Sansar Daily Current Affairs, 06 May 2019
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Zero pendency Court project
संदर्भ
जीरो पेंडेंसी कोर्ट्स प्रोजेक्ट दिल्ली उच्च न्यायालय की एक पायलट परियोजना है. इसका क्रियान्वयन दिल्ली के विभिन्न अधीनस्थ न्यायालयों में किया जा रहा है. इसके जरिये कई प्रकार के मामलों के लिए समय सीमा निर्धारण करने में तथा न्यायधीशों की संख्या निश्चित करने में सहयोग मिलेगा.
मुख्य तथ्य
- दिल्ली में सभी लंबित पड़े मामलों को एक वर्ष में क्लियर करने के लिए 43 अन्य न्यायधीशों की जरुरत है. विदित हो कि वर्तमान समय में दिल्ली में न्यायधीशों की मौजूदा संख्या 143 है.
- न्यायालय के फैसलों में हमेशा होने वाले विलम्ब की वजह से न्याय प्रणाली पर लोगों का विश्वास कम हो गया है. कभी-कभी तो लोगों को न्याय के लिए कई दशकों तक का इंतज़ार करना पड़ता है.
- पिछले वर्षों में मामले दायर किये जाने में काफी वृद्धि हुई है, जिससे लंबित पड़े मामलों में वृद्धि होना स्वाभाविक है. इसके समाधान के लिए उचित कदम उठाने की आवश्यकता है.
- न्यायिक मामलों में देरी के कारण भारत को प्रतिवर्ष सकल घरेलु उत्पाद (GDP) के 5% का नुकसान होता है.
- रिपोर्ट के मुताबिक गवाहों की गैर-हाज़री, वकीलों द्वारा अनावश्यक स्थगन की मांग, न्यायधीशों की कम संख्या, समन देने में देरी इत्यादि के कारण मामलों के निपटान में देरी होती है.
GS Paper 3 Source: BBC
Topic : UK Parliament declares climate change emergency
संदर्भ
ब्रिटेन की संसद ने राष्ट्रीय जलवायविक आपातकाल घोषित कर दिया है. इस प्रकार राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करने वाला ब्रिटेन पहला देश बन गया है. इस आशय का जो प्रस्ताव वहाँ के निचले सदन में उपस्थापित किया गया उसको बिना मतदान किये अनुमोदित कर दिया गया. उल्लेखनीय है कि यह आपातकाल न्यायिक रूप से बाध्यकारी नहीं होगा.
जलवायविक आपातकाल क्या है?
वैसे जलवायविक आपातकाल की कोई एक परिभाषा नहीं है, परन्तु इसका अभिप्राय यह है कि देश को 2030 तक कार्बन न्यूट्रल बना दिया जाए. वैसे ब्रिटेन की सरकार ने 2050 तक कार्बन उत्सर्जन में 80% (1990 के स्तर की तुलना में) कमी लाने का लक्ष्य बना रखा है. इस प्रकार यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय जलवायविक आपातकाल में संकल्पित लक्ष्य सरकारी लक्ष्य से बहुत आगे का है.
आपातकाल की घोषणा क्यों?
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि जलवायु परिवर्तन की विभीषिका से बचने के लिए अब मात्र 11 वर्ष बचे हैं. इस परिस्थिति को देखते हुए राष्ट्रीय आपातकाल का प्रस्ताव दिया गया. प्रस्ताव की भावना है यह कि न केवल स्थानीय स्तर पर कार्बन उत्सर्जन घटाया जाए, अपितु सांसदों को जलवायु परिवर्तन के विषय में जागरूक किया जाये.
इस घोषणा से सरकार लक्ष्य को पाने के लिए आवश्यक संसाधनों का प्रबंध करने की दिशा में अग्रसर होगी.
आगे की राह
वैश्विक तापवृद्धि में कोई ठहराव नहीं आया है. समुद्रों में जमा ताप भविष्य में वैश्विक तापवृद्धि को आगे बढ़ाएगा इसमें कोई संदेह नहीं है. अतः सभी देश इस बात पर ध्यान दे रहे हैं कि 2016 में 197 देशों द्वारा हस्ताक्षरित संयुक्त राज्य पेरिस समझौते के अनुसार समुचित कदम उठाये जाएँ.
ज्ञातव्य है कि इस समझौते में यह लक्ष्य रखा गया था कि औद्योगिक युग (19वीं शताब्दी का उत्तरार्द्ध) के समय जो वैश्विक तापमान था उसकी तुलना में वर्तमान वैश्विक तापमान को 2100 ई. तक 2˚C अधिक तक सीमित रखा जाए. यद्यपि अच्छा तो यह होता कि यह अंतर 1.5˚C ही रहता.
जलवायु परिवर्तन से सम्बंधित अंतरसरकारी पैनल के एक प्रतिवेदन के अनुसार यदि यह लक्ष्य पाना है तो 2030 तक वार्षिक वैश्विक कार्बन उत्सर्जन को आधा करना आवश्यक होगा. तभी 2050 तक शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Arsenic contamination
संदर्भ
सभी प्राणियों के लिए शोरा (arsenic) विषाक्त होता है, परन्तु अब वाशिन्गटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि प्रशांत महासागर के कुछ सूक्ष्म जीवाणु न केवल इसका सहन कर पाते हैं, अपितु इसको साँस में लेते हैं. इस खोज से यह जानने में सहायता होगी कि जीवन किस प्रकार बदलती जलवायु के अनुसार अपने आप को ढालता है.
आर्सेनिक क्या है?
- आर्सेनिक (As) एक गंधहीन और स्वादहीन उपधातु है जो भूपर्पटी के नीचे प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है.
- यह उपधातु रसायन-विज्ञान आवर्त सारणी (periodic table) में नाइट्रोजन, फास्फोरस, एंटीमनी और बिस्मथ सहित ग्रुप VA का सदस्य है.
- इसका परमाणु क्रमांक (एटोमिक नंबर) 33 है और परमाणु भार (एटोमिक मास) 91 है.
- आर्सेनिक और इसके यौगिक रवे (crystals) के रूप में तथा पाउडर और एमोरफस या काँच जैसी अवस्था में पाये जाते हैं.
- यह ज्यादातर चट्टान, मिट्टी, पानी और वायु में बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है. यह धरती की सतह का प्रचुर मात्रा में पाए जाना वाला 26वाँ तत्त्व है.
भूमिजल में आर्सेनिक
प्राकृतिक भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के द्वारा जलीय चट्टानी परत (aquifer) आर्सेनिक से प्रदूषित हो जाता है. भारत के कई भागों में भूमिजल में आर्सेनिक होने की सूचना है, विशेषकर गंगा के मैदानों में. संतोष की बात यह है कि भूमिजल में आर्सेनिक की विद्यमानता छिटपुट है और सभी जलस्रोत इससे प्रभावित हों, ऐसी बात नहीं है.
जानने योग्य बातें
- कई देशों में भूमिजल में आर्सेनिक प्राकृतिक रूप से विद्यमान होता है.
- अ-जैविक रूप में आर्सेनिक अत्यंत ही विषाक्त होता है.
- जल में आर्सेनिक होने से उसको पीने से, उससे भोजन बनाने से और अनाज उपजाने के लिए उससे सिंचाई करने से सार्वजनिक स्वास्थ्य को सबसे बड़ा खतरा है.
- पेयजल और भोजन के माध्यम से बहुत दिन तक आर्सेनिक का सेवन होने से कैंसर और चमड़ा फटने की बिमारी हो सकती है. आर्सेनिक का सम्बन्ध हृदय रोग और मधुमेह से भी जोड़ा जाता है. यदि किसी शिशु को गर्भ में अथवा शैशव अवस्था में आर्सेनिक से प्रदूषित जल आदि मिलता है तो देखा जाता है कि वे या तो कम उम्र में ही कालकवलित हो जाते हैं अथवा उनकी बुद्धि का विकास कम होता है.
बचने के उपाय
- आर्सेनिक के खतरे से बचने के लिए तकनीकी विकल्प खोजना.
- आर्सेनिक से मुक्त पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना.
- जलीय चट्टानी परत (aquifer) से लेकर नलके तक पानी में स्थित आर्सेनिक को दूर करने की तकनीक अपनाना.
- प्रदूषित भूमिजल को छोड़कर सतही जलस्रोत का उपयोग करना.
जैविक और अ-जैविक आर्सेनिक में अंतर
- यदि किसी आर्सेनिक यौगिक में कार्बन होता है तो वह जैविक आर्सेनिक कहलाता है. दूसरी ओर यदि उसमें कार्बन नहीं होता है तो वह अ-जैविक आर्सेनिक यौगिक कहलाता है.
- विदित हो कि अ-जैविक आर्सेनिक से मनुष्य को कैंसर होने का तथा अन्य स्वास्थ्यगत दुष्प्रभाव होने का खतरा रहता है.
GS Paper 2 Source: Times of India
Topic : Aditya- L1 mission
संदर्भ
भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 2020 के आरम्भ में सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य – L1 अभियान आरम्भ करने की योजना बना रहा है.
आदित्य – L1 अभियान क्या है?
- यह भारत का पहला सौर अभियान है. इसके अंतर्गत एक अंतरिक्षयान सूर्य तक भेजा जाएगा.
- उद्देश्य : यह अन्तरिक्षयान सूर्य की सबसे बाहरी परतों कोरोना और क्रोमोस्फीयरों का अध्ययन करेगा और साथ ही कोरोना प्रतिप्रेषण (corona ejection) के सम्बन्ध में आँकड़े जमा करेगा. इन आँकड़ों से अन्तरिक्षीय मौसम के पूर्वानुमान के लिए सूचना प्राप्त होगी.
- अभियान का माहात्म्य : आदित्य अभियान से प्राप्त आँकड़ों से सौर आँधियों की उत्पत्ति से सम्बंधित विभिन्न मॉडलों को अलग-अलग समझने में सहायता मिलेगी. साथ ही यह पता चलेगा कि यह आंधियाँ कैसे बनती हैं और सूर्य से लेकर पृथ्वी तक पहुँचने के लिए ये अन्तरिक्ष में कौन-सा मार्ग अपनाती हैं.
- यान की स्थिति : सूर्य का सबसे अच्छा दृश्य पाने के लिए यह आवश्यक है कि वहाँ भेजा गया यान ऐसी स्थिति में हो जहाँ सूर्य को बिना अड़चन (ग्रहण) के लगातार देखा जा सकता है. इसलिए आदित्य – L1 को सौर-पृथ्वी प्रणाली के लेग्रेंगियन बिंदु 1 (L1) के चारों ओर के हेलो परिक्रमा पथ में स्थापित किया जाएगा.
लेग्रेंगियन बिंदु क्या हैं?
लेग्रेंगियन बिंदु (Lagrangian pointS) अन्तरिक्ष के उस स्थान को कहते हैं जहाँ दो बड़े पिंडों का गुरुत्वाकर्षण बल परस्पर संतुलित रहता है. यदि उस स्थान पर कोई छोटा पिंड होता है तो वह बड़े पिंड से सदैव एक निश्चित दूरी पर रहेगा. सौर-पृथ्वी प्रणाली में ऐसे पाँच बिंदु हैं जिनको L1, L2, L3, L4 और L5 कहा जाता है.
हेलो परिक्रमा पथ क्या है?
हेलो परिक्रमा पथ एक त्रिआयामी सामयिक परिक्रमा पथ (periodic three-dimensional orbit) है जो L1, L2 अथवा L3 के पास विद्यमान होता है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Prepaid payment instruments
संदर्भ
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वोडाफोन एम-पैसा (M pesa) और फोनपे सहित प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट (PPI) जारी करने वाली पांच कंपनियों पर नियमों के उल्लंघन को लेकर जुर्माना लगाया है.
क्यों लगाया गया जुर्माना?
भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 की धारा 30 के तहत प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने नियामकीय दिशा-निर्देशों का अनुपालन नहीं करने को लेकर PPI जारी करने वाली इन पांच कंपनियों के विरुद्ध मौद्रिक जुर्माना लगाया है.
ज्ञातव्य है कि RBI ने कहा था कि PPI जारी करने वाली कम्पनियों को फरवरी 28, 2019 तक अपने ग्राहक को जानें अर्थात् KYC प्रक्रिया पूरी कर लें.
PPI क्या होते हैं?
- प्रीपेड भुगतान साधन (PPI) वे साधन हैं जो वस्तुओं और सेवाओं के क्रय के लिए उन साधनों में जमा मूल्य के अनुरूप सुविधा देते हैं.
- इन साधनों में जमा मूल्य का भुगतान इनके धारणकर्ताओं द्वारा नकद, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड आदि के माध्यम से किया जाता है.
- भुगतान के ये साधन सामान्यतः स्मार्ट कार्ड, मोबाइल वॉलेट, पेपर वाउचर, इन्टरनेट अकाउंट/वॉलेटके रूप में निर्गत होते हैं.
- इन साधनों में पहले से ही मूल्य अंकित रहता है और कुछ मामलों में भुगतान का उद्देश्य भी निश्चित किया रहता है. इन साधनों से वस्तुओं एवं सेवाओं का क्रय तो किया ही जाता है, साथ ही व्यक्ति से व्यक्ति (जैसे मित्र को अथवा परिवारजन को) धन की लेन-देन भी की जाती है.
- इन भुगतान साधनों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक लाइसेंस देता है और उन्हें विनियमित करता है.
- प्रीपेड भुगतान साधन तीन प्रकार होते हैं – बंद प्रणाली वाला PPI, आधी बंद प्रणाली वाला PPI और खुली प्रणाली वाला
- बंद प्रणाली वाले PPI का सबसे प्रचलित उदाहरण वह गिफ्ट कार्ड होता है जो किसी ब्रांड के लिए विशेष रूप से बना होता है. ऐसे कार्ड किसी विशेष स्थानों में ही प्रयोग में लाये जा सकते हैं और इनका प्रयोग एक खाते से दूसरे खाते में पैसा भेजने में नहीं किया जा सकता.
Prelims Vishesh
Last captive White tiger :-
- हाल ही में मुंबई के संजय गाँधी राष्ट्रीय उद्यान में बाजीराव नाम के एक श्वेत बाघ की मृत्यु हो गयी. यह जंगल से बाहर रहने वाला अंतिम श्वेत बाघ था जिसका जन्म इसी उद्यान में 2001 में हुआ था.
- पहले ऐसे बाघ मध्य प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल और बिहार में भी पाए जाते थे, पर अब ऐसा कोई बाघ नहीं बचा है.
King Rama X :–
- थाईलैंड के राजा महा वजीरालोंगकोर्न ने हाल ही में चक्री वंश के दसवें राजा के रूप में राम दशम की उपाधि औपचारिकतापूर्वक ग्रहण की.
- विदित हो कि 18वीं शताब्दी से ही चक्री वंश के राजा “राम” की उपाधि धारण करते रहे हैं, जिन्हें भगवान् विष्णु का अवतार माना जाता है.
Gujarat Shops and Establishments Act :–
- गुजरात में मई 1, 2019 से राज्य की सभी दुकानें, वाणिज्यिक प्रतिष्ठान और व्यवसाय 24 घंटे खुले रह सकते हैं.
- इसके लिए हाल ही में एक अधिनियम प्राप्त हुआ है जिसका नाम है – गुजरात दुकान एवं प्रतिष्ठान (नियोजन एवं सेवा शर्त विनियमन) अधिनियम,
INS Ranjit :-
- हाल ही में सेना ने यह निर्णय लिया है कि INS रणजित् को सेवा से निवृत्ति दे दी जायेगी.
- विदित हो कि INS रणजित् भारतीय नौसेना का विध्वंसक मिसाइल भेदक है जो रूस ने बनाया था.
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