Sansar Daily Current Affairs, 05 September 2019
GS Paper 1 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Indian culture will cover the salient aspects of Art Forms, Literature and Architecture from ancient to modern times.
Topic : Delhi under Firoz Shah Tuglaq: Reign of the third ruler of Tughlaq dynasty
संदर्भ
पिछले दिनों दिल्ली में स्थित फ़िरोज़ शाह कोटला स्टेडियम का नाम बदलकर पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली स्टेडियम रख दिया गया है.
विदित हो कि इस स्टेडियम का नाम 14वीं शताब्दी में फिरोजशाह तुगलक द्वारा निर्मित किले के ऊपर रखा गया था.
फिरोजशाह तुगलक कौन था?
- 1309 में जन्मा फिरोजशाह तुगलक अपने चचेरे भाई मुहम्मद बिन तुगलक के निधन के पश्चात् दिल्ली की गद्दी पर बैठा था.
- वह तुगलक वंश का तीसरा शासक था जिसका राज 1351 से 1388 तक चला.
- तुगलक वंश का शासन दिल्ली पर 1320 से लेकर 1412 तक रहा.
- फ़िरोज़ शाह ने जजिया लगाना आरम्भ किया था.
- उसने सैन्य बल में उत्तराधिकार का नियम बनाया जिसके अंतर्गत सैनिक आराम करने के लिए अपनी जगह अपने बच्चों को सेना में भेज सकते थे. परन्तु उनको नकद वेतन न देकर जमीन दी जाती थी.
- अंग्रेज़ इतिहासकार इसको “सिंचाई विभाग का पिता” बताते हैं क्योंकि उसने कई बगीचे और नहरें बनाई.
- फिरोजशाह के द्वारा बनाई गई नहरें इस प्रकार हैं – यमुना से हिसार, सतलज से घग्घर, घग्घर से फिरोजाबाद, मांडवी और सिरमौर पहाड़ियों से हरियाणा के हंसी.
फिरोजशाह की देन
- धर्मादा के लिए दीवाने खैरात कार्यालय बनाया.
- गुलामों के लिए दीवाने बन्दागन विभाग खोला.
- व्यापारियों और यात्रियों के लिए सराय बनाए.
- इक्तादारी व्यवस्था अपनाई.
- ये चार शहर बनाए – फिरोजाबाद, फतेहाबाद, जौनपुर और हिसार.
- दारुल-शिफा अथवा शिफा खाना अथवा बिमारिस्तान नाम के अस्पताल बनाए.
फिरोजशाह द्वारा लगाये गये कर
- खराज : यह भूमि का लगान था जो फसल का दहाई (1/10) भाग होता था.
- ज़कात : यह 5% का सम्पत्ति कर था जो मुसलमानों से वसूला जाता था.
- खाम : युद्ध में लूटे गये माल को खाम कहते थे जो लूट के माल का पाँचवा भाग होता था. शेष अन्य भाग सैनिकों के लिए छोड़ दिया जाता था.
- जजिया : यह गैर-मुस्लिमों, विशेषकर हिन्दुओं, पर लगाया जाने वाला कर था जिसमें स्त्रियों और बच्चों को छूट दी गई थी.
- अन्य कर : सिंचाई कर, बगीचा कर, शराब कर और बिक्री कर.
GS Paper 1 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : History of the world will include events from 18th century such as industrial revolution, world wars, redrawing of national boundaries, colonization, decolonization, political philosophies like communism, capitalism, socialism etc.- their forms and effect on the society.
Topic : Munich Agreement
संदर्भ
इतिहासकार बताते हैं कि द्वितीय विश्वयुद्ध का आरम्भ सितम्बर 1, 1939 को तब हुआ था जब जर्मनी के सैनिकों ने पोलैंड में प्रवेश किया था. ज्ञातव्य है कि ग्रेट ब्रिटेन और फ्रांस ने पोलैंड को आश्वासन दिया था और इस आश्वासन को पूरा करने के लिए उन दोनों देशों ने सितम्बर 3, 1939 को जर्मनी और उसके मित्र देशों के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी.
कहा जाता है कि युद्ध के इस आरम्भ से सिद्ध हो गया कि म्यूनिक समझौता (Munich Agreement) एक बहुत बड़ी भूल थी.
म्यूनिक समझौता क्या है?
- म्यूनिक समझौते में जर्मनी को यह छूट दी गई थी कि वह सडेन्टेलैंड को अपने में मिला दे. सडेन्टेलैंड उस समय चेकोस्लोवाकिया के अन्दर आता था.
- इस समझौते पर जर्मनी, फ़्रांस, इटली और ग्रेट ब्रिटेन ने सितम्बर 29-30, 1938 को हस्ताक्षर किये थे. अतः इस समझौते में उसको भी शामिल करना चाहिए था, परन्तु ऐसा नहीं हुआ. आगे चलकर चेकोस्लोवाकिया को यह समझौता स्वीकार करना पड़ा क्योंकि इसके लिए उसके सैन्य गठजोड़ वाले मित्र देश ग्रेट ब्रिटेन और फ्रांस दबाव डाल रहे थे.
- यह अधिग्रहण 1938 के अक्टूबर 1-10 के बीच चार चरणों में किया जाना था. कुछ क्षेत्रों का अधिग्रहण जनमत संग्रह के बाद ही होना था.
- चेकोस्लोवाकिया से यह अपेक्षा की गई थी कि वह अपनी सेना और पुलिस में कार्यरत सडेटेन जर्मनों (यदि वे ऐसा चाहें) और सभी सडेटेन जर्मन बंदियों को म्यूनिक समझौता होने के चार सप्ताह के अन्दर मुक्त कर दे.
परिणाम
- म्यूनिक समझौते का आधा वर्ष भी नहीं हुआ था कि हिटलर अपने वचनों से मुकर गया और पूरे चेकोस्लोवाकिया पर आक्रमण कर दिया. यहीं से द्वितीय विश्व युद्ध का सूत्रपात हो गया.
- स्पष्तः म्यूनिक समझौता एक तुष्टिकरण की कार्रवाई थी जिसका लाभ एडोल्फ हिटलर ने अपनी साम्राज्यवादी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए उठा लिया. इससे इस सच्चाई का पता चलता है कि किसी भी विस्तारवादी तानाशाही को किसी तुष्टिकरण के द्वारा संभाला नहीं जा सकता है.
GS Paper 3 Source: Indian Express
UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.
Topic : Michael Faraday and electromagnetic induction
संदर्भ
अगस्त 29 को ब्रिटेन के वैज्ञानिक माइकल फैराडे (Michael Faraday) को याद किया गया जिनका जन्म 1831 में इसी तिथि में हुआ था.
माइकल फैराडे विद्युत चुम्बकीय इंडक्शन (electromagnetic induction) का आविष्कार करने के लिए जाने जाते हैं. इसी आविष्कार के कारण कालान्तर में कई बड़े आविष्कार हुए, जैसे – बिजली मोटर, ट्रांसफॉर्मर, इन्डक्टर, जनरेटर आदि.
माइकल फैराडे और उनका योगदान
जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि माइकल फैराडे ब्रिटेन के एक वैज्ञानिक थे जिन्होंने रसायन शास्त्र और विद्युत चुम्बकीयता पर बड़े-बड़े काम किये थे. उन्होंने विद्युत चुम्बकीय इंडक्शन के अतिरिक्त कुछ अन्य बड़े आविष्कार भी किये थे, जिनमें ये उल्लेखनीय हैं – बेंजीन (Benzene), डायामैग्नेटिजम (diamagnetism), इलेक्ट्रोलाइसिस (electrolysis) और प्रकाश पर चुम्बक का प्रभाव (the effect of magnetism on light).
फैराडे नियम (Faraday’s law) क्या है और यह कैसे बना?
- फैराडे ने लोहे की एक मोटी अंगूठी में दोनों छोरों में दो कुचालकीकृत तार की कुंडलियाँ लपेट दीं.
- एक कुंडली बैटरी से जोड़ दी गई और दूसरी को गाल्वैनोमीटर (galvanometer) से जोड़ दिया गया.
- जब बैटरी परिपथ बंद किया गया तो फैराडे ने देखा कि गाल्वैनोमीटर एक क्षणिक विमार्ग गमन (deflection) हुआ.
- एक ऐसा ही क्षणिक विमार्ग गमन उस समय भी हुआ जब बैटरी परिपथ को चालू कर दिया गया. यद्यपि यह विमार्ग गमन उल्टी दिशा में हुई.
- इससे प्रयोग से पता चला कि चुम्बकीय क्षेत्र में परिवर्तन होने से निकट स्थित परिपथ में विद्युत गति बल और करंट उत्पन्न हो जाता है.
- इस प्रक्रिया को विद्युत चुम्बकीय इंडक्शन का नाम दिया गया और आगे चलकर जेम्स क्लार्क मैक्सवेल ने इसका गणितीय मॉडल तैयार किया और तब से इसे फैराडे नियम कहा जाने लगा.
GS Paper 3 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Inclusive growth and issues arising from it.
Topic : Merger of Banks
संदर्भ
पिछले दिनों भारत सरकार ने कुछ बैंकों का आपस में विलय करने का निर्णय लिया है जिसके फलस्वरूप देश में मात्र 12 सरकारी बैंक रह जाएँगे. विदित हो कि यह संख्या 2017 में 27 हुआ करती थी.
किसका किसमें विलय
- पंजाब नेशनल बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ़ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक मिल जाएँगे और यह देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक हो जाएगा.
- कैनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक मिला दिए जाएँगे.
- यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया के साथ आंध्र बैंक एवं कॉर्पोरेशन बैंक का विलय होगा.
- इंडियन बैंक इलाहबाद बैंक में मिल जाएगा.
भारत में बैंक विलय का इतिहास
विलय और अधिग्रहण बीते कुछ वर्षों से वैश्विक बाजार में संस्थानों के बीच चर्चा के बड़े मुद्दे बन कर उभर रहे हैं. छोटे या घाटे में चल रहे संस्थानों का आपसी विलय या उनका बड़े संस्थानों में विलय करना दुनिया की हर अर्थव्यवस्था में होता आया है. खासकर बैंकिंग क्षेत्र में भी यह कोई नया विचार नहीं है.
जर्मनी में डूबे हुए कर्ज के चलते घाटे में आये बैंकों का बड़े बैंकों में विलय कर दिया गया था. भारत में भी यह प्रक्रिया वर्षों से अपनाई जा रही है. भारतीय बैंक संघ के आँकड़ों के मुताबिक़ देश में 1985 से अब तक छोटे-बड़े 49 विलय हो चुके हैं. इन विलयों के कुछ महत्त्वपूर्ण उदाहरण निम्नलिखित हैं –
- 2017 को भारतीय स्टेट बैंक के सहयोगी बैंकों (State Bank of Patiala, State Bank of Travancore, State Bank of Bikaner and Jaipur, State Bank of Hyderabad, State Bank of Mysore, Mahila Bank) का विलय SBI में हो गया.
- 2010 में स्टेट बैंक ऑफ़ इदौर का विलय SBI में हुआ.
- 2008 में स्टेट बैंक ऑफ़ सौराष्ट्र का विलय SBI में हुआ.
- 2004 में ओरिएण्टल बैंक ऑफ़ कॉमर्स और ग्लोबल ट्रस्ट बैंक के बीच विलय हुआ.
- 1993-94 में पंजाब नेशनल बैंक और न्यू इंडिया बैंक का विलय हुआ – इसे दो राष्ट्रीय बैंकों का पहला विलय भी कहा जाता है.
छोटे स्तर पर बैंकों में कई विलय हुए हैं. इसमें हिन्दुस्तान कमर्शियल बैंक का पंजाब नेशनल बैंक में विलय, काशीनाथ भारतीय स्टेट बैंक का SBI में विलय, बनारस स्टेट बैंक का बैंक ऑफ़ बड़ोदा में विलय, HDFC की ओर से Centurion Bank of Punjab में अधिग्रहण, Kotak Mahindra Bank के साथ ING वैश्य बैंक का विलय आदि कई उदाहरण हैं.
बैंकों के विलय के फायदे
बैंकों के लिए :-
- बड़े बैंक अंतर्राष्ट्रीय मानकों को अपनाने एवं कार्यक्षमता के स्वीकार्य स्तर पर जाकर नवाचारी उत्पादों एवं सेवाओं को उपलब्ध करा सकते हैं.
- कुछ सरकारी बैंक देश के एक निश्चित भूभाग में ही सक्रिय हैं. इनका विलय होने से ये अपनी पहुँच को अन्य क्षेत्रों में विस्तार दे सकते हैं.
- बड़ा हो जाने पर सरकारी बैंक अधिक से अधिक उत्पाद और सेवाएँ देने में समर्थ हो सकते हैं.
- विलय से व्यावसायिक मानकों में सुधार हो सकता है.
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में भी आपस में बहुत नकारात्मक प्रतिस्पर्धा रहती है. विलय होने से यह समाप्त हो जायेगी.
- बड़े-बड़े बैंक होने से भारत के बैंकों को विश्व के बाजार में अधिक पहचान और रेटिंग मिलेगी.
- विभिन्न बैंकों के बीच में होने वाले लेन-देन की मात्रा घट जायेगी जिस कारण क्लीयरिंग और लेखा-सामंजस्य में समय की बचत होगी.
- विलय होने से बैंकों के दैनंदिन कार्यों में बोर्ड के सदस्यों के अनावश्यक हस्तक्षेप में कमी आएगी.
- विलय के पश्चात् बैंक कर्मियों की मोल-तोल की शक्ति बढ़ जायेगी.
- बैंक कर्मी भविष्य में बेहतर वेतन एवं सेवा-शर्तें प्राप्त कर सकतें हैं.
- अलग-अलग बैंकों में कर्मियों को मिलने वाले लाभ और उनकी सेवा-शर्तें अलग-अलग होती हैं. विलय होने से यह असमानता दूर हो जायेगी.
अर्थव्यवस्था के लिए :-
- व्यवसाय के संचालन की लागत में कमी.
- तकनीकी अकुशलता में कमी.
- विलय से देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की प्रणाली के साथ-साथ समस्त भारतीय बैंकिंग प्रणाली सशक्त होगी.
- विलय होने से बैंक अपनी अल्पावधि तथा दीर्घावधि तरलता की समस्या सरलतापूर्वक व्यवस्थित कर सकते हैं.
- विलय होने से बनने वाले बड़े बैंक की बचत बढ़ेगी और उसके लाभ में भी वृद्धि होगी.
- विलय के कारण CMD, ED, GM और जोनल मैनेजर के कई पद समाप्त हो जाएँगे और इससे करोड़ों रुपये बचेंगे.
- ग्राहकों को एक ही बैंक से कई प्रकार के उत्पाद कम दाम पर उपलब्ध होंगे.
- विलय से जोखिम प्रबंधन में भी लाभ होगा.
सरकार के लिए
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को पूँजी देने का बोझ हल्का हो जाएगा.
- BASEL III के कठोर मानदंडों, विशेषकर पूँजी पर्याप्तता अनुपात (capital adequacy ratio), को पूरा करने में सहायता मिलेगी.
- बैंक कम होंगे तो सरकार को उनपर नियंत्रण रखने और उनका अनुश्रवण करने में आसानी होगी.
विलय से जुड़ी चिंताएँ
- बैंकों और उनके संघों के शीर्षस्थ व्यक्तियों को समंजित करने में समस्या होगी.
- विलय के कारण कई शाखाओं और ATM तथा नियंत्रक कार्यालयों को या तो बंद करना होगा या उन्हें स्थानांतरित करना पड़ेगा.
- विलय के कारण कई कर्मी स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति लेंगे और नई बहाली या तो रोक दी जायेगी या कमी की जायेगी. फलतः कई नौकरियाँ जा सकती हैं जिस कारण विधि-व्यवस्था की समस्या तो होगी ही, समाज पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ सकता है.
- हर बैंक की अपनी कार्यसंस्कृति होती है. विलय होने से इन संस्कृतियों में टकराव हो सकता है.
- यदि कोई बड़ा बैंक घाटे में होता है तो बैंकिंग उद्योग को भी उतना ही बड़ा धक्का लग सकता है.
Prelims Vishesh
Country’s longest electrified rail tunnel :-
- आंध्र प्रदेश के चेर्लोपल्ली नगर और वहीं के रापुरु नगर को जोड़ने वाली 7 किलोमीटर लम्बी और 437 करोड़ रु. में बनी भारत की सबसे लम्बी बिजली के प्रकाश से युक्त रेल सुरंग का पिछले दिनों उद्घाटन हुआ.
Champions Boat League (CBL):
- केरल राज्य की सुप्रसिद्ध और ऐतिहासिक रूप से महत्त्वपूर्ण वल्लमकली नामक सर्पाकार नावों की दौड़ को एक विश्वस्तरीय खेलकूद आयोजन में बदलने के लिए पिछले दिनों चैंपियंस बोट लीग आयोजन की परिकल्पना की गई.
- विदित हो कि इस दौड़ में सर्पाकार नाव अर्थात् “चुन्डम वल्लम (chundam vallam)” का प्रयोग होता है जो 100 फुट से लेकर 138 फुट लम्बी होती है और जिसमें एक साथ 100 माँझी बैठकर पतवार चला सकते हैं.
- सर्प नौका दौड़ 13वीं शताब्दी से अल्पुज्झा (Alappuzha) क्षेत्र में छोटे-छोटे राजाओं द्वारा आयोजित होती रही है.
What is an Interpol Red Notice, what does it do? :-
- यदि कोई व्यक्ति अपने देश से अपराध कर भागा हुआ हो तो उसको उसके देश में वापस बुलाने, आत्म-समर्पण करवाने अथवा इसी प्रकार की कानूनी कार्रवाई करने के लिए सम्बन्धित मूल देश इंटरपोल को रेड नोटिस निर्गत करने का अनुरोध करता है जिससे कि यह पता लग सके कि वह कहाँ है और उसे तत्काल के लिए बंदी बनाया जा सके.
- यदि वह देश अनुरोध करे तो इंटरपोल रेड नोटिस को प्रकाशित भी कर सकता है.
- रेड नोटिस में ये सूचनाएँ अंकित होती हैं, जैसे – अपराधी का नाम, जन्मतिथि, राष्ट्रीयता, बाल और आँख के रंग जैसी शारीरिक विशेषताएँ, छायाचित्र, अंगुली के निशान आदि बायोमेट्रिक डाटा.
- इसमें अपराधी ने क्या अपराध किया है, यह भी बतलाया जाता है.
Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Sansar DCA
August, 2019 Sansar DCA is available Now, Click to Download