Sansar Daily Current Affairs, 03 October 2019
GS Paper 2 Source: Indian Express
UPSC Syllabus : Separation of powers between various organs dispute redressal mechanisms and institutions.
Topic : The idea of regional Supreme Court Benches, and ‘divisions’ of the top court
संदर्भ
हाल ही में उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर दो सुझाव दिए –
- उन्होंने कहा कि शीर्ष कोर्ट का विभाजन होना चाहिए ताकि मामलों का तेजी से निपटारा हो सके.
- उन्होंने मुकदमों के त्वरित निष्पादन के लिए सुप्रीम कोर्ट की चार क्षेत्रीय पीठ बनाने की भी अपील की.
विदित हो कि सर्वोच्च न्यायालय 65,000 से अधिक मामले लंबित हैं. इन मामलों के निपटारे में भी कई वर्ष लग जाते हैं. संविधान की व्याख्या से सम्बंधित मामले 5-7 जजों द्वारा सुने जाते हैं और इनमें भी कई मामले वर्षों से लंबित पड़े हैं.
ज्ञातव्य है कि इस आशय का सुझाव पहले ही विधि आयोग दे चुका है.
विधि आयोग की अनुशंसाएँ
- सर्वोच्च न्यायालय के दो विभाग होने चाहिएँ – a) सांविधानिक विभाग b) विधि विभाग.
- सांविधानिक विभाग को वही मामले देखने चाहिए जो संवैधानिक कानून से सम्बंधित हैं.
- सांविधानिक विभाग दिल्ली में होना चाहिए.
- संवैधानिक मामलों से इतर मामलों की सुनवाई के लिए उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में अलग-अलग सर्वोच्च न्यायालय की बेंचें होनी चाहिएँ जो अपने-अपने क्षेत्र के उच्च न्यायालयों से उठकर आने वाली अपीलों का काम देखेंगी. सुझाव यह भी है कि उत्तरी बेंच दिल्ली में, दक्षिणी बेंच चेन्नई या हैदराबाद में, पूर्वी बेंच कलकत्ता में और पश्चिमी बेंच मुंबई में रखी जाए.
विधि आयोग के सुझाव पर निर्णय कौन लेगा?
- संविधान का अनुच्छेद 130 कहता है कि सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली में अथवा किसी उस स्थान/स्थानों में बैठ सकता है जहाँ राष्ट्रपति के अनुमोदन से भारत का मुख्य न्यायाधीश चाहे.
- सर्वोच्च न्यायालय की नियमावली भी बताती है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश के पास बेंच गठित करने की शक्ति है. अतः भारत का मुख्य न्यायाधीश ही विधि आयोग की अनुशंसाओं के अनुरूप कार्रवाई करने में सक्षम है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.
Topic : IMD World Digital Competitiveness ranking 2019
संदर्भ
आईएमडी ने विश्व डिजिटल प्रतिस्पर्धात्मकता रैकिंग, 2019 निर्गत कर दी है.
एक अर्थव्यवस्था का मूल्यांकन करने के लिए विश्व डिजिटल प्रतिस्पर्धात्मकता रैकिंग में तीन कारकों की जाँच की जाती है –
- ज्ञान या नई प्रौद्योगिकियों को समझने और सीखने की क्षमता
- प्रौद्योगिकी, नए डिजिटल नवाचारों को विकसित करने की क्षमता; और
- भविष्य की तत्परता, आने वाले घटनाक्रमों की तैयारी.
प्रतिवेदन के मुख्य तथ्य
- इस सूची में अमेरिका पहले पायदान पर है. वह डिजिटल रूप से दुनिया की सबसे प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था है.
- इसके बाद दूसरे स्थान पर सिंगापुर , तीसरे पर स्वीडन , चौथे पर डेनमार्क , पांचवें पर स्विट्जरलैंड है.
- शीर्ष दस डिजिटल प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्थाओं में नीदरलैंड (6), फिनलैंड (7), हांगकांग (8), नॉर्वे (9 वें) और कोरिया गणराज्य (10 वें) स्थान पर शामिल है.
- रैंकिंग में सबसे लंबी छलांग चीन ने लगाई है. वह 30 वें से 22 वें पायदान पर पहुंच गया है. इसके बाद इंडोनेशिया 62 से 56 वें स्थान पर पहुंचा है.
- कई एशियाई देशों ने भी सूची में बढ़त हासिल की है. हांगकांग एसएआर आठवें, कोरिया गणराज्य 10वें स्थान पर रहा है. ताइवान और चीन भी आगे बढ़कर 13वें और 22वें पायदान पर रहे.
भारत का प्रदर्शन
- दुनिया में डिजिटल प्रतिस्पर्धा के मामले में भारत चार पायदान उछलकर 44 वें स्थान पर पहुंच गया है.
- भारत ने डिजिटल प्रौद्योगिकी की खोज और उसे अपनाने के लिए ज्ञान और भविष्य की तैयारियों के मामले में सुधार दर्ज किया है.
GS Paper 3 Source: PIB
UPSC Syllabus : Indigenization of technology and developing new technology.
Topic : High-Temperature Proton Exchange Membrane (HTPEM) technology
संदर्भ
पिछले दिनों भारत की पहली स्वदेश में ही निर्मित उच्च तापमान पर आधारत ईंधन कोश प्रणाली का अनावरण हुआ. यह एक पाँच किलोवॉट ईंधन कोश प्रणाली है जो हरित ढंग से बिजली उत्पन्न करती है.
जिस तकनीक पर यह कार्य करती है उसे उच्च तापमान प्रोटोन विनियम मेम्ब्रेन (HTPEM) तकनीक कहा जाता है.
यह कैसे काम करता है?
इसमें मेथनोल अथवा जैव मीथेन का प्रयोग होता है जिससे ताप एवं पानी सह-उत्पाद के रूप में उत्पन्न होता है, जिनका फिर से आगे प्रयोग हो सकता है. इस पद्धति से 70% से अधिक की कुशलता से बिजली उत्पन्न होती है. इतनी कुशलता किसी अन्य ऊर्जा स्रोत के माध्यम से आना कठिन होता है.
प्रयोग
- यह प्रणाली छोटे-छोटे कार्यालयों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों, डाटा सेंटरों आदि के लिए उपयुक्त है जहाँ लगातार बिजली के साथ-साथ एयर कंडीशन का भी प्रयोग होता है.
- साथ ही साथ यह टेलिकॉम टावरों, दूरस्थ स्थानों और सामरिक अनुप्रयोगों के लिए भी उपयुक्त है जहाँ कुशल, स्वच्छ एवं विश्वसनीय बैकअप बिजली जनरेटर का इस्तेमाल होता है.
- यह प्रणाली डीजल जनरेटर की जगह ले सकती है और कच्चे तेल पर भारत की निर्भरता को घटा सकती है.
उच्च तापमान प्रोटोन विनियम मेम्ब्रेन (HTPEM) तकनीक क्या है?
ईंधन की जो बैटरियाँ 150 °C से अधिक तापमान पर चलती हैं उनके लिए उच्च तापमान प्रोटोन विनिमय मेम्ब्रेन (HTPEM) सर्वथा उपयुक्त प्रणाली है. इस तकनीक में हाइड्रोजन को एनोड (anode) पर विद्युतीय-रासायनिक विधि से प्रोटोन और इलेक्ट्रान में विखंडित कर दिया जाता है. फिर प्रोटोन को मेम्ब्रेन के माध्यम से केथोड (cathode) तक पहुंचाया जाता है और बाहरी सर्किट में बिजली आ जाती है. केथोड पर प्रोटोन इलेक्ट्रान से दुबारा मिश्रित हो जाता है और ऑक्सीजन से प्रक्रिया कर के पानी और ताप उत्पन्न करता है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Indigenization of technology and developing new technology.
Topic : Project NETRA
संदर्भ
अन्तरिक्ष में परिक्रमा करते हुए भारतीय उपग्रहों को मलबे और अन्य खतरों से बचाने के लिए ISRO ने प्रोजेक्ट नेत्र नामक एक चेतावनी प्रणाली का आरम्भ किया है.
प्रोजेक्ट NETRA क्या है?
- NETRA का पूरा नाम है – Network for space object Tracking and Analysis.
- इस परियोजना के अन्दर अन्तरिक्षीय मलबे आदि का पता लगाने के लिए ISRO कई रडार और दूरबीन स्थापित करेगा जो एक-दूसरे से जुड़े होंगे. साथ ही अनेक डाटा प्रसंस्करण इकाइयाँ और एक नियंत्रण केंद्र भी स्थापित किया जाएगा.
- इस प्रणाली के द्वारा 3,400 किलोमीटर तक की दूरी पर स्थित 10 cm छोटी वस्तुओं का भी लग जाएगा और उस पर नजर रखने के साथ-साथ उसकी सूची भी तैयार होती जायेगी.
परियोजना का माहात्म्य
- इस परियोजना के बल पर अन्य अन्तरिक्षीय शक्तियों की भाँति भारत भी अन्तरिक्ष की स्थिति को समझने का सामर्थ्य अर्जित कर लेगा और इसका प्रयोग उपग्रहों पर मलबे से होने वाले खतरे की भविष्यवाणी करने में करेगा.
- NETRA का अंतिम लक्ष्य 36,000 किलोमीटर की ऊँचाई पर अथवा भू-स्थैतिक परिक्रमा स्तर अन्तरिक्ष की स्थिति की जानकारी प्राप्त करना है क्योंकि इसी परिक्रमा पथ पर अधिकांश संचार उपग्रह काम करते हैं.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : New IPCC report warns of dire threat to oceans
संदर्भ
जलवायु परिवर्तन से सम्बंधित अंतर-सरकारी पैनल (Intergovernmental Panel on Climate Change – IPCC) ने पिछले दिनों जलवायु परिवर्तन में महासागर और क्रायोस्फीयर की स्थिति के सम्बन्ध में एक विशेष प्रतिवेदन प्रकाशित किया है. इस प्रतिवेदन में सूचित किया गया है कि महासागरों, हिमानियों और समुद्र तथा धरातल पर जमा बर्फ में बड़े-बड़े परिवर्तन हो रहे हैं.
मुख्य निष्कर्ष
- वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 21वीं सदी में महासागर में अभूतपूर्व परिवर्तन होगा. इनका तामपान बढ़ जाएगा और इनकी अम्लीयता में भी वृद्धि हो जायेगी. इसके अतिरिक्त संभावना है कि समुद्री ताप तरंगे उठेंगी और एल-नीनो तथा ला-नीना जैसी घटनाएँ बार-बार आएँगी.
- 1970 से वैश्विक महासागर का तापमान लगातार बढ़ता आया है और इसने जलवायु प्रणाली के अधिकाई तापमान का 90% से अधिक अंश सोख लिया है.
- 1993 के बाद से महासागरों के गरमाने की दर दुगुनी से अधिक हो गई है.
- 1992 के बाद से समुद्री ताप तरंगों की बारम्बारता दुगुनी हो चुकी है और इनकी तीव्रता भी बढ़ती जा रही है.
- भविष्यवाणी की जा रही है कि अत्यधिक वर्षापात के कारण सिन्धु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी घाटियों के पहाड़ी और निम्नस्थ क्षेत्रों में बार-बार और विकट बाढ़ आएगी.
Prelims Vishesh
Economic Advisory Council to the Prime Minister (EAC-PM) :-
- भारत सरकार और विशेषकर प्रधानमंत्री को आर्थिक विषयों में परामर्श देने के लिए एक स्वतंत्र निकाय गठित है जिसे प्रधानमंत्री की आर्थिक परामर्शी परिषद् कहा जाता है.
- यह परिषद् अपनी पहल पर अथवा प्रधानमंत्री के द्वारा मांगे जाने पर परामर्श देती है और साथ ही प्रधानमंत्री यदि इसे कोई अन्य काम देते हैं तो यह परिषद् उसका भी सम्पादन करती है.
Sardar Patel National Unity Award:
- पिछले दिनों भारत सरकार के गृह मंत्रलाय ने सरदार पटेल राष्ट्रीय एकता पुरस्कार आरम्भ करने की घोषणा की.
- यह पुरस्कार भारत की एकता और एकात्मता के प्रति योगदान के लिए सबसे ऊँचा नागरिक सम्मान होगा जो सरदार पटेल की जन्म तिथि 31 अक्टूबर अर्थात् राष्ट्रीय एकता दिवस पर घोषित होगा.
Varaha :–
- पिछले दिनों भारत की तटरक्षा के लिए वराह नामक एक जहाज का जलावतरण किया गया.
- यह इंडियन कोस्ट गार्ड की क्षमता को सुदृढ़ करेगा. इसका निर्माण चेन्नई के कट्टुपल्ली जहाज निर्माण यार्ड में Larsen & Toubro (L&T) द्वारा किया गया है.
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