Sansar Daily Current Affairs, 06 June 2019
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Rule 49MA
संदर्भ
भारतीय निर्वाचन आयोग ने संकेत दिया है कि वह चुनाव संचालन नियमों के अंतर्गत नियम 49MA (Rule 49MA) का उन मामलों में उपयोग करने पर विचार कर सकता है जिनमें इलेक्ट्रॉनिक मतदान मशीन अथवा VVPAT मशीन के विरुद्ध झूठी शिकायत की जाती है.
पृष्ठभूमि
पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय में याचिका डाली गई थी जिसमें अनुरोध किया गया था कि EVM और VVPAT के विरुद्ध की गई शिकायत के झूठे सिद्ध हो जाने पर शिकायतकर्ता पर कानूनी कार्रवाई के प्रावधान को समाप्त किया जाए. इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय निर्वाचन आयोग को अपना पक्ष रखने को कहा था.
नियम 49MA क्या है?
- नियम के तहत, अगर कोई मतदाता अपना वोट दर्ज करने के बाद यह आरोप लगाता है कि VVPAT द्वारा बनाई गई पेपर स्लिप में उस उम्मीदवार के नाम या प्रतीक को दिखाया है जिसको उसने वोट दिया ही नहीं था तो पीठासीन अधिकारी निर्वाचक को आरोप गलत साबित होने के परिणामों के विषय में चेतावनी देगा और उमीदवार से इस सम्बन्ध में एक लिखित घोषणा-पत्र प्राप्त करेगा.
- नियमों की रूपरेखा है कि अगर जांच के बाद, ईवीएम की खराबी के आरोप को गलत या गलत पाया जाता है, तो शिकायतकर्ता पर “गलत जानकारी प्रस्तुत करने” के लिए भारतीय दंड संहिता कीधारा 177 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है.
- ऐसे मामले में छह महीने की जेल या 1,000 रुपये का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है.
नियम 49MA (Rule 49MA) को रद्द करने के लिए याचिका में क्या तर्क दिया गया?
- याचिका में कहा गया है कि चुनाव कराने सम्बन्धी नियम 49MA असंवैधानिक है क्योंकि यह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और VVPAT में गड़बड़ी की शिकायत को अपराध बनाता है.
- याचिका में कहा गया कि ईवीएम और वीवीपैट के सही तरीके से काम नहीं करने के आरोप साबित करने की जिम्मेदारी मतदाता पर डालने सम्बन्धी प्रावधान संविधान में प्रदत्त अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का अतिक्रमण है.
- याचिका के अनुसार EVM और VVPAT के ठीक से काम नहीं करने सम्बन्धी किसी भी शिकायत के मामले में मतदाता को दो मत देने होते हैं – पहला गोपनीय तरीके से और दूसरा प्रत्याशियों या चुनाव एजेंट की उपस्थिति में. इस तरह से बाद में दूसरे लोगों की उपस्थिति में किया गया मतदान इन उपकरणों के ठीक से काम नहीं करने या गोपनीय मतदान से इतर नतीजा सबूत बन जाता है.
- याचिका में तर्क दिया गया कि EVM और VVPAT के ठीक से काम नहीं करने के मामले में मतदाता को जवाबदेह बनाने की वजह से वे किसी भी प्रकार की शिकायत करने से बचेंगे जबकि यह चुनाव प्रक्रिया के लिए जरुरी है. इस प्रावधान से संविधान के अनुच्छेद 20 (3) का भी उल्लंघन होता है जिसमें कहा गया है कि किसी अपराध के लिए अभियुक्त किसी व्यक्ति को स्वयं अपने विरुद्ध साक्षी होने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Competition Commission of India
संदर्भ
पिछले दिनों भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने कुछ ऐसी औषधि कंपनियों एवं व्यापार संघों पर दंड लगाया है जिन्होंने प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के प्रावधानों का उल्लंघन किया है.
CCI क्या है?
- प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के तहत भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की स्थापना मार्च, 2009 में हुई थी.
- यह एक वैधानिक निकाय है जिसका दायित्व प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के प्रावधानों को पूरे भारत में लागू करना है तथा प्रतिस्पर्धा पर बुरा प्रभाव डालने वाली गतिविधियों को रोकना है.
- इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है.
- प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 (अधिनियम) की धारा 8 (1) के अनुसार आयोग में केवल एक अध्यक्ष होगा और सदस्यों की संख्या कम से कम दो होगी और अधिक से अधिक छह होगी.
कार्य
आयोग के निम्नलिखित कार्य हैं :-
- व्यापार से सम्बंधित प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव करने वाले कारकों को रोकना.
- बाजारों में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना और बनाए रखना.
- उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना.
- व्यापार की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना.
- यह आयोग किसी वैधानिक प्राधिकरण के द्वारा भेजे गये प्रतिस्पर्धात्मक मामलों पर अपना परामर्श भी देता है.
- यह प्रतिस्पर्धा से जुड़े मामलों के विषय में जन-जागरूकता सृजित करता है और प्रशिक्षण प्रदान करता है.
प्रतिस्पर्धा अधिनियम
2002 का मूल प्रतिस्पर्धा अधिनियम और उसका 2007 में संशोधन अधिनियम प्रतिस्पर्धा विरोधी समझौतों का प्रतिषेध करता है, प्रतिष्ठानों द्वारा अपनी प्रबल स्थिति के दुरूपयोग पर रोक लगाता है तथा भारत के अंदर प्रतिस्पर्धा पर विपरीत प्रभाव डालने वाली गतिविधियों, यथा – अधिग्रहण, नियंत्रण हाथ में लेना आदि को नियंत्रित करता है.
हाल ही में भारत सरकार ने प्रतिस्पर्धा अधिनियम की समीक्षा के लिए एक प्रतिस्पर्धा कानून समीक्षा समिति (Competition Law Review Committee) बनाई है जो यह देखेगी कि प्रतिस्पर्धा कानून आर्थिक मूलभूत सिद्धांतों के अनुरूप है अथवा नहीं.
GS Paper 2 Source: Indian Express
Topic : Why US wants social media details of most visa applicants?
संदर्भ
अमेरिका ने अपने वीजा आवेदन प्रपत्र में कुछ ऐसे परिवर्तन किये हैं जिनके कारण अब लगभग सभी आवेदकों को अपना सोशल मीडिया यूजरनेम, ईमेल पता और पिछले पाँच वर्षों के फ़ोन नम्बरों की जानकारी देनी होगी.
ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि वहाँ की सरकार चाहती है कि अमेरिका में बसने अथवा यात्रा करने के लिए आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग बेहतर ढंग से की जाए.
प्रभाव
- अमेरिका की नई नीति से प्रत्येक वर्ष विश्व के कोने-कोने से अमेरिकी वीजा का आवेदन देने वाले लगभग 15 मिलियन आवेदक प्रभावित होंगे. विदित हो कि प्रत्येक वर्ष भारत के दस लाख गैर-आव्रजक एवं आव्रजक अमेरिकी वीजा दिया जाता है.
- सरकारी कर्मचारियों और कूटनीतिज्ञों को अतिरिक्त सूचना देने से छूट दी गई है.
- समालोचकों का कहना है कि नए नियमों के चलते अनेकानेक वीजा आवेदक वीजा के लिए आवेदन देने से कतरायेंगे.
ये संशोधन क्यों?
- इन संशोधनों का उद्देश्य एक ओर जहाँ अमेरिकी नागरिकों को सुरक्षा देना है तो वहीं दूसरी ओर अमेरिका के अन्दर कानूनी रूप से प्रवेश अथवा यात्रा को समर्थन देना है.
- वीजा आवेदकों से अतिरिक्त सूचना लेने से आवेदकों की जाँच और उनकी पहचान की पुष्टि बेहतर ढंग से हो सकेगी.
कुछ लोग चिंतित क्यों?
- कुछ लोगों को चिंता है कि सोशल मीडिया से अमेरिकी सरकार को वीजा आवेदकों के चित्रों, लोकेशन, जन्मदिन, वर्षगाँठ, दोस्तों, रिश्तों और अनेक प्रकार के पर्सनल डाटा का पता लग जाएगा जोकि उनकी निजता का उल्लंघन होगा.
- शोध बताते हैं कि इस प्रकार की निगरानी रखने से लोगों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है अर्थात् वे स्वतंत्र रूप से बोलना बंद कर देते हैं और ऑनलाइन समूहों के अन्दर आपस में सम्पर्क पहले के जैसा नहीं करते हैं.
अन्य देशों में स्थिति क्या है?
2015 में शेनगन वीजा के लिए भारतीयों के लिए यह अनिवार्य कर दिया था कि वे अंगुली के चिन्हों से बायोमेट्रिक डाटा और डिजिटल फोटो दें. अमेरिका और ब्रिटेन में ऐसा प्रावधान पहले से ही है. वर्तमान में भारतीयों को ब्रिटेन और कनाडा जाने के लिए सोशल मीडिया की जानकारी नहीं देनी पड़ती है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Fiscal Performance Index (FPI) launched by CII
संदर्भ
केंद्र और राज्य सरकारों के बजट के मूल्यांकन के लिए Confederation of Indian Industry (CII) ने एक राजकोषीय प्रदर्शन सूचकांक (Fiscal Performance Index – FPI) का अनावरण किया है.
इस सूचकांक में जिन आर्थिक गतिविधियों का गुणात्मक मूल्यांकन किया गया, वे हैं – राजस्व व्यय, पूँजी व्यय, राजस्व, बुद्धिमत्तापूर्ण राजकोषीय व्यय तथा सार्वजनिक ऋण का स्तर.
मुख्य निष्कर्ष
- CII ने 2004-05 से लेकर 2016-17 तक के केन्द्रीय एवं राज्य बजटों का इस सूचकांक में विश्लेषण किया है.
- इस अध्ययन में पाया गया है कि यद्यपि वित्तीय वर्ष 13 और वित्तीय वर्ष 18 के बीच राजकोषीय घाटे में सुधार हुआ है तथापि बजटों का समग्र प्रदर्शन स्थिर रहा है और मात्र वित्तीय वर्ष 16 एवं वित्तीय वर्ष 17 में ही कुछ सुधार हुआ है.
- ऐसा मुख्य रूप से राजस्व, पूँजी व्यय एवं शुद्ध कर राजस्व में मॉडरेशन के चलते हुआ है.
- विश्लेषण से पता चलता है कि सभी राज्यों के बजटों में राजकोषीय घाटा के बिगड़ने के बावजूद कुल मिलाकर प्रदर्शन में सुधार हुआ है क्योंकि वहाँ राजस्व एवं पूँजी व्यय को नियंत्रण में रखा गया है.
- अध्ययन से ज्ञात होता है कि समग्र राजकोषीय नियंत्रण सूचकांक की दृष्टि से गुजरात, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे अपेक्षाकृत उच्च आय वाले राज्यों ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है क्योंकि अन्य राज्यों की तुलना में वहाँ व्यय और राजस्व का स्तर अच्छा नहीं रहा है.
- राजस्व एवं पूँजी व्यय के मामले में अच्छा प्रदर्शन कर के कुछ अन्य राज्यों ने राजकोषीय मोर्चे पर अच्छा काम किया है, जैसे – मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार.
FPI की आवश्कयता क्यों?
“राजकोषीय घाटा अनुपात सकल घरेलू उत्पाद” जैसे अकेले मानदंड से किसी बजट की गुणवत्ता का पता नहीं चलता है. इसलिए बजट की गुणवत्ता को मापने के लिए एक से अधिक संकेतकों का प्रयोग आवश्यक होता है, चाहे वह बजट केंद्र का हो अथवा किसी राज्य का.
CII के सुझाव
CII ने सुझाव दिया है कि सरकारों को चाहिए कि वे कर का आधार बढ़ाएँ, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं संपदाओं के संधारण में निवेश की वृद्धि करें तथा साथ ही अवसंरचना एवं सस्ते आवास में निवेश बढ़ाएँ. सरकारों को चाहिए कि वे सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को प्रोत्साहित करें और सरकारी लाभ को सीमित करते हुए पूँजी व्यय में वृद्धि करें.
Prelims Vishesh
Indian Navy Environment Conservation Roadmap (INECR) :-
- भारतीय नौसेना ने एक पर्यावरण-अनुकूल कार्यक्रम तैयार किया है जिसे भारतीय नौसेना पर्यावरण संरक्षण कार्ययोजना (INECR) का नाम दिया गया है.
- इस कार्ययोजना में मुख्य रूप से बिजली की खपत और बिजली आपूर्ति में विविधता लाने पर बल दिया गया है.
Ancient North Siberians :-
- पिछले दिनों वैज्ञानिकों ने एक ऐसे प्राचीन समुदाय का पता लगाया है जिनके बारे में पहले जानकारी नहीं थी. ये लोग गत हिम युग में पूर्वोत्तर साइबेरिया में रहा करते थे.
- वैज्ञानिकों ने इस समुदाय को प्राचीन उत्तरी साइबेरियाई समुदाय (Ancient North Siberians) का नाम दिया है.
- बताया जा रहा है कि यह समुदाय अमेरिका के आदिवासी वंश का खोया हुआ सूत्र है.
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