Sansar Daily Current Affairs, 03 March 2021
GS Paper 1 Source : The Economic Times
UPSC Syllabus : Related to women.
Topic : Opportunity Index 2020
संदर्भ
अवसर सूचकांक 2021 (Opportunity Index, 2021) रिपोर्ट को ऑनलाइन प्रोफेशनल नेटवर्क लिंक्डइन (LinkedIN) द्वारा तैयार किया गया है. इस प्रतिवेदन में बाजार में पुरुषों और महिलाओं को मिलने वाले अवसरों में अंतर पर ध्यान केंद्रित किया गया है.
जनवरी में किए गए इस सर्वेक्षण में, एशिया-प्रशांत (APAC) क्षेत्र में 10,000 से अधिक उत्तरदाताओं ने भाग लिया था. सर्वेक्षण में भारत के 2,285 उत्तरदाताओं को सम्मिलित किया गया.
रिपोर्ट के विषय में मुख्य बिंदु
- प्रतिवेदन के अनुसार, कोविड-19 महामारी ने भारत की कामकाजी महिलाओं को अन्य देशों की कामकाजी महिलाओं की तुलना में सबसे अधिक प्रभावित किया है.
- भारत की 22% कामकाजी महिलाओं के अनुसार उनकी कंपनियां पुरुषों के प्रति पक्षपाती हैं.
- इसके अतिरिक्त, भारत में 85% कामकाजी महिलाओं का दावा है कि उन्हें वृद्धि अथवा पदोन्नति से हाथ धोना पड़ा है. जबकि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में यह आँकड़ा 60% है.
- भारत में 37% महिलायें मानती हैं कि उन्हें पुरुषों की तुलना में कम भुगतान किया जाता है.
रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के समक्ष चुनौतियाँ
कोविड 19 महामारी के दौरान बढ़ी हुईं घरेलू जिम्मेदारियों के अतिरिक्त कार्यस्थल पर भेदभाव कामकाजी महिलाओं के लिए एक बड़ी चुनौती है. इसके साथ ही समय के अभाव ने भी महिलाओं के लिए जॉब करने को मुश्किल बनाया है.
आगे की राह
सर्वेक्षण में शामिल अधिकांश महिलाओं का विचार है कि रोजगार प्रदाता संगठनों को लैंगिक समता सनिश्चित करने वाली नीतियों और विकासात्मक कार्यक्रमों के लिए कदम उठाने चाहिएँ.
मेरी राय – मेंस के लिए
भारत में लैंगिक आय असमानता के संदर्भ में महिलाओं द्वारा अपने परिवारों में किये गये घरेलू देखभाल के अवैतनिक कार्य की प्रकृति और उसके प्रभाव को एक विशिष्ट ढंग से समझने का प्रयास किया जाना चाहिये. महिलाओं का घरेलू से व्यावसायिक रोजगारों में स्थानांतरण पूरी दुनिया में आर्थिक विकास की सबसे उल्लेखनीय विशेषताओं में से एक रहा है. जबकि भारत में इसके उलट प्रक्रिया देखी जा रही है. भारत में जैसे-जैसे परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधरती है, उन परिवारों में महिलाएं आर्थिक गतिविधियों से हटती जाती हैं और घरेलू कामों में लगती जाती हैं.
हालांकि इसके कुछ सामाजिक पहलू भी हैं. भारत में खासकर उत्तर भारत की ऊंची जातियों और मुस्लिम महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी बहुत कम होने को इसी संदर्भ में ही समझा जा सकता है. कार्य स्थलों पर महिलाओं से बेहतर व्यवहार न होना भी इसका एक बड़ा कारण है. जिसके कारण बहुत मजबूरी में ही महिलाएं घरों से बाहर काम करने के लिए निकलना पसंद करती हैं. इसके कारण कम मजदूरी और कम उत्पादकता वाले कामों में महिलाओं की भारी बहुलता है. इससे महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक हैसियत एवं गतिशीलता सीमित होती है.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes; mechanisms, laws, institutions and bodies constituted for the protection and betterment of these vulnerable sections.
Topic : PRADHAN MANTRI BHARTIYA JANAUSHADHI PARIYOJANA (PMBJP)
संदर्भ
तीसरा जन औषधि दिवस समारोह 1 मार्च 2021 को शुरू हुआ, यह 7 मार्च तक चलेगा. इस समारोह में जन औषधि केंद्रों पर स्वास्थ्य जाँच शिविर का आयोजन किया जा रहा है. स्वास्थ्य जांच गतिविधियों में शुगर लेवल चेक-अप, ब्लड प्रेशर चेक-अप, मुफ्त डॉक्टर परामर्श और मुफ्त दवा वितरण शामिल हैं.
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना
- प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP) भारत सरकार के फार्मास्यूटिकल विभाग द्वारा आरम्भ की गई एक योजना है जिसका उद्देश्य PMBJP केन्द्रों के माध्यम से जन-सामान्य को सस्ती किन्तु गुणवत्ता युक्त औषधियाँ मुहैया करना है.
- ज्ञातव्य है किजेनरिक दवाओं को उपलब्ध कराने के लिए इस योजना के अन्दर कई वितरण केंद्र बनाए गए हैं जिन्हें प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र कहते हैं. विदित हो कि जेनेरिक दवाएँ उतनी ही गुणवत्तायुक्त और कारगर हैं जितनी ब्रांड की गई महँगी दवाइयाँ. साथ ही इनके दाम इन महँगी दवाइयों की तुलना में बहुत कम होते हैं.
- भारतीय फार्मा लोक सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम ब्यूरो (Bureau of Pharma PSUs of India – BPPI) इस योजना के लिए कार्यान्वयन एजेंसी बनाई गई है. इसकी स्थापना केंद्र सरकार के फार्मास्यूटिकल विभाग ने की है.
जन औषधि केन्द्रों की भूमिका
- देश में अधिक से अधिक चिकित्सक जेनरिक दवाएँ लिखने लगे हैं. उधर 652 जिलों में 5,050 जन औषधि बाजार खुल गये हैं, इसलिए उच्च गुणों वाली सस्ती जेनेरिक दवाओं को उपलब्ध कराना और उनके बारे में जागरूकता उत्पन्न करना आवश्यक हो गया है. इन केन्द्रों से प्रतिदिन 10-15 लाख लाभान्वित हो रहे हैं. पिछले तीन वर्षों में जेनरिक दवाओं की बाजार में खपत 2% से बढ़कर 7% अर्थात् तिगुनी हो गई है.
- जन औषधि दवाओं के चलते जानलेवा बीमारियों से ग्रस्त रोगियों का खर्च अच्छा-ख़ासा घट गया है. ये दवाइयाँ बाजार मूल्य की तुलना में 50 से 90 प्रतिशत तक सस्ती होती है. बताया जाता है कि PMBJP योजना के कारण जनसाधारण को 1,000 करोड़ रू. की बचत हुई.
- इस योजना के कारण नियमित आय से युक्त स्वरोजगार के अवसर बढ़ गये हैं.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.
Topic : ASIAN INFRASTRUCTURE INVESTMENT BANK (AIIB)
संदर्भ
हाल ही में, केद्र सरकार और एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (AIIB) के मध्य असम में विद्युत संचार नेटवर्क के लिए 304 मिलियन डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किये गए हैं. इस राशि का उपयोग, राज्य में पावर ट्रांसमिशन नेटवर्क की विश्वसनीयता, क्षमता और सुरक्षा में सुधार करने के उद्देश्य से “असम इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम एनहांसमेंट प्रोजेक्ट” के लिए किया जाएगा.
एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक क्या है?
- AIIB का full-form है –Asian Infrastructure Investment Bank
- AIIB बैंक एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्था है जिसका मुख्यालय बीजिंग, चीन में है.
- इसकी स्थापना 2014 में हुई थी और इसके कार्यकलाप 2016 में प्रारम्भ हुए थे.
- अब इसमें विश्व-भर के 102 देश इसके सदस्य हो गये हैं. (AIIB के ऑफिसियल वेबसाइट में – Click here, विकीपीडिया में गलत इनफार्मेशन है)
- इस बैंक को एशियाई क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास के उद्देश्य से बनाया गया है.
- यह बैंक चीन की सरकार द्वारा प्रस्तावित किया गया था.
- हाल ही में भारत, चीन की अगुवाई वाली एशियाई इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक का सबसे बड़ा लाभार्थी के रूप में उभरा है.
- इस बैंक की पूँजी 100 बिलियन डॉलर है. यह राशि एशियाई विकास बैंक की पूँजी के दो-तिहाई तथा विश्व बैंक की पूँजी के आधे के बराबर है.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.
Topic : Technical Education Quality Improvement Programme
संदर्भ
मार्च के अंत में, तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (Technical Education Quality Improvement Programme-TEQIP) खत्म हो रहा है. इसके साथ ही 1,200 से ज्यादा सहायक प्रोफेसर नौकरी से बाहर हो जायेंगे तथा कुछ ग्रामीण कॉलेजों में करीब शिक्षकों के आधे स्थान खाली हो जाएँगे.
आगे की कार्रवाई
केंद्र सरकार द्वारा तकनीकी शिक्षा में सुधार हेतु कुछ इसी प्रकार के उद्देश्यों के साथ अपनी स्वयं की MERITE परियोजना तैयार की जा रही है, परन्तु वर्तमान परियोजना के अंतर्गत नियोजित शिक्षकों के लिए तब तक बहुत देर हो सकती है.
TEQIP क्या है?
- वर्ष 2002 में मानव संसाधन और विकास मंत्रालय द्वारा TEQIP परियोजना प्रारम्भ की गई थी.
- यह परियोजना, विश्व बैंक के सहयोग से प्रारम्भ की गयी थी.
- कार्यक्रम का ध्येय भारत में निम्न आय वाले राज्यों और विशेष श्रेणी राज्यों (SCS) में तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना था.
परियोजना के अंतर्गत शामिल किये गए उपाय
संस्थान आधारित: एनबीए के माध्यम से पाठ्यक्रमों की मान्यता, प्रशासन सुधार, प्रक्रिया सुधार, डिजिटल पहल, महाविद्यालयों के लिए स्वायत्तता प्राप्त करना.
छात्र आधारित: शिक्षण गुणवत्ता में सुधार, शिक्षक प्रशिक्षण, क्लास रूम को सुविधा युक्त करना, पाठ्यक्रम पुनरीक्षण, उद्योग सहभागिता, छात्रों के लिए अनिवार्य इंटर्नशिप, छात्रों को उद्योग-संबंधित कौशल में प्रशिक्षण देना, उन्हें गेट परीक्षा की तैयारी करवाना आदि.
तकनीकी शिक्षा में सुधार के लिये अन्य पहल EX Desert FLAG VI :- Himalayan Serow :- Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Sansar DCA January, 2020 Sansar DCA is available Now, Click to Downloadइस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
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