JANUARY Hardcopy
हम जानते हैं कि आप जनवरी की हार्डकॉपी पाने के लिए कितने उतावले हैं. अभी तक मुझे शायद हजार से ज्यादा मेल और कमेंट आ चुके हैं कि सर आप हार्डकॉपी कब निकलवा रहे हो. मैं इस बात से भली-भाँति परिचित हूँ कि मैंने इस कार्य को अंजाम देने में विलम्ब कर दिया है. दरअसल, यह पहली बार है कि हम कुछ ऐसा काम करने जा रहे हैं. इसमें काफी कुछ देखना पड़ता है – जैसे कूरियर सेवा से बातचीत, वेबसाइट पर आर्डर ग्रहण करने की प्रक्रिया को सरलीकृत करना, प्रिंटिंग वाले को निर्देश आदि.
चूँकि यह सब हमारे लिए पहली बार है इसलिए इस महीना विलम्ब होना लाजमी है. आपसे आशा करता हूँ कि आप धैर्य रखेंगे और हमारा भरपूर साथ देंगे. जिन्हें बहुत ही जल्दबाजी है और जो खुद प्रिंट आउट करना चाहते हैं, वह आर्टिकल के नीचे दिए गए लिंक से Ebook डाउनलोड कर सकते हैं.
हार्डकॉपी के संदर्भ में जल्द ही सूचित करूँगा.
धैर्य बनाने के लिए और हमारा साथ देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद!
Sansar Daily Current Affairs, 07 February 2019
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Banning of Unregulated Deposit Schemes Bill, 2018
संदर्भ
हाल ही में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अनियमित जमा योजना प्रतिबंध विधेयक, 2018 में कुछ सुधार करने का अनुमोदन कर दिया है. ये सुधार स्थायी वित्त समिति के सुझाव पर लाये जा रहे हैं. इन सुधारों का उद्देश्य अवैध जमा लेने से सम्बन्धित गतिविधियों पर काबू पाना है जिससे लोग अपनी मेहनत की कमाई न खो दें.
विधेयक के मुख्य प्रावधान
- इसमें किसी भी व्यक्ति को किसी अनियमित जमा योजना चलाने अथवा उसके लिए विज्ञापन निकालने अथवा जमा लेने पर प्रतिबंध लगा दिया है. ऐसी गतिविधियाँ अब अपराध कहलाएँगी.
- इस प्रसंग में होने वाले अपराधों को तीन वर्गों में बाँटा गया है – i) अनियमित जमा योजना चलाना ii) नियमित जमा योजना में जालसाजी करना iii) अनियमित जमा योजना के लिए गलत ढंग से लोगों को लालच देना.
- विधेयक में ऐसे अपराधों की रोकथाम के लिए कठोर दंड और जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
- यदि अवैध ढंग से लोगों से जमा ले लिया गया है तो धनराशि को वापस करने का प्रावधान किया गया है.
- जमा करने वालों को पैसा लौटवाने के लिए नए विधेयक के अनुसार सक्षम अधिकारी जमा लेने वालों की सम्पत्ति को जब्त कर सकता है.
- जमा नहीं लौटाने वालों की सम्पत्ति को जब्त करने और जमा करने वालों के पैसे लौटाने के लिए स्पष्ट समय-सीमा निर्धारित कर दी गई है.
- देश में जमा लेने से सम्बंधित गतिविधियों की जानकारी को सार्वजनिक करने के लिए एक ऑनलाइन केन्द्रीय डेटाबेस बनाया जाएगा.
“जमा लेने वाले” और “जमा राशि” की परिभाषा
“जमा लेने वाले” से अभिप्राय है वे सभी व्यक्ति अथवा इकाइयाँ जो लोगों से पैसा माँगती हैं अथवा लेती हैं. “जमा राशि” से अभिप्राय वह पैसा है जो आम नागरिक किसी जमा योजना में लगाता है. परन्तु, पैसा लेने वाले व्यक्ति अथवा कम्पनी जमा राशि को रसीद बतलाकर उसे छुपाने का काम नहीं कर सकते हैं.
इस नए कानून की आवश्यकता क्यों?
नया कानून इसलिए बनाया जा रहा है कि विगत काल में ऐसे कई उदाहरण मिले हैं जिनमें लोगों से अवैध जमा के लिए पैसा वसूल किया गया है और वसूलने वाले पैसे लेकर कालांतर में चम्पत हो गये. ऐसी जालसाजी के शिकार अधिकतर गरीब और निरक्षर लोग होते हैं.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Rashtriya Kamdhenu Aayog
संदर्भ
गायों और गोवंश की सुरक्षा एवं विकास के लिए केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की स्थापना से सम्बंधित प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया है.
पृष्ठभूमि
हाल ही में भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गये अंतरिम बजट में राष्ट्रीय गोकुल मिशन को 750 करोड़ आवंटित हुए हैं. बजट की प्रस्तुति के समय यह घोषणा की गई थी कि इस मिशन के अंतर्गत एक राष्ट्रीय कामधेनु आयोग स्थापित किया जाएगा.
आयोग के कार्य
- राष्ट्रीय कामधेनु आयोग गायों के प्रजनन और पालन, जैव-खाद, बायो-गैस जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान के कार्य में लगे हुए संस्थानों, जैसे – पशुपालन विश्वविद्यालयों, पशु विज्ञान विश्वविद्यालयों अथवा कृषि विश्वविद्यालयों अथवा केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के सम्बंधित विभागों अथवा संगठनों से मिल-जुलकर अपने कार्य का निष्पादन करेगा.
- यह गोवंश के आनुवंशिक उत्क्रमण और उनकी उत्पादकता की वृद्धि से सम्बंधित वैज्ञानिक गतिविधियों को हाथ में लेगा.
- यह देश में चल रहे गो-संरक्षण एवं विकास से सम्बंधित कार्यक्रमों के लिए नीतिगत ढाँचा तैयार करेगा और आवश्यक दिशा-निर्देश देगा जिससे कि गो-कल्याण से जुड़े कानून सही ढंग से लागू हो सकें.
आयोग आवश्यक क्यों?
- राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ऐसे अनेक कार्य करेगा जिससे देश के गोवंश का संरक्षण, सुरक्षा एवं विकास होगा.
- आयोग के माध्यम से देशी प्रजाति की गायों के विकास और संरक्षण में सहायता मिलेगी.
- आयोग के कार्यों से गोवंश क्षेत्र अधिक फले-फूलेगा जिसका फल अंततः महिलाओं और छोटे तथा सीमांत किसानों को मिलेगा.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : National Institutes of Food Technology, Entrepreneurship and Management Bill, 2019
संदर्भ
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान विधयेक, 2019 को संसद में प्रस्तुत करने की स्वीकृति दे दी है. इस विधेयक का उद्देश्य दो संस्थानों को राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान का दर्जा दिया जाएगा. ये संस्थान हैं – हरियाणा राज्य के कुंडली में स्थित राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान (NIFTEM) तथा तमिलनाडु के तंजावुर में स्थित भारतीय खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी संस्थान (IIFPT).
दर्जा देने का लाभ
- विधेयक पारित हो जाने पर इन संस्थानों को कार्यगत स्वायत्तता मिल जायेगी और इस प्रकार वे ऐसे पाठ्यक्रम बना सकेंगे और ऐसी शोध-परक गतिविधियाँ हाथ में ले सकेंगे जिनसे वे विश्व-स्तरीय संस्थानों के रूप में उभर सकें.
- ये संस्थान सरकार की आरक्षण नीति को लागू करेंगे.
- राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान बन जाने पर ये संस्थान नई-नई प्रथाओं को अपनाकर विश्व-स्तरीय शिक्षण और शोध की व्यवस्था कर पायेंगे.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Income-Tax Ombudsman
संदर्भ
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में आयकर एवं अप्रत्यक्ष कर ओम्बड्समैन के पदों को भंग करने से सम्बंधित एक प्रस्ताव पर अपना अनुमोदन दे दिया है.
यह निर्णय क्यों?
हाल के दिनों में लोग अपनी शिकायतों के समाधान के लिए वैकल्पिक उपायों का सहारा ले रहे हैं जिनकी तुलना में ओम्बड्समैन की संस्था उतनी कारगर नहीं रही है. ज्ञातव्य है कि आयकर ओम्बड्समैन की संस्था 2003 में आयकर से सम्बंधित लोगों के विवादों के निपटारे के लिए बनाई गई थी. परन्तु यह संस्था अपने उद्देश्यों में विफल रही. इस संस्था के पास नई शिकायतें आना लगभग बंद हो गई हैं. इसके स्थान पर लोग जिन समानांतर उपायों का सहारा ले रहे हैं, वे हैं – केंद्रीकृत लोक शिकायत समाधान एवं अनुश्रवण प्रणाली (CPGRAMS), आयकर सेवा केंद्र इत्यादि.
विदित हो कि अप्रत्यक्ष कर ओम्बड्समैन के रिक्त कार्यालयों को 2011 में ही बंद कर दिया गया था.
ओम्बड्समैन के बारे में
- इसकी स्थापना लंबित रिफंड जैसी आयकर विभाग से सम्बंधित शिकायतों के निपटारे के लिए की गई थी.
- यह एक स्वयात्त संस्थान था और इसलिए अधिकार क्षेत्र में आयकर विभाग का कोई हस्तक्षेप नहीं होता था.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : A unified authority for regulating all financial services in IFSCs
संदर्भ
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण अधिनियम, 2019 के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSCs) में सभी वित्तीय सेवाओं को नियमित करने के लिए एकीकृत प्राधिकरण की स्थापना को स्वीकृति प्रदान कर दी गई है.
अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र
- भारत में प्रथम IFSCs की स्थापना गुजरात के गांधीनगर में गिफ्ट सिटी में की गई है.
- IFSCs द्वारा वर्तमान में भारतीय कार्पोरेट संस्थाओं और वित्तीय संस्थानों द्वारा विदेशो में शाखा और सहायक कंपनी द्वारा वित्तीय केंद्रो में किए जा रहे वित्तीय सेवाओं और लेनदेन के कार्य को करने हेतु सक्षम बनाया जाएगा.
- IFSCs द्वारा लंदन और सिंगापुर में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय केंद्रो के अऩुरूप व्यापार एवं नियामक वातावरण प्रदान किया जाएगा.
लाभ
- इससे भारतीय कार्पोरेट की वैश्विक वित्त बाजार तक सरलता से पहुंच संभव हो सकेगी. IFSCs से भारत में वित्तीय बाजार के विकास को ओंर बल मिलेगा.
- एकीकृत प्राधिकरण देश में IFSCs के विकास के लिए वैश्विक कार्यप्रणाली के अऩुरूप समकालीन आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करेगा.
एकीकृत प्राधिकरण की आवश्यकता क्यों?
- वर्तमान में IFSCs में बैंकिग, कैपिटल मार्केट और बीमा क्षेत्र में कई नियामक जैसे रिजर्व बैक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) और भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण कार्यरत हैं.
- IFSCs में निरंतर सक्रिय कार्य के कारण नियामकों के बीच समन्वय की बहुत आवश्यकता है.
- IFSCs में वर्तमान में नियमन करने वाले में नियमित स्पष्टीकरण और निरंतर संशोधन की आवश्यकता होती है.
- IFSCs में वित्तीय सेवाओं और उत्पादों के विकास हेतु केंद्रित और समर्पित नियामक हस्तक्षेप की आवश्यकता है. इसलिए देश में वित्तीय बाजार भागीदारको को विश्व स्तरीय नियामक वातावरण प्रदान करने के लिए एकीकृत वित्तीय नियामक की आवश्यकता महसूस की जा रही थी. इसके साथ ही यह व्यापार करने में सुगमता के उद्देश्य से भी आवश्यक था.
- IFSCs की नियामक आवश्यकताओं और वित्तीय क्षेत्र में वर्तमान कानूनों के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आर्थिक मामलों के विभाग ने IFSCs के लिए पृथक एकीकृत नियामक स्थापित करने के लिए मसौदा अधिनियम तैयार किया था.
प्राधिकरण का प्रबंधन
प्राधिकरण में एक अध्यक्ष, रिजर्व बैंक, आईआरडीएआई,सेबी और पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा नामित एक-एक सदस्य, केंद्र सरकार द्वारा नामित दो सदस्य और दो अन्य पूर्णकालिक या पूर्ण या अंशकालिक सदस्य होंगे.
प्राधिकरण के कार्य
- प्राधिकरण वित्तीय सेवा प्राधिकरण द्वारा आईएफएससी के लिए पहले से अनुमति प्राप्त सभी वित्तीय सेवाओं और उत्पादो का नियमन करेगा.
- प्राधिकरण इसके साथ ही समय-समय पर केंद्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित ऐसे अन्य वित्तीय उत्पाद, वित्तीय सेवा और एफआई का नियमन भी करेगा.
- प्राधिकरण इसके साथ ही केंद्र सरकार को ऐसे अन्य वित्तीय उत्पाद और सेवा तथा वित्तीय संस्थान जिन्हें आईएफएससी में अनुमति दी जा सकती हो की सिफारिश कर सकता है.
प्राधिकरण की शक्ति
- वित्तीय क्षेत्र के संबधित नियामक जैसे RBI, SEBI, IRDAI आदि द्वारा प्रयोग की जा रहीं सभी शक्तियों का प्रयोग पूरी तरह से प्राधिकरण द्वारा आईएफएससी में किया जाएगा.
- इसमें आईएफएससी से संबधित अनुमति प्राप्त वित्तीय उत्पाद, वित्तीय सेवा और एफआई का नियमन सम्मिलित है.
प्राधिकरण की प्रक्रिया और कार्यप्रणाली
प्राधिकरण की प्रक्रिया और कार्यप्रणाली संसद द्वारा बनाए गए संबधित अधिनियमों के अनुरूप होंगी, जो ऐसे वित्तीय उत्पादों, सेवाओं और संस्थानों में परिस्थिति अनुरूप मान्य होगी .
केन्द्र सरकार द्वारा वित्तीय अनुदान
केंद्र सरकार संसद द्वारा उचित विनियोजन के बाद प्राधिकरण के प्रयोग के लिए वित्तीय अनुदान दे सकती है.
विदेशी मुद्रा में लेनदेन
आईएफएससी में वित्तीय सेवा में लेनदेन प्राधिकरण द्वारा केंद्रीय सरकार के साथ विचार-विमर्श के पश्चात् निर्धारित विदेशी मुद्रा में किया जाएगा.
GS Paper 3 Source: PIB
Topic : Agri-Market Infrastructure Fund (AMIF)
संदर्भ
आर्थिक मामलों की कैबनेट समिति ने हाल ही में कृषि बाजार अवसंरचना कोष (AMIF) के लिए 2000 करोड़ रू. की एक निधि के सृजन को अपना अनुमोदन दे दिया है.
AMIF क्या है?
- यह कोष NABARD के पास रहेगा. इससे ग्रामीण कृषि बाजारों और विनियमित थोक बाजारों में कृषि बाजार से सम्बंधित अवसरंचना विकसित एवं उत्क्रमित की जायेगी.
- यह कोष राज्य/संघीय क्षेत्र की सरकारों को 585 कृषि उत्पाद बाजार समितियों (APMCs) तथा 10,000 कृषि बाजारों के लिए बाजार अवसंरचना के निर्माण हेतु सब्सिडी युक्त ऋण मुहैया करेगा.
- राज्य चाहें तो वे AMIF से नए ढंग की बाजार अवसरंचना परियोजनाओं, जैसे – धुरी-तीलियाँ (हब एंड स्पोक) मोड एवं सार्वजनिक निजी प्रतिभागिता मोड की परियोजनाओं के लिए धन की माँग कर सकते हैं.
GS Paper 3 Source: Down to Earth
Topic : Hera mission
संदर्भ
यूरोपीय अन्तरिक्ष एजेंसी द्वारा प्रक्षेपित हेरा मिशन (Hera Mission) एक डीडीमोस नामक क्षुद्रग्रह के चाँद डीडीमून की टोह लेने वाला विश्व का पहला अन्तरिक्षयान बनने जा रहा है. यह अमेरिका के द्वारा 2022 में DART नामक अन्तरिक्षयान छोड़ने के पश्चात् प्रक्षेपित किया जाएगा.
DART योजना
- अमेरिका का नासा डीडीमून तक पहुँचने वाले एक अन्तरिक्षयान की योजना बना रहा है जो 2020 और 2021 के बीच संचालित होगी.
- यह योजना अमेरिका की DART (Double Asteroid Redirection Test) योजना के तहत चलायी जायेगी.
- यहाँ यह ज्ञातव्य है कि DART योजना एक ऐसी योजना है जिसमें पृथ्वी से ऐसी मिसाइल छोड़ी जायेगी जो अन्तरिक्ष में जाकर पृथ्वी के निकट आते हुए क्षुद्रग्रह को उसके परिक्रमा पथ से छिटका देगी जिससे कि वह पृथ्वी से टकरा न सके और उसे क्षति न पहुँचा सके.
- अमेरिका की इस योजना के अंतर्गत 2022 में एक DART डीडीमून तक जाएगा और इसके परिक्रमा पथ को बदल डालेगा. इसके लिए DART जान-बूझकर डीडीमून पर 6 किमी/सेकंड की गति से जा टकराएगा. उस समय डार्ट पर एक कैमरा और स्वायत्त-चालन सॉफ्टवेर लगा होगा.
- इस टकराव के बाद हेरा 2026 में उस क्षुद्रग्रह की खोज करने पहुंचेगा और देखेगा कि अमेरिका के डार्ट के टकराव का वहाँ क्या प्रभाव पड़ा है और वह क्षुद्रग्रह अपने परिक्रमा पथ से कितना दूर छिटका है.
डीडीमून ही क्यों चुना गया?
डीडीमून को इसलिए चुना गया क्योंकि वह अत्यंत छोटा है और पृथ्वी से अत्यंत निकट भी है. वह डीडीमोस के चारों ओर 12 घंटे में परिक्रमा कर लेता है, इसलिए इसको पथभ्रष्ट करना सरल और नापने योग्य होगा.
डीडीमोस क्या है?
डीडीमोस क्षुद्रग्रहों का एक जोड़ा है जिसमें बड़े छुद्रग्रह का व्यास 780 मील है और परिक्रमा का समय 2.26 घंटा है. विदित हो कि डिडीमोस के चारों ओर डीडीमून (Didymoon) नामक चाँद परिक्रमा लगाता है, जिसका आकार मिस्र के गीज़ा पिरामिड के लगभग बराबर है और जिसका व्यास मात्र 160 मीटर है
Prelims Vishesh
‘Darwaza Band – Part 2’ Campaign :-
- भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) ने एक दरवाजा बंद भाग – २ नामक प्रचार अभियान का अनावरण किया है जिसमें फ़िल्मी कलाकार अमिताभ बच्चन सम्मिलित होंगे.
- इस प्रचार अभियान के अंतर्गत पेय जल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने विश्व बैंक के सहयोग से एक फिल्म बनाई है जिसका अनावरण हाल ही में मुंबई में किया गया.
- इस फिल्म का मुख्य नारा है – “हर कोई, हर रोज, हमेशा”.
- इसमें बताया जाएगा कि शौचालय सबके द्वारा, सभी समय और हर परिस्थिति में उपयोग में लाया जाना चाहिए.
Delhi government launches ‘zero fatality corridor’ :-
- दिल्ली सरकार चाहती है कि इस वर्ष के अंत-अंत तक सड़क दुर्घटनाओं में 10% की कमी लायी जाए. इसके लिए उसने प्रायोगिक तौर से एक परियोजना शुरू की है जिसे “शून्य मृत्यु गलियारा” नाम दिया गया है.
- इसके लिए बुराड़ी चौक से लेकर भलस्वा चौक तक की 3 किमी. की दूरी वाली सड़क को चुना गया है जिसमें दुर्घटनाओं का मूल्यांकन का काम किया जाएगा तथा सड़क अभियंत्रण, वहाँ पुलिस की तैनाती और तीव्रगामी आपातकालीन देखभाल आदि की संभावनाओं का अध्ययन होगा. कहने का अभिप्राय यह है कि ऐसा प्रबंध किया जाएगा कि इस तीन किमी. की सड़क में कोई भी दुर्घटना न घटे.
Andaman and Nicobar Islands Integrated Development Corporation Limited (ANIIDCL) :–
- अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह समेकित विकास निगम लिमिटेड (ANIIDCL) के द्वारा एक द्वीपीय रिजोर्ट के निर्माण के लिए दिए गये 100 करोड़ रू. के प्रस्ताव को भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति ने अनुमति के प्रस्ताव टाल दिया है.
- ज्ञातव्य है कि ANIIDCL एक कम्पनी है जो 28 जून, 1988 में अंडमान निकोबार द्वीपों की तीव्र आर्थिक वृद्धि के लिए बनी थी.
India’s first “career portal” :–
- राजस्थान ने भारत के पहले करियर पोर्टल का अनावरण किया है जिसमें माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक के छात्रों को छात्रवृत्तियों और नौकरियों के विषय में सूचना दी जायेगी.
- यह पोर्टल संयुक्त राष्ट्र बाल कोष के सहयोग से चलाया जायेगा.
Parmanu Tech 2019 :-
हाल ही में विदेश मंत्रालय और परमाणु ऊर्जा विभाग ने परमाणु टेक 2019 नामक सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें परमाणु ऊर्जा एवं विकिरण तकनीकों से जुड़े विषयों पर चर्चा की गई.
‘Freedom of the City of London’ :–
- भारतीय स्टेट बैंक के इंग्लैंड में कार्यरत प्रमुख अधिकारी संजीव चड्ढा को भारत और इंग्लैंड के संबंधों को बढ़ावा देने के लिए फ्रीडम ऑफ़ सिटी ऑफ़ लन्दन नामक पुरस्कार दिया गया है.
- ऐसा कहते हैं कि यह पुरस्कार 1237 से ही शुरू हुआ था. इसे सिटी ऑफ़ लन्दन कारपोरेशन प्रदान करता है.
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