Sansar Daily Current Affairs, 04 September 2020
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Indian culture will cover the salient aspects of Art Forms, Literature and Architecture from ancient to modern times.
Topic : Rare Renati Chola era inscription unearthed
संदर्भ
आंध्रप्रदेश के कुडप्पा (Kadapa) ज़िले में खुदाई के दौरान रेनाटी चोल युग (Renati Chola Era) के एक दुर्लभ शिलालेख (Rare Inscription) की प्राप्ति हुई है.
प्रमुख बिंदु:
- यह एक डोलोमाइट शिलापट्ट तथा शेल पर उत्कीर्ण है.
- इस शिलालेख में पुरातन तेलुगु लिपि का प्रयोग किया गया है.
- इस शिलालेख का समयकाल 8 वीं शताब्दी ईस्वी निर्धारित किया गया है. विदित हो कि इस समय इस क्षेत्र में रेनाडू के चोल महाराजा का शासन था.
शिलालेख पर उत्कीर्ण विषय
इसमें, यह पिडुकुला गाँव के एक मंदिर में सेवा करने वाले ब्राह्मण सिद्यामायु (Sidyamayu) को उपहार में दी गई छह मार्तुस (Marttus – माप की एक इकाई) भूमि के रिकॉर्ड का विवरण दिया गया है.
शिलालेख की अंतिम पंक्तियाँ उस समय काल में ‘नैतिकता’ को दी जाने वाली प्राथमिकता का संकेत करती हैं. इसमें कहा गया है कि ‘जो लोग इस शिलालेख को भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रख्नेगे, उन्हें ‘अश्वमेध यज्ञ’ करने के सामान पुण्य की प्राप्ति होगी तथा जो इसे नष्ट करेंगे उन्हें वाराणसी में हत्या का कारण बनने के बराबर पाप के भागी होंगे.
रेनाति चोल कौन थे?
- रेनाडु (Renadu) के तेलुगु चोल (जिन्हें रेनाति चोल भी कहा जाता है) रेनाडू क्षेत्र पर शासन करते थे, वर्तमान में यह क्षेत्र कुडप्पा जिले के अंतर्गतआता है.
- प्रारंभ में ये स्वतंत्र शासक थे, किंतु बाद में इन्हें पूर्वी चालुक्यों की अधीनता स्वीकार करनी पडी.
- उन्हें सातवीं और आठवीं शताब्दी से संबंधित शिलालेखों में तेलुगु भाषा उपयोग करने का अद्वितीय गौरव प्राप्त है.
- इस वंश का प्रथम शासक नंदिवर्मन (500 ईस्वी) था, जिसे करिकेल वंश तथा कश्यप गोत्र का बताया जाता है.
- इनका राज्य पूरे कुडप्पा जिले तथा आसपास के अनंतपुर, कुर्नूल और चित्तूर जिले के क्षेत्रों में था.
चोल कालीन स्थानीय प्रशासन
- चोल प्रशासन की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता जिलों, कस्बों और गांवों के स्तर पर स्थानीय प्रशासन था.
- उत्तिरमेरूर शिलालेख से चोल प्रशासन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी का पाता चलता है.
- चोल प्रशासनिक प्रणाली की सबसे अद्वितीय विशेषता‘ग्राम स्वायत्तता’ थी.
- चोलों की महत्वपूर्ण प्रशासनिक इकाइयों में से एक ‘नाडु’ (Nadu) था. नाडु में प्रतिनिधि सभाएँ होती थीं. नाडुओं के प्रमुखों को नत्तार (Nattars) कहा जाता था.
- नाडु परिषद को नट्टावई (Nattavai) कहा जाता था.
वारियम (Variyams)
वारियम व्यवस्था चोल साम्राज्य में प्रचलित थी. चोल कालीन शासन व्यवस्था में ‘वारियम’ एक प्रकार की कार्यकारिणी समिति थी.
- वारियम की सदस्यता हेतु 35 से 70 वर्ष के बीच तक के व्यक्तियों को अवसर दिया जाता था.
- यह भी जरूरी था कि सदस्यता लेने वाला व्यक्ति कम-से-कम डेढ़ एकड़ भूमि का मालिक एवं वैदिक मंत्रों का जानकार हो.
- उपरोक्त अर्हताओं को पूरा करके चुने गये 30 सदस्यों में से 12 ज्ञानी व्यक्तियों को वार्षिक समिति ‘सम्वत्सर वारियम्’ के लिए चुना जाता था और शेष बचे 18 सदस्यों में 12 उद्यान समिति के लिए एवं 6 को तड़ाग समिति के लिए चयन किया जाता था.
- सभी की बैठक ग्राम में मन्दिर के वृक्ष के नीचे एवं तालाब के किनारे होती थी.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.
Topic : United Nations Security Council – UNSC
संदर्भ
भारत और 3 अन्य राष्ट्रों द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् (United Nations Security Council – UNSC) में सुधार की मांग की गई है.
मुख्य बिंदु
- भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान ने UNSC में सुधार प्रक्रियाओं में तेजी लाने का आह्वान किया है. साथ ही, इन राष्ट्रों द्वारा यह मुद्दा भी उठाया गया था कि इस मुद्दे पर अंतर-सरकारी समझौता वार्ताओं (Intergovernmental Negotiations : IGN) से एक दशक से भी अधिक समय से कोई अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं हुए हैं.
- इन चार देशों को G4 के रूप में जाना जाता है, जो एक विस्तारित UNSC में स्थायी सीटों पर निर्वाचन के लिए एक दूसरे के दावों का समर्थन करते हैं.
- IGN, संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत वर्ष 2009 में गठित एक समूह है, जो UNSC सुधारों पर विचार कर रहा है.
- G4 ने UNSC को कॉमन अफ्रीकन पोजिशन (Common African Position: CAP) के अनुरूप रूपांतरित करने की कार्रवाई की भी मांग की है और स्पष्ट किया है कि वार्ता को उन देशों द्वारा बाधित किया जा रहा है, जो सुधारों के प्रति इच्छुक नहीं हैं.
- UNSC के विस्तार के लिए CAP को अफ्रीकी संघ की एजुलविनी सहमति (Ezulwini Consensus) और सिर्ते घोषणापत्र (Sirte Declaration) के तहत निर्धारित किया गया है. दोनों ही दस्तावेज कम से कम 2 स्थायी और 2 से 5 अस्थायी UNSC सीटों को अफ्रीकी देशों को प्रदान किए जाने की मांग करते हैं.
UNSC सुधार एजेंडे में 5 क्षेत्र शामिल हैं यथा:
- सदस्यता की श्रेणियाँ;
- पांच स्थायी सदस्यों द्वारा प्रयुक्त वीटो से संबंधित प्रश्न;
- क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व;
- एक विस्तारित परिषद का आकार और उसकी कार्यप्रणाली तथा
- सुरक्षा परिषद एवं महासभा के मध्य संबंध.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद्
संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र के अनुसार शांति एवं सुरक्षा बहाल करने की प्राथमिक जिम्मेदारी सुरक्षा परिषद् की होती है. इसकी बैठक कभी भी बुलाई जा सकती है. इसके फैसले का अनुपालन करना सभी राज्यों के लिए अनिवार्य है. इसमें 15 सदस्य देश शामिल होते हैं जिनमें से पाँच सदस्य देश – चीन, फ्रांस, सोवियत संघ, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका – स्थायी सदस्य हैं. शेष दस सदस्य देशों का चुनाव महासभा में स्थायी सदस्यों द्वारा किया जाता है. चयनित सदस्य देशों का कार्यकाल 2 वर्षों का होता है.
ज्ञातव्य है कि कार्यप्रणाली से सम्बंधित प्रश्नों को छोड़कर प्रत्येक फैसले के लिए मतदान की आवश्यकता पड़ती है. अगर कोई भी स्थायी सदस्य अपना वोट देने से मना कर देता है तब इसे “वीटो” के नाम से जाना जाता है.
परिषद् (Security Council) के समक्ष जब कभी किसी देश के अशांति और खतरे के मामले लाये जाते हैं तो अक्सर वह उस देश को पहले विविध पक्षों से शांतिपूर्ण हल ढूँढने हेतु प्रयास करने के लिए कहती है. परिषद् मध्यस्थता का मार्ग भी चुनती है. वह स्थिति की छानबीन कर उस पर रपट भेजने के लिए महासचिव से आग्रह भी कर सकती है. लड़ाई छिड़ जाने पर परिषद् युद्ध विराम की कोशिश करती है.
वह अशांत क्षेत्र में तनाव कम करने एवं विरोधी सैनिक बलों को दूर रखने के लिए शांति सैनिकों की टुकड़ियाँ भी भेज सकती है. महासभा के विपरीत इसके फैसले बाध्यकारी होते हैं. आर्थिक प्रतिबंध लगाकर अथवा सामूहिक सैन्य कार्यवाही का आदेश देकर अपने फैसले को लागू करवाने का अधिकार भी इसे प्राप्त है. उदाहरणस्वरूप इसने ऐसा कोरियाई संकट (1950) तथा ईराक कुवैत संकट (1950-51) के दौरान किया था.
कार्य
- विश्व में शांति एवं सुरक्षा बनाए रखना.
- हथियारों की तस्करी को रोकना.
- आक्रमणकर्ता राज्य के विरुद्ध सैन्य कार्यवाही करना.
- आक्रमण को रोकने या बंद करने के लिए राज्यों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाना.
संरचना
सुरक्षा परिषद् (Security Council) के वर्तमान समय में 15 सदस्य देश हैं जिसमें 5 स्थायी और 10 अस्थायी हैं. वर्ष 1963 में चार्टर संशोधन किया गया और अस्थायी सदस्यों की संख्या 6 से बढ़ाकर 10 कर दी गई. अस्थायी सदस्य विश्व के विभिन्न भागों से लिए जाते हैं जिसके अनुपात निम्नलिखित हैं –
- 5 सदस्य अफ्रीका, एशिया से
- 2 सदस्य लैटिन अमेरिका से
- 2 सदस्य पश्चिमी देशों से
- 1 सदस्य पूर्वी यूरोप से
चार्टर के अनुच्छेद 27 में मतदान का प्रावधान दिया गया है. सुरक्षा परिषद् में “दोहरे वीटो का प्रावधान” है. पहले वीटो का प्रयोग सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य किसी मुद्दे को साधारण मामलों से अलग करने के लिए करते हैं. दूसरी बार वीटो का प्रयोग उस मुद्दे को रोकने के लिए किया जाता है.
परिषद् के अस्थायी सदस्य का निर्वाचन महासभा में उपस्थित और मतदान करने वाले दो-तिहाई सदस्यों द्वारा किया जाता है. विदित हो कि 191 में राष्ट्रवादी चीन (ताईवान) को स्थायी सदस्यता से निकालकर जनवादी चीन को स्थायी सदस्य बना दिया गया था.
इसकी बैठक वर्ष-भर चलती रहती है. सुरक्षा परिषद् में किसी भी कार्यवाही के लिए 9 सदस्यों की आवश्यकता होती है. किसी भी एक सदस्य की अनुपस्थिति में वीटो अधिकार का प्रयोग स्थायी सदस्यों द्वारा नहीं किया जा सकता.
विस्तार से पढ़ें – संयुक्त राष्ट्र संघ
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Role of civil services in a democracy.
Topic : National Programme for Civil Services Capacity Building (NPCSCB)
संदर्भ
मंत्रिमंडल द्वारा “मिशन कर्मयोगी” —राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता विकास कार्यक्रम (National Programme for Civil Services Capacity Building : NPCSCB) को स्वीकृति प्रदान की गई है.
मिशन कर्मयोगी सरकार में मानव संसाधन प्रबंधन कार्य प्रणाली में मौलिक सुधार करेगा. यह सरकारी कर्मचारियों की क्षमता बढ़ाने के लिए पैमाने और आधुनिक बुनियादी ढांचे का उपयोग करेगा.
NPCSCB के उद्देश्य
- इसका उद्देश्य पारदर्शिता और प्रौद्योगिकी के माध्यम से भविष्य के लिए भारतीय सिविल सेवकों को अधिक रचनात्मक, सृजनात्मक, विचारशील, नवाचारी, अग्रसक्रिय, पेशेवर, प्रगतिशील, ऊर्जावान, सक्षम, पारदर्शी और प्रौद्योगिकी-समर्थ बनाना है.
- NPCSCB सिविल सेवकों के क्षमता विकास के उन्नयन में सहायता प्रदान करेगा, ताकि वे भारतीय संस्कृति से जुड़े रहें और संवेदनशील बने रहें तथा विश्व की श्रेष्ठ कार्य पद्धतियों को अपनाने हेतु सदैव प्रयासरत रहें.
- इसके तहत लगभग 46 लाख केंद्रीय कर्मचारी शामिल होंगे.
- वर्ष 2020-2021 से लेकर वर्ष 2024-25 तक की इस 5 वर्षों की अवधि के दौरान 510.86 करोड़ रुपये की धनराशि व्यय की जाएगी.
मार्गदर्शक सिद्धांत
NPCSCB के मुख्य मार्गदर्शक सिद्धांतों के अंतर्गत शामिल हैं:
- नियम आघारित (Rules based) मानव संसाधन प्रबंधन के स्थान पर अब “भूमिका आघारित (Roles based) मानव संसाधन प्रबंधन को प्राथमिकता प्रदान की जाएगी .
- ऑफ साइट लर्निंग (सीखने की पद्धति) को बेहतर बनाते हुए “ऑन साइट लर्निंग” पर बल दिया जाएगा.
- सिविल सेवा से संबंधित सभी पदों को भूमिकाओं, गतिविधियों तथा दक्षता ढांचा (Framework of Roles, Activities and Competencies : FRAC) आधारित दृष्टिकोण के साथ अद्यतित करना.
- सार्वजनिक प्रशिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों आदि सहित सीखने की प्रक्रियाओं से संबंधित सर्वोत्तम विषय-वस्तु के निर्माताओं के साथ साझेदारी करना.
- सभी सिविल सेवकों को अपनी व्यवहारात्मक, कार्यात्मक और कार्यक्षेत्र से संबंधित दक्षताओं (Behavioral, Functional and Domain Competencies) को निरंतर विकसित एवं सुदृढ़ करने का अवसर उपलब्ध कराना आदि शामिल हैं.
- इस कार्यक्रम को एकीकृत सरकारी ऑनलाइन प्रशिक्षण- आईगॉट कर्मयोगी प्लेटफॉर्म (iGOT Karmayogi Platform) की स्थापना द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा.
मेरी राय – मेंस के लिए
मिशन कर्मयोगी सरकारी कर्मचारियों को एक आदर्श कर्मयोगी के रूप में देश सेवा के लिए विकसित करने का प्रयास है ताकि वे सृजनात्मक और रचनात्मक बन सकें और तकनीकी रूप से सशक्त हों. इससे कर्मचारियों के व्यक्तिनिष्ठ मूल्यांकन को समाप्त करने में मदद मिल सकेगी और उनका वैज्ञानिक तरीके से उद्देश्यपरक और समयोचित मूल्यांकन सुनिश्चित किया जा सके. मिशन कर्मयोगी का गठन सटीक दृष्टिकोण, कौशल और ज्ञान के साथ भविष्य को ध्यान में रखकर सिविल सेवा का निर्माण करने के लिए किया गया है. यह नए भारत की दृष्टि से जुड़ा हुआ है और क्षमता निर्माण पर केंद्रित है. मिशन कर्मयोगी अभियान सिविल सेवा क्षमता निर्माण से संबंधित एक राष्ट्रीय कार्यक्रम होगा. यह न केवल व्यक्तिगत क्षमता निर्माण पर बल्कि संस्थागत क्षमता निर्माण और प्रक्रिया पर भी केंद्रित है.
वर्तमान में प्रशिक्षण परिदृश्य विविधताओं से भरा और बिखरा हुआ है. विभिन्न मंत्रालयों में, विभिन्न प्रशिक्षण संस्थानों द्वारा प्रशिक्षण प्राथमिकताओं में विसंगतियां हैं, इसने भारत की विकासात्मक आकांक्षाओं की साझा समझ को रोका है. एक प्रशासनिक अधिकारी को समाज की चुनौतियों का सामना करने के लिए कल्पनाशील और अभिनव, सक्रिय और विनम्र, पेशेवर और प्रगतिशील, ऊर्जावान और सक्षम, पारदर्शी और तकनीकी तौर पर दक्ष और रचनात्मक होना चाहिए.
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : OBC sub-categorisation: Findings, progress by a panel so far
संदर्भ
पिछले हफ्ते, सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण के उप-वर्गीकरण पर कानूनी बहस को आमंत्रण दिया. यह चिंता है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति, एक आयोग पिछले तीन वर्षों से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उप-वर्गीकरण का परीक्षण कर रहा है.
अन्य पिछड़ा वर्ग (Other Backward Classes – OBC) के उप-वर्गीकरण में अब तक हुई प्रगति तथा निष्कर्ष के विषय में नीचे चर्चा की गई है –
- वर्ष 2017 में OBCs के उप-वर्गीकरण की जाँच के लिए न्यायाधीश जी. रोहिणी (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया गया था. इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 340 के अंतर्गत गठित किया गया था, जो राष्ट्रपति को पिछड़े वर्गों की स्थितियों की जांच के लिए एक आयोग नियुक्त करने का अधिकार प्रदान करता है.
- आयोग के कार्यों में शामिल हैं: OBCs के मध्य आरक्षण संबंधी लाभों के असमान वितरण के प्रसार की जांच करना, OBCs की केंद्रीय सूची में सम्मिलित विभिन्न प्रविष्टियों का अध्ययन करना और सुधारों आदि के लिए अनुशंसा करना.
- OBCs को केंद्र सरकार के अधीन नौकरियों और शिक्षा में 27% आरक्षण प्रदान किया गया है.
- उप-वर्गीकरण का आशय आरक्षण के लिए OBCs के भीतर श्रेणियों का निर्माण करना है, ताकि सभी OBC समुदायों के मध्य प्रतिनिधित्व के “समान वितरण” को सुनिश्चित किया जा सके.
- उप-वर्गीकरण का प्रश्न इस धारणा से उत्पन्न हुआ है कि OBCs की केंद्रीय सूची में शामिल 2,600 से अधिक समुदायों में से केवल कुछ समृद्ध समुदायों ने ही OBC आरक्षण का सर्वाधिक लाभ प्राप्त किया है.
आयोग के प्रमुख निष्कर्ष
- OBCs के लिए आरक्षित सभी नौकरियों और शैक्षणिक सीटों का 97% भाग, OBCs के रूप में वर्गीकृत सभी उप-जातियों के केवल 25% को ही प्राप्त हुआ है.
- कुल OBC समुदायों के 37% भाग का नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में शून्य प्रतिनिधित्व रहा है.
- इन नौकरियों और सीटों का 25% हिस्सा केवल 10 OBC समुदायों को ही प्राप्त हुआ है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Issues relating to development and management of Social Sector/Services relating to Health.
Topic : Water Sanitation and Hygiene : WASH
संदर्भ
ग्रामीण जल स्वच्छता एवं स्वास्थ्य (Water Sanitation and Hygiene : WASH) सेवा प्रदाताओं से संबंधित सुरक्षा पूर्वोपायों पर परामर्शिका (Advisory) जारी की गई है.
पृष्ठभूमि
लॉकडाउन के दौरान, जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग ने सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को स्वच्छ पेयजल सुनिश्चित करने के लिए एक परामर्शिका जारी की थी.
परामर्शिका में हाथ धोने की सामग्री की व्यवस्था करना, क्वारंटाइन/आइसोलेशन सेंटर पर पेयजल की उपलब्धता को सुनिश्चित करना, विद्यालयों/आंगनवाड़ियों में नई सुविधाओं के समावेशन को प्राथमिकता प्रदान करना आदि शामिल हैं.
मुख्य तथ्य
लॉकडाउन नियमों में शिथिलता प्रदान करने और सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों के पुन: प्रारंभ होने के साथ ही WASH सेवा प्रदाताओं के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वे संक्रमण तथा वायरस के प्रसार से बचने के लिए सावघानीपूर्ण उपाय लागू करें.
आवश्यकता
जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य की परस्पर निर्भर प्रकृति के कारण, ये मूल मुद्दे WASH के तहत एक साथ रखे गए हैं –
- शौचालय की अनुपलब्धता के कारण, जल स्रोत दूषित हो जाते हैं तथा साथ ही स्वच्छ जल के बिना, आधारभूत स्वच्छता संबंधी प्रथाएं संभव नहीं हैं.
- पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की डायरिया से होने वाली मृत्यु दर को शून्य करने तथा जल के रासायनिक प्रदूषण का शमन करने एवं नवजात मृत्यु दर को कम करने हेतु WASH के सुदृढ़ीकरण की नितांत आवश्यकता है.
कार्यान्वयन
परियोजनाओं के कार्यान्वयन में शामिल हैं: शौचालयों की उपलब्धता में वृद्धि करना, पेयजल की पहुँच में सुधार करना, स्वच्छता और स्वास्थ्य पर व्यवहार में परिवर्तन करना, जल एवं स्वच्छता से संबंधित सरकारी योजनाओं तक सुगम पहुंच प्रदान करना, समुदाय आधारित संस्थानों को सुदृढ़ करना आदि.
भारत द्वारा स्वच्छ भारत मिशन, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम, स्कूलों में WASH, स्वास्थ्य सुविधा केन्द्रों में WASH आदि जैसे कार्यक्रमों को अपनाया गया है.
WASH
- WHO की वॉश (WASH) रणनीति, सदस्य राज्य संकल्प (Member State Resolution) तथा सतत विकास और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के एजेंडा 2030 के परिप्रेक्ष्य में विकसित की गई है.
- WHO की वॉश (WASH) रणनीति जुलाई 2010 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाई गई सुरक्षित पेयजल एवं स्वच्छता आदि मानवाधिकारों की प्रगतिशील प्राप्ति की आवश्यकता पर भी विचार करती है.
- 2025, वॉश (WASH) रणनीति की अंतिम तिथि, SDGs के अंतिम पाँच साल की अवधि में सुधार हेतु एक उचित प्रबंधनीय समय अवधि के साथ-साथ 2025 में एक नई WHO रणनीति अपनाने का प्रस्ताव भी करती है.
मेरी राय – मेंस के लिए
जल जीवन का मूल तत्व है. सामुदायिक जल आपूर्ति की प्रवृत्ति एवं स्वच्छता के द्वारा लोगों के सामाजिक, आर्थिक एवं शारीरिक जीवन को बहुत हद तक प्रभावित किया जा सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकलन के अनुसार विश्व में व्याप्त 80 प्रतिशत रोग अपर्याप्त स्वच्छता या दूषित जल के कारण होते हैं. इसमें दूषित जल पीने के प्रभाव, जल में रोगवाही जीवाणुओं की उत्पत्ति तथा नहाने-धोने के अभाव के कारण होने वाले रोग सम्मिलित हैं.
यद्यपि पिछले दशक में अतिसार एवं उदर-रोगों के कारण होने वाली मौतों में कमी हुई है, तथापि अनुमानतः 33 लाख बच्चों की अब भी इन रोगों के कारण मृत्यु हो जाती है (विश्व में प्रति दस सेकेंड में लगभग एक बच्चे की मृत्यु होती है) अध्ययनों के अनुसार सुरक्षित जल एवं आवश्यक स्वच्छता के द्वारा अतिसार एवं उदर रोगों में 25 प्रतिशत तक कमी लाई जा सकती है. जल संबंधी रोग मनुष्य की अस्वस्थता एवं मृत्यु का एक मात्र बड़ा कारण है. मुख्यतः संक्रमण एवं परजीवी रोग ही गरीबों को पीड़ित करते हैं. बढ़ती हुई जनसंख्या एवं शहरीकरण के साथ-साथ आने वाले वर्षों में पेयजल की मांग के निरंतर बढ़ते रहने का अनुमान है.
गाँवों की जल आपूर्ति में दो प्रमुख समस्याएँ अपर्याप्त मात्रा तथा रासायनिक प्रदूषण है. पीने हेतु प्रयुक्त जल रोगाणु रहित होना चाहिए और उसमें स्वास्थ्य हेतु महत्वपूर्ण कार्बनिक तथा अकार्बनिक तत्व बहुत अधिक मात्रा में नहीं होने चाहिए.
Prelims Vishesh
Hamas :-
- हमास एक फिलिस्तीनी इस्लामवादी राजनीतिक संगठन है जो सैन्य गतिविधियों से इजराइल के ऊपर आत्मघाती बमबारी और रॉकेट के हमले अपनी स्थापना के समय अर्थात् 1987 से ही करता आया है.
- इसका उद्देश्य इजराइल को मिटाना और उसके स्थान पर फिलिस्तीन देश का निर्माण करना है.
Places in News- Crete Island :–
- यूनान में कई द्वीप हैं, उनमें से सबसे बड़ा और सर्वाधिक जनसंख्या वाला द्वीप क्रीट द्वीप कहलाता है जो एगियन सागर (Aegean Sea) के दक्षिण भाग में स्थित है और उस सागर को लीबियाई सागर से अलग करता है.
- विदित हो कि दिसम्बर 1913 में क्रीट द्वीप यूनान के अन्दर आया था.
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