Sansar Daily Current Affairs, 04 January 2021
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.
Topic : India set to begin two-year tenure as a non-permanent member of the United Nations Security Council (UNSC)
संदर्भ
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के अस्थायी सदस्य के रूप में भारत के दो वर्ष के कार्यकाल की शुरूआत हुई.
विदित हो कि भारत को वर्ष 2021-22 के लिए 15 राष्ट्रों की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में एक अस्थायी सदस्य के रूप में 8वीं बार चुना गया है.
मुख्य बिंदु
- भारत, एशिया-प्रशांत देशों द्वारा समर्थित उम्मीदवार था.
- अस्थायी सदस्यों का चयन दो वर्षों के लिए किया जाता है.
- इसलिए प्रतिवर्ष महासभा कुल 10 में से पांच अस्थायी सदस्यों का निर्वाचन करती है.
- वर्तमान 10 अस्थायी सदस्य हैं यथाः भारत, नॉवें, केन्या, आयरलैंड, मेक्सिको एस्टोनिया, नाइजर, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडींस, ट्यूनिशिया तथा वियतनाम.
- भारत अगस्त 2021 में UNSC की अध्यक्षता करेगा और वर्ष 2022 में एक माह के लिए पुनः अध्यक्षता करेगा.
- विदित हो कि सदस्य देशों के नामों के अंग्रेजी वर्णनाला क्रम के अनुसार, प्रत्वेक सदस्य द्वारा एक माह के लिए परिषद की अध्यक्षता की जाती है.
UNSC के कार्यकाल के दौरान नॉर्म्स: “एक दुरुस्त बहुपक्षीय व्यवस्था के लिए अभिविन्यास” (NORMS: New Orientation for a reformed Multilateral System) नामक थीम के अंतर्गत भारत पांच प्राथमिकताओं पर कार्य करेग, जैसे- प्रगति के नए अवसर, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर प्रभावी प्रतिक्रिया, बहुपक्षीय व्यवस्थाओं में सुधार, अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण और समाधानों के चालक के रूप में मानवीय स्पर्श के साथ प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहन देना.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् क्या है?
- संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र के अनुसार शांति एवं सुरक्षा बहाल करने की प्राथमिक जिम्मेदारी सुरक्षा परिषद् की होती है. इसकी बैठककभी भी बुलाई जा सकती है. इसके फैसले का अनुपालन करना सभी राज्यों के लिए अनिवार्य है. इसमें 15 सदस्य देश शामिल होते हैं जिनमें से पाँच सदस्य देश – चीन, फ्रांस, सोवियत संघ, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका – स्थायी सदस्य हैं. शेष दस सदस्य देशों का चुनाव महासभा में स्थायी सदस्यों द्वारा किया जाता है. चयनित सदस्य देशों का कार्यकाल 2 वर्षों का होता है.
- ज्ञातव्य है कि कार्यप्रणाली से सम्बंधित प्रश्नों को छोड़कर प्रत्येक फैसले के लिए मतदान की आवश्यकता पड़ती है. अगर कोई भी स्थायी सदस्य अपना वोट देने से मना कर देता है तब इसे “वीटो” के नाम से जाना जाता है. परिषद् (Security Council) के समक्ष जब कभी किसी देश के अशांति और खतरे के मामले लाये जाते हैं तो अक्सर वह उस देश को पहले विविध पक्षों से शांतिपूर्ण हल ढूँढने हेतु प्रयास करने के लिए कहती है.
परिषद् मध्यस्थता का मार्ग भी चुनती है. वह स्थिति की छानबीन कर उस पर रपट भेजने के लिए महासचिव से आग्रह भी कर सकती है. लड़ाई छिड़ जाने पर परिषद् युद्ध विराम की कोशिश करती है.
वह अशांत क्षेत्र में तनाव कम करने एवं विरोधी सैनिक बलों को दूर रखने के लिए शांति सैनिकों की टुकड़ियाँ भी भेज सकती है. महासभा के विपरीत इसके फैसले बाध्यकारी होते हैं. आर्थिक प्रतिबंध लगाकर अथवा सामूहिक सैन्य कार्यवाही का आदेश देकर अपने फैसले को लागू करवाने का अधिकार भी इसे प्राप्त है. उदाहरणस्वरूप इसने ऐसा कोरियाई संकट (1950) तथा ईराक कुवैत संकट (1950-51) के दौरान किया था.
कार्य
- विश्व में शांति एवं सुरक्षा बनाए रखना.
- हथियारों की तस्करी को रोकना.
- आक्रमणकर्ता राज्य के विरुद्ध सैन्य कार्यवाही करना.
- आक्रमण को रोकने या बंद करने के लिए राज्यों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाना.
संरचना
सुरक्षा परिषद् (Security Council) के वर्तमान समय में 15 सदस्य देश हैं जिसमें 5 स्थायी और 10 अस्थायी हैं. वर्ष 1963 में चार्टर संशोधन किया गया और अस्थायी सदस्यों की संख्या 6 से बढ़ाकर 10 कर दी गई. अस्थायी सदस्य विश्व के विभिन्न भागों से लिए जाते हैं जिसके अनुपात निम्नलिखित हैं –
- 5 सदस्य अफ्रीका, एशिया से
- 2 सदस्य लैटिन अमेरिका से
- 2 सदस्य पश्चिमी देशों से
- 1 सदस्य पूर्वी यूरोप से
चार्टर के अनुच्छेद 27 में मतदान का प्रावधान दिया गया है. सुरक्षा परिषद् में “दोहरे वीटो का प्रावधान” है. पहले वीटो का प्रयोग सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य किसी मुद्दे को साधारण मामलों से अलग करने के लिए करते हैं. दूसरी बार वीटो का प्रयोग उस मुद्दे को रोकने के लिए किया जाता है.
परिषद् के अस्थायी सदस्य का निर्वाचन महासभा में उपस्थित और मतदान करने वाले दो-तिहाई सदस्यों द्वारा किया जाता है. विदित हो कि 191 में राष्ट्रवादी चीन (ताईवान) को स्थायी सदस्यता से निकालकर जनवादी चीन को स्थायी सदस्य बना दिया गया था.
इसकी बैठक वर्ष-भर चलती रहती है. सुरक्षा परिषद् में किसी भी कार्यवाही के लिए 9 सदस्यों की आवश्यकता होती है. किसी भी एक सदस्य की अनुपस्थिति में वीटो अधिकार का प्रयोग स्थायी सदस्यों द्वारा नहीं किया जा सकता.
इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
UNSC 1267 समिति क्या है?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की ‘समिति 1267’ को वर्ष 1999 में गठित किया गया था तथा 11 सितंबर 2001 के हमलों के पश्चात् इसे अधिक शक्तिशाली बनाया गया.
- इस समिति को ‘दा‘एश’ (Da’esh) तथा ‘अल कायदा प्रतिबंध समिति’ (Al Qaida Sanctions Committee) के नाम से भी जाना जाता है.
- इसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी स्थायी और गैर-स्थायी सदस्य सम्मिलित होते हैं.
- 1267 आतंकवादियों की सूची, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से स्वीकृत एक वैश्विक सूची है. इसमें पाकिस्तानी नागरिक और इसके निवासी बड़ी संख्या में सूचीबद्ध है.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Food processing and related industries in India- scope and significance, location, upstream and downstream requirements, supply chain management.
Topic : Ethanol Blended Petrol
संदर्भ
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में इथेनॉल आसवन क्षमता को बढ़ाने के लिए संशोधित योजना को स्वीकृति दी है. इसके अंतर्गत शीरा के अलावा अनाज (चावल, गेहूं, जौ, मक्का और सोरघम), गन्ना और चुकंदर जैसी खाद्य वस्तुओं से इथेनॉल का उत्पादन किया जाएगा.
निहितार्थ
- इस निर्णय से जौ, मक्का, मक्का और चावल जैसे अनाज से इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा.
- इस योजना से उत्पादन और आसवन क्षमता में 1,000 करोड़ लीटर तक की वृद्धि होगी और वर्ष 2030 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल के मिश्रण लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी.
इथेनॉल (Ethanol)
- यह एक जल रहित एथिल अल्कोहल है, जिसका रासायनिक सूत्र C2H5OH होता है.
- यह गन्ना, मक्का, गेहूं आदि से प्राप्त किया किया जा सकता है, जिसमें स्टार्च की उच्च मात्रा होती है.
- भारत में इथेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से किण्वन प्रक्रिया द्वारा गन्ना के शीरा (Molasses) से किया जाता है.
- इथेनॉल को अलग-अलग प्रकार के मिश्रण उत्पाद बनाने के लिये गैसोलीन के साथ मिश्रित किया जाता है.
- इथेनॉल में ऑक्सीजन के अणु होते हैं अत: इथेनॉल के पेट्रोल के सम्मिश्रण से ईंधन का अधिक पूर्ण दहन संभव हो पाता है. जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण प्रदूषकों के उत्सर्जन में कमी आती है.
एथनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम
- एथनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम को कार्यान्वित करने के लिए भारत सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों के द्वारा होने वालीएथनॉल की खरीद की प्रक्रिया निर्धारित की है.
- इस योजना के अंतर्गत एथनॉल की खरीद अच्छे दामों पर की जायेगी जिससे सम्बंधित मिल गन्ना किसानों के बकायों का भुगतान करने में सक्षम हो जायेंगे.
- C heavy खांड़ (गुड़ का एक रूप) से बनने वाले एथनॉल का दाम ऊँचा होने तथाB heavy खांड़ एवं गन्ने के रस से उत्पन्न एथनॉल की खरीद की सुविधा के कारण EBP कार्यक्रम के अंतर्गत एथेनॉल की उपलब्धता बहुत बढ़ने की संभावना है.
- पेट्रोल में एथनॉल मिलाने के कई लाभ हैं.
- इससे बाहर से पेट्रोल मंगाने की आवश्यकता में कमी तो आएगी ही, साथ ही इससे किसानों को आर्थिक लाभ भी होगा.
- यह ईंधन पर्यावरण की दृष्टि से भी अनुकूल है क्योंकि इससे कम प्रदूषण होता है.
प्रभाव
- सरकार के इस निर्णय से अनेक कार्यों के लिए गन्ने की अधिक खपत में कमी आएगी.
- सम्बंधित कारखाने किसानों के बकाया गन्ना मूल्य को चुका सकेंगे और इथनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम के लिए अधिक इथनॉल की उपलब्धता बढ़ेगी.
- सभी डिस्टिलरी इस योजना का लाभ उठा सकेंगी और अधिक से अधिक संख्या में डिस्टिलरी ईबीपी कार्यक्रम हेतु इथनॉल की आपूर्ति करेंगी.
- इथनॉल आपूर्तिकर्ताओं को समर्थन मिलने से गन्ना किसानों के बकाये में कमी आएगी और इस प्रक्रिया में गन्ना किसानों की मुश्किलों में कमी आएगी.
- B-Heavy शीरा/आंशिक गन्ना रस तथ 100% गन्ना रस से तैयार इथनॉल की खरीद के लिए ऊंचे मूल्य पेश किए जाने के कारण ईबीपी कार्यक्रम के लिए इथनॉल की उपलब्धता पहली बार बढ़ेगी.
लाभ
पेट्रोल में इथनॉल मिलाने के कई लाभ हैं –
- इससे आयात पर निर्भरता में कमी आएगी.
- कृषि क्षेत्र को समर्थन मिलेगा
- पर्यावरण अनुकूल ईंधन उपलब्ध होगा
- प्रदूषण का स्तर कम होगा.
- किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त होगी.
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विभिन्न प्रकार के जैव ईंधन
बायो ऐथनॉल : यह कार्बोहाइड्रेट और फसलों एवं अन्य पौधों व घासों के रेशेदार (cellulosic) सामग्री के किण्वन से उत्पादित अल्कोहल है. सामान्यतः ईंधन की ऑक्टेन संख्या बढ़ाने के लिए इसका योजक के रूप में प्रयोग किया जाता है.
बायो डीजल : यह पौधों और पशुओं से प्राप्त तेलों और वसा के ट्रांस एस्टरीफिकेशन द्वारा उत्पादित फैटी एसिड का मिथाइल या मिथाइल एस्टर है. इसका प्रत्यक्ष रूप से ईंधन के रूप में उपयोग किया जा सकता है.
बायो गैस : बायो गैस अवायवीय जीवों द्वारा कार्बनिक पदार्थों के अवायवीय पाचन के माध्यम से उत्पादित मीथेन है. इसे पूरक गैस प्राप्ति करने के लिए एनारोबिक डाइजेस्टर में या तो जैव-निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ डालकर अथवा ऊर्जा फसलों का उपयोग करके उत्पादन किया जा सकता है.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Inclusive growth and issues arising from it.
Topic : Digital Payments Index: DPI
संदर्भ
हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने डिजिटल भुगतान सूचकांक (Digital Payments Index: DPI) का प्रारम्भ किया. डिजिटल भुगतान सूचकांक देश भर में भुगतान के डिजिटलीकरण के विस्तार का पता लगाएगा. साथ ही, डिजिटल भुगतान के विभिन्न स्वरूपों तक पहुँच और गहनता को उचित रीति से दर्शाएगा.
मुख्य बिंदु
- RBI-DPI में 5 व्यापक मापदंड सम्मिलित हैं, जो विभिन्न समयावधि में देश में डिजिटल भुगतान की व्यापकता और पैठ का मापन करने में सक्षम हैं.
- वे मापदंड हैं: भुगतान सक्षमकर्ता (भारांश 25%), भुगतान अवसंरचना- मांग-पक्ष कारक (10%), भुगतान अवसंरचना- आपूर्ति-पक्ष कारक (15%), भुगतान निष्पादन (45%) और उपभोक्ता केंद्रितता (5%).
- RBI-DPI निर्माण मार्च 2018 को आघार अवधि मानकर किया गया था, अर्थात् मार्च 2018 के लिए DPI स्कोर 100 निर्धारित किया गया है.
- मार्च 2019 और मार्च 2020 के लिए DPI क्रमशः 153.47 और 207.84 पर हैं. ये वर्ष 2018-20 में डिजिटल भुगतान के विस्तार में सराहनीय वृद्धि की ओर संकेत करते हैं. DPI स्कोर मार्च 2021 से 4 महीने के अंतराल के साथ RBI की वेबसाइट पर अर्ध-वार्षिक आधार पर प्रकाशित किया जाएगा.
- डिजिटल भुगतान वस्तुतः एक लेन-देन है, जो डिजिटल या ऑनलाइन मोड के माध्यम से संपन्न होता है. इसमें धन का कोई भौतिक आदान-प्रदान नहीं होता है. बैंकिंग कार्ड, अनस्ट्रक्चर्ड सप्लीमेंट्री सर्विस डेटा (USSD), आधार समर्थित भुगतान प्रणाली (AEPS), मोबाइल वॉलेट आदि डिजिटल भुगतान के प्रमुख तरीके हैं.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Challenges to internal security through communication networks, role of media and social networking sites in internal security challenges, basics of cyber security; money-laundering and its prevention.
Topic : Armed Forces (Special Powers) Act
संदर्भ
गृह मंत्रालय ने हाल ही में, पूरे नागालैंड राज्य को सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम [Armed Forces (Special Powers) Act – AFSPA] के अंतर्गत अगले छह महीने के लिए लिए अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया है.
गृह मंत्रालय के अनुसार, संपूर्ण नागालैंड राज्य की सीमा के भीतर आने वाला क्षेत्र ऐसी अशांत और खतरनाक स्थिति में है जिससे वहां नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का प्रयोग करना आवश्यक है.
AFSPA क्या है?
- सरल शब्दों में कहा जाए तो AFSPA वह अधिनियम है जो सैन्य बलों को उपद्रवग्रस्त क्षेत्रों में विधि-व्यवस्था बनाने के लिए शक्ति प्रदान करता है.
- इसके अनुसार सैन्य बल को यह अधिकार होता है कि किसी क्षेत्र में वह पाँच या उससे अधिक लोगों के जमावड़े को प्रतिबंधित कर सकता है.
- इसके अतिरिक्त वह बल का प्रयोग कर सकता है अथवा समुचित चेतवानी के बाद गोली भी चला सकता है यदि उसको लगे कि कोई व्यक्ति विधि का उल्लंघन कर रहा है.
- यदि सैन्य बल को लगे कि किसी व्यक्ति की गतिविधियाँ संदेहास्पद हैं तो वह उस व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकता है.
- सेना किसी भी घर में घुसकर बिना वारंट के तलाशी ले सकती है और आग्नेयास्त्र रखने पर रोक लगा सकती है. यदि कोई व्यक्ति गिरफ्तार होता है अथवा कस्टडी में लिया जाता है तो सेना उसे निकटतम पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी को गिरफ्तारी की परिस्थितियों का विवरण देते हुए सौंप सकती है.
सैन्य बल (विशेष शक्तियाँ) अधिनियम 1958 में पारित हुआ था और उसको समूचे तत्कालीन असम राज्य और मणिपुर संघीय क्षेत्र पर लागू किया गया था. कालांतर में जब फरवरी 20, 1987 को असम के विभाजन के उपरान्त अरुणाचल प्रदेश का सृजन हुआ तो यह विवादित अधिनियम वहाँ स्वतः लागू हो गया. आगे चलकर मेघालय, मिजोरम और नागालैंड राज्य अस्तित्व में आये तो इस अधिनियम को थोड़- बहुत संशोधित करते हुए इन राज्यों पर भी लागू कर दिया गया.
“उपद्रवग्रस्त क्षेत्र” किसे कहते हैं?
उपद्रवग्रस्त क्षेत्र उस क्षेत्र को कहते हैं जिसको AFSPA के अनुभाग 3 के अंतर्गत इस रूप में अधिसूचित किया जाता है. किसी क्षेत्र के उपद्रवग्रस्त घोषित होने के कारण अनेक हो सकते हैं, जैसे – धार्मिक, नस्ली, भाषाई, जातीय, सामुदायिक, क्षेत्रीय.
केंद्र सरकार अथवा सम्बंधित राज्य के राज्यपाल अथवा सम्बंधित संघीय क्षेत्र के प्रशासक राज्य अथवा सनघीय क्षेत्र के सम्पूर्ण भाग अथवा एक भाग को उपद्रवग्रस्त क्षेत्र घोषित कर सकते हैं. इसके लिए शासकीय राजपत्र में अधिसूचना निकाली जाती है.
फिलहाल इनर लाइन परमिट की आवश्यकता भारतीय नागरिकों को तब होती है जब वह इनतीन राज्यों प्रवेश करना चाहते हैं – अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड. इस विधेयक के पास हो जाने पर मणिपुर में भी यह परमिट लागू हो गया है. वर्तमान में यह परमिटमात्र यात्रा के लिए निर्गत होते हैं. इसमें यह प्रावधान है कि ऐसे यात्री सम्बंधित राज्य में भूसंपदा नहीं खरीद सकेंगे.
वर्तमान में यह परमिटमात्र यात्रा के लिए निर्गत होते हैं. इसमें यह प्रावधान है कि ऐसे यात्री सम्बंधित राज्य में भूसंपदा नहीं खरीद सकेंगे.
Prelims Vishesh
Nationwide vaccine dry run :-
- यह पूर्वाम्यास सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में आयोजित किया जा रहा है.
- ड्राई रन का उद्देश्य राज्य में कोविड -19 टीकाकरण के लिए नियोजित परिचालनों और निर्धारित तंत्रों का परीक्षण करना है.
- यह किसी भी कमी या अवरोध के लिए अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा, ताकि वास्तविक क्रियान्वयन के आरंभ होने से पूर्व उनका समाधान या जा सके.
- इस अभ्यास में को-विन (Co-WIN) एप्लिकेशन में आवश्यक डेटा प्रविष्टि शामिल की जाएगी.
- को-विन वैक्सीन वितरण की निगरानी, शीत भंडारण के लिए परीक्षण तथा कार्यान्वयन स्थलों पर उचित सोशल डिस्टेंसिंग के साथ भीड़ के प्रबंधन के लिए एक ऑनलाइन मंच है.
Majuli Island :-
- माजुली असम में ब्रह्मपुत्र नदी में निर्मित विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप (river island) है.
- यह 352 वर्ग किमी से अधिक व्यापक क्षेत्र में विस्तृत है.
- यह 16वीं शताब्दी के पश्चात से नक-वैष्णव संस्कृति के प्राथमिक केंद्र के रूप में असम का महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक केंद्र भी है.
- माजुली द्वीप मृदा अपरदन और भारी बाढ़ के कारण खतरनाक दर से जलमग्न हो रहा है. फलस्वरूप द्वीप के आकार में उत्तरोत्तर कमी हो रही है।
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