Sansar Daily Current Affairs, 03 December 2019
GS Paper 2 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes; mechanisms, laws, institutions and bodies constituted for the protection and betterment of these vulnerable sections
Topic : Inner Line Permit (ILP)
संदर्भ
नागरिकता (संशोधन) विधेयक को पास कराने के अपने उद्देश्य का संकेत देते हुए बीजेपी ने हाल ही में अपने सांसदों को निर्देश दिया है कि वह आने वाले दिनों में बड़ी संख्या में संसद में मौजूद रहें.
देश के गृह मंत्री ने सिविल सोसाइटी समूहों और राजनीतिक प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि प्रस्तावित नागरिकता विधेयक में पूर्वोत्तर में सभी हितधारकों की जातीय-सांस्कृतिक चिंताओं का ध्यान रखा जाएगा और विधेयक ऐसे क्षेत्रों और राज्यों को सुरक्षा प्रदान करेगा जहाँ इनर लाइन परमिट (ILP) लागू है, और संविधान की छठी अनुसूची के तहत स्वायत्त प्रशासन प्रदान किया गया है.
विवाद क्या है?
विदित हो कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है.
- यदि इस विधेयक को इनर लाइन परमिट व्यवस्था वाले राज्यों से अलग रखा जाएगा तो इसका यह अर्थ होगा कि नागरिक (संशोधन) विधेयक के लाभार्थी भारत के नागरिक तो बन जाएँगे, परन्तु इन राज्यों में बस नहीं सकेंगे.
- वस्तुतः ऐसा प्रतिबंध भारत के नागरिकों पर पहले से ही लागू है.
- इनर लाइन परमिट प्रणाली की माँग अब असम, त्रिपुरा और मेघालय भी कर रहे हैं.
इनर लाइन परमिट
- ज्ञातव्य है कि 2015 में यह विधेयक पारित हो चुका था पर इसपर राष्ट्रपति की स्वीकृति नहीं मिली थी.
- इस सन्दर्भ ध्यान देने योग्य बात है कि मणिपुर एक छोटी आबादी वाला राज्य है.
- परन्तु यहाँ बहुत सारे पर्यटक आते हैं तथा साथ ही बांग्लादेश, नेपाल और बर्मा के निवासी भी यहाँ आकर रहने लगे हैं.
- इससे जनसंख्या का स्वरूप असंतुलित हो गया है.
- इस कारण यहाँ के मूल निवासी घबरा गए हैं. उन्हें डर है कि उनकी नौकरियों और आजीविकाओं को राज्य के बाहर के लोग छीन रहे हैं.
- यह सब देखते हुए मणिपुर सरकार ने 2015 में एक विधेयक पारित किया था.
- Inner Line Permit भारत सरकार द्वारा जारी किया जाने वाला एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज है जो भारत के किसी नागरिक को किसी संरक्षित क्षेत्र के भीतर सीमित अवधि के लिए प्रवेश की छूट देटा है.
- ज्ञातव्य है कि मणिपुर भी एक संरक्षित क्षेत्र है.
- फिलहाल Inner Line Permit की आवश्यकता भारतीय नागरिकों को तब होती है जब वह इन तीन राज्यों प्रवेश करना चाहते हैं – अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड.
- इस विधेयक के पास हो जाने पर मणिपुर में भी यह परमिट लागू हो गया है.
- वर्तमान में यह परमिट मात्र यात्रा के लिए निर्गत होते हैं.
- इसमें यह प्रावधान है कि ऐसे यात्री सम्बंधित राज्य में भूसंपदा नहीं खरीद सकेंगे.
GS Paper 2 Source: Indian Express
UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.
Topic : Australia’s points-based visa policy
संदर्भ
अकुशल जनों का यूनाइटेड किंगडम में प्रवेश रोकने के उद्देश्य से वहाँ के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने वचन दिया है कि वे जनवरी 1, 2021 से ऑस्ट्रेलियाई शैली में बिन्दुओं पर आधारित वीजा की नीति (points-based visa policy) लायेंगे.
बिन्दुओं पर आधारित वीजा की नीति क्या है?
बिन्दुओं पर आधारित वीजा के लिए अलग-अलग श्रेणियों के लिए अंक दिए जाते हैं. ये श्रेणियाँ हो सकती हैं – आयु, अंग्रेजी में कुशलता, कार्यानुभव आदि.
अधिकारीगण एक कट-ऑफ निर्धारित करेंगे और उसी व्यक्ति को वीजा दी जायेगी जिसके अंक उस कट-ऑफ तक पहुंचेंगे.
ऑस्ट्रेलिया में इस प्रकार का वीजा प्राप्त कर के कोई भी आव्रजक देश में कहीं भी रह कर स्थायी रूप से काम कर सकता है और अपने योग्यताप्राप्त सम्बन्धियों को स्थायी निवास के लिए स्पोंसर कर सकता है. कालांतर में ये लोग ऑस्ट्रेलिया की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में पंजीकृत हो सकते हैं और वहाँ के नागरिक भी बन सकते हैं.
वीजा के लिए जिन नौकरियों में कुशलता की अपेक्षा होती है, वे हैं – लेखाकार, अभिनेता, विमान अभियंता, विज्ञापन प्रबंधक, प्लम्बर, लेखक, बेकर, तैराकी प्रशिक्षक, यूरोलॉजिस्ट, सब्जी उत्पादक.
बिन्दुओं पर आधारित वीजा प्रणाली के लाभ
इस प्रणाली के माध्यम से जो कामगार ऑस्ट्रेलिया आते हैं, उनको नियोजनकर्ता के स्पोंसरशिप की आवश्यकता नहीं पड़ती है. इससे यह होता है कि वे अपने नियोजनकर्ता पर कम निर्भर रहते हैं और उन्हें नौकरी बदलने के लिए यूनाइटेड किंगडम की तरह उनकी अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती. फलतः ऐसे कामगारों के पास मोल-तोल की अधिक शक्ति हो जाती है है और वे प्रतिस्पर्धात्मक श्रम बाजार में अधिक सक्रिय रह पाते हैं.
आलोचना
बिंदु आधारित प्रणाली की सबसे आम आलोचना यह है कि इसमें आव्रजक कामगार नौकरी के लायक हैं या नहीं, इसको जानना कठिन होता है क्योंकि उनके पास नौकरी का कागज़ नहीं होता है. यदि वे किसी नियोजनकर्ता के माध्यम से आते तो स्पष्ट होता कि वे क्या काम कर सकते हैं. अतः बिंदु आधारित प्रणाली में सरकार को ही यह निर्णय लेना पड़ता है कि कौन आव्रजक नौकरी की कुशलता रखता है.
GS Paper 2 Source: Times of India
UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.
Topic : INSTEX – Instrument In Support Of Trade Exchanges
संदर्भ
पिछले दिनों यूरोप के छह देश – बेल्जियम, डेनमार्क, फिनलैंड, नीदरलैंड्स, नॉर्वे और स्वीडेन –INSTEX में शामिल हुए.
INSTEX क्या है?
INSTEX अर्थात् Instrument In Support Of Trade Exchanges एक भुगतान प्रणाली है. इस प्रणाली का प्रयोग यूरोपीय संघ ईरान के साथ व्यापार करने में कर रहा है. विदित हो कि अमेरिका ईरान के साथ मई 2018 में हुई आणविक संधि से हट गया है और उसने ईरान पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. इन प्रतिबंधों से बचने के लिए यूरोपीय संघ INSTEX प्रणाली को अपनाने जा रहा है.
INSTEX के मुख्य तथ्य
- INSTEX के माध्यम सेयूरोपीय संघ और ईरान प्रत्यक्ष वित्तीय लेन-देन का सहारा लिए बिना आपस में व्यापार कर सकेंगे.
- INSTEX को पेरिस में पंजीकृत किया गया है और इसकी आरम्भिक पूँजी 3,000 यूरो है. इसमें एक पर्यवेक्षण बोर्ड भी है जिसकी अध्यक्षता ब्रिटेन करता है. फ़्रांस और जर्मनी इस बोर्ड के अन्य सदस्य हैं.
- INSTEX परियोजना फ़्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन की सरकारों की योजना है जिसका यूरोपीय संघ के सभी 28 सदस्यों द्वारा औपचारिक अनुमोदन लिया जाना है.
- इस भुगतान प्रणाली का प्रयोग शुरू में अप्रतिबंधनीय व्यापार के लिए होगा जिसके अंदर मानव कल्याण के लिए उपयोगी सामग्रियाँ, जैसे – औषधि, भोज्य-पदार्थ, चिकित्सा उपकरण आदि आती हैं.
महत्ता
- अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने ईरान के साथ हुए आणविक समझौते से निकलने का एकपक्षीय निर्णय ले लिया है. इस निर्णय की काट के रूप में यह प्रणाली अपनाई गई है.
- INSTEX को लागू करने के निर्णय को मात्र ईरान और यूरोपीय संघ के रिश्तों के सन्दर्भ में देखना उचित नहीं होगा क्योंकि यह अमेरिकी नीतियों के प्रति यूरोपीय संघ के एक नए दृष्टिकोण को भी प्रदर्शित करता है. इससे यूरोपीय संघ की आर्थिक शक्ति सुदृढ़ होगी, इसमें कोई संदेह नहीं है.
- अमेरिका का कहना है कि उसने ईरान के प्रति अधिकतम दबाव बनाने की जो नीति अपनाई है, यदि यूरोपीय संघ उससे बच निकलना चाहे तो वह भी कठोर दंडों का पात्र हो जायेगा.
GS Paper 3 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life. Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.
Topic : Antibiotic resistance
संदर्भ
भारत में चिकित्सकों द्वारा एंटी-बायटिक लिखने की दर के विषय में भारतीय लोक स्वास्थ्य फाउंडेशन (Public Health Foundation of India – PHFI) के शोधकर्ताओं द्वारा किये गये एक नये प्रतिवेदन को प्रकाशित कर दिया गया है.
मुख्य निष्कर्ष
- भारत उन शीर्षस्थ देशों में है जहाँ लोग एंटी-बायटिक का प्रयोग करते हैं.
- निजी प्रक्षेत्र में एंटी-बायटिक बहुत अधिक लिखी जाती है जो कि 412 प्रति हजार व्यक्ति प्रति वर्ष है.
- एंटी-बायटिक का सबसे अधिक प्रयोग 0-4 वर्ष के बच्चों में होता है जोकि 636 प्रति हजार बच्चे प्रति वर्ष है. सबसे निम्न दर 10 वर्ष से 19 वर्ष के बीच के व्यक्तियों में है जोकि 280 प्रति हजार व्यक्ति प्रति वर्ष है.
- खुदरा प्रक्षेत्र में प्रति व्यक्ति एंटी-बायटिक की खपत 2012 से लेकर 2016 के पाँच वर्षों में लगभग 22% बढ़ी है.
एंटीबायटिक-प्रतिरोध क्या है?
- बैक्टीरिया, वायरस और कुछ परजीवियों में कभी-कभीजीवाणु विरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial resistance – AMR) की क्षमता उत्पन्न हो जाती है और इस कारण इस पर एंटीबायटिक, एंटीवायरल और एंटीमलेरिया दवाओं का कोई असर नहीं होता. फलतः संक्रमण के लिए प्रयोग होने वाली मानक दवाएँ व्यर्थ हो जाती हैं और संक्रमण बना रहता है एवं अन्यत्र फ़ैल भी जाता है.
- जब कोई जीवाणु एक से अधिक दवा का प्रतिरोधी हो जाता है तो उस जीवाणु को मल्टीड्रग-प्रतिरोधक (multidrug-resistant) कहते हैं.
डॉक्टर चिंतित क्यों हैं?
जीवाणु प्रतिरोध वर्षानुवर्ष बढ़ता जा रहा है और ऐसे सुपरबग हावी होते जा रहे हैं जिनपर एंटीबायटिक दवाओं का असर बंद हो चला है. डॉक्टरों को डर है कि हमलोग धीरे-धीरे उस अवस्था में पहुँच रहे हैं जब संक्रमण जानलेवा सिद्ध हो जाए. उदाहरण के लिए ई-कोलाई में कोलिस्टिन एंटीबायटिक एक रामबाण दवा थी, परन्तु ई-कोलाई ने उसके विरुद्ध प्रतिरोध विकसित कर लिया है. साथ ही यह भी खतरनाक बात है कि एंटीबाय्रिक प्रतिरोध एक बैक्टीरिया से दूसरे बैक्टीरिया तक बहुत सरलता से पहुँच जाता है.
Prelims Vishesh
Power of Siberia :-
- पॉवर ऑफ़ साइबेरिया एक 3,000 किलोमीटर लम्बा पाइपलाइन है जिसके द्वारा रूस के सुदूरतम भागों से चीन के सुदूरतम भागों को अगले 30 वर्षों तक 1 ट्रिलियन घन मीटर प्राकृतिक गैस पहुँचाई जायेगी.
- यह पाइपलाइन चीन की Yangtze नदी और अमूर नदी की डेल्टाओं से होकर गुजरेगी.
First woman pilot in Navy :–
- सब-लेफ्टिनेंट शिवांगी स्वरूप ने पिछले दिनों डोर्नियर पायलट के लिए अपेक्षित अर्हता प्राप्त कर ली है और इस प्रकार वह भारतीय नौसेना की पहली महिला पायलट हो गई है.
- ज्ञातव्य है कि भारतीय वायुसेना में पहले से ये तीन महिला पायलट हो चुकी हैं – भावना कंठ, अवनि चतुर्वेद और मोहना सिंह.
India’s first maritime museum in Gujarat :–
- सरकार गुजरात के लोथल में एक राष्ट्रीय समुद्री धरोहर संग्रहालय स्थापित करने जा रही है जहाँ इन विषयों पर स्वतंत्र रूप से शोध किया जा सकेगा – नाव निर्माण का पुरातत्त्व, समुद्री इतिहास और वाणिज्य में प्रयोग होने वाली सामग्रियों की पुनः रचना.
- इस संग्रहालय में हिन्द महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हुए जलयानों की सामग्रियों का प्रदर्शन किया जाएगा.
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