Sansar Daily Current Affairs, 04 February 2021
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Modern Indian history from about the middle of the eighteenth century until the present- significant events, personalities, issues
Topic : Suhasini Ganguli
संदर्भ
3 फरवरी सुहासिनी गांगुली (Suhasini Ganguli) की जयंती मनाई गई.
सुहासिनी गांगुली कौन थीं?
- सुहासिनी गांगुली का जन्म 3 फरवरी 1909 को खुलना में हुआ था जो शहर आज बांग्लादेश का तीसरा सबसे बड़ा शहर है.
- सुहासिनी गांगुली भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं. भारतवर्ष की आज़ादी उनके जीवन का सबसे बड़ा सपना था, जिसको पूरा करने में उन्होंने अपना पूरा जीवन लगा दिया.
- उनके इस त्यागमय जीवन और साहसिक कार्य को सम्मान देने के लिएकोलकाता की एक सड़क का नाम
- सुहासिनी गांगुली सरनी” रखा गया है.
- यामिनी ने अपनी पुस्तक “स्वतंत्रता संग्राम” की क्रांतिकारी महिलाएँ में उनके जीवन चरित्र का वर्णन किया है.
- उन दिनों बंगाल में ‘छात्री संघा’ नाम का एक महिला क्रांतिकारी संगठन कार्यरत था जिसकी कमान कमला दास गुप्ता के हाथों में थी. ज्ञातव्य है कि इसी संगठन से प्रीति लता वाडेकर और बीना दास जैसी वीरांगनाओं जुड़ी हुई थी.
- खुलना के क्रांतिकारी रसिक लाल दास और क्रांतिकारी हेमंत तरफदार के संपर्क में आने से सुहासिनी गांगुली क्रांतिकारी गतिविधियों की ओर प्रेरित हुईं और जल्द ही युगांतर पार्टी से जुड़ गयीं.
- 1930 के ‘चटगांव शस्त्रागार कांड‘ के उपरांत ‘छात्री संघा’ के साथ-साथ अन्य क्रांतिकारी साथियों समेत सुहासिनी गांगुली पर भी निगरानी बढ़ गई. इसके उपरांत वह चंद्रनगर आ गई एवं क्रांतिकारी शशिधर आचार्य की छदम धर्मपत्नी के तौर पर रहने लगीं.
- हमेशा खादी पहनने वालीं सुहासिनी आध्यात्मिक तबियत की थीं, देश को आजाद करना ही उनका एकमात्र लक्ष्य था. उनके संपर्क में इतने क्रांतिकारी आए, जो उनके व्यक्तित्व से काफी प्रभावित भी थे.
- मार्च 1965 में यह एक सड़क दुर्घटना की शिकार हो गई एवं इलाज के दौरान चिकित्सीय लापरवाही से बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण इनकी मृत्यु 23 मार्च 1965 को हो गई.
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Modern Indian history from about the middle of the eighteenth century until the present- significant events, personalities, issues
Topic : 100th year of Chauri Chaura
संदर्भ
4 फ़रवरी को चौरी-चौरा काण्ड के सौ साल पूरे होने के अवसर पर शताब्दी समारोह का आयोजन कर किया गया.
चौरी-चौरा काण्ड
- महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन के दौरान 4 फरवरी 1922 को कुछ लोगों की गुस्साई भीड़ ने गोरखपुर के चौरी-चौरा के पुलिस थाने में आग लगा दी थी. इसमें 23 पुलिस वालों की मौत हो गई थी.
- इस घटना के दौरान तीन नागरिकों की भी मौत हो गई थी. इससे पहले यह पता चलने पर की चौरी-चौरा पुलिस स्टेशन के थानेदार ने मुंडेरा बाज़ार में कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं को मारा है, गुस्साई भीड़ पुलिस स्टेशन के बाहर जमा हुई थी. यह बात इतनी बढ़ी कि पुलिस को लाठीचार्ज और फिर फायरिंग करनी पड़ी. फिर नाराज भीड़ ने चारों ओर से थाने को घेर लिया. थाने को आग लगा दी गई.
- जब नाराज भीड़ पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ थाने को घेर रही थी, तब पुलिसवालों ने थाने के दरवाजे बंद कर लिए. वो अंदर छिप गए. सुखी लकड़ियां, कैरोसिन आयल की मदद से प्रदर्शनकारियों ने थाना भवन को आग लगाई. ये घटना दोपहर में करीब 1.30 बजे शुरू हुई और शाम 04.00 बजे तक चलती रही.
- इस हिंसा के बाद महात्मा गांधी ने 12 फरवरी 1922 को असहयोग आंदोलन वापल ले लिया था. महात्मा गांधी के इस निर्णय को लेकर क्रांतिकारियों का एक दल नाराज़ हो गया था. 16 फरवरी 1922 को गांधीजी ने अपने लेख ‘चौरी चौरा का अपराध’ में लिखा कि अगर यह आंदोलन वापस नहीं लिया जाता तो दूसरी जगहों पर भी ऐसी घटनाएँ होतीं.
- उन्होंने इस घटना के लिए एक तरफ जहाँ पुलिस वालों को ज़िम्मेदार ठहराया क्योंकि उनके उकसाने पर ही भीड़ ने ऐसा कदम उठाया था तो दूसरी तरफ घटना में शामिल तमाम लोगों को अपने आपको पुलिस के हवाले करने को कहा क्योंकि उन्होंने अपराध किया था.
- जब गांधीजी ने इस घटना के बाद असहयोग आंदोलन को वापस लिया तो सुभाष चन्द्र बोस, चितरंजन देशबंधु और मोतीलाल नेहरू जैसे कई शीर्ष कांग्रेस नेता उनसे नाराज भी हुए. लेकिन ये तय था कि चौरी-चौरा की घटना में देश को एक अलग तरह से जगाया और अंग्रेजों को डराया.
- इसके बाद गांधीजी पर राजद्रोह का मुकदमा भी चला था और उन्हें मार्च 1922 में गिरफ़्तार कर लिया गया था.
- असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में 4 सितंबर 1920 को पारित हुआ था. गांधीजी ने तब कहा था कि अगर असहयोग के सिद्धांतों का सही से पालन किया गया तो एक साल के अंदर अंग्रेज़ भारत छोड़कर चले जाएंगे.
- चौरी-चौरा कांड की याद में 1973 में गोरखपुर में इस जगह पर 12.2 मीटर ऊंची एक मीनार बनाई गई. इसके दोनों तरफ एक शहीद को फांसी से लटकते हुए दिखाया गया. बाद में भारतीय रेलवे ने दो ट्रेनें भी चौरी-चौरा के शहीदों के नाम से चलवाई. इन ट्रेनों के नाम हैं शहीद एक्सप्रेस और चौरी-चौरा एक्सप्रेस.जनवरी 1885 में यहां चौरी चौरा नाम से एक रेलवे स्टेशन की स्थापना की गई.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation. Development processes and the development industry the role of NGOs, SHGs, various groups and associations, donors, charities, institutional and other stakeholders.
Topic : One District One Product
संदर्भ
‘एक जनपद-एक उत्पाद’ / ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ (ODOP) योजना के तहत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बागवानी वस्तुओं के उत्पादन में सहायता प्रदान करने तथा स्कूली बच्चों को बेहतर पोषण प्रदान करने के लिए, आंगनवाड़ी योजनाओं और प्राथमिक विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना के अंतर्गत गर्म-पकाए जाने वाले भोजन में ‘सुनहरी कंद’ को शामिल किया जा सकता है, यह नारंगी-मांसल मीठे आलू की भांति एक स्वादिष्ट एवं पोषक कंद होता है.
मुख्य बिंदु
- ODOP कार्यक्रम के प्रारंभिक चरण के तहत, 27 राज्यों के 103 जिलों से 106 उत्पादों को चिह्नित किया गया है.
- पश्चिम बंगाल को छोड़कर भारत के सभी राज्यों और जिलों में राज्य निर्यात संवर्धन समिति (State Export Promotion Committee- SPEC) और जिला निर्यात संवर्धन समिति (District Export Promotion Committee- DEPC) का गठन किया गया है.
ODOP के उद्देश्य
- ODOP का उद्देश्य उत्तर प्रदेश के जिलों में पारम्परिक रूप से चलने वाले उद्योगों को बढ़ावा देना है. विदित हो कि कई उत्पाद विशेष जिलों के नाम से ही जाने जाते हैं.
- ODOP के अन्य उद्देश्य हैं – उत्पादन, उत्पादकता और आय को यथासंभव बढ़ाना, स्थानीय शिल्पों का संरक्षण एवं विकास करना, कलाओं को प्रोत्साहित करना, उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार करना और कौशल विकास का संवर्द्धन करना.
पृष्ठभूमि
ODOP मूल रूप से व्यवसाय के विकास की एक जापानी अवधारणा है, जिसे 1979 में प्रमुखता मिली थी. इसका उद्देश्य किसी विशेष क्षेत्र में होने वाले प्रमुख उत्पादन को बढ़ावा देना तथा उसके विक्रय को बढ़ाना और इस प्रकार वहाँ के स्थानीय लोगों के जीवन-स्तर को सुधारना है. कालांतर में कई एशियाई देशों ने इस अवधारणा को अपनाया है.
उत्तर प्रदेश में इस योजना के लिए लक्ष्य –
- स्थानीय शिल्पों और कौशलों का संरक्षण और विकास एवं कला को प्रोत्साहन.
- आय और स्थानीय रोजगार में वृद्धि (इससे राज्य से श्रमिकों के पलायन पर रोक लगेगी).
- उत्पाद की गुणवत्ता और कौशल विकास में सुधार.
- उत्पादों को कलात्मक तरीके से रूपांतरित करना (पैकेजिंग, ब्रांडिंग के माध्यम से).
- उत्पादन को पर्यटन के साथ जोड़ना. (प्रत्येक्ष डेमो और बिक्री आउटलेट – उपहार और स्मारिका)
- आर्थिक अंतर और क्षेत्रीय असंतुलन के मुद्दों को हल करना.
- राज्य स्तर पर इस योजना के सफल कार्यान्वयन के बाद ODOP की अवधारणा को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाना.
उत्तर प्रदेश कई ऐसे उत्पादों के लिए जाना जाता है जो यहाँ अलग-अलग जिलों में सदियों से बनाए जाते रहे हैं. इनमें कुछ उल्लेखनीय उत्पाद हैं –
- बनारसी सिल्क साड़ी – वाराणसी
- कालीन – भदोही
- चिकन – लखनऊ
- चमड़े का सामान – कानपुर
- चमड़े के जूते – आगरा
- ताले – अलीगढ़
- पीतल के बर्तन – मुरादाबाद
- खेल के सामान – मेरठ
- लकड़ी के उत्पाद – सहारनपुर
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Economics of animal rearing.
Topic : GOBAR-DHAN Scheme
संदर्भ
हाल ही में गोबरधन योजना को बढ़ावा देने और वास्तविक समय की प्रगति पर नजर रखने के लिए गोबरधन का एकीकृत पोर्टल शुरू किया गया है.
गोबरधन के एकीकृत पोर्टल के विषय में
- केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्रालय, केंद्रीय पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस एवं इस्पात मंत्रालय, केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय और केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने हाल ही में संयुक्त रूप से ‘गोबरधन’ के एकीकृत पोर्टल को शुरू किया है.
- उल्लेखनीय है कि गोबरधन योजना के तहत एक प्रमुख उद्देश्य यह भी था कि भारत में ओडीएफ प्लस लक्ष्यों को जल्द से जल्द पाया जाएगा.
- एकीकृत गोबरधन पोर्टल बायोगैस से संबन्धित योजनाओं/पहलों के सुचारू क्रियान्वयन और इनके वास्तविक समय पर नजर रखने के लिए विभिन्न हितधारकों (यथा-विभागों/मंत्रालयों आदि) के साथ समन्वय सुनिश्चित करेगा.
- ग्रामीण भारत में भारी मात्रा में जैव-अपशिष्ट पैदा होते हैं, जिनका कुशलता से उपयोग किया जा सकता है. इससे पर्यावरण और जन स्वास्थ्य की स्थिति बेहतर हो सकती है.
- गोबर को बायोगैस एवं जैविक खाद में बदलकर रोजगार के अवसर और घरेलू बचत को प्रोत्साहित किया जा सकता है.
- गोबरधन का एकीकृत पोर्टल, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और मजबूत करेगा.
गोबर-धन योजना
- यह योजना पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय की है.
- इस पहल की देख-रेख स्वच्छ भारत मिशन के तहत किया जा रहा है.
- GOBAR-Dhan का full-form है –Galvanising Organic Bio-Agro Resources-Dhan.
- Gobar-Dhan के दो उद्देश्य हैं : – गांवों को स्वच्छ बनाना और मवेशियों के मल और कचरे से ऊर्जा उत्पन्न करना.
- इस योजना की घोषणा 2018-19 के बजट में की गई थी.
- इसका कार्यान्वयन स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के अंतर्गत किया जाएगा. इसके दो उद्देश्य हैं – प्रथम, गाँव को स्वच्छ बनाना तथा द्वितीय, मवेशियों के मल और कचरे से ऊर्जा उत्पन्न करना.
- यह मवेशियों के गोबर और ठोस अपशिष्ट को खेतों में कम्पोस्ट खाद, बायोगैस और बायो CNG के रूप में प्रतिबंध और परिवर्तित करने पर ध्यान केन्द्रित करेगा.
- किसानों को खरीददारों से जोड़ने के लिए एक ऑनलाइन व्यापार मंच भी बनाया जाएगा ताकि वे गोबर और कृषि अपशिष्ट के लिए उचित मूल्य प्राप्त कर सकें.
- इस संदर्भ में एक प्रमुख चुनौती यह है कि किसानों को यह सोचने के लिए प्रेरित किया जाए कि उनके मवेशियों के अपशिष्ट से आय प्राप्त की जा सकती है और इस प्रक्रिया में वे अपने समुदायों को भी स्वच्छ बना सकते हैं.
आवश्यकता
- 19वीं पशुधन गणना (2012) का अनुमान है कि भारत के मवेशियों की जनसंख्या 300 मिलियन (विश्व में सबसे अधिक) है, जिनसे प्रतिदिन 3 मिलियन टन गोबर का उत्पादन होता है.
- 2014 के ILO के एक अध्ययन के अनुसार, गोबर का उत्पादक उपयोग राष्ट्रीय स्तर पर 1.5 मिलियन नौकरियाँ उपलब्ध करा सकता है. किसान के लिए गोबर बिक्री से अधिक आय की महत्त्वपूर्ण संभावना है.
- ILO अध्ययन में यह भी उल्लेख किया गया है कि एक किग्रा. गोबर का मूल्य 10 गुना से अधिक बढ़ सकता है. यह इस बात पर निर्भर कि क्या अंतिम उत्पाद ताजा गोबर है (बिक्री मूल्य 0.13 रुपए) अथवा एक बायोगैस प्लांट के 1 MW के इनपुट के साथ कम्पोस्ट आउटपुट (1.6 रुपए) के रूप में है.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization of resources, growth, development and employment.
Topic : Higher External Financing
संदर्भ
सरकार को राजकोषीय घाटे के अंतराल की पूर्ति के लिए बाह्य वित्तपोषण के मार्ग का सुझाव दिया गया है.
बाह्य वित्तपोषण
- बाह्य वित्तपोषण देश के बाहर स्थित स्रोतों से उघार लिए गए धन को संदर्भित करता है.
- बाह्य ऋण को उसी मुद्रा में पुनः भुगतान करना पड़ता है, जिसमें यह उधार लिया जाता है.
- यह विदेशी वाणिज्यिक बैंकों, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों जैसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (WB) आदि स्रोतों से और विदेशी राष्ट्रों की सरकार से प्राप्त किया जा सकता है.
- ये वित्त मुख्य रूप से दीर्घ अवधि के वित्तपोषण के लिए प्रयोग किए जाते हैं और इन पर ब्याज दर बहुत कम होती है.
मुख्य तथ्य
- भारत का वर्तमान बाह्य ऋण और सकल घरेलू उत्पाद के मध्य अनुपात 5 प्रतिशत से कम के साथ वैश्विक स्तर पर सबसे कम है.
- वर्ष-2021 में आरंभिक आठ महीनों (अप्रैल-नवंबर) में बाह्य वित्तपोषण के माध्यम से एकत्रित की गई राशि लगभग 38,495.5 करोड़ रूपए हो गई, जो बजट अनुमान का 833 प्रतिशत है.
महत्त्व
- यह भुगतान संतुलन के उद्देश्य से विदेशी मुद्रा जुटाने के लिए सहायक होता है.
- निजी निवेश के बहिर्गमन के प्रभाव (crowding out effect) को कम करने में सहायक होता है. सरकार द्वारा लिए गये ऋण में वृद्धि करके निजी क्षेत्र के लिए ऋण की उपलब्धता को अल्प किया जाता है.
Prelims Vishesh
Aero India 2021 :-
- एयरो इंडिया -2021 के बारे में रक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित द्विवार्षिक एयर शो एवं रक्षा प्रदर्शनी एयरो इंडिया-2021 का आयोजन 3 से 5 फरवरी 2021 के दौरान बेंगलूरु के येलहंका वायु सेना स्टेशन पर किया जा रहा है.
- एयरो इंडिया एशिया का सबसे बड़ा एयर शो है. इसमें सैन्य एवं नागरिक उड्डयन, एयरोस्पेस, हवाई अड्डा बुनियादी ढांचा और रक्षा इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में काम करने वाली दुनिया की अग्रणी कंपनियां बड़ी तादाद में भाग लेती हैं.
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