Sansar Daily Current Affairs, 06 April 2019
GS Paper 1 Source: PIB
Topic : Green Urban Areas
संदर्भ
केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग ने हाल ही में हरित शहरी क्षेत्र/अवकाशों के विषय में एक राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन किया.
सेमीनार में दिए गये सुझाव
- सामाजिक एवं प्राकृतिक दृष्टि से और जीवन की गुणवत्ता को सुधारने में हरित शहरी क्षेत्र एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
- हरियाली और घनी वनस्पतियों से ऊर्जा के संरक्षण पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है. इससे मकानों में प्रयोग होने वाली ऊर्जा की भी बचत होती है.
- पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए और वायु को स्वच्छ एवं प्रदूषणमुक्त करने के लिए पेड़ लगाना आवश्यक है.
- जमीन के दाम में कई गुना वृद्धि होने और साथ ही बहुमंजिला मकानों के बनने से लोगों को हरियाली भरा क्षेत्र कठनाई से मिलता है. इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक है कि छोटे-छोटे पेड़, झाड़ियाँ, घास की पट्टियाँ, लटकते गमले, लताएँ आदि मकानों के चारों ओर लगाये जाएँ.
- भवन निर्माण में लकड़ी की जगह पर बाँस जैसी वैकल्पिक वस्तुओं के प्रयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए.
हरित शहरी क्षेत्र/अवकाश क्या है और क्यों महत्त्वपूर्ण है?
- किसी भी शहरी परिवेश में उद्यान और खेल के मैदान तथा साथ ही जंगल और प्राकृतिक घास के मैदान, आर्द्र भूमि आदि वहाँ के पारिस्थितिक तंत्र के लिए आधारभूत अवयव हैं.
- हरित शहरी क्षेत्रों से शारीरिक गतिविधि एवं विश्राम की सुविधा मिलती है और लोग शोरगुल से बच पाते हैं.
- पेड़ ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं और वे हवा में रहने वाले कणों के साथ-साथ हानिकारक वायु प्रदूषण से बचाव भी करते हैं.
- झील, नदी और झरनों जैसे जलस्थल तापमान को कम करते हैं.
- शहरी उद्यान और फुलवारियाँ शहरों को ठंडा करती हैं, साथ ही वे टहलने और साइकिल से आने-जाने के लिए परिवहन के लिए सुरक्षित रास्ते भी देते हैं. यहाँ लोग व्यायाम करते हैं और आपस में बात-चीत करते हैं तथा एक-दूसरे का मनोरंजन करते हैं. विदित हो कि विश्व-भर में 3% मृत्यु पैदल नहीं चलने और मनोरंजन का स्थल नहीं होने से होती है.
- मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी हरियाली आवश्यक है. वैज्ञानिकों का कहना है कि प्राकृतिक परिवेश में शारीरिक व्यायाम करने से हल्के अवसाद में लाभ होता है.
GS Paper 1 Source: Indian Express
Topic : History of Muslim League in Kerala and India
संदर्भ
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को विभाजन के पूर्व की मुस्लिम लीग के समतुल्य कहा है.
मुस्लिम लीग
वायसराय लॉर्ड मिन्टो के निमंत्रण पर भारत के अभिजात मुसलमानों को राजनीति में प्रवेश करने का अवसर मिला और वे पूरी तरह राजनीतिज्ञ बनकर शिमला से लौटे. अलीगढ़ की राजनीति सारे देश पर छा गई. ढाका बंगाल -विभाजन के फलस्वरूप आन्दोलन का गढ़ बन गया था. ढाका के नवाब सलीम उल्ला खां ने “मुस्लिम ऑल इंडिया कान्फ्रेड्रेसी (All India Muslim Confederacy)” नामक एक संस्था के निर्माण का सुझाव दिया था. अंग्रेज़ों का सहयोग और संरक्षण का आश्वासन पाकर ढाका में मुसलमानों का एक सम्मेलन 30 दिसम्बर, 1906 ई. (when Muslim League formed) को बुलाया गया. सम्मलेन का अध्यक्ष नवाब बकार-उल-मुल्क को बनाया गया. अखिल भारतीय स्तर पर एक मुस्लिम संगठन की नीव इसी सभा में डाली गई. संगठन का नाम “ऑल इंडिया मुस्लिम लीग” रखा गया. मुस्लिम कांफ्रेड्रेसी (Muslim confederacy) का प्रस्ताव बहुमत से अस्वीकृत कर दिया गया.
नवाब वकार-उल-मुल्क ने अलीगढ़ के विद्यार्थियों की सभा में यह कहा था कि “अच्छा यही होगा कि मुसलमान अपने-आपको अंग्रेजों की ऐसी फ़ौज समझें जो ब्रिटिश राज्य के लिए अपना खून बहाने और बलिदान करने के लिए तैयार हों.” नवाब वकार-उल-मुल्क ने कांग्रेस के आन्दोलन में मुसलमानों को भाग नहीं लेने की सलाह दी थी. ब्रिटिश शासन के प्रति निष्ठा रखना मुसलमानों का राष्ट्रीय कर्तव्य है.
मुस्लिम लीग की स्थापना का श्रेय अंग्रेजों को दिया जा सकता है. राष्ट्रीय आन्दोलन की राह में रुकावट पैदा करने के लिए ही मुस्लिम लीग की स्थापना की गई थी. यह संस्था चापलूसों की थी. मुसलमानों को उभारने में वायसराय लॉर्ड मिन्टो और भारत मंत्री मार्ले का भी सहयोग था. प्रथम अधिवेशन (first session) में मुस्लिम लीग के उद्देश्य के सम्बन्ध में स्पष्ट रुपरेखा का आभास नहीं मिलता है. मुस्लीम लीग का दूसरा अधिवेशन (second session) 1907 ई. में कराँची में हुआ जिसमें लीग के लिए एक संविधान बनाया गया.
स्वतंत्रता के पश्चात् आल इंडिया मुस्लिम लीग का इतिहास
स्वतंत्रता देश के विभाजन के तुरंत पश्चात् आल इंडिया मुस्लिम लीग को भंग कर दिया गया और यह दो टुकड़ों बँट गई – पश्चिम पाकिस्तान की मुस्लिम लीग और पूर्व पाकिस्तान की आवामी मुस्लिम लीग.
पूर्व पाकिस्तान में आवामी मुस्लिम लीग बंगाली राष्ट्रवाद की वकालत की और पंजाबियों के प्रभुत्व वाले पश्चिम पाकिस्तान से अलग राह पर चलना चाहा. अंततोगत्वा शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व में पूर्व पाकिस्तान अलग होकर बांग्लादेश नामक एक नया देश बन गया.
स्वतंत्र भारत में मुस्लिम लीग
स्वतंत्रता के पश्चात् ऑल इंडिया मुस्लिम लीग का स्थान इंडियन मुस्लिम लीग (IUML) ने ले लिया. यह दल संविधान के अंतर्गत चुनाव लड़ता है और लोकसभा में इसके एकाध सदस्य सदैव रहते हैं. परन्तु इस दल की उपस्थिति केरल में सबसे प्रबल है और इसकी एक इकाई तमिलनाडु में भी है. भारतीय निर्वाचन आयोग ने इसे केरल के एक राज्य दल का दर्जा दिया है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Rajasthan’s Gujjar quota faces a legal challenge
संदर्भ
राजस्थान में सरकार द्वारा राजस्थान पिछड़ा वर्ग संशोधन विधेयक, 2019 के माध्यम से गुज्जरों और चार अन्य जातियों को सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में 5% आरक्षण देने के प्रस्ताव के विरुद्ध याचिका पर विचार कर सर्वोच्च न्यायालय ने उसे निरस्त कर दिया है. स्मरण रहे कि इसके पहले राजस्थान उच्च न्यायालय ने भी इस मामले में अंतरिम राहत देने से मना कर दिया था.
मामला क्या है?
- राजस्थान सरकार ने गुज्जरों और चार अन्य घुमंतू समुदायों को अत्यंत पिछड़ा वर्ग मानते हुए राजस्थान में नौकरियों और शिक्षा में 5% आरक्षण देने का प्रस्ताव किया था.
- इस निर्णय के विरुद्ध एक जनहित याचिका दाखिल की गई जिसमें कहा गया कि 5% अतिरिक्त आरक्षण देने से आरक्षण के लिए निर्धारित 50% की उच्चतम सीमा का उल्लंघन हो जाएगा.
राजस्थान पिछड़ा वर्ग संशोधन विधेयक, 2019
- यह विधेयक गुज्जरों, बंजारों, गड़िया लोहारों, रइकाओं और गदारिया जातियों के लिए 5% का प्रावधान करता है. वर्तमान में इन समुदायों को अधिक पिछड़ा वर्ग के श्रेणी के अंतर्गत 1% आरक्षण मिल रहा है.
- इस प्रस्ताव के कारण राजस्थान में अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण 21% से 26% हो गया है.
- विधेयक में अन्य पिच्च्दा वर्ग के लिए निर्धारित क्रीमी लेयर को ढाई लाख रुपयों से बढ़ाकर आठ लाख रुपये कर दिया गया है.
- राजस्थान सरकार ने एक संकल्प भी पारित किया है जिसमें केंद्र से अनुरोध किया गया है कि इस विधेयक को संविधान की अनुसूची IX में शामिल किया जाए क्योंकि इससे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आरक्षण के लिए निर्धारित 50% की उच्चतम सीमा का उल्लंघन होता है.
अनुसूची IX क्या है?
संविधान में यह अनुसूची प्रथम संविधान संशोधन अधिनियम, 1951 के द्वारा जोड़ी गई. इसके अंतर्गत राज्य द्वारा संपत्ति के अधिग्रहण की विधियों का उल्लेख किया गया है. इस अनुसूची में सम्मिलित विषयों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है. वर्तमान में इस अनुसूची में 284 अधिनियम हैं. परन्तु 2007 में सर्वोच्च न्यायालय ने यह व्यवस्था दी थी कि नौवीं अनुसूची में वर्णित कानूनों न्यायिक सुरक्षा हो सकती है यदि वे संविधान की आधारभूत संरचना का उल्लंघन करते हों.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Enemy properties
संदर्भ
भारत सरकार ने सूचित किया है कि सूचना प्रौद्योगिकी प्रतिष्ठान WIPRO के 1,150 करोड़ के शत्रु शयरों को उसने भारतीय जीवन बीमा निगम और दो अन्य सरकारी स्वामित्व वाली बीमा कम्पनियों को बेच दिए हैं.
शत्रु संपत्ति किसे कहते हैं?
- पाकिस्तान में जा बसे लोगों और 1962 के युद्ध के बाद चीन चले गए लोगों की भारत में स्थित संपत्ति को शत्रु संपत्ति कहा जाता है.
- 1968 में संसद द्वारा पारित शत्रु संपत्ति अधिनियम के बाद इन संपत्तियों पर भारत संरकार का कब्जा हो गया था. तब से इन संपत्तियों की देखभाल गृह मंत्रालय कर रहा था.
पृष्ठभूमि
देश के कई राज्यों में शत्रु संपत्ति फैली हुई है. लंबे समय से कई संगठन इन संपत्तियों के सार्वजनिक इस्तेमाल की मांग कर रहे थे. केंद्र सरकार ने अब जाकर इन संपत्तियों के सार्वजनिक इस्तेमाल की अनुमति दी है. 2017 में सरकार ने शत्रु संपत्ति अधिनियम में बदलाव कर इन लोगों का संपत्ति से अधिकार खत्म कर दिया था. भारत में 1 लाख करोड़ की हैं. शत्रु संपत्ति गृह मंत्रालय के अनुसार देश में करीब 1 लाख करोड़ रुपए की शत्रु संपत्ति है. इनकी संख्या 9400 के करीब है. इसके अतिरिक्त तीन हजार करोड़ रुपए के शत्रु शेयर भी भारत सरकार के पास हैं. इन संपत्तियों में से सबसे अधिक 4991 उत्तर प्रदेश, 2735 पश्चिम बंगाल और 487 संपत्ति दिल्ली में स्थित हैं. इसके अतिरिक्त भारत छोड़कर चीन जाने वालों की 57 संपत्ति मेघालय, 29 पश्चिम बंगाल और 7 असम में स्थित है. केंद्र सरकार लंबे समय से इन संपत्तियों को बेचने की कोशिश कर रही है. इसके अलावा, देश में करीब तीन हजार करोड़ रुपए मूल्य के शत्रु शेयर हैं. पिछले साल केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर की ओर से राज्यसभा में दी गई जानकारी के अनुसार, 996 कंपनियों में करीब 20 हजार लोगों के 6 करोड़ से ज्यादा शत्रु शेयर हैं. यह शेयर 588 सक्रिय, 139 सूचीबद्ध और बाकी गैरसूचीबद्ध कंपनियों में हैं. केंद्र सरकार ने इन शेयरों को बेचने के लिए पिछले महीने एक कमेटी का भी गठन किया था. यह कंपनी इन शेयरों की बिक्री का मूल्य निर्धारण का कार्य करेगी.
शत्रु सम्पत्ति अधिनियम (Enemy properties Act)
- 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के पश्चात् 1968 में शत्रु सम्पत्ति अधिनियम पारित हुआ जिसका उद्देश्य ऐसी संपत्तियों का विनियमन करना और संरक्षक की शक्तियों का वर्णन करना था.
- कालांतर में महमूदाबाद के राजा मुहम्मद आमीर खान की उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अवस्थित सम्पत्तियों को लेकर उसके उत्तरधिकारियों के दावों को ध्यान में रखकर सरकार ने इस अधिनियम में कतिपय संशोधन किए थे.
- अधिनियम के अनुसार केंद्र सरकार ने शत्रु सम्पत्तियों को शत्रु सम्पत्ति संरक्षक (Custodian of Enemy Property for India) के हवाले कर रखा है.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : FAME 2 scheme
संदर्भ
नीति आयोग और रॉकी माउंटेन इंस्टिट्यूट ने संयुक्त रूप से FAME 2 योजना का तकनीकी विश्लेषण कर एक प्रतिवेदन निर्गत किया है जिसमें ऊर्जा, खनिज तेल एवं कार्बन उत्सर्जन के संदर्भ में संभावित बचत पर प्रकाश डाला है.
प्रतिवेदन के मुख्य तथ्य
- FAME 2 से इस योजना के अंतर्गत पात्रता रखने वाले वाहनों के अतिरिक्त अन्य वाहन भी प्रभावित होंगे.
- FAME 2 के अन्दर आने वाले दोपहिया और चौपहिया गाड़ियों तथा बसों के द्वारा उनके सम्पूर्ण जीवनकाल में खर्च होने वाली ऊर्जा और कार्बन उत्सर्जन में अच्छी-खासी कमी आएगी. साथ ही 2030 तक इनके एडॉप्शन लेवल में सुधार से भी खर्च में बचत होने की सम्भावना है.
- प्रतिवेदन के अनुसार FAME 2 के अन्दर आने वाली इलेक्ट्रिक बसें अपने जीवनकाल में 8 बिलियन वाहन किलोमीटर (vehicle kilometers travelled – e-vkt) की यात्रा के सकेंगे.
- 2030 के लक्ष्य को पाने लिए बैटरियों का उपयोग अत्यावश्यक होगा.
- FAME 2 योजना के अन्दर आने वाले वाहन कुल मिलाकर अपने जीवनकाल में 4 मिलियन टन खनिज तेल की बचत कर सकेंगे. इससे 17.2 हजार करोड़ रु. बचेंगे.
FAME 2 योजना
FAME India योजना का पूरा नाम है – Faster Adoption and Manufacturing of Electric Vehicles in India अर्थात् भारत में बिजली से चलने वाले वाहनों को अपनाने और उन्हें बनाने में तेजी लाने की योजना.
ई-गतिशीलता के लिए FAME योजना :- FAME योजना 1 अप्रैल, 2015 में शुरू की गई थी और इसका उद्देश्य था बिजली और संकर ऊर्जा से चलने वाले वाहनों के निर्माण के तकनीक को बढ़ावा देना और उसकी सतत वृद्धि को सुनिश्चित करना. इस योजना के अंदर सार्वजनिक परिवहन में बिजली की गाड़ियों (EVs) के प्रयोग को बढ़ावा देना है और इसके लिए बाजार और माँग का सृजन करना है. इसके तहत वाहन परिक्षेत्र में 100% विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति दी जायेगी.
- इस योजना का उद्देश्य देश में बिजली से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा देना है.
- यह योजना 1 अप्रैल, 2019 से आगामी तीन वर्षों तक चलेगी और इसके लिए 10,000 करोड़ रु. की बजटीय व्यवस्था की गई है.
- यह योजना FAME India I (1 अप्रैल, 2015 में अनावृत) का विस्तारित संस्करण है.
फेम-इंडिया योजना फेज II के उद्देश्य
- सार्वजनिक परिवहन में बिजली से चलने वाली गाड़ियों का अधिक से अधिक प्रयोग सुनिश्चित करना.
- बिजली वाले वाहनों की ग्राह्यता को प्रोत्साहित करने के लिए इनके लिए बाजार बनाना और माँग में वृद्धि करना.
पृष्ठभूमि
यह राष्ट्रीय बिजली गतिशीलता मिशन योजना का अंग है. पर्यावरण के अनुकूल वाहनों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार ने 2015 में भारत में (FAME – INDIA) योजना की शुरुआत की थी. फेम इंडिया योजना का लक्ष्य है कि दो पहिया, तीन पहिया, चार पहिया यात्री वाहन, हल्के वाणिज्यिक वाहन और बसों सहित सभी वाहन क्षेत्रों में बिजली के प्रयोग को प्रोत्साहित किया जाए. इसके लिए यह योजना सब्सिडी का लाभ प्रदान करती है. इस योजना के तहत संकर एवं इलेक्ट्रिक तकनीकों, जैसे – सशक्त संकर तकनीक (strong hybrid), प्लग-इन शंकर तकनीक (plug-in hybrid) और बैटरी/बिजली तकनीक को प्रोत्साहित किया जाता है. इस योजना को भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा चालाया जा रहा है. FAME योजना इन चार क्षेत्रों पर अपना ध्यान केन्द्रित करती है – तकनीकी विकास, माँग का सृजन, प्रायोगिक परियोजनाएँ एवं चार्ज करने की सुविधा.
GS Paper 3 Source: Economic Times
Topic : Hayabusa2
संदर्भ
जापान के अंतरिक्षयान Hayabsa2 ने हाल ही में एक क्षुद्रग्रह में विस्फोट कर एक क्रेटर का निर्माण किया है. अब यह अन्तरिक्षयान इस क्रेटर के अन्दर से मिट्टी के नमूने जमा करके पृथ्वी पर लाएगा.
पृष्ठभूमि
जापान द्वारा भेजे गये खोजी अन्तरिक्ष यान Hayabusa 2 ने Ryugu नामक अंडाकार क्षुद्रग्रह की ओर दो अन्वेषक रोबोट भेजे हैं जिससे कि उस क्षुद्र ग्रह से खनिज के नमूने प्राप्त किये जा सकें. इन नमूनों से सौर मंडल की उत्पत्ति के विषय में जानकारी मिल सकती है. यदि यह अभियान सफल होता है तो यह इतिहास में पहली बार होगा कि किसी खोजी अन्तरिक्ष यान ने किसी क्षुद्रग्रह की सतह को रोबोट के माध्यम से निरीक्षण किया हो. इस क्षुद्रग्रह में गुरुत्वाकर्षण बहुत कम है. इस बात का लाभ उठाकर यह रोबोट उसकी सतह पर 15-15 मीटर उछल सकते हैं और साथ ही हवा में 15 मिनट तक ठहर सकते हैं. इस प्रकार ये अपने कैमरों और सेंसरों के माध्यम से क्षुद्रग्रह की भौतिक विशेषताओं का सर्वेक्षण कर सकते हैं.
HAYABUSA 2 क्या है?
- Hayabusa 2 एक जापानी खोजी यान है जिसमें आदमी नहीं होता है. यह 2014 में जापान के Tanegashima Space Centre से H-IIA rocket से छोड़ा गया था. यह छह वर्ष तक काम करेगा और Ryugu क्षुद्रग्रह से खनिज नमूने लाएगा.
- Hayabusa 2 फ्रांस और जर्मनी का एक भूमि पर उतरने वाला वाहन भी छोड़ेगा जिसका नाम MASCOT (Mobile Asteroid Surface Scout) है.
- इस खोजी यान का आकार एक बड़े फ्रिज इतना है. इसमें सौर पैनल लगे हुए हैं.
- विदित हो कि Hayabusa 1 पहला ऐसा खोजी यान था जो क्षुद्रग्रह की खोज करने के लिए प्रक्षेपित हुआ था. Hayabusa जापानी भाषा में बाज को कहते हैं. Hayabusa 2 इसी का उत्तराधिकारी है.
- यदि सबकुछ ठीक रहा तो Hayabusa 2 2020 तक पृथ्वी पर मिट्टी के नमूने लेकर लौट आएगा.
अभियान का माहात्म्य
Ryugu एक C-श्रेणी का क्षुद्रग्रह है जिसे सौर मंडल के प्रारम्भिक काल का अवशेष माना जाता है. वैज्ञानिकों का विचार है कि C-श्रेणी के क्षुद्रग्रहों में जैव-पदार्थ के साथ –साथ फंसा हुआ जल भी होता है. अतः हो सकता है कि इनके माध्यम से ही पृथ्वी पर ये दोनों वस्तुएँ आई हों और इस प्रकार हमारी धरती पर जीवन के उद्भव में सहायता पहुँचाई हो.
Prelims Vishesh
Hindu New Year :-
देश के विभिन्न हिस्सों में पारंपरिक उत्सव और समारोहों के साथ हिंदू नववर्ष का स्वागत किया गया. उगादि, गुड़ी पड़वा, नवरेह, नवरोज़ और चैती चाँद सभी अलग-अलग नाम के नववर्ष के उत्सव हैं.
- आंध्र प्रदेश और तेलंगाना :- उगादि.
- कर्नाटक: युगादि / उगादि
- महाराष्ट्र: गुड़ी पड़वा
- सिंधी: चैती चाँद
- पारसी : नवरोज़
- मणिपुर : साजिबू चीराओबा
- बाली और इंडोनेशिया : नैपी
- कश्मीर: नवरेह
CCI :-
- प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के तहत भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की स्थापना मार्च, 2009 में हुई थी.
- इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नीति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है.
- प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 (अधिनियम) की धारा 8 (1) के अनुसार आयोग में केवल एक अध्यक्ष होगा और सदस्यों की संख्या कम से कम दो होगी और अधिक से अधिक छह होगी.
कार्य
आयोग के निम्नलिखित कार्य हैं :-
- व्यापार से सम्बंधित प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव करने वाले कारकों को रोकना.
- बाजारों में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना और बनाए रखना.
- उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना.
- व्यापार की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना.
- यह आयोग किसी वैधानिक प्राधिकरण के द्वारा भेजे गये प्रतिस्पर्धात्मक मामलों पर अपना परामर्श भी देता है.
- यह प्रतिस्पर्धा से जुड़े मामलों के विषय में जन-जागरूकता सृजित करता है और प्रशिक्षण प्रदान करता है
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