Sansar Daily Current Affairs, 06 August 2021
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Appointment to various Constitutional posts, powers, functions and responsibilities of various Constitutional Bodies.
Topic : Governor’s Power to Pardon Overrides Section 433A
संदर्भ
हाल ही में, उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि राज्यपाल किसी कैदी को 14 वर्ष की सजा पूर्व होने से पहले भी क्षमादान दे सकता है. न्यायालय के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 161 के अंतर्गत राज्यपाल को प्राप्त क्षमादान शक्तियां या सजा को कम करने संबंधी शक्तियां, “दंड प्रक्रिया संहिता” (IPC) की धारा 433 के तहत लगाए गए प्रतिबंधों से ऊपर हैं. हालाँकि इस सम्बन्ध में राज्यपाल राज्य सरकार की सिफ़ारिश मानने के लिए बाध्य है.
मुख्य तथ्य
- सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि राज्यपाल 14 वर्ष की जेल होने से पूर्व भी कैदियों को क्षमादान दे सकता है. इस प्रकार क्षमादान करने की राज्यपाल की शक्ति CrPC की धारा 433A के तहत किये गए प्रावधान को अतिव्यापन करती है, जिसमें कहा गया है कि कैदी को 14 वर्ष की जेल के बाद ही माफ किया जा सकता है.
- धारा 433-A किसी भी तरह से संविधान के अनुच्छेद 72 या 161 के तहत राष्ट्रपति/राज्यपाल को क्षमादान देने की संवैधानिक शक्ति को प्रभावित नहीं कर सकती है और न करती है.
- यदि कैदी 14 वर्ष या उससे अधिक वास्तविक कारावास से नहीं गुजरा है, तो राज्यपाल के पास धारा 433-A के तहत लगाए गए प्रतिबंधों के दायरे से बाहर जाकर क्षमादान की शक्ति है. हालांकि राज्यपाल राज्य सरकार की सहायता और सलाह पर कार्य करने के लिए बाध्य है.
- इस प्रकार सजा में कमी और रिहाई की कार्रवाई एक सरकारी निर्णय के अनुसार हो सकती है और राज्यपाल की मंजूरी के बिना भी आदेश जारी किया जा सकता है. हालाँकि, कार्य नियमों के तहत और संवैधानिक शिष्टाचार के रूप में, अगर ऐसी रिहाई संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत है तो राज्यपाल की स्वीकृति ली जा सकती है.
राष्ट्रपति और राज्यपाल की क्षमादान की शक्ति में अंतर
- राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति का वर्णन अनुच्छेद 72 में है जबकि इस विषय में शक्ति का वर्णन अनुच्छेद 161 में है.
- राष्ट्रपति को यह शक्ति है कि कोर्ट मार्शल के द्वारा दिए गये दंड को भी वह क्षमता कर सकता है जबकि राज्यपाल ऐसा नहीं कर सकता है.
- राष्ट्रपति मृत्युदंड को भी क्षमा कर सकता है परन्तु राज्यपाल को मृत्युदंड से सम्बंधित मामलों पर कोई अधिकार नहीं है.
क्षमादान शक्ति का महत्त्व
कार्यपालिका की क्षमादान शक्ति काफी महत्त्वपूर्ण होती है क्योंकि यह न्यायपालिका द्वारा की गई त्रुटियों में सुधार करती है. इसके द्वारा अभियुक्त के अपराध या निर्दोषता पर विचार किए बगैर उसे दोषसिद्धि किए जाने संबंधी प्रभाव को समाप्त किया जाता है.
- क्षमादान शक्ति, न्यायपालिका की त्रुटि अथवा संदेहात्मक दोषसिद्धि के मामले में किसी निर्दोष व्यक्ति को दंडित होने से बचाने में काफी सहायक होती है.
- क्षमादान शक्ति का उद्देश्य न्यायिक त्रुटियों को ठीक करना है. क्योंकि कोई भी न्यायिक प्रशासन संबंधी मानव प्रणाली खामियों से मुक्त नहीं हो सकती है.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Indigenization of technology and developing new technology.
Topic : Deep Ocean Mission
संदर्भ
हाल ही में, सरकार द्वारा राज्यसभा में दी गई जानकारी के अनुसार, गहन समुद्र अभियान (Deep Ocean Mission – DCM) के कार्यान्वयन हेतु पांच वर्ष के लिए 4077 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है, और वर्ष 2021 में ही इस पर कार्य आरंभ हो जायेगा.
उल्लेखनीय है कि जून माह में प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने गहरे समुद्र में संसाधनों का पता लगाने और महासागरीय संसाधनों के सतत उपयोग के लिए गहन समुद्र प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के उद्देश्य से “गहन समुद्र अभियान” पर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.
अभियान की प्रमुख विशेषताएँ
- 3 वर्षो (2021-2024) के लिए अभियान के पहले चरण की अनुमानित लागत 2823.4 करोड़ रुपये होगी.
- “गहन समुद्र अभियान” भारत सरकार की ब्लू इकॉनोमी नीति का समर्थन करने के लिए एक मिशन आधारित परियोजना होगी.
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओइएस) इस बहु-संस्थागत महत्वाकांक्षी अभियान को लागू करने वाला नोडल मंत्रालय होगा.
DOM अभियान के मुख्य तत्त्व
इस अभियान में इन विषयों पर बल दिया जाएगा – गहन समुद्र खनन (deep-sea mining), सामुद्रिक जलवायु में परिवर्तन विषयक पूर्वसूचना सेवाएँ (ocean climate change advisory services), समुद्र-तल से नीचे चलने वाले वाहन (underwater vehicles ) एवं समुद्र-तल के भीतर रोबोटिक तकनीक प्रयोग (underwater robotics related technologies).
इसके अतिरिक्त इस अभियान के दो प्रमुख परियोजनाएँ हैं – ज्वारीय ऊर्जा से संचालित समुद्री जल से लवण को दूर करने वाले एक संयंत्र का निर्माण तथा एक ऐसा वाहन बनाना जो समुद्र-तल के कम से कम 6000 मीटर भीतर जाकर अन्वेषण कार्य सकेगा.
अभियान का महत्त्व
गहन समुद्र अभियान (Deep Ocean Mission – DOM) से भारत ऐसी क्षमता विकसित कर सकेगा जिससे कि वह केन्द्रीय हिन्द महासागर बेसिन (Central Indian Ocean Basin – CIOB) में उपलब्ध संसाधनों का दोहन कर सके.
ज्ञातव्य है संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (International Seabed Authority) ने भारत को केन्द्रीय हिन्द महासागर बेसिन (Central Indian Ocean Basin – CIOB) के अन्दर 75,000 वर्ग किलोमीटर आवंटित किया है. यह आवंटन इस क्षेत्र में बहु-धात्विक अयस्कों (Polymetallic nodules – PMN) की खोज करने के लिए दिया गया है. इस बेसिन में लोहा, मैंगनीज, निकल और कोबाल्ट जैसी धातुओं का 380 मिलियन मेट्रिक टन का भंडार हैं.
क्षमता
अनुमान है कि यदि भारत इन भंडारों के 10% भाग का भी दोहन कर ले तो देश की अगले 200 साल की ऊर्जा आवश्यकताएँ पूरी हो जायेंगी.
सम्भावनाएँ
भारत को मध्य हिंद महासागर बेसिन (CIOB) में पॉली-मेटैलिक नॉड्यूल्स (Polymetallic nodules– PMN) अन्वेषण के लिये संयुक्त राष्ट्र सागरीय नितल प्राधिकरण (UN International Sea Bed Authority for exploration) द्वारा 75,000 वर्ग किलोमीटर का आवंटन किया गया है.
- मध्य हिंद महासागर बेसिन क्षेत्र में लोहा, मैंगनीज, निकल और कोबाल्ट जैसी धातुओं के भण्डार हैं.
- अनुमानित है कि, इस विशाल भण्डार के केवल10% दोहन से भारत की अगले 100 सालों के लिए ऊर्जा की जरूरत पूरी हो सकती है.
PMN क्या होता है?
बहु-धात्विक अयस्क, (Polymetallic nodules – PMN) जिसे मैंगनीज नोड्यूल भी कहते हैं, एक आलू के आकर का छिद्रमय अयस्क होता है जो पूरे विश्व में समुद्र-तल बहुत ही सघनता से पाया जाता है. इनमें मैंगनीज के साथ-साथ लोहा, निकल, तांबा, कोबाल्ट, रांगा, मोलिब्डेनम, कैडमियम, वैनेडियम, टाइटेनियम आदि होते हैं. इनमें से निकल, कोबाल्ट और तांबे का बहुत ही बड़ा आर्थिक एवं रणनीतिक महत्त्व है.
अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (ISA) क्या है?
यह एक संयुक्त राष्ट्र (UN) का निकाय है जिसकी स्थापना समुद्रों के अंतर्राष्ट्रीय भागों में उपलब्ध अजैव संसाधनों के अन्वेषण तथा दोहन को नियंत्रित करने के लिए की गई थी. गत वर्ष भारत इस प्राधिकरण की परिषद् का फिर से सदस्य चुना गया था. इसके अलावा इस निकाय के अधीनस्थ विधिक एवं तकनीकी आयोग तथा वित्तीय समिति में भारत के प्रतिनिधियों का चयन हुआ था.
पॉली-मेटैलिक नॉड्यूल्स (PMN)
- पॉली-मेटैलिक नॉड्यूल्स (जिन्हेंमैंगनीज नॉड्यूल भी कहा जाता है) आलू के आकार के तथा प्रायः छिद्रयुक्त होते हैं. ये विश्व महासागरों में गहरे समुद्र तलों पर प्रचुर मात्रा में बिछे हुए पाए जाते हैं.
- संघटक: पॉली-मेटैलिक नॉड्यूल्स में मैंगनीज और लोहे के अलावा, निकल, तांबा, कोबाल्ट, सीसा, मोलिब्डेनम, कैडमियम, वैनेडियम, टाइटेनियम पाए जाते है, जिनमें से निकल, कोबाल्ट और तांबा आर्थिक और सामरिक महत्त्व के माने जाते हैं.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Conservation related issues.
Topic : Net Zero
संदर्भ
ऑक्सफैम की “टाईटनिंग द नेट” शीर्षक से जारी रिपोर्ट के अनुसार, “नेट-जीरो” (Net-Zero) उत्सर्जन लक्ष्य, कार्बन उत्सर्जन में कटौती को प्राथमिकता देने की बजाय “Dangerous Destruction” सिद्ध हो सकते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि नेट जीरो योजनाओं के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण प्रयासों को विकसित अर्थव्यवस्थाओं और कॉर्पोरेटों के अनुकूल बनाया जा रहा है, जबकि सम्भवत: इसके परिणाम जलवायु परिवर्तन को रोकने के प्रभावी साबित न हों.
पृष्ठभूमि
ज्ञातव्य है कि पिछले कुछ माह में कई देशों द्वारा नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य घोषित किए जा चुके हैं. कई यूरोपीय देशों एवं यूरोपीय संघ ने नेट जीरो उत्सर्जन के लिए कानून बनाये है. ग्रीन हाउस गैसों का सबसे बड़ा उत्सर्जक देश, चीन भी वर्ष 2060 तक ‘नेट ज़ीरो’ प्राप्त करने का वादा कर चुका है.
कार्बन न्यूट्रैलिटी (कार्बन तटस्थता)
- कार्बन न्यूट्रैलिटी या नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का तात्पर्य है कि जितनी कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जित की जाएगी, उतनी ही कार्बन डाईऑक्साइड वातावरण से हटाई जाएगी.
- इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अर्थव्यवस्था के हर महत्त्वपूर्ण क्षेत्र को इको फ्रेंडली बनाना होता है.
- विभिन्न देशों को अपनी अर्थव्यवस्था को प्रदूषण फैलाने वाले कोयले और गैस व तेल से चलने वाले बिजली स्टेशनों की जगह, पवन या सौर ऊर्जा फार्म जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों के ज़रिये सशक्त करना होता है.
वर्तमान में वैश्विक स्तर पर कार्बन तटस्थता की स्थिति
- विकसित देशों द्वारा कार्बन तटस्थता की घोषणाओं के बाद भी कार्बन के उत्सर्जन में अपेक्षाकृत कमी नहीं ला पा रहे हैं .
- संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ ने भूमि उपयोग और भूमि उपयोग परिवर्तन एवं वन संबंधित उत्सर्जन (land use and land use change and forest related emissions) पर गंभीरता से विचार विचार नहीं किया है.
- यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा 2050 तक शून्य कार्बन उत्सर्जक बनने के लिए एक कानून निर्मित किया गया है. यह सौदा यूरोपीय संघ के सभी सदस्यों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी है. यह जलवायु कानून विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में ग्रीनहाउस उत्सर्जन को कम करने के लिए यूरोप की योजनाओं के लिए एक आधार तैयार करेगा.
- वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार, कार्बन उत्सर्जन के मामले में चीन सर्वप्रथम स्थान पर है और इसके पश्चात् अमरीका का स्थान आता है तथा तीसरे स्थान पर भारत है.
भारत की प्रतिबद्धता
- विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन-2021 का उद्घाटन करने के बाद भारत ने कहा कि साझा प्रयासों से ही सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है और इन लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में भारत अपनी भूमिका के लिए तैयार है.
- भारत ने अप्रैल 2016 में औपचारिक रूप से पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किये थे. भारत का लक्ष्य 2005 के स्तर की तुलना में 2030 तक उत्सर्जन को 33-35% तक कम करना है.
- इसके साथ ही भारत का लक्ष्य 2030 तक अतिरिक्त वनों के माध्यम से 2.5-3 अरब टन कार्बन डाई ऑक्साइड के बराबर कार्बन में कमी लाना है.भारत अपने लक्ष्यों की ओर तेजी से बढ़ रहा है.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Indigenization of technology and developing new technology
Topic : INS Vikrant: India’s first Atmanirbhar aircraft carrier
संदर्भ
हाल ही में स्वदेशी विमान वाहक (आईएसी) पोत ‘विक्रांत‘ के समुद्री परीक्षणों की शुरुआत की गई है.
विक्रांत की विशेषताएँ
- भारतीय नौसेना के नौसेना डिजाइन निदेशालय (डीएनडी) द्वारा डिजाइन किया गया स्वदेशी विमानवाहक (आईएसी) पोत ‘विक्रांत’ पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (एमओएस) के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के शिपयार्ड कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) में बनाया जा रहा है|
- इसमें 76 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है.
- विक्रांत पोत 262 मीटर लंबा, 62 मीटर चौड़ा और 59 मीटर ऊंचा है, जिसमें सुपरस्ट्रक्चर भी शामिल है. सुपरस्ट्रक्चर में 5 डेक समेत पोत में कुल 14 डेक हैं.
- पोत में 2,300 से अधिक कम्पार्टमेंट हैं, जिन्हें लगभग 1700 लोगों के क्रू के लिए डिज़ाइन किया गया है जिसमें महिला अधिकारियों को समायोजित करने के लिए विशेष केबिन भी शामिल हैं.
- ‘विक्रांत’ की लगभग 28 समुद्री मील की शीर्ष गति और लगभग 7,500 समुद्री मील की एंड्योरेंस के साथ 18 समुद्री मील की परिभ्रमण गति है.
- जहाज फिक्स्ड विंग और रोटरी एयरक्राफ्ट के वर्गीकरण को समायोजित कर सकता है.
स्वदेशी विमानवाहक पोत की डिलीवरी के साथ भारत, स्वदेशी रूप से डिजाइन और एक विमान वाहक बनाने की क्षमता वाले देशों के चुनिंदा समूह में शामिल हो जाएगा.
Prelims Vishesh
Places in News :-
Agalega island –
- यह मॉरीशस में स्थित एक द्वीप है.
- यह द्वीपसमूह के ‘मुख्य द्वीप’ से करीब 1,000 किमी उत्तर में स्थित है.
- हाल ही में, ‘अगलेगा द्वीप’ बहुत ही चर्चा में था, क्योंकि कुछ रिपोर्टों के अनुसार, मॉरीशस द्वारा भारत को इस द्वीप पर एक सैन्य अड्डा बनाने की अनुमति दी गई है.
- हालांकि, मॉरीशस द्वारा स्पष्ट किया गया है कि भारत के साथ ऐसा कोई समझौता नहीं किया गया है.
Diego Garcia –
- यह यूनाइटेड किंगडम के एक विदेशी क्षेत्र के रूप में ‘ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र’ का एक द्वीप है.
- यह चागोस द्वीपसमूह के 60 छोटे द्वीपों में सबसे बड़ा है.
- पुर्तगाली इस द्वीप की खोज करने वाले पहले यूरोपीय थे और फिर 1790 के दशक में इस द्वीप को फ्रांसीसियों द्वारा बसाया गया और नेपोलियन काल में हुए युद्धों के बाद इसे ब्रिटिश शासन में मिला दिया गया.
- वर्ष 1965 में, ब्रिटेन ने चागोस द्वीप समूह को मॉरीशस से अलग कर दिया, और डिएगो गार्सिया पर संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक संयुक्त सैन्य अड्डा स्थापित किया.
- ब्रिटेन का कहना है, कि यह द्वीपसमूह लंदन की संपत्ति है और हाल ही में, ब्रिटेन द्वारा वर्ष 2036 तक डिएगो गार्सिया का उपयोग करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक पट्टा समझौते का नवीनीकरण किया गया है.
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