग्रेस को बड़े पैमाने पर अंग्रेजी सरकार का प्रतिरोध करने के लिए तैयार होना चाहिए. तिलक ने इस उद्देश्य से राष्ट्रीय शिक्षा, स्वदेशी, बहिष्कार और स्वराज्य का चार सूत्री कार्यक्रम पेश किया. 1897-98 में जब सरकार ने तिलक को 18 मास के कारावास की सजा दी, तो उन्होंने सहर्ष इसे स्वीकार कर लिया.

1907 के कांग्रेस के सूरत अधिवेशन के बाद लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को अपने साथियों सहित कांग्रेस छोड़कर अलग होना पड़ा. उन्होंने कांग्रेस से अलग उग्रवादी आन्दोलन जारी रखा. कांग्रेस की आतंरिक फूट का लाभ उठाकर 1908 में सरकार ने तिलक पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया. उन्हें 6 वर्ष के कारावास की सजा दी गयी और मांडले निर्वासित कर दिया गया. 1910 ई. में बाल गंगाधर तिलक ने लन्दन के टाइम्स अखबार के वैदेशिक संवाददाता तथा ‘इंडिया अनरेस्ट’ के लेखक वैलेंटाइन शिरोल के विरुद्ध मानहानि का मुकदमा दायर किया.

बाल गंगाधर तिलक 1914 में मांडले से वापस आए. उस समय भारत और विश्व की राजनीतिक स्थिति अत्यंत गंभीर थी. प्रथम विश्वयुद्ध का खतरा मंडरा रहा था. मुस्लिम लीग का भारतीय राजनीति में उदय हो चुका था, कांग्रेस निष्क्रिय हो चुकी थी. ऐसी स्थिति में लोकमान्य तिलक आपसी फूट को समाप्त कर पुनः स्वतंत्रता आन्दोलन की गति तीव्र करना चाहते थे. अतः एनी बेसेंट के प्रयासों के फलस्वरूप तिलक अपने सहयोगियों के साथ पुनः 1916 में लखनऊ अधिवेशन में कांग्रेस में शामिल हुए. वे कांग्रेस के अंदर ही एक ‘‘होमरूल लीग’’ बनाना चाहते थे पर कांग्रेस की अस्पष्ट नीति क के कारण उन्हें सितम्बर 1916 में एक अलग होमरूल लीग बनाने को बाध्य होना पड़ा. उन्होंने अपने समाचार पत्रों द्वारा जनता को इसके उद्देश्यों से परिचित कराया तथा महाराष्ट्र और मध्य भारत में होमरूल आन्दोलन (Home rule movement) को बढ़ावा दिया. उन्होंने घोषणा की कि, ‘‘स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और इसे मैं लेकर रहूँगा.’’

जब सरकार ने 1917 में संवैधानिक सुधारों की घोषणा की, तो उन्होंने इसका स्वागत किया. उनका विचार था कि सरकार के साथ सहयोग कर गृह शासन को प्राप्त किया जा सकता था. उन्होंने खिलाफत आन्दोलन को भी समर्थन दिया, परन्तु जब गाँधीजी ने असहयोग आन्दोलन आरंभ करने का निश्चय किया तो लोकमान्य तिलक ने अप्रैल 1920 में आगामी चनुाव लड़ने के लिए ‘‘कांग्रेस डेमोक्रेटिक पार्टी’’ की स्थापना की. वे अचानक बीमार हो गये और 1 अगस्त 1920 को उनकी मृत्यु हो गयी. 1 अगस्त को ही गाँधीजी ने असहयोग आन्दोलन की घोषणा की. एक युग का अंत और एक नए युग का आरंभ एक ही साथ हुआ.

निःसंदेह तिलक भारत की एक महान् विभूति थे. स्वयं गाँधीजी ने उनका महत्त्व स्वीकार किया था. तिलक की मृत्यु के बाद ‘‘यंग इंडिया’’ के अपने लेख में गाँधीजी ने स्वीकार किया कि उनके समय में जनसाधारण पर जितना प्रभाव बाल गंगाधर तिलक का था, उतना अन्य किसी का नहीं. जिस दृढत़ा और स्थिरता से लोकमान्य ने स्वराज्य के संदेश का प्रचार किया, वैसा किसी ने नहीं किया. वस्तुतः तिलक एक यर्थाथवादी राजनीतिज्ञ और उच्चकोटि के दार्शनिक थे.

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
 

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में बाल गंगाधर तिलक के योगदान के विषय में संक्षिप्त चर्चा करें.


GS Paper 2 Source : Indian Express

indian_express

UPSC Syllabus : International Relations.

Topic : Why Ecuador was angered by a Chinese flotilla near its waters

संदर्भ

हाल ही में ‘इक्वाडोर’ (Equador) ने अपने समुद्री क्षेत्र के निकट विशाल संख्या में चीन के मछली पकड़ने वाले जहाज़ों की गतिविधि में हुई वृद्धि के संदर्भ में आधिकारिक रूप से चीन से अपनी असहजता व्यक्त की है. 

मुख्य तथ्य

  • हाल ही में इक्वाडोर के गैलापागोस द्वीप समूह (Galapagos Islands) के नजदीक लगभग 260 मछली पकड़ने वाले जहाज़ों को देखे जाने के बाद इक्वाडोर द्वारा इस क्षेत्र में सतर्कता में  वृद्धि ला दी गई थी. 
  • विदित हो कि प्रशांत महासागर स्थित गैलापागोस द्वीप समूह लगभग 60,000 वर्ग किमी. में विस्तृत है और यह दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप से लगभग 1,000 किमी. दूरी पर अवस्थित है.
  • गैलापागोस द्वीप समूह के आस-पास मछलियों का व्यावसायिक शिकार में वृद्धि से क्षेत्र में पाई जाने वाली शार्क जैसी जलीय प्रजातियाँ अब लुप्तप्राय हो गई हैं.
  • इक्वाडोर को प्रत्येक वर्ष इस क्षेत्र में चीन के मछली पकड़ने वाले जहाज़ों से अपने प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए चुनौती का सामना करना पड़ता है.

क्षेत्र में चीनी मछुआरों की बढ़ती सक्रियता

  • हाल में चीनी जहाज़ों के समूह को दोनों ओर (मुख्य इक्वाडोर और गैलापागोस द्वीप समूह) से इक्वाडोर के अधिकार क्षेत्र से लगभग 200 मील दूर अंतर्राष्ट्रीय जल (International Waters) में देखा गया था. जहाज़ों के इस समूह में लाइबेरिया और पनामा के झंडे लगे कुछ जहाज़ भी सम्मिलित थे.
  • इक्वाडोर के विदेश मंत्री के अनुसार, चीन के मछली पकड़ने वाले जहाज़ हर वर्ष इक्वाडोर के अधिकार वाले समुद्री क्षेत्र की सीमा तक आ जाते हैं.
  • वर्ष 2019 में भी इसी क्षेत्र में (इक्वाडोर के समुद्री अधिकार क्षेत्र के बाहर) चीन के 254 मछली पकड़ने वाले जहाज़ों को देखा गया था.
  • वर्ष 2017 में ऐसे ही एक चीनी जहाज़ के इक्वाडोर के अधिकार वाले समुद्री क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद इक्वाडोर के अधिकारियों द्वारा उसे पकड़ लिया गया था.
  • इक्वाडोर के अधिकारियों द्वारा पकड़े गए चीनी जहाज़ में रखे समुद्री वन्यजीवों का वज़न लगभग 300 टन बताया गया था.
  • इनमें से अधिकांश मात्रा ‘स्कैलोप्ड हैमरहेड शार्क’ (Scalloped Hammerhead Shark) की थी जिसे IUCN लाल सूची में गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically Endangered) श्रेणी में रखा गया है.   एक प्रतिवेदन के अनुसार, हॉन्गकॉन्ग के बाज़ारों में पाए जाने वाले 2/3 स्कैलोप्ड हैमरहेड शार्क के पर या फिन (Finn) गैलापागोस क्षेत्र से ही आते हैं.
  • चीन के एक प्रचलित भोजन के रूप में स्कैलोप्ड हैमरहेड शार्क की बड़ी मांग है. चीन के मछुआरे वर्ष के इस समय में इक्वाडोर के समुद्री क्षेत्र में आ जाते हैं क्योंकि वर्ष के इस समय ठंडी पेरू धारा अपने साथ बड़ी मात्रा में पोषक तत्त्व अपवाहित करती है, जिससे इस क्षेत्र में समुद्री प्रजातियों का एक विशाल समूह एकत्रित हो जाता है.

क्षेत्रीय देशों की प्रतिक्रिया    

  • चीनी जहाज़ क्षेत्र के दूसरे देशों के साथ भी तनाव का सामना कर रहे हैं.
  • वर्ष 2016 में अर्जेंटीना के तटरक्षकों ने एक चीनी जहाज़ का पीछा करते हुए इस समुद्र में डुबो दिया था.
  • अर्जेंटीना के तटरक्षकों के अनुसार, यह जहाज़ बिना आधिकारिक अनुमति के दक्षिणी अटलांटिक महासागर में मछली पकड़ रहा था.
  • हाल के एक मामले में इक्वाडोर की नौसेना ने पहले चीनी जहाज़ों को 16 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय जल में देखे जाने की घोषणा की थी पर इस सप्ताह इसे राजनयिक स्तर तक उठाया गया.
  • इक्वाडोर के राष्ट्रपति ने इस ‘खतरे’ पर पेरू, चिली, कोलंबिया और पनामा जैसे क्षेत्र के अन्य प्रभावित तटीय देशों से इस मुद्दे पर चर्चा करने की बात कही है.
  • संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद् ने इक्वाडोर की आर्थिक और पर्यावरणीय संप्रभुता की ओर निर्देशित आक्रामकता के विरुद्ध इक्वाडोर के साथ खड़े होने की बात कही है.

चीन का पक्ष

चीन के अनुसार, फिशिंग (Fishing) के मामले में वह एक उत्तरदायी राष्ट्र है और वह अवैध मछली पकड़ने के विरुद्ध एक “शून्य सहिष्णुता” की नीति अपनाता है.

वैश्विक चुनौती

  • हाल के वर्षों में सैन्य शक्ति और व्यावसायिक विस्तार के साथ-साथ समुद्री शिकार के क्षेत्र में भी चीन की आक्रामकता में वृद्धि देखने को मिली है.
  • फरवरी 2020 में चीनी तटरक्षकों की सहायता से चीन के मछुआरों ने बिना किसी आधिकारिक अनुमति के इंडोनेशिया केनातुना सागर क्षेत्र में प्रवेश किया था.
  • अप्रैल 2020 में चीनी मछुआरों द्वारा बिना किसी आधिकारिक अनुमति के दक्षिण अफ्रीका की समुद्री सीमा में प्रवेश करने के कारण उनके जहाज़ों को ज़ब्त कर लिया गया था.

आगे की राह

  • एक प्रतिवेदन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण महासागरों के जल स्तर में वृद्धि से मछली पकड़ने के मामले में द्वीपों के आसपास दबाव बढ़ जाएगा क्योंकि अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा द्वीपों के आसपास मछलियाँ मिलने की संभावनाएँ अधिक होती हैं.
  • मछुआरों द्वारा अधिक शिकार प्राप्त करने के लिये प्रयोग किये जाने वाले उपकरणों तथा अनियंत्रित शिकार से समुद्री जीवों की आबादी में गिरावट के साथ समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को भी भारी क्षति होती है.
  • ऐसे में विश्व के सभी देशों को राजनीति मतभेदों को दूर रखते हुए समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा हेतु मिलकर प्रयास करने चाहिये.

गैलापागोस द्वीप समूह

  • गैलापागोस द्वीप समूह प्रशांत महासागर स्थित है और यह लगभग 60,000 वर्ग किमी. में फैला है.
  • यह द्वीप समूह इक्वाडोर का हिस्सा है और दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप से लगभग 1,000 किमी. दूरी पर स्थित है.
  • इक्वाडोर द्वारा इस द्वीप समूह के एक हिस्से को वर्ष 1935 में ‘वन्यजीव अभयारण्य’ बना दिया गया था, इस अभयारण्य को वर्ष 1959 में गैलापागोस नेशनल पार्क में बदल दिया गया.
  • वर्ष 1978 में गैलापागोस द्वीप समूह कोयूनेस्को (UNESCO) द्वारा पहले विश्व धरोहर स्थल के रूप में चिह्नित किया गया था. 
  • इस द्वीप समूह पर मांटा रे (Manta Ray) और शार्क जैसे जलीय प्रजातियाँ पाई जाती हैं.
  • साथ ही इन द्वीपों पर समुद्री इगुआना, फर सील और वेब्ड अल्बाट्रोस जैसे कई जलीय वन्यजीवों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं.
  • ब्रिटिश वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन ने वर्ष 1835 में इस द्वीप समूह पर कुछ महत्त्वपूर्ण अध्ययन किये थे जिसने उनके विकासवाद के सिद्धांत में अहम भूमिका निभाई थी.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
 

समुद्री मत्स्य आखेट को लेकर चीन की आक्रामक गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए अपना मन्तव्य प्रस्तुत करें.


GS Paper 2 Source : Indian Express

indian_express

UPSC Syllabus : India and its Neighbourhood

Topic : 1947 Tripartite Agreement on Gurkha soldiers

संदर्भ

हाल ही में नेपाल के विदेश मंत्री द्वारा गोरखा सैनिकों की सैन्य सेवाओं से संबंधित सन 1947 में नेपालभारत और ब्रिटेन के बीच हुए त्रिपक्षीय समझौते को निरर्थक बताया गया है.

गोरखा सैनिकों संबंधी समझौता

  1. वर्ष 1814-16 में हुए एंग्लो-नेपाली युद्ध के बाद साल 1815 में अंग्रेजों द्वारा सेना में गोरखा सैनिकों की भर्ती करने का फैसला किया गया.
  2. वर्ष 1947 में भारत की स्वतंत्रता के समय ब्रिटिश सेना में गोरखा सैनिकों की 10 रेजिमेंट्स थी, इनके बटबारे को लेकर ब्रिटेन-भारत-नेपाल के बीच त्रिपक्षीय समझौता किया गया था.
  3. इस समझौते के तहत ब्रिटिश साम्राज्य की गोरखा रेजिमेंट्स को भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच बाँट दिया गया.
  4. इसमें यह भी आश्वासन दिया गया, कि गोरखा सैनिकों को दोनों सेनाओं में भारतीय और ब्रिटिश सैनिकों की भाँति ही वेतन, भत्ते, सुविधाएं और पेंशन दी जायेगी.

वर्तमान विवाद का विषय

  1. गत कुछ समय से, सेवानिवृत्त गोरखा सैनिक ब्रिटेन पर उनके साथ भेदभाव करने का आरोप लगा रहे हैं.
  2. हाल ही में कालापानी क्षेत्र को लेकर हुए नेपाल-भारत क्षेत्रीय विवाद की पृष्ठभूमि में भारतीय सेना में सेवारत गोरखाओं के संदर्भ में नेपाल द्वारा प्रमुखता से आपत्तियों को उठाया गया है.

नेपाल द्वारा उठाये गए कदम

  1. नेपाल द्वारा गोरखा सैनिकों के सुरक्षित भविष्य के संबंध में यूनाइटेड किंगडम से 1947 के समझौते की समीक्षा करने के लिए पत्र लिखा है.
  2. इसके अतिरिक्त, नेपाल वर्ष 1947 में किये गए इस समझौते को समाप्त करने की योजना बना रहा है.

ब्रिटिश सेना में गोरखा सैनिक

  1. वर्तमान में, ब्रिटिश सेना में गोरखाओं की संख्या 3% है तथा वर्ष 2015 में गोरखाओं को ब्रिटिश सेना में 200 वर्ष पूरे हो गए.
  2. ब्रिटिश सेना में गोरखाओं को खूँखार और वफादार के रूप में जाने जाते है तथा उच्च सम्मान दिया जाता है. सेना में गोरखाओं को पैदल सेना (Infantry) के अलावा इंजीनियरिंग कोर तथा लोजिस्टिक कोर में भी भर्ती किया जाता है.
  3. उनका प्रसिद्ध हथियार, खुखरी, अपनी आकृति तथा ऐतिहासिक उपयोगिता के लिए विख्यात है, तथा यह ब्रिटेन के साथ-साथ भारत में भी गोरखा रेजिमेंट के प्रतीक चिन्ह का एक भाग है.
  4. ब्रिटेन की रानी एलिजाबेथ द्वितीय की सुरक्षा दो निजी गोरखा अधिकारियों की जाती है.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
 

सामरिक दृष्टि से चीन ने नेपाल के ऊपर अपना प्रभाव बढ़ा दिया है, ऐसे में भारत को नेपाल से अच्छे सम्बन्ध स्थापित करने हेतु अब अधिक ध्यान देने की आवश्कता है. इस कथन की विश्लेषणात्मक समीक्षा करें.


GS Paper 2 Source : The Hindu

the_hindu_sansar

UPSC Syllabus : Security challenges and their management in border areas; linkages of organized crime with terrorism.

Topic : Public Safety Act

संदर्भ

पिछले वर्ष 5 अगस्त को जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया था. इसके लगभग एक साल के बाद भी, जम्मू-कश्मीर में क्षेत्रीय पार्टियों के दो दर्जन से अधिक प्रमुख नेता अपने घरों में नजरबंद हैं.

इसके पूर्व राज्य को अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जा प्राप्त था, विशेष दर्जे की समाप्ति के साथ ही अनुच्छेद 35A को भी निरसित कर दिया गया.

इस प्रकार के उपायों से संबंधित चिंताएं

  1. बिना किसी प्रशासनिक आदेश के गृह-नजरबंदी अवैध है.
  2. यह मानव अधिकारों तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन है. यहाँ तक ​​कि अदालतों में भी नजरबंद कश्मीरी नेताओं की याचिकाओं पर सुनवाई नही हुई है, और इन्हें सरकार की दया छोड़ दिया गया है.

सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम लगाये जाने का निहितार्थ

  • PSA लगाये जाने के अंतर्गत गिरफ्तारी के आदेश पारित होने के चार सप्ताह के भीतर सरकार को मामले को एक परामर्शी बोर्ड में भेजना पड़ता है. यह बोर्ड आदेश पारित होने के आठ सप्ताह के भीतर अपनी अनुशंसा देता है. यदि बोर्ड समझता है कि बंदीकरण के पीछे ठोस कारण है तो सरकार गिरफ्तारी की अवधि दो वर्ष तक बढ़ा सकती है.
  • PSA में गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी के विरुद्ध कोर्ट में चुनौती देने का अधिकार होता है, परन्तु परामर्शी बोर्ड के समक्ष उसे ऐसा अधिकार नहीं मिला हुआ है. यदि उसके पास ऐसे पर्याप्त आधार हैं जिससे गिरफ्तारी को अवैध सिद्ध किया जा सकता है, तभी वह इस बोर्ड के समक्ष जा सकता है.
  • PSA के कुछ ऐसे भी मामले हुए हैं जिनमें उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप किया है और गिरफ्तारी को निरस्त कर दिया है.
  • PSA के अनुभाग 13(2) के अनुसार, गिरफ्तार करते समय व्यक्ति को इसका कारण बताना आवश्यक नहीं होता यदि यह निर्णय हो कि ऐसा करना लोकहित के विरुद्ध है.

 जम्मू-कश्मीर जन सुरक्षा अधिनियम क्या है?

  • जम्मू-कश्मीर जन सुरक्षा अधिनियम अप्रैल 8, 1978 से लागू है.
  • यह अधिनियम विशेषकर इसलिए पारित किया गया था कि इमारती लकड़ियों की तस्करी को रोका जा सके.
  • इस अधिनियम के अनुसार सरकार चाहे तो 16 वर्ष से ऊपर की आयु वाले किसी भी व्यक्ति को बिना मुक़दमे के दो वर्ष तक बंदी बना सकती है.
  • अधिनियम के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति राज्य की सुरक्षा के विरुद्ध कार्य कर रहा है तो उसे दो वर्ष तक प्रशासनिक बंदी के रूप से बंदी बनाया जा सकता है. साथ ही यदि कोई व्यक्ति विधि-व्यवस्था के लिए खतरा हो तो उसे एक वर्ष के लिए बंदी बनाया जा सकता है.
  • अधिनियम के अंतर्गत किसी को बंदी बनाने के लिए आदेश प्रमंडल आयुक्त अथवा जिला मजिस्ट्रेट द्वारा निर्गत किया जा सकता है.
  • अधिनियम के अनुभाग 22 के अनुसार बंदी बनाए गये व्यक्ति के विरुद्ध न्यायालय में कोई वाद नहीं चलाया जा सकता.
  • अधिनियम के अनुभाग 23 में सरकार को यह शक्ति दी गई है कि वह अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप नियमावली बना सकती है.

इस कानून को “निर्मम” (DRACONIAN) क्यों कहा जाता है?

जम्मू-कश्मीर जन सुरक्षा अधिनियम का प्रारम्भ से दुरूपयोग होता रहा है. अलग-अलग सरकारों ने अपने राजनैतिक प्रतिद्वंदियों के विरुद्ध इस कानून का बार-बार दुरूपयोग किया है. अगस्त, 2018 में इस कानून को और भी कठोर करते हुए यह व्यवस्था की गई कि राज्य के बाहर का कोई भी व्यक्ति बंदी बनाया जा सकता है. बंदी बनाते समय अधिकारी चाहे तो अपनी कार्रवाई का कारण नहीं बता सकता है और कह सकता है कि ऐसा करना जनहित में नहीं है.

अधिनियम में बंदी बनाने के लिए जो आधार दिए गये हैं, वह अस्पष्ट हैं. इस कारण अधिकारियों की शक्ति बेलगाम हो जाती है. अधिनियम किसी बंदीकरण की न्यायिक समीक्षा का प्रावधान भी नहीं करता है. यदि उच्च न्यायालय किसी बंदी को छोड़ने का आदेश देता है तो सरकार उसे दुबारा बंदी बना कर के उसे कारावास में डाल देती है. इस अधिनियम का प्रयोग मानवाधिकार कर्मियों, पत्रकारों आदि के विरुद्ध होता रहा है.

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
 

क्या आपको लगता है कि सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम आवश्कता से अधिक कठोर है? अपना मत प्रकट करें.


GS Paper 3 Source : Indian Express

indian_express

UPSC Syllabus : Growth & Development, Indigenization of Technology, Industrial Policy.

Topic : What is the production linked incentive scheme for electronics manufacturers?

संदर्भ

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology– MeitY) की इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स विनिर्माण उत्‍पादन प्रोत्‍साहन योजना” के अंतर्गत मोबाइल फ़ोन तथा अन्य इलेक्ट्रोनिक कलपुर्जों के निर्माण के संबंध में सैमसंग, पेगाट्रॉन, फ्लेक्स और फॉक्सकॉन जैसे वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स दिग्गज सरकार के साथ वार्ता के अंतिम चरण में हैं.

इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स विनिर्माण उत्‍पादन प्रोत्‍साहन योजना

उत्‍पादन संबद्ध प्रोत्‍साहन (Production Linked Incentive– PLI ) योजना को राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति के एक अंग के रूप में 1 अप्रैल, 2020 को अधिसूचित किया गया था.

इस योजना के अंतर्गत घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देने और इलेक्ट्रॉनिक घटकों के निर्माण में व्यापक निवेश को आकर्षित करने के लिये वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किये जाते है.

योजना की प्रमुख विशेषताएँ

  1. इस योजना के अंतर्गत भारत में निर्मित और लक्षित क्षेत्रों में शामिल वस्तुओं की वृद्धिशील बिक्री (आधार वर्ष) पर पात्र कंपनियों को 5 वर्ष की अवधि के लिये 4-6 प्रतिशत तक की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी. प्रोत्साहन राशि की गणना के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 को आधार वर्ष माना जायेगा.
  2. इस योजना के अंतर्गत आवेदन करने लिए प्रारम्भ में 4 मास का समय दिया गया है, जिसे बाद में बढ़ाया जा सकता है.
  3. इस योजना का कार्यान्वयन एक नोडल एजेंसी के माध्यम से किया जाएगा, यह नोडल एजेंसी एक परियोजना प्रबंधन एजेंसी (Project Management Agency– PMA) के रूप में कार्य करेगी तथा समय-समय पर MeitY द्वारा सौंपे गए सचिवीय, प्रबंधकीय और कार्यान्वयन सहायता प्रदान करने संबधी कार्य करेगी.

पात्रता

  1. योजना के अनुसार, 15,000 रुपये अथवा उससे अधिक मूल्य के मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों को इस प्रकार के भारत में निर्मित सभी मोबाइल फोन की बिक्री पर 6 प्रतिशत तक की प्रोत्साहन राशि दी जायेगी.
  2. इसी श्रेणी में, भारतीय नागरिकों के स्वामित्व में मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों को अगले चार वर्षों में 200 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जायेगी.

निवेश का प्रकार

  1. सभी भारतीय इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण कंपनियां अथवा भारत में पंजीकृत इकाईयां योजना के अंतर्गत आवेदन की पात्र होंगी.
  2. ये कंपनियां प्रोत्साहन राशि के लिए किसी नई इकाई का निर्माण कर सकती अथवा भारत में विभिन्न स्थानों पर कार्यरत अपनी मौजूदा इकाइयों के लिए प्रोत्साहन राशि की मांग कर सकती हैं.
  3. हालांकि, किसी परियोजना के लिए भूमि और इमारतों पर कंपनियों द्वारा किए गए निवेश को प्रोत्साहन राशि के लिए गणना करते समय निवेश के रूप में नहीं माना जायेगा.

इस प्रकार की योजनाओं की आवश्यकता

भारत, घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर विनिर्माण क्षेत्र में, अन्य प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में पिछड़ा हुआ है. इस क्षेत्र में, पर्याप्त अवसंरचना, घरेलू आपूर्ति श्रृंखला और लॉजिस्टिक, उच्च वित्तीय लागत; ऊर्जा की अपर्याप्त आपूर्ति; सीमित डिजाइन क्षमताएं और उद्योगों द्वारा अनुसंधान एवं विकास पर अपेक्षाकृत कम व्यय तथा कौशल विकास में कमी के कारण लगभग 8.5% से 11% का नुकसान होता है.

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
 

इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के विनिर्माण में भारत के पिछड़ेपन की सकारण चर्चा करें.


GS Paper 3 Source : PIB

pib_logo

UPSC Syllabus : Infrastructure- roadways.

Topic : National Transit Pass System

संदर्भ

नेशनल ट्रांजिट पास सिस्टम, टिम्बर (लकड़ी), बांस और अन्य वन उपजों के लिए एक ऑनलाइन पारगमन पास जारी करने वाली प्रणाली है.

  1. इसे हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा आरंभ किया गया है.
  2. प्रारंभ में, नेशनल ट्रांजिट पास सिस्टम को प्रायोगिक परियोजना के रूप में मध्य प्रदेश और तेलंगाना में प्रारम्भ किया जाएगा.

क्रियाविधि

  1. इसके लिए आवेदक को सिस्टम में पंजीकरण कराना होता है, उसके बाद ट्रांजिट पास के लिए आवेदन किया जा सकता है.
  2. ऑनलाइन आवेदन संबंधित रेंज के वन कार्यालय में चला जाता है. इसके पश्चात राज्य विशिष्ट प्रक्रियानुसार सत्यापन करने के पश्चात ट्रांजिट पास जारी कर दिया जाएगा.
  3. आवेदक, को पास जारी होने संदेश भेजा जाएगा, और वह पारगमन पास को डाउनलोड कर सकता है.

महत्त्व

ट्रांजिट पास जारी करने की प्रक्रिया तेजी लायेगी. इस प्रणाली से निर्गत किया गया पारगमन पास पूरे भारत में मान्य होगा, तथा इससे वनोपज के निर्बाध आवागमन में वृद्धि होगी.


Prelims Vishesh

Bharat Air Fibre Services :-

  • भारत सरकार की डिजिटल इंडिया पहल के एक अंग के रूप में BSNL ने भारत एयर फाइबर सेवाएँ आरम्भ की हैं जिनका उद्देश्य BSNL की लोकेशन के 20 किलोमीटर की परिधि में बेतार कनेक्टिविटी उपलब्ध कराना है जिससे कि दूरस्थ स्थानों में रहने वाले ग्राहकों को लाभ पहुँच सके.
  • ज्ञातव्य है कि दूरसंचार अवसंरचना प्रतिभागीगण (Telecom Infrastructure Partners – TIPs) के सहयोग से BSNL सबसे सस्ती सेवाएँ प्रदान करता है.

Dhole :-

  • दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के उष्णकटिबंधीय जंगलों में समूह बनाकर रहने वाला सर्वभक्षी कुत्ता ढोल IUCN की लाल सूची में संकटग्रस्त (Endagenered) बताया जाता है.
  • CITES के परिशिष्ट II (Appendix II) एवं वन्यजीव अधिनियम की अनुसूची II में इसे स्थान दिया गया है.
  • इन जंगली कुत्तों को गाँव-देहात के कुत्तों से सम्पर्क होने पर कई प्रकार के रोग लग जाते हैं. पिछले दिनों एक नए अध्ययन से पता चला है कि ढोल प्रजाति के संरक्षण की दिशा में कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश ने अच्छा काम किया है.

Mandarin :-

  • पिछले दिनों प्रकाशित राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विद्यालयों में पढ़ाई जाने वाली विदेशी भाषाओं की सूची से मेंडरिन भाषा को न निकाल दिया गया है.
  • ज्ञातव्य है कि चीन और ताइवान में सरकार और शिक्षा में इसी भाषा का प्रयोग होता है, परन्तु होंग-कोंग और मकाऊ में केंटोनीज भाषा चलती है जोकि चीनी भाषा की एक स्थानीय बोली है.

Places in News- Barakah Nuclear Energy Plant :-

  • कोरिया विद्युत् ऊर्जा निगम के नेतृत्व में विशेषज्ञों के समूह ने संयुक्त अरब अमीरात के बराक आणविक ऊर्जा संयंत्र में पहले आणविक रिएक्टर को सफलतापूर्वक चालू किया है.
  • विदित हो कि बराक एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ आशीर्वाद होता है.

Places in News- Agatti island :-

  • लक्षद्वीप संघीय क्षेत्र के अन्दर आने वाले अगत्ती (Agatti) नामक 7.6 किलोमीटर लम्बे प्रवालीय द्वीप में बीच रोड (Beach Road) नामक मार्ग बनाने के लिए वहां के अनेक नारियल पेड़ काटे जा रहे हैं.
  • पिछले दिनों राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) ने इन पेड़ों के गिराने पर अंतरिम रोक लगा दी है.

UK Plans Coin In Mahatma Gandhi’s Honour :-

  • आजकल काले, एशियाई तथा अन्य अल्पसंख्यक जातीय समुदायों के लोगों के योगदान को मान्यता देने का चलन बढ़ता जा रहा है.
  • इसे देखते हुए ब्रिटेन सोच रहा है कि वह महात्मा गांधी की याद में एक सिक्का चलाये.

Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Sansar DCA

June, 2020 Sansar DCA is available Now, Click to Download

Spread the love
Read them too :
[related_posts_by_tax]