Sansar Daily Current Affairs, 06 May 2021
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Important Geophysical phenomena such as earthquakes, Tsunami, Volcanic activity, cyclone etc.
Topic : Earthquakes in or near Assam
संदर्भ
हाल के एक अध्ययन के अनुसार, उत्तरी असम के शोणितपुर क्षेत्र में लगातार भूकंप आने का एक कारक, एक अज्ञात स्थलानुरेख (lineament) है.
स्थलानुरेख
- स्थलानुरेख (lineament), किसी भूदृश्य में, अंतर्निहित भूगर्भीय संरचना जैसे कि भ्रंश (Fault) के प्रभाव से निर्मित एक रेखीय आकृति होती है.
- स्थलानुरेख संरचनात्मक लक्षण हैं. इन संरचनात्मक लक्षणों के कारण, ठोस तथा कठोर चट्टानों में जल भण्डार विकसित होते हैं. उदाहरण के लिये फोल्डिंग के असर से कठोर चट्टानें टूटती तथा बिखरती हैं. उनके टूटने और बिखरने के कारण प्रभावित हिस्सों में खाली स्थान विकसित होते हैं.
असम में लगातार भूकंप आने के कारण
भारतीय भूगर्भीय सर्वेक्षण (Geological Survey of India- GSI) के अनुसार, शोणितपुर जिला, विवर्तनिक रूप से जटिल त्रिकोणीय क्षेत्र में अवस्थित है. यह क्षेत्र पूर्व-पश्चिम दिशा में विस्तृत अथेरखेत भ्रंश (Atherkhet Fault), उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर जाने वाले कोपिली भ्रंश (Kopili Fault) तथा उत्तर-दक्षिण दिशा में फैले स्थलानुरेख (lineament) से घिरा है.
भूकंप जोन
लगातार टक्कर से परतों की दबाव सहने की क्षमता खत्म होती जाती हैं. परतें टूटने के साथ उसके नीचे मौजूद ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं. इस वजह से हिमालय क्षेत्र में भूकंप आता है. भारतीय उपमहाद्वीप को भूकंप के खतरे के लिहाज से सीसमिक जोन 2,3,4,5 जोन में विभक्त किया गया है. पाँचवा जोन सबसे ज्यादा खतरे वाला माना जाता है. पश्चिमी और केंद्रीय हिमालय क्षेत्र से जुड़े कश्मीर, पूर्वोत्तर और कच्छ का रण इस क्षेत्र में आते हैं.
पूर्वोत्तर भारत भूकंप के प्रति संवेदनशील क्यों है?
- सियांग दरार (Siang Fracture), एमला भ्रंश (Yemla Fault), नामुला क्षेप (Namula Thrust) और कैनियन क्षेप (Canyon Thrust) पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में फैले हुए हैं तथा मुख्य हिमालय क्षेप (Main Himalayan Thrust), मुख्य सीमा क्षेप (Main Boundary Thrust), मुख्य केंद्रीय क्षेप (Main Central Thrust) तथा कई गौण भ्रंशो के सहारे सक्रिय हैं.
- पूर्वोत्तर क्षेत्र को भूकंपीय मंडल V (Seismic Zone V) में सीमांकित किया गया है, जोकि अति संवेदनशीलता वाले क्षेत्र को इंगित करता है.
- भारतीय प्लेट, उत्तर-पूर्व दिशा में, हिमालय क्षेत्र में यूरेशियन प्लेट की ओर गतिशील है. इन दोनों प्लेटों के तिर्यक टकराव तथा स्थानीय विवर्तनिक (टेक्टॉनिक) अथवा भ्रंश सरंचनाओ में संचित दबाव तथा तनाव का निर्गमन होने से भूकंप की घटनाएँ होती हैं.
भूकंप के विषय में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें :- भूकंप
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.
Topic : Supreme Court declares Maratha quota law unconstitutional
संदर्भ
हाल ही में, उच्चतम न्यायालय के पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा, राज्य के अधीन सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में मराठा समुदाय को आरक्षण देने वाले महाराष्ट्र के कानून को रद्द कर दिया गया.
पृष्ठभूमि
- वर्ष 2017: सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एन. जी. गायकवाड़ की अध्यक्षता में गठित 11 सदस्यीय आयोग ने मराठा समुदाय को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग (Socially and Educationally Backward Class- SEBC) के अंतर्गत आरक्षण की संस्तुति की.
- वर्ष 2018: महाराष्ट्र विधानसभा में मराठा समुदाय के लिए 16% आरक्षण का प्रस्ताव पारित किया गया.
- वर्ष 2018: आरक्षण को जारी रखते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि आरक्षण की सीमा 16% के बदले शिक्षा में 12% और नौकरियों में 13% से ज्यादा नहीं होनी चाहिये.
- वर्ष 2020: सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी और इस मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश के पास एक बड़ी खंडपीठ को दिये जाने के लिये हस्तांतरित कर दिया.
‘मराठा आरक्षण कानून’ क्या था?
- नवंबर 2018 में, ‘महाराष्ट्र राज्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग अधिनियम’ के अंतर्गत मराठा समुदाय को आरक्षण प्रदान किया गया था.
- इस विशेष अधिनियम को महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग सहित विधानसभा और विधान परिषद दोनों के द्वारा अनुमोदित किया गया था.
- 12% और 13% (शिक्षा और नौकरियों में) मराठा आरक्षण ने कुल आरक्षण सीमा को क्रमशः 64% और 65% तक बढ़ा दिया.
न्यायिक हस्तक्षेप
प्रारंभ में, ‘सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग’ (SEBC) के अंतर्गत दिए जाने वाले आरक्षण को बॉम्बे उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई थी. बॉम्बे उच्च न्यायालय ने आरक्षण को बरकरार रखते हुए कहा कि आरक्षण को 16 प्रतिशत की बजाय, इसे घटाकर शिक्षा में 12 प्रतिशत और नौकरियों में 13 प्रतिशत किया जाना चाहिए.
- तदनुसार, मराठा छात्रों के लिए शैक्षणिक संस्थानों और नौकरियों में प्रदान करने हेतु अधिनियम लागू किया गया था.
- 9 सितंबर, 2020 में, मराठा आरक्षण के समक्ष एक और बाधा उत्पन्न हो गई, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसके कार्यान्वयन पर रोक लगा दी गई और मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश के लिए सौंप दिया गया.
मराठा आरक्षण क़ानून को रद्द करने का कारण
- मराठा आरक्षण दिए जाने से आरक्षण की सीमा निर्धारित 50 प्रतिशत को पार कर गई थी.
- न्यायालय ने कहा, कि मराठा समुदाय के लिए अलग से आरक्षण प्रदान करने से,, अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और 21 (विधि की सम्यक प्रक्रिया) का उल्लंघन होता है.
महाराष्ट्र सरकार की दलीलें
- इंद्रा साहनी फैसले को पुनर्विचार के लिए 11-न्यायाधीशों की खंडपीठ के पास भेजा जाना चाहिए, क्योंकि इसमें एक मनमाने ढंग से सीमा का निर्धारण कर दिया गया, जिस पर संविधान में कोई विचार नहीं किया गया है.
- इसके अतिरिक्त, इंद्र साहनी मामले के पश्चात्, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए कुछ निर्णयों में, खुद ही इस नियम से छूट ली गयी है.
1992 के निर्णय पर पुनर्विचार करने पर न्यायालय की टिप्पणी
न्यायालय ने कहा है, कि इस मामले पर पुनर्विचार करने की कोई जरूरत नहीं है. न्यायालय ने कहा कि हालाँकि, वर्ष 1992 में न्यायालय द्वारा 50% आरक्षण की सीमा का निर्धारण मनमाने ढंग से किया गया था, किंतु यह अब संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त है.
मराठा आरक्षण, अपवादात्मक मामला क्यों नहीं हो सकता है?
मराठा समुदाय एक प्रभावशाली अगड़ा समुदाय है, तथा राष्ट्रीय जीवन की मुख्य धारा में शामिल हैं. इसलिए, न्यायालय ने उपरोक्त स्थिति को कोई एक असाधारण मामला नहीं माना है.
‘सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग’ (SEBC) को चिह्नित करने हेतु राज्य की शक्ति तथा 102 वें संशोधन पर न्यायालय की टिप्पणी
संविधान (एक सौ और दूसरा संशोधन) अधिनियम, 2018 (One Hundred and Second Amendment of the Constitution of India) के तहत ‘राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग’ को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है.
इस संशोधन के अंतर्गत राष्ट्रपति के लिए पिछड़े वर्गों को अधिसूचित करने की शक्तियाँ प्रदान की गयीं हैं.
- कई राज्यों द्वारा इस संशोधन की व्याख्या पर सवाल उठाए गए है, और इन्होंने तर्क दिया है, कि यह संशोधन उनकी शक्तियों पर अंकुश लगाता है.
- वैसे न्यायिक पीठ द्वारा एकमत से 102 वे संशोधन की संवैधानिक वैधता को जारी रखा गया.
- पीठ की बहुमत राय के अनुसार, हालांकि ‘सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग’ (SEBC) की पहचान केंद्रीय रूप से की जाएगी, परन्तु फिर भी, राज्य सरकारों के लिए, आरक्षण की सीमा निर्धारित करने और “सहकारी संघवाद” की भावना में विशिष्ट नीति बनाने की शक्ति होगी.
महाराष्ट्र में विद्यमान कुल आरक्षण
- वर्ष 2001 के राज्य आरक्षण अधिनियम के बाद महाराष्ट्र में कुल आरक्षण 52% था. इसमें SC (13%), STs (7%), OBC (19%), विशेष पिछड़ा वर्ग (2%), विमुक्त जाति (3%), घुमंतू जनजाति (2.5%), घुमंतू जनजाति धनगर के लिये (3.5%)और घुमंतू जनजाति वंजारी (2%) के कोटा शामिल थे.
- घुमंतू जनजातियों और विशेष पिछड़े वर्गों के लिये कोटा कुल ओबीसी कोटा से बाहर किया गया है.
- 12-13% मराठा कोटा के साथ राज्य में कुल आरक्षण 64-65% है.
- 10% आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (Economically Weaker Sections- EWS) के लिये भी राज्य में कोटा प्रभावी है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : Sedition
संदर्भ
उच्चतम न्यायालय में याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन पर राज्य सरकारों और केंद्र सरकार से प्रश्न करने और टिप्पणियों तथा कार्टून को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा करने के कारण राजद्रोह का आरोप लगाया गया है.
उन्होंने तर्क दिया कि ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत प्रत्याभूत वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मूल अधिकार के प्रावधान का उल्लंघन है.
राजद्रोह का कानून कब लाया गया?
यह कानून अंग्रेजों का बनाया कानून है. देश द्रोह का ये वो कानून है जो 151 साल पहले भारतीय दंड संहिता में जोड़ा गया. 151 साल यानी 1870 में जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था. अंग्रेजों ने ये कानून इसलिए बनाया ताकि वो भारत के देशभक्तों को देशद्रोही करार देकर सजा दे सके.
रोमेश थापर वाद, केदार नाथ सिंह वाद, कन्हैया कुमार वाद आदि में राजद्रोह कानून की परिधि को सीमित और पुन: परिभाषित किया गया है तथा सार्वजनिक व्यवस्था में व्यवधान, विधिसम्मत सरकार के विरुद्ध विद्रोह करने का प्रयास तथा राज्य या जनता की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न करने जैसे कृत्य को इस कानून के अंतर्गत अपराध माना जाएगा.
राजद्रोह की धारा 124ए है?
- देश के खिलाफ बोलना, लिखना या ऐसी कोई भी हरकत जो देश के प्रति नफरत का भाव रखती हो वो राजद्रोह कहलाएगी.
- अगर कोई संगठन देश विरोधी है और उससे अंजाने में भी कोई संबंध रखता है या ऐसे लोगों का सहयोग करता है तो उस व्यक्ति पर भी राजद्रोह का मामला बन सकता है.
- अगर कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक तौर पर मौलिक या लिखित शब्दों, किसी तरह के संकेतों या अन्य किसी भी माध्यम से ऐसा कुछ करता है.
- जो भारत सरकार के खिलाफ हो, जिससे देश के सामने एकता, अखंडता और सुरक्षा का संकट पैदा हो तो उसे तो उसे उम्र कैद तक की सजा दी जा सकती है.
राजद्रोह के आरोपी भारत के नायक इसकी प्रासंगिकता अंग्रेजों की इस नीति का विरोध पूरे भारत ने किया था. क्योंकि तब भारत अंग्रेजों का गुलाम था. महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू ने उस दौर में राजद्रोह के इस कानून को आपत्तिजनक और अप्रिय कानून बताया था. लेकिन वो आजादी के पहले की स्थिति थी और पूरा देश स्वतंत्रता कि लड़ाई लड़ रहा था. उस परिस्थितियों की तुलना वर्तमान के दौर से नहीं की जा सकती है. स्वतंत्रता के सात दशक बाद इस कानून को लेकर अकसर सियासत भी खूब होती रही है. कांग्रेस ने तो बकायदा अपने मेनिफेस्टो में लिख दिया था कि… IPC की धारा 124ए जो राजद्रोह अपराध को परिभाषित करती है. जिसका दुरुपयोग हुआ, उसे खत्म किया जाएगा. इन देशों ने राजद्रोह का कानून खत्म किया भारत में राजद्रोह के कानून का प्रयोग स्वतंत्र भारत के चर्चित राजद्रोह केस शासन चाहे किसी भी प्रवृत्ति का हो, हर प्रकार की व्यवस्था में शासन के खिलाफ आवाज़ उठाना दंडनीय अपराध माना जाता रहा है. भारत में भी प्राचीन और मध्यकाल में यह किसी-न-किसी रूप में मौजूद था. आधुनिक काल में, जब 1860 में भारतीय दंड संहिता बनाई गई तो उसके बाद राजद्रोह संबंधी प्रावधानों को धारा 124 (A) के अंतर्गत स्थान दिया गया. बहरहाल, वह दौर औपनिवेशिक शासन का था और उस समय ब्रिटिश भारत सरकार का विरोध करना देशभक्ति का पर्याय माना जाता था. दरअसल, हमें यह समझना होगा कि न तो सरकार और राज्य एक हैं, और न ही सरकार तथा देश. सरकारें आती-जाती रहती हैं, जबकि राज्य बना रहता है. राज्य संविधान, कानून और सेना से चलता है, जबकि राष्ट्र अथवा देश एक भावना है, जिसके मूल में राष्ट्रीयता का भाव होता है. इसलिये कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है कि राजद्रोह राष्ट्रभक्ति के लिये आवश्यक हो जाए. ऐसी परिस्थिति में सरकार की आलोचना नागरिकों का पुनीत कर्त्तव्य होता है. अतः सत्तापक्ष को धारा 124 (A) दुरुपयोग नहीं करना चाहिये. सच कहें तो देशद्रोह शब्द एक सूक्ष्म अर्थों वाला शब्द है, जिससे संबंधित कानूनों का सावधानी पूर्वक इस्तेमाल किया जाना चाहिये. यह एक तोप के समान है, जिसका प्रयोग राष्ट्रहित में किया जाना चाहिये न कि चूहे मारने के लिये, अन्यथा हम अपना ही घर तोड़ बैठेंगे. GS Paper 2 Source : PIB UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes; mechanisms, laws, institutions and bodies constituted for the protection and betterment of these vulnerable sections. फरवरी, 2021 तक कुल 344 करोड़ कार्य दिवस रोजगार सृजित किए गए हैं, जो अब तक एक वर्ष में सृजित सबसे अधिक कार्य दिवस हैं. पृष्ठभूमि वर्ष 2020-21 में सृजित कुल कार्य दिवसों में से, लगभग 52 प्रतिशत महिला कार्य दिवस थे. यह लॉकडाउन में श्रमिकों द्वारा राज्यों (जहां वे नियोजित थे) से उनके मूल राज्यों में किए गए विपरीत प्रवासन (reverse migration) की मात्रा को इंगित करता है और श्रम बाजार में कम रोजगार की मात्रा को दर्शाता है. ग्राम निर्धनता न्यूनीकरण योजना (VPRP) क्या हैं? :- नागरिक योजना अभियान (PPC) दिशानिर्देशों एवं पंचायती राज मंत्रालय तथा ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से जारी परामर्शी ने स्वयं सहायता समूहों एवं दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) के अंतर्गत उनके संघों को वार्षिक GPDP नियोजन प्रक्रिया में भाग लेने एवं ग्राम निर्धनता न्यूनीकरण योजना (Village Poverty Reduction Plans– VPRP) तैयार करने के लिए अधिदेशित किया है. ग्राम निर्धनता न्यूनीकरण योजना (VPRP) के घटक VPRP के अंतर्गत मांगों को पांच प्रमुख घटकों में वर्गीकृत किया जाता है: Long March-5B Y2 :- Operation twist :- Vaccine Maitri Initiative :- Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Current Affairs Hindi February, 2020 Sansar DCA is available Now, Click to Download इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
मेरी राय – मेंस के लिए
Topic : MNREGA creates new record this year, 344 crore days got employment
महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (MGNREGS) के बारे में
इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
Prelims Vishesh