Sansar डेली करंट अफेयर्स, 06 February 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 06 February 2021


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Issues related to health.

Table of Contents

Topic : National Immunization Day

संदर्भ

वर्ष 2021 के राष्ट्रीय पोलियो प्रतिरक्षण अभियान का पूरे देश में प्रारम्भ किया गया. राष्ट्रीय प्रतिरक्षण दिवस (National Immunization Day: NID) जिसे सामान्यतया प्लस पोलियो प्रतिरक्षण कार्यक्रम के रूप में भी जाना जाता है,  भारत में वर्ष 1995 में प्रारम्भ किया गया था. इसे प्रत्येक वर्ष के शुरुआती महीनों में दो बार आयोजित किया जाता है. इन अभियानों में, 0-5 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को पोलियो ड्रॉप पिलाई जाती है. वर्तमान में, केवल टाइप-1 वाइल्ड पोलियो वायरस प्रचलन में है.

पोलियो क्या है?

  • बहुतृषा, जिसे अक्सर पोलियो या ‘पोलियोमेलाइटिस’ भी कहा जाता है, एक विषाणु जनित संक्रामक रोग है जो आमतौर पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति मे संक्रमित विष्ठा या खाने के माध्यम से फैलता है.
  • यह एक उग्र स्वरूप का बच्चों में होनेवाला रोग है, जिसमें मेरुरज्जु (spinal cord) के अष्टश्रृंग (anterior horn) तथा उसके अंदर स्थित धूसर वस्तु में अपभ्रंशन (degenaration) हो जाता है और इसके कारण चालकपक्षाघात (motor paralysis) हो जाता है.
  • इस रोग का औपसर्गिक कारण एक प्रकार का विषाणु (virus) होता है, जो कफ, मल, मूत्र, दूषित जल तथा खाद्य पदार्थों में विद्यमान रहता है; मक्खियों एवं वायु द्वारा एक स्थान में दूसरे स्थान पर प्रसारित होता है तथा दो से पाँच वर्ष की उम्र के बालकों को ही आक्रांत करता है.
  • लड़कियों से अधिक यह लड़कों में हुआ करता है तथा वसंत एवं ग्रीष्मऋतु में इसकी बहुलता हो जाती है.
  • जिन बालकों को कम अवस्था में ही टाँसिल का शल्यकर्म कराना पड़ जाता है उन्हें यह रोग होने की संभावना और अधिक होती है.

पोलियो वायरस के विरुद्ध उपलब्ध दो प्रकार के टीकाकरण

1. इनएक्टिवेटेड पोलियो टीका (IPV)

  • इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन या आईपीवी इंजेक्शन द्वारा दिया जाता है. इसमें वायरस के एक निष्क्रिय (मृत) रूप का उपयोग किया जाता है जिसमें पोलियो का कारण बनने की क्षमता नहीं होती है.
  • IPV मुख्य रूप से उन देशों में उपयोग किया जाता है जहां पर पोलियो वायरस पहले ही समाप्त हो चुका है.
  • चूँकि ओपीवी एक जीवित पोलियो वायरस से बना होता है इसलिए जीवित वायरस के टीके से पोलियो के खिलाफ सुरक्षा अत्यधिक प्रभावी होने के बावजूद प्रति वर्ष पोलियो के कुछ मामलों का कारण पोलियो ड्राप या ओरल पोलियो वैक्सीन होते थे.
  • अमेरिका में सन 2000 में निष्क्रिय पोलियो टीके (आईपीवी) का उपयोग शुरू हो गया. भारत ने नवंबर 2015 से ओरल पोलियो वैक्सीन या पोलियो ड्राप (ओपीवी) के साथ अपने नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में इंजेक्शन योग्य पोलियो टीका या इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन (आईपीवी) को भी पेश किया है.

2. ओरल पोलियो वैक्सीन

ओरल पोलियो वैक्सीन (Oral polio vaccine) (मुख द्वारा ग्रहण की जाने वाली वैक्सीन) में एक जीवित, क्षीण (कमजोर) वैक्सीन-वायरस होता है. जब एक बच्चे को टीका लगाया जाता है, तो कमजोर टीका-वायरस एक सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को प्रेरित करता है.

कुछ मामलों में, यह वैक्सीन-वायरस प्रतिकृति के दौरान आनुवंशिक रूप से बदल जाता है. इसे वैक्सीन-युत्पन्न पोलियो वायरस कहा जाता है. वर्ष 2014 में, पोलियो के शून्य मामले दर्ज होने के तीन वर्ष पश्चात भारत को पोलियो मुक्त घोषित किया गया था.  भारत से उन्मूलित किए जा चुके अन्य रोग: याज (yaws), गिनी कृमि, चेचक, मातृ और नवजात शिशु टेटनस.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

  • प्रमुखतया इसकी आवश्यकता इसलिये है क्योंकि पाकिस्तान और अफगानिस्तान में अभी भी पोलियो वायरस सक्रिय है. यह पोलियो वायरस इन देशों से आने वाले वयस्कों के जरिये सरलता से भारत में प्रवेश कर सकता है.
  • WHO के अनुसार, 2016 में पाकिस्तान ने 20 वन्य पोलियो वायरस के मामले दर्ज किये जबकि अफगानिस्तान में 13 मामले सामने आए थे. WHO ने यह भी कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों से वायरस फैलने का खतरा ज्यादा रहता है.
  • वर्तमान में अन्य देशों से पोलियो वायरस के विरुद्ध भारत का एकमात्र बचाव इसका सशक्त और सुस्पष्ट टीकाकरण कार्यक्रम है. नवजात शिशुओं के बीच टीकाकरण का अल्प अंतराल भी भारत में इस विषाणु के प्रवेश के लिये पर्याप्त हो सकता है.
  • इसके अतिरिक्त पोलियो वायरस के वापस आने का दूसरा खतरा स्वयं OPV है. इस वैक्सीन में दुर्बल लेकिन जीवित पोलियो वायरस का प्रयोग किया जाता है जो दुर्लभ मामलों में लकवाग्रस्त पोलियो (Paralytic Polio) का कारण बन सकता है.
  • चूँकि टीका-जनित वायरस प्रतिरक्षित (Immunized) बच्चों द्वारा उत्सर्जित किया जाता है इसलिये यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है. इससे टीका-व्युत्पन्न पोलियोवायरस (vaccine-derived poliovirus-VDPV) का खतरा बढ़ जाता है.
  • बाह्य कारणों से होने वाले वन्य पोलियो (Wild Polio) की तरह ही VPDV भी कम प्रतिरक्षित (Under-Immunised) बच्चो को प्रभावित कर सकता है.
  • इसी के चलते विश्व-भर में पोलियो का उन्मूलन करने के लिये ओपीवी को निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन (Inactivated Polio Vaccine-IPV) से प्रतिस्थापित करना अनिवार्य है.

GS Paper 3 Source : Indian Express

UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization of resources, growth, development and employment.

Topic : Limited Liability Partnership –LLP

संदर्भ

कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs-MCA) द्वारा क़ानून का पालन करने वाली सीमित दायित्‍व भागीदारी (Limited Liability Partnership –LLP)  के लिए व्यापार में सुगमता के लिए सीमित दायित्व भागीदारी (LLP) अधिनियम, 2008 के अंतर्गत आपराधिक दायित्व संबंधी एक प्रावधान को रद्द करने के साथ-साथ 12 अपराधों को गैर-अपराध घोषित करने की योजना बनाई जा रही है.

LLP क्या है?

  • देश में कंपनियों के रजिस्ट्रेशन के कई तरीके हैं. इनमें से ही एक है LLP फर्म. इस तरह की फर्म के नाम के अंत में LLP लिखा रहता है.
  • . कंपनी के रजिस्ट्रेशन की यह प्रक्रिया बहुत आसान है और इसमें खर्च भी बहुत कम आता है.
  • LLP एक अलग कानूनी इकाई है. यह व्यक्तिगत पार्टनर से अलग है.
  • कंपनी के रजिस्ट्रेशन के एग्रीमेंट के हिसाब से हर पार्टनर की जिम्मेदारी सीमित है. इसकी वजह यह है कि नियमित partnership फर्म में असीमित जिम्मेदारी होती है, जबकि इसमें शेयर होल्डिंग के हिसाब से ही जिम्मेदारी होती है.
  • LLP के तहत रजिस्टर की जाने वाली कंपनी पर सरकार के कुछ प्रतिबंध लागू होते हैं. इसके साथ ही कंप्लायंस संबंधी कुछ मसले भी हैं. यह आम पार्टनरशिप फर्म की तुलना में अधिक कड़े हैं.

संरचना

प्रत्‍येक एलएलपी में कम से कम दो भागीदार होंगे और इसमें कम से कम दो व्‍यक्ति नाम-निर्दिष्‍ट भागीदार के रूप में होंगे, जिसमें से कम से कम एक भारत का निवासी होगा और सभी भागीदार, ‘सीमित दायित्व भागीदारी’ के प्रतिनिधि होंगे.

LLP बनाम पारंपरिक भागीदारी फर्म

  • “पारंपरिक भागीदारी फर्म” (Traditional Partnership Firm) के तहत प्रत्येक भागीदार अन्य सभी भागीदारों के साथ संयुक्त रूप से तथा व्यक्तिगत रूप से फर्म के सभी कार्यों के लिये उत्तरदायी होता है.
  • LLP संरचना के तहत भागीदार की जवाबदेहिता उसके द्वारा स्वीकृत योगदान तक सीमित है. इस प्रकार प्रत्येक भागीदार व्यक्तिगत रूप से अन्य भागीदारों के गलत कृत्यों या दुराचार के मामले में संयुक्त जवाबदेहिता से परिरक्षित हैं.

कंपनी बनाम LLP

  • किसी कंपनी की आंतरिक प्रशासनिक संरचना को कानून (कंपनी अधिनियम, 2013) द्वारा विनियमित किया जाता है जबकि LLP में आतंरिक प्रशासन भागीदारों के बीच एक संविदात्मक समझौते द्वारा तय होता है.
  • LLP में कंपनी की तरह प्रबंधन-स्वामित्व का विभाजन नहीं होता है.
  • LLP में तुलनात्मक रूप से कंपनी से अधिक लचीलापन होता है.
  • कंपनी की तुलना में LLP के लिये अनुपालन आवश्यकताएँ कम होती हैं.

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

कंपनी फ्रेश स्टार्ट स्कीम, 2020

कोविड-19 के मद्देनजर कानून का पालन करने वाली कंपनियों और सीमित दायित्‍व भागीदारी (Limited Liability Partnership –LLP) को राहत प्रदान करने के लिए भारत सरकार के प्रयासों के तहत कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) ने ‘कंपनी फ्रेश स्टार्ट स्कीम, 2020′ की शुरुआत की है.


GS Paper 3 Source : Indian Express

UPSC Syllabus : Government Budgeting.

Topic : Budget 2021-22 for Startups

संदर्भ

हाल ही में निर्गत बजट 2021-22 में भारत में स्टार्ट-अप को प्रोत्साहन देने के लिए अनेक कदम उठाने का जिक्र किया गया है.

मुख्य बिंदु

  • वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में स्टार्ट-अप को प्रोत्साहन देने के लिए महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं.
  • इन कदमों से देश में स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिलेगा.

वन पर्सन कंपनियों (ओपीसी) के लिए प्रावधान

  • वन पर्सन कंपनियों (One Person Companies -OPCs) अर्थात् एक व्यक्ति वाली कंपनी को प्रोत्साहित करने के लिए बजट 2021-22 में अनेक कदम उठाए गए हैं. इससे देश में स्टार्टअपों और इनोवेटर्स को प्रत्यक्ष रूप से लाभ प्राप्त होगा.
  • ओपीसी कंपनियों को प्रोत्साहन देने हेतु कंपनी (निगमन) नियम [Companies (Incorporation) Rules] में संशोधन किया जा रहा है. इसके अंतर्गत ओपीसी के लिए चुकता पूँजी और टर्नओवर की बाध्यता हटा दी गई है.
  • भारत में निवासी माने जाने वाले अनिवासी भारतीयों हेतु निवास की अनिवार्यता को भी 182 दिनों से घटाकर 120 दिन कर दिया गया है. इससे विदेश में रहने वाले कई भारतीयों को भारत में कारोबार स्थापित करने में सहायता मिलेगी.
  • इसके अतिरिक्त, अनिवासी भारतीयों (NRI) को भी भारत में OPC खोलने की अनुमति दी गई है. विदित हो कि आज तक NRI को ओपीसी खोलने की अनुमति नहीं थी. अब कोई भी व्यक्ति, जो एक भारतीय नागरिक है, चाहे वह भारत में निवासी हो या अनिवासी हो उसे ओपीसी बनाने की अनुमति होगी. ओपीसी के संबंध में नए संशोधन 1 अप्रैल, 2021 से प्रभावी होंगे.
  • ओपीसी कंपनियों को किसी भी समय दूसरी प्रकार की कंपनियों में परिवर्तित करने की भी छूट मिलेगी. ओपीसी कंपनी को सरकारी या निजी कंपनी में बदलने के लिए अभी तक 2 वर्ष काम करने का प्रावधान था. जिसे अब समाप्त कर दिया गया है. अब कोई भी ओपीसी कंपनी कभी भी अपने को सरकारी या निजी कंपनी में परिवर्तित कर सकेगी. इस कदम से स्टार्टअप के लिए व्यापार करना सरल हो जाएगा और उनके व्यापार बढ़ाने में पर्याप्त रूप से मदद मिलेगी.
  • इसी प्रकार, चुकता पूँजी (Paid up capital) और टर्नओवर की सीमा को समाप्त कर दिया गया है. आज की तिथि में ओपीसी के लिए 50 लाख रुपये की चुकता पूँजी और दो करोड़ रुपये के औसत वार्षिक टर्नओवर का प्रावधान है.

टैक्स से सम्बंधित छूट

  • आयकर अधिनियम की धारा 80-आईएसी के वर्तमान प्रावधानों के अनुसार कोई भी स्टार्ट-अप अपने काम करने के दस वर्षों में से तीन साल के लिए मुनाफे और लाभ पर आयकर छूट ले सकता है. इसके अंतर्गत स्टार्ट-अप का 1 अप्रैल, 2016 से 1 अप्रैल, 2021 के मध्य गठन होना चाहिए. बजट में इस सुविधा को 31 मार्च, 2022 तक के लिए बढ़ा दिया गया है.
  • ठीक इसी प्रकार धारा-54जीबी के अंतर्गत लंबी अवधि वाली संपत्तियों पर मिलने कैपिटल गेन (capital gain) पर कर छूट को 31 मार्च, 2022 तक आगे बढ़ा दिया गया है. अभी यह सुविधा 31 मार्च, 2021 तक ही उपलब्ध थी.

क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम

  • स्टार्ट-अप गेतु क्रेडिट गारंटी फंड योजना (Credit Guarantee Fund for Startups-CGFFS) को बनाने पर भारत सरकार विचार कर रही है.
  • स्टार्ट-अप के लिए क्रेडिट गारंटी निधि का उद्देश्य कर्ज से सम्बंधित आवश्यकताओं के लिए एक तय सीमा तक कर्ज की गारंटी प्रदान करना है.
  • योग्य स्टार्टअपों को क्रेडिट गारंटी देने हेतु मेंबर लेंडिंग इंस्टीट्यूशन (Member Lending Institutions) को भी सम्मिलित कर लिया गया है.
  • स्टार्ट-अप के लिए क्रेडिट गारंटी फंड की स्थापना 2000 करोड़ रुपये के कोष के साथ की जाएगी. इसका लाभ डीआईपीपी से मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप ले सकेंगे जिन्हें बैंकों, NBFC, और AIF से 10 करोड़ रुपये तक के कर्ज की गारंटी प्राप्त होगी.
  • क्रेडिट गारंटी फंड योजना का प्रबंधन नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (एनसीजीटीसी) द्वारा किया जाएगा जो कि क्रेडिट गारंटी फंड के ट्रस्टी के रूप में कार्य करेगा. इसके माध्यम से लगभग 3000 स्टार्टअपों को 15000 करोड़ रुपये की क्रेडिट गारंटी प्रदान की जाएगी. इसके अंतर्गत औसतन प्रति स्टार्ट-अप को 5 करोड़ रुपये की कर्ज गारंटी दी जायेगी.
  • क्रेडिट गारंटी फंड योजना के अंतर्गत कर्ज पर दी जाने वाली गारंटी से आशा है कि वित्तीय संस्थाएं स्टार्ट-अप को कर्ज देने हेतु उत्साहित होंगी जिससे स्टार्टअप के लिए पूँजी की उपलब्धता में बढ़ोतरी होने की संभावना है.

स्टार्ट-अप इंडिया सीड फंड स्कीम (एसआईएसएफएस)

  • केंद्र सरकार ने स्टार्ट-अप इंडिया सीड फंड योजना को स्वीकृति दी है.
  • इस योजना की अवधारणा यह है कि प्रोटोटाइप विकास, उत्पाद परीक्षण, बाजार में प्रवेश और व्यवसायीकरण के प्रमाण के लिए स्टार्टअप को वित्तीय सहायता दी जाए. इसके लिए 945 करोड़ की पूँजी सहायता स्टार्ट-अप को प्रदान की जाएगी जो वित्त वर्ष 2021-22 से चार वर्षों के लिए लागू होगी.
  • यह योजना सभी क्षेत्र के स्टार्ट-अप और इनक्यूबेटर हेतु होगी.
  • इस योजना के अंतर्गत चयनित किए गए इनक्यूबेटर को 5 करोड़ रुपये का अनुदान प्रदान किया जाएगा जिसे तीन या उससे अधिक की किस्तों में दिया जाएगा.

लाभ

  • उक्त प्रावधान देश में स्टार्ट-अप के विकास में सहायता करेंगे.
  • भारत में विशाल संख्या में महिलाएँ और पुरुष स्टार्ट अप का गठन कर रहे हैं. मेट्रो शहरों के अतिरिक्त, स्टार्ट-अप भारत के टियर-2 और टियर-3 शहरों में उभर रहे हैं. उपरोक्त घोषणाओं से उन्हें अधिक से अधिक लाभ होगा.
  • देश में नवाचार और उद्यमिता को प्र्तोसहन मिलेगाजिससे दीर्घकालिक विकास और समावेशी लक्ष्यों को पूर्ण किया जा सकेगा.

GS Paper 3 Source : The Hindu

UPSC Syllabus : Part of static series under the heading – “infrastructure : airports”

Topic : Around 10 Airports to be Privatised in Third Round, Loss-Making Ones to be Sold: Govt

संदर्भ

हवाई-अड्डों का निजीकरण सरकार ने घोषणा की है कि हवाई अड्डे के निजीकरण के तीसरे दौर में 10 हवाई अड्डों का निजीकरण किया जाएगा. ज्ञातव्य है कि सरकार, हवाईअड्डों के निजीकरण के पहले और दसरे दौर में 12 हवाईअड्डों के निजीकरण को मंजूरी दे चुकी है. इनमे से 6 हवाई अड्डे (अहमदाबाद, मंगलुरु, तिरुवनंतपुरम, लखनऊ, जयपुर और गुवाहाटी) अडाणी इंटरप्राइजेज लिमिटेड को मिले हैं. भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, अब घाटे में चल रहे हवाईअड्डों के साथ-साथ लाभदायक हवाईअड्डों को बेचने की संभावना पर विचार कर रहा है.

पृष्ठभूमि

सरकार ने करीब एक दशक पहले ही, AAI के दिल्‍ली और मुंबई हवाई अड्डों को सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत परिचालन, प्रबंधन और विकास के लिए पढ़ पर दे दिया था. इस सार्वजनिक और निजी भागीदारी के प्रयोग ने विश्व स्तर के हवाईअड्डे विकसित करने के साथ ही इन हवाई अड्डों पर विमान यात्रियों के लिए गणवत्ता यक्त विश्वस्तरीय सविधाएं प्रदान करने में मदद की. वहीं इसने एएआई को देश के अन्य हिस्सों में हवाई अड्डों का विकास करने और हवाई यातायात अवसंरचना विकसित करने के साथ ही अपनी आय बढ़ाने में भी मदद की है. सार्वजनिक निजी भागीदारी से विकसित देश के हवाई अड्डों ने हवाई अड्डा सेवा गुणवत्ता (एएसक्यू) के रूप में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा परिषद (एसीआई) द्वारा अपनी संबंधित श्रेणियों में शीर्ष पांच हवाई अड्डों में स्थान हासिल किया है. ज्ञातव्य है कि हाल ही में केन्द्र सरकार ने रेलवे में भी सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) बढ़ाने की शुरुआत की है. इसके अंतर्गत तेजस रेल, लखनऊ-दिल्ली एवं मुंबई-अहमदाबाद के बीच चलाई जा रही है. हालाँकि पर्यप्ति यात्री न मिलने के कारण इन ट्रेनों को नवंबर 2020 में रद्द कर दिया गया था.

प्रभाव

  • सरकार के अनुसार, इस कदम से भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) को प्रति वर्ष निश्चित राशि प्राप्त होती रहेगी. इस राशि का उपयोग अन्य छोटे नगरों में हवाईअड्डों के विकास में किया जा सकेगा.
  • साथ ही इससे सार्वजनिक क्षेत्र में आवश्यक निवेश जुटाने के अलावा सेवा आपूर्ति, विशेषज्ञता, उद्यम और व्यावसायिक कौशल में दक्षता आएगी.

GS Paper 3 Source : The Hindu

UPSC Syllabus : e-technology in the aid of farmers.

Topic : NATIONAL AGRICULTURE MARKET

संदर्भ

अब तक 1.69 करोड़ से अधिक किसानों और 1.55 लाख व्यापारियों ने राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM) मंच पर पंजीकरण किया जा चुका है.

पृष्ठभूमि

राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) मंच की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने हाल ही में तीन नई सुविधाओं को शुरुआत किया था. ये सुविधाएँ हैं – (i) ई-नाम में गोदामों से व्यापार की सुविधा के लिए वेयरहाउस आधारित ट्रेडिंग मॉड्यूल (ii) एफपीओ का ट्रेडिंग मॉड्यूल, जहां एफपीओ अपने संग्रह से उत्पाद को लाए बिना व्यापार कर सकते हैं (iii) इस जंक्शन पर अंतर-मंडी तथा अंतरराज्यीय व्यापार की सुविधा के साथ लॉजिस्टिक मॉड्यूल का नया संस्करण, जिससे पौने चार लाख ट्रक जुड़े रहेंगे. 

E-NAM क्या है?

e-NAM (राष्ट्रीय कृषि बाजार) कृषि उत्पादों के लिए एक ऑनलाइन वाणिज्य मंच है जिसका उद्देश्य किसानों, व्यापारियों और क्रेताओं को ऑनलाइन वाणिज्य सुविधा प्रदान करना और बाजार की ऐसी सुचारू व्यवस्था देना है जिसमें कृषि उत्पादों के लिए बेहतर दाम मिल सकें.

e-NAM का अनावरण भारत सरकारने 2015 में किया था और क्रमबद्ध रूप से विस्तार होते-होते दिसम्बर 31, 2019 तक इसका विस्तार देश की 585 मंडियों तक हो गया.

E-NAM के लाभ

  • इससे किसानों को कृषि उत्पादों की विक्री के लिए एक से अधिक विकल्प मिल जाते हैं.
  • किसान की पहुँच सीधे गोदाम तक हो जाती है जिससे उसे मंडी तक उत्पाद पहुँचाने के लिए परिवहन की व्यवस्था नहीं करनी पड़ती है.
  • मंडी और बाजार के स्थानीय व्यापारियों को e-NAM के माध्यम से द्वितीयक वाणिज्य के लिए एक अधिक बड़े राष्ट्रीय बाजार तक पहुँच प्राप्त हो जाती है.
  • e-NAM मंच के माध्यम से थोक विक्रेताओं, प्रसंस्कर्ताओं, निर्यातकों आदि को स्थानीय मंडी/बाजार में प्रत्यक्ष प्रतिभागिता करने का अवसर मिल जाता है जिस कारण बिचौलियों का खर्च घट जाता है.
  • भविष्य में धीरे-धीरे NAM के अन्दर पूरे देश की सभी बड़ी मंडियाँ आ जाएंगी जिसके फलस्वरूप लाइसेंस देने, शुल्क लगाने और उत्पादों को इधर-उधर ले जाने की प्रक्रियाएँ समरूप हो जाएँगी.
  • NAM से प्रमुख कृषि वस्तुओं के लिए एक वैल्यू चैन देश-भर में उभर कर सामने आ सकता है और साथ ही वैज्ञानिक ढंग से वस्तुओं के भंडारण और परिवहन को बढ़ावा भी मिल सकता है.

E-NAM आवश्यक क्यों है?

  1. वर्तमान में देश कई बाजार क्षेत्रों में बंटा हुआ है.
  2. कृषि विपणन से सम्बंधित अवसंरचनाओं की गुणवत्ता अच्छी नहीं है और तकनीक का प्रयोग भी कम होता है.
  3. पारम्परिक मंडी प्रणाली में किसानों को अपनी फसल के लिए बहुत कम दाम मिल पाता है क्योंकि उनको बाजार में कई बिचौलियों से होकर पहुंचना पड़ता है. इससे उत्पाद की लागत बढ़ जाती है.
  4. वर्तमान प्रणाली में किसान को अनेक प्रकार के करों, लेवियों और लाइसेंसों की समस्या से दो-चार होना पड़ता है.

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

जैविक मूल्‍य श्रृंखला विकास मिशन (MOVCDNER)

पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के लिये जैविक मूल्‍य श्रृंखला विकास मिशन (MOVCDNER) को देश के पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में जैविक खेती की क्षमता को पहचान कर केंद्रीय क्षेत्र योजना के तौर पर शुरू किया गया है और पूर्वोत्‍तर को भारत के जैविक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है.


Prelims Vishesh

Three-language formula :-

  • गृह मंत्रालय ने कहा है कि त्रि-भाषा नीति केंद्र सरकार के कार्यालयों पर लागू नहीं होती है.
  • त्रि-भाषा फोर्मुले के अंतर्गत प्रत्येक राज्य में क्षेत्रीय भाषा के अतिरिक्त हिंदी और अंग्रेजी की पढ़ाई का प्रावधान है. यह फार्मूला सबसे पहली बार 1968 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) में रूपांकित हुआ था. इस नीति के अनुसार क्षेत्रीय भाषाएँ प्राथमिक और माध्यमिक पढ़ाई के स्तर पर शिक्षा का माध्यम पहले से ही हैं, परन्तु राज्य सरकारों को चाहिए कि माध्यमिक पढ़ाई के स्तर पर त्रि-भाषा फोर्मुले को लागू करें. वांछनीय यह होगा कि उत्तर भारतीय राज्यों को दक्षिण की एक भाषा और अंग्रेजी और हिंदी पढ़ाई जाए. इसी प्रकार जहाँ हिंदी नहीं बोली जाती है, उन राज्यों में क्षेत्रीय भाषा और अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी भी पढ़ाई जाए.
  • पहली भाषा: यह मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा होगी.
  • दूसरी भाषा: हिंदी भाषी राज्यों में यह अन्य आधुनिक भारतीय भाषा या अंग्रेज़ी होगी। गैर-हिंदी भाषी राज्यों में यह हिंदी या अंग्रेज़ी होगी.
  • तीसरी भाषा: हिंदी भाषी राज्यों में यह अंग्रेज़ी या एक आधुनिक भारतीय भाषा होगी। गैर-हिंदी भाषी राज्य में यह अंग्रेज़ी या एक आधुनिक भारतीय भाषा होगी.

Comprehensive and Progressive Agreement for Trans-Pacific Partnership: CPTPP :-

  • ब्रिटेन ने घोषणा की है कि वह यूरोपीय संघ का त्याग करने के बाद एशिया-प्रशांत क्षेत्र के साथ व्यापार-संबंधों को गहन करने के लिए CPTPP की सदस्यता के लिए आवेदन करेगा.
  • CTPP वस्तुत: 11 देशों -ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई दारुस्सलाम, कनाडा, चिली, जापान, मलेशिया, मैक्सिको, पेरू, न्यूजीलैंड, सिंगापुर और वियतनाम के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है.
  • ज्ञातव्य है कि CPTPP पर वर्ष 2018 में हस्ताक्षर किए गए थे.
  • विश्व की कुल अर्थव्यवस्था के 15% से ज्यादा का प्रतिनिधित्व करने वाले इन देशों ने समझौते की अभिपुष्टि के उपरांत सीमा पार व्यापार पर प्रशुल्क को 98% तक कम किए जाने पर सहमति जताई है.

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