Sansar डेली करंट अफेयर्स, 05 September 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 05 September 2020


GS Paper 1 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Modern Indian history from about the middle of the eighteenth century until the present- significant events, personalities, issues

Topic : Tana Bhagat Movement

संदर्भ

महात्मा गांधी के अनुयायी, ताना भगत आदिवासी समुदाय के लोगों ने रेल की पटरियों पर बैठकर भूमि अधिकार और छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट में संशोधन की मांग की.

पृष्ठभूमि

ताना भगत आदिवासी समुदाय द्वारा छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम के तहत अपनी जमीन वापस करने की मांग कर रहे हैं. इसके साथ ही वे अपनी जमीन को लगान मुक्‍त करने की भी मांग कर रहे हैं.

ताना भगत आंदोलन

  • ताना भगत आन्दोलन की शुरुआत वर्ष 1914 ईं. में बिहार में हुई थी. यह आन्दोलन लगान की ऊँची दर तथा चौकीदारी कर के विरुद्ध किया गया था. इस आन्दोलन के प्रवर्तक ‘जतरा भगत’ थे, जिसे कभी बिरसा मुण्डा, कभी जमी तो कभी केसर बाबा के समतुल्य होने की बात कही गयी है. इसके अतिरिक्त इस आन्दोलन के अन्य नेताओं में बलराम भगत, गुरुरक्षितणी भगत आदि के नाम प्रमुख थे.
  • 1914-15 के दौरान इन्होने छोटनागपुर के क्षेत्र में दिकुओं के हस्तक्षेप का विरोध किया था.
  • जतरा उरांव का जन्म वर्तमान झारखंड के गुमला जिला के बिशुनपुर प्रखंड के चिंगारी गांव में 1888 में हुआ था.
  • जतरा भगत के नेतृत्व में ऐलान हुआ- माल गुजारी नहीं देंगे, बेगारी नहीं करेंगे और टैक्स नहीं देंगे.
  • उसके साथ ही जतरा भगत का विद्रोह ‘टाना भगत आंदोलन’ के रूप में सुर्खियों में आ गया.
  • अंग्रेज सरकार द्वारा जतरा उरांव को 1914 में गिरफ्तार कर लिया, और डेढ़ साल की सजा के पश्चात् जतरा उरांव का अचानक देहांत हो गया.
  • साल 1919 जब टाना भगतों का आंदोलन महात्मा गांधी के आंदोलनों से जा मिला और अहिंसा की विचारधार को एक बड़ा जनसमर्थन मिला.
  • वे महात्मा गांधी के साथ 1922 के आंदोलन, नमक आंदोलन, असहयोग आंदोलन, 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन आदि में कदम से कदम मिलाकर चले.
  • ताना भगत महात्मा गांधी की तरह खादी पहनते हैं और चरखा चलाते हैं. ताना भगत खुद से ही बनाकर खाते हैं. किसी दूसरे के द्वारा बनाकर दिए जाने पर नहीं खाते हैं.

छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट

  • आदिवासियों के खिलाफ शोषण और भेदभाव के खिलाफ बिरसा मुंडा द्वारा किये गए संघर्ष के फलस्वरूप वर्ष 1908 में छोटानागपुर किरायेदारी अधिनियम पारित हुआ.
  • इस अधिनियम ने आदिवासी भूमि को गैर-आदिवासियों के लिये पारित होने को प्रतिबंधित किया.
  • सीएनटी एक्ट में अब तक 26 संशोधन हो चुके हैं. इनमें वर्ष 1947, 1969 व 1996 का संशोधन महत्त्वपूर्ण है.

संथाल परगना किरायेदारी एक्ट, 1876

  • संथाल परगना किरायेदारी एक्ट, 1876 बंगाल के साथ लगी झारखंड की सीमा में संथाल परगना गैर-आदिवासियों को आदिवासी भूमि की बिक्री पर रोक लगाता है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

आदिवासी भारत के प्रथम निवासी हैं, जिनकी जनसंख्या 10.43 करोड़ है जो देश के कुल जनसंख्या का 8.6 प्रतिशत है. इनके साथ सबसे ज्यादा अन्याय किया गया हैए. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस तथ्य को स्वीकार किया है. यही वह समुदाय है जिसके संघर्ष और बलिदान का सबसे लंबा इतिहास है. आदिवासी इलाकों की मिट्टी उनके खून से सना हुआ है, यहां के सड़कों का हर-एक मोड़ आदिवासियों के खून से रंगा है और प्रत्येक आदिवासी गांव का रास्ता शहीदों के कब्रों से होकर गुजरती है. यह संघर्ष 1784 में बाबा तिलका मांझी की बर्बरतापूर्ण हत्या एवं फांसी से शुरू होकर 2016 में खूंटी के सायको में अब्राहम मुंडा की पुलिस फायरिंग में निर्मम हत्या से आगे बढ़ चुका है. लेकिन इतना संघर्ष और बलिदान के बावजूद आदिवासी लोग हाशिये पर पड़े हुए हैं. आदिवासियों के खून की कीमत पर बने सीएनटी/एसपीटी जैसे भूमि रक्षा कानूनों से उनकी जमीन नहीं बच पा रही है. भारत के संविधान की पांचवी व छठवीं अनुसूची, आरक्षण का प्रावधान एवं अन्याय व अत्याचार से सुरक्षा देने का संवैधानिक प्रावधान उनके काम नहीं आ रहा है. एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम 1989, पेसा कानून 1996, वन अधिकार कानून 2006 जैसे प्रगतिशील कानूनों से न उनके खिलाफ होने वाला अत्याचार रूक पा रहा है और न ही उन्हें अपने इलाकों में शासन करने तथा जंगल व जमीन पर अधिकार मिल रहा है. इसलिए हमें गंभीरता के साथ विश्लेषण करना चाहिए कि क्या आज आदिवासियों का संघर्ष दिशाहीन हो चुका है? 


GS Paper 2 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Parliament and State legislatures—structure, functioning, conduct of business, powers & privileges and issues arising out of these.

Topic : New protocol for parliament’s upcoming monsoon session

संदर्भ

संसद के मानसून सत्र के लिए संशोधित कार्यक्रम तैयार किए गए.

  • संशोधित कार्यक्रम के अनुसार, संपूर्ण सत्र में प्रश्नकाल (Question Hour) नहीं रहेगा.
  • हालांकि, सांसदों द्वारा अतारांकित प्रश्न (Unstarred questions) पूछे जा सकते हैं.
  • दोनों सदनों में शून्य काल प्रतिबंधित रहेगा.

मुख्य तथ्य

सामान्यतया, संसद की बैठक का प्रथम घंटा प्रश्नों के लिए निर्धारित होता है, जिसे प्रश्न काल कहा जाता है. इस दौरान संसद सदस्यों द्वारा मंत्रियों से सरकारी कार्यकलापों और प्रशासन के संबंध में प्रश्न पूछे जाते हैं तथा इस प्रक्रिया द्वारा उन्हें उनके मंत्रालयों की कार्यप्रणाली हेतु उत्तरदायी ठहराया जाता है.

तारांकित प्रश्न क्या है?

सदस्यों को संबंधित मंत्रियों के विशेष संज्ञान के दायरे में लोक महत्व के विषय से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रश्न पूछने का अधिकार होता है. प्रश्न चार प्रकार के होते है – तारांकित, अतारांकित, अल्प-सूचना और निजी सदस्यों के लिए प्रश्न.

तारांकित प्रश्न वह होता है जिसका सदस्य सभा में मंत्री से मौखिक उत्तर चाहता है और पहचान के लिए उस पर तारांक बना रहता है. संसद सदस्यों द्वारा सदन में मंत्रियों से पूछे गए इस प्रकार के प्रश्नों का मौखिक उत्तर दिया जाता है तथा सदस्य द्वारा उस सम्बन्ध में पूरक प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं.

अन्य प्रकार के प्रश्न

अतारांकित प्रश्नः- अतारांकित प्रश्न वह होता है जिसका लिखित उत्तर सदस्यों द्वारा मांगा जाता है और मंत्री द्वारा सभा पटल पर रखा मान लिया जाता है. इस प्रकार इसे मौखिक उत्तर के लिए नहीं पुकारा जाता है और इस पर कोई अनुपूरक प्रश्न नहीं पूछा जा सकता.

अल्प सूचना प्रश्नः- अल्प सूचना प्रश्न सदस्य अविलम्बनीय लोक महत्व से संबंधित प्रश्न की सूचना मौखिक उत्तर हेतु दे सकता है और जिसे एक सामान्य प्रश्न हेतु विनिर्दिष्ट 10 दिन की सूचनावधि से कम अवधि के भीतर पूछा जा सकता है. ऐऐ प्रश्न को अल्प सूचना प्रश्न के नाम से जाना जाता है.

निजी सदस्यों के लिए प्रश्नः- ये प्रश्न (लोक सभा मे प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के नियम 40 के अधीन) निजी सदस्य को संबोधित भी किए जा सकते हैं बशर्ते कि उस प्रश्न की विषयवस्तु किसी विधेयक, संकल्प या सभा में कार्य संचालन से संबंधित अन्य मामले से संबंधित हो जिसके लिए वह सदस्य उत्तरदायी है. ऐसे प्रश्नों से संबंधित प्रक्रिया वही है जो मंत्री को संबोधित प्रश्नों में अपनायी जाती है और इसमें वे परिवर्तन किए जा सकते हैं जैसा अध्यक्ष आवश्यक समझे.

अधिक जानकारी के लिए यह जरुर पढ़ेंसंसदीय प्रक्रिया प्रश्नावली

प्रश्नकाल के तुरंत उपरांत का समय शून्यकाल (Zero Hour) होता है अर्थात् यह प्रश्नकाल और कार्यक्रम निर्धारित करने के मध्य का समय होता है. इस दौरान सदस्यों को बिना किसी पूर्व सूचना के मामले प्रस्तुत करने की अनुमति होती है. प्रश्नकाल के समान ही संसदीय प्रक्रिया के नियमों में शून्यकाल का भी उल्लेख नहीं है.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : India and its neighborhood- relations. Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests

Topic : India, Bangladesh launch new initiative to connect landlocked North East

संदर्भ

भारत और बांग्लादेश द्वारा स्थलरुद्ध (landlocked) पूर्वोत्तर भारतीय क्षेत्रों के साथ बेहतर संपर्क स्थापित करने हेतु नई पहल शुरू की गई है.

हाल ही में, गुमती नदी पर संचालित होने वाले प्रोटोकॉल मार्ग (दाउकंडी (बांग्लादेश)-सोनमुरा (त्रिपुरा) अंतर्देशीय जलमार्ग) के परिचालन को शुरू किया गया है.

इस मार्ग को अंतर्देशीय जल पारगमन और व्यापार प्रोटोकॉल (Protocol for Inland Water Transit & Trade : PIWTT) के अंतर्गत सम्मिलित कर लिया गया है.

पृष्ठभूमि

दोनों देशों के बीच अंतर्देशीय जलमार्ग संपर्क स्थापित करने (विशेष रूप से भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के साथ) तथा द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि करने के लिए भारत और बांग्लादेश द्वारा वर्ष 1972 में PIWTT पर हस्ताक्षर किए गए थे.

मई 2020 में, दोनों देशों ने नए मार्गों को सम्मिलित करने और नए पोर्ट्स ऑफ कॉल (एक पोत के लिए मध्यवर्ती स्टॉप) की घोषणा के साथ PIWTT के परिशिष्ट पर हस्ताक्षर किए थे.

प्रोटोकॉल का महत्त्व

  • स्थलरुद्ध पूर्वोत्तर हेतु व्यवहार्य पारगमन से इन क्षेत्रों के विकास को प्रोत्साहन देने और समृद्धि को बनाए रखने में सहायता प्राप्त होगी.
  • सीमित भूमि आघारित कनेक्टिविटी (चिकन नेक कॉरिडोर) से संबंधित सामरिक चिंताओं को कम करने में सहयोग प्राप्त होगा.
  • इन क्षेत्रों तक परिवहन का एक वहनीय, तीव्रतर, सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल साधन उपलब्ध होगा.
  • जलमार्गों के समीप अधिवासित समुदायों हेतु परिवहन लागत में कमी होगी और बाजार तक पहुंच से उनको उपज का बेहतर मूल्य भी प्राप्त होगा.
  • सांस्कृतिक और विरासत पर्यटन के नवीन मार्ग सृजित होंगे तथा पारंपरिक हस्तशिल्प एवं हथकरघों की बेहतर बाजार पहुंच सुनिश्चित होगी .
  • वर्ष 2019 में, स्थलरुद्ध पूर्वोत्तर क्षेत्र को जोड़ने के लिए बांग्लादेश के साथ चट्टोग्राम और मोंगला बंदरगाहों के उपयोग पर समझौते को भी अंतिम रूप प्रदान किया गया था.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

भारत के लिए बांग्लादेश का महत्त्व

बांग्लादेश का भू राजनैतिक महत्त्व : बांग्लादेश भारत के मुख्य भू-भाग और सभी उत्तर पूर्वी राज्यों के बीच सामरिक महत्त्व रखता है. ये सभी उत्तर पूर्वी राज्य स्थलरुद्ध हैं एवं इनका समुद्र तक का निकटस्थ मार्ग बांग्लादेश से होकर गुजरता है.

एक्ट ईस्ट नीति (Act East Policy) की सफलता

बांग्लादेश इस नीति का प्रमुख स्तम्भ है. यह दक्षिण पूर्वी एशिया एवं उसके पड़ोसी देशों के साथ आर्थिक व राजनैतिक संबंधों को सशक्त करने के लिए एक सेतु की भांति कार्य कर सकता है.

उत्तर पूर्वी भारत का सामाजिक-आर्थिक विकास 

बांग्लादेश के साथ पारगमन समझौते के संपन्न होने से उत्तर-पूर्वी भारत के सामाजिक व आर्थिक विकास में तीव्रता आएगी.

उत्तर पूर्वी भारत में उग्रवाद (Insurgency) के नियंत्रण हेतु

बांग्लादेश से मित्रतापूर्ण सम्बन्ध यह सुनिश्चित कर सकता है कि उसकी ज़मीन से कोई आतंकवादी या भारत विरोधी गतिविधियाँ न चलायी जा सके.

चीन का प्रभाव कम करने के लिए

बांग्लादेश की तटस्थ स्थिति बंगाल की खाड़ी के सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों व चीन के आक्रामक रवैये पर नियंत्रण सुनिश्चित करने के साथ चीन की वन बेल्ट वन रोड (One Belt One Road) रणनीति को प्रतिसंतुलित करने में भी सहायक होगा.

बांग्लादेश के साथ प्रमुख समस्याएँ

अवैध प्रवास

1971 के युद्ध के उपरान्त बांग्लादेश का गठन हुआ तथा इससे उत्पन्न परिस्थितिओं के कारण लाखों की संख्या में बांग्लादेशी अप्रवासियों ने भारत में अवैध प्रवेश किया.

सीमा प्रबंधन

भारत-बांग्लादेश सीमा हथियारों , नशीले पदार्थों, पशुओं व मानवों की तस्करी के लिए कुख्यात है.

चीन

बांग्लादेश भारत के साथ अपनी सौदेबाज़ी की क्षमता को बढ़ाने के लिए चीन का कूटनीतिक इस्तेमाल करता है.

जल का बँटवारा

भारत-बांग्लादेश 54 छोटी-बड़ी सीमा पार नदियों का जल साझा करते हैं.


GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Conservation related issues.

Topic : Green Term Ahead Market (GTAM)

संदर्भ

हाल ही में सरकार द्वारा, भारतीय अल्पकालिक बिजली बाजार को हरित बनाने के लिए पहले कदम के रूप में पूरे देश के लिए विद्युत क्षेत्र में ग्रीन टर्म अहेड मार्केट (Green Term Ahead Market– GTAM) की शुरुआत की गयी है.

GTAM क्या है?

यह एक नया वैकल्पिक मॉडल है, जिसे अक्षय ऊर्जा डेवलपर्स द्वारा दीर्घकालिक सार्वजनिक-निजी भागीदारी में शामिल हुए बगैर खुले बाजार में नवीकरणीय ऊर्जा बेचने के लिए लागू किया गया है.

GTAM की प्रमुख विशेषताएँ

  1. GTAM के जरिये से लेन-देन द्विपक्षीय होगा, जिसमें खरीदार और विक्रेता की स्पष्ट पहचान होगी, इससे नवीकरणीय खरीद दायित्व (Renewable Purchase Obligations– RPO) के लेखांकन में कोई कठिनाई नहीं होगी.
  2. GTAM अनुबंधों को सौर RPO और गैर-सौर RPO में अलग किया जाएगा क्योंकि RPO लक्ष्य भी अलग किए गए हैं.
  3. दैनिक और साप्ताहिक अनुबंध – बोली का कार्य MWh के आधार पर किया जाएगा.
  4. मूल्य की खोज निरंतरता के आधार पर अर्थात् मूल्य समय प्राथमिकता के आधार पर की जायेगी. इसके पश्चात्, बाजार की स्थितियों को देखते हुए दैनिक और साप्ताहिक अनुबंधों के लिए खुली नीलामी शुरू की जा सकती है.
  5. GTAM अनुबंध के माध्यम से निर्धारित ऊर्जा को खरीदार का RPO अनुपालन माना जाएगा.

इस कदम का महत्त्व और लाभ

  1. GTAM मंच का प्रारम्भ नवीकरणीय ऊर्जा-समृद्ध राज्यों पर बोझ कम करेगा और अपने नवीकरणीय खरीद दायित्व (RPO) से नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को और अधिक विकसित करने के लिए उन्हें रियायत देकर प्रोत्साहित करेगी.
  2. GTAM, नवीकरणीय ऊर्जा कारोबारी क्षमता संवर्धन को प्रोत्साहन देगा और देश के नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वृद्धि के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा.
  3. GTAM मंच  नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में प्रतिभागियों की संख्या में वृद्धि करेगा.
  4. अखिल देश के बाज़ार तक पहुंच प्राप्त करने से विक्रेताओं को भी लाभ होगा.

GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Effects of liberalization on the economy, changes in industrial policy and their effects on industrial growth.

Topic : Merchandise Exports from India Scheme (MEIS)

संदर्भ

हाल ही में भारत सरकार ने व्यापारिक वस्तु निर्यात योजना (Merchandise Exports from India Scheme- MEIS) के तहत प्राप्त कुल लाभों की उच्चतम सीमा लागू करने का निर्णय लिया है.

मुख्य तथ्य

  • MEIS योजना के अंतर्गत किसी आयात निर्यात कोड (Import Export Code- IEC) धारक को दिया जाने वाला कुल लाभ 01 सितंबर, 2020 से 31 दिसंबर, 2020 तक की अवधि के दौरान किये गए निर्यातों के प्रति IEC पर 2 करोड़ रुपए से ज्यादा नहीं होगा.
  • कोई भी IEC धारक जिसने 01 सितंबर, 2020 से पहले एक वर्ष की अवधि के दौरान किसी भी निर्यात को अंजाम नहीं दिया है या एक सितंबर या उसके बाद नई IEC प्राप्‍त की है, वे MEIS के तहत कोई भी दावा प्रस्तुत करने के पात्र नहीं होंगे.
  • उपरोक्‍त उच्‍चतम सीमा अधोमुखी संशोधन के अधीन होगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि 01 सितंबर, 2020 से 31 दिसंबर, 2020 तक की अवधि के दौरान MEIS के अंतर्गत कुल दावा राशि भारत सरकार द्वारा निर्धारित 5000 करोड़ रुपए के निर्धारित आवंटन से अधिक न हो.
  • MEIS, विश्व व्यापार संगठन (WTO) की अनुपालक नहीं है और MEIS योजना के वापस आने से एक नई योजना का मार्ग प्रशस्त होगा. 
  • भारत सरकार ने एक नई डब्ल्यूटीओ-अनुपालन योजना (WTO-Compliant Scheme) की घोषणा की है जिसका नाम निर्यात किये जाने वाले उत्पादों को निर्यात शुल्क और कर में छूट (Remission of Duties or Taxes on Export Product-RoDTEP) है.

व्यापारिक वस्तु निर्यात योजना (MIES)

  • MEIS को विदेशी व्यापार नीति: 2015-20 के अंतर्गत 1 अप्रैल, 2015 को प्रारम्भ किया गया था.
  • इसका उद्देश्य MSME क्षेत्र द्वारा उत्पादित/निर्मित उत्पादों सहित भारत में उत्पादित/निर्मित वस्तुओं/उत्पादों के निर्यात में शामिल अवसंरचनात्मक अक्षमताओं एवं संबंधित लागतों की भरपाई करना है.
  • MEIS के अंतर्गत, भारत सरकार उत्पाद एवं देश के आधार पर शुल्क लाभ प्रदान करती है.
  • इस योजना के तहत पुरस्कार वास्तविक रूप से मुक्त बोर्ड मूल्य (2%, 3% एवं 5%) के प्रतिशत मूल्य के रूप में देय हैं और मूल सीमा शुल्क सहित कई शुल्कों के भुगतान के लिये ‘MEIS ड्यूटी क्रेडिट पत्रक’ (MEIS Duty Credit Scrip) को स्थानांतरित या उपयोग किया जा सकता है.
  • MEIS ने विदेश व्यापार नीति 2009-14 में विद्यमान अन्य पाँच समान प्रोत्साहन योजनाओं को प्रतिस्थापित किया है:-
    1. फोकस प्रोडक्ट स्कीम (FPS)
    2. फोकस मार्केट स्कीम (FMS)
    3. मार्केट लिंक्ड फोकस मार्केट स्कीम (MLFMS)
    4. अवसंरचना प्रोत्साहन योजना
    5. विशेष कृषि ग्रामीण योजना (VKGUY)

चिंताएँ

  • MEIS की जगह नई योजना लाने के लिये डेटा की कमी: RoDTEP के तहत दरों को अंतिम रूप देने के लिये वित्त मंत्रालय ने पूर्व वाणिज्य एवं गृह सचिव जी. के. पिल्लई (G. K. Pillai) की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है परन्तु लगातार स्थानीय लॉकडाउन, परिवहन की अनुपलब्धता एवं लेखा परीक्षकों के गैर-कामकाज के कारण डेटा प्रदान करने में उद्योग को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
  • फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइज़ेशन’ (Federation of Indian Export Organisations- FIEO) का मानना है कि सितंबर-दिसंबर, 2020 के दौरान निर्यात उन आदेशों पर आधारित है जिन्हें वर्तमान MEIS लाभ में फैक्टरिंग के बाद पहले ही अपनाया गया था.
  • ये लाभ निर्यात प्रतिस्पर्द्धा का भाग हैं और इसलिये अचानक बदलाव निर्यातकों के वित्तीय हितों को प्रभावित करेगा क्योंकि खरीदार अपनी कीमतों में संशोधन नहीं करेंगे.

‘फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइज़ेशन’ (FIEO)

  • यह वैश्विक बाज़ार के उद्यम क्षेत्र में भारतीय उद्यमियों की भावना का प्रतिनिधित्त्व करता है. इसकी स्थापना वर्ष 1965 में हुई थी.
  • यह भारत में निर्यात संवर्द्धन परिषदों, सामुदायिक बोर्डों एवं विकास प्राधिकरणों का एक सर्वोच्च निकाय है.
  • यह भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक समुदाय तथा केंद्र एवं राज्य सरकारों, वित्तीय संस्थानों, बंदरगाहों, रेलवे एवं सभी निर्यात व्यापार सुविधाओं में लगे हुए समुदायों के मध्य महत्त्वपूर्ण इंटरफेस प्रदान करता है.

आयात निर्यात कोड (Import Export Code- IEC)

  • यह कोड केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (Union Ministry of Commerce and Industry) के विदेश व्यापार महानिदेशक (Director General of Foreign Trade) द्वारा निर्गत किया जाता है.
  • IEC एक 10-अंकीय कोड है जिसकी वैधता जीवन भर की है. 
  • मुख्य रूप से आयातक, आयात निर्यात कोड के बिना माल आयात नहीं कर सकते हैं और इसी तरह, निर्यातक व्यापारी IEC के बिना निर्यात योजना आदि के लिये DGFT से लाभ नहीं प्राप्त कर सकते हैं.

Prelims Vishesh

Places in News- Chushul :-

  • चुशुल भारतीय सेना और चीनी सेना के सीमाकर्मियों की बैठक के लिए निर्धारित पाँच स्थलों में से एक है.
  • चुशुल लद्दाख के लेह जिले में चुशुल घाटी के अन्दर दुर्बुक तहसील में स्थित है और रेजांग ला तथा पांगोंग झील से अत्यंत निकट है.
  • इसकी ऊँचाई 4,360 मीटर है.
  • यही वह स्थान जहाँ 18 नवम्बर, 1962 को भारत ने एक बहुत लड़ाई चीन से जीती थी.

3 more official languages for J&K :-

  • केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने एक विधेयक का अनुमोदन किया है जिसके अनुसार नवसृजित जम्मू-कश्मीर संघीय क्षेत्र में कश्मीरी, डोगरी और हिंदी भी राजकीय भाषाएँ बन जायेंगी.
  • ज्ञातव्य है कि यहाँ पहले मात्र अंग्रेजी और उर्दू ही राजकीय भाषाएँ थीं.

Mundra port :-

  • कच्छ की खाड़ी के उत्तरी छोर पर स्थित मुद्रा बंदरगाह भारत का सबसे बड़ा निजी बंदरगाह है जिसे अदानी समूह चलाता है.
  • पिछले दिनों यह शंका हुई थी कि इसमें भागीदारी के रूप में सम्मिलित चीनी मर्चेंट ग्रुप के साथ जो समझौता हुआ था उसमें कुछ त्रुटियाँ हैं, इसलिए अब इस समझौते की समीक्षा होर ही है.

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