Sansar डेली करंट अफेयर्स, 04 January 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 04 January 2019


GS Paper 1 Source: The Hindu

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Topic : Monuments of national importance

संदर्भ

वर्ष 2018 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने राष्ट्रीय महत्त्व के भारत के संरक्षित स्मारकों की सूची में 6 नए स्मारकों के नामों को जोड़ा है.

कौन हैं वे नए 6 स्मारक?

जिन छह नए स्मारकों को इस सूची में जोड़ा गया है उनमें महाराष्ट्र में नागपुर स्थित 125 साल पुरानी मुंबई उच्च न्यायालय की इमारत, मुगलों के वक्त की गवाह रही आगरा स्थित आगा खां की हवेली और हाथी खाना, राजस्थान के अलवर में बनी 335 साल प्राचीन नौ-मंजिला नीमराणा बावड़ी, ओडिशा के बोलांगीर जिले के रानीपुर झारेल में स्थित मंदिरों का समूह और उत्तराखण्ड के पिथौरागढ जिले का विष्णु मंदिर सम्मिलित हैं.

विदित हो कि इन स्मारकों को सम्मिलित करने के पश्चात् देश में राष्ट्रीय महत्त्व के संरक्षित स्मारकों की संख्या 3686 से बढ़कर 3693 हो गई है. जिन तीन राज्यों में संरक्षित स्मारकों की संख्या सबसे अधिक है, वे क्रमशः हैं – उत्तर प्रदेश (745), कर्नाटक (506) और तमिलनाडु (413). जहाँ तक दक्षिण भारत का प्रश्न है कर्नाटक में ऐसे सर्वाधिक ऐसे स्मारक हैं.

राष्ट्रीय महत्व के स्मारक किसे कहते हैं?

राष्ट्रीय महत्व के स्मारक भारत में स्थित वे ऐतिहासिक, प्राचीन अथवा पुरातात्विक संरचनाएं, स्थल या स्थान हैं जो कि प्राचीन स्मारक, पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 के अधीन, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के माध्यम से भारत की संघीय सरकार या राज्य सरकारों द्वारा संरक्षित होते हैं.

ASI क्या है?

  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भारत सरकार के संस्कृति विभाग के अन्तर्गत एक सरकारी एजेंसी है, जो कि पुरातत्व अध्ययन और सांस्कृतिक स्मारकों के अनुरक्षण के लिये उत्तरदायी होती है.
  • भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण का प्रमुख कार्य राष्ट्रीय महत्‍व के प्राचीन स्‍मारकों तथा पुरातत्‍वीय स्‍थलों और अवशेषों का रखरखाव करना है.
  • इसके अतिरिक्‍त, प्राचीन स्मारक तथा पुरातात्त्विक स्‍थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के अनुसार यह देश में सभी पुरातात्त्विक गतिविधियों को विनियमित करता है.
  • यह पुरावशेष तथा बहुमूल्‍य कलाकृति अधिनियम, 1972 को भी विनियमित करता है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Suspension of MP

संदर्भ

लोकसभा में हंगामा करने वाले सांसदों के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने गुरुवार को शोर-शराबा कर रहे टीडीपी और अन्नाद्रमुक के 21 सदस्यों को चार दिन के निलंबित कर दिया.

  • यह निलम्बन नियम 374 (ए) के तहत किया गया जिसमें सदन की कार्यवाही से चार कामकाजी दिनों के लिए निलंबित किया जाता है.

नियम 374 (A)

कार्रवाई लोकसभा की नियमावली के नियम – 374 (ए) के अधीन यह प्रावधान है कि किसी सदस्य द्वारा अध्यक्ष के आसन के निकट आकर अथवा सभा में नारे लगाकर या अन्य प्रकार से सभा की कार्यवाही में बाधा डालकर लगातार और जानबूझकर सभा के नियमों का दुरुपयोग करते हुए घोर अव्यवस्था उत्पन्न किए जाने की स्थिति में अध्यक्ष द्वारा सदस्य का नाम लिए जाने पर वह सभा की सेवा से लगातार पांच बैठकों के लिए या सत्र की शेष अवधि के लिए,  जो भी कम हो, स्वत: निलंबित हो जाएगा.

निलंबन की अवधि के दौरान ये सांसद संसद के केंद्रीय कक्ष में भी नहीं जा सकेंगे.

क्‍या अध्‍यक्ष के पास सभा की कार्यवाही स्‍थगि‍त करने अथवा बैठक को नि‍लंबि‍त करने की शक्‍ति‍ है?

अनु. 375 के अंतर्गत सभा में घोर अव्‍यवस्‍था की स्‍थि‍ति‍ उत्‍पन्‍न होने पर अध्‍यक्ष यदि‍ आवश्‍यक समझे तो वह अपनी इच्‍छानुसार नि‍र्धारि‍त समय तक सभा की कार्यवाही को स्‍थगि‍त अथवा बैठक को नि‍लंबि‍त कर सकता है.

इतिहास

  • अगस्त 2015 में कांग्रेस के 25 सदस्यों को काली पट्टी बांधने एवं कार्यवाही बाधित करने पर निलंबित किया था.
  • फरवरी 2014 में लोकसभा के शीतकाल सत्र में 17 सांसदों को 374 (ए) के तहत निलंबित किया गया था.
  • अगस्त 2013 में मानसून सत्र के दौरान कार्यवाही में रुकावट पैदा करने के लिए 12 सांसदों को निलंबित किया था.
  • वर्ष 1989 में राजीव गांधी सरकार के दौरान विपक्ष के 63 सांसदों को हंगामा करने पर निलंबित किया गया था.

क्या राज्य सभा में भी निलंबन के कुछ ऐसे नियम हैं?

नियम 255. सदस्य का चला जाना
सभापति किसी सदस्य को जिसका व्यवहार उसकी राय में घोर अव्यवस्थापूर्ण हो, तत्काल राज्य सभा से चले जाने का निदेश दे सकेगा और जिस सदस्य को इस तरह चले जाने का आदेश दिया जाये वह तुरन्त चला जायेगा और उस दिन बैठक के अवशिष्ट समय तक अनुपस्थित रहेगा.

नियम 256. सदस्य का निलम्बन
(1) यदि सभापति आवश्यक समझे तो वह उस सदस्य का नाम ले सकेगा जो सभापीठ के अधिकार की उपेक्षा करे या जो बार-बार और जान बूझकर राज्य सभा के कार्य में बाधा डालकर राज्य सभा के नियमों का दुरूपयोग करे.
(2)   यदि किसी सदस्य का सभापति द्वारा इस तरह नाम लिया जाये तो वह एक प्रस्ताव उपस्थित किये जाने पर, किसी संशोधन, स्थगन अथवा वाद-विवाद की अनुमति न देकर, तुरन्त इस प्रस्ताव पर मत लेगा कि सदस्य को ( उसका नाम लेकर ) राज्य सभा की सेवा से ऐसी अवधि तक निलम्बित किया जाये जो सत्र के अवशिष्ट भाग से अधिक नहीं होगी:
परन्तु राज्य सभा किसी भी समय, प्रस्ताव किये जाने पर, संकल्प कर सकेगी कि ऐसा निलम्बन समाप्त किया जाये.
(3)   इस नियम के अधीन निलम्बित सदस्य शीघ्र राज्य सभा की प्रसीमा के बाहर चला जायेगा.

पर ध्यान देने योग्य बात यह कि लोकसभा के अध्यक्ष को सदन के किसी भी सदस्य को निलम्बित करने का अधिकार प्राप्त है परन्तु राज्य सभा के सभापति किसी राज्य सभा के सदस्य को तभी निलम्बित कर सकता है जब उसके समक्ष इस आशय का कोई प्रस्ताव आये. दोनों हालातों में निलम्बन का आधार अभद्रता, आदेश का उल्लंघन आदि होता है.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Citizenship (Amendment) Bill, 2016

संदर्भ

संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने उस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है जिसमें विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 को स्वीकृति दी गई थी. यह विधेयक  नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन करना चाहता है.

संशोधन की आवश्यकता क्यों?

नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 अभी संसद में लंबित है और उस पर एक संसदीय समिति विचार कर रही है. परन्तु इसका अभी से ही असमें बड़ा विरोध हो रहा है क्योंकि प्रस्तावित अधिनियम के माध्यम से मार्च, 1971 के बाद बांग्लादेश से आने वाले अवैध हिन्दू आव्रजकों को नागरिकता मिल जायेगी, जो 1985 के असम समझौते का उल्लंघन होगा.

नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016

  • नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 के द्वारा अवैध आव्रजकों (migrants) की परिभाषा को सरकार बदलना चाह रही है.
  • मूल नागरिकता अधिनियम संसद् द्वारा 1955 में पारित हुआ था.
  • प्रस्तावित संशोधन के अनुसार अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आये हुए उन आव्रजकों को ही अवैध आव्रजक माना जाएगा जो हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी अथवा ईसाई नहीं हैं.
  • इसके पीछे अवधारणा यह है कि जो व्यक्ति अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में धार्मिक अत्याचार का शिकार होकर भारत आते हैं, उन्हें सरकार नागरिकता देना चाहती है. परन्तु इन देशों से यदि कोई मुसलमान भागकर आता है तो उसे वैध आव्रजक नहीं माना जायेगा.
  • मूल अधिनियम के अनुसार वही आव्रजक भारत की स्थाई नागरिकता प्राप्त कर सकता है जो यहाँ लगातार 11 वर्ष रहा हो.
  • संशोधन में इस अवधि को घटाकर 6 वर्ष कर दिया गया है.

नागरिकता अधिनियम 1995 क्या है?

  • भारतीय संविधान की धारा 9 के अनुसारयदि कोई व्यक्ति अपने मन से किसी दूसरे देश की नागरिकता ले लेता है तो वह भारतीय नागरिक नहीं रह जाता है.
  • जनवरी 26, 1950 से लेकर दिसम्बर 10, 1992 की अवधि में विदेश में जन्मा हुआ व्यक्ति भारत का नागरिक तभी हो सकता है यदि उसका पिता उसके जन्म के समय भारत का नागरिक रहा हो.
  • जो व्यक्ति दिसम्बर 3, 2004 के बाद विदेश में जन्मा हो, उसे भारत का नागरिक तभी माना जाएगा यदि जन्म के एक वर्ष के अंदर उसके जन्म का पंजीकरण किसी भारतीय वाणिज्य दूतावास (consulate) में कर लिया गया हो.
  • नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुभाग 8 के अनुसार यदि कोई वयस्क व्यक्ति घोषणा करके भारतीय नागरिकता त्याग देता है तो वह भारत का नागरिक नहीं रह जाता है.
  • मूल अधिनियम के अनुसार, अवैध आव्रजक वह व्यक्ति है जोबिना मान्य पासपोर्ट के भारत में प्रवेश करता है और वीजा की अवधि के समाप्त हो जाने पर भी इस देश में रह जाता है. इसके अतिरिक्त वह व्यक्ति भी अवैध आव्रजक माना जाता है जिसने आव्रजन प्रक्रिया के लिए नकली कागजात जमा किये हों.
  • नागरिकता अधिनियम के अनुसार भारत की नागरिकता इन पाँच विधियों से प्राप्त की जा सकती है –
  1. जन्म
  2. वंशानुगत क्रम
  3. पंजीकरण
  4. प्राकृतिक रूप से नागरिकता
  5. यदि कोई व्यक्ति जिस देश में रहता है वह देश भारत में मिल जाता है तो.

GS Paper 2 Source: Economic Times

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Topic : Lead and MSG in noodles

संदर्भ

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने मैगी में लेड की उपस्थिति को लेकर नेस्ले के विरुद्ध आपराधिक कार्यवाही पर लगाई गई रोक को खारिज कर दिया है.

वैश्विक फूड और बेवरेज कंपनी नेस्ले इंडिया (Nestle India) ने सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार किया कि उसके सबसे लोकप्रिय एफएमसीजी उत्पाद मैगी (Maggi) में लेड की मात्रा थी.

सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश को देखते हुए राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (National Consumer Disputes Redressal Commission – NCDRC) अब नेस्ले के खिलाफ कार्रवाई को आगे बढ़ाएगा.

क्या है मामला?

विदित हो कि 2015 में मैगी में लेड की मात्रा 17.2 पीपीएम पाई गई जबकि यह 0.01 से 2.5 पीपीएम तक ही होनी चाहिए. उत्तर प्रदेश के फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने मैगी के सैंपल लिए और इसकी जांच कराई तो मैगी में लेड की मात्रा तय सीमा से ज्यादा मिली.

इस मामले के बाद देश के कई राज्यों ने अपने यहां पर मैगी की ब्रिकी रोक दी. भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने भी मैगी के सभी वर्जंस को असुरक्षित बताते हुए कंपनी को इसके प्रॉडक्‍शन एवं बिक्री पर रोक लगा दी. एफएसएसएआई ने उस समय कहा था कि नेस्‍ले ने अपने उत्‍पाद पर मंजूरी लिए बिना और जोखिम-सुरक्षा आंकलन को मैगी ओट्स मसाला नूडल्‍स मार्केट में उतार दिया था जो कि कानूनी रूप से पूरी तरह अवैध है.

ज्यादा लेड से क्या होता है नुकसान

फूड सेफ्टी के नियमों के मुताबिक, अगर प्रोडक्ट में लेड और मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) का इस्तेमाल किया गया है तो पैकेट पर इसका जिक्र करना अनिवार्य है. एमएसजी से मुंह, सिर या गर्दन में जलन, स्किन एलर्जी, हाथ-पैर में कमजोरी, सिरदर्द और पेट की तकलीफें हो सकती हैं.

डॉक्टरों के मुताबिक, बहुत ज्यादा मात्रा में लेड का सेवन गंभीर स्वास्थ्य दिक्कतें पैदा कर सकता है. इससे न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें, खून के प्रवाह में समस्या और किडनी फेल होने तक की नौबत आ सकती है. लेड की मात्रा का अधिक सेवन बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक है. इससे उनके विकास में रुकावट आ सकती है, पेट दर्द, नर्व डैमेज और दूसरे अंगों को भी नुकसान पहुंच सकता है.

मोनोसोडियम ग्लूटामेट

मोनोसोडियम ग्लूटामेट, जिसे सोडियम ग्लूटामेट या एमएसजी भी कहा जाता है, एक सोडियम लवण है, ग्लूटामिक अम्ल का सोडियम लवण. यह अम्ल कुदरती रूप से मिलनेवाला सबसे सुलभ गैर-ज़रूरी अमीनो अम्ल है. अमरीका के खाद्य और दवा प्रशासन ने एमएसजी को सामान्यतः सुरक्षित समझे जानेवाले (जीआरएएस) के रूप में और यूरोपीय संघ ने भोजन योज्य के रूप में वर्गीकृत किया है. एमएसजी का एचएस कोड 29224220 और ई संख्या ई621 है.

NCDRC

  • राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग एक अर्ध-न्यायिक (Quasi -Judicial) आयोग है.
  • जिसका गठन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत वर्ष 1988 में हुआ था.
  • इसे उपभोक्ताओं की शिकायतों पर निर्णय लेने के लिए स्थापित किया गया था.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : GEF assisted Green – Ag Project to transform Indian Agriculture

संदर्भ

भारत सरकार ने वैश्विक पर्यावरण सुविधा (Global Environment Facility – GEF) के साहचर्य में एक परियोजना का अनावरण किया है जिसका नाम है – ग्रीन एजी.

इस परियोजना का उद्देश्य भारतीय कृषि में इस प्रकार का बदलाव लाना है कि जिससे पूरे विश्व के पर्यावरण का लाभ भारतीय कृषि को मिल सके और जैव-विविधता एवं वन भूमि का संरक्षण हो सके.

परियोजना क्या है?

इस परियोजना का कार्यान्वयन खाद्य एवं कृषि संगठन के सहयोग से किया जायेगा. यह परियोजना भारत के पाँच राज्यों में स्थित महत्त्वपूर्ण लैंडस्केपों में लागू की जायेगी. ये हैं –

  • मध्यप्रदेश : चम्बल लैंडस्केप
  • मिजोरम : दम्पा लैंडस्केप
  • ओडिशा : सिमलीपाल लैंडस्केप
  • राजस्थान : डेजर्ट नेशनल पार्क
  • उत्तराखंड : कॉर्बेट-राजाजी लैंडस्केप

ग्रीन-एजी परियोजना का लक्ष्य है जैव-विविधता, जलवायु-परिवर्तन एवं सतत भूमि प्रबंधन के उद्देश्यों तथा प्रथाओं को भारतीय कृषि से जोड़ना. इस परियोजना का महत्त्व यह है कि यह भारतीय कृषि-क्षेत्र और पर्यावरण क्षेत्र की प्राथमिकताओं और निवेशों में समरसता लाएगी जिससे कि राष्ट्रीय एवं वैश्विक पर्यावरण के लाभ प्राप्त हो सकें और साथ ही गाँवों में आजीविका को मजबूत करने की भारत की क्षमता पहले जैसी बनी रहे और खाद्य एवं पोषण की सुरक्षा भी होती रहे.

Global Environment Facility (GEF)

  • GEF पर्यावरण सम्बन्धी परियोजनाओं को अनुदान देने की एक प्रणाली है.
  • Global Environment Facility 1992 के Rio Earth Summit के अवसर पर स्थापित हुआ था.
  • इसका उद्देश्य पृथ्वी के सर्वाधिक विकट पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान में सहायता पहुँचाना है.
  • यह एक वित्तीय संगठन है जो स्वतंत्र रूप से निधि मुहैया कराता है जो इन परियोजनाओं से सम्बंधित हैं – जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, अंतर्राष्ट्रीय जल, भूमि क्षरण, ओजोन परत, जैविक प्रदूषण, पारा, सतत वन प्रबन्धन, खाद्य सुरक्षा, आत्मनिर्भर नगर आदि.
  • GEF में183 देशों की भागीदारी है. साथ ही इसके अन्य भागीदार हैं – अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ, सामाजिक संगठन, निजी क्षेत्र.
  • GEF विकासशील देशों को अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणीय संधियों तथा समझौतों के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए निधि मुहैया करता है.
  • Global Environment Facility के निधि का प्रबंधन विश्व बैंक करता है.

Prelims Vishesh

मकरविलक्कू उत्सव

  • केरल का प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर 21वें वार्षिक मकरविलक्कू उत्सव के लिए खुला.
  • मकरविलक्कूमकरविलक्कू एक धार्मिक प्रक्रिया है, इसका पालन पोंनमबालामेदू के वनों में रहने वाले जनजातियों द्वारा किया जाता है.
  • मकर सक्रांति के दौरान जब मकर ज्योति (साइरस तारा) आकाश में दिखाई पड़ती है, उस समय यह जनजाति पोंनमबालामेदू के वनों में धार्मिक विधियों को पूरा करती है.

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