Sansar Daily Current Affairs, 04 February 2019
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Know My India Programme
संदर्भ
राष्ट्रीय साम्प्रदायिक सौहार्द फाउंडेशन (National Foundation for Communal Harmony – NFCH) नो माई इंडिया प्रोग्राम के तहत एक विशेष कार्यशाला का आयोजन कर रहा है जिसमें 15 से 22 वर्ष की आयु के ऐसे 42 युवाओं को बुलाया गया है जो भूतकाल में साम्प्रदायिक हिंसा के शिकार रहे हैं.
कार्यशाला के उद्देश्य
- बच्चों को मानसिक आघात के पश्चात् तनाव से मुक्ति पाने में सहायता करना.
- उन्हें ऐसे उपाय बताना जिनसे वे भूतकाल में घटित घटनाओं की छाप से मुक्त हो सकें और अपनी भावनाओं को सम्भालना.
- उन्हें विश्राम की गहरी अनुभूति एवं मानसिक शान्ति प्रदान करना.
- उनके मन में संसार के विषय में समावेशी दृष्टिकोण की रचना करना.
- उनमें यह भाव भरना कि समाज का एक-एक व्यक्ति दूसरे से जुड़ा हुआ होता है चाहे उसकी सामाजिक पहचान कुछ भी हो.
कार्यशाला से सम्बन्धित मुख्य तथ्य
- इस कार्यशाला का आयोजन आर्ट ऑफ़ लिविंग फाउंडेशन के सहयोग से किया जा रहा है.
- इसमें सम्मिलित होने वाले युवा इन छ: राज्यों से आ रहे हैं – जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, असम, छत्तीसगढ़, बिहार और गुजरात. इनके साथ 10 सरकारी गुरु भी होंगे.
नो माई इंडिया प्रोग्राम क्या है?
यह कार्यक्रम राष्ट्रीय साम्प्रदायिक सौहार्द फाउंडेशन के द्वारा आरम्भ किया गया एक अनूठा कार्यक्रम है. यह विभिन्न राज्यों से आये हुए बच्चों को आर्थिक सहायता प्रदान करता है और इसका उद्देश्य एकता, भाईचारे और राष्ट्रीय एकात्मता को बढ़ावा देना है. इस कार्यक्रम में जिन विषयों से युवाओं का परिचय कराया जाता है उनमें से कुछ ये हैं – पर्यावरण, गृहस्थी, सामाजिक रीतियाँ आदि. इसमें देश के अलग-अलग भूभागों से लोग आते हैं. इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने वाले लोगों को देश की समान ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के बारे में जानकारी दी जाती है.
NFCH
NFCH केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में चलने वाला एक स्वायत्त संगठन है. यह फाउंडेशन उन बच्चों और युवाओं को सहायता पहुंचाता है जो साम्प्रदायिक, जातीय, प्रजातीय अथवा आतंकवादी हिंसा के कारण अनाथ अथवा दरिद्र हो गये हैं. सहायता के रूप में उनका पुनर्वास तो किया ही जाता है, साथ ही विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से साम्प्रदायिक सौहार्द और राष्ट्रीय एकात्मकता को प्रोत्साहन भी दिया जाता है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Bharat Rang Mahotsav (BRM)
संदर्भ
नई दिल्ली में भारत रंग महोत्सव का 20वाँ आयोजन चल रहा है. इसे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) संचालित कर रहा है.
यह महोत्सव क्या है?
- भारत रंग महोत्सव राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा आयोजित होने वाला भारत का एक वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच है.
- इस रंगमंच की स्थापना दो दशकों पूर्व भारत-भर में रंचमंच के विकास को उत्प्रेरित करने के लिए हुई थी.
- आरम्भ में इस महोत्सव में मात्र भारतीय नाट्यकर्मियों के सर्वोत्कृष्ट काम को प्रदर्शित किया जाता था. परन्तु शनैः शनै: इसका कार्यक्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय हो गया और इसमें संसार के अन्य भागों से भी रंगकर्मी अपनी-अपनी रचनाएँ ले कर आने लगे.
- आज यह महोत्सव एशिया का सबसे बड़ा नाट्य उत्सव है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Millet Village scheme
संदर्भ
आज पोषाहार विशेषज्ञ मोटे अनाजों को सुपर फूड बतलाते हैं. इन अनाजों की महत्ता को देखते हुए केरल सरकार के कृषि विभाग ने राज्य के कई जिलों को पौष्टिकता से समृद्ध मोटे अनाज उगाने के लिए जिलों में कृषि-क्षेत्र निर्धारित कर दिए हैं. यह भी योजना है कि अधिक से अधिक जिले मोटे अनाज उपजाएँ. इस योजना को मिलेट विलेज स्कीम का नाम दिया गया है.
मिलेट विलेज स्कीम क्या है?
यह एक विशेष योजना है जिसके अंतर्गत अट्टापडि में एक मोटा अनाज गाँव स्थापित किया गया है जहाँ रागी, बाजरा, मकई आदि अनाजों की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. इस परियोजना का उद्देश्य पारम्परिक रूप से उपजाए जाने वाले मोटे अनाजों के बीज को सुरक्षित करना और इस प्रकार आदिवासियों की खाद्य सुरक्षा और आजीविका को सुनिश्चित करना है.
मोटे अनाज क्या हैं?
मोटे अनाज घास में उत्पन्न होने वाले वे छोटे-छोटे बीज हैं जो खाने के काम में आते हैं. ये अनाज सूखे खेतों में उपजाएँ जाते हैं और इनमें पौष्टिकता की मात्रा अधिक होती है. कुछ मोटे अनाजों का नाम इस प्रकार है – ज्वार, रागी, कुट्टू, बाजरा, मकई, कोदो, सावाँ, पर्ल मिलेट, स्मॉल मिलेट, कांगनी, प्रोसो मिलेट, बार्नयार्ड मिलेट आदि.
मोटे अनाजों का महत्त्व
- दानों के आकार के आधार पर मोटे अनाजों को दो भागों में बाँटा गया है। पहला मोटा अनाज जिनमें ज्वार और बाजरा आते हैं। दूसरा, लघु अनाज जिनमें बहुत छोटे दाने वाले मोटे अनाज जैसे रागी, कंगनी, कोदो, चीना, सांवा और कुटकी आदि आते हैं.
- मोटे अनाजों की खेती करने के अनेक लाभ हैं जैसे सूखा सहन करने की क्षमता, फसल पकने की कम अवधि, उर्वरकों, खादों की न्यूनतम मांग के कारण कम लागत, कीटों से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता.
- कम पानी और बंजर भूमि तथा विपरीत मौसम में भी ये अनाज उगाए जा सकते हैं. सल्हार, कांग, ज्वार, मक्का, मडिया, कुटकी, सांवा, कोदो आदि में अगर प्रोटीन, वसा, खनिज तत्त्व, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, ऊर्जा कैलोरी, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, कैरोटीन, फोलिक ऐसिड, जिंक तथा एमिनो एसिड की तुलना गेहूँ, चावल जैसे अनाजों के साथ की जाए तो किसी भी प्रकार से इन्हें कम नहीं आँका जा सकता.
- भारत के राजपत्र 13 अप्रैल, 2018 के अनुसार, मिलेट (ज्वार, बाजरा, रागी आदि) में देश की पोषण संबंधी सुरक्षा में योगदान देने की बहुत अधिक क्षमता है.
- इस प्रकार मोटे अनाजों में न केवल पोषक तत्त्वों का भंडार है बल्कि ये जलवायु लचीलेपन वाली फसलें भी हैं और इनमें अद्भुत पोषण संबंधी विशेषताएँ भी हैं.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : World Wetlands Day 2019
संदर्भ
प्रत्येक वर्ष 2 फरवरी को विश्व आर्द्र भूमि दिवस (World Wetlands Day) मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन 1971 में ईरान के रामसर शहर में आर्द्र भूमि संधि (रामसर संधि) को अंगीकृत किया गया था.
इस संधि में भारत 1982 से एक पक्षकार है और इस प्रकार आर्द्र भूमि के उचित उपयोग के लिए वह वचनबद्ध है. इस वर्ष विश्व आर्द्र भूमि दिवस की थीम है – “आर्द्र भूमियाँ और जलवायु परिवर्तन.”
रामसर संधि क्या है?
- रामसर आद्रभूमि समझौते (Ramsar Convention on Wetlands) को 1971 में इरान के शहर रामसर में अंगीकार किया गया.
- यह एक अंतर-सरकारी संधि है जो आद्रभूमि के संरक्षण और समुचित उपयोग के सम्बन्ध में मार्गदर्शन प्रदान करती है.
- भारत ने 1982 में इस संधि पर हस्ताक्षर किए.
- भारत में आद्रभूमि के संरक्षण के मामलों के लिए केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु-परवर्तन मंत्रालय नोडल मंत्रालय घोषित है.
- विदित हो कि भारत में सम्पूर्ण भूमि के 4.7% पर आद्रभूमि फैली हुई है.
मोंट्रोक्स रेकॉर्ड
रामसर संधि के तहत आर्द्र भूमि स्थलों की एक पंजी तैयार की गई है जिसे मोंट्रोक्स रेकॉर्ड (Montreux Record) कहते हैं. इस पंजी में विश्व-भर में महत्त्वपूर्ण आर्द्र भूमियों के विवरण अंकित हैं. इसमें यह भी दर्शाया गया है कि तकनीकी विकास, प्रदूषण अथवा अन्य मानवीय हस्तक्षेप से किन आर्द्रभूमियों पर पर्यावरणिक परिवर्तन हो चुके हैं, हो रहे हैं अथवा होने वाले हैं. इस पंजी में कोई नई आर्द्रभूमि का नाम डालना हो अथवा निकालना हो तो उसके लिए कांफ्रेंस ऑफ़ द कांट्रेक्टिंग पार्टीज (1990) का अनुमोदन अनिवार्य होता है.
GS Paper 3 Source: PIB
Topic : National Grid
संदर्भ
हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 220 केवी श्रीनगर – अलस्टेंग – द्रास- कारगिल – लेह ट्रांसमीशन सिस्टम को राष्ट्र को समर्पित किया. इस कदम से पूरे वर्ष के दौरान लद्दाख को गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होगी. इससे पर्यटन क्षेत्र को काफी बढ़ावा मिलेगा और लद्दाख के सामाजिक-आर्थिक विकास में वृद्धि होगी.
प्रधानमंत्री ने 12 अगस्त, 2014 को इस परियोजना का शिलान्यास किया था और 4.5 वर्षों के अन्दर, यह परियोजना भारत सरकार की एक नवरत्न कंपनी, पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पावरग्रिड) द्वारा पूरी कर ली गई है.
श्रीनगर – अलस्टेंग – द्रास- कारगिल – लेह ट्रांसमिशन लाइन के बारे में
- यह ट्रांसमिशन लाइन 3000-4000 मीटर की ऊंचाई पर निर्मित है और इसकी लम्बाई प्रायः 335 किमी है.
- इस पर कुल व्यय 2266 करोड़ रू. आया है.
- इस परियोजना में द्रास, कारगिल, खलस्ती और लेह में निर्मित चार नए अत्याधुनिक 220/66 केवी गैस इंसुलेटेड सब-स्टेशन 24 घंटे गुणवत्तापूर्ण बिजली सुनिश्चित करने में मदद करेंगे.
- वित्त पोषण प्रावधान 95:05 (भारत सरकार के 95% और 5% जम्मू और कश्मीर राज्य के हिस्से) के अनुपात में हैं.
परियोजना के लाभ
- इस परियोजना के परिणामस्वरूप सर्दियों के दौरान डीजल पैदा करने वाले सेटों के उपयोग में बड़े पैमाने पर कमी आएगी और इस प्रकार प्राचीन लद्दाख क्षेत्र के सुंदर पर्यावरण की सुरक्षा में मदद मिलेगी.
- इस परियोजना के कार्यान्वयन का उद्देश्य लद्दाख में कठोर सर्दियों में लद्दाख के लोगों को बिजली की आपूर्ति करना और ग्रीष्मकाल में एनएचपीसी के कारगिल और लेह हाइडल स्टेशनों की अधिशेष बिजली की निकासी करना है.
- यह पीएमआरपी योजना के तहत भारत सरकार की एक प्रमुख परियोजना है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय ग्रिड से जुड़कर जम्मू-कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में बिजली आपूर्ति की विश्वसनीयता और गुणवत्ता में सुधार करना है.
- यह न केवल ग्रीष्मकाल में बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करेगा, अपितु उस समय भी बिजली की आपूर्ति जारी रखेगा जब सर्दियों में तापमान में गिरावट होती हैऔर हाइड्रो बिजली उत्पादन समरूप नही रहते हैं.
- यह परियोजना किफायती दरों पर लद्दाख क्षेत्र की बिजली की मांग पूरा करेगी.
उचित दरों पर बिजली उपलब्ध होने से लद्दाख के आतिथ्य उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि डीजल सेटों पर उनकी निर्भरता कम हो जाएगी. - यह सभी मौसमों में किफायती प्रवास की तलाश कर रहे पर्यटकों को भी आकर्षित करेगा.
चुनौतियाँ
अप्रत्याशित मौसम की स्थिति में पावरग्रिड द्वारा निष्पादित इस दुस्साध्य कार्य को त्रुटिहीन परियोजना निगरानी कौशल, उच्च टीम भावना और रणनीतिक योजना और आधुनिक प्रौद्योगिकियों के उपयोग द्वारा संभव बनाया गया है. द्रास में न्यूनतम तापमान -40 डिग्री तक नीचे जाने के साथ लाइन प्रायः छह महीने तक बर्फ से ढकी रहती है. इसलिए, विशेष रूप से डिजाइन किए गए टॉवर नींव का निर्माण टॉवर नींवों को खोलने के लिए हिमपात और हिमस्खलन अध्ययन प्रतिष्ठान (एसएएसई) की सहायता से किया गया है. क्योंकि श्रम बल के समक्ष कम ऑक्सीजन स्तरों पर काम करने की चुनौती है. यह क्षेत्र में रक्षा प्रतिष्ठानों सहित रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लद्दाख क्षेत्र को ग्रिड कनेक्टिविटी और विश्वसनीय गुणवत्ता की बिजली आपूर्ति भी प्रदान करेगा.
पावरग्रिड क्या है?
- पावरग्रिड दुनिया की सबसे बड़ी पॉवर ट्रांसमिशन यूटिलिटी में से एक है और इसके अंदर ट्रांसमिशन लाइनों का एक विस्तृत नेटवर्क है जिसमें 238 सब-स्टेशन और 351,106 एमवीए की परिवर्तन क्षमता है.
- इसकी कुल लम्बाई 150,874 सर्किट किलोमीटर है.
Prelims Vishesh
Kerala sets up drug price monitor :-
• केरल भारत का वह पहला राज्य बन गया है जहाँ औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश (Drugs Price Control Order – DPCO) के अंतर्गत अत्यावश्यक औषधियों एवं चिकित्सा उपकरणों के लिए घोषित मूल्यों के उल्लंघन पर दृष्टि रखने के लिए एक मूल्य अनुश्रवण एवं शोध इकाई (PMRU) गठित की गई है.
• ज्ञातव्य है कि सरकार द्वारा कुछ औषधियों के मूल्य निर्धारित कर दिए गये हैं पर कई फार्म कंपनियाँ निर्धारित दाम से अधिक वसूल रही हैं. इस प्रवृत्ति को नियंत्रित करना अत्यावश्यक है. इसी बात को दृष्टि में रखते हुए PMRU का गठन किया गया है.
NASA’s Hubble Telescope :-
• हाल ही में हबल अन्तरिक्ष दूरबीन के खगोल वेत्ताओं ने एक बौनी आकाशगंगा का पता लगाया है जो पृथ्वी से मात्र 300 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर है.
• इस आकाशगंगा का नाम Bedin 1 रखा गया है.
Operation Smile :-
तेलंगाना के हैदराबाद शहर की पुलिस ने “ऑपरेशन स्माइल – V” नामक एक पहल शुरू की है जिसके माध्यम से 1 जनवरी, 2019 से अभी तक 325 ऐसे बच्चे को बचाया गया है जो या तो मजदूरी कर रहे थे अथवा भीख माँग रहे थे.
Nilavembu kudineer :-
डेंगी ज्वर से पीड़ित लोगों के उपचार के लिए तमिलनाडु सरकार ने हाल ही में नीलवेम्बु कुडिनीर नामक सिद्ध औषधि का वितरण किया है.
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