Sansar डेली करंट अफेयर्स, 06 December 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 06 December 2018


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Restricted Area Permit (RAP) system

संदर्भ

भारत सरकार अंडमान निकोबार के 29 द्वीपों से प्रतिबंधित क्षेत्र अनुमति (Restricted Area Permit – RAP) की प्रणाली को उठाने के विषय में पुनर्विचार करने की योजना बना रही है.

पुनर्विचार क्यों?

1963 से लागू RAP प्रणाली को समाप्त करने के लिए इस वर्ष अगस्त में निर्णय लिया गया था जिसका उद्देश्य यहाँ के 29 द्वीपों (उत्तरी सेंटिनल समेत) में पर्यटन को बढ़ावा देना था. परन्तु देखा गया कि ऐसा करने से कई समस्याएँ पैदा हुईं. हाल ही में एलेन चौ (Allen Chau) नामक अमेरिकी नागरिक उत्तरी सेंटिनल द्वीप में मारा गया था.

प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट (RAP) क्या है?

  • प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट (Restricted Area Permit – RAP) की व्यवस्था भारत सरकार के एक आदेश के द्वारा 1963 में स्थापित की गई थी.
  • इस आदेश के अनुसार विदेशी लोगों को सुरक्षित अथवा प्रतिबंधित क्षेत्र में तब तक जाने नहीं दिया जाता है जब तक सरकार को यह न लगे कि उनकी यात्रा हर प्रकार से उचित है.
  • भूटान के नागरिक को छोड़कर किसी और देश का नागरिक सुरक्षित अथवा प्रतिबंधित क्षेत्र में यदि प्रवेश करना और वहाँ ठहरना चाहता है तो उसको सक्षम पदाधिकारी द्वारा विशेष परमिट लेना होगा.
  • अफगानिस्तान, चीन और पकिस्तान के नागरिकों तथा पाकिस्तानी मूल के विदेशियों को प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट दिया ही नहीं जाता.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Witness Protection Scheme

संदर्भ

सर्वोच्च न्यायालय ने भारत सरकार के द्वारा साक्षी सुरक्षा योजना के प्रारूप का अनुमोदन कर दिया है और सभी राज्यों को कहा है कि जब तक यह योजना संसद में कानून का रूप न अपना ले तब तक लागू करे. सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार की योजना में कुछ परिवर्तन भी किये हैं.

योजना की आवश्यकता

यह देखा जाता है कि गंभीर अपराधों में, विशेषकर उन अपराधों में जिनमें अपराधी शक्तिशाली, प्रभावशाली अथवा समृद्ध हैं, उनमें या तो जिनके प्रति अपराध किया गया है अथवा वे जो इसके साक्षी हैं, वे सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समुदाय से होते हैं. इसलिए इनकी सुरक्षा करना न्याय की प्रक्रिया के लिए अति आवश्यक है. यह योजना इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है.

साक्षी सुरक्षा का मामला एक याचिका द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में रखा गया था. इस याचिका में आशाराम बापू कांड से सम्बंधित बलात्कार के मामलों के साक्षी व्यक्तियों की सुरक्षा की माँग की गई थी. इस मामले की सुनवाई के समय महान्यायवादी (Attorney General) के.के. वेणु गोपाल ने न्यायालय को सूचित किया था कि सरकार ने इस विषय में योजना का एक प्रारूप तैयार कर लिया है जिसे कालांतर में कानून का रूप दे दिया जाएगा.

महान्यायवादी ने न्यायालय से यह भी अनुरोध किया था कि वह सभी राज्यों को इस योजना को आरम्भ करने का निर्देश दिया जाए.

साक्षी सुरक्षा योजना के उद्देश्य

  • किसी साक्षी को बिना डरे या बदले की कार्रवाई के भय के बिना न्यायालय अथवा पुलिस के समक्ष साक्ष देने के लिए समर्थ बनाना.
  • यह सुनिश्चित करना कि आपराधिक मामलों की छानबीन, मुकदमे एवं सुनवाई के समय साक्षियों के धमकाए जाने से न्यायिक प्रभावित न हो.
  • जो व्यक्ति अपराधिक मामलों में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग कर सकते हैं, उनको सुरक्षा दी जाए.
  • साक्षियों में यह भरोसा उत्पन्न किया जाए कि वे निर्भीक हो कर सामने आएँ और कानून के लागू होने में पुलिस और न्यायालय को सहयोग करें.
  • इस योजना का उद्देश्य साक्षियों और उनके परिवार के सदस्यों को डराये जाने, जान से मारने की धमकी देने तथा उनके सम्मान और सम्पत्ति को क्षति पहुँचाने से बचाने के लिए उपाय खोजना.

योजना प्रारूप के मुख्य तथ्य

  • इस योजना का प्रारूप तैयार करने में सरकार ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority – NALSA) एवं पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (Bureau of Police Research and Development – BPRD) से परामर्श किया है.
  • योजना में साक्षी की सुरक्षा के जो उपाय दिए गये हैं वे साक्षी पर संभावित खतरे के हिसाब से होंगे और वे अनंतकाल के लिए नहीं होगे.
  • योजना में यह व्यवस्था है कि साक्षी और आरोपित व्यक्ति दोनों छानबीन अथवा मुक़दमे की सुनवाई के समय एक-दूसरे के आमने-सामने न हों तथा उस दौरान साक्षियों को पर्याप्त सुरक्षा दी जाए.
  • योजना के अनुसार साक्षी को नई पहचान देते हुए उसकी मूल पहचान को छिपाया जाए.
  • यह जम्मू-कश्मीर को छोड़कर सम्पूर्ण भारत पर लागू होगी.
  • योजना के अनुसार जिन साक्षियों को धमकी दी गयी है उन्हें पुलिस की सुरक्षा दी जाए तथा यदि आवश्यक हुआ तो उन्हें किसी सुरक्षित घर में ले जाकर रखा जाए.
  • योजना में यह प्रावधान है कि साक्षी को डाक और फ़ोन से मिल रही धमकी का अनुश्रवण किया जाए जिससे धमकी देने वाले का पता लग सके.
  • प्रत्येक राज्य में इस योजना पर आने वाले व्यय के लिए एक अलग साक्षी सुरक्षा कोष की व्यवस्था होगी.
  • सभी जिला न्यायालयों में सम्बन्धित राज्य एवं केंद्र-शाषित क्षेत्र एक वर्ष के भीतर गवाही के लिए एक ऐसे निश्चित स्थान की स्थापना करेंगे जहाँ कोई आरोपित व्यक्ति का सामना किये बिना अपनी बात निर्भीकता से रख सके.

गवाहों की तीन श्रेणियाँ

किसको कितना खतरा है, उस हिसाब से गवाहों की तीन श्रेणियाँ निर्धारित की गई हैं –

श्रेणी “क” : इस श्रेणी में वे साक्षी आएँगे जिनको अथवा जिनके परिवार के लोगों को जान से मारने की धमकी दी गई है जिसके कारण वे जाँच-पड़ताल/मुकदमे के दौरान या उसके बाद भी अपना जीवन सामान्य ढंग से एक लम्बी अवधि तक नहीं चला पा रहे हैं.

श्रेणी “ख” : इस श्रेणी में वे साक्षी अथवा उसके परिवार के लोग आते हैं जिनकी सुरक्षा, प्रतिष्ठा अथवा सम्पत्ति पर खतरा है. इस श्रेणी के अन्दर दी गई सुरक्षा मात्र जाँच-पड़ताल अथवा मुक़दमे के दौरान ही दी जायेगी.

श्रेणी “ग” : यह श्रेणी उन गवाहों के लिए है जिन्हें जाँच-पड़ताल के दौरान हल्का-सा खतरा है जैसे परेशान किया जाना अथवा गवाह या उसके परिवार के लोगों को धमकी दिया जाना अथवा प्रतिष्ठा अथवा सम्पत्ति पर खतरा.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : World Intellectual Property Organisation (WIPO)

संदर्भ

हाल ही में जेनेवा में विश्व बौद्धिक सम्पदा संगठन (WIPO) ने विश्व बौद्धिक सम्पदा संकेतक, 2018 का प्रतिवेदन (report) निर्गत किया.

  • प्रतिवेदन के अनुसार 2017 में विश्व-भर में 1.4 मिलियन पेटेंट दिए गये. इस मामले में चीन सबसे आगे रहा जहाँ 420,144 पेटेंट दिए गये. जिसके पश्चात् अमेरिका का नंबर था जहाँ 318,829 पेटेंट दिए गये.

प्रतिवेदन में भारत से सम्बंधित बातें

  • पिछले कुछ वर्षों से भारत में पेटेंटों की संख्या बहुत तेज़ी से बढ़ रही है. 2017 में भी इनमें 50% का उछाल आया. 2017 में भारत में 12,387 पेटेंट दिए गये जबकि 2016 में 8,248.
  • पिछले वर्ष दिए गये पेटेंटों में 1,712 उन व्यक्तियों और प्रतिष्ठानों को दिए गये जो भारत में स्थित हैं जबकि 10,675 विदेशियों को दिए गये.
  • गत वर्ष पेटेंट देने के मामले में भारत का स्थान विश्व में 10वाँ रहा. परन्तु पिछले वर्ष की वैश्विक सूची के अंदर शीर्षस्थ 50 पेटेंट आवेदकों में कोई भारतीय कम्पनी अथवा विश्वविद्यालय का स्थान नहीं रहा.

WIPO के बारे में

  • विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) संयुक्त राष्ट्र की 17 विशेष एजेंसियों में से एक है.
  • इसकी स्थापना 1967 में रचनात्मक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए की गई थी ताकि दुनिया भर में बौद्धिक संपदा की सुरक्षा को बढ़ावा दिया जा सके.
  • इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है.
  • वर्तमान में 188 देश इस संगठन के सदस्य हैं.
  • इसके अन्दर 26 अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ आती हैं.
  • इससे कुछ ऐसे देश जुड़े हैं जो संगठन के सदस्य नहीं हैं – मार्शल द्वीप समूह, माइक्रोनेशिया के संघिकृत राज्य, नौरू, पलाऊ, सोलोमन द्वीप समूह, दक्षिण सूडान और तिमोर-लेस्ते.
  • फिलिस्तीन इसका पर्यवेक्षक सदस्य है.
  • भारत इस संगठन का एक सदस्य है और इस संगठन द्वारा बनाई गई कई संधियों में इसकी भागीदारी है.

GS Paper 2 Source: Economic Times

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Topic : Organisation for the Prohibition of Chemical Weapons (OPCW)

संदर्भ

भारत ने इस बात पर खेद प्रकट किया है कि रासायनिक हथियार संधि (OPCW) के संचालन की समीक्षा के लिए बुलाई गई सदस्य देशों की चौथी विशेष बैठक में सर्वसहमति से कोई प्रतिवेदन अंगीकृत नहीं किया गया. साथ ही भारत ने अपनी यह प्रतिबद्धता दुहराई है कि वह इस विषय में देशों को एकजुट करने और मतभेदों को दूर करने की दिशा में अपना काम जारी रखेगा.

समीक्षा की आवश्यकता क्यों?

  • रासायनिक हथियारों को नष्ट करने में कई बाधाएँ हैं जैसे नए-नए विषाक्त रसायनों की खोज, रासायनिक हथियारों को प्रयोग करने के मामले में प्रगति आदि.
  • एक बड़ा खतरा यह है रासायनिक हथियार एसे संगठनों द्वारा भी प्रयुक्त हो सकते हैं जो किसी देश की सरकार से जुड़े नहीं हों, जैसे – इस्लामिक स्टेट और अन्य आतंकवादी गुट. यह खतरा नित्य बढ़ता जा रहा है.
  • रासायनिक हथियारों को नष्ट करने की दिशा में सफलता तभी मिल सकती है जब वैश्विक सुरक्षा की बढ़ती हुई जटिलता को देखते हुए OPCW और सदस्य देश दोनों पहले से अधिक निगरानी रखे और इस विषय में प्रयास जारी रखे.
  • बहुत प्रयास करने के बावजूद विश्व के कई भागों से रासायनिक हथियार प्रयोग करने की घटनाओं में वृद्धि हुई है, जैसे – मलेशिया, इंग्लैंड, उत्तरी आयरलैंड, सीरिया और इराक में.

OPCW क्या है?

यह एक स्वतंत्र और स्वायत्त अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो संयुक्त राष्ट्र के तत्त्वाधान में काम करता है.

  • 1997 में एक रासायनिक हथियार संधि (Chemical Weapons Convention – CWC) हुई थी.
  • रासायनिक हथियार निषेध संगठन (OPCW) उसी संधि के प्रावधानों को क्रियान्वित करने के लिए गठित किया गया है.
  • रासायनिक हथियारों को समाप्त करने की दिशा में इसके द्वारा किए गये व्यापक कार्य के लिए 2013 में इस संगठन को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया.

उद्देश्य

रासायनिक हथियार संधि (Chemical Weapons Convention – CWC) में चार प्रमुख प्रावधान किये गये हैं –

  • सभी रासायनिक हथियारों को अंतर्राष्ट्रीय निगरानी में नष्ट किया जाए.
  • रासायनिक उद्योग पर नजर रखना जिससे कि फिर से रासायनिक हथियार न बनने लगें.
  • रासायनिक हथियार के खतरों से देशों को सहायता और सुरक्षा प्रदान करना.
  • संधि के प्रावधानों को लागू करने में सभी देशों का सहयोग लेना और रसायनों के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना.

रासायनिक हथियार संधि में किये गये निषेध

  • रासायनिक हथियारों का निर्माण करना, उत्पादन करना, अधिग्रहण करना, भंडारण करना.
  • रासायनिक हथियारों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष ढंग से स्थानांतरित करना.
  • रासायनिक हथियारों का सैन्य प्रयोग करना.
  • संधि द्वारा निषिद्ध गतिविधियों में अन्य देशों को लिप्त करना अथवा सहायता पहुँचाना अथवा प्रोत्साहित करना.
  • दंगा नियंत्रण में रासायनिक हथियारों का उपयोग करना.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : India Water Impact Summit 2018

संदर्भ

नई दिल्ली में इंडिया वाटर इम्पैक्ट त्रिदिवसीय शिखर सम्मेलन (5-7 दिसम्बर) आरम्भ हुआ जिसका आयोजन संयुक्त रूप से राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन तथा (NMCG) तथा गंगा नदी घाटी प्रबंधन एवं अध्ययन केंद्र (Centre for Ganga River Basin Management and Studies) के द्वारा दिया गया.

यह शिखर सम्मेलन क्या है?

  • यह एक वार्षिक आयोजन है जहाँ गंगा नदी घाटी के कायाकल्प से जुड़े हुए व्यक्ति जमा होते हैं तथा देश में चल रही जल से सम्बन्धित बड़ी-बड़ी समस्याओं के समाधान के लिए मॉडल बनाने के विषय में चर्चा एवं संवाद होता है.
  • इस वर्ष होने वाली चर्चा गंगा नदी घाटी के कायाकल्प पर केन्द्रित होगी.
  • इस शिखर सम्मेलन में कई देश के लोग आएँगे तथा भारत और विदेश में हुए तकनीकी नवाचारों, अनुसंधानों, नीतिगत ढांचों और वित्त-पोषण मॉडलों के बारे में चर्चा की जायेगी.
  • सम्मेलन में कई विषयों पर चर्चा होगी, जिनमें से कुछ हैं – डाटा संकलन (सेंसर, LIDAR, मॉडल आदि), हाइड्रोलजी, ई-प्रवाह, कृषि, अपशिष्ट जल आदि.

गंगा वित्तपोषण मंच

इस सम्मेलन में पहले गंगा वित्तपोषण मंच (Ganga Financing Forum) का अनावरण किया गया जिसमें कई संस्थान प्रतिभागिता करेंगे और आपसी ज्ञान और सूचना का आदान-प्रदान करेंगे. यह मंच ऐसे वित्तीय संस्थानों और निवेशकों को एक मंच पर लाएगा जो नमामि गंगे कार्यक्रमों में रूचि रखते हैं.


Prelims Vishesh

Global Carbon Project :-

  • ईस्ट एंगलिया विश्वविद्यालय तथा वैश्विक कार्बन के शोधकर्ताओं ने यह प्रतिवेदित किया है कि 2018 में पूरे विश्व में 37.1 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होगा जोकि अब तलक का सर्वाधिक है.
  • विदित हो कि कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में भारत का स्थान तीसरा है. इस मामले में इससे आगे चीन और अमेरिका हैं.
  • 2018 में कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन करने वाले अग्रणी 10 देश ये रहे – चीन, यू.एस., भारत, रूस, जापान, जर्मनी, ईरान, सऊदी अरब, दक्षिण कोरिया और कनाडा.

World Soil Day :-

  • 5 दिसम्बर, 2018 को संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा विश्व मृदा दिवस मनाया गया.
  • इस दिन खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र एवं मानव कल्याण में मिट्टी की गुणवत्ता के महत्त्व को उजागर किया जाता है.
  • इस बार की थीम थी – “मृदा प्रदूषण का समाधान बने”/‘Be the Solution to Soil Pollution’.

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