Sansar Daily Current Affairs, 04 October 2019
GS Paper 2 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Issues relating to development and management of Social Sector/Services relating to Health, Education, Human Resources.
Topic : National Nutrition Survey
संदर्भ
UNICEF की सहायता से भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने देश का पहला व्यापक राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण करवाया है. इस सर्वेक्षण में कुपोषण के आँकड़ों का संग्रह किया गया है और सूक्ष्म पोषण तत्त्वों की कमी और असंक्रामक रोगों की भी जानकारी इकट्ठी की गई है, जैसे बच्चों और किशोरों में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रोल और किडनी विकार.
राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण के मुख्य निष्कर्ष
- 10 से 19 वर्ष के आयुवर्ग में आने वाले किशोरों और 5 से 9 वर्ष के आयुवर्ग में आने वाले बच्चों में 10% ऐसे हैं जिनको आगे चलकर मधुमेह हो सकता है. इनमें 5% सामान्य से अधिक शारीरिक भार वाले हैं और इतने ही प्रतिशत उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हैं.
- इस सर्वेक्षण में पहली बार सिद्ध होता है कि कुपोषण और मोटापा साथ-साथ चल सकता है.
- 5 से 9 वर्ष आयुवर्ग के प्रत्येक पाँच बच्चों में एक बच्चे का शारीरिक विकास कुंठित था.
- मोटापा अथवा अधिक भार से ग्रस्त किशोरों की संख्या सबसे अधिक तमिलनाडु और गोवा में पाई गई.
कुपोषण की रोकथाम के लिए भारत सरकार की योजनाएँ
- प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) : इसके अंतर्गत गर्भवती स्त्रियों के बैंक खातों में 6,000 रु. सीधे भेज दिए जाते हैं जिससे कि वे प्रसव की बेहतर सुविधाएँ पा सकें. प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना एक मातृत्व लाभ की योजना है जिसका आरम्भ 2010 में इंदिरा गाँधी मातृत्व सहयोग योजना के नाम से (IGMSY) हुआ था. इस योजना के अंतर्गत पहले बच्चे के जन्म के लिए 19 वर्ष अथवा उससे अधिक उम्र की गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को नकद राशि दी जाती है. इस राशि से बच्चा होने और उसकी देखभाल करने के कारण दिहाड़ी की क्षति का सामना करने वाली महिला को आंशिक क्षतिपूर्ति दी जाती है और साथ ही इससे सुरक्षित प्रसव और उत्तम पोषण का प्रबंध किया जाता है. अपवाद : जो महिलाएँ केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार अथवा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में काम करती हैं अथवा जिन्हें इसी प्रकार का लाभ पहले से मिल रहा है, उनको इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा. वित्त पोषण : यह एक केंद्र संपोषित योजना है जिसमें केंद्र और राज्य की लागत 60:40 होती है. पूर्वोत्तर राज्यों में और तीन हिमालयवर्ती राज्यों में यह अनुपात 90:10 है. जिन केंद्र शाषित क्षेत्रों में विधान सभा नहीं है वहाँ इस योजना के लिए केन्द्रीय योगदान 100% होता है.
- पोषण अभियान : POSHAN अभियान (National Nutrition Mission) का आरम्भ प्रधानमन्त्री द्वारा राजस्थान के झुंझुनू में 8 मार्च, 2018 में किया गया था. इस अभियान का लक्ष्य है छोटे-छोटे बच्चों, महिलाओं और किशोरियों के बीच कुंठित विकास, कुपोषण, रक्ताल्पता और साथ ही जन्म के समय शिशु के भार की अल्पता की दर को क्रमशः 2%, 2%, 3 % और 2% प्रतिवर्ष घटाना. मिशन का एक लक्ष्य यह भी है कि 0 से 6 साल के बच्चों में शारीरिक विकास में कमी की दर को वर्तमान के 38.4% से घटाकर 2022 तक 25% कर दिया जाए. सरकार पोषण अभियान को 2020 तक विभिन्न चरणों में देश के सभी 36 राज्यों/केंद्र शाषित क्षेत्रों तथा 718 जिलों तक ले जाना चाहती है.
- नेशनल खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 : इस अधिनियम के द्वारा भोजन को एक कानूनी अधिकार बना दिया गया है जिससे सरकार की विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से वंचित वर्गों को भोजन और पोषाहार की व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके.
- मध्याह्न भोजन योजना : इस योजना के अंतर्गत सभी स्कूली बच्चों को दिन में भोजन खिलाया जाता है जिससे न केवल उनके पोषण स्तर में सुधार हो, अपितु वे अपने-अपने स्कूल में नाम लिखायें और उपस्थित रहें.
GS Paper 2 Source: PIB
UPSC Syllabus : Important aspects of governance, transparency and accountability, e-governance- applications, models, successes, limitations, and potential; citizens charters, transparency & accountability and institutional and other measures.
Topic : Electoral Bond Scheme
संदर्भ
विधान सभा की आगामी चुनावों को देखते हुए भारतीय स्टेट बैंक की अधिकृत शाखाओं से चुनावी बांड बिकने शुरू हो गये हैं.
चुनावी बांड योजना से सम्बंधित प्रमुख तथ्य
- ये चुनावी बांड भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से मिलेंगे.
- चुनावी बांड की न्यूनतम कीमत 1000 और अधिकतम एक करोड़ रुपये तक होगी.
- इलेक्टोरल बांड 1,000 रु., 10,000 रु., 1 लाख रु, 10 लाख रु. और 1 करोड़ रु. के होंगे.
- हर महीने 10 दिन बांड की बिक्री होगी.
- परन्तु जिस वर्ष लोक सभा चुनाव होंगे उस वर्ष भारत सरकार द्वारा बांड खरीदने के लिए अतिरिक्त 30 दिन और दिए जायेंगे.
- बांड जारी होने के 15 दिनों के भीतर उसका इस्तेमाल चंदा देने के लिए करना होगा.
- चुनाव आयोग में पंजीकृत दल से पिछले चुनाव में कम-से-कम 1% वोट मिले हों, उसे ही बांड दिया जा सकेगा.
- चुनावी बांड राजनैतिक दल के रजिस्टर्ड खाते में ही जमा होंगे और हर राजनैतिक दल को अपने सालाने प्रतिवेदन में यह बताना होगा कि उसे कितने बांड मिले.
- चुनावी बांड देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाएगी.
- चुनावी बांड पर कोई भी ब्याज नहीं मिलेगा.
चुनावी बांड के फायदे
अक्सर ब्लैक मनी वाले लोग पार्टी को चंदा दिया करते थे. अब यह संभव नहीं होगा क्योंकि अब कैश में लेन-देन न होकर बांड ख़रीदे जायेंगे. पार्टी को बांड देने वालों की पहचान बैंक के पास होगी. अक्सर बोगस पार्टियाँ पैसों का जुगाड़ करके चुनाव लड़ती हैं. इस पर अब रोक लग सकेगी क्योंकि उन्हें पार्टी फण्ड के रूप में बांड तभी दिए जा सकेंगे जब उनको पिछले चुनाव में कम-से-कम 1% वोट मिले हों.
इस व्यवस्था से चुनाव में धन के उपयोग में पारदर्शिता आएगी क्योंकि सभी दानकर्ता को अपने खातों में उनके द्वारा खरीदे बांड की राशि को दिखलाना होगा और सभी दलों को भी यह घोषित करना होगा कि उनको कितने बांड मिले हैं.
चुनावी बांड के बारे में और भी विस्तार से बढ़ें > चुनावी बांड
GS Paper 3 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Disaster and disaster management.
Topic : Climate Vulnerability Map of India
संदर्भ
लोगों को जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करने हेतु एक अखिल भारतीय मानचित्र बनाया जा रहा है जिसमें बताया जाएगा कि देश के कौन-कौन क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन का अधिक दुष्प्रभाव पड़ेगा. इस प्रकार का एटलस भारत के हिमालयी क्षेत्र के 12 राज्यों ने तैयार भी कर लिया है.
मुख्य तथ्य
- यह मानचित्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय) और स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एंड कारपोरेशन (SDC) सम्मिलित रूप से तैयार कर रहे हैं.
- यह शोध कार्यक्रम NMSHE (National Mission for Sustaining the Himalayan Ecosystem) और NMSKCC (National Mission on Strategic Knowledge for Climate Change) मिशनों के एक अंग के रूप में कार्यान्वित किया जा रहा है.
- आशा है कि यह एटलस 2020 के मध्य तक तैयार हो जाएगा.
ऐसा मानचित्र आवश्यक क्यों?
- जलवायु परिवर्तन के कारण न केवल भूस्खलन, अकाल एवं बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएँ ही घटित होती हैं, अपितु लोगों की आजीविका पर भी बड़ा दुष्प्रभाव पड़ता है. अतः आज यह अत्यंत आवश्यक हो गया है कि एक सामान्य पद्धति अपनाते हुए ऐसे-ऐसे खतरों का मूल्यांकन किया जाए और फिर उसके आधार पर रणनीतियाँ तैयार की जाएँ.
- खतरे वाले भूभागों की जानकारी होने से जलवायु परिवर्तन के जोखिम को घटाने में सहायता मिलेगी और हम जान सकेंगे कि कौन राज्य अथवा कौन जिला जलवायु परिवर्तन की चपेट में आ सकता है.
- खतरों के मूल्यांकन से अधिकारियों, निर्णयकर्ताओं, वित्त मुहैया करने वालों और विशेषज्ञों को खतरों को समझने और उनसे बचने के लिए योजना बनाने में सहायता मिलेगी.
GS Paper 3 Source: PIB
UPSC Syllabus : Effects of liberalization on the economy, changes in industrial policy and their effects on industrial growth.
Topic : Industry 4.0
संदर्भ
रेलवे मंत्रालय और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने IIT कानपुर के साथ भागीदारी में एक अनूठी परियोजना आरम्भ की है जिसे इंडस्ट्री 4.0 का अंग माना जा रहा है. इसके लिए रायबरेली स्थित आधुनिक कोच कारखाने में एक प्रायोगिक परियोजना कार्यान्वित होगी.
इंडस्ट्री 4.0 क्या है?
उत्पादकता बढ़ाने के लिए निर्माण की तकनीक में आजकल स्वचालन, पारस्परिक सम्पर्क एवं डाटा आदान-प्रदान का सहारा लिया जाता है. इसी रुझान को चौथी औद्योगिक क्रांति कहा जाता है. ज्ञातव्य है कि पहली औद्योगिक क्रान्ति 18वीं-19वीं शताब्दी में हुई थी तथा दूसरी औद्योगिक क्रान्ति 20वीं शताब्दी के आरम्भ में घटित हुई थी और पुनः 1950 के दशक के उपरान्त तीसरी औद्योगिक क्रान्ति देखने में आई. जहाँ पहली औद्योगिक क्रांति में वाष्प ईंजन और नई-नई मशीनों का प्रयोग हुआ, वहीं दूसरी और तीसरी औद्योगिक क्रांतियों में बिजली एवं असेम्बली लाइन की परिकल्पना एवं कंप्यूटर का बोलबाला रहा है.
इंडस्ट्री 4.0 में साइबर और भौतिक प्रणालियों को इस तरह जोड़ा जाता है जिससे उत्पादन से सम्बंधित इन पद्धतियों का जम कर प्रयोग होता है – डिजिटल तकनीकें, इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स, कृत्रिम बुद्धि, वृहद् डाटा एवं विश्लेषण, मशीनी ज्ञान और क्लाउड कम्पयूटिंग.
लाभ
रूपांकन से लेकर उत्पादन तक की प्रक्रिया में इंडस्ट्री 4.0 की पद्धति अपनाने से उत्पादकता में अतिशय वृद्धि होगी. इससे उत्पादन प्रक्रिया को समझने में सुविधा होगी जिसके फलस्वरूप न केवल क्षण-प्रतिक्षण के आधार पर निर्णय लिए जा सकेंगे, अपितु कार्यकुशल निगरानी के द्वारा मानवीय भूलों को अधिक से अधिक दूर किया जा सकेगा. इसका परिणाम यह होगा कि संसाधनों का आदर्शतम प्रयोग होगा.
GS Paper 4 Source: Indian Express
UPSC Syllabus : Separation of powers between various organs dispute redressal mechanisms and institutions.
Topic : The ‘right to be forgotten’ on the Internet
संदर्भ
पिछले दिनों यूरोपीय संघ के सर्वोच्च न्यायालय ने यह व्यवस्था दी कि यूरोपीय कानून के अन्दर “भूले जाने के अधिकार” नामक ऑनलाइन निजता नियम यूरोपीय संघ के सदस्य देशों की सीमाओं के परे लागू नहीं होगा.
भूमिका
वास्तव में फ्रान्स के एक नियामक प्राधिकरण ने गूगल को कहा था कि वह अपने वैश्विक डाटाबेस से वेब पतों (web addresses) को हटा दे. गूगल को इसपर आपत्ति थी और उसी ने यह मामला यूरोपीय सर्वोच्च न्यायालय में उठाया था. इस प्रकार न्यायालय की यह व्यवस्था गूगल के पक्ष में गई.
न्यायालय के आदेश का माहात्म्य
यह निर्णय गूगल के लिए एक बड़ी विजय है. इसमें “भूले के जाने अधिकार” को यूरोपीय संघ की सीमाओं तक सीमित कर दिया गया है. इसका अभिप्राय यह हुआ कि ऑनलाइन निजता से सम्बंधित यह कानून भारत जैसे देशों में लागू नहीं किया जा सकता है.
भूले जाने का अधिकार क्या है?
यह यूरोपीय कानून का एक नियम है जो 2018 में 28 देशों वाले यूरोपीय संघ ने पारित किया था. इसका औपचारिक नाम जनरल डाटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR) है. यह नियम लोगों को यह अधिकार देता है कि वे संगठनों को अपना “निजी डाटा” मिटाने को कह सकते हैं. यहाँ पर “निजी डाटा” से अभिप्राय है – ऐसी हर सूचना जो सम्बन्धित व्यक्ति से जुड़ी हो. इस नियम में “नियंत्रक” की परिभाषा भी दी गई है जिसके अनुसार हर वह सार्वजनिक प्राधिकरण अथवा एजेंसी नियंत्रक कहलाती है जो व्यक्तिगत डाटा के प्रसंस्करण के उद्देश्य एवं साधनों का निर्धारण करती है.
Prelims Vishesh
World Maritime Day 2019 :-
- सितम्बर 26 को प्रत्येक वर्ष की भाँति विश्व समुद्री दिवस मनाया गया.
- यह समारोह समुद्री उद्योग के द्वारा वैश्विक अर्थव्यवस्था को किये जाने वाले योगदान के लिए आयोजित है.
- इसमें समुद्र की सुरक्षा, वहाँ के परिवेश और जहाज़ों की सुरक्षा के महत्त्व पर बल दिया जाता है.
- इस बार की थीम थी – “समुद्री समुदाय में स्त्रियों को सशक्त करना”.
- विश्व समुद्री दिवस पहली बार 1978 में मनाया गया था.
Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority (APEDA) :-
- APEDA का पूरा नाम कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) है.
- इसकी स्थापना भारत सरकार द्वारा APEDA अधिनियम, 1985 के तहत की गई है.
- यह प्राधिकरण प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात प्रोत्साहन परिषद् (Authority replaced the Processed Food Export Promotion Council – PFEPC) के स्थान पर बनाया गया है.
- इस प्राधिकरण को फल, सब्जी, माँस, मुर्गी, दूध, मिठाई, आचार, बिस्कुट, मधु, गुड़ आदि कई खाद्य पदार्थों के निर्यात को बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई है.
Caribbean Community (CARICOM or CC) :–
- पिछले दिनों न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर एक मंच पर भारत के प्रधानमंत्री ने CARICOM देशों के 14 नेताओं से भेंट की.
- विदित हो कि कैरिबियाई समुदाय के संगठन को CARICOM कहा जाता है.
- इस संगठन की स्थापना 1973 में हुई थी.
- इसके अन्दर आने वाले देश हैं – एंटीगुआ और बारबुडा, बेलीज, डोमिनिका, ग्रेनेडा, हैती, मोंटसेराट, सेंट किट्स एंड नेविस, सेंट लूसिया, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, बहामास, बारबाडोस, गुयाना, जमैका, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो.
- CARICOM संयुक्त राष्ट्र का एक आधिकारिक पर्यवेक्षक भी है.
Shanti Swarup Bhatnagar Prize:–
- पिछले दिनों विज्ञान एवं तकनीक में उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रपति ने शान्ति स्वरुप भटनागर पुरस्कार, 2019 का वितरण किया.
- इसमें पुरस्कार के रूप में पाँच लाख रुपये दिए जाते हैं.
- यह पुरस्कार प्रसिद्ध वैज्ञानिक शांति स्वरूप भटनागर के नाम पर हैं जिन्होंने वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (CSIR) की स्थापना की थी और उसके पहले निदेशक थे.
- यह पुरस्कार 45 वर्ष के नीचे की आयु के भारतीय नागरिकों के अतिरिक्त विदेश में रह रहे भारतीय नागरिकों और भारतवंशियों को दिए जाते हैं.
Boiga thackerayi :–
- महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट में एक नए प्रकार का सांप मिला.
- यह सांप कैट स्नेक्स कहलाने वाली श्रेणी में आता है.
- इसके ऊपर बाघ जैसी धारियां होती हैं एवं इसकी प्रजाति “बोयेगा” कहलाती है.
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