Sansar डेली करंट अफेयर्स, 03 December 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 03 December 2020


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : Iran’s Nuclear Program

संदर्भ

हाल ही में ईरान की संसद द्वारा एक नए कानून को पारित किया गया है. इस नए कानून में ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर सख्त प्रावधान किए हैं.

पृष्ठभूमि

  • ईरान की संसद ने यह क़ानून ईरान के मुख्य परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह की हाल ही में हुई हत्या के बाद बनाया है. गौरतलब है कि परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह की हत्या के लिए ईरान ने इजरायल को दोषी ठहराया है. ईरान ने आरोप लगाया है कि उनके वैज्ञानिक की हत्या एक रिमोट नियंत्रित हथियार से की गई है.
  • गौरतलब है कि परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह, ईरान के रक्षा मंत्रालय के अनुसंधान एवं नवाचार केन्द्र के प्रमुख थे. उन्होंने ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम की शुरुआत की थी.
  • विदित हो कि 2015 के परमाणु समझौते के मुताबिक ईरान के यूरेनियम संवर्धन पर सीमा तय की गई थी. इसके बदले ईरान पर तेल निर्यात पर लगे प्रतिबंधों को हटा दिया गया था. दरअसल, तेल ही ईरान सरकार की आमदनी का मुख्य स्रोत है.
  • वर्ष 2015 में हुए ईरान परमाणु समझौते के तहत ईरान ने अपने करीब नौ टन अल्प संवर्धित यूरेनियम भंडार को कम करके 300 किलोग्राम तक करने की शर्त स्वीकार की थी. इस समझौते का उद्देश्य था परमाणु कार्यक्रमों को रोकना. इन शर्तों के बदले में पश्चिमी देश ईरान पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध हटाने पर सहमत हुए थे.

ईरान की संसद द्वारा पारित नए कानून से जुड़े बिंदु

  • ईरान की संसद द्वारा पारित नए कानून में प्रावधान किया गया है कि यदि ईरान पर लगे प्रतिबंध एक महीने में नहीं हटाये गए तो ईरान की परमाणु साइटों(nuclear sites) के निरीक्षण(inspection) पर संयुक्त राष्ट्र की ओर से किए जाने वाले निरीक्षण पर रोक लगा दी जाएगी .
  • इसके साथ ही ईरान अब यूरेनियम संवर्धन(uranium enrichment) को भी आगे बढ़ाएगा जिसे 2015 के परमाणु समझौते के तहत 3.67% तक सीमित कर दिया गया था.
  • ईरान की संसद द्वारा पारित नए कानून के तहत यूरोपीय देशों को एक महीने का समय दिया गया है कि वो ईरान के तेल और वित्तीय क्षेत्रों पर लगे प्रतिबंधों को कम कराएँ , जिन्हें अमेरिका द्वारा तेहरान और छह शक्तियों के बीच 2018 में ऐतिहासिक परमाणु समझौता छोड़ने के बाद लगाया गया था.
  • हालाँकि ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने इस क़ानून को मंज़ूरी मिलने से पहले कहा था कि वह इस नए कानून से असहमत हैं क्योंकि इससे ईरान की कूटनीति को नुक़सान पहुँच सकता है.

ईरान आणविक समझौता क्या है?

  • यह समझौता, जिसे Joint Comprehensive Plan of Action – JCPOA के नाम से भी जाना जाता है, ओबामा के कार्यकाल में 2015 में हुआ थी.
  • इरानियन आणविक डील इरान और सुरक्षा परिषद् के 5 स्थाई सदस्य देशों तथा जर्मनी के बीच हुई थी जिसे P5+1भी कहा जाता है.
  • यह डील ईरान द्वारा चालाये जा रहे आणविक कार्यक्रम को बंद कराने के उद्देश्य से की गई थी.
  • इसमें ईरान ने वादा किया था कि वह कम-से-कम अगले 15 साल तक अणु-बम नहीं बनाएगा और अणु-बम बनाने के लिए आवश्यक वस्तुओं, जैसे समृद्ध यूरेनियम तथा भारी जल के भंडार में भारी कटौती करेगा.
  • समझौते के तहत एक संयुक्त आयोग बनाया गया था जिसमें अमेरिका, इंग्लैंड, रूस, चीन, फ्रांस और जर्मनी के प्रतिनिधि थे. इस आयोग का काम समझौते के अनुपालन पर नज़र रखना था.
  • इस डील के अनुसार ईरान में स्थित आणविक केंद्र अमेरिका आदि देशों की निगरानी में रहेंगे.
  • ईरान इस डील के लिए इसलिए तैयार हो गया था क्योंकि आणविक बम बनाने के प्रयास के कारण कई देशों ने उसपर इतनी आर्थिक पाबंदियाँ लगा दी थीं कि उसकी आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई थी.
  • उल्लेखनीय है कि तेल निर्यात पर प्रतिबंध के कारण ईरान को प्रतिवर्ष करोड़ों पौंड का घाटा हो रहा था. साथ ही विदेश में स्थित उसके करोड़ों की संपत्तियां भी निष्क्रिय कर दी गई थीं.

अमेरिका समझौते से हटा क्यों?

अमेरिका का कहना है कि जो समझौता वह दोषपूर्ण है क्योंकि एक तरफ ईरान को करोड़ों डॉलर मिलते हैं तो दूसरी ओर वह हमास और हैजबुल्ला जैसे आतंकी संगठनों को सहायता देना जारी किये हुए है. साथ ही यह समझौता ईरान को बैलिस्टिक मिसाइल बनाने से रोक नहीं पा रहा है. अमेरिका का कहना है कि ईरान अपने आणविक कार्यक्रम के बारे में हमेशा झूठ बोलता आया है.

अमेरिका के निर्णय पर अन्य देशों और संगठनों की प्रतिक्रिया

  • JCPOA के अन्य भागीदार इस समझौते को भंग करने के पक्ष में नहीं है.
  • केवल दो देशों – सऊदी अरब और इजराइल ने अमेरिका का इस समझौते से पीछे हटने के निर्णय की सराहना की है.
  • अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) का कहना है कि अमेरिका के एकपक्षीय निर्णय से सम्पूर्ण समझौते की नींव ही हिल गई है. यदि अमेरिका इस समझौते से जुड़ा होता तो यह बहुत हद तक सम्भव था कि समझौते के हर-एक बिंदु को अंततः ईरान सहज स्वीकार कर लेता.
  • ट्रांस-पैसिफिक साझेदारी, पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते और उत्तरी अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौते से अलगाव के बाद, यह निर्णय अमेरिकी विश्वसनीयता को और कम करता है.
  • पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) में ईरान तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है. इस निर्णय के बाद ईरान की तेल आपूर्ति गिरकर 200,000 bpd और 1 मिलियन bpd के बीच हो सकती है. यह इस पर निर्भर करेगा कि वाशिंगटन के निर्णय का कितने अन्य देश समर्थन करते हैं.
  • तेल की कीमतों में संभावित वृद्धि हो सकती है जो वित्तीय बाजारों में अस्थिरता का कारण बन सकती है क्योंकि यूरोपीय देशों तक 37% तेल आपूर्ति ईरान द्वारा की जाती है. JCPOA के निर्माण के बाद व्यापार सम्बन्धों में कई आयामों का विकास हुआ है. अमेरिका द्वारा समझौते में स्वयं को अलग करना विशेष रूप से यूरोपीय देशों में इसकी विश्वसनीयता में कमी और NATO गठबंधन को कमजोर बना सकता है.
  • यह जनसामान्य के जीवन में अनेक कठिनाइयाँ पैदा करेगा.

भारत पर निर्णय के प्रभाव

तेल की कीमतें : ईरान वर्तमान में भारत का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता देश (इराक के बाद) है और कीमतों में कोई भी वृद्धि मुद्रास्फीति के स्तर और भारतीय रूपये दोनों को भी प्रभावित करेगी.

चाबहार : अमेरिकी प्रतिबंध चाबहार परियोजना के निर्माण की गति को धीमा कर सकते हैं अथवा रोक भी सकते हैं. भारत, बन्दरगाह हेतु निर्धारित कुल 500 मिलियन डॉलर के व्यय में इसके विकास के लिए लगभग 85 मिलियन डॉलर का निवेश कर चुका है, जबकि अफ़ग़ानिस्तान के लिए रेलवे लाइन हेतु लगभग 1.6 अरब डॉलर तक का व्यय हो सकता है.

भारत, INSTC (International North–South Transport Corridor) का संस्थापक है. इसकी अभिपुष्टि 2002 में की गई थी. 2015 में JCPOA पर हस्ताक्षर किये जाने के बाद ईरान से प्रतिबन्ध हटा दिए गये और INSTC की योजना में तीव्रता आई. यदि इस मार्ग से सम्बद्ध कोई भी देश या बैंकिंग और बीमा कम्पनियाँ INSTC योजना से लेन-देन करती है तथा साथ ही ईरान के साथ व्यापार पर अमेरिकी प्रतिबंधों का अनुपालन करने का निर्णय लेती हैं तो नए अमेरिकी प्रतिबंध INSTC के विकास को प्रभावित करेंगे.


GS Paper 3 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : World Trade Report 2020

हाल ही में विश्व व्यापार संगठन (WTO) द्वारा वर्ष 2020 की विश्व व्यापार प्रतिवेदन (World Trade Report) निर्गत किया गया.

मुख्य बिन्दु

  • विश्व व्यापार प्रतिवेदन एक वार्षिक प्रकाशन है, जिसका उद्देश्य व्यापार में आई प्रवृत्तियों, व्यापार नीति के मुद्दों और बह्दुपक्षीय व्यापार प्रणाली के बारे में समझ को सुदृढ़ करना है.
  • विश्व व्यापार प्रतिवेदन 2020 शीघ्रता से डिजिटल होती विश्व अर्थव्यवस्था में नवाचार एवं प्रौद्योगिकी नीतियों की भूमिका का पर्यवेक्षण करती है. साथ ही, इस परिवर्तित होते संदर्भ में विश्व व्यापार संगठन की भूमिका की व्याख्या करती है.

इस वर्ष के प्रतिवेदन की प्रमुख विशेषताएँ  

  • डिजिटल युग में, सरकारों द्वारा व्यापक रूप से नवायार एवं तकनीकी उन्‍नयन के माध्यम से विकास को बढ़ावा देने पर लक्षित नीतियां अपनाई जा रही हैं.
  • भारत में, ‘डिजिटल इंडिया” पहल का उद्देश्य डिजिटल बुनियादी ढांचे का विस्तार करना और नागरिकों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाना है.
  • रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था के प्रति संक्रमण का सकारात्मक और ऋणात्मक प्लवन (प्रसरणशील) प्रभाव हो सकता है.
  • सकारात्मक प्लवन प्रभाव (positive spillovers): संवृद्धि करना, नए बाजार निर्मित करना और प्रौद्योगिकी प्रसार को प्रोत्साहित करना.
  • ऋणात्मक प्लवन प्रभाव (negative spillovers): व्यापार को विकृत करना, निवेश का दिक्‌-परिवर्तन करना या कुछ डिजिटल उद्योगों के शीर्ष स्तर के प्रतिस्पर्धियों द्वारा सभी लाभ प्राप्त करने की संभावना के साथ अनुचित प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना. ज्ञातव्य है की कोविड-19 महामारी के कारण डिजिटल प्लेटफॉर्म और प्रौद्योगिकियों की ओर स्थानांतरण की गति तीव्र होने की संभावना है.

अनुशंसाएँ

यह रिपोर्ट प्रशुल्क, निवेश और कर प्रोत्साहनों पर अधिक केंद्रित पारंपरिक नीतियों की बजाय, नई नीतियों की अनुशंसा करती है, जैसे कि सहयोगात्मक अनुसंधान एवं विकास का समर्थन, संकुलन के माध्यम से ज्ञान का प्रसार, प्रौद्योगिकिय केंद्र, डेटा नीतियां आदि.

विश्व व्यापार संगठन (WTO)

  • विश्व व्यापार संगठन का इतिहास 15 अप्रैल, 1994 से प्रारम्भ होता है जब मोरक्को के एक शहर “मराकेश” में चार दिवसीय वार्ता प्रारम्भ हुई थी. इस सम्मेलन की अध्यक्षता “प्रशुल्क एवं व्यापार पर सामान्य समझौता”, जिसे “गैट/GATT” कहते हैं, के प्रथम महानिदेशक पीटर सदरलैंड ने की थी. वस्तुतः इसी सम्मलेन में “गैट” को नया नाम “विश्व व्यापार संगठन/Word Trade Organization/WTO” दिया गया. यह संगठन 1 जनवरी, 1995 से अस्तित्व में आया. इसके प्रथम स्थायी अध्यक्ष इटली के एक प्रमुख व्यवसायी रेनटो रुगियरो (Renato Ruggiero) बनाए गये.
  • विश्व व्यापार संगठन (WTO) वास्तव में विश्व की भावी अर्थव्यवस्था को नियंत्रित एवं संचालित करने वाला एक दस्तावेज है, जो गैट के पुराने स्वरूप में संशोधन कर व्यापार का विस्तार कर रहा है.

विश्व व्यापार संगठन का उद्देश्य

  • पीटर सदरलैंड ने अपने एक भाषण में कहा था कि विश्व व्यापार संगठन का उद्देश्य विश्व के देशों को व्यापार एवं तकनीकी क्षेत्रों में एक नई राह पर लाना है. World trade organization का मुख्य उद्देश्य विश्व में मुक्त, अधिक पारदर्शी तथा अधिक अनुमन्य व्यापार व्यवस्था को स्थापित करना है.
  • विश्व व्यापार संगठन ठोस कानूनी तंत्र पर आधारित है. इसके समझौतों की सदस्य देशों के सांसदों द्वारा पुष्टि की गई है. विश्व व्यापार संगठन पर किसी एक देश का अधिकार नहीं है. महत्त्वपूर्ण फैसले सदस्य देशों के निर्दिष्ट मंत्रियों द्वारा किये जाते हैं. ये मंत्रीहर दो साल में कम-से-कम एक बार जरुर मिलते हैं.
  • विश्व व्यापार संगठन (WTO) के पास विभिन्न देशों के व्यापारिक मतभेदों को सुलझाने की शक्ति प्राप्त है.

और अधिक जानकारी के लिए पढ़ें > विश्व व्यापार संगठन


GS Paper 2 Source : The Economic Times

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UPSC Syllabus : Salient features of the Representation of People’s Act.

Topic : Plea in SC to nullify election results if maximum votes in favour of NOTA

संदर्भ

हाल ही में, एक वकील द्वारा उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गयी है, जिसमें किसी निर्वाचन क्षेत्र में नोटा (उपरोक्त में से कोई भी नहींविकल्प) / NOTA  (‘None of the above’ option) के पक्ष में अधिकतम मतदान होने पर पुनः चुनाव कराए जाने के संदर्भ में दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गयी है.

इसके अलावा, NOTA से पराजित वाले किसी भी उम्मीदवार को नए सिरे से चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

याचिका में दिए गए तर्क

  1. यदि मतदाताओं द्वारा NOTA के पक्ष में मतदान करके उम्मीदवारों को खारिज कर दिया जाए, तो नए चुनावों में राजनीतिक दलों को पुनः उन्ही उम्मीदवारों को उतारने पर प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए. राजनीतिक दलों को यह स्वीकार स्वीकार करना चाहिए कि मतदाताओं ने पहले ही अपने असंतोष को स्पष्ट रूप से व्यक्त कर दिया है.
  2. अस्वीकार करने का अधिकार (Right to Reject) और नए उम्मीदवार का चुनाव, मतदाताओं को अपना असंतोष व्यक्त करने की शक्ति देगा.
  3. अस्वीकार करने का अधिकार/ राईट टू रिजेक्ट, भ्रष्टाचार, अपराधीकरण, जातिवाद, सांप्रदायिकता पर अंकुश लगाएगा. राजनीतिक दल, ईमानदार और देशभक्त उम्मीदवारों को टिकट देने के लिए विवश होंगे.

अस्वीकार करने का अधिकार

  1. अस्वीकार करने का अधिकार (Right to Reject) को पहली बार वर्ष 1999 में विधि आयोग द्वारा प्रस्तावित किया गया था.
  2. इसी तरह, चुनाव आयोग ने, पहली बार वर्ष 2001 में, जेम्स लिंगदोह (तत्कालीन मुख्य निर्वाचन आयुक्त) के तहत, ‘राइट टू रिजेक्ट’ का समर्थन किया और इसके पश्चात वर्ष 2004 में टी.एस. कृष्णमूर्ति (तत्कालीन CEC) द्वारा प्रस्तावित चुनावी सुधारों में इसका समर्थन किया गया.
  3. इसके अलावा, वर्ष 2010 में कानून मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए ‘चुनावी सुधारों पर आवश्यक पत्र (Background Paper on Electoral Reforms) ने प्रस्ताव किया गया था कि एक निश्चित प्रतिशत सीमा से अधिक नकारात्मक मतदान होने पर चुनाव परिणाम को शून्य घोषित करके नए चुनाव आयोजित कराए जाने चाहिए.

NOTA क्या है?

  • 2013 में ने सुप्रीम कोर्ट लोक सभा और विधान सभाओं के लिए NOTA के प्रयोग का विधान किया था.
  • 2014 में यह विकल्प राज्यसभा चुनाव के लिए भी घोषित किया गया.
  • इस प्रकार भारत NOTA का प्रयोग करने वाला विश्व का 14वाँ देश बन गया था.
  • NOTA का चिन्ह National Institute of Design (NID) अहमदाबाद द्वारा निर्मित किया गया हैं.
  • 16वें लोकसभा चुनाव में 60 लाख मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग किया था.
  • नोटा का सर्वाधिक प्रयोग पुडुचेरी में किया गया था.

NOTA अच्छा क्यों है?

  • NOTA के विकल्प के कारण राजनैतिक दल इमानदार उम्मीदवार खड़ा करने के लिए विवश हो जायेंगे.
  • नोटा लोगों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करता है.
  • NOTA के प्रयोग से मतदान का प्रतिशत बढ़ेगा.

GS Paper 3 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Space technology.

Topic : Hayabusa2 Spacecraft

संदर्भ

जापान का अन्तरिक्ष यान हायाबुसा-2 सुदूर अन्तरिक्ष में स्थित क्षुद्रग्रह से नमूने लेकर धरती को ओर लौट रहा है.

HAYABUSA 2 क्या है?

  • Hayabusa 2 एक जापानी खोजी यान है जिसमें आदमी नहीं होता है. यह 2014 में जापान के Tanegashima Space Centre से H-IIA rocket से छोड़ा गया था. यह छह वर्ष तक काम करेगा और Ryugu क्षुद्रग्रह से खनिज नमूने लाएगा.
  • Hayabusa 2 फ्रांस और जर्मनी का एक भूमि पर उतरने वाला वाहन भी छोड़ेगा जिसका नाम MASCOT (Mobile Asteroid Surface Scout) है.
  • इस खोजी यान का आकार एक बड़े फ्रिज इतना है. इसमें सौर पैनल लगे हुए हैं.
  • विदित हो कि Hayabusa 1 पहला ऐसा खोजी यान था जो क्षुद्रग्रह की खोज करने के लिए प्रक्षेपित हुआ था. Hayabusa जापानी भाषा में बाज को कहते हैं. Hayabusa 2 इसी का उत्तराधिकारी है.
  • यदि सबकुछ ठीक रहा तो Hayabusa 2 2020 तक पृथ्वी पर मिट्टी के नमूने लेकर लौट आएगा.

अभियान का माहात्म्य

Ryugu एक C-श्रेणी का क्षुद्रग्रह है जिसे सौर मंडल के प्रारम्भिक काल का अवशेष माना जाता है. वैज्ञानिकों का विचार है कि C-श्रेणी के क्षुद्रग्रहों में जैव-पदार्थ के साथ –साथ फंसा हुआ जल भी होता है. अतः हो सकता है कि इनके माध्यम से ही पृथ्वी पर ये दोनों वस्तुएँ आई हों और इस प्रकार हमारी धरती पर जीवन के उद्भव में सहायता पहुँचाई हो.

RYUGU क्या है?

Ryugu एक C-टाइप क्षुद्रग्रह है जिसके बारे में माना जाता है कि वह सौर प्रणाली के प्रारम्भिक दिनों का बचा हुआ अवशेष है. वैज्ञानिकों के अनुसार C-टाइप क्षुद्रग्रह वे क्षुद्रग्रह होते हैं जिनमें जैव-पदार्थ के साथ-साथ पानी भी छुपा होता है और इन्हीं के कारण पृथ्वी में जीवन की उत्पत्ति के लिए आवश्यक पदार्थ पहुँचे.


GS Paper 3 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Conservation related issues.

Topic : World Heritage Outlook -3

संदर्भ

हाल ही में IUCN वर्ल्ड हेरिटेज आउटलुक 3 निर्गत किया गया. इस प्रतिवेदन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि पश्चिमी घाटों सहित दुनिया के 252 प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थलों का संरक्षण उन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त है अथवा नहीं.

मुख्य तथ्य

  • यूनेस्को ने 2012 में पश्चिमी घाट को एक प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थल के रूप में चिह्नित किया था.
  • इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) की प्रतिवेदन में कहा गया है कि दक्षिणी भारत के इस विरासत स्थल पर जनसंख्या दबाव, शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन का खतरा है.

प्रतिवेदन के मुख्य निष्कर्ष

  • इस प्रतिवेदन में कहा गया है कि पश्चिमी घाट में पर्वत श्रृंखला का संरक्षण दृष्टिकोण महत्त्वपूर्ण चिंता का विषय है.
  • इस प्रतिवेदन में यह भी बताया गया है कि पश्चिमी घाट में सड़कों के निर्माण, मौजूदा सड़कों के चौड़ीकरण आदि के कारण वन्यजीव गलियारों और संरक्षित क्षेत्रों के बाहर अन्य निवास स्थान की उपलब्धता कम हो रही है.
  • इस प्रतिवेदन के अनुसार शहरीकरण, कृषि विस्तार, पशुधन चराई इत्यादि भी पश्चिमी घाट की प्रजातियों और आवासों के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है.

महत्त्वपूर्ण चिंता का क्या अर्थ है?

जब किसी स्थान का संरक्षण दृष्टिकोण (conservation outlook) ‘महत्त्वपूर्ण चिंता’ का विषय होता है, तो उस स्थान के मूल्यों को खतरे में माना जाता है. इसके लिए अतिरिक्त संरक्षण उपायों की आवश्यकता होती है.

वर्ल्ड हेरिटेज आउटलुक प्रतिवेदन क्या है?

  • ‘वर्ल्ड हेरिटेज आउटलुक’(विश्व विरासत आउटलुक) प्रतिवेदन, प्रत्येक 3 वर्ष में अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) द्वारा जारी की जाती है.
  • 2014 से यह प्रतिवेदन प्रत्येक 3 वर्ष में जारी की जा रही है.
  • विदित हो कि आईयूसीएन प्राकृतिक स्थलों के संबंध में यूनेस्को की विश्व विरासत समिति के लिए आधिकारिक सलाहकार के रूप में कार्य करता है.

Prelims Vishesh

Passage Exercise – PASSEX :-

  • हाल ही में पूर्वी हिंद महासागर क्षेत्र में रूसी फेडरेशन नेवी और भारतीय नौसेना के बीच पैसेज अभ्यास (पासेक्स) का आयोजन किया गया.
  • भारतीय नौसेना (आईएन), पूर्वी हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में रूसी फेडरेशन नेवी के साथ पैसेज अभ्यास-पासेक्स ( Passage Exercise -PASSEX) कर रही है.
  • पैसेज अभ्यास (पासेक्स) में रूसी फेडरेशन नेवी (आरयूएफएन) की दिशा-निर्देशित मिसाइल क्रूज़र वर्याग(Missile Cruiser Varyag), बड़ा पनडुब्बी-रोधी जहाज एडमिरल पेंटेलेयेव(Large Anti-Submarine Ship Admiral Panteleyev) और मध्यम दूरी का महासागरीय टैंकर पचेंगा(Ocean Tanker Pechenga) हिस्सा ले रहे हैं.

GITA – Global Innovation and Technology Alliance :-

  • GITA का 9वां स्थापना दिवस “आत्मनिर्मर भारत” थीम के साथ मनाया गया.
  • यह भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (TDB) का एक संयुक्त उद्यम है.
  • GITA मंच प्रौद्योगिकी अंतराल के मानचित्रण द्वारा नवोन्भेषी प्रौद्योगिकी समाधानों में औद्योगिक निवेश को प्रोत्साहित करता है; भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए उपयुक्त तकनीकी-रणनीतिक सट्टयोगी भागीदारी को सुविधा प्रदान करता है; प्रौद्योगिकी विकास के लिए सॉफ्ट फंडिंग उपलब्ध करवाता है आदि.

Target Olympic Podium Scheme (TOPS) :-

  • हाल ही में, युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय ने आठ पैरा एथलीटों को TOPS में शामिल किया है.
  • इस योजना के लिए भारतीय खेलकूद प्राधिकार (SAI) तथा ओलिंपिक कोषांग मिशन (MOC) के सदस्य नाभिक एजेंसियां होंगे. ये ही निधि का वितिरण करेंगे और लाभार्थियों तथा सम्बंधित संस्थानों को एथलीटों के लिए सीधे भुगतान करेंगे.
  • TOPS एक फ्लैगशिप कार्यक्रम है, जो भारत के शीर्ष एथलीटों को तैयारी के लिए पारितोषिक प्रदान कर इन एथलीटों को सहायता प्रदान करने का प्रयास करता है, ताकि वे वर्ष 2020 और वर्ष 2024 के ओलंपिक में ओलंपिक पदक जीत सकें.
  • इस योजना के तहत, खेल विभाग उन एथलीटों की पहचान करता है जो वर्ष 2020/2024 ओलंपिक में पदक प्राप्त कर सकते हैं.

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