Sansar डेली करंट अफेयर्स, 04 January 2022

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Sansar Daily Current Affairs, 04 January 2022


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय.

Topic : Govt to launch SRESHTA scheme for socio economic development of SC students

संदर्भ

भारत सरकार अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए “श्रेष्ठ योजना शुरू करने जा रही है. यह योजना छात्रों को गुणवत्तापूर्ण आवासीय शिक्षा प्रदान करेगी. डॉ. बी आर अंबेडकर की पुण्यतिथि (6 दिसंबर) पर इस योजना की शुरुआत की जाएगी.

श्रेष्ठ योजना से सम्बंधित मुख्य तथ्य

  • यह योजना अनुसूचित जाति के मेधावी छात्रों को लक्षित करती है, इसके जरिये उन्हें उच्च गुणवत्ता वाली आवासीय स्कूली शिक्षा प्रदान की जाएगी.
  • यह योजना सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जाएगी.
  • योजना के कार्यान्वयन के लिए 300 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी.
  • इस योजना से अगले पांच वर्षों में 24,800 से अधिक छात्रों को मदद मिलने की उम्मीद है.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।

Topic : Infinity Forum

संदर्भ

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये फिन-टेक पर एक विचारशील नेतृत्वकारी मंच इनफिनिटी फोरम का उद्घाटन किया. इस कार्यक्रम की मेजबानी अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) भारत सरकार के तत्वावधान में गिफ्ट-सिटी और ब्लूमबर्ग कर रहे हैं. इसका आयोजन 3-4 दिसंबर, 2021 को हो रहा है. फोरम के इस प्रथम आयोजन में इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका और यूके साझीदार देश हैं.

इनफिनिटी-फोस्म के जरिये नीति, व्यापार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व की जानी-मानी प्रतिभायें एक साथ आयेंगी तथा इस बात पर गहन विमर्श करेंगी कि कैसे प्रौद्योगिकी और नवाचार को फिन-टेक उद्योग में इस्तेमाल किया जा सकता है. ताकि समावेशी विकास हो तथा बड़े पैमाने पर सबकी सेवा हो.

फोरम का एजेंडा “बियॉन्ड’ (सर्वोच्च) विषय पर केंद्रित है. इसमें विभिन्‍न उप-विषय शामिल हैं, जैसे ‘फिन-टेक बियॉन्ड बाऊंड्रीज, (वित्त-प्रौद्योगिकी सर्वोच्च सीमा तक). जिसके तहत सरकारें और व्यापार संस्थायें वित्तीय समावेश को प्रोत्साहित करने के लिये भौगोलिक सरहदों के परे ध्यान देंगी. ताकि वैश्विक समूह का विकास हो सके: ‘फिन-टेक बियॉन्ड फाइनेन्स’ (वित्त-प्रौद्योगिकी सर्वोच्च वित्त तक). जिसके तहत स्पेस-टेक, ग्रीन-टेक तथा एग्री-टेक जैसे उभरते क्षेत्रों में एकरूपता लाई जा सके और सतत विकास हो सके और “फिन-टेक बियॉन्ड नेक्सट” (वित्त-प्रौद्योगिकी सर्वोच्च अग्रिम तक). जिसके तहत इस बात पर ध्यान दिया जायेगा कि कैसे क्वॉन्टम कंप्यूटिंग, भावी फिन-टेक उद्योग तथा नये अवसरों को प्रोत्साहित करने के लिये प्रभावी हो सकता है.

फिनटेक से तात्पर्य एवं इसका महत्त्व

फिनटेक (Financial Technology) से तात्पर्य, वित्तीय कार्यों/लेनदेनों को टेक्नोलॉजी की मदद से पूरा करने से है. आज हम टैक्सी का किराया चुकाने या रेस्टोरेंट का बिल चुकाने के लिये पेमेंट नकद में नहीं बल्कि पेटीएम या फोनपे से करते हैं तो इसे फिनटेक रिवोल्यूशन ही कहा जायेगा. इस रिवोल्यूशन ने न सिर्फ कैश रखने की ज़रूरत खत्म कर दी है बल्कि बैंकिंग सर्विस का रूप भी बदल कर रख दिया है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

फिनटेक कम्पनियाँ, स्टार्ट-अपों बैंकों के लिये पेमेंट, कैश ट्रांसफर जैसी सर्विसेज़ में काफी मददगार साबित हो रहे हैं. साथ ही ये देश के दूर-दराज़ के इलाकों तक बैंकिंग सर्विसेज को उपलब्ध करा रहे हैं. फिनटेक का सबसे बड़ा लाभ यह है कि गाँव-गाँव जाकर बैंक शाखाएँ खोलने की ज़रूरत नहीं है और न ही बैंकिंग प्रतिनिधियों की ज़रूरत है. भारत में पिछले वर्ष पहली बार मोबाइल द्वारा भुगतान ने एटीएम नकद निकासी को पीछे छोड़ दिया था. पूर्ण रण डिजिटल बैंक बिना किसी इमारती बैंक शाखा के, अब एक वास्तविकता हैं और एक दशक से भी कम समय ये बहुत आम हो जायेंगे. भारत की युवा जनसंख्या (लगभग 65%), आकर्षक बाजार (140 मिलियन मध्यम वर्गीय, 21 मिलियन उच्च आय वाली जनसंख्या) एवं नई टेक्नोलॉजी की उच्च स्वीकार्यता (1.2 बिलियन स्मार्ट फोन, फ़ास्टैग को अपनाना) एवं वित्तीय समावेशन (जनधन खाते) में वद्धि होना, भारत में फिनटेक के विकास के लिए अनकल परिस्थितियाँ बनाते हैं. हालाँकि जब भी कोई नई तकनीकी क्रांति आती है तो उसके कुछ खतरे भी होते हैं, फिनटेक को लेकर सबसे बड़ा खतरा डेटा की सुरक्षा को लेकर है. डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करना अभी एक बड़ी चुनौती है. इसके अलावा स्थिर इंटरनेट सुविधा होना भी फिनटेक की सफलता के लिए आवश्यक है.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय.

Topic : Prevention of Cruelty to Animals Act, 1960

संदर्भ

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा महाराष्ट्र को सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ के समक्ष मामला लंबित रहने तक, राज्य में बैलगाड़ी दौड़ आयोजित करने की अनुमति दी गयी है. राज्य में बैलगाड़ी दौड़ (Bullock Cart Race) की लगभग 400 साल पुरानी परंपरा है.

संबंधित प्रकरण:

  • सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2014 में बैलगाड़ी दौड़ को ‘केंद्रीय अधिनियम’ के प्रावधानों का उल्लंघन घोषित किए जाने के बाद महाराष्ट्र में इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
  • तमिलनाडु सरकार द्वारा जल्लीकट्टू (बैल को वश में करना) को विनियमित करने हेतु एक कानून बनाए जाने के बाद, महाराष्ट्र में बैल-दौड़ को फिर से शुरू करने की मांग की जाने लगी.
  • अप्रैल 2017 में, महाराष्ट्र विधानसभा ने राज्य में बैलगाड़ी दौड़ को फिर से शुरू करने के लिए एक कानून पारित किया था.
  • अगस्त 2017 में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें महाराष्ट्र सरकार को ‘राज्य में कहीं भी बैलगाड़ी दौड़ की अनुमति देने’ से रोक दिया गया था.
  • इसके बाद राज्य ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की थी.

महाराष्ट्र की माँग

हाल ही में, महाराष्ट्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा, तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों की भांति महाराष्ट्र राज्य में भी बैलगाड़ी दौड़ पर से प्रतिबंध हटा लिए जाने चाहिए.

इसके आगे

सुप्रीमकोर्ट ने महाराष्ट्र में बैलगाड़ी दौड़ को फिर से शुरू करने की अनुमति देते हुए कहा है, कि संबंधित मामले को ‘संवैधानिक पीठ’ के पास भेज दिया गया है, और पीठ के समक्ष इसके लंबित रहने तक, ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम’, 1960 (Prevention of Cruelty to Animals Act, 1960) के संशोधित प्रावधानों की वैधता और राज्य में बैलगाड़ी दौड़ के लिए महाराष्ट्र द्वारा बनाए गए नियम लागू रहेंगे.

पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960

  • इस अधिनियम का उद्देश्य ‘अनावश्यक पीड़ा या जानवरों के उत्पीड़न की प्रवृत्ति’ को रोकना है.
  • इस अधिनियम की धारा 4 के तहत, वर्ष 1962 में ‘भारतीय पशु कल्याण बोर्ड’ (Animal Welfare Board of India- AWBI) की स्थापना की गई थी.
  • इस अधिनियम में अनावश्यक क्रूरता और जानवरों का उत्पीड़न करने पर सज़ा का प्रावधान है. यह अधिनियम ‘जानवरों’ और ‘जानवरों के विभिन्न प्रकारों’ को परिभाषित करता है.
  • इसके तहत, वैज्ञानिक उद्देश्यों हेतु जानवरों पर प्रयोग किए जाने से संबंधित दिशा-निर्देश जारी किए जाते हैं.

‘पशु क्रूरता निवारण (पशु संपत्ति की देखभाल और रखरखाव) नियम’, 2017 

(Prevention of Cruelty to Animals (Care and Maintenance of Case Property Animals) Rules, 2017)

  • इस क़ानून को ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम’ (Prevention of Cruelty to Animals Act), 1960 के अंतर्गत बनाया गया था.
  • 2017 के नियमों के अनुसार, मजिस्ट्रेट को पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत मुकदमे में अभियुक्त व्यक्ति के मवेशियों को जब्त करने का अधिकार प्राप्त है.
  • जब्त किये गए जानवरों को फिर ‘चिकित्सालयों’, ‘गौशालाओं,’ पिंजरापोल’ (Pinjrapole), आदि में भेज दिया जाता है.
  • इसके बाद में संबंधित अधिकारी इन जानवरों को ‘पालने के लिए’ किसी को दे सकते हैं.  

मेरी राय – मेंस के लिए

 

क्या पशुओं को किसी भी तरह का कोई अधिकार प्राप्त है? यदि है, तो इन अधिकारों को किस प्रकार प्रशासित किया जाता है तथा इन अधिकारों को किसके खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है? यदि ऐसा नहीं है, तो क्या मनुष्यों को जानवरों की देखभाल करने तथा उन पर दया दिखाने संबंधी दायित्व सौंप दिये जाने चाहियें? क्या इनमें से कोई भी अधिकार अथवा ज़िम्मेदारी अपरिहार्य है? साथ ही, क्या जानवरों की सुरक्षा तथा आश्रय के लिये सुनिश्चित किये गए कर्तव्यों को भारतीय संविधान के अंतर्गत उल्लिखित किया गया है? यदि हाँ, तो किस सीमा तक इन कर्तव्यों को विस्तारित किया जा सकता है? क्या पशुओं को किसी भी तरह का कोई अधिकार प्राप्त है? यदि है, तो इन अधिकारों को किस प्रकार प्रशासित किया जाता है तथा इन अधिकारों को किसके खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है? यदि ऐसा नहीं है, तो क्या मनुष्यों को जानवरों की देखभाल करने तथा उन पर दया दिखाने संबंधी दायित्व सौंप दिये जाने चाहियें? क्या इनमें से कोई भी अधिकार अथवा ज़िम्मेदारी अपरिहार्य है? साथ ही, क्या जानवरों की सुरक्षा तथा आश्रय के लिये सुनिश्चित किये गए कर्तव्यों को भारतीय संविधान के अंतर्गत उल्लिखित किया गया है? यदि हाँ, तो किस सीमा तक इन कर्तव्यों को विस्तारित किया जा सकता है?


GS Paper 3 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus: उदारीकरण का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन तथा औद्योगिक विकास पर इनका प्रभाव.

Topic : Future-Amazon Deal Dispute

संदर्भ

हाल ही में, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने फ्यूचर ग्रुप की इकाई में ‘अमेज़ॅन’ को निवेश करने हेतु नवंबर 2019 में दी गई अपनी स्वीकृति पर रोक लगा दी है. यह रोक, अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी ‘अमेज़ॅन’ द्वारा नियामक से अनुमोदन की मांग करते समय, इसके द्वारा किए जाने वाले निवेश के दायरे और पूर्ण विवरण को उजागर नहीं करने के आधार पर लगायी गयी है. इसके अलावा, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने ‘अमेज़ॅन’ पर कई जुर्माने भी लगा दिए हैं.

निहितार्थ

अमेज़ॅन द्वारा ‘फ्यूचर ग्रुप’ के रिलायंस इंडस्ट्रीज को अपनी खुदरा संपत्ति बेचने संबंधी वर्ष 2020 के फैसले पर रोक लगाने की मांग की जा रही है, ‘भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग’ के हालिया निर्णय से इस सौदे से संबंधित कानूनी परिदृश्य और पेचीदा हो जाएगा.

संबंधित प्रकरण

(नोट: मामले का केवल संक्षिप्त अवलोकन करें. परीक्षा के दृष्टिकोण से इस मामले के बारे में कोई विवरण आवश्यक नहीं है.)

फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के मध्य अगस्त 2020 में 24,713 करोड़ रुपये का सौदा हुआ था, जिसके तहत ‘फ्यूचर रिटेल’ की रिटेल, होलसेल, लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग इकाइयों को ‘रिलायंस रिटेल’ और ‘फैशनस्टाइल’ के लिए बेचा जाना था.

  • अमेज़न, ‘फ्यूचर ग्रुप’ का भारतीय साझेदार है.
  • अमेज़ॅन का कहना है, कि फ्यूचर ग्रुप ने अपनी परिसंपत्तियों को प्रतिद्वंद्वी के लिए बेच कर साझेदारी अनुबंध का उल्लंघन किया है, और यह अमेज़ॅन को तबाह करना चाहता है. जबकि, ऋणों के बोझ से दबे ‘फ्यूचर ग्रुप’ का कहना है, कि यदि यह सौदा नहीं हुआ तो वह बरबाद हो जाएगा.

अमेज़न द्वारा SIAC में मामला क्यों ले जाया गया?

आमतौर पर, किसी सौदे में पक्षकारों द्वारा एक ‘अनुबंध समझौते’ पर हस्ताक्षर किए जाते हैं, जिसमे निम्नलिखित विषयों के बारे में स्पष्ट किया जाता है:

  1. मध्यस्थता करने वाली मध्यस्थ संस्था
  2. लागू होने वाले नियम
  3. मध्यस्थता की जगह

इस मामले में अमेज़ॅन और फ्यूचर ग्रुप ने अपने समझौते के तहत, अपने विवादों को ‘सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र’ (SIAC) में निपटाने पर सहमति व्यक्त की थी. अतः अनुबंध के अनुसार, मामले को निपटाने हेतु सिंगापुर संभवतः उचित जगह थी.

SIAC के तहत प्रक्रिया:

सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (SIAC) में किसी विवाद को फैसले के लिए जाने के पश्चात, मध्यस्थ न्यायाधिकरण (arbitral tribunal) की नियुक्ति संबंधी प्रक्रिया शुरू होती है.

मध्यस्थ न्यायाधिकरण का गठन: प्रायः, तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण होने पर, दोनों पक्षों द्वारा न्यायाधिकरण में एक-एक सदस्य की नियुक्ति की जाती हैं, तथा तीसरे सदस्य को दोनों पक्षों की सहमति से नियुक्त किया जाता है. सहमति नहीं होने पर, तीसरे सदस्य की नियुक्ति SIAC द्वारा की जाती है.

आपातकालीन मध्यस्थ की नियुक्ति:

  • आमतौर पर मध्यस्थ न्यायाधिकरण की नियुक्ति में समय लगता है.
  • अतः, SIAC के नियमों के तहत, पक्षकारों द्वारा ‘सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र’ से अंतरिम राहत पाने हेतु आपातकालीन मध्यस्थ (Emergency Arbitrator) नियुक्त करने को कहा जा सकता है. इसके साथ ही मुख्य मध्यस्थ न्यायाधिकरण की नियुक्ति संबंधी प्रक्रिया जारी रहती है.

पक्षकारों द्वारा फैसला मानने से इंकार करने पर:

वर्तमान में भारतीय कानून के तहत, आपातकालीन मध्यस्थ (Emergency Arbitrator) के आदेशों के प्रवर्तन के लिए कोई अभिव्यक्‍त तंत्र नहीं है.

  • हालांकि, पक्षकारों द्वारा आपातकालीन मध्यस्थ (इमरजेंसी आर्बिट्रेटर) के आदेशों का स्वेच्छा से अनुपालन किया जाता है.
  • यदि, पक्षकारों द्वारा आदेशों का स्वेच्छा से अनुपालन नहीं किया जाता है, तो जिस पक्ष के हक़ में निर्णय दिया गया होता है, इस मामले में अमेज़ॅन, वह मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम (Arbitration & Conciliation Act), 1996 की धारा 9 के तहत, भारत में उच्च न्यायालय से सामान राहत पाने के लिए अपील कर सकता है.

सिंगापुर के ‘अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता’ केंद्र बनने का कारण:

  • भारत में निवेश करने वाले विदेशी निवेशक आमतौर पर भारतीय अदालतों की नीरस और निरर्थक प्रक्रिया से बचना चाहते हैं.
  • विदेशी निवेशकों को लगता है, कि विवादों के समाधान में सिंगापुर तटस्थ रहने वाला देश है.
  • समय के साथ सिंगापुर ने अंतरराष्ट्रीय मानकों और उच्च सत्यनिष्ठा सहित विधि के शासन द्वारा शासित क्षेत्राधिकार के रूप में एक उत्कृष्ट प्रतिष्ठा अर्जित कर ली है. इससे निवेशकों को विश्वास होता है कि मध्यस्थता प्रक्रिया त्वरित, निष्पक्ष और न्यायपूर्ण होगी.

SIAC की 2019 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, भारत, मध्यस्थता केंद्र का शीर्ष उपयोगकर्ता था. भारत से वर्ष 2019 में 485 मामले निर्णय करवाने हेतु SIAC में भेजे गए. इसके पश्चात, फिलीपींस (122 मामले), चीन (76 मामले) और संयुक्त राज्य अमेरिका (65 मामले) का स्थान रहा.

भारत का निजी अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र

मुंबई में अब भारत का अपना अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र है.

सिंगापुर अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (SIAC) के बारे में

यह सिंगापुर में स्थित एक गैर-लाभकारी अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता संगठन है. यह मध्यस्थता संबंधी अपने नियमों और UNCITRAL मध्यस्थता नियमों के तहत मध्यस्थता प्रबंधन करता है.

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग

  • प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के तहत भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की स्थापना मार्च, 2009 में हुई थी.
  • यह एक वैधानिक निकाय है जिसका दायित्व प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के प्रावधानों को पूरे भारत में लागू करना है तथा प्रतिस्पर्धा पर बुरा प्रभाव डालने वाली गतिविधियों को रोकना है.
  • इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है.
  • प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 (अधिनियम) की धारा 8 (1) के अनुसार आयोग में केवल एक अध्यक्ष होगा और सदस्यों की संख्या कम से कम दो होगी और अधिक से अधिक छह होगी.

GS Paper 3 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना.

Topic : Pegasus snooping case

संदर्भ

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पेगासस (Pegasus) सॉफ्टवेयर के माध्यम से जासूसी किए जाने संबंधी आरोपों की जांच करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा नियुक्त ‘जांच आयोग’ की आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है.

संबंधित प्रकरण

कुछ समय पूर्व जारी रिपोर्ट्स में ‘पेगासस स्पाइवेयर’ (Pegasus spyware) का लगातार उपयोग किए जाने की पुष्टि की गई थी. इस ‘स्पाइवेयर’ को एक इजरायली कंपनी द्वारा, विश्व में कई देशों की सरकारों को बेचा जाता है. जिन फोनों को इस ‘पेगासस स्पाइवेयर’ के द्वारा लक्षित किया जाता है, उनकी तरह ही इस ‘स्पाइवेयर’ को भी अपडेट किया गया है और अब नई जासूसी क्षमताओं से युक्त है.

‘पेगासस’ क्या है?

यह ‘एनएसओ ग्रुप’ (NSO Group) नामक एक इजरायली फर्म द्वारा विकसित एक ‘स्पाइवेयर टूल’ अर्थात जासूसी उपकरण है.

  • यह स्पाइवेयर, लोगों के फोन के माध्यम से उनकी जासूसी करता है.
  • पेगासस, किसी उपयोगकर्ता के फ़ोन पर एक ‘एक्सप्लॉइट लिंक’ (exploit link) भेजता है, और यदि वह लक्षित उपयोगकर्ता, उस लिंक पर क्लिक करता है, तो उसके फोन पर ‘मैलवेयर’ (malware) या ‘जासूसी करने में सक्षम’ कोड इंस्टॉल हो जाता है.
  • एक बार ‘पेगासस’ इंस्टॉल हो जाने पर, हमलावर के पास ‘लक्षित’ उपयोगकर्ता के फोन पर नियंत्रण और पहुँच हो जाती है.

‘पेगासस’ की क्षमताएं:

  • पेगासस, “लोकप्रिय मोबाइल मैसेजिंग ऐप से, लक्षित व्यक्ति का निजी डेटा, उसके पासवर्ड, संपर्क सूची, कैलेंडर ईवेंट, टेक्स्ट संदेश, लाइव वॉयस कॉल आदि को हमलावर के पास पहुंचा सकता है”.
  • यह, जासूसी के के दायरे का विस्तार करते हुए, फ़ोन के आस-पास की सभी गतिविधियों को कैप्चर करने के लिए लक्षित व्यक्ति के फ़ोन कैमरा और माइक्रोफ़ोन को चालू कर सकता है.

‘जीरो-क्लिक’ अटैक क्या है?

‘जीरो-क्लिक अटैक’ (zero-click attack), पेगासस जैसे स्पाइवेयर को बिना किसी मानवीय संपर्क या मानवीय त्रुटि के, लक्षित डिवाइस पर नियंत्रण हासिल करने में मदद करता है.

  • तो, जब लक्षित डिवाइस ही ‘सिस्टम’ बन जाता है, तो ‘फ़िशिंग हमले से कैसे बचा जाए, या कौन से लिंक पर क्लिक नहीं करना है, इस बारे में सभी तरह की जागरूकता व्यर्थ साबित हो जाती है.
  • इनमें से अधिकतर ‘जीरो-क्लिक अटैक’ किसी भी उपयोगकर्ता द्वारा डिवाइस पर प्राप्त हुए डेटा की विश्वसनीयता निर्धारित करने से पहले ही, सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल कर लेते हैं.

मैलवेयर, ट्रोजन, वायरस और वर्म में अंतर:

मैलवेयर (Malware), कंप्यूटर नेटवर्क के माध्यम से अवांछित अवैध कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया गया सॉफ़्टवेयर होता है. इसे दुर्भावनापूर्ण इरादे वाले सॉफ़्टवेयर के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है.

मैलवेयर को उनके निष्पादन, प्रसार और कार्यों के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है. इसके कुछ प्रकारों की चर्चा नीचे की गई है.

  1. वायरस (Virus): यह एक प्रोग्राम होता है, जो कंप्यूटर के अन्य प्रोग्रामों को, उनमे अपनी ही एक संभावित विकसित प्रतिलिपि शामिल करके, संशोधित और संक्रमित कर सकता है.
  2. वर्म्स (Worms): यह कंप्यूटर नेटवर्क के माध्यम से प्रसारित होते हैं. यह, कंप्यूटर वर्म्स, वायरस के विपरीत, वैध फाइलों में घुसपैठ करने के बजाय एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम में खुद को कॉपी करते हैं.
  3. ट्रोजन (Trojans): ट्रोजन या ट्रोजन हॉर्स एक ऐसा प्रोग्राम होते है, जो आमतौर पर किसी सिस्टम की सुरक्षा को बाधित करते है. ट्रोजन का उपयोग, सुरक्षित नेटवर्क से संबंधित कंप्यूटरों पर बैक-डोर बनाने के लिए किया जाता है ताकि हैकर सुरक्षित नेटवर्क तक अपनी पहुंच बना सके.
  4. होक्स (Hoax): यह एक ई-मेल के रूप में होता है, और उपयोगकर्ता को, उसके कंप्यूटर को नुकसान पहुचाने वाले किसी सिस्टम के बारे में चेतावनी देता है. इसके बाद, यह ई-मेल संदेश, उपयोगकर्ता को नुकसान पहुंचाने वाली सिस्टम को ठीक करने के लिए एक ‘प्रोग्राम’ (अक्सर डाउनलोड करने के लिए) चालू करने का निर्देश देता है. जैसे ही यह प्रोग्राम चालू या ‘रन’ किया जाता है, यह सिस्टम पर हमला कर देता है और महत्वपूर्ण फाइलों को मिटा देता है.
  5. स्पाइवेयर (Spyware): यह कंप्यूटर पर हमला करने वाले प्रोग्राम होते हैं, और, जैसा कि इसके नाम का तात्पर्य है, ये बिना सहमति के उपयोगकर्ता की गतिविधियों पर नज़र रखते है. ‘स्पाइवेयर’ आमतौर पर वास्तविक ई-मेल आईडी, गैर-संदेहास्पद ई-मेल के माध्यम से अग्रेषित किए जाते हैं. स्पाइवेयर, दुनिया भर में लाखों कंप्यूटरों को संक्रमित करते रहते हैं.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

स्पाइवेयर से बचाव के तरीके

  • स्पाइवेयर की जासूसी से बचने के लिये कंप्यूटर एवं मोबाइल में एंटी स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने के साथ ही समय-समय पर इसे अपडेट करते रहना चाहिए.
  • इंटरनेट पर कोई जानकारी सर्च करते समय केवल विश्वसनीय वेबसाइट पर ही क्लिक किया जाना चाहिए.
  • इंटरनेट बैंकिंग या किसी भी ज़रूरी अकाउंट को कार्य पूरा होने के पश्चात्‌ लॉग आउट किया जाना चाहिए.
  • पासवर्ड टाइप करने के बाद ‘रिमेंबर’ पासवर्ड या ‘कीप लॉगइन’ जैसे ऑप्शन पर क्लिक नहीं किया जाना चाहिए.
  • साइबर कैफे, ऑफिस या सार्वजनिक सिस्टम पर बैंकिंग लेन-देन नहीं करना चाहिए.
  • जन्मतिथि या अपने नाम जैसे साधारण पासवर्ड न बनाएँ, पासवर्ड में लेटर, नंबर और स्पेशल कैरेक्टर का मिश्रण रखना चाहिए.
  • सोशल मीडिया, e-Mail, बैंकिंग इत्यादि के पासवर्ड अलग-अलग रखना चाहिए. बैंक के दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन करना चाहिए. बैंक की तरफ से आए किसी भी तरह के अलर्ट मेसेज को नज़रअंदाज़ न करना चाहिए एवं डेबिट कार्ड का पिन नंबर नियमित अंतराल पर बदलते रहना चाहिए.

Prelims Vishesh

Vernacular Innovation Program – VIP :-

  • हाल ही में, अटल इनोवेशन मिशन (AIM)  द्वारा 22 मातृभाषाओं में नवोन्मेषकों, उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए वर्नाक्युलर इनोवेशन प्रोग्राम (Vernacular Innovation Program – VIP) शुरू किया गया है.
  • आयोग के तहत, ‘अटल इनोवेशन मिशन’ का अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है, जो देश में नवोन्मेषकों और उद्यमियों को भारत सरकार की 22 अनुसूचित भाषाओं में नवाचार इको-सिस्टम तक पहुंच बनाने में सक्षम बनाएगा.
  • कार्यान्वयन: VIP के लिए आवश्यक क्षमता निर्माण को लेकर, एआईएम 22 अनुसूचित भाषाओं में से प्रत्येक की पहचान के बाद एक वर्नाक्युलर टास्क फोर्स (VTF) को प्रशिक्षण प्रदान करेगा.
  • यह कार्यक्रम भारतीय नवाचार तथा उद्यमिता इको-सिस्टम की यात्रा में एक कदम होगा जो युवा तथा महत्वाकांक्षी दिमागों में संज्ञानात्मक एवं डिजाइन से संबंधित सोच को मजबूत करेगा.
  • अटल इनोवेशन मिशन की यह अनूठी पहल, भाषा की बाधाओं को दूर करने और देश के सबसे दूर के क्षेत्रों में इनोवेटरों को सशक्त बनाने में मदद करेगी.
  • 2011 की जनगणना के अनुसार, केवल 10.4 प्रतिशत भारतीय ही अंग्रेजी बोलते हैं, जबकि ज्यादातर अपनी दूसरी, तीसरी या चौथी भाषा के रूप में इसका इस्तेमाल करते हैं. 

Tolkāppiyam :-

  • हाल ही में, शिक्षा राज्य मंत्री द्वारा तोलकाप्पियम (Tolkāppiyam) के हिंदी अनुवाद और शास्त्रीय तमिल साहित्य की 9 पुस्तकों के कन्नड़ अनुवाद का विमोचन किया गया.
  • तमिल साहित्य, संगम युग से संबंधित है, जिसका नाम कवियों की सभा (संगम) के नाम पर रखा गया है.
  • तोल्काप्पियम की रचना ‘तोल्काप्पियार’ द्वारा की गयी थी और इसे तमिल साहित्यिक कृतियों में सबसे प्रारंभिक माना जाता है.
  • हालांकि यह रचना तमिल व्याकरण से संबंधित है, किंतु यह उस समय की राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक स्थितियों पर भी अंतर्दृष्टि भी प्रदान करती है.
  • तमिल परंपरा में कुछ लोग, इस रचना को सहस्राब्दी ईसा पूर्व या उससे पहले के ‘पौराणिक दूसरे संगम’ में रखते हैं.
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