Sansar डेली करंट अफेयर्स, 04 June 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 04 June 2021


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Centre tells States to split rural jobs scheme wages into separate categories for SCs, STs, others

संदर्भ

केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने राज्यों से इस वित्तीय वर्ष से ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act- MGNREGA) योजना के अंतर्गत किये जाने वाले वेतन भुगतान को, अनुसूचित जातियोंअनुसूचित जनजातियों और अन्य जातियों के लिए अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित करने के लिए कहा है.

कृपया ध्यान दें, वर्तमान में, मनरेगा योजना के तहत मजदूरी के लिए केवल एक प्रणाली है, अर्थात् मजदूरी भुगतान के लिए कोई श्रेणीवार प्रावधान नहीं है.

इस निर्णय के पीछे तर्क

  1. बजटीय परिव्यय से, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को प्राप्त होने वाले लाभों का आकलन करने और उन्हें उजागर करने के लिए यह निर्णय लिया गया है.
  2. इस निर्णय का उद्देश्य काफी हद तक, केंद्र सरकार द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिए किए जा रहे कार्यो पर, प्रकाश डालना है.

इस निर्णय के विरुद्ध चिंताएँ

  1. इससे भुगतान प्रणाली और जटिल हो सकती है.
  2. इससे योजना के वित्त पोषण में कमी आ सकती है.
  3. इससे वेतन भुगतान में देरी हो सकती है.
  4. इससे मनरेगा कार्यक्रम को एससी/एसटी की अधिक आबादी वाले जिलों तक भी सीमित किया जा सकता है.

मनरेगा क्या है?

  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम अर्थात् मनरेगा को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, 2005 (NREGA- नरेगा) के रूप में प्रस्तुत किया गया था. वर्ष 2010 में नरेगा (NREGA) के नाम में बदलाव किया गया और मनरेगा (MGNREGA) रख दिया गया.
  • ग्रामीण भारत को ‘श्रम की गरिमा’ से परिचित कराने वाला मनरेगा रोज़गार की कानूनी स्तर पर गारंटी देने वाला विश्व का सबसे बड़ा सामाजिक कल्याणकारी कार्यक्रम है.
  • मनरेगा कार्यक्रम के अंतर्गत हर भारतीय परिवार के अकुशल श्रम करने के इच्छुक वयस्क सदस्यों के लिये 100 दिन का गारंटीयुक्त रोज़गार, दैनिक बेरोज़गारी भत्ता एवं परिवहन भत्ता (5 किमी. से अधिक दूरी की दशा में) का प्रावधान किया गया है. विदित हो कि सूखाग्रस्त क्षेत्रों और जनजातीय क्षेत्रों में मनरेगा के अंतर्गत 150 दिवसों के रोज़गार का प्रावधान है.
  • मनरेगा एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम है. आज की तिथि में इस कार्यक्रम में पूर्णरूप से शहरों की श्रेणी में आने वाले कुछ जिलों को छोड़कर देश के सभी जिलें सम्मिलित हैं. मनरेगा के अंतर्गत मिलने वाले वेतन के निर्धारण का अधिकार केंद्र एवं राज्य सरकारों के पास निहित है.
  • जनवरी 2009 से केंद्र सरकार सभी राज्यों हेतु अधिसूचित की गई मनरेगा मजदूरी दरों को हर वर्ष संशोधित करती है.

मनरेगा की प्रमुख विशेषताएँ

  • पूर्व की रोज़गार गारंटी योजनाओं के ठीक उलट मनरेगा के अंतर्गत ग्रामीण परिवारों के वयस्क युवाओं को रोज़गार का कानूनी अधिकार दिया जाता है.
  • प्रावधान के अनुसार, मनरेगा लाभार्थियों में 1/3 महिलाओं का होना अनिवार्य है. साथ ही विकलांग एवं अकेली महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहन देने का प्रावधान किया गया है.
  • मनरेगा के अंतर्गत मजदूरी का भुगतान न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 के अंतर्गत राज्य में खेतिहर मज़दूरों हेतु निर्दिष्ट मजदूरी के अनुसार ही किया जाता है, जब तक कि केंद्र सरकार मजदूरी दर को अधिसूचित नहीं करती और यह 60 रुपए प्रतिदिन से कम नहीं हो सकती.
  • इसके प्रावधान के अनुसार, आवेदन जमा करने के 15 दिनों के अंदर या जिस दिन से कार्य की मांग की जाती है, आवेदक को रोज़गार दिया किया जाएगा.
  • पंचायती राज संस्थानों को मनरेगा के अंतर्गत किये जा रहे कार्यों के नियोजन, कार्यान्वयन और निगरानी के लिए उत्तरदायी बनाया गया है.
  • मनरेगा में सभी कर्मचारियों हेतु बुनियादी सुविधाओं जैसे- पेय जल और प्राथमिक चिकित्सा आदि के प्रावधान भी किये गए हैं.
  • मनरेगा के अतर्गत आर्थिक बोझ केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा साझा किया जाता है.
  • मनरेगा कार्यक्रम के अंतर्गत कुल तीन क्षेत्रों पर धन व्यय किया जाता है, वे क्षेत्र हैं – (1) अकुशल, अर्द्ध-कुशल और कुशल श्रमिकों की मजदूरी (2) आवश्यक सामग्री (3) प्रशासनिक लागत.
  • केंद्र सरकार अकुशल श्रम की लागत का 100%, अर्द्ध-कुशल और कुशल श्रम की लागत का 75%, सामग्री की लागत का 75% तथा प्रशासनिक लागत का 6% वहन करती है, वहीं शेष लागत का वहन राज्य सरकार करती है.

मनरेगा की उपलब्धियाँ

  • मनरेगा विश्व का सबसे बड़ा सामाजिक कल्याण कार्यक्रम है जिसने ग्रामीण श्रम में एक सकारात्मक परिवर्तन को प्रेरित किया है. आँकड़ों की मानें तो कार्यक्रम के प्रारम्भिक 10 सालों में कुल 3.14 लाख करोड़ रुपए खर्च किये गए.
  • मनरेगा कार्यक्रम ने ग्रामीण गरीबी को घटाने हेतु अपने उद्देश्य की पूर्ति करते हुए ग्रामीण क्षेत्र के लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सफलता प्राप्त की है.
  • आजीविका और सामाजिक सुरक्षा की दृष्टि से मनरेगा ने ग्रामीण गरीब महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए एक सशक्त साधन के रूप में कार्य किया है. आँकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2015-16 में मनरेगा के जरिये उत्पन्न कुल रोज़गार में से 56 प्रतिशत महिलाओं के लिये था.
  • आँकड़ों को देखा जाए तो वर्ष 2013-14 में मनरेगा के अंतर्गत कार्यरत व्यक्तियों की संख्या 95 करोड़ थी जो कि वर्ष 2014-15 में घटकर 6.71 करोड़ रह गई परन्तु उसके पश्चात् यह बढ़कर क्रमशः वर्ष 2015-16 में 7.21 करोड़, वर्ष 2016-17 में 7.65 करोड़ तथा वर्ष 2018-19 में 7.76 करोड़ हो गई.
  • इस कार्यक्रम में कार्यरत व्यक्तियों के आयु-वार आँकड़ों के विश्लेषण से हमें ज्ञात होता है कि वित्त वर्ष 2017-18 के पश्चात् 18-30 वर्ष के आयु वर्ग के श्रमिकों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है.
  • मनरेगा ने आजीविका के अवसरों के सृजन के जरिये अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के उत्थान में भी सहायता की है.
  • विदित हो कि मनरेगा को 2015 में वर्ल्ड बैंक ने विश्व के सबसे बड़े लोकनिर्माण कार्यक्रम के रूप में मान्यता दी थी.
  • नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) के एक प्रतिवेदन के अनुसार, गरीब व सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों, जैसे – मज़दूर, आदिवासी, दलित एवं छोटे सीमांत कृषकों के मध्य गरीबी कम करने में मनरेगा की बहुत ही सराहनीय भूमिका रही है.

मनरेगा से संबंधित चुनौतियाँ

  • पिछले कुछ वर्षों में मनरेगा के अंतर्गत आवंटित बजट काफी कम रहा है, जिसका प्रभाव मनरेगा में काम कर रहे कर्मचारियों के वेतन पर पड़ता है. वेतन में कमी के चलते इसका प्रत्यक्ष प्रभाव ग्रामीणों की शक्ति पर पड़ता है और वे अपनी मांग में कमी कर देते हैं.
  • एक आँकड़े से पता चलता है कि मनरेगा के अतर्गत किये जाने वाले 78% भुगतान समय पर नहीं किये जाते और 45% भुगतानों में विलंबित भुगतानों के लिये दिशा-निर्देशों के अनुसार मुआवज़ा सम्मिलित नहीं था, जो अर्जित मजदूरी का 0.05% प्रतिदिन है. आँकड़ों की मानें तो वित्त वर्ष 2017-18 में अदत्त मजदूरी 11,000 करोड़ रुपए थी.
  • न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 के आधार पर मनरेगा की मजदूरी दर निर्धारित न करने के चलते मजदूरी दर बहुत ही स्थिर हो गई है. आज की तिथि में अधिकांश राज्यों में मनरेगा के अतर्गत मिलने वाली मजदूरी न्यूनतम मजदूरी से बहुत ही कम है. यह स्थिति कमज़ोर वर्गों को वैकल्पिक रोज़गार खोजने को मजबूर कर देता है.
  • वर्ष 2012 में कर्नाटक में मनरेगा से सम्बंधित एक घोटाला चर्चा में आया था जिसमें करीब 10 लाख फर्ज़ी मनरेगा कार्ड निर्मित किये गए थे. इसके चलते सरकार को तकरीबन 600 करोड़ रुपए की हानि हुई थी. भ्रष्टाचार मनरेगा की एक बड़ी चुनौती है जिससे निपटना जरूरी है. ज्यादातर यह देखा जाता है कि इसके अंतर्गत आवंटित धन का अधिकतर भाग मध्यस्थों के पास चला जाता है.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : CVC lays down rules for post-retirement hiring of officials by government organisations

संदर्भ

केंद्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission – CVC) द्वारा संविदा या परामर्श के आधार पर किसी सेवानिवृत्त अधिकारी को नियुक्त करने से पहले सतर्कता स्वीकृति प्राप्त करने हेतु सरकारी संस्थाओं द्वारा अपनाई जाने वाली एक निश्चित प्रक्रिया निर्धारित की गई है.

प्रक्रिया के अनुसार

  1. प्रयोज्यता: केंद्र सरकार के सेवानिवृत्त अखिल भारतीय सेवाओं और समूह ए अधिकारियों या केंद्र के स्वामित्व या नियंत्रण वाले अन्य संगठनों में, इन अधिकारियों के समकक्षों को रोजगार देने से पहले, नियोक्ता संस्थाओं द्वारा, जिन संस्थानों से अधिकारी सेवानिवृत्त हुए थे, वहां से सतर्कता स्वीकृति प्राप्त की जानी चाहिए.,
  2. यदि कोई सेवानिवृत्त अधिकारी एक से अधिक संगठनों में कार्य कर चुका है, तो उसके सेवानिवृत्ति होने के पहले 10 वर्षों में तैनाती वाले सभी संस्थानों से सतर्कता स्वीकृति प्राप्त करनी होगी.
  3. अनापत्ति स्वीकृति माँगती से संबंधित संप्रेषण की एक प्रति CVC को भी भेजी जानी चाहिए. यदि स्पीड पोस्ट द्वारा संप्रेषण भेजने के 15 दिनों के भीतर पूर्व नियोक्ता (ओं) से कोई उत्तर प्राप्त नहीं होता है, तो एक अनुस्मारक भेजा जा सकता है. यदि 21 दिनों के भीतर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जाती है, तो सतर्कता स्वीकृति को स्वीकृत समझा जाएगा.
  4. यदि कोई कर्मचारी सतर्कता से संबंधित किसी मामले में लिप्त पाया जाता है या सतर्कता की दृष्टि से उसे सही घोषित नहीं किया जाता है, तो इसके द्वारा किये जाने वाले सभी परिणामी कार्यों के लिए पूर्ववर्ती नियोक्ता संस्था जिम्मेदार होगी.

इन नियमों की आवश्यकता

  1. ‘एक समान प्रक्रिया’ के अभाव में कभी-कभी ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिसमे दागी अतीत वाले अधिकारी या जिनके खिलाफ मामले लंबित होते हैं, उन्हें सेवा में नियोजित कर लिया जाता है.
  2. ऐसी स्थिति से अनावश्यक शिकायतों/पक्षपात के आरोपों संबंधी मामले पैदा होते हैं, इसके अलावा ये स्थिति सरकारी संगठनों के कामकाज को नियंत्रित करने वाले, निष्पक्षता और ईमानदारी के मूल सिद्धांतों के खिलाफ भी होती है.

CVC क्या है?

  • यह सतर्कता से सम्बंधित देश की सर्वोच्च संस्था (vigilance institution) है.
  • यह अपनी रिपोर्ट भारत के राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है.
  • यह एक संवैधानिक संस्था नहीं है अपितु Santhanam committee की सिफारिशों के आधार पर एक कार्यकारी आदेश से इसका गठन 1964 में किया गया.
  • इस आयोग में एक केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त और दो सतर्कता आयुक्त होते हैं.
  • इनका चयन प्रधान मंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और लोकसभा के विपक्षी के नेता मिल कर करते हैं और उस पर राष्ट्रपति मुहर लगाते हैं.
  • यदि कोई विपक्ष का नेता नहीं है तो लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी का नेता इस चयन में भाग लेता है.
  • इनका कार्यकाल 4 साल का अथवा आयुक्त के 65 वर्ष के हो जाने तक होता है.
  • दुर्व्यवहार और अयोग्यता साबित हो जाने पर राष्ट्रपति केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त और अन्य सतर्कता आयुक्त को हटा सकता है.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Centre to Hire Private Consultants to Revamp Competency of Bureaucracy

संदर्भ

केंद्र सरकार नौकरशाही की क्षमता में सुधार के लिए निजी परामर्शदाता (private consultant) नियुक्त करेगी. नियोजित परामर्शदाता केंद्र सरकार के लिए भूमिकाओं, गतिविधियों और दक्षताओं का ढांचा (Framework of Roles, Activities & Competencies: FRAC) अभिकल्पित एवं विकसित करेगा. यह “भविष्य हेतु उपयुक्त लोक सेवा” निर्मित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा, जो व्यापक सामाजिक व आर्थिक अधिदेश को वितरित कर सकती है.

मुख्य बिंदु

  • FRAC व्यावहारिक विशेषताओं, कार्यात्मक कौशल और डोमेन (प्रक्षेत्र) ज्ञान में वांछित दक्षताओं के साथ प्रत्येक सरकारी पद के अनुरूप भूमिकाओं और गतिविधियों का मानचित्रण करेगा.
  • नियोजित परामर्शदाता, सरकार को सचिवालय प्रशिक्षण तथा प्रबंधन संस्थान (Institute of Secretariat Training and Management) में एक FRAC उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने और संचालित करने तथा FRAC के लिए रणनीति एवं परिचालन प्रक्रियाओं को विकसित करने में मदद करेगा.
  • यह प्रयास मिशन कर्मयोगी– राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता विकास कार्यक्रम (Mission Karmyogi – National Programme for Civil Services Capacity Building: NPCSCB) परियोजना का हिस्सा होगा, जिसकी घोषणा विगत सितंबर माह में की गई थी.
  • प्रस्तावित परियोजना में मौजूदा संस्थानों का सुदृढ़ीकरण, नीतिगत सक्रियता, प्रत्येक पद से संबंधित प्रत्येक भूमिका और गतिविधि के लिए आवश्यक दक्षताओं का विवरण निर्धारित करना तथा लोक सेवाओं के मध्य जीवन भर सीखने की संस्कृति के लिए एक मजबूत उत्प्रेरक जैसी पहलें शामिल हैं.

अपेक्षित लाभ

शासन में जवाबदेही और पारदर्शिता; नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण; भारतीय लोक सेवकों को भविष्य के लिए तैयार करना; सामान्यीकरण और विशेषज्ञता के मध्य के अंतराल को समाप्त करना; कुशल सेवा वितरण सुनिश्चित करना आदि.

मिशन कर्मयोगी

मिशन कर्मयोगी सरकारी कर्मचारियों को एक आदर्श कर्मयोगी के रूप में देश सेवा के लिए विकसित करने का प्रयास है ताकि वे सृजनात्मक और रचनात्मक बन सकें और तकनीकी रूप से सशक्त हों. इससे कर्मचारियों के व्यक्तिनिष्ठ मूल्यांकन को समाप्त करने में मदद मिल सकेगी और उनका वैज्ञानिक तरीके से उद्देश्यपरक और समयोचित मूल्यांकन सुनिश्चित किया जा सके. मिशन कर्मयोगी का गठन सटीक दृष्टिकोण, कौशल और ज्ञान के साथ भविष्य को ध्यान में रखकर सिविल सेवा का निर्माण करने के लिए किया गया है. यह नए भारत की दृष्टि से जुड़ा हुआ है और क्षमता निर्माण पर केंद्रित है. मिशन कर्मयोगी अभियान सिविल सेवा क्षमता निर्माण से संबंधित एक राष्ट्रीय कार्यक्रम होगा. यह न केवल व्यक्तिगत क्षमता निर्माण पर बल्कि संस्थागत क्षमता निर्माण और प्रक्रिया पर भी केंद्रित है.


GS Paper 2 Source :PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Indian Railways’ RDSO first to be declared SDO under “One Nation One Standard” mission

संदर्भ

रेलवे मंत्रालय की एकमात्र अनुसंधान एवं विकास शाखा, अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (Research Design and Standards Organisation: RDSO) को अब भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards – BIS) द्वारा एक “मानक विकासशील संगठन’ के रूप में मान्यता प्रदान की गई है. इस प्रकार यह संगठन (RDSO) एक राष्ट्र, एक मानक” (One Nation One Standard – ONOS) योजना में शामिल होने वाला प्रथम मानक निकाय बन गया है.

मुख्य तथ्य

  • यह RDSO को विश्व व्यापार संगठन-व्यापार के समक्ष तकनीकी बाधाओं (WTO-TBT) के अंतर्गत उल्लिखित सर्वोत्तम प्रथाओं के नियम (code of good practices) के अनुसार अपनी मानक निर्माण प्रक्रियाओं को पुनः निर्धारित करने में मदद करेगा.
  • यह मान्यता तीन वर्ष के लिए वैध होगी.
  • BIS द्वारा ONOS योजना देश में विभिन्‍न मानक विकास संगठनों द्वारा अपनाए गए मानकों के समन्वय के लिए आरंभ की गई है. वर्तमान में, BIS एकमात्र राष्ट्रीय निकाय है, जो मानकों को निर्धारित करता है. परन्तु विभिन्‍न संस्थान और सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (PSUs) भी अपने विशिष्ट डोमेन में मानक विकसित करते हैं.

एक राष्ट्र, एक मानक

‘एक राष्ट्र एक मानक’ मिशन के विचार की कल्पना पहली बार वर्ष 2019 में की गई थी, इसकी परिकल्पना देश में गुणवत्तापूर्ण उत्पादों को सुनिश्चित करने के लिये ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ योजना की तर्ज पर की गई थी.

भारतीय मानक ब्यूरो

  • BIS भारत सरकार द्वारा Bureau of Indian Standards Act, 1986 के तहत कार्यादेश के माध्यम से गठित एक निकाय (statutory organization) है.
  • पहले इस निकाय का नाम भारतीय मानक संस्थान (ISI) था.
  • यह भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत काम करता है.
  • BIS का पदेन अध्यक्ष (ex-officio) उक्त मंत्रालय का मंत्री होता है.
  • इस निकाय में अन्य 25 सदस्य होते हैं जो केंद्र एवं राज्य सरकारों के उद्योग, वैज्ञानिक एवं अनुसंधान संस्थानों, उपभोक्ता संगठनों से लिए जाते हैं.
  • भारतीय मानक ब्यूरो भारत के लिए विश्व व्यापार संगठन – TBT (WTO-TBT) पूछताछ केंद्र के रूप में कार्य करता है.

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

BSI की अन्य पहलें

  • BSI-केयर एप : इस एप के माध्यम से उपभोक्ता ISI-चिह्नित और हॉलमार्क वाले उत्पादों की प्रमाणिकता की जाँच कर सकते हैं और शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
  • कोविड-19 मानक : BSI ने कवर-ऑल और वेंटिलेटर के लिये कोविड-19 मानकों को विकसित किया है और एन95 मास्क तथा सर्जिकल मास्क के लिये लाइसेंस प्रदान करने हेतु मानदंड जारी किये हैं, जिसके परिणामस्वरूप ISI-चिह्नित व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (PPEs) का उत्पादन बढ़ा है.
  • गुणवत्ता नियंत्रण आदेश : BSI मानकों को अनिवार्य बनाने के लिये गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCO) तैयार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
  • उपभोक्ता जुड़ाव के लिये पोर्टल : BSI उपभोक्ता जुड़ाव को लेकर एक पोर्टल विकसित कर रहा है, जो उपभोक्ता समूहों के ऑनलाइन पंजीकरण, प्रस्तावों को प्रस्तुत करने और उनके अनुमोदन एवं शिकायत प्रबंधन की सुविधा प्रदान करेगा.

Prelims Vishesh

CSC E-Governance India  (CSC SPV) :-

  • CSC SPV ने हाल ही में, कृषि सेवाओं के लिए एक ई-मार्केटप्लेस या पोर्टल लॉन्च करने की घोषणा की है, जो किसानों को बीज, उर्वरक, कीटनाशक, पशु चारा और अन्य कृषि आगत उत्पाद खरीदने में सक्षम बनाएगा.
  • पोर्टल का उद्देश्य लघु और सीमांत किसानों को सशक्त बनाना है, जो भारत के कृषक समुदाय के 86 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं.
  • CSC SPV, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत एक विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) है, जो उपभोक्ताओं को अपने सामान्य सेवा केंद्र (CSC) के माध्यम से विभिन्‍न इलेक्ट्रॉनिक सेवाएं प्रदान करता है.

YUVA-PM Scheme for Mentoring Young Authors :-

  • युवा / YUVA (युवा, आगामी और बहुमुखी लेखक) योजना, शिक्षा मंत्रालय द्वारा आरंभ की गई है.
  • यह युवा और नवोदित लेखकों (30 वर्ष से कम आयु) को प्रशिक्षित करने के लिए एक लेखक परामर्श कार्यक्रम है, जिससे पढ़ने, लिखने एवं पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा दिया जा सके व वैश्विक स्तर पर भारत तथा भारतीय लेखन को प्रदर्शित किया सके.
  • यह भारत @ 75 परियोजना (आजादी का अमृत महोत्सव) का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारत के विस्मृत नायकों व स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्रीय आंदोलन में उनकी भूमिका जैसे विषयों पर लेखकों की युवा पीढ़ी के दृष्टिकोण को सामने लाना है.

Bal-swaraj COVID- Care Portal :-

  • हाल ही में, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने कोविड-19 के दौरान माता-पिता या माता-पिता में से किसी एक को खोने वाले बच्चों की निगरानी के लिए बाल-स्वराज-कोविड-केयर पोर्टल के उपयोग का विस्तार किया है.
  • बाल-स्वराज एक ऑनलाइन ट्रैकिंग और रियल-टाइम मॉनिटरिंग पोर्टल है। इसे देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों के लिए NCPCR द्वारा तैयार किया गया है.
  • यह NCPCR को किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 {Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Act, 2015} धारा 109 के तहत निगरानी प्राधिकरण के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में मदद करता है.

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