Sansar डेली करंट अफेयर्स, 07 December 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 07 December 2019


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Parliament and State Legislatures – structure, functioning, conduct of business, powers & privileges and issues arising out of these.

Topic : Parliamentary Standing Committees

संदर्भ

पिछले दिनों राज्य सभा अध्यक्ष वेंकैया नायडू के साथ आयोजित स्थायी समितियों के अध्यक्षों की एक बैठक में यह विचार दृढ़ता से रखा गया कि जो सांसद सदस्य स्थायी समितियों में लगातार अनुपस्थित रहेंगे उनको इन समितियों की सदस्यता से हटा दिया जाना चाहिए.

संसदीय स्थायी समितियाँ क्यों आवश्यक हैं?

  • संसदीय समितियाँ वे मंच हैं जहाँ किसी प्रस्तावित कानून के ऊपर विस्तृत विचार-विमर्श होता है.
  • ऐसी समितियों में विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों की संख्या के अनुपात में सांसद लिए जाते हैं.
  • समितियों की बैठक बंद कमरे में होती है और सदस्यों पर दलीयव्हिप नहीं चलता है.
  • संसदीय समितियों में सदनों की तुलना में अधिक व्यापक ढंग से विचार होता है और सदस्य बिना झिझक के अपनी बात रखते हैं.
  • संसदीय समितियों से सांसदों को कार्यकारी प्रक्रिया को निकट से समझने का अवसर मिलता है.

स्थाई समितियों के प्रकार

  1. अधिकांश संसदीय समितियाँ स्थायी होती हैं क्योंकि ये अनवरत् अस्तित्व में रहती हैं और सामान्यतः प्रत्येक वर्ष पुनर्गठित होती हैं.
  2. कुछ समितियाँ किसी विशेष विधेयक पर विचार करने के लिए गठित होती हैं. अतः इन्हें “सिलेक्ट समितियाँ” कहा जाता है. सम्बंधित विधेयक के पारित होते ही यह समिति समाप्त हो जाती है.

संवैधानिक स्रोत

संसदीय समितियों की शक्ति का स्रोत दो धाराएँ हैं –

  1. पहली धारा 105 (Article 105) है जो सांसदों के विशेषाधिकार से सम्बंधित है.
  2. दूसरी धारा 118 (Article 118) है जिसमें संसद की प्रक्रिया और आचरण के विषय में संसद को नियम बनाने के लिए प्राधिकृत किया गया है.

भारतीय संसद की प्रमुख स्थायी समितियाँ निम्नलिखित हैं – 

याचिका समिति (The Committee on Petitions)

इस समिति में कम से कम 15 सदस्य होते हैं. लोकसभा अध्यक्ष समिति के सदस्यों का नाम-निर्देशन करता है और समिति का कार्यकाल एक वर्ष है. जनता द्वारा सदन के सम्मुख सामान्य हित से सम्बंधित जो याचिकाएँ प्रस्तुत की जाती हैं यह समिति उन याचिकाओं पर विचार कर सदन के सामने रिपोर्ट देती है.

लोक लेखा समिति (The Public Accounts Committee)

इस समिति का कार्य सरकार के सभी वित्तीय लेन-देन सम्बन्धी विषयों की जांच करना है. समिति में 22 सदस्य होते हैं, जिनमें 15 सदस्य लोकसभा से और 7 सदस्य राज्यसभा से होते हैं. समिति का कार्यकाल 1 वर्ष है और कोई मंत्री इस समिति का सदस्य नहीं होता है. इस समिति की सिफारिशों ने देश के वित्तीय प्रशासन को सुधारने में बहुत अधिक योगदान किया है.

प्राक्कलन समिति (Estimates Committee)

प्राक्कलन समिति कार्य भी शासन पर वित्तीय नियंत्रण करना है. इस समिति का कार्य विभिन्न विभागों के वित्तीय अनुमानों की जांच करना है और यह फिजूलखर्ची रोकने (to stop wasteful expenditure) के लिए सुझाव देती है. इसकी नियुक्ति प्रति वर्ष प्रथम सत्र के प्रारम्भ में की जाती है. समिति में लोकसभा के 30 सदस्य होते हैं और इसका कार्यकाल 1 वर्ष होता है. कोई मंत्री इसका सदस्य नहीं होता है.

विशेषाधिकार समिति (The Committee of Privileges)

इस समिति का कार्य सदन और उसके सदस्यों के विशेषाधिकारों की रक्षा करना है. इस उद्देश्य से यह समिति विशेषाधिकारों के उल्लंघन के मामलों की जांच करती है. इसमें 15 सदस्य होते हैं, जिन्हें सदन का अध्यक्ष मनोनीत करता है.

सरकारी आश्वासन समिति (The Committee on Govt. Assurances)

शासन और मंत्रिमंडल के सदस्यों द्वारा समय-समय पर जो आश्वासन दिए जाते हैं, इन आश्वासनों को किस सीमा तक पूरा किया जाता है, इस बात की जाँच यह समिति करती है. इस समिति का कार्य सदन की प्रक्रिया तथा उसके कार्य-संचालन के नियमों पर विचार करना तथा आवश्यकतानुसार उनमें संशोधन की सिफारिश करना है.

सदन में अनुपस्थित रहने वाले सदस्यों सम्बन्धी समिति (The Committee on absence of members from sitting of the House)

यदि कोई सदस्य सदन की बैठक से 60 या उससे अधिक दिनों तक सदन की अनुमति के बिना अनुपस्थित रहता है, तो उसका मामला समिति के पास विचार के लिए भेजा जाता है. समिति को अधिकार है की सम्बंधित सदस्य की सदस्यता समाप्त कर दे अथवा अनुपस्थिति माफ़ कर दे. इस समिति में 15 सदस्य होते हैं, जिन्हें अध्यक्ष एक वर्ष के लिए मनोनीत करता है.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation / Effects of liberalization on the economy, changes in industrial policy and their effects on industrial growth.

Topic : Fugitive Economic Offender

संदर्भ

प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर एक विशेष अदालत ने पंजाब नेशनल बैंक से दो अरब अमेरिकी डॉलर की धोखाधड़ी करने के मामले में हीरा कारोबारी नीरव मोदी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी करार दिया है.

विदित हो कि नीरव मोदी विजय माल्या के बाद दूसरा ऐसा कारोबारी है जिसे नए भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (FEO) के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी करार दिया गया है. यह अधिनियम पिछले साल अगस्त में प्रभाव में आया था.

मामला क्या है?

विदित हो कि नीरव मोदी और उसका चाचा मेहुल चोकसी पीएनबी धोखाधड़ी मामले में मुख्य आरोपी है. यह गारंटी पत्र जारी करने में कथित धोखाधड़ी से जुड़ा है जिसकी वजह से सरकारी बैंक को दो अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा था. नीरव मोदी को लंदन में गिरफ्तार किया गया था और अभी प्रत्यर्पण प्रक्रिया लंबित है.

अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ

यह अधिनियम किसी व्यक्ति को एक भगोड़ा आर्थिक अपराधी (FEO) के रूप में घोषित करने की अनुमति देता है, यदि –

  • किसी भी निर्दिष्ट अपराध के लिए उसके विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया हो जहाँ मामला 100 करोड़ रु. से अधिक का हो, और
  • उसने देश छोड़ दिया हो और अभियोजन का सामना करने के लिए वापस लौटने से इन्कार कर दिया हो.
  • यह न केवल लोन डिफ़ॉल्टर और फ्रॉडस्टर को शामिल करता है, बल्कि उन व्यक्तियों पर भी लागू होता है जो कर, काले धन, बेनामी सम्पत्तियों और वित्तीय भ्रष्टाचार से सम्बंधित कानूनों का उल्लंघन करते हैं.
  • प्रवर्तन निदेशालय (ED) विधि प्रवर्तन के लिए सर्वोच्च एजेंसी होगी.
  • किसी व्यक्ति को FEO घोषित करने के लिए एक विशेष अदालत में एक आवेदन दायर किया जायेगा जिसमें जब्त की जाने वाली सम्पत्ति का वितरण, और व्यक्ति के अता-पता से सम्बंधित जानकारी शामिल होगी.
  • विशेष अदालत को व्यक्ति को किसी निर्दिष्ट स्थान पर उपस्थित होने के लिए नोटिस जारी करने से कम से कम छह सप्ताहका समय दिया जाएगा. यदि वह उपस्थित हो जाता है तो कार्यवाही समाप्त कर दी जायेगी.
  • यह अधिनियम विशेष अदालत के समक्ष आवेदन लंबित होने की स्थिति में अधिकारियों को अस्थायी रूप से आरोपी की सम्पत्ति को कुर्क करने की अनुमति प्रदान करता है.
  • FEO के रूप में घोषित हो जाने पर, किसी व्यक्ति की सम्पत्ति को जब्त किया जा सकता है.
  • भगोड़े के रूप में वर्गीकृत व्यक्ति, जबतक भारत वापस नहीं आते हैं और अभियोजन का सामना नहीं करते हैं, वे भारत में कोई भी सिविल केस दायर करने में सक्षम नहीं होंगे.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Inclusive growth and issues arising from it.

Topic : RBI guidelines for Payments banks’ SFB licence

संदर्भ

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) देश में निजी क्षेत्र में लघु वित्त बैंकों की स्थापना के लिए ऑन टैप लाइसेंस को लेकर अंतिम दिशा-निर्देश जारी कर दी है. इसमें कुछ बदलाव किए गए हैं. लाइसेंस लेने के लिए आरबीआई की वेबसाइट पर आवेदन किया जा सकता है.

अर्हता

  • निजी क्षेत्र की ऐसी कपनियां या सोसायटियां जिनका स्वामित्व किसी भारतीय नागरिक के पास है और जिसने कम से कम पाँच वर्ष सफल तरीके से परिचालन किया है, वे भी लघु वित्त बैंक के प्रवर्तक बन सकते हैं.
  • लघु वित्त बैंक के ऑन टैप लाइसेंस को आवेदन के लिए नेटवर्थ कम से कम 200 करोड़ रुपए होना चाहिए.
  • अर्बन कोऑपरेटिव बैंक से लघु वित्त बैंक बनने के लिए कम से कम 100 करोड़ रुपए का नेटवर्थ होना चाहिए.
  • दिशा-निर्देश पर खरे उतरने वाले लघु वित्त बैंक को कारोबार शुरू करने वाले दिन से ही शेड्यूल्ड बैंक का दर्जा दिया जाएगा.
  • कारोबार की अनुमति मिलते ही लघु वित्त बैंक को आउटलेट खोलने की सामान्य अनुमति मिल जाएगी.
  • 5 साल तक पैमेंट बैंक के रूप में कार्य करने वाले भी लघु वित्त बैंक के लिए आवेदन कर सकते हैं.

‘ऑन टैप’ लाइसेंस क्या होता है?

‘ऑन टैप’ लाइसेंस का अर्थ है कि दिशा-निर्देशों में दी गई अहर्ता को पूरा करने वाली इकाइयों को आवेदन करने के बाद किसी अतिरिक्त मंजूरी के बिना लाइसेंस जारी किया जाएगा.

रिजर्व बैंक ने कहा कि यदि कोई एसएफबी पहली बार 500 करोड़ रुपये का कारोबार हासिल कर लेता है तो उसे तीन साल के भीतर सूचीबद्ध होना पड़ेगा.

ऑन टैप लाइसेंस के लिए आवेदन कैसे होता है?

  • देश का कोई भी ऐसा व्यक्ति (एकल या संयुक्त) जो बैंकिंग या फाइनेंस सेक्टर में अनुभव रखता है, लघु वित्त बैंक के लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकता है.
  • इसके अतिरिक्त निजी क्षेत्र की कंपनियां और सोसायटीज, नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनीज, माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट, लोकल एरिया बैंक्स, पेमेंट बैंक ऑन टैप लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization of resources, growth, development and employment.

Topic : National Investment and Infrastructure Fund (NIIF)

संदर्भ

कनाडा का सबसे बड़ा पेंशन फंड कनाडा पेंशन प्लान इन्वेस्टमेंट बोर्ड (CPPIB) ने NIIF मास्टर फंड के माध्यम से राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना कोष (NIIF) में लगभग 600 मिलियन डॉलर का निवेश करने पर सहमति व्यक्त की है.

NIIF क्या है?

  • NIIF लंबित आधारभूत परियोजनाओं हेतु विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए भारत में एक प्रमुख मंच के रूप में कार्य करता है.
  • ज्ञातव्य है कि यह कोष (NIIF) 2015 में भारत सरकार द्वारा 40,000 करोड़ रु. की राशि से देश में अवसंरचनात्मक परियोजनाओं में निवेश करने के लिए गठित की गई थी जिसमें 49% धन सरकार निवेश करेगी और शेष धन तृतीय-पक्ष (third-party) निवेशकों, जैसे – सॉवरेनसंपदा कोष (sovereign wealth funds), बीमा तथा पेंशन कोष, दान इत्यादि से उगाहा जायेगा.
  • यह ऊर्जा, परिवहन, आवास, जल, कचरा निपटान तथा अन्य आधारभूत संरचना से सम्बंधित क्षेत्रों में निवेश करता है.
  • वर्तमान में NIIF तीन अलग-अलग निवेश कोषचला रहा है जो सभी SEBI में वैकल्पिक निवेश फण्ड के रूप में पंजीकृत हैं.

तीन अलग-अलग निवेश कोष

मास्टर कोष :- यह कोष मुख्य रूप से सड़कों, बंदरगाहों, हवाई अड्डों, बिजली कारखानों आदि अवसंरचना के शुद्ध प्रक्षेत्रों में निवेश करता है.

कोषों का कोष :- यह उन कोषों में निवेश करता है जिनको वैसे कोष प्रबंधक संभाल रहे हैं जिन्होंने अवसंरचना एवं सम्बद्ध प्रक्षेत्रों में अच्छा काम किया है. यह कोष जिन प्रक्षेत्रों पर अधिक ध्यान देता है, वे हैं – हरित अवसरंचना, मध्य आय एवं सस्ती आवास योजना, अवसंरचनात्मक सेवाएँ और सम्बद्ध प्रक्षेत्र.

रणनीतिक निवेश कोष :- सेबी में पंजीकृत होने वाला तीसरा निवेश कोष रणनीतिक निवेश कोष कहलाता है और इसे वैकल्पिक निवेश कोष 2 का नाम दिया गया है.


GS Paper 3 Source: Indian Express

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UPSC Syllabus : Awareness in space.

Topic : Hera mission

संदर्भ

डीडीमोस क्षुद्रग्रह पर प्रहार करके और फिर उस प्रहार के प्रभाव को जाँचने के लिए निर्मित अंतर्राष्ट्रीय योजना के अंतर्गत हेरा नामक अंतरिक्षयान के प्रक्षेपण के लिए निर्धारित बजट को यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने अनुमोदित कर दिया है.

हेरा क्या है?

विदित हो कि यह यूरोपीय स्पेस एजेंसी द्वारा निर्मित एक अंतरिक्षयान है जिसका नामकरण यूनानी विवाह देवी पर किया गया है.

हेरा का काम क्या होगा?

  • हेरा का प्रक्षेपण 2024 में होगा.
  • यह पृथ्वी के निकट पाए जाने वाले डीडीमोस नामक युगल क्षुद्रग्रहों तक की यात्रा करेगा.
  • सबसे पहले नासा इन क्षुद्रग्रहों में से छोटे वाले क्षुद्रग्रह पर प्रहार करेगा. तत्पश्चात् हेरा वहाँ पहुँच कर उस प्रहार से उत्पन्न स्थिति का विस्तृत सर्वेक्षण करेगा.

DART योजना

  • अमेरिका का नासा डीडीमून तक पहुँचने वाले एक अन्तरिक्षयान की योजना बना रहा है जो 2020 और 2021 के बीच संचालित होगी.
  • यह योजना अमेरिका की DART (Double Asteroid Redirection Test) योजना के तहत चलायी जायेगी.
  • यहाँ यह ज्ञातव्य है कि DART योजना एक ऐसी योजना है जिसमें पृथ्वी से ऐसी मिसाइल छोड़ी जायेगी जो अन्तरिक्ष में जाकर पृथ्वी के निकट आते हुए क्षुद्रग्रह को उसके परिक्रमा पथ से छिटका देगी जिससे कि वह पृथ्वी से टकरा न सके और उसे क्षति न पहुँचा सके.
  • अमेरिका की इस योजना के अंतर्गत 2022 में एक DART डीडीमून तक जाएगा और इसके परिक्रमा पथ को बदल डालेगा. इसके लिए DART जान-बूझकर डीडीमून पर 6 किमी/सेकंड की गति से जा टकराएगा. उस समय डार्ट पर एक कैमरा और स्वायत्त-चालन सॉफ्टवेर लगा होगा.
  • इस टकराव के बाद हेरा 2026 में उस क्षुद्रग्रह की खोज करने पहुंचेगा और देखेगा कि अमेरिका के डार्ट के टकराव का वहाँ क्या प्रभाव पड़ा है और वह क्षुद्रग्रह अपने परिक्रमा पथ से कितना दूर छिटका है.
  • डीडीमून ही क्यों चुना गया?
  • डीडीमून को इसलिए चुना गया क्योंकि वह अत्यंत छोटा है और पृथ्वी से अत्यंत निकट भी है. वह डीडीमोस के चारों ओर 12 घंटे में परिक्रमा कर लेता है, इसलिए इसको पथभ्रष्ट करना सरल और नापने योग्य होगा.

डीडीमोस क्या है?

  • डीडीमोस क्षुद्रग्रहों का एक जोड़ा है जिसमें बड़े छुद्रग्रह का व्यास 780 मील है और परिक्रमा का समय 2.26 घंटा है. विदित हो कि डिडीमोस के चारों ओर डीडीमून (Didymoon) नामक चाँद परिक्रमा लगाता है, जिसका आकार मिस्र के गीज़ा पिरामिड के लगभग बराबर है और जिसका व्यास मात्र 160 मीटर है.

Prelims Vishesh

Sukapaika :

पिछले दिनों ओडिशा में स्थित महानदी की अनेक सहायक नदियों में से एक सुकापैका चर्चा में रही क्योंकि यह पाया गया है कि जलकुम्भियों से भरी होने के कारण तथा इसकी तलहटी के क्षरण के फलस्वरूप यह मृतप्राय हो चली है.

Going Online as Leaders :

  • गोल कार्यक्रम सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक का कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण स्तर पर देश भर की जनजातीय युवा महिलाओं को डिजिटल रूप से प्रोत्साहित और प्रशिक्षित करना है.
  • इस कार्यक्रम की शुरूआत मार्च, 2019 में हुई थी.

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