Sansar Daily Current Affairs, 03 July 2021
GS Paper 1 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : The Freedom Struggle — its various stages and important contributors/contributions from different parts of the country.
Topic : Swami Vivekanand
संदर्भ
स्वामी विवेकानंद का जीवन सिर्फ 39 वर्षों का रहा. 4 जुलाई 1902 को उनका निधन हो गया था.
विवेकानंद कौन थे?
- विवेकानंद का मूलनाम नरेन्द्रनाथ दत्त था.
- उनका जन्म कलकत्ता में जनवरी 12, 1863 को हुआ था.
- वे राम कृष्ण परमहँस के परमभक्त थे.
- उन्होंने शिकागो में 1893 में सम्पन्न विश्व धर्म परिषद् में प्रवचन दिया था.
- संन्यास के बाद उनका नाम सच्चिदानंद रखा गया था परन्तु 1893 में खेतड़ी के महाराजा अजित सिंह के कहने पर उन्होंने अपना नाम विवेकानंद रख लिया.
- उन्हें पश्चिम को योग और वेदान्त से परिचित कराने का श्रेय दिया जाता है.
- उन्होंने 1897 में रामकृष्ण मिशन स्थापित किया जिसका उद्देश्य दरिद्रतम और तुच्छतम लोगों तक उदात्त विचार पहुँचाना था.
- 1899 में बेलूर मठ बनाया और वहीं स्थायी रूप से रहने लगे.
- उन्होंने राज योग, ज्ञान योग और कर्म योग आदि पुस्तकें लिखीं.
- उन्होंने नव वेदान्त की शिक्षा दी जिसमें भारत की आध्यात्मिकता के साथ-साथ पश्चिम के भौतिक प्रगतिवाद का सम्मिश्रण था.
- नेताजी सुभाष चन्द्र बोस उनको आधुनिक भारत का निर्माता बतलाते थे.
मेरी राय – मेंस के लिए
स्वामी विवेकानंद ने भारतीय समाज में दलितों एवं महिलाओं की दयनीय स्थिति की निन्दा की और समाज कल्याण के लिये इनका उत्थान आवश्यक बताया. उन्होंने इनके उत्थान के लिये शिक्षा को सबसे महत्त्वपूर्ण साधन माना. उनका मत था कि जिस राष्ट्र में महिलाओं का सम्मान नहीं होता, वह राष्ट्र और समाज कभी महान नहीं बन सकता. शिक्षा के माध्यम से ही स्त्री व दलितों को शक्तिशाली, भयविहीन तथा आत्म-सम्मान के साथ जीने के काबिल बनाया जा सकता है.
स्वामी विवेकानन्द ने दरिद्र (गरीब) में ही नारायण देखा (दरिद्र नारायण) और उसके कल्याण में ही ईश्वर की सेवा माना है. उस ‘दरिद्र नारायण’ की अवधारणा द्वारा उन्होंने मानवतावाद को धार्मिकता से जोड़ दिया. शिकागो में दिये गए अपने ऐतिहासिक भाषण में भी उन्होंने सार्वभौमिक भ्रातृभाव को सभी धर्मों का सार तत्त्व कहा था.
स्वामी विवेकानन्द सदैव मनुष्य को कर्मशील बने रहने के लिये प्रेरित करते थे. उनका मत था कि प्रत्येक मनुष्य को अपना कर्म पूरी शक्ति तथा एकाग्रता के साथ करना चाहिये. उनका एक प्रसिद्ध कथन है- ‘प्रत्येक कार्य में अपनी समस्त शक्ति का प्रयोग करो, सभी मरेंगे साधु या असाधु, धनी या दरिद्र, चिरकाल तक किसी का शरीर नहीं रहेगा. अतएव उठो, जागो और तब तक रूको नहीं जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाए’.
इस प्रकार, यह विश्वासपूर्वक कहा जा सकता है कि यद्यपि स्वामी विवेकानन्द वेदान्त के व्याख्याता एवं एक आध्यात्मिक गुरु थे परंतु उनके चिंतन में दलितों, महिलाओं व गरीबों के उत्थान तथा ‘कर्म की प्रधानता’ का विचार विशेष रूप से उपस्थित था.
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : Hallmarking
संदर्भ
हाल ही में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने स्वर्ण आभूषणों की हॉलमार्किंग को अनिवार्य कर दिया है.
स्वर्ण की हॉलमार्किंग
- स्वर्ण की हॉलमार्किंग एक शुद्धता प्रमाणीकरण की प्रक्रिया है और इसका उपयोग अब तक स्वैच्छिक रहा है.
- भारतीय मानक ब्यूरो वर्ष 2000 से स्वर्ण आभूषणों के लिए हॉलमाकिंग योजना संचालित कर रहा है.
- वर्तमान में लगभग 40% स्वर्ण आभूषणों की हॉलमार्किंग की जा रही है.
- हॉलमार्किंग के लाभ: इससे आभूषणों की विश्वसनीयता में वृद्धि होगी और निम्न कैरेट (सोने की शुद्धता) स्वर्ण से जनता के उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा होगी.
- हॉलमार्किंग, बहुमूल्य धातु की वस्तु में बहुमूल्य धातु की आनुपातिक सामग्री का सटीक निर्धारण और आधिकारिक रिकॉर्डिंग है. इसी तरह से हॉलमार्क बहुमूल्य धातु की वस्तुओं की महीनता या शुद्धता की गारंटी के रूप में कई देशों में आधिकारिक चिह्न के रूप में प्रयोग किया जाता है.
- भारतीय मानक ब्यूरों (बीआईएस) की हॉलमार्किंग योजना, हॉलमार्क पर अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के साथ सुमेलित है.
- ज्वैलर्स किसी भी BIS मान्यता प्राप्त एसेइंग एंड हॉलमार्किंग सेंटरों से अपने आभूषण हॉलमार्क करवा सकते हैं.
प्रमुख बिंदु
- नये आदेश का क्रियान्वयन चरणबद्ध तरीके से किया जायेगा, जहाँ पहल चरण में केवल 256 ज़िलों में गोल्ड हॉलमार्किंग सुविधा उपलब्ध होगी और 40 लाख रुपए से अधिक वार्षिक टर्नओवर वाल ज्वैलर इसके दायरे में आएंगे.
- यह आदेश 14, 18 और 22 कैरेंट स्वर्ण क आभूषणों, शिल्पकृतियों पर लागू होगा.
- अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों के लिए आभूषण, सरकार द्वारा अनुमोदित B2B (बिजनेस-टू-बिजनेस) घरेलू प्रदर्शनियों क लिये आभूषणों को अनिवार्य हॉलमार्किंग से छूट दी जाएगी.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.
Topic : President’s Rule
संदर्भ
हाल ही में, उच्चतम न्यायालय, राज्य में चुनाव बाद हिंसा की कथित घटनाओं पर पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है.
याचिका में लगाए गए आरोप
- हिंसा के दौरान, सरकार और प्रशासन मूकदर्शक बने रहे और पीड़ितों को कोई सुरक्षा प्रदान नहीं की गई.
- दोषियों के खिलाफ कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे महिलाओं और बच्चों का जीवन, स्वतंत्रता, सम्मान तथा हिंदू निवासियों का भविष्य खतरे में है.
पृष्ठभूमि
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा 21 जून को पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की घटनाओं की जांच हेतु कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुपालन में NHRC के एक सदस्य राजीव जैन की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय समिति का गठन किया है.
राष्ट्रपति शासन क्या होता है?
संविधान के अनुच्छेद 356 के अनुसार, यदि राष्ट्रपति को राज्यपाल से सूचना मिले अथवा उसे यह विश्वास हो जाए कि किसी राज्य में संविधान के अनुसार शासन चलाना असंभव हो गया है, तो वह घोषणा द्वारा उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकता है. ऐसी स्थिति में वह राज्य की कार्यपालिका शक्ति अपने हाथों में ले सकता है. राज्य के विधानमंडल की शक्तियाँ संसद राष्ट्रपति को दे सकती है. राष्ट्रपति कभी भी दूसरी घोषणा द्वारा इस घोषणा को रद्द कर सकता है. राष्ट्रपति शासन के लिए संसद के दोनों सदनों की स्वीकृति आवश्यक है. यह शासन मूल्यतः छह महीने के लिए होता है किन्तु यदि आवश्यकता हो तो इसे आगे अधिकतम तीन वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है. इस विस्तार के लिए हर छह महीने पर संसद का अनुमोदन अनिवार्य होता है.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Issues related to direct and indirect farm subsidies and minimum support prices.
Topic : Crop Insurance Week
संदर्भ
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री द्वारा ‘फसल बीमा सप्ताह’ (1 से 7 जुलाई तक) के दौरान ‘फसल बीमा योजना जागरूकता अभियान’ का आरंभ किया गया है.
PMFBY का प्रदर्शन
- अब तक, इस योजना के तहत 16 करोड़ से अधिक किसानों के आवेदनों (साल-दर-साल आधार पर 5.5 करोड़ किसानों के आवेदन) का बीमा किया गया है.
- पाँच वर्षों की अवधि में 3 करोड़ से अधिक किसानों के आवेदनों ने इस योजना का लाभ उठाया है.
- इसके अतिरिक्त, 20,000 करोड़ रुपये के किसानों की हिस्सेदारी की एवज में 95,000 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया गया है.
प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)
प्रधानमंत्री फसल बीमा का अनावरण जनवरी 2016 को किसानों की फसल के संबंध में उत्पन्न अनिश्चितताओं को दूर करने के लिए गया था ताकि प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके. इसके तहत किसानों से अनुमानित फसल मूल्य के कुछ भाग को प्रीमियम के तौर पर लिया जाता है और बाकी बचा प्रीमियम केंद्र-राज्य सरकारों द्वारा बीमा कंपनियों को दिया जाता है. यदि किसी प्राकृतिक कारणवश फसल खराब हो जाती है तो बीमित राशि का भुगतान बीमा कंपनियों द्वारा किसानों को कर दिया जाता है. PMFBY एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसमें सेवा कर से छूट दी गई है.
PMFBY के उद्देश्य
- किसानों को आर्थिक रूप से स्थायित्व प्रदान करना
- नई तकनीकों और नवाचार को बढ़ावा देना
- किसानों को राष्ट्र की प्रगति में सहायक बनाना
- किसानों की आत्महत्याओं, महाजनों से ऊंचे ब्याज पर ऋण के कारण होने वाले तनाव को कम करना और किसान आंदोलनों में कमी लाना
- ऋण माफी और बैंको की गैर-निष्पादित संपत्ति (Non-Performing Assets) को कम करना
योग्यता और प्रीमियम
सभी ऋणी किसानों के लिए अनिवार्य पंजीकरण
- ऋणी किसानों के लिए बीमित राशि जिला स्तरीय तकनीकी समिति द्वारा निर्धारित वित्तीय माप के बराबर होगी जिसे बीमित किसान के विकल्प पर बीमित फसल की अधिकतम उपज के मूल्य तक बढ़ाया जा सकता है. यदि अधिकतम उपज का मूल्य ऋण राशि से कम है तो बीमित राशि अधिक होगी (राष्ट्रीय अधिकतम उपज को चालू वर्ष के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के साथ गुणा करने पर बीमा राशि का मूल्य प्राप्त होता है.)
- जिनफसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा नहीं की गई है, उनके मामलों में विपणन विभाग/बोर्ड द्वारा स्थापित मूल्य अपनाया जाएगा.
गैर-ऋणी किसानों के लिए स्वैछिक पंजीकरण
फसल और प्रीमियम
- फसल: खाद्यान्न, तिलहन और वाणिज्यिक फसल
- प्रीमियम : खरीफ 2%, रबी 5% और वाणिज्यिक 5%
कवरेज
- बुवाई से लेकर फसल काटने के 2 सप्ताह बाद तक
- बुवाई से संबन्धित जोखिम जैसे सूखा या प्रतिकूल मौसम के कारण बुवाई न हो पाना
- खड़ी फसल के दौरान ना रोके जा सकने वाले जोखिम, जैसे – सूखा, अकाल, बाढ़, सैलाब, कीट एवं रोग, भूस्खलन, प्राकृतिक आग और बिजली, तूफान, ओले, चक्रवात, आंधी, तूफान और बवंडर आदि
- कटाई के उपरांत 14 दिनों तक खेत में फसलपड़ी होने के समय या मंडियों तक पहुंचाने के दौरान होने वाले चक्रवात, बारिश और ओलावृष्टि आदि
- स्थानीय आपदाएँ – बाढ़ , भूस्खलन और मूसलाधार वर्षा आदि
अपवर्जन
निम्नलिखित जोखिमों के लिए कोई बीमा राशि नहीं दी जाएगी –
- युद्ध और आंतरिक खतरे
- परमाणु जोखिम
- दंगा
- दुर्भावनापूर्ण क्षति
- चोरी या शत्रुता का कार्य
- घरेलू या जंगली जानवरों द्वारा चरे जाना और अन्य रोके जा सकने वाले जोखिम
कार्यान्वयन एजेंसी
- बीमा कंपनियों के कार्यान्वयन पर समग्र नियंत्रण कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के परिचालन नियंत्रण के तहत भारतीय कृषि बीमा कंपनी (Agriculture Insurance Company of India Limited) द्वारा किया जाएगा जबकि AIC का प्रशासनिक नियंत्रण वित्त मंत्रालय के तहत आता है.
- सरकारी और निजी दोनों प्रकार की बीमा कंपनियाँ इसमे भाग ले सकती है. निजी कंपनियों का चुनाव राज्य सरकारो के ऊपर छोड़ दिया गया है.
- कार्यान्वयन एजेंसी का चुनाव तीन साल की अवधि के लिए किया जा सकता है जिसको आगे बढ़ाया जा सकता है.
प्रबंधन
- राज्य स्तर पर – राज्य स्तरीय समन्वय समिति
- राष्ट्रीय स्तर पर – राष्ट्रीय स्तर निगरानी समिति कृषि सहयोग और किसान कल्याण विभाग (डीएसी और परिवार कल्याण) के संयुक्त सचिव (क्रेडिट) की अध्यक्षता में
- जैसे ही बैंकों को दावों के बाद वित्तीय राशि बीमा कंपनियों से प्राप्त होगी, बैंकों या वित्तीय संस्थाओं को 1 हफ्ते में इसका निपटारा कर देना होगा
- नोडल बैंकों के बिचौलिये संबन्धित व्यक्तियों के रेकॉर्ड को आगे मिलान के लिए बीमित किसानोंं (ऋणी और गैर-ऋणी दोनों) की सूची एवं अपेक्षित विवरण संबन्धित बीमा कंपनियों की शाखाओं से प्राप्त कर सकते हैं .
- लाभार्थियों की सूची को फसल बीमा पोर्टल एवं संबंधित बीमा कंपनियों की वेबसाइट पर अपलोड किया जा सकता है
- करीब 5% लाभार्थियों को क्षेत्रीय कार्यालयों/बीमा कंपनियों के स्थानीय कार्यालयों द्वारा सत्यापित किया जा सकता है जो संबंधित जिला-स्तरीय निगरानी समिति और राज्य स्तरीय समन्वय समिति को अपना प्रतिवेदन भेजेंगे और इनमें से 10% संबंधित जिला-स्तरीय निगरानी समिति द्वारा प्रतिसत्यापित किए जायेंगें और वे अपना प्रतिवेदन राज्य सरकार को भेजेंगें.
- लाभार्थियों में से 1 से 2% का सत्यापन बीमा कंपनी के प्रधान कार्यालय/केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त स्वतंत्र एजेंसियों/राष्ट्रीय स्तर की निगरानी समिति द्वारा किया जा सकता है और वे आवश्यक रिपोर्ट केन्द्र सरकार को भेजेंगे.
PMFBY से PMFBY 2.0
पूर्णतया स्वैच्छिक: वर्ष 2020 के खरीफ सीजन से सभी किसानों के लिए नामांकन को शत प्रतिशत स्वैच्छिक बनाने का निर्णय लिया गया है.
सीमित केंद्रीय सब्सिडी: केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा इस योजना के तहत गैर-सिंचित क्षेत्रों/फसलों के लिये बीमा किस्त की दरों पर केंद्र सरकार की हिस्सेदारी को 30% और सिंचित क्षेत्रों/फसलों के लिये 25% तक सीमित करने का निर्णय लिया गया है.
राज्यों के लिये अधिक स्वायत्तता: केंद्र सरकार द्वारा राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू करने के लिये व्यापक छूट प्रदान की गयी है और साथ ही उन्हें बुवाई, स्थानिक आपदा, फसल के दौरान मौसम प्रतिकूलता, और फसल के बाद के नुकसान आदि किसी भी अतिरिक्त जोखिम कवर/ सुविधाओं का चयन करने का विकल्प भी दिया गया है.
निर्णय में देरी होने पर दंड: संशोधित PMFBY में, एक प्रावधान शामिल किया गया है, जिसमें राज्यों द्वारा खरीफ सीजन के लिए 31 मार्च से पहले और रबी सीजन के लिए 30 सितंबर से पहले अपना हिस्सा जारी नहीं करने पर, उन्हें बाद के फसल सीजनों में योजना के तहत भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
सूचना, शिक्षा और संचार गतिविधियों में निवेश: अब इस योजना के तहत बीमा कंपनियों द्वारा एकत्र किये गए कुल प्रीमियम का 0.5% सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) गतिविधियों पर खर्च करना अनिवार्य किया गया है.
Prelims Vishesh
NISHTHA :-
- प्राथमिक स्तर पर शिक्षकों और विद्यालयों के प्रधानाचार्यों की क्षमता के निर्माण के लिए राष्ट्रीय स्कूल प्रधानाध्यापक एवं शिक्षक समग्र उन्नति पहल (निष्ठा) (National Initiative for School Heads’ and Teachers’ Holistic Advancement: NISHTHA) नामक योजना आरंभ की गई है.
- एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों (EMRS) के शिक्षकों और प्रधानाचारयों के लिए निष्ठा कार्यक्रम हेतु जनजातीय कार्य मंत्रालय (MoTA) तथा NCERT एक संयुक्त मिशन के लिए एक-दूसरे को सहयोग कर रहे हैं.
- EMRS दूरस्थ जनजातीय क्षेत्रों में जनजातीय छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए MoTA की एक प्रमुख योजना है.
- निष्ठा “एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण के माध्यम से विद्यालयी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार” के लिए एक क्षमता निर्माण कार्यक्रम है.
- इस प्रशिक्षण का उद्देश्य शिक्षकों को इस संदर्भ में प्रेरित करना और सक्षम बनाना है कि वे छात्रों में विवेचनात्मक चिंतन विकसित और प्रोत्साहित करें, उन्हें विविध परिस्थितियों को संभालने में समर्थ करें तथा प्रथम स्तर के परामर्शदाताओं के रूप में कार्य करने में दक्ष बनाएं.
IN-EUNAVFOR :-
- भारतीय नौसेना और यूरोपीय संघ नौसैनिक बल (European Union Naval Force: EUNAVFOR) अदन की खाड़ी में प्रथम संयुक्त नौसैन्य अभ्यास में भाग लेंगे.
- अदन की खाड़ी को बेरबेरा की खाड़ी (Gulf of Berbera) के रूप में भी जाना जाता है. यह उत्तर में यमन, पूर्व में अरब सागर, पश्चिम में जिबूती और दक्षिण में सोमालिया के मध्य एक गहरे जल की खाड़ी है.
- भारतीय नौसेना और यूरोपीय संघ नौसैनिक बलों के मध्य बहरीन में प्रतिवर्ष आयोजित SHADE (शेयर्ड अवेयरनेस एंड डीकनफ्लिक्शन) बैठकों के माध्यम से नियमित रूप से चर्चा होती है.
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