Sansar Daily Current Affairs, 06 October 2020
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests; India and its neighbourhood- relations
Topic : QUAD
संदर्भ
हाल ही में द्वितीय भारत-ऑस्ट्रेलिया-जापान-संयुक्त राज्य अमेरिका (QUAD) की मंत्री स्तरीय बैठक टोक्यो में आयोजित हुई. चार देशों के विदेश मंत्रियों ने निम्नलिखित पर बल दिया:
- महामारी से निर्मित वित्तीय समस्याओं सहित अन्य चुनौतियों के विरुद्ध एक समन्वित प्रतिक्रिया होनी चाहिए.
- कोविड-19 से निपटने हेतु सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने की आवश्यकता है.
- आपूर्ति श्रृंखलाओं की नम्यता में वृद्धि करनी चाहिए.
- वहनीय टीकों, दवाओं और चिकित्सा उपकरणों तक पहुंच बढ़ाना अपरिहार्य है.
- भारत-प्रशांत क्षेत्र को एक स्वतंत्र, खुला और समावेशी क्षेत्र बनाना चाहिए.
QUAD क्या है?
- Quad एक क्षेत्रीय गठबंधन है जिसमें ये चार देश शामिल हैं – ऑस्ट्रेलिया, जापान, भारत और अमेरिका.
- ये चारों देश प्रजातांत्रिक देश हैं और चाहते हैं कि समुद्री व्यापार और सुरक्षा विघ्नरहित हो.
- Quad की संकल्पना सबसे पहले जापान के प्रधानमन्त्री Shinzo Abe द्वारा 2007 में दी गई थी. परन्तु उस समय ऑस्ट्रेलिया के इससे निकल जाने के कारण यह संकल्पना आगे नहीं बढ़ सकी.
QUAD का महत्त्व
- मुक्त, खुला, समृद्ध और समावेशी भारत-प्रशांत क्षेत्र: भारत-प्रशांत वैश्विक व्यापार और ऊर्जा आपूर्ति के केंद्र के रूप में उभरा है.
- विश्व का दो-तिहाई कंटेनर व्यापार इस क्षेत्र से होता है.
- आर्थिक रूप से, इस रणनीति को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के प्रति प्रतिक्रिया के रूप में माना जाता है, जो चीन-केंद्रित व्यापार मार्ग स्थापित कर रहा है.
- क्वाड चीन की बढ़ती हठधर्मिता और वर्धित वैश्विक घुसपैठ को नियंत्रित करने हेतु एक सशक्त समूह सिद्ध हो सकता है.
अमरीका के लिए QUAD का महत्त्व
चीन इस क्षेत्र में एकतरफ़ा निवेश और राजनैतिक संधियाँ कर रहा है. अमेरिका इसे अपने वर्चस्व पर खतरा मानता है और चाहता है कि चीन की आक्रमकता को नियंत्रित किया जाए. चीन के इन क़दमों का प्रत्युत्तर देने के लिए अमेरिका चाहता है कि Quad के चारों देश आपस में सहयोग करते हुए ऐसी स्वतंत्र, सुरक्षात्मक और आर्थिक नीतियाँ बनाएँ जिससे क्षेत्र में चीन के बढ़ते वर्चस्व को रोका जा सके. भारत-प्रशांत सागरीय क्षेत्र में चीन स्थायी सैन्य अड्डे स्थापित करना चाह रहा है. चारों देशों को इसका विरोध करना चाहिए और चीन को यह बता देना चाहिए कि वह एकपक्षीय सैन्य उपस्थिति की नीति छोड़े और क्षेत्र के देशों से विचार विमर्श कर उनका सहयोग प्राप्त करे. चारों देश अपने-अपने नौसैनिक बेड़ों को सुदृढ़ करें और अधिक शक्तिशाली बाएँ तथा यथासंभव अपनी पनडुब्बियों को आणविक प्रक्षेपण के लिए समर्थ बानाएँ.
भारत का दृष्टिकोण
भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते क़दमों को नियंत्रित करना न केवल अमेरिका के लिए, अपितु भारत के लिए उतना ही आवश्यक है. भारत चीन का पड़ोसी है और वह चीन की आक्रमकता का पहले से ही शिकार है. आये दिन कोई न कोई ऐसी घटनाएँ घटती रहती हैं जो टकराव का कारण बनती हैं. इसके अतिरिक्त यदि चीन भारत-प्रशांत क्षेत्र में हावी हो गया तो वह भारत के लिए व्यापारिक मार्गों में रुकावटें खड़ी करेगा और साथ ही इस क्षेत्र के अन्य देशों को अपने पाले लाने में का भरसक प्रयास करेगा. अंततोगत्वा भारत को सामरिक और आर्थिक हानि पहुँचेगी. सैनिक दृष्टि से भी भारत कमजोर पड़ सकता है. अतः यह उचित ही है कि Quad के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका से मिलकर भारत भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए ऐसी नीति तैयार करे और ऐसे कदम उठाये जिससे चीन को नियंत्रण के अन्दर रखा जाए. कुल मिलाकर यह इन चारों देशों के लिए ही नहीं, अपितु यह पूरे विश्व की शांति के लिए परम आवश्यक है.
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Related to Health.
Topic : Nobel Prize for Medicine
संदर्भ
चिकित्सा के लिए दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार नोबेल पुरस्कार की घोषणा हो चुकी है. 2020 के लिए यह पुरस्कार दो अमेरिकन वैज्ञानिक हार्वे जे ऑल्टर और माइकल हॉफटन व ब्रिटिश वैज्ञानिक चार्ल्स एम राइस को संयुक्त रूप से दिया गया है. उन्हें यह सम्मान हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज के लिए मिला है. नोबेल समिति के प्रमुख थॉमस पर्लमन ने स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में इस पुरस्कार की घोषणा की. तीनों वैज्ञानिकों को पुरस्कारस्वरूप 8.2 करोड़ रुपये मिलेंगे जिसे तीनों में बराबर बांटा जाएगा.
मुख्य बिंदु
- वर्ष 1990 और 1980 के दशक में वायरस की खोज और पहचान के पश्चात् हेपेटाइटिस-सी के लिए एक उपचार निर्घारित किया गया.
- वायरल हेपेटाइटिस पांच ज्ञात हेपेटाइटिस वायरस यथा A, B, C, D और E के कारण यकृत (liver) में सूजन (inflammatory condition of liver) की अवस्था है. यह काफी हद तक निवारणीय है.
- संचरण (transmission): हेपेटाइटिस A और E जल जनित रोग हैं तथा प्रकृति में कम गंभीर हैं, जबकि हेपेटाइटिस के शेष उपमेद रक्त-जनित होते हैं और समय पर पता न लगने या उपचारित न होने पर प्राणघातक हो सकते हैं.
- हेपेटाइटिस B और C असुरक्षित यौन व्यवहार, संक्रमित सिरिंज के उपयोग, माता से शिशु में तथा संक्रमित रक्त आधान के माध्यम से संचारित होते हैं.
हेपेटाइटिस क्या है?
- हेपेटाइटिस एक ऐसा रोग है जिसमें यकृत में जलन उत्पन्न होती है जिससे वह क्षतिग्रस्त हो जाता है.
- इस रोग के कई कारण हैं, जैसे – मदिरा का अधिक सेवन, विषाक्त पदार्थ, कुछ दवाइयाँ और कुछ अन्य रोग. परन्तु यह बहुधा वायरस से ही होता है. ये वायरस तीन प्रकार के होते हैं –A, B और C.
हेपेटाइटिस A, B और C में क्या अंतर है?
- हेपेटाइटिस A का संक्रमण अल्प अवधि के लिए होता है.
- हेपेटाइटिस B और C दोनों हेपेटाइटिस A की भाँति शुरू में अल्प अवधि के होते हैं. परन्तु कुछ लोगों में ये वायरस शरीर के अन्दर शेष रह जाते हैं और आजीवन संक्रमण का कारण बन जाते हैं.
- हेपेटाइटिस A और B के बचाव के लिए टीके उपलब्ध हैं, किन्तु हेपेटाइटिस C के लिए अभी कोई टीका नहीं बना है.
हेपेटाइटिस B कैसे फैलता है?
हेपेटाइटिस B वायरस एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे असंक्रमित व्यक्ति में रक्त, शुक्र अथवा अन्य शारीरिक द्रवों के माध्यम से प्रवेश कर जाता है.
लक्षण और खतरे (Symptoms and threats): यकृत संबंधी चिरकालिक समस्या की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.
उपचार (Treatment): इस संक्रमण का कोई उपचार नहीं है, परन्तु हेपेटाइटिस B को रोकने के लिए टीका उपलब्ध है. हेपेटाइटिस C के लिए कोई टीका नहीं है, किंतु संक्रमण को उपचार से ठीक किया जा सकता है. वर्ष 2016 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में हेपेटाइटिस को वर्ष 2030 तक समाप्त करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी.
इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
नोबेल पुरस्कार से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वर्ष 1901 से 2018 के बीच अब तक 908 शख्सियतों और 27 संगठनों को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.
- अब तक कुल 590 पुरस्कार दिये जा चुके हैं.
- वर्ष 1901 से 2018 तक भौतिकी के क्षेत्र में 210 लोगों को और 112 बार यह पुरस्कार दिया जा चुका है. जॉन बर्डीन अकेले ऐसे भौतिकीविद हैं, जिन्हें भौतिकी के क्षेत्र में दो बार 1956 और 1972 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.
- रसायन विज्ञान के क्षेत्र में 1901 से 2018 के बीच अब तक कुल 110 बार 181 लोगों को इस पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. फ्रेडिरक सैंगर अकेले ऐसे रसायनशास्त्री हैं, जिन्हें 1958 और 1980 में दो बार रसायन विज्ञान के लिए पुरस्कार मिला है.
- मेडिसिन के क्षेत्र में 2018 तक 109 बार यह पुरस्कार दिया जा चुका है. इस पुरस्कार से अब तक 216 लोग सम्मानित हो चुके हैं.
- साहित्य के क्षेत्र में 2018 तक 114 साहित्यकारों को 110 बार यह पुरस्कार दिया जा चुका है.
- शान्ति के क्षेत्र में 2018 तक 106 हस्तियां और 27 संगठन इस पुरस्कार को हासिल कर चुके हैं. इस क्षेत्र में अब तक 99 बार यह पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है.
- अर्थशास्त्र के क्षेत्र में 1969 से 2018 तक 50 बार 81 लोगों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.
- वर्ष 1901 से 2018 तक 51 महिलाएं इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को हासिल कर चुकी हैं.
- इस पुरस्कार के लिए कोई भी व्यक्ति खुद का नामांकन नहीं कर सकता है.
नोबेल पुरस्कार के बारे में निर्णय कौन-सी संस्थाएँ करती हैं?
- भौतिकी और रसायनशास्त्र :The Royal Swedish Academy of Sciences.
- शरीर विज्ञान अथवा औषधि :The Karolinska Institutet
- साहित्य :The Swedish Academy
- शान्ति :नॉर्वे की संसद (स्ट्रोटिंग) के द्वारा निर्वाचित पंच-सदस्यीय समिति)
- अर्थशास्त्र :The Royal Swedish Academy of Sciences
अब तक किन भारतवंशियों अथवा भारत में नागरिकता प्राप्त व्यक्तियों को नोबेल पुरस्कार मिल चुका है?
- रबीन्द्रनाथ टैगोर – साहित्य, 1913
- सी.वी. रामन – भौतिकी, 1930
- हरबिंद खुराना – औषधि, 1968
- मदर टरेसा – शान्ति, 1979
- सुब्रमनियन चन्द्रशेखर – भौतिकी, 1983
- दलाई लामा – शान्ति, 1989
- अमर्त्य सेन – अर्थशास्त्र, 1998
- वेंकटरमण रामकृष्णन – रसायन, 2009
- कैलाश सत्यार्थी – शान्ति, 2014
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization, of resources, growth, development and employment.
Topic : Swamitva Yojana
संदर्भ
केंद्र सरकार की स्वामित्व योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को उनकी भू-संपत्ति को लेकर प्रॉपर्टी कार्ड मिलने प्रारम्भ हो गए हैं. इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक गाँव के घर और भूमि का रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा. गाँवों की सीमा के अन्दर आने वाली हर प्रॉपर्टी का एक डिजिटल नक्शा तैयार होगा. इन प्रॉपर्टी कार्डों को राज्य सरकारों द्वारा ही बनाया जाएगा. इस योजना पर 2020 से 2024 के दौरान चरणबद्ध तरीके से अमल कर देश के सभी 6.62 लाख गांवों को सम्मिलित करने का लक्ष्य है.
स्वामित्व योजना क्या है?
यह प्रधानमंत्री मोदी की डिजिटल इंडिया योजना का ही हिस्सा है. राष्ट्रीय पंचायत दिवस के अवसर पर 24 अप्रैल, 2020 को इसे अनावृत किया गया था. पंचायती राज मंत्रालय की इस योजना का पूरा नाम ‘सर्वेक्षण ऑफ़ विजिलेंस एंड मैपिंग विद इम्पोवरिश्ड टेक्नोलॉजी इन विलेज एरिया’ है. इसके अंतर्गत ड्रोन के जरिये ग्रामीण क्षेत्रों की भूमि व हर प्रॉपर्टी का एक डिजिटल नक्शा तैयार करना है.
वैसे, अब सबकी निगाहें इस योजना के क्रियान्वयन पर रहेंगी, क्योंकि अच्छी योजनाएँ तो पहले भी बहुत -सी बनती रही हैं, परन्तु उन पर ठीक से अमल नहीं हो पाने से वे लालफीताशाही के चंगुल में फँसती रही हैं.
आधार कार्ड में लोगों के नाम, जन्म तिथि, फोटो आदि गलत लगने की ढेरों शिकायतें आती रही हैं. इससे बिना कारण लोग परेशान होते हैं. कहीं भू-रिकॉर्ड में गलत जानकारी दर्ज हो गई तो यह योजना गाँवों के लोगों की मुश्किलें और विवाद बढ़ा देगी. इसलिए सरकारी तंत्र को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह योजना पारदर्शी हो और लोगों को परेशानी न उठानी पड़े. इससे इस योजना की लोगों में विश्वसनीयता बढ़ेगी और इसकी सफलता भी सुनिश्चित होगी.
सरकार का कहना है कि लोग इस कार्ड का उपयोग बैंकों से कर्ज लेने के अलावा अन्य कार्यों में भी कर सकते हैं. इससे गाँवों में भूमि विवाद भी खत्म हो जाएँगे. भूमि के सत्यापन की प्रक्रिया में तीव्रता आएगी व भ्रष्टाचार को रोकने में सहयोग मिलेगा. सूचना प्रौद्योगिकी के दौर में ग्रामीण क्षेत्रों की भूमि व प्रॉपर्टी का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करने की योजना को सकारात्मक पहल कहा जा सकता है.
लाभ
- गांवों तथा ग्राम पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिशों को आधार प्रदान करने में सहायता प्राप्त होगी.
- संपत्ति कर के जरिये ग्राम पंचायतों की आमदनी के एक स्थायी स्रोत तथा स्थानीय व्यवस्था के लिये अतिरिक्त संसाधनों का प्रबंध किया जाएगा.
- एकीकृत संपत्ति सत्यापन व्यवस्था के जरिये संपत्ति सम्बन्धी विवाद को निपटाने में सहायता मिलेगी.
- प्राप्त आधिकारिक प्रमाण पत्र के जरिये संपत्ति मालिक अपनी संपत्ति पर बैंक ऋण तथा संपत्ति से जुड़ी अन्य योजनाओं का फायदा उठा सकेगें.
- वर्तमान ग्रामीण क्षेत्र में कृषि भूमि पर निर्मित मकानों तथा जोत के वास्तविक आकार के संदर्भ में उपलब्ध आँकड़ों में स्पष्टता की बहुत कमी है, इस योजना के माध्यम से कृषि जोत के आकार से जुड़े आँकड़ों को दृढ़ बनाने में सहयोग मिलेगा.
मेरी राय – मेंस के लिए
चुनौतियाँ
- संपत्ति से जुड़े प्रमाणिक दस्तावेज़ों का अभाव: इस योजना को लागू करने का एक मुख्य लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्तियों से जुड़े आँकड़ों में सुधार लाना है मगर वर्तमान में ऐसे आकड़ों के अभाव में इस योजना के क्रियान्यवयन के समय अनेक विवादों का सामना करना पड़ सकता है.
- संयुक्त परिवारों में संपत्ति का बँटवारा: अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में सामूहिक परिवारों में संपत्ति का विभाजन बहुत ही जटिल होता है, इसलिए ऐसी संपत्तियों के मामलों में आधिकारिक पत्र निर्गत करना एक चुनौती होगी.
- स्वामित्त्व पंजीकरण: केंद्र सरकार ने अभी तक इस योजना के अंतर्गत आधिकारिक प्रमाण पत्र में संपत्ति के पंजीकरण से सम्बंधित बहुत अधिक जानकारी नहीं दी है, जैसे- स्वामित्त्व पंजीकरण की प्रकृति क्या होगी (उदाहरण- खेती, शहरी मकान का पंजीकरण आदि). साथ ही इस योजना के क्रियान्वयन में राज्य सरकारों की भूमिका अतीव महत्त्वपूर्ण होगी, क्योंकि ‘भूमि’ राज्य का विषय है.
- ऋण मिलने की प्रक्रिया: केंद्र सरकार के अनुसार, स्वामित्व योजना का एक प्रमुख ध्येय संपत्ति के मालिकों को सरलता से ऋण प्राप्त करने का एक माध्यम प्रदान करना है परंतु सरकार द्वारा ऋण की दरों या ऋण के प्रकार (जैसे-कृषि ऋण की दर, शहरी क्षेत्रों में मकानों के लिये निर्धारित ऋण दर आदि) के विषय में अधिक जानकारी नहीं दी गई है.
- इंटरनेट: वर्तमान समय प्रतिस्पर्द्धा और विकास के इस दौर में इंटरनेट की भूमिका बहुत ही आवश्यक हो गई है मगर आज भी देश के बहुत से ग्रामीण क्षेत्र अच्छे मोबाईल नेटवर्क और तीव्र गति की इंटरनेट की पहुँच से बाहर हैं, ऐसे में सुदूर क्षेत्रों में इस योजना के अंतर्गत आँकड़ों को ऑनलाइन अपलोड करने और उनकी जाँच करने में समस्याएँ आ सकती हैं.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.
Topic : Delhi zoo generated ecosystem services worth Rs 422.76 crore in 2019-20
संदर्भ
दिल्ली वन्य प्राणी उद्यान ने वर्ष 2019-20 में 422.76 करोड़ रुपये की पारिस्थितिकी-तंत्र सेवाओं (ecosystem services) का सृजन किया है. यह डेटा वन्य प्राणी उद्यान द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं का मूल्यांकन करने के लिए केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (Central Zoo Authority: CZA) द्वारा संपादित एक अध्ययन का हिस्सा है.
अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष
- अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि लगभग 77 प्रतिशत योगदान चिड़ियाघर (वन्य प्राणी उद्यान) की मनोरंजनात्मक और सांस्कृतिक सेवाओं से प्राप्त हुआ है.
- CZA, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 (Wild Life (Protection) Act 1972) के तहत स्थापित एक सांविधिक निकाय है, जो भारतीय चिड़ियाघरों की कार्यप्रणाली की निगरानी करता है तथा बाह्मस्थाने (ex-situ) उपायों के माध्यम से वन्यजीव संरक्षण रणनीतियों को अनुपूरित करता है.
- पारिस्थितिकी-तंत्र सेवाएँ मानव जाति के कल्याण के लिए पारिस्थितिक-तंत्र का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से योगदान हैं.
पारिस्थितिकी-तंत्र सेवाओं को चार भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है –
- प्रावधानन सेवाएँ (Provisioning Services): पारिस्थितिक-तंत्र से प्राप्त उत्पाद, जैसे- खाद्य पदार्थ, ताजा जल, फाइबर, आनुवंशिक संसाधन और औषधियां.
- विनियमन सेवाएँ (Regulating Services): पारिस्थितिकी-तंत्र प्रक्रियाओं के विनियमन से प्राप्त लाभ, जैसे- जलवायु विनियमन, प्राकृतिक आपदाओं का नियंत्रण, जल शोधन, परागण आदि.
- सहायक सेवाएँ (Supporting Services): पारिस्थितिक-तंत्र से प्राप्त गैर-भौतिक लाभ जैसे कि पोषक तत्व चक्र का संचालन, मृदा का निर्माण आदि.
- सांस्कृतिक सेवाएँ (Cultural Services): गैर-भौतिक लाभ, जिन्हें लोग पारिस्थितिक-तंत्र से प्राप्त करते हैं, जैसे- आध्यात्मिक संवर्धन, बौद्धिक विकास, मनोरंजनात्मक गतिविधियाँ और सौंदर्यात्मक मूल्य.
इससे संबंधित एक अन्य सुर्खी में सरकार ने घोषणा की थी, कि वह देश भर में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public Private Partnership: PPP) के माध्यम से 160 चिड़ियाघरों के उन्नयन और विकास की दिशा में कार्य कर रही है.
केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण
- एक वैधानिक निकाय है जो देश-भर के चिड़ियाघरों का नियमन करता है.
- इसकी मान्यता बिना देश में कोई भी चिड़ियाघर संचालित नहीं हो सकता.
- चिड़ियाघरों को वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के अनुसार विनियमित तथा राष्ट्रीय चिड़ियाघर नीति, 1992 द्वारा निर्देशित किया जाता हैं. 1991 में केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण स्थापित करने के लिये वन्य जीवन संरक्षण को संशोधित किया गया था.
Prelims Vishesh
Yuddh Pradushan Ke Virudh :-
- जाड़ों में दिल्ली के अन्दर वायु प्रदूषण को घटाने के उद्देश्य से दिल्ली सरकार ने एक अभियान चलाया है जिसका नाम “युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध” रखा गया है.
- इसके अंतर्गत ग्रीन दिल्ली नामक ऐप बनाया जा रहा है और साथ ही एक वार रूम का भी सृजन होने वाला है जहाँ से अभियान की प्रगति पर नज़र रखी जायेगी तथा पराली जलाने की समस्या के समाधान तथा हॉटस्पॉट के लिए आवश्यक कार्रवाई की योजनाएँ बनाई जायेंगी.
National Anti-Doping Agency (NADA) :-
NADA एक ऐसी एजेंसी है जिसका कार्य भारत में खेलों को डोप से मुक्त रखना है तथा यहाँ डोपिंग से होने वाले दुष्प्रभावों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना है और इससे सम्बंधित अनुसंधान आदि आयोजित करवाना है.
Coalition for Epidemic Preparedness Innovations (CEPI) :-
- महामारी के प्रति संनद्धता विषयक नवाचारों के लिए गठित संगठन से CEPI ने पिछले दिनों COVID-19 के टीकों के मूल्यांकन हेतु वैश्विक प्रयोगशाला नेटवर्क के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान – THSTI – का चयन किया है.
- ज्ञातव्य है कि 2017 में गठित CEPI एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है जिसे इनसे निधि प्राप्त होती है – Welcome Trust, Bill-Melinda Gates Foundation, European Commission और ये आठ देश – ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, इथियोपिया, जर्मनी, जापान, नॉर्वे और यूके.
SMART Missile :-
- ओडिशा तट के एक परीक्षण स्थल से भारत ने SMART नामक एक टोरपीडो का सफल परीक्षण किया है.
- SMART का पूरा नाम है – Supersonic Missile Assisted Release of Torpedo.
- स्मार्ट मिसाइल का प्रयोग पनडुब्बियों को ध्वस्त करने में किया जायेगा.
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