Sansar Daily Current Affairs, 07 August 2020
GS Paper 1 Source : PIB
UPSC Syllabus : Population and associated issues, poverty and developmental issues, urbanization, their problems and their remedies.
Topic : National Sanitation Center
संदर्भ
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 8 अगस्त, 2020 के द्वारा स्वच्छ भारत मिशन पर एक संवादात्मक अनुभव आधारित केंद्र के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र का उद्घाटन किया जा रहा है.
गांधीजी के चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी समारोह के अवसर पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि के रूप में प्रधानमंत्री द्वारा 10 अप्रैल 2017 को इसकी घोषणा की गयी थी. पढ़ें > चंपारण आन्दोलन
राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र की विशेषताएँ
- राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र राजघाट के निकट स्थापित किया गया है.
- राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र की स्थापना भविष्य की पीढ़ियों को दुनिया के सबसे बड़े व्यवहार परिवर्तन अभियान, स्वच्छ भारत मिशन की सफल यात्रा से परिचित कराएगी.
स्वच्छ भारत मिशन
- सार्वभौमिक स्वच्छता प्राप्त करने के लिए किए जा रहे प्रयासों में तेजी लाने के लिए और स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित करने हेतु भारत के प्रधान मंत्री ने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन का आरंभ किया था.
- मिशन के तहत, भारत में सभी गांवों, ग्राम पंचायतों, जिलों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ग्रामीण भारत में 100 मिलियन से अधिक शौचालयों का निर्माण करके 2 अक्टूबर 2019, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती तक स्वयं को “खुले में शौच से मुक्त” (ODF) घोषित किया.
- यह सुनिश्चित करने के लिए कि खुले में शौच न करने की प्रथा स्थायी रहे, कोई भी वंचित न रह जाए और ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन की सुविधाएं सुलभ हों.
ODF के तहत मानदंड
- मार्च 2016 में जारी किये गए मूल ODF प्रोटोकॉल में कहा गया है कि “एक शहर / वार्ड को ODF शहर / वार्ड के रूप में अधिसूचित किया जाता है, यदि दिन के किसी भी समय, एक भी व्यक्ति खुले में शौच नहीं करता हुआ नहीं पाया जाता है.”
- ODF + और ODF++ को अगस्त 2018 में प्रारम्भ किया गया था.
स्वास्थ्य और स्वच्छता में सम्बन्ध
यदि देखा जाए तो कई ऐसे बीमारियाँ हैं जिनका प्रत्यक्ष सम्बन्ध साफ-सफाई की आदतों से है. मलेरिया, डेंगू, डायरिया और टीबी जैसी बीमारियां इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं. यह सर्वविदित है कि साफ-सफाई मानव स्वास्थ्य पर सीधा असर डालती है. जिन बीमारियों के मामले ज्यादातर सामने आते हैं और जिनसे ज्यादा मौतें होती हैं, अगर उनके आंकड़ों पर गौर करें तो कहा जा सकता है कि शरीर की तथा परिवेश की वह अचूक मांग है जिसके माध्यम से न सिर्फ स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है बल्कि बीमारियों से लड़ने पर देश भर में हो रहा अरबों का वार्षी खर्च भी बचाया जा सकता है. स्वस्थ शरीर में निवसित स्वस्थ मस्तिष्क की उत्पादकता, बढ़ने से देश की उत्पादकता जो बढ़ेगी, सो अलग. इतना ही नहीं, शरीर के स्वस्थ रहने के लिए हर स्तर पर स्वच्छता आवश्यक है और इस तथ्य को हमारे महापुरुषों ने भी हमेशा स्वीकारा है.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
भारत जितनी बड़ी आबादी को संपूर्ण स्वच्छता की ओर ले जाने में सबसे बड़ी चुनौती लोगों की मानसिकता में परिवर्तन लाना है. क्या आप इस कथन से सहमत हैं? तर्क प्रस्तुत करें.
The biggest challenge in the way of ensuring complete sanitation in a hugely populated country like India is to change the mindset of the people. Do you agree with this statement? Discuss logically.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : Data Protection Authority
संदर्भ
हाल ही में सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 के अंतर्गत, भारत में चल रहे 59 चीनी एप पर प्रतिबंध लगा दिया है. संबंद्ध मंत्रालय द्वारा लिए गए इस निर्णय के पीछे व्यक्तिगत डेटा की छानबीन, प्रोफाइलिंग और अनधिकृत उपयोग को रोकना है.
जुलाई महीने के Sansar DCA में प्रौद्योगिकीय संप्रभुता की सुरक्षा नामक शीर्षक में पहले ही यह बताया जा चुका है कि किस प्रकार से चीनी कंपनियां छलपूर्ण व्य्वहार करके हमारी संप्रभुता पर छद्म हमला करती रहती है. भारत को यह खतरा केवल चीन से ही नहीं, बल्कि अन्य देशों की कंपनियों से भी हो सकता है. इस हेतु एक सशक्त डेटा सुरक्षा प्राधिकरण या डेटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी (DPA) की बहुत आवश्यकता है.
DPA की आवश्यकता क्यों ?
- व्यक्तिगत डेटा प्रोटेक्शन विधेयक, 2019 डीपीए को केन्द्र और राज्यों के अनेक निकायों को विनियमित करके 3 अरब भारतीयों की गोपनीयता की रक्षा का भार सौंप सकता है.
- सेबी, आई.आर.डी.ए, ट्राई से अलग यह एक निरपेक्ष निकाय होगा, जिसे केन्द्र, राज्य, न्यायपालिका व कैग को न केवल दंडित करने, बल्कि आर्थिक क्षेत्रों में कटौती करने का भी अधिकार होगा.
डीपीए की सीमाएं एवं विशेषताएं
- यह संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा की श्रेणियों को अधिसूचित करने हेतु केन्द्र को परामर्श देने वाली संस्था के रूप में कार्य करेगा. हालांकि इस प्रकार की शक्तियां पूरी तरह से डीपीए के पास होनी चाहिए.
- विधेयक की धारा 86 के तहत केन्द्र को अधिकार है कि वह डीपीए को बाध्यकारी दिशा-निर्देश जारी कर सकता है. इससे डीपीए की स्वायत्तता पर दुष्प्रभाव पड़ेगा.
- देश के लिए महत्वपूर्ण न्यासीय को सूचित करना, डीपीए का अधिकार है, परन्तु सोशल मीडिया मध्यस्थों को महत्त्वपूर्ण न्यासीय के रूप में सूचित करने का अधिकार केन्द्र को दिया गया है.
- सरकार के सभी स्तरों पर डेटा न्यासीय को विनियमित करने का अधिकार डीपीए को है. राज्य सूचना आयोग की तरह ही यह एक विकेन्द्रीकृत निकाय है, जो इसे जमीनी स्तर पर डेटा संरक्षण अधिकारों के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए कुशल, चुस्त और लचीला बनाता है.
- विधेयक में उद्योग, व्यापार संघों, सरकारी विभागों, अन्य क्षेत्रीय नियामकों और प्रथाओं के कोड के निर्माण में जनता की भागीदारी को अपनाया गया है.
- विनियमन प्रक्रिया अपारदर्शी है.
- डीपीए को डेटा न्यासीयों पर किए जाने वाले निरीक्षण और पूछताछ के परिणामों को प्रकाशित करने का उत्तरदायित्व दिया जाना चाहिए.
- डीपीए को RTI के अधीन रखा जाना चाहिए.
प्रौद्योगिकी और डेटा विज्ञान के क्षेत्र में परिवर्तन की तीव्र गति को देखते हुए, इस क्षेत्र में गुणात्मक और मात्रात्मक रूप से डीपीए की क्षमता को बढ़ाया जाना चाहिए. किसी भी कानून या नीति की सार्थकता उसके प्रवर्तन पर निर्भर करती है. आने वाले समय में डिजीटल जगत की चुनौतियों को देखते हुए अगर डीपीए को काम करने के अधिकार दिए जाते हैं, तो वह एक मॉडल बन सकता है.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
भारत में साइबर हमले से सम्बंधित चिंताओं एवं चुनौतियों का संक्षिप्त वर्णन करें.
Briefly describe the concerns and challenges related to cyber attacks in India.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Statutory, regulatory and various quasi-judicial bodies.
Topic : CSIR, FSSAI sign MoU for collaborative research on food and nutrition
संदर्भ
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री की उपस्थिति में खाद्य और पोषण के क्षेत्र में सहयोगात्मक शोध और सूचना प्रसार के लिए वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (CSIR) और खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के बीच एक MoU पर हस्ताक्षर किए गए.
डॉ. हर्ष वर्धन ने FSSAI को उसके ‘ईट राइट इंडिया’ के लिए रौकफेलर फाउंडेशन, सेकेंड म्यूज एवं ओपेन आईडियो द्वारा पुरस्कृत किए जाने वाले विश्व के 10 संगठनों में से एक बनने के लिए भी बधाई दी. इस पुरस्कार के द्वारा उन संगठनों को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने पुनरुत्पादक और पोषक खाद्य प्रणाली का एक प्रेरणादायी विजन विकसित किया है जिसे वे वर्ष 2050 तक सृजित करने की आकांक्षा रखते हैं.
EAT RIGHT INDIA MOVEMENT के मुख्य अवयव
- इस आन्दोलन के लिए FSSAI ने तीन मुख्य लक्ष्य निर्धारित किये हैं – सुरक्षित खाओ, स्वास्थ्यकर खाओ और ऐसा भोजन खाओ जो सतत उपलब्ध हो.
- उपयोग में लाये हुए खाद्य तेल को फिर से उपयोग में लाने से होने वाली हानियों से लोगों को बचाने के लिए ने FSSAI ने खाद्य तेल में कुल ध्रुवीय यौगिकों (Total Polar Compounds – TPC) की अधिकतम सीमा 25% कर दी है.
दोनों संस्थाओं के मध्य MoU के बारे में
- इस एमओयू का उद्देश्य खाद्य एवं पोषण के संबंध में सहयोगात्मक अनुसंधान एवं सूचना कर प्रसार करना है. इस नवोन्मेषी कदम दोनों प्रमुख संगठनों की क्षमताओं एवं सकायों के बीच सहयोग को बढ़ावा देगा.
- यह एमओयू भारतीय उद्योगों और इनके विनियमन के लिए सीएसआईआर के पास उपलब्ध नवोन्मेषी प्रौद्योगिकीयों की स्वीकृति के साथ साथ खाद्य सुरक्षा एवं पोषण अनुसंधान के क्षेत्र में विकसित की जाने वाली प्रौद्योगिकीयों एवं कार्यक्रमों की पहचान करने में सक्षम बनायेगा. यह खाद्य उपभोग, जैवकीय जोखिम की घटना एवं व्याप्ति, खाद्य में संदूषणों, उभरते जोखिमों की पहचान, उनकी कम करने की कार्यनीतियों और त्वरित अलर्ट प्रणाली के संबंध में डाटा का संग्रह का प्रयास भी करेगा.
- दोनों संगठन खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता एवं सुरक्षा पर भरोसेमंद रिपोर्टिंग के लिए पद्धतियों के विकास एवं वैविध्यकरण के उद्देश्य से देश भर में प्रयोगशालाओं के नेटवर्क के गुणवत्तापूर्ण आश्वासन को सुदृढ़ बनाने की दिशा में सहयोग करेंगे.
- यह खाद्य एवं पोषण के क्षेत्र में सहयोगात्मक अनुसंधान एवं सूचना प्रसार तथा भारत में उपभोक्ता सुरक्षा साल्यूशंस के लिए एक उज्जवल भविष्य का निर्माण करेगा. भारत के इन दो प्रमुख संस्थानों के बीच सहयोग न्यू फूड सिस्टम 2050 के विजन को पूरा करने में योगदान देगा.
CSIR
- वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research- CSIR) भारत का सबसे बड़ा अनुसंधान एवं विकास (R&D) संगठन है.
- इसकी स्थापना सितंबर 1942 में की गई थी. और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है.
- CSIR विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत स्वायत्त निकाय है.
- भारत का प्रधानमंत्री इस परिषद का पदेन अध्यक्ष और केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री पदेन उपाध्यक्ष होता है.
- वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद का उद्देश्य राष्ट्रीय महत्व से संबंधित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान करना है.
FSSAI
- FSSAI का full form है – Food Safety and Standards Authority of India.
- इसकी स्थापना खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के तहत की गई है.
- 2006 के पहले खाद्य सुरक्षा से सम्बंधित कई अधिनियम एवं आदेश थे जो विभिन्न मंत्रालयों द्वारा निर्गत किये गये थे. इन सभी को समेकित कर 2006 में खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 पारित किया गया था.
- इस अधिनियम के तहत स्वस्थ भोजन के लिए निर्माण, भंडारण, वितरण, विक्रय-निर्यात आदि सभी स्तरों पर खाद्य-पदार्थ के लिए विज्ञान पर आधारित मानक निर्धारित किये गये हैं.
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार FSSAI का प्रशासनिक मंत्रालय है.
- इसका अध्यक्ष भारत सरकार के सचिव-स्तर का होता है.
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
“जीरो हंगर चैलेंज” के विषय में आप क्या जानते हैं? भारत में कुपोषण की समस्या के किन्हीं तीन सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कारणों की चर्चा करें.
What do you know about “Zero Hunger Challenge”? Elaborate any three most important causes of the problem of malnutrition in India.
GS Paper 3 Source : Economic Times
UPSC Syllabus : Inclusive growth and issues arising from it.
Topic : Indian Insolvency and Bankruptcy Code, 2016
संदर्भ
भारतीय दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (स्वैच्छिक परिसमापन प्रक्रिया) नियम, 2017 में संशोधन किया है. इसके साथ ही IBBI ने भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (कॉर्पोरेट व्यक्तियों के लिए दिवाला प्रस्ताव प्रक्रिया) नियम, 2016 में भी संशोधन किया है.
IBBI द्वारा स्वैच्छिक परिसमापन प्रक्रिया नियम, 2017 में किये गए संशोधन
- भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 एक कॉर्पोरेट व्यक्ति को स्वैच्छिक परिसमापन प्रक्रिया शुरू करने में सक्षम बनाती है, यदि उस पर कोई ऋण नहीं है या वह परिसंपत्तियों की आय से अपने ऋण का पूरी तरह से भुगतान करने में सक्षम है.
- कॉरपोरेट व्यक्ति, सदस्यों या भागीदारों या योगदानकर्ताओं (मामले के अनुसार) के प्रस्ताव के द्वारा स्वैच्छिक परिसमापन प्रक्रिया का संचालन करने के लिए एक दिवाला पेशेवर (इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल)नियुक्त कर सकता है. हालांकि, ऐसी परिस्थितियां हो सकती हैं, जिनमें परिसमापक (लिक्वीडेटर) के रूप में एक और प्रस्तावित पेशेवर की नियुक्ति की आवश्यकता हो सकती है.
- नियमों में आज किए गए संशोधन में यह प्रावधान है कि कॉरपोरेट व्यक्ति लिक्विडेटर के स्थान पर किसी अन्य दिवाला पेशेवर (इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल) को सदस्यों या साझेदारों या योगदानकर्ताओं (मामले के अनुसार) के एक प्रस्ताव के द्वारा लिक्विडेटर के रूप में नियुक्त कर सकता है.
IBBI द्वारा कॉर्पोरेट व्यक्तियों के लिए दिवाला प्रस्ताव प्रक्रिया नियम, 2016 में किये गए संशोधन
- भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड ने भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड (कॉर्पोरेट व्यक्तियों के लिए दिवाला प्रस्ताव प्रक्रिया) (चौथा संशोधन) नियम, 2020 को अधिसूचित किया.
- भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता, 2016 न्याय प्राधिकरण द्वारा लेनदारों की समिति में एक प्राधिकृत प्रतिनिधि (एआर) की नियुक्ति की परिकल्पना करता है जिससे वित्तीय लेनदारों के एक वर्ग जैसे रियल एस्टेट में आवंटन प्राप्त व्यक्तियों के समूह का प्रतिनिधित्व किया जा सके.
- इस उद्देश्य के लिए, नियमों में कहा गया है कि अंतरिम प्रस्ताव पेशेवर, सार्वजनिक घोषणा में तीन दिवाला प्रोफेशनल्स (आईपी) का विकल्प देगा और लेनदारों का वर्ग इनमें से एक का चयन करेगा, जो उनके अधिकृत प्रतिनिधि के रूप में कार्य करेगा.
दिवालियापन संहिता विधेयक 2016
- संसद ने आर्थिक सुधारों की दिशा में कदम उठाते हुए एक नया दिवालियापन संहिता विधेयक 2016 में पारित किया था.
- भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता कोड (IBC), 2016 लाने तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (Non Performing Assets) चिंताजनक स्तर तक बढ़ चुका था. इन चिंताओं को दूर करने के लिये यह कानून बनाया गया और इसे लागू करके इसके तहत कार्रवाई भी की गई.
- दिवाला एवं दिवालियापन संहिता, 1909 के ‘प्रेसीडेंसी टाउन इन्सॉल्वेन्सी एक्ट’ और ‘प्रोवेंशियल इन्सॉल्वेन्सी एक्ट 1920’ को रद्द करती है तथा कंपनी एक्ट, लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप एक्ट और ‘सेक्यूटाईज़ेशन एक्ट’ समेत कई कानूनों में संशोधन करती है.
- इस कोड ने देश में कर्ज़दाताओं और कर्ज़ लेने वालों के संबंधों में महत्त्वपूर्ण बदलाव किया है. अब देखने में आ रहा है कि बड़ी संख्या में ऐसे कर्ज़दार, जिन्हें यह डर होता है कि वे रेड लाइन के निकट पहुँचने वाले हैं और जल्दी ही वे NCLT में होंगे, अब दिवालिया घोषित होने से परहेज कर रहे हैं.
- इस कोड के कार्यान्वयन की प्रक्रिया कुछ निश्चित शर्तों और नियमों द्वारा संचालित है. कुछ मामलों में अपीलों और उसके विरोध में अपीलों तथा मुकदमेबाज़ी के चलते अनेक बार यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है, परन्तु सर्वोच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के पश्चात् यह बाधा दूर हो गई है.
दरअसल, कंपनी या साझेदारी फर्म व्यवसाय में नुकसान के चलते कभी भी दिवालिया हो सकती हैं और यदि कोई इकाई दिवालिया होती है तो इसका तात्पर्य यह है कि वह अपने संसाधनों के आधार पर अपने ऋणों को चुका पाने में असमर्थ है. ऐसी स्थिति में कानून में स्पष्टता न होने पर कर्ज़दाताओं को भी क्षति होती है और स्वयं उस व्यक्ति या फर्म को भी भिन्न-भिन्न परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है. देश में इससे पहले तक दिवालियापन से संबंधित कम-से-कम 12 कानून थे, जिनमें से कुछ तो 100 साल से भी अधिक पुराने हैं.
प्रीलिम्स बूस्टर
National Company Law Appellate Tribunal (NCLAT) :-
- राष्ट्रीय कम्पनी कानून अपीलीय पंचाट (NCLAT) का गठन (1 जून, 2016 से प्रभावी) कम्पनी अधिनियम, 2013 के अनुभाग 410 के अंतर्गत किया गया था.
- इसका कार्य राष्ट्रीय कम्पनी कानून पंचाटों (NCLT) द्वारा पारित आदेशों के विरुद्ध अपील सुनना है
- यह संस्था NCLT द्वारा ऋणशोधन एवं दिवालियापन संहिता (Insolvency and Bankruptcy Code – IBC), 2016 के विभिन्न अनुभागों के अंतर्गत पारित आदेशों पर भी अपील सुनती है.
- इसके अतिरिक्त यह भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के द्वारा पारित किसी आदेश के विरुद्ध भी अपील की सुनवाई करती है.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
गैर-निष्पादनकारी संपत्ति (NPA) के वर्गीकरण को समझाएँ। कृषि क्षेत्र के ऋणों में गैर-निष्पादनकारी संपत्ति की वृद्धि के कारणों को उजागर करते हुए हाल के दिनों में गैर-निष्पादनकारी संपत्ति (NPAs) से निपटने हेतु सरकार के कदमों को रेखांकित कीजिये।
Explain the classification of non-performing assets (NPAs). Elucidate the factors leading to increase in the NPAs of non-agricultural loans and describe the steps recently taken by the government to tackle NPAs.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Important International Institutions.
Topic : TRAFFIC
संदर्भ
ट्रैफिक इंडिया (TRAFFIC India ) द्वारा किए गए एक नवीनतम अध्ययन से पता चला है कि भारत में 2015-2019 के मध्य कुल 747 तेंदुए की मौत हुई है, जिसमें से 596 अवैध वन्यजीव व्यापार और अवैध शिकार के कारण हुई हैं.
मुख्य तथ्य
- 2014 में भारत के तेंदुओं पर अंतिम औपचारिक जनगणना आयोजित की गई थी, जिसमें अनुमान लगाया गया था कि इनकी संख्या 12,000 से 14,000 के बीच है.
- भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा जल्द ही फिर से भारत में तेंदुओं पर औपचारिक जनगणना के परिणाम जारी किए जाने की संभावना जताई जा रही है.
- तेंदुओं की त्वचा के लिए सबसे अधिक शिकार किया जाता है. इसके अतिरिक्त, इन्हें इनके पंजे, दांत और हड्डियों जैसे डेरिवेटिव के लिए भी मारा जाता है; क्योंकि इन उत्पादों की मांग वैश्विक बाजार में बहुत अधिक है.
- देश भर में निवास स्थान के विनाश, मानव-वन्यजीव संघर्ष, सिकुड़ते आवास, अवैध व्यापार आदि ने तेंदुओं सहित अन्य वन्यजीवों के संरक्षण को नकारात्मक रूप से प्रभवित किया है.
- सन 2008 में इंटरनेशनल यूनियन ऑफ कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) द्वारा तेंदुओं (common leopards) के संरक्षण की स्थिति को 2015 तक के लिए संकटापन्न श्रेणी (Near Threatened) से संकटोन्मुख (Vulnerable) कर दिया गया था.
TRAFFIC
- TRAFFIC का पूरा नाम है – TRADE Record Analysis of Flora and Fauna In Commerce.
- TRAFFIC वन्यजीव व्यापार निगरानी नेटवर्क एक अग्रणी गैर-सरकारी संगठन है जो जैवविविधता संरक्षण और सतत विकास के संदर्भ में वन्यजीव व्यापार के क्षेत्र में काम कर रहा है.
- यह विश्व वन्यजीव कोष (WWF) और अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) का एक संयुक्त कार्यक्रम है.
- इसकी स्थापना वर्ष 1976 में हुई और यह अनुसंधान संचालित, कार्योन्मुखी, वैश्विक नेटवर्क के रूप में विकसित हुआ जो अभिनव और व्यावहारिक संरक्षण समाधान देने के लिये प्रतिबद्ध है.
- इसका मुख्यालय कैम्ब्रिज, इंग्लैंड में है .
- इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वन्य पौधों और पशुओं का व्यापार प्रकृति संरक्षण के लिये खतरा न हो.
- अवैध वन्यजीव व्यापार कई प्रजातियों के विलुप्तप्रायः होने का एक प्रमुख कारण है. उदाहरण के लिये, गैंडों के सींगों के अवैध व्यापार में बढ़ती मांग से गैंडों का अवैध शिकार वर्ष 2011 में सर्वोच्च स्तर पर पहुँच गया. केवल दक्षिण अफ्रीका में ही 448 गैंडों का अवैध शिकार हुआ. इससे अफ्रीकी गैंडों के मामले में संरक्षण की सालों की सफलता प्रभावित हो सकती थी.
प्रशासन
- TRAFFIC का प्रशासन TRAFFIC समिति द्वारा चलाया जाता है. यह एक परिचालन समूह है जो कि TRAFFIC के सहयोगी संगठनों, WWF और IUCN के सदस्यों से मिलकर बना है.
- TRAFFIC लुप्तप्रायः वन्य जीव जन्तु और वनस्पति पर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अभिसमय (CITES) के सचिवालय के साथ मिलकर काम करता है.
- इसके स्टाफ में विविध पृष्ठभूमि से विशेषज्ञ शामिल होते हैं, जैसे-जीवविज्ञानी, संरक्षण विज्ञानी, अकादमिक, शोधकर्त्ता, संचारकर्त्ता या अन्वेषक आदि .
कार्य
- अपनी स्थापना से ही इसने अंतर्राष्ट्रीय वन्यजीव व्यापार संधियों के विकास में सहायता की है.
- यह नवीनतम वैश्विक रूप से आवश्यक प्रजाति व्यापार मुद्दों जैसे बाघ के अंगों, हाथी दांत और गैंडों के सींग के व्यापार पर संसाधनों, विशेषज्ञता और जागरूकता के उत्थान हेतु अपना ध्यान केन्द्रित करता है.
- लकड़ी और मत्स्य उत्पादों जैसी वस्तुओं में बड़ी मात्रा के व्यावसायिक व्यापार पर भी ध्यान दिया जाता है और त्वरित परिणामों और नीतिगत सुधारों हेतु इन्हें कार्य से जोड़ा जाता है.
TRAFFIC एवं भारत
- TRAFFIC, वन्यजीव कोष- भारत के एक प्रोग्राम डिवीज़न के रूप में वर्ष 1991 से कार्य कर रहा है. यह नई दिल्ली में स्थित है.
- तभी से यह अवैध वन्यजीव व्यापार पर अध्ययन, निगरानी और रोकथाम में सहायता के लिये राष्ट्रीय और राज्य सरकारों तथा विभिन्न अन्य एजेंसियों के साथ निकटता से कार्य कर रहा है.
क्षमता निर्माण कार्यक्रमों द्वारा भारत में प्रभावी वन्यजीव प्रवर्तन अंतर को पाटना
इस कार्यक्रम के तहत TRAFFIC अधिकारियों के विविध समूहों को प्रशिक्षण तथा सहयोग प्रदान करता है जो कि वन्यजीव प्रवर्तन और अन्य संबन्धित मुद्दों पर कार्य कर रहे हैं.
विश्व वन्यजीव कोष क्या है?
- यह एक अंतर्राष्ट्रीय गैरसरकारी संगठन है.
- इसकी स्थापना 1961 में हुई थी.
- इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के ग्लैंड नगर में स्थित है.
- इस संगठन का लक्ष्य वन्यजीवन का संरक्षण करना तथा पर्यावरण पर मानवीय प्रभाव को घटाना है.
- यह संरक्षण से सम्बंधित विश्व का सबसे बड़ा संगठन है.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
“यदि वन्यजीव संरक्षण का कार्य मात्र संरक्षित क्षेत्रों यथा- राष्ट्रीय वन्यजीव पार्कों, टाइगर रिज़र्व आदि तक सीमित रहता है तो कई प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर खड़ी होंगी।” आप इस कथन से कहाँ तक सहमत हैं?
“If the job of wildlife conservation is confined only to protected areas such as national wildlife parks, tiger reserves etc., several species will be on the verge of extinction.” To what extent do you agree with this statement?
मेरी राय – मेंस के लिए
जैव विविधता को लगातार क्षति हो रही है, इसको बचाने के लिए अब तक हुए वैश्विक समझौते भी ज्यादा सफल नहीं रहे हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस क्षति पर रोक लगाने के लिए विज्ञान आधारित कार्रवाई होनी चाहिए. जैव विविधता को बचाने के लिए जलवायु परिवर्तन और तापमान पर नियंत्रण भी जरूरी है. संरक्षण सभी प्रमुख प्रजातियों पर लागू होगा जो कि प्रमुख वर्गीकरण समूहों (कवक, पौधे, अकशेरुकी और कशेरुक) और विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र जिसमें ताजे पानी, समुद्री और स्थलीय शामिल हैं. जैव विविधता के नुकसान को रिकॉर्ड करने के कई तरीके हैं लेकिन विलुप्त होना अलग है. एक बार एक प्रजाति का नुकसान होता है, तो यह हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है. जैव विविधता को बचाने के लिए दुनिया भर में योजनाएं बनाना आदि अंतर्राष्ट्रीय संधि में शामिल है. इस संधि को कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डाइवर्सिटी (सीबीडी) कहते हैं. इसके अंतर्गत 2020 के बाद जैव विविधता को बचाने के लिए इसके द्वारा अपनाई जाने वाली रणनीति को एक प्रमुख लक्ष्य के रूप में प्रस्तावित किया गया है. एक प्रजाति के कभी पूरा न होने वाले नुकसान का आकलन करने के लिए वैज्ञानिक रूप से रक्षात्मक उपाय किए जाने की आवश्यकता है.
Prelims Vishesh
Kamath Committee :-
- COVID-19 से सम्बंधित स्ट्रेस ऋणों के समाधान के लिए मानदंड सुझाने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने वरिष्ठ बैंक अधिकारी के.वी. कामथ की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित की है.
- इस समिति के लिए भारतीय बैंक संघ (IBA) सचिवालय के रूप में कार्य करेगा तथा इस समिति को पूरा अधिकार होगा कि वह आवश्यकतानुसार किसी भी व्यक्ति को बुला सकती है अथवा उससे परामर्श ले सकती है.
Business confidence index :-
भारत का अग्रणी अर्थशास्त्रीय थिंकटैंक – राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक सूद परिषद् (National Council for Applied Economic Research (NCAER) – एक त्रैमासिक सर्वेक्षण करके व्यवसाय भरोसा सूचकांक (Business confidence index – N-BCI) प्रकाशित किया करता है जिसको तैयार करने के लिए वह भारत की लगभग 600 कम्पनियों की व्यवसायगत भावनाओं का पता लगाता है.
Loya Jirga :-
- शताब्दियों से अफगानिस्तान में यह परम्परा रही है कि राष्ट्रीय संकट आने पर अथवा राष्ट्रीय प्रश्नों को निबटाने के लिए वहाँ एक अति समादृत परामर्शी निकाय बुलाया जाता है जिसका नाम लोया जिरगा होता है और जिसमें विभिन्न जनजातीय, धार्मिक और नस्ली समुदाय के प्रतिनिधि जमा होते हैं.
- लोया जिरगा कोई औपचारिक निर्णायक निकाय नहीं है और इसके निर्णय वैधानिक रूप से बाध्यकारी नहीं हैं, परन्तु अफगानी संविधान के अनुसार यह अफगान लोगों की अभिव्यक्ति का सर्वोच्च माध्यम माना जाता है.
- ज्ञातव्य है कि वर्तमान में अफगानिस्तान में यह विचार चल रहा है कि जघन्य अपराधों को करने वाले 400 तालिबानी लड़ाकुओं को मुक्त किया जाए या नहीं. इसके लिए एक त्रिदिवसीय लोया जिरगा महासभा बुलाई गई है.
Kavkaz 2020 :-
अगले महीले रूस Kavkaz 2020 नामक रणनीतिक कमांड पोस्ट सैन्य अभ्यास करने जा रहा है जिसमें भारत, चीन और पाकिस्तान के सैनिकों के अतिरिक्त शंघाई सहयोग संगठन के अन्य सदस्य देश भी सम्मिलित होंगे.
Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Sansar DCA
July, 2020 Sansar DCA is available Now, Click to Download