Sansar डेली करंट अफेयर्स, 06 September 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 06 September 2021


GS Paper 1 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Salient features of world’s physical geography.

Topic : Chilka Lake

संदर्भ 

हाल ही में ओडिशा की चिल्का झील में इरावदी डॉल्फिन मृत पाई गई. ज्ञातव्य है कि चिल्का झील में केवल 162 इरावदी डॉल्फिन हैं, ऐसे में इनकी अप्राकृतिक मृत्यु वन्यजीव प्रेमियों के लिए चिंता का विषय है. इस वर्ष चिल्का झील में 8 इरावदी डॉल्फिनों की मृत्यु हो चुकी है.

chilka pulicat lake

चिल्का झील के बारे में

  • ओडिशा के तट पर स्थित चिल्का एशिया में सबसे बड़ी एवं विश्व में दूसरी सबसे बड़ी लवणीय जल की झील (lagoon) है.
  • चिल्का, बंगाल की खाड़ी से रेत की एक छोटी-सी पट्टी से अलग होती है.
  • वर्ष 1981 में यह रामसर कन्वेंशन में शामिल होने वाली भारत की पहली अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व वाली आर्द्रभूमि बनी थी.
  • इरावदी डॉलफिन, इस झील का प्रमुख आकर्षण हैं, जिन्हें प्रायः सातपाड़ा द्वीप के पास देखा जाता है.

इरावदी डॉल्फिन के बारे में

  • इरावदी डॉल्फिन दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में तटीय क्षेत्रों तथा तीन प्रमुख नदियों- इरावदी (म्यामार), महाकाम (इंडोनेशियाई बोर्नियो) और मेकांग में पाई जाती है.
  • IUCN की रेड डेटा सूची में इसे संकटग्रस्त (endangered) श्रेणी में रखा गया है.
  • इसके अलावा इसे भारत में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 में शामिल किया गया है.

झील के प्रकार

  1. भू-गर्भिक क्रिया से बनीं झीलें:- पहाड़ों से बर्फ, पत्थर आदि भूमि पर गिरने से धरातल पर विशाल गड्ढे बन जाते हैं. इनमें जल भरने से जो झीलें बनती हैं, उन्हें भू-गर्भिक क्रिया से बनीं झीलें कहते हैं. कश्मीर की वूलर और कुमायूँ की अनेक झीलें इसी प्रकार की हैं.
  2. ज्वालामुखी क्रिया से निर्मित झीलें :- ज्वालामुखी विस्फोट से उत्पन्न क्रेटर या काल्डेरा में जल भरने से झील बनती हैं. महाराष्ट्र में Buldhana District की लोनार झील इसी प्रकार से बनी है.
  3. हिमानी निर्मित झीलें:- हिमनदों द्वारा निर्मित गर्तों में हिम के पिघले हुए जल से इस प्रकार की झीलों का निर्माण होता है. कुमायूँ हिमालय में Lake Rakshastal, Bhimtal Lake, Naukuchiata, नैनीताल आदि झीलें इसके प्रमुख उदाहरण हैं. कभी-कभी हिमनदी के पिघले जल से “हिमोढ़ झीलों” (morane lakes) का निर्माण होता है. पीरपंजाल श्रेणी के उत्तरी-पूर्वी ढालों पर ऐसी ही झीलें पाई जाती हैं.
  4. पवन-क्रिया से बनीं झीलें:- मरुस्थल में पवन क्रिया से अपवाहन गर्त (Blowouts) बन जाते हैं. वर्षाकाल में इनमें जल भर जाता है. वाष्पीकरण अधिक होने से सतह पर लवण की परतें एक जगह इकठ्ठा हो जाती हैं और फलस्वरूप खारी झीलें बन जाती हैं. राजस्थान की साम्भर, डीडवाना, पंचभद्रा ऐसी ही झीलें हैं.
  5. घुलन क्रिया से निर्मित झीलें:- चूना पत्थर, जिप्सम, लवण आदि घुलनशील शैलों के प्रदेश में जल की घुलन क्रिया से ये झीलें उत्पन्न होती हैं. असम में ऐसी झीलें पायी जाती हैं.
  6. भू-स्खलन से निर्मित झीलें:- पर्वतीय ढालों पर बड़े-बड़े शिलाखण्डों के गिरने से कभी-कभी नदियों के मार्ग रुक जाते हैं और इनमें जल एकत्रित होने लगता है और अंततः झील बन जाती है. अलकनंदा के मार्ग में शैल-स्खलन से गोहाना नामक झील का निर्माण हुआ था.
  7. विसर्प झीलें:- मैदानी क्षेत्र में नदियाँ घुमावदार मार्ग से प्रवाहित होती हैं. जब इन मोड़ों के सिरे कट जाते हैं और नदी सीधे मार्ग से बहने लगती है तब विसर्प झीलें बनती हैं. गंगा की मध्य व निचली घाटी में ऐसी अनेक झीलें पाई जाती हैं. पश्चिम बंगाल में उन्हें “बील” (beels) कहते हैं.
  8. अनूप या लैगून झीलें:- नदियों के मुहाने पर समुद्री लहरों तथा पवनों की क्रिया से बालू के टीले बन जाते हैं. इसके पीछे एकत्रित जल लैगून के रूप में अवशिष्ट रहता है. उड़ीसा का चिल्का झील ऐसा ही है.

GS Paper 1 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Salient features of world’s physical geography.

Topic : Pulicat Lake

संदर्भ 

आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की सीमा पर स्थित पुलिकट झील में आने वाली प्रवासी पक्षियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. ज्ञातव्य है कि “ग्रे फ्लेमिंगो” और “पेलिकन” जैसे प्रसिद्ध प्रवासी पक्षी, हर साल पुलिकट झील पर आते हैं.

पुलिकट झील

  • आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की सीमा पर स्थित पुलिकट झील, ओडिशा में स्थित “चिल्का झील” के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी खारे पानी की झील है.
  • बंगाल की खाड़ी से यह झील श्रीहरिकोटा द्वारा अलग होती है जो एक बैरियर द्वीप की तरह कार्य करता है.
  • इस झील के भौगोलिक क्षेत्र में दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पूर्वी मानसूनी हवाओं, दोनों, से वर्षा होती है.
  • झील के निकट “नेलापट्टू पक्षी अभयारण्य (Nelapattu Bird Sanctuary), एक प्रसिद्ध पक्षी अभयारण्य स्थित है.
  • पिछले कुछ समय में यहाँ ब्लैक-टेल्ड गॉडविट (Black-Tailed Godwit) और केंटिश प्लोवर (Kentish Plover) जैसे दुर्लभ प्रवासी पक्षी भी देखे जा रहे हैं.
  • झील क्षेत्र के पास “बैरिंगटनिया” और “बबूल नीलोटिका” जैसी वनस्पति प्रजातियों की उपस्थिति “स्पॉट-बिल्ड पेलिकन” के लिए एक आदर्श प्रजनन स्थल उपलब्ध कराती है.
  • हर वर्ष पुलीकट झील के पास फ्लेमिंगो महोत्सव का आयोजन भी किया जाता है.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Right to Sit

संदर्भ 

हाल ही में तमिलनाडु सरकार ने तमिलनाडु दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम, 1947 (Tamil Nadu Shops and Establishments Act, 1947) में संशोधन के लिये एक विधेयक पेश किया है. इस विधेयक में कर्मचारियों के लिये अनिवार्य रूप से बैठने की सुविधा प्रदान करने हेतु एक उपधारा जोड़ने की मांग की गई है.

बैठने का अधिकार (Right to Sit)

  • इस विधेयक का उद्देश्य, सभी बड़े और छोटे प्रतिष्ठानों, विशेषतः कपड़ा और आभूषणों के शोरूम में कार्य करने वाले हजारों कर्मचारियों को लाभ पहुंचाना है.
  • विधेयक के अंतर्गत प्रतिष्ठानों के प्रत्येक परिसर में सभी कर्मचारियों के बैठने की उचित व्यवस्था करने का प्रावधान किया गया है जिससे कर्मचारियों को अपने काम के दौरान अवसर मिलने पर बैठने की सुविधा मिल सके.

जरूरत

  • राज्य में दुकानों और प्रतिष्ठानों में कार्यरत कर्मचारियों को उनकी ड्यूटी के दौरान खड़े रहने के लिए विवश किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप इनके लिए विभिन्न स्वास्थ्य संबधी समस्याएं होने लगती हैं.
  • अधिकांश दुकानों और अन्य खुदरा दुकानों के मालिकों द्वारा महिलाओं को बैठने से मना किया जाता है, जबकि दुकान के कर्मचारियों में महिलाएं काफी संख्या में होती हैं. यहां तक ​​कि, कर्मचारियों को दीवार के सहारे खड़े होने पर भी सजा दी जाती है.
  • कर्मचारियों को लगातार खड़े रहने की वजह से ‘नसों में सूजन’ और जोड़ों में दर्द की समस्या होने लगती है.
  • ‘बैठने का अधिकार’, कर्मचारियों को पूरे कार्य-समय में ‘पैर की उंगलियों’ पर खड़े रहने की स्थिति से सुरक्षा प्रदान करेगा.

आगे की राह

बैठने का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 42 (राज्य नीति के निदेशक सिद्धांतों का हिस्सा) के अनुसरण में एक नया कदम है जो राज्य को कार्यस्थल पर न्यायसंगत और मानवीय परिस्थितियाँ प्रदान करने हेतु प्रावधान करने के लिये प्रेरित करता है. इसलिये संसद को इसका संज्ञान लेकर बैठने के अधिकार को अखिल भारतीय आधार पर कानून बनाना चाहिये.


GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Security challenges and their management in border areas; linkages of organized crime with terrorism.

Topic : Border Area Development Programme – BADP

संदर्भ 

तिब्बत-चीन की सीमा से लगे निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले अरुणाचल प्रदेश के विधायकों द्वारा ग्रामीणों के पलायन को रोकने और स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप ‘सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम’ (Border Area Development Programme – BADP) को संशोधित करने हेतु एक फोरम का गठन किया गया है.

इस प्रकार से कदम की आवश्यकता

इन क्षेत्रों के निवासी, अपनी आजीविका कमाने के लिए अरुणाचल प्रदेश के भीतर ही अन्य स्थानों या प्रदेश के बाहर शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन कर रहे हैं. इस वजह से, वर्तमान में कई गांव लगभग वीरान हो गए हैं.

  • इसके अलावा, सीमा क्षेत्र के निवासियों को ‘रक्षा की एक पंक्ति’ के रूप में तैयार करने के लिए राज्य सरकार द्वारा बनाई गई एक दशकों पुरानी योजना ‘‘सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम’ (BADP)’ भी अच्छी तरह से कारगर नहीं हुई है.
  • साथ ही, अस्पष्ट दिशा-निर्देशों के कारण BADP को ठीक तरीके से लागू भी नहीं किया गया था.

BADP के बारे में

✓ भारत में सीमावर्ती क्षेत्रों में निम्नस्तरीय पहुँच, अपर्याप्त अवसंरचना, निराशाजनक आर्थिक विकास, अत्यधिक गरीबी और लोगों के मध्य असुरक्षा की भावना जैसी समस्याएँ विद्यमान हैं. इसलिए सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास के लिए सीमा प्रबंधन को एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व के रूप में देखा जा रहा है. इसलिए 1987 में एक केंद्र प्रयोजित योजना के रूप में BADP scheme की शुरुआत की गई.

इसके तीन प्राथमिक उद्देश्य हैं –

  • अवसंरचना निर्माण
  • सीमावर्ती लोगों को आर्थिक अवसर प्रदान करना, और
  • उनके मध्य सुरक्षा की भावना का सृजन करना.

✓ इस योजना के तहत अंतर्राष्ट्रीय सीमा के 50 किलोमीटर के भीतर रहने वाले नागरिकों पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा. इन नागरिकों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए BADP परियोजना में 17 राज्यों के 111 सीमावर्ती जिलों को शामिल किया गया है.

✓ शुरुआत में इस कार्यक्रम को सीमावर्ती सुरक्षा बल की तैनाती की सुविधा के लिए अवसंरचनात्मक विकास पर बल देते हुए पश्चमी सीमा राज्यों में लागू किया गया था.

✓ बाद में, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और अन्य सम्बद्ध क्षेत्रों जैसे अन्य सामाजिक-आर्थिक पहलुओं को शामिल करने के लिए इसकी परिधि में विस्तार किया गया.

✓ BADP योजना का कार्यान्वयन पंचायती राज संस्थानों, स्वायत्त परिषदों और स्थानीय निकायों के माध्यम से सहभागिता और विकेंद्रीकरण के आधार पर किया जाता है.

प्रमुख उद्देश्य

  • BADP का प्रमुख उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास स्थित दूरस्थ एवं दुर्गम क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों की विकास से सम्बंधित आवश्यकताओं और उनको पूरा करना और उनके कल्याण के लिए काम करना है.
  • इस योजना का उद्देश्य सीमा क्षेत्रों में भारत सरकार और राज्य सरकार के द्वारा चलाई गई सभी योजनाओं का लाभ पहुँचाना और उसके लिए आवश्यक निर्माण कार्य करना है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम के कार्यान्वयन में बाधाएँ

  • इसके पहले चरण को सीमावर्ती क्षेत्रों से 0-10 किमी. की सीमा में लागू किया जाना है. जब इस क्षेत्र के लिए सभी विकास कार्य पूरे हो जाएँगे, तब राज्य सरकार 10 किमी. से आगे के क्षेत्र में कार्य करना शुरू कर सकती है. यह एक गंभीर समस्या है क्योंकि प्रथम चरण में शामिल क्षेत्रों तक पहुँचने के लिए अल्पविकसित क्षेत्रों से होकर गुजरना होगा (जिन्हें बाद के चरणों में शामिल किया जाएगा), जिससे परियोजना की लागत में वृद्धि हो जायेगी.
  • इसके साथ ही, BADP योजना में यह अनिवार्य किया गया है कि 10 किमी. से आगे के क्षेत्र को तब तक आवंटित नहीं किया जाना चाहिए तब तक कि 0-10 किमी. (सीमा से) तक का क्षेत्र “संतृप्त” न हो जाए; इसके अतिरिक्त यह निर्धारित करने के लिए कोई मापदंड नहीं है कि क्षेत्र संतृप्त है या नहीं.
  • दूरस्थ क्षेत्रों में, वर्षा ऋतु में अत्यधिक वर्षा और शीत ऋतु के दौरान बर्फबारी से योजना के कार्यान्वयन, विशेष रूप से निर्माण कार्य, में बड़ी कठनाई उत्पन्न होती है.
  • योजना के अंतर्गत धन को अवसंरचना पर व्यय किया जाता है जिससे अन्य संरचनाओं का भी निर्माण किया जाता है. जिससे BADP के विशिष्ट लक्ष्यों का प्रभाव कम होता जा रहा है.
  • वित्त के आवंटन के लिए कोई उचित व्यवस्था/प्रणाली नहीं है. वस्तुतः सीमा से दूरी के अनुसार वित्त आवंटन अनुपात का निर्धारण किया जाना चाहिए.

Prelims Vishesh

SAATH initiative :-

  • ‘साथ’ पहल हाल ही में जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के उप राज्यपाल द्वारा ‘साथ’ पहल का उद्घाटन किया गया.
  • यह स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं के लिए एक ग्रामीण उद्यम त्वरण कार्यक्रम (Rural Enterprises Acceleration Programme) है.
  • इसके अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पादों पर मार्केटिंग, पैकेजिंग एवं ब्रांडिंग के सम्बन्ध में मार्गदर्शन प्रदान किया जायेगा तथा इससे उन्हें बाजार तक पहुँचाने में मदद मिलेगी.

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