Sansar Daily Current Affairs, 05 May 2021
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Related to heath.
Topic : A ‘One Health’ approach that targets people, animals
संदर्भ
विभिन्न अध्ययनों से संकेत मिलता है कि विद्यमान और उभरते संक्रामक रोगों में से 2/3 से ज्यादा बीमारियाँ पशुजन्य (जूनोटिक- zoonotic) हैं, अथवा किसी खतरनाक रोगज़नक़ (pathogen) किसी जीवन रूप में उत्पन्न होने और इसके द्वारा प्रजातिगत प्रतिबंधों को तोड़ देने से, यह बीमारियाँ जानवरों से मनुष्यों या इसके उलट मनुष्यों से जानवरों में स्थानांतरित हुई हो सकती है.
- हाल के सालों में फैले, निपाह वायरस, इबोला, सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS), मिडल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (MERS) और एवियन इंफ़्लुएंज़ा जैसे वायरल प्रकोपों के संक्रमण ने हमारे लिए पर्यावरण, पशु और मानव स्वास्थ्य के मध्य अंतर्संबंधों की जाँच करने और समझने की जरूरत पर प्रकाश डाला है.
- यह हमें जानवरों, मनुष्यों और पर्यावरण के परस्पर संबंध को स्वीकार करने पर विवश करता है, और इसे “वन हेल्थ” (One Health) अवधारणा कहा जाता है.
‘वन हेल्थ’ अवधारणा क्या है?
- वन हेल्थ का सिद्धांत संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization-FAO) विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (World Organization for Animal Health- OIE) की पहल है.
- इसका उद्देश्य मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य, मिट्टी, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तंत्र जैसे विभिन्न विषयों के ज्ञान को कई स्तरों पर साझा करने के लिये प्रोत्साहित करना है, जो सभी प्रजातियों के स्वास्थ्य में सुधार, रक्षा और बचाव के लिये आवश्यक है.
- वर्ष 2007 में वन्यजीव संरक्षण सोसायटी (Wildlife Conservation Society- WCS) ने मैनहट्टन सिद्धांतों की 12 संस्तुतियों को ध्यान में रखते हुए ‘एक विश्व-एक स्वास्थ्य’ (One World-One Health) के सिद्धांत का प्रतिपादन किया. यह महामारियों को रोकने एवं पारिस्थितिकी तंत्र की अक्षुण्णता को बनाए रखने के आदर्श दृष्टिकोण पर आधारित है.
भारत का वन हेल्थ फ्रेमवर्क एवं योजनाएँ
भारत की ‘वन हेल्थ’ विज़न की रूपरेखा (Blueprint), ‘एक विश्व-एक स्वास्थ्य‘ (One World-One Health) के अति महत्त्वपूर्ण लक्ष्य में योगदान करने के लिए, ‘त्रिपक्षीय प्लस गठबंधन’ (tripartite-plus alliance) के बीच हुए एक समझौते से तैयार की गई है.
- इस गठबंधन में, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (OIE), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), तथा संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) द्वारा समर्थित एक वैश्विक पहल संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और विश्व बैंक सम्मिलित हैं.
- भारत द्वारा दीर्घकालिक उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए 1980 के दशक के रूप में जूनोज़िस (Zoonoses) पर एक राष्ट्रीय स्थायी समिति की स्थापना की गई थी.
- इसी साल, नागपुर में एक ‘वन हेल्थ केंद्र‘ स्थापित करने के लिये धनराशि स्वीकृत की गई है.
- पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD) द्वारा, वर्ष 2015 से पशु-रोगों की व्यापकता को समाप्त करने के लिए कई योजनाएं शुरू की जा रही हैं; जिनके लिए केंद्र तथा राज्य के मध्य 60:40, पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 90:10 के अनुपात में तथा केंद्र-शासित प्रदेशों के लिए 100% वित्त पोषण किया जा रहा है.
समन्वय की आवश्यकता
वैज्ञानिकों के अनुसार, वन्यजीवों में लगभग 1.7 मिलियन से अधिक वायरस पाए जाते हैं, जिनमें से अधिकतर के ज़ूनोटिक होने की संभावना है. इसका तात्पर्य है कि समय रहते अगर इन वायरसों का पता नहीं चलता है तो भारत को आने वाले समय में कई महामारियों का सामना करना पड़ सकता है.
आवश्यक कार्रवाईयाँ
- मौजूदा पशु स्वास्थ्य और रोग निगरानी प्रणालियों, जैसे कि पशु उत्पादकता और स्वास्थ्य के लिए सूचना नेटवर्क और राष्ट्रीय पशु रोग रिपोर्टिंग प्रणाली को समेकित करने की आवश्यकता है.
- अनौपचारिक बाज़ार और स्लॉटरहाउस ऑपरेशन (जैसे, निरीक्षण, रोग प्रसार आकलन) के लिये सर्वोत्तम दिशा-निर्देशों को तैयार किया जाना चाहिए.
- ग्रामीण-स्तर तक प्रत्येक चरण में ‘वन हेल्थ’ के संचालन के लिये तंत्र निर्मित किया जाना चाहिए.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.
Topic : G7 seeks common front on China
संदर्भ
हाल ही में, विश्व के सात समृद्ध लोकतांत्रिक देशों द्वारा (G7), विदेश मंत्रियों की, दो वर्षो में पहली बार हुई वैयक्तिक रूप से वार्ता में उत्तरोत्तर आक्रमक होते चीन के खिलाफ एक सामूहिक मोर्चा बनाने पर चर्चा की गई.
इस हाल की बैठक में ईरान और उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रमों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया. विदित हो कि चीन के बढ़ते सैन्य और आर्थिक दबदबे तथा देश-विदेश में अपने प्रभाव को बढ़ाने की इच्छा के कारण पश्चिमी लोकतंत्रों में बेचैनी बढ़ रही है.
बैठक के परिणाम
- अमेरिका ने शिनजियांग (Xinjiang) क्षेत्र तथा हांगकांग में नागरिक अधिकारों के विरुद्ध कठोर नीति को लेकर चीन पर दबाव बनाने के लिए ब्रिटेन के साथ “मजबूत सहयोग” का वादा किया. शिनजियांग क्षेत्र में चीन द्वारा एक मिलियन उइगर तथा अन्य मुस्लिमों को कैद किया गया है, जिसे वाशिंगटन ने नरसंहार की कार्रवाई बताया है. ब्रिटेन ने बीजिंग से उसकी ने हांगकांग के लिए एक पृथक् प्रणाली का वादा किया था.
- बैठक में शामिल देशों ने ‘चीन के साथ काम करने के लिए, जलवायु परिवर्तन सहित, जहाँ भी संभव हो, रचनात्मक तरीके खोजने के लिए समझदारी और सकारात्मक तरीके खोजने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की.
G7 शिखर सम्मेलन क्या है?
- यह 7 प्रमुख राष्ट्रों के प्रमुखों की बैठक है. पहले इसमें 8 देश थे. इसकी स्थापना 1975 में हुई थी.
- इसमें विश्व के 7 प्रमुख सशक्त देश शामिल होते हैं – अमेरिका, कनाडा, UK, फ़्रांस, जर्मनी, जापान और इटली. इसके अतिरिक्त यूरोपीय संघ के नेतागण भी इस बैठक में बुलाये जाते हैं. वे आपसी सहमति से नीतियाँ बनाते हैं और फिर सम्बंधित मुद्दों का समाधान ढूँढते हैं.
- इस सम्मलेन में विश्व-भर के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा होती है. जहाँ यह सम्मलेन होता है उसी देश का राष्ट्र प्रमुख बैठक की अध्यक्षता करता है और उसे यह अधिकार होता है कि वह अपनी इच्छा से किसी एक और देश को बैठक में आमंत्रित करे.
उद्देश्य
समूह स्वयं को “कम्यूनिटी ऑफ़ वैल्यूज” अर्थात् मूल्यों का आदर करने वाला समुदाय मानता है. स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र और क़ानून का शासन और समृद्धि और सतत विकास, इसके प्रमुख सिद्धांत हैं.
- अवसरों में असमानता दूर करना, लैंगिक समानता को बढ़ावा देना, शिक्षा और उच्चकोटि की स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता प्रदान करना.
- पर्यवारणगत असमानता घटाना.
- वैश्वीकरण के सामाजिक आयाम को सुदृढ़ करना.
- सुरक्षागत खतरों और आतंकवाद के विरुद्ध कार्रवाई करना.
- डिजिटल तकनीक और कृत्रिम बुद्धि से उत्पन्न अवसरों का पता लगाना.
G7 का माहात्म्य
G7 में विश्व की बड़ी-बड़ी आर्थिक शक्तियाँ सम्मिलित होती हैं. अतः G7 जो भी निर्णय लेता है उसका पूरे विश्व पर व्यापक प्रभाव पड़ता है. यद्यपि G7 के निर्णय कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं हैं, परन्तु इनका राजनैतिक प्रभाव अत्यंत प्रबल होता है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations.
Topic : Iran-China partnership to raise Chabahar port’s global status
संदर्भ
ईरान और चीन के बीच हालिया रणनीतिक सहयोग समझौते से चाबहार बंदरगाह के विकास में चीनी भागीदारी की संभावना बढ़ गई है. इससे पूर्व चीन ने ईरान के साथ 25 वर्षीय रणनीतिक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. यह समझौता वर्ष 2016 में स्थापित उनकी व्यापक रणनीतिक साझेदारी के लिए नए सिरे से प्रतिबद्धता को चिह्नित करता है.
चीनी निवेश के प्रभाव
भारत-चाबहार बंदरगाह समझौते के समक्ष खतरा: इससे गंभीर चिंता उत्पन्न हुई है, क्योंकि भारत इस बंदरगाह को चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के अंतर्गत आने वाले ग्वादर बंदरगाह के प्रति-संतुलन की एक कूटनीति के रूप में संदर्भित करता है.
क्षेत्रीय सुरक्षा: चीन-पाकिस्तान संयोजन में ईरान की साझेदारी भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा और अफगानिस्तान में भारत के हितों के लिए एक गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकती है.
पश्चिम एशिया में भारत की स्थिति: पश्चिम एशिया में चीन-ईरान धुरी खाड़ी क्षेत्र में भारत की स्थिति को दुर्बल कर सकती है.
चाबहार बंदरगाह
- भारत ने ही चाबहार बंदरगाह बनाया है.
- इसका उद्देश्य है कि चारों तरफ जमीन से घिरे अफगानिस्तान को फारस की खाड़ी (Persian Gulf) तक पहुँचने के लिए एक ऐसा यातायात गलियारा मिले जो पाकिस्तान होकर नहीं गुजरे क्योंकि पाकिस्तान से इसकी प्रायः ठनी रहती है.
- आशा है कि इस गलियारे के चालू हो जाने से अरबों रुपयों का व्यापार हो सकता है.
- ईरान का चाबहार बंदरगाह ओमान की खाड़ी पर स्थित उस देश का एकमात्र बन्दरगाह है.
- चाबहार के बंदरगाह से भारत को मध्य एशिया में व्यापार करने में सुविधा तो होगी ही, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण गलियारे (International North-South Transport Corridor) तक उसकी पहुँच भी हो जाएगी.
- चाबहार बंदरगाह चालू होने के बाद भारत में लौह अयस्क, चीनी और चावल के आयात में महत्त्वपूर्ण वृद्धि होगी.
- इसके अतिरिक्त खनिज तेल के आयात की लागत भी बहुत कुछ घट जायेगी.
- ज्ञातव्य है कि अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण गलियारा ईरान से लेकर रूस तक जाता है और इसमें यह एक भूमि मार्ग है जिसमें समुद्र, रेल, सड़क यातायात का सहारा लिया जायेगा.
- विदित हो कि चीन ने खाड़ी तक अपनी पहुँच बनाने के लिए पाकिस्तान को ग्वादर नामक बंदरगाह बनाने में मदद की है जिससे उसका क्षेत्र में दबदबा हो जाए.
- चाबहार बंदरगाह भारत को चीन के इस दबदबे का प्रतिकार करने में सक्षम बनाएगा.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests.
Topic : 2+2 dialogue
संदर्भ
भारत और रूस विदेश तथा रक्षा मंत्रालयों के मध्य 2+2 मंत्रिस्तरीय संवाद स्थापित करेंगे.
टू प्लस टू संवाद
- ‘टू प्लस टू संवाद” एक पदावली है, जिसका प्रयोग सामरिक और सुरक्षा हितों पर चर्चा करने के लिए दो देशों के रक्षा एवं विदेश मंत्रालयों के मध्य एक संवाद तंत्र की स्थापना के लिए किया जाता है.
- भारत ने इस प्रकार का एक तंत्र क्वाड (QUAD) देशों, जैसे – अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ भी विकसित किया है.
भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी का महत्त्व
- रक्षा और सुरक्षा सहयोग: रूस, भारत का सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता (S-400, ब्रह्मोस आदि) देश है.
- अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सहयोग: दोनों देश ब्रिक्स (BRICS) व SCO के सदस्य हैं और UNSC में स्थायी सदस्यता के लिए भारत को रूस का समर्थन प्राप्त है.
- व्यापार और आर्थिक संबंध: दोनों देशों द्वारा द्विपक्षीय व्यापार को वर्ष 2025 तक 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
- अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (International North-South Transport Corridor: INSCT), चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारा और यूरेशियाई आर्थिक संघ में सहयोग इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महत्त्वपूर्ण कदम हैं.
- अंतरिक्ष सहयोग: गगनयान के लिए चयन किए गए चार अंतरिक्ष यात्रियों (cosmonauts) ने रूस में अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया है.
QUAD क्या है?
- Quad एक क्षेत्रीय गठबंधन है जिसमें ये चार देश शामिल हैं – ऑस्ट्रेलिया, जापान, भारत और अमेरिका.
- ये चारों देश प्रजातांत्रिक देश हैं और चाहते हैं कि समुद्री व्यापार और सुरक्षा विघ्नरहित हो.
- Quad की संकल्पना सबसे पहले जापान के प्रधानमन्त्रीShinzo Abe द्वारा 2007 में दी गई थी. परन्तु उस समय ऑस्ट्रेलिया के इससे निकल जाने के कारण यह संकल्पना आगे नहीं बढ़ सकी.
Quad समूह भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के बीच विचारों के आदान-प्रदान का एक रास्ता मात्र है और उसे उसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए. इसके गठन का उद्देश्य प्रतिस्पर्धात्मक नहीं है.
Prelims Vishesh
White-bellied Heron :-
- हाल ही में व्हाइट बेलीड हेरान (White-bellied Heron) को अरुणाचल प्रदेश में बहुत ऊँचाई वाले क्षेत्रों में देखा गया है.
- व्हाइट बेलीड हेरान (White-bellied Heron), एक पक्षी है जो अधिकतर हिमालय के कम ऊँचाई वाले दलदली क्षेत्रों में पाया जाता है.
- यह प्रायः सफेद गले और अंडरपार्ट्स (underparts) के साथ गहरे भूरे रंग का होता है.
- इसे भारत में शाही बगुला (imperial heron) भी कहा जाता है.
- वर्ष 2007 में इसे अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट में ‘गंभीर रूप से लुप्तप्राय’ (Critically Endangered) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है.
- वहीं इसे भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की ‘अनुसूची IV’ में सूचीबद्ध किया गया है.
- यह विश्व के सबसे दुर्लभ पक्षियों में से एक है और केवल भूटान, म्यांमार व भारत के अरुणाचल प्रदेश में नामदफा टाइगर रिजर्व में पाया जाता है.
- हालाँकि इस पक्षी को कई बार अरुणाचल प्रदेश के लोहित जिले के निकटवर्ती कमलांग टाइगर रिजर्व में भी देखा गया है.
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