Sansar Daily Current Affairs, 03 January 2018
GS Paper 1:
Topic: शास्त्रीय भाषा का दर्जा
- महाराष्ट्र सरकार ने मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के लिए संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है.
- भारत में अभी फिलहाल छह शास्त्रीय भाषाएँ हैं – तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, ओडिया और संस्कृत.
शास्त्रीय भाषा (Classical language) का दर्जा पाने के लिए निम्नलिखित मानदंड हैं –
- उस भाषा के प्रारम्भिक साहित्य का अति-प्राचीन होना.
- उस भाषा का अभिलिखित इतिहास 1500-2000 साल पुराना होना चाहिए.
- उस भाषा को बोलने वाली कई पीढियाँ उस भाषा के प्राचीन साहित्य को मूल्यवान मानती हों.
- उस भाषा की साहित्यिक परम्परा स्वयं उसी भाषा की हो न कि किसी अन्य भाषा से उधार ली गई हो.
- किसी शास्त्रीय भाषा और साहित्य का रूप उस भाषा के आधुनिक रूप से अलग होते हैं, इसलिए शास्त्रीय भाषा और उसके परवर्ती रूप और प्रशाखाओं के बीच में अंतराल हो सकता है.
शास्त्रीय भाषा का दर्जा पाने के फायदे –
- भाषा के अनुसंधान और विकास के लिए 100 करोड़ रुपये का अनुदान जो एक ही बार मिलेगा.
- सम्बंधित भाषा के उद्भट विद्वानों को प्रतिवर्ष दो अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार दिए जा सकेंगे.
- शास्त्रीय भाषा के अध्ययन लिए एक उत्कृष्ट केंद्र की स्थापना की जा सकेगी.
- UGC को राज्य सरकार यह अनुरोध कर सकती है कि वह केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में एक निश्चित संख्या में chair स्थापित करे जिसपर उस भाषा के उद्भट विद्वानों की नियुक्ति हो सके.
GS Paper 1:
Topic: भीम-कोरेगाँव की लड़ाई
- भीम-कोरेगाँव की लड़ाई जनवरी 1818 में हुआ तीसरा आंग्ल-मराठा युद्ध था जो मराठा शासक बाजीराव पेशवा द्वितीय और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच लड़ा गया था.
- इस लड़ाई में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से 200 महार जाति के स्थानीय लोग लड़े थे.
- इस युद्ध ने पेशवाओं के वर्चस्व को समाप्त कर दिया.
- यहाँ पर यह उल्लेख करना उचित होगा कि महार जाति को समाज अछूत मानती है.
- फिर भी शिवाजी ने मराठा सेना में इनको बहुत संख्या में रखा था.
- परन्तु कालांतर में बाजीराव II ने महारों को अपनी सेना में रखने से मना कर दिया था जिससे वे लोग आहत हो गए थे.
- युद्ध में जीत के बाद 1818 ई. में ब्रिटिश इंडिया कंपनी ने भीम-कोरेगाँव में स्मारक के रूप में एक विजय-स्तम्भ स्थापित किया था .
- इस साल इस युद्ध की 200वीं जयंती है जिसका मराठों के द्वारा विरोध किया जा रहा है.
GS Paper 3:
Topic: प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा परियोजना
- जगदीशपुर-हल्दिया और बोकारो-धमरा प्राकृतिक गैस पाइपलाइन (JHBDPL) परियोजना को प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा के नाम से भी जाना जाता है.
- 2,655 किमी. फैली इस परियोजना का लक्ष्य पूर्वी राज्यों को राष्ट्रीय गैस ग्रिड से जोड़ना है.
- उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल को इस परियोजना से लाभ मिलेगा.
- यह परियोजना उर्वरक और बिजली संयंत्र, रिफाइनरियों, इस्पात संयंत्रों और अन्य उद्योगों को पर्यावरण की दृष्टि से स्वच्छ प्राकृतिक ऊर्जा की आपूर्ति करके पूर्वी भारत में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देगी.
- यह उन शहरों के घरों और परिवहन के लिए स्वच्छ ऊर्जा मुहैय्या करेगी जो इसके पाइपलाइन के रास्ते में आते हैं.
- हाल ही में, सरकारी उपक्रम GAIL ने 400km pipeline की माँग भी पेश कर दी है.
- कुल मिलाकर अभी तक 2100k km pipeline के लिए आर्डर बुक हो चुके हैं.
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