Sansar डेली करंट अफेयर्स, 04 December 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 04 December 2018


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : World Customs Organization

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संदर्भ

हाल ही में मुंबई में विश्व सीमा शुल्क संगठन (World Customs Organization -WCO) के नीति आयोग की 80वीं बैठक सम्पन्न हुई. इस बैठक का आयोजन विश्व सीमा शुल्क संगठन द्वारा किया गया था और यह केन्द्रीय अप्रयत्क्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड के तत्त्वाधान में सम्पन्न हुआ.

WCO क्या है?

विश्व सीमा शुल्क संगठन (WCO) 1952 में सीमा शुल्क सहयोग संगठन के रूप में गठित हुआ था. यह एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसका उद्देश्य सीमा शुल्क प्रशासन को कारगर और सक्षम बनाना है.

  • सीमा शुल्क से सम्बंधित विशेषज्ञता का एक वैश्विक केंद्र होने के नाते WCO एक ऐसा एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसके पास सीमा शुल्क के मामलों में सक्षमता है और जो सही मायने में अंतर्राष्ट्रीय सीमा शुल्क समुदाय की आवाज़ कहला सकता है.
  • WCO ने अपनी सदस्यता को 6 क्षेत्रों में बाँट रखा है. इन छह क्षेत्रों हेतु प्रत्येक के लिए WCO परिषद् में एक उपाध्यक्ष का चुनाव होता है.

भूमिका एवं  कार्यकलाप

  • विभिन्न राष्ट्रों से आने वाले सीमा शुल्क प्रतिनिधियों के बीच सम्वाद एवं अनुभवों को बाँटने के लिए एक मंच होने के नाते WCO अपने सदस्यों को कई प्रकार की संधियों एवं अन्य अंतर्राष्ट्रीय दस्तावेजों के साथ-साथ तकनीकी सहायता एवं प्रशिक्षण सुविधा भी प्रदान करता है.
  • यह वैध अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि को उत्प्रेरित करने में मुख्य भूमिका निभाता ही है, साथ ही साथ धोखाधड़ी के मामलों से लड़ने के इसके प्रयासों को पूरा विश्व मान्यता देता है.
  • विश्व व्यापार संगठन के सीमा शुल्क निर्धारण से सम्बन्धित समझौतों को लागू करने में WCO की एक उत्तरदायी भूमिका रही है क्योंकि यह ऐसी प्रणाली मुहैया कराता है जिससे आयातित वस्तुओं का मूल्य तय होता है एवं किसी वस्तु विशेष के उद्गम को निर्धारित करने के लिए उपयोग में लाये जाने वाले उद्गम नियमों (Rules of Origin) का भी प्रावधान करता है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Organization of the Petroleum Exporting Countries (OPEC)

संदर्भ

क़तर ने घोषणा की है कि वह जनवरी 1, 2019 से OPEC को छोड़ देगा और अब वह गैस के उत्पादन में अपना ध्यान केन्द्रित करेगा. उसका यह निर्णय उस समय आया है जब कुछ ही दिनों में OPEC और उसके सहयोगियों की एक बैठक वियेना, ऑस्ट्रिया में होने वाली है.

मामला क्या है?

पाँच दशाब्दियों तक OPEC का सदस्य होने के पश्चात् क़तर का इसे छोड़ने का निर्णय ऐसे समय में आया है जब खाड़ी देशों की राजनीति में उथल-पुथल चल रही है और 18 महीनों से क़तर के पड़ोसी सहयोगी सऊदी अरब सहित दोहा का बहिष्कार कर रहे हैं.

जून 2017 से OPEC का मुखिया सऊदी अरब और साथ ही तीन अरब देशों ने क़तर के साथ व्यापार एवं यातायात सम्बन्ध तोड़ रखे हैं और क़तर पर आरोप लगा रहे हैं कि वह देश आतंकवाद और सऊदी अरब के शत्रु देश ईरान को समर्थन दे रहा है. क़तर इन आरोपों को नकारता है और कहता है कि यह बहिष्कार उसकी राष्ट्रीय सम्प्रभुता का हनन करता है.

पृष्ठिभूमि

क़तर कच्चे तेल का विश्व का 17वाँ बड़ा उत्पादक है और यह प्रतिदिन छह लाख बैरल कच्चा तेल उत्पादित करता है. इसके अतिरिक्त यहाँ विश्व के सम्पूर्ण तेल भंडार का 2% है.

OPEC

  • OPEC का फुल फॉर्म है – Organization of the Petroleum Exporting Countries. इस प्रकार यह तेल उत्पादक देशों का एक समूह है जिसकी स्थापना 1960 में ईराक के बग़दाद में हुई थी और यह 1961 से प्रभावी हो गया.
  • ओपेक का मुख्यालय इसके गठन के पहले पाँच वर्षों तक जिनेवा, स्विट्जरलैंड में था पर कालांतर में 1 सितंबर, 1965 में इसके मुख्यालय को ऑस्ट्रिया के विएना में स्थानांतरित कर दिया गया.
  • ओपेक का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच पेट्रोलियम नीतियों का समन्वय और एकीकरण करना है जिससे पेट्रोलियम उत्पादकों के लिए उचित और स्थिर कीमत सुनिश्चित की जा सके.

OPEC की सदस्यता

  • OPEC के सदस्य तीन प्रकार के होते हैं – संस्थापक सदस्य, पूर्ण सदस्य और सहयोगी सदस्य.
  • पूर्ण सदस्य वे देश होते हैं जहाँ से अच्छा-ख़ासा कच्चा तेल निर्यात होता है.
  • इस समूह में नए सदस्य तभी शामिल हो सकते हैं जब उनके इस विषय में दिए गये आवेदन पर OPEC के सदस्य 3/4 बहुमत से अपना अनुमोदन दे देते हैं.
  • OPEC के कानून में यह प्रावधान है कि उस देश को भी ओपेक में सहयोगी सदस्य बनाया जा सकता है जो पूर्ण सदस्यता की अर्हता नहीं रखता है, पंरतु किसी विशेष परिस्थिति में उसे सदस्य बना लिया जाता है.
  • वर्तमान में OPEC संगठन में 15 सदस्य देश हैं, जिनके नाम हैं – अल्जीरिया, अंगोला, इक्वाडोर, इक्वेटोरियल गिनी, गैबॉन, ईरान, इराक, कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया, कतर, कांगो गणराज्य, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और वेनेज़ुएला.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : Soyuz

संदर्भ

पिछले अक्टूबर महीने के असफल प्रयास के पश्चात् हाल में कज़ाकिस्तान से  सोयुज़ नामक अंतरिक्षयान (Soyuz spacecraft) रूसी, अमेरिकी और कनाडाई अन्तरिक्ष यात्रियों के साथ अंतिरक्ष में छोड़ा गया जो पृथ्वी की कक्षा में पहुँच गया है. विदित हो कि अक्टूबर में विफल प्रक्षेपण के बाद पहली बार एक मानव-सहित अंतरिक्षयान पृथ्वी की कक्षा में भेजा गया.

सोयुज़ क्या है?

  • सोयुज़ एक रूसी अन्तरिक्षयान है जिससे अंतरिक्षयात्री पृथ्वी की कक्षा में स्थित अंतर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष अड्डे तक पहुँचते हैं.
  • यह अन्तरिक्षयान अंतर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष अड्डे तक अन्तरिक्षयात्रियों को पहुँचाने के साथ-साथ उनका मिशन पूरा होने पर उन्हें पृथ्वी पर वापस लाता भी है.
  • सोयुज़ अन्तरिक्ष अड्डे के लिए एक लाइफबोट के समान है. कम से कम एक सोयुज़ अन्तरिक्ष अड्डे पर सदैव लगा ही रहता है. यदि कोई आकस्मिक संकट होता है तो इस अड्डे पर रहने वाले अन्तरिक्ष यात्री उसका प्रयोग कर पृथ्वी को लौट सकते हैं.
  • पहले 2011 तक अमेरिका इस अड्डे पर अपने अन्तरिक्ष यात्री स्पेस शटल नामक अन्तरिक्ष यान से भेजा करता था, परन्तु उसने यह शटल बंद कर दिया है और अब उसके अन्तरिक्षयात्री भी सोयुज़ पर ही बैठकर अन्तरिक्ष अड्डे तक जाते हैं.

ISS क्या होता है?

अंतर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष केंद्र (International Space Station – ISS) एक बड़ा अन्तरिक्ष यान होता है जो पृथ्वी की परिक्रमा करता है. इसमें कई अन्तरिक्ष यात्री रहते हैं. यह विज्ञान प्रयोगशाला का काम करता है. इसके निर्माण और उपयोग में कई देश शामिल हैं. इस अन्तरिक्ष केंद्र के कई हिस्से अन्तरिक्ष यात्रियों ने अन्तरिक्ष में ही जोड़े हैं. यह केंद्र पृथ्वी के ऊपर औसतन 250 मील की ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है. इसकी गति 17,500 मील प्रति घंटा है, जिसका अभिप्राय यह हुआ कि यह 90 मिनट में पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी कर लेता है. NASA इस अन्तरिक्ष केंद्र का उपयोग अन्तरिक्ष में रहने और काम करने के बारे में जानकारी इकठ्ठा करने के लिए करता है जिससे कि भविष्य में मानव को लम्बी दूरियों तक अन्तरिक्ष यात्रा के लिए भेजा जा सके.

ISS से सम्बंधित मुख्य तथ्य

  • ISS नौंवा अन्तरिक्ष केंद्र है. इससे पहले रूस ने Salyut, Almaz और Mir नामक अन्तरिक्ष केंद्र प्रक्षेपित किये थे और अमेरिका ने एक Skylab नामक अन्तरिक्ष केंद्र छोड़ा था.
  • अंतर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष केंद्र कार्यक्रम एक संयुक्त परियोजना है जिनमें ये पाँच अन्तरिक्ष एजेंसियाँ प्रतिभागिता कर रही हैं – NASA, Roscosmos, JAXA, ESA, और CSA.
  • ISS का स्वामी कौन होगा और कौन इसका उपयोग करेगा इसके लिए अंतर्सरकारी संधियों और समझौतों द्वारा निर्धारित होता है.
  • अन्तरिक्ष केंद्र में दो अनुभाग होते हैं – Russian Orbital Segment (ROS) और The United States Orbital Segment (USOS). परन्तु कई देश इसका लाभ उठाते हैं.

GS Paper 3 Source: Down to Earth

Topic : Floating solar plant

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संदर्भ

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में स्थित रिहन्द बाँध के जलाशय में एक 50 MW का तैरता हुआ सौर संयंत्र स्थापित किया जायेगा. ज्ञातव्य है कि यह जलाशय भारत का सबसे बड़ा जलाशय है.

विदित हो कि अब तक का भारत में सबसे बड़ा तैरने वाला सौर संयंत्र विशाखापत्तनम में है जो 2 MW है. इसके अतिरिक्त केरल राज्य में बाणासुर सागर डैम पर एक और ऐसा संयंत्र है जिसकी क्षमता 500-kWh की है.

तैरते सौर संयंत्र का महत्त्व

  • सौर संयंत्र लगाने में भूमि की उपलब्धता एक समस्या होती है. इसको देखते हुए पानी में तरिते हुए सौर संयंत्र लगाना एक अच्छा विकल्प माना जाता है. इस प्रकार के संयंत्र में सोलर पैनलों को बाँधों, झीलों और इस प्रकार के अन्य जलाशयों में रखी फ्लोटों पर लगाया जाता है.
  • जलाशयों पर सौर संयत्र लगाने से उन राज्यों को विशेष लाभ होगा जहाँ नवीकरणीय ऊर्जा का बाजार तो है परन्त भूमि की कमी है, जैसे – उत्तर प्रदेश.
  • वैश्विक तैरने वाले सौर संयंत्रों के बाजार में एशियाई देश आगे चल रहे हैं. अभी इनकी वर्तमान संचालन क्षमता 259 MW की है जिसमें अधिकांश चीन और जापान में है.

चुनौतियाँ

भारत में तैरते हुए सौर संयंत्र लगाने में कई बाधाएँ उपस्थित हो सकती हैं –

लागत : तैरने वाले संयंत्र को स्थिर करने, अधिष्ठापित करने, देख-रेख करने और बिजली का संचालन करने में हो सकता है कि भूमि पर लगाए जाने वाले संयंत्रों की तुलना में आरम्भिक दौर में अधिक लागत बैठे. भारत में फ्लोटों का अभाव है जिससे संयंत्र की लागत बढ़ जाती है. भारत को इसके लिए यूरोप या चीन पर निर्भर होना पड़ेगा. कुल मिलाकर भारत में भूमि पर लगाए जाने वाले सौर संयत्र की तुलना में जलाशय पर लगाए जाने वाले संयंत्र पर 30-50% अधिक खर्च आएगा.

तकनीकी समस्याएँ : पानी के ऊपर लगाए जाने वाले सौर संयंत्र में अस्थिरता और जंग लगने की समस्या होती है. इसके अतिरिक्त जलाशय का आर्द्र वायुमंडल उन तारों को क्षति पहुँचा सकता है जिनसे बिजली का संचालन होता है. यह भी हो सकता है कि संयंत्र से जलाशय और उसमें रहने वाले प्राणियों को खतरा पहुँचे.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : Permanent Chairman of the Chiefs of Staff Committee

संदर्भ

भारतीय की तीनों सेनाओं ने चीफ ऑफ़ स्टाफ समिति (Permanent Chairman of the Chiefs of Staff Committee – PCCoSC) के लिए एक स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की है और इसके लिए एक प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को विचारार्थ भेजा है.

चीफ ऑफ़ स्टाफ समिति के अध्यक्ष क्या होते हैं?

  • यह अध्यक्ष सरकार के सैनिक परामर्शदाता होते हैं जो तीनों सेनाओं की ओर से नियुक्त होते हैं.
  • ये चार तारों वाले अधिकारी होते हैं जो थल, वायु और नौसेना के प्रमुखों के समकक्ष होते हैं.

स्थायी अध्यक्ष क्यों?

  • तीनों सेनाओं के मध्य बेहतर समन्वय और सहयोग के लिए.
  • सरकार एक व्यक्ति से सभी प्रकार के सैन्य परामर्श प्राप्त कर सके.
  • रक्षा की दीर्घकालिक योजना बनाने और क्रय-प्रणाली को दुरुस्त करने के लिए.

अध्यक्ष के कार्य

  • अध्यक्ष सेना से सम्बन्धित संयुक्त मामलों को देखेंगे, जैसे – सैनिकों का प्रशिक्षण, हथियारों का क्रय और संयुक्त सैन्य कार्रवाई.
  • वे अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के कमांडर होंगे. उनके हाथ में आणविक हथियारों का भी कमांड होगा तथा साथ ही भविष्य में संभव होने वाले साइबर और अन्तरिक्ष का कमांड भी उनके प्रभार में रहेगा.

पृष्ठभूमि

  • एक मंत्री समूह (GoM) 2001 के फरवरी में सरकार को एक रिपोर्ट प्रस्तुत किया था जिसमें चीफ ऑफ़ स्टाफ समिति के गठन की अनुशंसा की थी.
  • मई 2011 में गठित नरेश चन्द्र कार्य दल ने राष्ट्रीय सुरक्षा प्रबंध प्रणाली की समीक्षा की थी और यह अनुशंसा की थी कि चीफ ऑफ़ स्टाफ समिति का अध्यक्ष स्थायी होना चाहिए.

Prelims Vishesh

Train 18 :-

Train-18

  • ‘ट्रेन 18’ नाम भारत की पहली लोकोमोटिव (इंजन) रहित ट्रेन है जिसने रविवार को परीक्षण के दौरान 180 किलोमीटर प्रति घंटे की गति सीमा पार की.
  • इसकी लागत लगभग सौ करोड़ रुपए है और यह अनेक आधुनिक सुविधाओं से लैस है.
  • ‘ट्रेन 18’ ने कोटा-सवाई माधेापुर खंड में 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार की सीमा पार की.
  • सौ करोड़ रुपए की आधुनिक डिजाइन वाली ट्रेन का जब संचालन शुरू होगा तो यह देश की सबसे तेज गति वाली ट्रेन बन जाएगी.

Admiral Cup Sailing Regatta 2018 :-

  • भारतीय नौसेना अकादमी (आईएनए) एझिमाला द्वारा वार्षिक रूप से आयोजित की जाने वाली प्रतिष्ठित अंतर्राष्‍ट्रीय सैन्‍य एडमिरल कप नौका दौड़ प्रतियोगिता का 9वां संस्‍करण 2 से 6 दिसम्‍बर 2018 तक केरल के इट्टिकुलुम खाड़ी में आयोजित किया जाएगा.
  • नौका दौड़ में लेज़र (रेडियल) श्रेणी में 31 विदेशी नौसेना अकादमियाँ भाग लेंगी.
  • भारतीय नौसेना ने ‘बेड़ा दौड़’ के रूप में एडमिरल कप नौका दौड़ प्रतियोगिता 2010 में सिंगल क्रू ओलम्पिक क्‍लास ‘लेसर रेडियल’ में प्रारंभ किया था.

International Day of Persons with Disabilities :-

  • प्रति वर्ष 3 दिसंबर को विकलांग व्यक्तियों की स्थिति के बारे में जागरूकता में वृद्धि के लिए सम्पूर्ण विश्व में अंतर्राष्ट्रीय विकलांगता दिवस मनाया जाता है.
  • समाज और विकास के सभी क्षेत्रों में विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों और कल्याण को बढ़ावा देने और राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन के हर पहलू में उनकी भागीदारी को बढ़ाने के उद्देश्य से इसका आयोजन किया जाता है.
  • इस वर्ष 2018 में इस आयोजन का उद्देश्य, ‘विकलांग व्यक्तियों को सशक्त बनाना और उनकी सहभागिता को सुनिश्चित करना है.
  • यह वर्ष 2020 के लिए सतत विकास एजेंडा का एक हिस्सा है. इसका उद्देश्य है कि कोई भी व्यक्ति विकास में पीछे नहीं छूटे.

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