Sansar डेली करंट अफेयर्स, 04 March 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 04 March 2021


GS Paper 1 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Major crops cropping patterns in various parts of the country, different types of irrigation and irrigation systems storage, transport and marketing of agricultural produce and issues and related constraints; e-technology in the aid of farmers

Topic : Farmer Producer Organisation – FPO

संदर्भ

हाल ही में “10,000 किसान उत्‍पादक संगठन (एफपीओ) के गठन एवं संवर्धन” से सम्बंधित केंद्रीय क्षेत्र की योजना की प्रथम वर्षगाँठ पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ.

विदित हो कि 10 हजार एफपीओ बनाने की नई योजना में कार्यान्‍वयन एजेंसियों को वर्ष 2020-21 के दौरान 2200 से अधिक एफपीओ उत्‍पादक क्‍लस्‍टरों का आवंटन किया गया है. एजेंसियों ने विभिन्न राज्यों जैसे कश्मीर, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तर पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश में एफपीओ के पंजीयन कराए हैं एवं अन्य एफपीओ का भी पंजीकरण कार्य किया जा रहा है. ये एफपीओ सेब, बादाम, शहद, चाय, मूंगफली, कपास, सोयाबीन, अलसी, गन्ना, सब्जियों आदि से संबंधित है.

योजना के विषय में जानकारी

  • इस पूरी योजना में किसानों एवं एफपीओ के लिए तकनीकी व वित्‍तीय सहायता प्रदान करने का प्रावधान केंद्र सरकार द्वारा किया गया है.
  • क्लस्टर-आधारित व्यवसाय संगठनों द्वारा एफपीओ को 5 वर्ष की अवधि के लिए व्यावसायिक हैंडहोल्डिंग समर्थन प्रदान किया जाएगा.
  • वर्ष 2020-21 के दौरान, एफपीओ के गठन के लिए कल 2,200 एफपीओ उपज क्लस्टर आवंटित किए गए हैं, जिसमें विशेष एफपीओ उपज क्लस्टर जैसे आर्गनिक के लिए 100 एफपीओ, तिलहनों के लिए 100 एफपीओ आदि सम्मिलित हैं.
  • तीन वर्षों के लिए एफपीओ के कर्मचारियों के वेतन, पंजीकरण, भवन किराया, उपयोगिता शुल्क, मामूली उपकरण लागत, यात्रा एवं अन्‍य खर्चों के लिए 18 लाख रूपए प्रति एफपीओ दिए जाएंगे.
  • एफपीओ के प्रति किसान सदस्य को 2 हजार रू. (अधिकतम 15 लाख रू. प्रति एफपीओ) इक्विटी अनुदान के रूप में प्रदान किया जाएगा. एफपीओ को 2 करोड़ रू. की बैंक योग्य परियोजना के लिए 75% तक क्रेडिट गारंटी कवर की सहायता प्रदान की जाएगी, जबकि 1 करोड़ रू. की बैंक योग्‍य परियोजना के लिए 85% तक क्रेडिट गारंटी कवर की सहायता प्रदान की जाएगी.
  • एफपीओ स्कीम के लिए 6865 करोड़ रू. का बजट प्रावधान किया गया है.
  • भारत सरकार के वित्त पोषण के साथ केन्द्रीय क्षेत्र की इस योजना के तहत, एफपीओ के गठन और संवर्धन कार्यान्वयन एजेंसियों (आईए) के माध्यम से किया जाना है. वर्तमान में एफपीओ के निर्माण और संवर्धन के लिए 09 कार्यान्वयन एजेंसियों (आईएएस) को अंतिम रूप दिया गया है. इनमें लघु किसान कृषि-व्यवसाय संकाय (SFAC), NCDC, NABARD, NAFED, ग्रामीण विकास मंत्रालय आदि शामिल हैं.

कृषि उत्पादक संगठन (FARMER PRODUCER ORGANISATION – FPO) क्या है?

  • यह कृषि उत्पादकों का एक समूह है जिसके सदस्य इस संगठन में अंशधारकों (shareholders) के रूप में पंजीकृत होते हैं. यह समूह कृषि उत्पादक से जुड़ी व्यावसायिक गतिविधियों को देखता है और सदस्य उत्पादकों के लाभ के लिए काम करता है.
  • ‘किसान उत्पादक संगठनों’ का अभिप्राय किसानों, विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के समूह से होता है.
  • इस प्रकार के संगठनों का प्रमुख उद्देश्य कृषि से संबंधित चुनौतियों का प्रभावी समाधान करना होता है.
  • FPOs प्राथमिक उत्पादकों जैसे- किसानों, दूध उत्पादकों, मछुआरों, बुनकरों और कारीगरों आदि द्वारा गठित क़ानूनी इकाई होती हैं.
  • FPOs को भारत सरकार तथा नाबार्ड जैसे संस्थानों से भी सहायता प्राप्त होती है.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Issues relating to development and management of Social Sector/Services relating to Health, Education, Human Resources.

Topic : National Population Register

संदर्भ

‘भारत के महापंजीयक’ (Registrar General of India- RGI) द्वारा सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में एक मोबाइल एप्लिकेशन के जरिये जनगणना तथा राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (National Population Register – NPR) के पहले चरण के लिए क्षेत्र परीक्षण (field trials) करने की तैयारी की जा रही है.

इस मोबाइल ऐप में मकानों की सूची और मकान-गणना तथा राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) पर प्रश्नावली सम्मिलित की गयी है.

राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी क्या है?

  • यह एक पंजी है जिसमें देश के निवासियों से सम्बंधित विवरण होगा.
  • इस पंजी को नागरिकता अधिनियम 1955 तथा नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण एवं राष्ट्रीय पहचान कार्य का निर्गमन) नियमावली, 2003 के प्रावधानों के अंतर्गत राष्ट्रीय, राज्य, जिला, अनुमंडल और स्थानीय (गाँव/कस्बा) के स्तर पर तैयार किया जा रहा है.
  • भारत के प्रत्येकसामान्य निवासी” को इस पंजी में दर्ज करना अनिवार्य कर दिया गया है.
  • यहाँ “सामान्य निवासी” से तात्पर्य उस व्यक्ति से है जो किसी स्थान विशेष में पिछले छह महीने या उससे अधिक से रहा होअथवा वह व्यक्ति जो उस क्षेत्र में आगामी छह महीने अथवा अधिक रहना चाहता है.
  • राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी में जो डेटाबेस होगा उसके अन्दर जनसांख्यिक विवरणों के साथ-साथ बायोमेट्रिक विवरण भी होंगे.
  • अंत में 18 वर्ष से ऊपर के व्यक्तियों को एक निवासी पहचान का रेजिडेंट आइडेंटिटी कार्ड (RIC) दिया जाएगा. यह एक स्मार्ट कार्ड होगा जिसमें लगे चिप में प्रत्येक व्यक्ति के जनसांख्यिक और बायोमेट्रिक विवरण अंकित होंगे. इस कार्ड पर UID नंबर भी छपा होगा.

राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी के लाभ

  • सरकार के पास देश में रहने वाले हर निवासी की जानकारी होगी.
  • एनपीआर का उद्देश्य लोगों का बायोमीट्रिक डेटा तैयार कर सरकारी योजनाओं का लाभ असली लाभार्थियों तक पहुंचाना भी है.

जनसांख्यिकी विवरण

राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी के लिए प्रत्येक निवासी का निम्नलिखित जनसांख्यिकीय विवरण लिया जाएगा, जिसे देना आवश्यक है:

  • व्यक्ति का नाम
  • घर के मुखिया से रिश्ता
  • पिता का नाम
  • माता का नाम
  • जीवनसाथी का नाम (शादीशुदा होने पर)
  • लिंग
  • जन्मतिथि
  • वैवाहिक स्थिति
  • जन्मस्थान
  • राष्ट्रीयता
  • सामान्य नागरिक का वर्तमान पता
  • वर्तमान पते पर रहने की अवधि
  • स्थायी निवास का पता
  • व्यवसाय/गतिविधि
  • शैक्षणिक योग्यता

NPR और NRC में अंतर

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं. एनआरसी का मकसद देश में अवैध रूप से रह रहे बाहरी नागरिकों की पहचान करना है, वहीं जनसंख्या रजिस्टर का उद्देश्य किसी स्थान पर छह महीने या उससे ज्यादा वक्त से रह रहे निवासियों की जानकारी एकत्र करना है. अगर कोई बाहरी नागरिक भी देश के किसी हिस्से में छह महीने से ज्यादा वक्त से रह रहा हो तो उसका नाम भी इसमें दर्ज होगा.


GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : Catch the rain campaign

संदर्भ

केंद्र सरकार का जल शक्ति मंत्रालय वर्षा जल संचयन के लिए 100 दिवसीय “कैच द रेनअभियान का अनावरण करने जा रहा है. विदित हो कि मानसून के प्रारम्भ से पूर्व का समय वर्षा जल संचयन की तैयारी करने का सबसे उपयुक्त समय है. इसलिए कैच द रेन अभियान के अंतर्गत चेक डैम, रूफटॉप आरडब्ल्यूएचएस, वाटर हार्वेस्टिंग पिट, टैंक की डिसिल्टिंग को बढ़ाकर अपनी भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए अभियान चलाया जायेगा.

catch the rain campaign

 

अभियान के विषय में जानकारी

  • “कैच द रेन” (Catch the Rain) नामक जागरूकता अभियान का प्रारम्भ राष्ट्रीय जल मिशन, जल शक्ति मंत्रालय ने नेहरू युवा केंद्र संगठन, युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय के सहयोग से किया है.
  • इसकी टैगलाइन है: “Catch the rain, where it falls, when it falls”

उद्देश्य

  • सभी स्थितियों के आधार पर जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल बारिश के पानी को संग्रहीत करने के लिये वर्षा जल संचयन संरचना (Rain Water Harvesting Structures) का निर्माण करना.
  • अभियान के कार्यान्वयन के लिये प्रभावी प्रचार और सूचना, शिक्षा, संचार गतिविधियों के जरिये ज़मीनी स्तर पर लोगों को सम्मिलित करना.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : World Wildlife Day 2021

संदर्भ

हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस  मनाया गया.  इस वर्ष की थीम थी – Forest and Livelihoods: Sustaining People and Planet.

 यह थीम संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के लक्ष्य संख्या 14 (SDG 14) के अनुरूप है.

world wildlife day

पृष्ठभूमि

जब 20 दिसम्बर, 2013 को संयुक्त राष्ट्र की महासभा की 68वीं बैठक चल रही थी तो उस समय यह निर्णय लिया गया था कि तीन मार्च को संयुक्त राष्ट्र विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाया करेगा क्योंकि उसी दिन संकटाग्रस्त वन्यजीवों और वनस्पतियों के विषय में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर हुई संधि (Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora – CITES) पर हस्ताक्षर हुए थे जिसका उद्देश्य विश्व के वन्यजीवों और वनस्पतियों के प्रति जागरूकता बढ़ाना था.

CITES क्या है?

  • CITES का पूरा नाम है – Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora.
  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जो वन्यजीवों और पौधों के वाणिज्यिक व्यापार को विश्व-भर में नियंत्रित करने के लिए तैयार किया गया था.
  • यह ऐसे पौधों और पशुओं से बनने वाले उत्पादों के व्यापार पर भी प्रतिबंध लगाता है, जैसे – खाद्य पदार्थ, कपड़े, औषधि और स्मृति-चिन्ह आदि.
  • यह संधि मार्च 3, 1973 में हस्ताक्षरित हुई थी और यह 35,000 से अधिक वन्यजीवों और वनस्पतियों की प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के ऊपर नियंत्रण रखती है. इसलिए मार्च 3 को विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है.
  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय नियामक संधि है जिसपर 183 देश हस्ताक्षर कर चुके हैं.
  • इस संधि का ध्यान-बिंदु मात्र प्रजातियों की रक्षा ही नहीं है. यह नियंत्रित ढंग से व्यापार को उन प्रजातियों के व्यापार को बढ़ावा भी देता है जिससे वन्य प्रजातियों की सततता को आँच नहीं आती है.
  • इस संधि का प्रशासन संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme – UNEP) के अधीन होता है.
  • इसका सचिवालय जेनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में है.
  • CITES पर हस्ताक्षर करने वाले देश संधि के नियमों से कानूनी रूप से बंधे होते हैं.

पशुओं और पौधों का वर्गीकरण

CITES विभिन्न पशुओं और पौधों पर विलुप्ति के खतरे के मात्रा के अनुसार उन्हें तीन अनुसूचियों में बाँटता है, ये हैं –

अनुसूची I : इस सूची में वे प्रजातियाँ आती हैं जिनपर विलुप्ति का संकट होता है. इस सूची के प्रजातियों के वाणिज्यिक व्यापार पर प्रतिबंध होता है. मात्र वैज्ञानिक अथवा शैक्षणिक कारणों से असाधारण स्थिति में इनका व्यापार हो सकता है.

अनुसूची II : इसमें वे प्रजातियाँ आती हैं जो विलुप्ति के कगार पर तो नहीं हैं, परन्तु यदि इनका व्यापार प्रतिबंधित नहीं हो तो इनकी संख्या में भारी गिरावट आ जायेगी. इनके व्यापार को परमिट के द्वारा नियंत्रित किया जाता है.

अनुसूची III : इसमें वह प्रजाति आती है जो CITES के सदस्य देशों में किसी एक देश में सुरक्षित घोषित है और उस देश ने अन्य देशों से उस प्रजाति में हो रहे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को नियंत्रित करने में सहायता मांगी हो.

व्यापार की छूट देने की प्रक्रिया

राष्ट्रीय स्तर CITES का प्रबंधन करने वाले अधिकारी किसी वन्य प्रजाति के व्यापार के लिए तभी छूट देते हैं जब वैज्ञानिक यह सिद्ध कर देते हैं कि इससे वन्यजीवन को कोई हानि नहीं होगी. दूसरे शब्दों में यह वैज्ञानिक साक्ष्य आवश्यक होता है जिससे पता चले कि सम्बन्धित प्रजाति का व्यापार करने से उसकी सततता पर दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा. जहाँ इस विषय में आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं, वहाँ सावधानी के सिद्धांत का पालन किया जाता है.

CITES के प्रावधान उस संधि पर हस्ताक्षर करने वाले देशों के लिए वैधानिक रूप से बाध्यकारी होते हैं.


GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Food security related issues.

Topic : National Food Security Act (NFSA), 2013

संदर्भ

नीति आयोग ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 {National Food Security Act (NFSA), 2013} में संशोधन का प्रस्ताव किया है.

NFSA, “पात्र परिवारों” से संबंधित व्यक्तियों को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Targeted Public Distribution System  – TPDS) के अंतर्गत केंद्रीय निर्गम मूल्य (Central Issue Price: CIP) पर खाद्यान्न प्राप्त करने का कानूनी अधिकार देता है.

मुख्य बिंदु

  • वर्तमान CIP के अंतर्गत चावल 3 रुपये/किलो, गेहूँ 2 रुपये/किलो और मोटा अनाज 1 रुपये/किलो की दर से दिए जाते हैं.
  • योजना के अंतर्गत वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर 75% ग्रामीण और 50% शहरी जनसंख्या (कुल 81.35 करोड़ व्यक्ति) को शामिल किया गया है. ये लाभार्थी वर्ष 2013 से सम्मिलित हुए थे.

पात्र परिवार

  • प्राथमिक परिवार: ये परिवार हर महीने प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम खाद्यान्न प्राप्त करने के पात्र हैं.
  • अंत्योदय अन्न योजना के अंतर्गत: समान मूल्य पर प्रति माह 35 किलोग्राम खाद्यान्न प्रति व्यक्ति को दिया जाता है.

नीति आयोग द्वारा संशोधित सुझाव

  • ग्रामीण जनसंख्या के मौजूदा कवरेज को 75% से घटाकर 60% और शहरी जनसंख्या के वर्तमान कवरेज को 50% से घटाकर 40% तक करना.
  • यदि राष्ट्रीय कवरेज अनुपात को नीचे की ओर संशोधित किया जाता है, तो केंद्र 47,229 करोड़ रुपये तक की बचत कर सकता है.
  • कवरेज में कोई परिवर्तन नहीं करने पर 14,800 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी की जरूरत होगी (लाभार्थियों की संपूर्ण संख्या में वृद्धि के कारण).

केंद्रीय निर्गम मूल्यों में संशोधन

केंद्रीय निर्गम मूल्य (CIPs) को अधिनियम लागू होने की तिथि से तीन वर्ष की अवधि के लिए निर्धारित किया गया था. हालांकि, केंद्र द्वारा इसमें संशोधन किया जाना अभी शेष है.


Prelims Vishesh

Master of the Roster :-

  • मामलों की सुनवाई के लिए न्यायाधीशों की पीठ (Bench) का गठन करने की शक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की विशेष शक्ति है.
  • इससे पूर्व, उच्चतम न्यायालय की एक संवैधानिक पीठ ने घोषणा की थी कि केवल CJI के पास ही न्यायालय की पीठ का गठन करने और उन पीठों को वाद (cases) आवंटित करने का विशेषाधिकार प्राप्त है.
  • इस घोषणा में यह भी वर्णित है कि कोई भी न्यायाधीश स्वयं के लिए वाद (cases) का चयन नहीं कर सकता, जब तक कि CJI द्वारा उन्हें वाद आवंटित न किए जाएं, क्योंकि वह “मास्टर ऑफ द रोस्टर” है.
  • मास्टर ऑफ द रोस्टर से संबंधित वादः  अशोक पांडे बनाम भारत का उच्चतम न्यायालय (2019) > शांति भूषण बनाम भारत का उच्चतम न्यायालय (2018) आदि.

Land Port Authority of India (LPAI) :-

  • 1 मार्च को लैंड पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (LPAI)  ने अपना स्थापना दिवस मनाया.
  • LPAI गृह मंत्रालय के अंतर्गत एक सांविधिक निकाय है.
  • यह भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से संलग्न निर्दिष्ट बिंदुओं पर यात्रियों और सामानों की सीमा पार आवाजाही के लिए सुविधाओं का विकास, स्वच्छता व्यवस्था एवं प्रबंधन करता है.
  • इसके मुख्य कार्यों में शामिल हैं: एकीकृत जांच चौकियों पर सुरक्षा संबंधी अनिवार्यताओं को संबोधित करना, ICP पर सड़कों, टर्मिनल्स और सहायक भवनों का निर्माण करना और आव्रजन, सीमा शुल्क, सुरक्षा, कराधान प्राधिकरण, पशु और पादपों के लिए संगरोध व्यवस्था, गोदामों, कार्गों आदि के लिए उपयुक्त स्थान एवं सुविधाएं आदि उपलब्ध करवाना.

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