Sansar डेली करंट अफेयर्स, 06 March 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 06 March 2019


GS Paper  1 Source: PIB

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Topic : Swachh Bharat Grameen

संदर्भ

स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (SBM – G) की विश्‍व बैंक सहायता परियोजना के तहत एक स्‍वतंत्र सत्‍यापन एजेंसी (Independent Verification Agency – IVA) द्वारा आयोजित राष्‍ट्रीय वार्षिक ग्रामीण स्‍वच्‍छता सर्वेक्षण (National Annual Rural Sanitation Survey – NARSS) से पता चला है कि ग्रामीण भारत के जिन 96.5 प्रतिशत से भी अधिक परिवारों की शौचालय तक पहुंच है वे इसका उपयोग कर रहे हैं.

भूमिका

NARSS ने यह भी पुष्टि की कि गांवों की खुले में शौच से मुक्ति (ओडीएफ) की स्थिति 90.7 प्रतिशत है. इन गांवों की विभिन्‍न जिलों और राज्‍यों द्वारा खुले में शौच से मुक्‍त होने की पूर्व घोषणाओं का सत्‍यापन किया गया था. यह सर्वेक्षण नवम्‍बर 2018 और फरवरी 2019 के बीच आयोजित किया गया था. इसमें भारत के राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों के 6136 गांवों के 92040 परिवारों को सम्मिलित किया गया था.

NARSS 2018-19 के मुख्‍य निष्‍कर्ष

  • सर्वेक्षण अवधि के दौरान 93.1 परिवारों की शौचालयों तक पहुंच पाई गई (नवम्‍बर 2018 में एसबीएमजी एनआईएस के अनुसार समतुल्‍य आंकड़ा 96 प्रतिशत था).
  • जिन 96.5 प्रतिशत लोगों की शौचालय तक पहुंच है वे उसका उपयोग करते हैं. पहले ओडीएफ घोषित और सत्‍यापित 90.7 गांवों की ओडीएफ की पुष्टि हुई. शेष गांवों में भी स्‍वच्‍छता की कवरेज लगभग 93 प्रतिशत पाई गई.
  • 4 प्रतिशत गांवों के सर्वेक्षण में भी न्‍यूनतम कचरा और न्‍यूनतम जल ठहराव पाया गया.
  • स्‍वतंत्र सत्‍यापन एजेंसी (आईवीए) ने NARSS के निरीक्षण के लिए गठित विशेषज्ञ कार्यसमूह (ईडब्‍ल्‍यूजी) को अपने निष्‍कर्ष प्रस्‍तुत किए थे.
  • NARSS में विश्‍व बैंक, यूनिसेफ, वा‍टर ऐड, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, इंडिया सैनिटेशन कोअलिशन, जैसे संगठनों और नीति आयोग और सांख्यिकी तथा कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल हैं.
  • ईडब्‍ल्‍यूजी ने सर्वेक्षण के दूसरे दौर के समापन को संतोषजनक बताया इसके बाद आईवीए ने अपनी अनंतिम संक्षिप्‍त परिणाम रिपोर्ट और रॉ डाटा पेयजल और स्‍वच्छता मंत्रालय को प्रस्‍तुत किया.
  • इस सर्वेक्षण में इन गांवों के स्‍कूलों, आंगनवाडि़यों और सार्वजनिक/सामुदायिक शौचालयों को शामिल किया गया.

स्वच्छ भारत मिशन का माहात्म्य

अक्‍टूबर 2014 में शुरुआत होने के बाद से भी एसबीएम दुनिया का सबसे बड़ा स्‍वच्‍छता कार्यक्रम है. इसने शौचालय पहुंच और उसके उपयोग के बारे में करोड़ों लोगों के व्‍यवहार को बदल दिया है. इस कार्यक्रम के शुरू होने के बाद से 500 मिलियन लोगों ने खुले में शौच करना बंद कर दिया है. इस मिशन के तहत ग्रामीण भारत में 9 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया है. 30 ओडीएफ राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों के 615 जिलों के 5.5 लाख से अधिक गांवों को ओडीएफ घोषित किया गया है.


GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunication (SWIFT)

संदर्भ

विश्व-भर में बैंकों द्वारा विदेशी मुद्रा के हस्तांतरण में प्रयोग होने वाली SWIFT प्रणाली में वर्णित निर्देशों का पालन नहीं करने पर भारतीय रिज़र्व बैंक ने आधे दर्जन सार्वजनिक एवं निजी प्रक्षेत्र के बैंकों पर आर्थिक दंड लगाये हैं.

SWIFT क्या है?

  • SWIFT का पूरा नाम “Society for worldwide interbank financial telecommunication” है अर्थात् “विश्वव्यापी अंतरबैंक वित्तीय दूरसंचार सोसाइटी” है.
  • इसमें कोडों की एक मानकीकृत प्रणाली होती है जिसमें प्रत्येक वित्तीय संगठन के पास एक अनूठा कोड होता है जिसका व्यवहार वह भुगतान भेजने और लेने में करता है.
  • यह एक सहकारी संस्था है जिसमें विश्व के कई देश सदस्य हैं.
  • इसका मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में है.
  • इसकी स्थापना 1973 में 15 देशों के 239 बैंकों के एक समूह ने की थी.
  • इसका उद्देश्य एक सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक सन्देश सेवा (Secured Electronic Messaging Service) विकसित करना तथा सीमा-पार भुगातान की सुविधा के लिए सर्व-सामान्य मानक लागू करना है.
  • इसके माध्यम से प्रतिदिन लगभग 26 मिलियन वित्तीय संदेशों का आदान-प्रदान होता है. इसकी सन्देश सेवा का उपयोग करने के लिए ग्राहक को इससे जुड़ना होता है.
  • SWIFT India देश के शीर्षस्थ सार्वजनिक एवं निजी प्रक्षेत्र के बैंकों और SWIFT का एक संयुक्त उपक्रम है.
  • SWIFT India कंपनी को गठित करने के पीछे यह उद्देश्य था कि भारत के वित्तीय समुदाय को घरेलू वित्तीय सन्देश के आदान-प्रदान की उच्च कोटि की सेवा मिले.

कार्य

  • SWIFT भुगतान आदेश भेजता है, जिसके आधार पर सम्बंधित प्रतिष्ठान एक-दूसरे के खातों के माध्यम से आगे की कार्रवाई कर सकते हैं.
  • SWIFT केवल संदेशों का हस्तांतरण करता है न कि धनराशि का.
  • स्विफ्ट एक बैंक से दूसरे बैंक तक सन्देश ले जाता है. इस प्रकार यह एक सुरक्षित वित्तीय सन्देश वाहक है.
  • स्विफ्ट के द्वारा भेजा गया सन्देश सुरक्षित होता है क्योंकि इसके माध्यम से एक बैंक यदि दूसरे बैंक को संदेश देता है तो इस आदान-प्रदान की जानकारी किसी तीसरे बैंक को नहीं हो पाती है.

GS Paper  2 Source: Indian Express

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Topic : All about Form 26

संदर्भ

हाल ही में कानून मंत्रालय ने चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के लिए अपनी पिछले पाँच वर्षों के आयकर रिटर्न को दिखाना  तथा विदेश में उनकी सम्पत्तियों का विवरण देना अनिवार्य बना दिया है और इसके लिए प्रपत्र 26 (Form 26) में भारतीय निर्वाचन आयोग के निर्देश पर आवश्यक संशोधन कर दिया गया है.

प्रपत्र 26 क्या है?

प्रपत्र 26 वह प्रपत्र है जिसको प्रत्येक चुनाव प्रत्याशी को शपथपूर्वक भरना होता है. इस प्रपत्र में ये सूचनाएँ देनी होती हैं – प्रत्याशी की सम्पत्तियाँ, देनदारियाँ, शैक्षणिक योग्यता, आपराधिक इतिहास (चल रहे वादों एवं दी गई सजा के समेत और सार्वजनिक देनदारी). इसके लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के समय शपथ पत्र जमा करना होता है. यह शपथ पत्र किसी शपथ आयुक्त अथवा प्रथम श्रेणी के दंडाधिकारी अथवा नोटरी पब्लिक के समक्ष बनना आवश्यक है. फॉर्म 26 को इसलिए लागू किया था कि मतदाताओं को प्रत्याशियों के विषय में पूरी-पूरी सूचना हो.

यह कब लागू किया गया?

पहले फॉर्म 26 नहीं था. यह एक न्यायालय-आदेश के बाद लाया गया. ज्ञातव्य है कि विधि आयोग ने मई, 1999 में अपना 170वाँ प्रतिवेदन दिया था जिसमें राजनीति में अपराधियों को घुसने से रोकने के लिए कुछ उपाय सुझाए गये थे. इनमें से एक उपाय यह भी था कि नामांकन स्वीकृत होने के पहले सभी प्रत्याशी अपने अपराधिक इतिहास को प्रकट करें और साथ ही अपनी सम्पत्तियों का ब्यौरा दें.

इस बार क्या बदला?

पहले प्रत्याशी केवल पिछला आयकर रिटर्न (अपना पति/पत्नी का और उनपर निर्भर व्यक्तियों का) घोषित करता था. किन्तु पहले विदेशी संपत्तियों का विवरण नहीं माँगा जाता था. अब यह अनिवार्य हो गया है कि प्रत्याशी एक नहीं पाँच वर्षों का आयकर रिटर्न जमा करें और उसके पास जो भी विदेशी संपत्तियाँ हैं उनका भी विवरण दें चाहे वह स्वयं उसकी हों, अथवा उसके पति/पत्नी की हों अथवा अविभाजित हिन्दू परिवार के सदस्यों की हों (यदि प्रत्याशी उस परिवार का कर्ता हो). अब प्रत्याशी पर निर्भर व्यक्तियों की भी संपत्तियों का ब्यौरा देना आवश्यक कर दिया गया है.


GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : UN Security Council

संदर्भ

मार्च के महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की अध्यक्षता ग्रहण करने के उपरान्त फ्रांस ने भारत के साथ-साथ जर्मनी और जापान को परिषद् का स्थायी सदस्य बनाने के अपने समर्थन को दुहराया है.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद्

संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र के अनुसार शांति एवं सुरक्षा बहाल करने की प्राथमिक जिम्मेदारी सुरक्षा परिषद् की होती है. इसकी बैठक कभी भी बुलाई जा सकती है. इसके फैसले का अनुपालन करना सभी राज्यों के लिए अनिवार्य है. इसमें 15 सदस्य देश शामिल होते हैं जिनमें से पाँच सदस्य देश – चीन, फ्रांस, सोवियत संघ, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका – स्थायी सदस्य हैं. शेष दस सदस्य देशों का चुनाव महासभा में स्थायी सदस्यों द्वारा किया जाता है. चयनित सदस्य देशों का कार्यकाल 2 वर्षों का होता है.

ज्ञातव्य है कि कार्यप्रणाली से सम्बंधित प्रश्नों को छोड़कर प्रत्येक फैसले के लिए मतदान की आवश्यकता पड़ती है. अगर कोई भी स्थायी सदस्य अपना वोट देने से मना कर देता है तब इसे “वीटो” के नाम से जाना जाता है. परिषद् (Security Council) के समक्ष जब कभी किसी देश के अशांति और खतरे के मामले लाये जाते हैं तो अक्सर वह उस देश को पहले विविध पक्षों से शांतिपूर्ण हल ढूँढने हेतु प्रयास करने के लिए कहती है.

परिषद् मध्यस्थता का मार्ग भी चुनती है. वह स्थिति की छानबीन कर उस पर रपट भेजने के लिए महासचिव से आग्रह भी कर सकती है. लड़ाई छिड़ जाने पर परिषद् युद्ध विराम की कोशिश करती है.

वह अशांत क्षेत्र में तनाव कम करने एवं विरोधी सैनिक बलों को दूर रखने के लिए शांति सैनिकों की टुकड़ियाँ भी भेज सकती है. महासभा के विपरीत इसके फैसले बाध्यकारी होते हैं. आर्थिक प्रतिबंध लगाकर अथवा सामूहिक सैन्य कार्यवाही का आदेश देकर अपने फैसले को लागू करवाने का अधिकार भी इसे प्राप्त है. उदाहरणस्वरूप इसने ऐसा कोरियाई संकट (1950) तथा ईराक कुवैत संकट (1950-51) के दौरान किया था.

कार्य

  • विश्व में शांति एवं सुरक्षा बनाए रखना.
  • हथियारों की तस्करी को रोकना.
  • आक्रमणकर्ता राज्य के विरुद्ध सैन्य कार्यवाही करना.
  • आक्रमण को रोकने या बंद करने के लिए राज्यों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाना.

संरचना

सुरक्षा परिषद् (Security Council) के वर्तमान समय में 15 सदस्य देश हैं जिसमें 5 स्थायी और 10 अस्थायी हैं. वर्ष 1963 में चार्टर संशोधन किया गया और अस्थायी सदस्यों की संख्या 6 से बढ़ाकर 10 कर दी गई. अस्थायी सदस्य विश्व के विभिन्न भागों से लिए जाते हैं जिसके अनुपात निम्नलिखित हैं –

  • 5 सदस्य अफ्रीका, एशिया से
  • 2 सदस्य लैटिन अमेरिका से
  • 2 सदस्य पश्चिमी देशों से
  • 1 सदस्य पूर्वी यूरोप से

चार्टर के अनुच्छेद 27 में मतदान का प्रावधान दिया गया है. सुरक्षा परिषद् में “दोहरे वीटो का प्रावधान” है. पहले वीटो का प्रयोग सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य किसी मुद्दे को साधारण मामलों से अलग करने के लिए करते हैं. दूसरी बार वीटो का प्रयोग उस मुद्दे को रोकने के लिए किया जाता है.

परिषद् के अस्थायी सदस्य का निर्वाचन महासभा में उपस्थित और मतदान करने वाले दो-तिहाई सदस्यों द्वारा किया जाता है. विदित हो कि 191 में राष्ट्रवादी चीन (ताईवान) को स्थायी सदस्यता से निकालकर जनवादी चीन को स्थायी सदस्य बना दिया गया था.

इसकी बैठक वर्ष-भर चलती रहती है. सुरक्षा परिषद् में किसी भी कार्यवाही के लिए 9 सदस्यों की आवश्यकता होती है. किसी भी एक सदस्य की अनुपस्थिति में वीटो अधिकार का प्रयोग स्थायी सदस्यों द्वारा नहीं किया जा सकता.

स्थायी सदस्य बनने के लिए भारत के तर्क

  • भारत संयुक्त राष्ट्र संघ के संस्थापक सदस्यों में से एक था.
  • संयुक्त राष्ट्र के शान्ति रक्षण अभियानों में योगदान करने वाला भारत विश्व का दूसरा बड़ा देश है.
  • आज विश्व के विभिन्न कोनों में भारत के 8,500 से अधिक शान्ति-रक्षक तैनात हैं. यह संख्या संयुक्त राष्ट्र की पाँचों शक्तिशाली देशों के कुल योगदान से भी दुगुनी से अधिक है.
  • भारत बहुत दिनों से सुरक्षा परिषद् का विस्तार करने और उसमें स्थाई सदस्य के रूप में भारत के समावेश की माँग करता रहा है.
  • यह सुरक्षा परिषद् में सात बार सदस्य भी रहा है. इसके अतिरिक्त वह G77 और G4 का भी सदस्य है. इस प्रकार इसे सुरक्षा परिषद् में अवश्य शामिल होना चाहिए.

GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : World Air Quality Report 2018

संदर्भ

IQ एयर विजुअल और ग्रीन पीस संगठनों ने संयुक्त रूप से विश्व वायु गुणवत्ता प्रतिवेदन, 2018 प्रकाशित कर दिया है. ऐसे प्रतिवेदनों के माध्यम से वायु में सूक्ष्म पार्टिकुलेट पदार्थ 2.5 (PM 2.5) की विद्यमानता नापी जाती है और उसका दिन-प्रतिदिन का का रिकॉर्ड रखा जाता है.

प्रतिवेदन के मुख्य तथ्य

  • यह प्रतिवेदन 3,000 शहरों में किये गये अध्ययन पर आधारित है.
  • इसके अनुसार 64 प्रतिशत शहरों में PM 2.5 के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित वार्षिक एक्सपोज़र की सीमा का उल्लंघन हुआ है. केवल दक्षिण एशिया में ही 99% शहरों में 10 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर से अधिक का वार्षिक एक्सपोज़र पाया गया जोकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा निर्धारित मानक है.
  • जिन 10 शहरों में सर्वाधिक प्रदूषण है, उनमें 7 भारत में ही हैं. ऐसा एक शहर चीन में है और दो पाकिस्तान में हैं.
  • भारत का गुरुग्राम शहर 2018 में विश्व का सर्वाधिक प्रदूषित शहर रहा जिसके बाद गाजियाबाद, फरीदाबाद, नोएडा और भिवाड़ी का स्थान रहा.
  • प्रदूषण सारणी में दिल्ली का स्थान 11वाँ रहा.
  • संसार के सबसे अधिक प्रदूषित शीर्ष 30 शहरों में 22 शहर भारत में ही हैं. अन्य 5 शहर चीन में, 2 पाकिस्तान में और 1 बांग्लादेश में है.
  • सूची में शीर्षस्थ पाँच प्रदूषित शहरों में चार भारत के ही हैं और उसमें पाकिस्तान का फैसलाबाद भी है.
  • जहाँ तक राजधानियों की बात है, दिल्ली संसार की सबसे अधिक प्रदूषित राजधानी है. इसके बाद ढाका और काबुल का क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान है.
  • 2013 से चीन में प्रदूषण का स्तर 40% घट गया है. 2013 में बीजिंग सबसे अधिक प्रदूषित शहर था. अब 2018 में  उसका स्थान 122वाँ रह गया है.
  • दक्षिण एशिया की दृष्टि से देखें तो विश्व-भर के 20 अधिकतम प्रदूषित शहरों में 18 भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में हैं.
  • दक्षिण-पूर्व एशिया में सबसे अधिक प्रदूषित शहर जकार्ता और हनोई हैं.

वायु गुणवत्ता को सुधारने के उपाय

ग्रीनपीस संगठन ने सुझाव दिया है कि यदि भारत में वायु प्रदर्शन को सुधारना है तो उसके लिए निम्नलिखित कार्यों की अपेक्षा होगी.

  • सार्वजनिक परिवहन को सुधारना.
  • प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों में कमी लाना.
  • कम प्रदूषण करने वाले ईंधन का प्रयोग (भारत VI).
  • उत्सर्जन को रोकने के लिए कठोर नियम.
  • तापीय बिजलीघरों और उद्योगों की कार्यकुशलता को उन्न्त बनाना.
  • डीजल जनरेटर के स्थान पर छत पर लगाये जाने वाले सौर जनरेटर का प्रयोग बढ़ाना.
  • स्वच्छ अक्षय ऊर्जा का अधिक से अधिक प्रयोग.
  • बिजली वाहनों का प्रयोग.
  • सड़कों से धूल हटाना.
  • भवन निर्माण गतिविधियों को विनियमित करना.
  • पराली आदि के जलाने की प्रथा को रोकना.

GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : “Transport and Marketing Assistance” (TMA) for specified agriculture products scheme

संदर्भ

कृषि उत्पादों की अंतर्राष्ट्रीय माल-ढुलाई और विपणन में सहायता देने के लिए भारत सरकार ने एक विशेष योजना बनाई है जिसका नाम परिवहन एवं विपणन सहायता (Transport and Marketing Assistance scheme) योजना है.

योजना से सम्बंधित मुख्य तथ्य

  • यह योजना कुछ विशेष कृषि उत्पादों के लिए है.
  • इस योजना का लाभ उन निर्यातों को मिलेगा जो 1 मार्च 2019 से 31 मार्च 2019 तक क्रियान्वित होंगे.
  • इस योजना का लाभ उन सभी निर्यातकों को मिलेगा जो विदेश व्यापार नीति के अनुसार सम्बंधित निर्यात प्रोत्साहन परिषद् में विधिवत् पंजीकृत होंगे.
  • इस योजना के तहत दी गई सहायता अधिकांश कृषि उत्पादों के निर्यात पर मिलेगी, परन्तु कुछ अपवाद भी हैं. इन उत्पादों के लिए यह योजना नहीं है – जीवित पशु, जैव उद्गम के उत्पाद, दूध, मलाई, दही, मक्खन, छाछ, मट्ठा, चावल, गेहूँ, तम्बाकू और लहसुन.
  • जिन देशों में निर्यात करने के लिए यह योजना सहायक होगी, उनके लिए सरकार समय-समय पर नाम बताएगी.
  • इस योजना के अंतर्गत सहायता तभी अनुमान्य होगी जब निर्यात के लिए भुगतान सामान्य बैंकिंग प्रणाली के माध्यम से निःशुल्क विदेशी मुद्रा में किया जाएगा.
  • इस योजना के अंतर्गत उन्हीं निर्यातों को लाभ दिया जाएगा जिनका माल EDI अर्थात् इलेक्ट्रॉनिक डाटा इंटरचेंज वाले बंदरगाहों से होकर बाहर जाएगा.
  • समुद्र के अतिरिक्त हवाई मार्गों से आयात के लिए भी इस योजना के तहत माल-ढुलाई और विपणन के लिए सहायता दी जायेगी.

योजना का माहात्म्य

कृषि उत्पादों के निर्यात से सम्बंधित परिवहन की लागत बहुत ऊँची होती है जिससे देश के निर्यातकों को बहुत कष्ट होता है. इस योजना से उनके कष्ट का कुछ सीमा तक निराकरण होगा और विदेशी बाजारों में भारतीय कृषि उत्पादों को ब्रांड के रूप में स्थापित करने में उन्हें सहायता मिलेगी.


Prelims Vishesh

AL NAGAH 2019 :-

भारत और ओमान का तीसरा संयुक्त सैन्य अभ्यास – अल निगाह III – इस वर्ष ओमान के जाबेल-अल-अखदर पहाड़ों पर 12 से 25 मार्च तक आयोजित होने वाला है.

Institutions in News- NALSA :-

  • भारत के राष्ट्रपति ने हाल ही में न्यायाधीश एस.ए. बोबडे को NASLA का कार्यकारी अध्यक्ष नामांकित किया है.
  • NALSA का पूरा नाम National Legal Services Authority अर्थात् राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण है.
  • इस प्राधिकरण को 1987 में समाज के कमजोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सेवा उपलब्ध कराने के लिए गठित किया गया था.

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