Sansar Daily Current Affairs, 05 November 2018
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Competition Commission of India
संदर्भ
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के द्वारा सार्वजनिक क्रय एवं प्रतिस्पर्धा कानून के विषय में एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है जिसका उद्देश्य प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देने और सार्वजनिक क्रय प्रणाली से जुड़े हितधारकों तक पहुँचना है.
इस सम्मेलन के आयोजन में भारतीय नैगमिक मामले संस्थान (Indian Institute of Corporate Affairs – IICA) नामक थिंकटैंक का सहयोग लिया जा रहा है. यह निकाय नैगमिक मामले मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs) के अन्दर आता है.
CCI क्या है?
- प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के तहत भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की स्थापना मार्च, 2009 में हुई थी.
- इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है.
- प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 (अधिनियम) की धारा 8 (1) के अनुसार आयोग में केवल एक अध्यक्ष होगा और सदस्यों की संख्या कम से कम दो होगी और अधिक से अधिक छह होगी.
- आयोग के निम्नलिखित कार्य हैं :-
- व्यापार से सम्बंधित प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव करने वाले कारकों को रोकना.
- बाजारों में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना और बनाए रखना.
- उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना.
- व्यापार की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना.
- यह आयोग किसी वैधानिक प्राधिकरण के द्वारा भेजे गये प्रतिस्पर्धात्मक मामलों पर अपना परामर्श भी देता है.
- यह प्रतिस्पर्धा से जुड़े मामलों के विषय में जन-जागरूकता सृजित करता है और प्रशिक्षण प्रदान करता है.
प्रतिस्पर्धा अधिनियम
2002 का मूल प्रतिस्पर्धा अधिनियम और उसका 2007 में संशोधन अधिनियम प्रतिस्पर्धा विरोधी समझौतों का प्रतिषेध करता है, प्रतिष्ठानों द्वारा अपनी प्रबल स्थिति के दुरूपयोग पर रोक लगाता है तथा भारत के अंदर प्रतिस्पर्धा पर विपरीत प्रभाव डालने वाली गतिविधियों, यथा – अधिग्रहण, नियंत्रण हाथ में लेना आदि को नियंत्रित करता है.
हाल ही में भारत सरकार ने प्रतिस्पर्धा अधिनियम की समीक्षा के लिए एक प्रतिस्पर्धा कानून समीक्षा समिति (Competition Law Review Committee) बनाई है जो यह देखेगी कि प्रतिस्पर्धा कानून आर्थिक मूलभूत सिद्धांतों के अनुरूप है अथवा नहीं.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : South Asian Association for Regional Cooperation (SAARC)
संदर्भ
चीन की एक पुरानी माँग का समर्थन करते हुए पाकिस्तान ने हाल ही में कहा है कि वह इस बात के पक्ष में है कि चीन भी दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (SAARC) के मंच पर सक्रीय भागीदारी करे.
चीन की यह माँग क्यों?
चीन को 2005 से ही SAARC में पर्यवेक्षक (observer state) का दर्जा प्राप्त है. किसी पर्यवेक्षक को मताधिकार नहीं होता है. इस कारण वह SAARC के सदस्य देशों की गतिविधियों में भागीदार नहीं हो पाता है कि उसे इसके लिए अनुमति दी जाए.
भारत की चिंता
भारत की ये चिंता है कि यदि चीन को सार्क में अधिक भूमिका दी जाती है तो वह अन्य सदस्य देशों के साथ मिलकर भारत के हितों को क्षति पहुँचा सकता है. चीन की आर्थिक शक्ति भारत से अधिक है, इसलिए भारत के पड़ोसी देश, जैसे – पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका आदि चीन की तरफ झुक सकते हैं जो भारत के लिए हितकर नहीं होगा. हम लोगों ने देखा है कि चीन नेपाल में अपना वर्चस्व बढ़ा रहा है और नेपाल तथा तिब्बत के बीच Kyirong नामक स्थल-बंदरगाह (land-port) खोल रहा है जो भारत की सामरिक स्थिति को कमजोर कर सकता है.
चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ती हुई मैत्री का उपयोग दक्षिण एशिया क्षेत्र में भारत के वर्चस्व को चुनौती दे रही है. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के द्वारा चीन जमीनी सिल्क रोड और समुद्री सिल्क रोड को जोड़ रहा है जो अंततः भारत के लिए हानिकारक होगा.
यह भी डर है कि यदि चीन को SAARC में अधिक भूमिका दी जाती है तो वह ऐसी परियोजनाओं को अवरुद्ध कर सकता है जो भारत के लिए सामरिक और आर्थिक दृष्टि से महत्त्व के हैं.
SAARC
- यह एक क्षेत्रीय संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 8 दिसम्बर 1985 को SAARC Charter पर हस्ताक्षर के द्वारा हुई थी.
- इसके सचिवालय की काठमांडू स्थापना 17 जनवरी, 1987 को हुई है.
- सार्क की स्थापना का मुख्य उद्देश्य दक्षिण एशिया के लोगों के कल्याण को प्रोत्साहित करना, जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना और क्षेत्र में आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति एवं सांस्कृतिक विकास को त्वरित करना है. यह सभी व्यक्तियों को गरिमामय रीति से जीवन बीताने और अपनी क्षमताओं को पूर्ण रूप से साकार करने के लिए आवश्यक प्रयास करता है.
- इसके साथ ही SAARC दक्षिण एशियाई देशों के बीच सामूहिक स्वालंबन को बढ़ावा देता है और उसे सुदृढ़ करता है.
- सदस्य देश हैं – भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, मालदीव, अफ़ग़ानिस्तान और भूटान.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Public Credit Registry (PCR)
संदर्भ
भारतीय रिज़र्व बैंक ने हाल ही में कुछ ऐसे कदम उठाये हैं जिनका उद्देश्य डिजिटल सार्वजनिक साख पंजी (PCR) को व्यापक आधार देना है जिससे न केवल सभी ऋण लेने वालों के बारे में विवरण सुलभ हो सके अपितु जो ऋण नहीं लौटा रहे हैं उनके बारे में भी जानकारी उपलब्ध हो सके. नई व्यापक पंजी से ऋण-वसूली से सम्बन्धित वादों की वर्तमान स्थिति का भी पता चलेगा.
- PCR में इनके सम्बन्ध में भी आँकड़े होंगे – SEBI, नैगमिक मामलों के मंत्रालय (Corporate Affairs Ministry) और भारतीय इन्सोल्वेन्सी एवं बैंकरप्टसी बोर्ड (Insolvency and Bankruptcy Board).
- इस पंजी से बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान वर्तमान ऋण लेने वालों और संभावित ऋण लेने वालों के विषय में तत्क्षण सम्पूर्ण जानकारी हस्तगत कर सकेंगे.
PCR क्या है?
- PCR को RBI के द्वारा किसी व्यक्ति या इकाई के वित्तीय दायित्व के विषय में नवीनतम (real-time) सूचना देने के लिए तैयार किया जा रहा है जिसमें सम्बंधित व्यक्ति अथवा इकाई के दायित्वों का वर्णन उपलब्ध होगा.
- इस पंजी (registry) के निर्माण और संधारण (maintenance) के लिए RBI सभी बैंकों और ऋणदाता संस्थानों के लिए यह अनिवार्य कर देगा कि ऋण के जितने भी मामले हैं, चाहे छोटे हों या चाहे बड़े हों अथवा ऋण लेने वाले ग्राहक के किसी भी श्रेणी के हों, उन मामलों के लिए RBI को रिपोर्ट करे.
- इस पंजी में भारतीय व्यक्तियों के अतिरिक्त भारत में निगमित कम्पनियों (incorporated companies) द्वारा लिए गए हर ऋण का ब्यौरा दर्ज होगा.
- इस पंजी का उद्देश्य संस्थानों द्वारा दिए गये ऋण के विषय में वर्तमान बिखरी हुई और अव्यवस्थित जानकारियों को इकठ्ठा करना है जिससे कि एक ही दृष्टि में भारत में लिए गये ऋणों की जानकारी हो सके.
- इस पंजी के दायरे में भारत की सरकारी बैंकों के अतिरिक्त अन्य सभी ऋणदाता संस्थान आयेंगे, जैसे कि – वाणिज्यिक बैंक, सहकारी बैंक, गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियाँ (NBFCs), MFIs (microfinance institutions/सूक्ष्म वित्त संस्थान)
- PCR (Public Credit Registry) से ऋण देने वाले संस्थानों से यह फायदा होगा कि वे दिए गए ऋणों की वसूली की स्थिति का सम्यक निरीक्षण कर सकेंगे और आवश्यकतानुसार उसे restructure कर सकेंगे.
PCR के लाभ
- PCR से बैंकों यह लाभ होगा कि वे उसके आधार पर साख का मूल्यांकन और साख का दाम-निर्धारण कर पाएँगे.
- Public Credit Registry (PCR) से RBI को यह लाभ होगा कि इसके आधार पर वह समझ पायेगा कि उसकी मौद्रिक नीति काम कर रही है या नहीं, और यदि नहीं काम कर रही है तो कहाँ-कहाँ इसमें अड़चन आ रही है.
- इससे बैंकों और नियामकों को लोकहित में ऋणों से सम्बन्धित आवश्यक जानकारी मिलेगी.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Saura Jalnidhi scheme
संदर्भ
किसानों द्वारा सिंचाई में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ओडिशा सरकार ने एक योजना का शुभारम्भ किया है जिसका नाम सौर जलनिधि रखा गया है.
योजना से संबधित मुख्य तथ्य
- इस योजना के लाभार्थी वे किसान होंगे जिनके पास सही कृषक पहचान पत्र (farmer identity cards) होंगे तथा जिनके पास कम-से-कम 0.5 एकड़ की भूमि होगी.
- इस योजना के अंतर्गत किसानों को 90% सब्सिडी पर 5,000 सौर-पम्प दिए जाएँगे. इन पम्पों से राज्य की 2,500 एकड़ कृषि-भूमि में सिंचाई हो सकेगी.
- प्रारम्भिक चरण में यह योजना उन क्षेत्रों में चलाई जायेगी जहाँ पम्प-सेट चलाने के लिए बिजली उपलब्ध नहीं है.
योजना का महत्त्व
- इस योजना से हर वर्ष 1.52 लाख मानव दिवस रोजगार उत्पन्न होगा और लगभग 5,000 परिवारों की रोजी-रोटी चलेगी.
- योजना के कार्यान्वयन से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी.
- जलनिधि योजना के अंदर सौर-पम्प दिए जाने से किसानों द्वारा खेती में लगाई गई लागत तो घटेगी ही, साथ में उनकी कृषि-आय में बढ़ोतरी भी होगी.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : OSIRIS-Rex
संदर्भ
दो वर्ष अन्तरिक्ष में यात्रा करने के पश्चात् NASA के ORSIS-Rex अन्तरिक्षयान ने अपने गन्तव्य अर्थात् क्षुद्रग्रह Bennu के फोटो लेने शुरू कर दिए हैं.
OSIRIS-REx अभियान क्या है?
- OSIRIS-REx का full form है – Origins, Spectral Interpretation, Resource Identification, Security-Regolith Explorer.
- यह NASA के New Frontiers program का तीसरा अभियान है.
- इसके पहले इस कार्यक्रम के तहत प्लूटो और वृहस्पति की ओर क्रमशः New Horizons और Juno नामक अन्तरिक्षयान छोड़े गये थे.
अभियान के वैज्ञानिक लक्ष्य
- यह अन्तरिक्ष यान Bennu की कक्षा में तीन वर्ष रहेगा और उस क्षुद्रग्रह की थाह लेने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयोग करेगा.
- OSIRIS-REx Bennu उल्कापिंड का नक्शा तैयार करेगा और वह जगह चुनेगा जहाँ से वह नमूने जमा करेगा.
- यह अन्तरिक्ष यान उस उल्कापिंड की सतह पर फैले regolith नामक मिट्टी जैसे पदार्थ का नमूना लेगा.
- रेगोलिथ का नमूना लेने के लिए यह अन्तरिक्षयान मात्र 5 सेकंड के लिए उल्कापिंड की सतह पर आएगा और नाइट्रोजन गैस का विस्फोट करके regolith में हलचल पैदा करेगा जिससे कि वह उसको चूसकर अपने अन्दर संगृहीत कर सके.
- इसके लिए अन्तरिक्षयान में इतना nitrogen जमा कर दिया गया है जिससे तीन बार विस्फोट किया जा सके.
- NASA को आशा है कि वह 60 से लेकर 2000 ग्राम रेगोलिथ धरती पर लाया सकेगा.
Bennu ही क्यों?
OSIRIS-REx मिशन के लिए Bennu को 5 लाख ज्ञात क्षुद्रग्रहों में से चुना गया था जिसके मुख्य कारण ये हैं –
- पृथ्वी से निकटता
- Bennu की कक्षा पृथ्वी की कक्षा के समान है. ज्ञातव्य है कि पृथ्वी से अपेक्षाकृत निकट 7,000 क्षुद्रग्रहों में से 200 ही ऐसे क्षुद्रग्रह पृथ्वी के समान हैं और उनमें Bennu एक है.
- छोटे-छोटे क्षुद्र का व्यास 200 meter से कम का है जिसके कारण ये बड़े क्षुद्र ग्रहों की तुलना में अधिक तेजी से घूमते हैं. परिणामतः इसका regolith पदार्थ अन्तरिक्ष में बिखर सकता है. किन्तु दूसरी ओर Bennu का व्यास 500 meter का है, इसलिए यह इतना धीरे घूमता है कि इसकी रेगोलिथ उसके भूमि-तल पर टिका रह जाता है.
- Bennu की बनावट : – Bennu एक प्राथमिक क्षुद्रग्रह है अर्थात् 4 बिलियन वर्ष पहले सौरमंडल के बनने के समय से इसमें कोई ख़ास परिवर्तन नहीं आया है. इसमें कार्बन भी बहुत है जिसका अभिप्राय यह हुआ है कि इसमें ऐसे जैव-अणु (organic molecules) भी हो सकते हैं.
- Bennu के बारे में एक और रोचक तथ्य यह है कि यह पृथ्वी के लिए खतरनाक है. प्रत्येक छठे वर्ष Bennu की कक्षा उसको पृथ्वी के 2 लाख मील के अन्दर ले आती है. इसका अर्थ यह हुआ है कि 22वीं शताब्दी के अंतिम भाग में बहुत करके यह हो सकता है कि यह क्षुद्र ग्रह पृथ्वी से टकरा जाए.
Prelims Vishesh
Palau becomes first country to ban sunscreen to save coral reefs :-
- पश्चिमी प्रशांत महासागर का देश पलाऊ विश्व का ऐसा पहला देश बन गया है जिसने बहुत प्रकार के सनस्क्रीन प्रतिबंधित कर दिए हैं.
- इस प्रतिबंध का उद्देश्य उन रसायनों से प्रवाल भित्तियों को सुरक्षा प्रदान करना है, जिनके बारे में वैज्ञानिक सोचते हैं कि ये उन भित्तियों को क्षति पहुँचा सकते हैं.
- ज्ञातव्य है कि अभी तक प्रवाल के लिए हानिकारक सनस्क्रीन में 10 प्रतिबंधित रसायन पाए जा चुके हैं और भविष्य में इनकी गिनती में वृद्धि भी हो सकती है.
- यह प्रतिबंध 2020 से लागू होगा. परिणामतः पलाऊ देश में जो पर्यटक आयेंगे उनके सनस्क्रीन रसायनों को जब्त कर लिया जाएगा और उसे बेचने वालों पर 1,000 डॉलर तक जुर्माना लगा दिया जायेगा.
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