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Sansar Daily Current Affairs, 07 January 2019
GS Paper 1 Source: Down to Earth
Topic : Polar vortex
संदर्भ
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार जनवरी और फरवरी में अमेरिका के पूर्वोत्तर क्षेत्रों में तथा साथ ही अधिकांश उत्तरी यूरोप में और एशिया के कुछ भागों में भयंकर ठण्ड पड़ेगी. इसका कारण ध्रुवीय भँवर (polar vortex) बताया जा रहा है.
विदित हो कि 2004 में भी अमेरिका में मौसम बहुत ठंडा था और 2018 के फरवरी-मार्च में साइबेरिया से ठंडा मौसम चलकर पश्चिमी यूरोप और इंग्लैंड तक पहुँचा था और तबाही मचाई थी. इस ठंडे मौसम को उस समय ‘Beast from the East’ का नाम दिया गया था. इस घटना का दोषी भी ध्रुवीय भँवर को ही माना गया था.
ध्रुवीय भँवर (polar vortex) क्या है?
- ध्रुवीय भँवर ध्रुवों के ऊपर बनने वाला निम्न-दबाव का एक चक्करदार शंकु होता है जो शरत काल में सबसे प्रबल रहता है. इसका कारण ध्रुवीय क्षेत्रों और अमेरिका और यूरोप जैसे मध्य-अक्षांशीय क्षेत्रों के बीच बढ़ा हुआ तापान्तर होता है.
- ध्रुवीय समताप मंडल में चक्कर मारता है. विदित हो कि समताप मंडल वायुमंडल की वह परत है जो भूमि से 10-48 किमी. ऊपर होता है और जिसके नीचे क्षोभमंडल होता है जहाँ कि जलवायु से सम्बंधित घटनाएँ सर्वाधिक होती हैं.
- जब यह भँवर सबसे अधिक शक्तिशाली होता है तो साधारणतः यह एक ऐसी दीवार बना देता है जो मध्य- अक्षांशीय क्षेत्रों को ठंडी आर्कटिक हवाओं से बचाती है.
- परन्तु, कई बार ऐसे होता है कि ध्रुवीय भँवर (पोलर वर्टेक्स) छिन्न-भिन्न होकर कमजोर हो जाता है. ऐसा निचले वायुमंडल से ऊपर की ओर उठती हुई तरंग ऊर्जा के कारण होता है. ऐसा होने पर समताप मंडल तेजी से कुछ ही दिनों में गर्म हो जाता है.
- इस गर्मी के कारण ध्रुवीय भँवर और भी कमजोर हो जाता है और यह ध्रुवों से तनिक दक्षिण की ओर खिसक जाता है. कभी-कभी तो यह भँवर कई छोटे-छोटे भँवरों में बँट जाता है. इन छोटे भँवरों को “बहन भँवर (sister vortex)” कहते हैं.
प्रभाव
- वायुमंडल में ऊपर ध्रुवीय भँवर के टुकड़े होने पर पूर्वी अमेरिका के साथ-साथ उत्तरी और पश्चिमी यूरोप में तापमान में गिरावट आ जाती है और वहाँ विकट सर्दी का मौसम छा जाता है.
- समताप मंडल के अचानक गर्म हो जाने से आर्कटिक भी गर्म हो जाता है. आर्कटिक गर्म हो जाने से उत्तरी गोलार्द्ध के मध्य-अक्षांशीय क्षेत्रों (पूर्वी अमेरिका सहित) में कड़ाके की ठण्ड पड़ती है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Legal status for SSC
संदर्भ
एक संसदीय स्थायी समिति ने अनुशंसा की है कि कर्मचारी चयन आयोग (Staff Selection Commission – SSC) को केंद्र द्वारा वैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिए. विदित हो कि यह आयोग देश की सबसे बड़ी नियुक्ति एजेंसियों में से एक है.
पृष्ठभूमि
कर्मचारी चयन आयोग (SSC) की स्थापना संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के भार को कम करने के लिए हुई थी. संघ लोक सेवा आयोग से समूह “A” के नीचे के पदों में भर्ती का काम लेकर इस आयोग को दिया गया था. ज्ञातव्य है कि संघ लोक सेवा आयोग और राज्यों के सभी लोक सेवा आयोगों को संवैधानिक दर्जा प्राप्त है.
कर्मचारी चयन आयोग ही एकमात्र ऐसा संगठन है जो न केवल उन आयोगों जैसा ही काम करता है अपितु उनसे भी बड़े पैमाने पर काम करता है, किन्तु इसको वैधानिक दर्जा प्राप्त नहीं है. वर्तमान में कर्मचारी चयन आयोग के लिए 481 अधिकारियों के पद स्वीकृत हैं. परन्तु इन पदों में 75% ही भरे हुए हैं.
वैधानिक दर्जे की आवश्यकता क्यों?
कर्मचारी चयन आयोग के काम का बोझ लगातार बढ़ता गया है. 2008-09 में यह 9.94 लाख उम्मीदवारों को सम्भालता था. 2016-17 में यह संख्या बढ़कर 2 करोड़ से अधिक हो गई है. इतना कुछ होने के पश्चात् भी यह कार्मिक विभाग का एक संग्लन निकाय ही माना जाता है. फलतः अपनी सभी आवश्यकताओं के लिए इसे सरकार पर निर्भर रहना पड़ता है और इसके पास कोई स्वयत्तता नहीं है.
यदि इस आयोग को वैधानिक दर्जा दे दिया जाता है तो इसकी स्वायत्तता बढ़ेगी और यह अधिक तेजी से निर्णय ले सकेगा. साथ ही इसके समग्र प्रदर्शन में कार्यकुशलता आएगी और भर्ती-प्रक्रिया पूरी करने में यह अधिक कुशलता दिखा पायेगा.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Fugitive Economic Offender
संदर्भ
विजय माल्या भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (Fugitive Economic Offender – FEOA) के अंतर्गत भगोड़ा अपराधी घोषित होने वाला पहला व्यक्ति बन चुका है. इस विषय में धन लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act – PMLA) न्यायालय द्वारा माल्या के विरुद्ध उस अधिनियम के अनुभाग 2F के तहत आदेश निर्गत किया गया.
निहितार्थ
माल्या के भगोड़ा घोषित होने पर अब जाँच करने वाली एजेंसी माल्या के उन संपत्तियों को भी जब्त कर सकती है जो उसके विरुद्ध चल रहे वादों से सीधे नहीं जुड़ी हुई हैं.
पृष्ठभूमि
माल्या के विरुद्ध यह निर्णय एक आवेदन के आधार पर लिया गया है जिसमें परवर्तन निदेशालय ने PMLA न्यायालय से प्रार्थना की थी कि माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया जाए.
अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ
- यह अधिनियम किसी व्यक्ति को एकभगोड़ा आर्थिक अपराधी (FEO) के रूप में घोषित करने की अनुमति देता है, यदि –
- किसी भी निर्दिष्ट अपराध के लिए उसके विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया हो जहाँ मामला 100 करोड़ रु. से अधिक का हो, और
- उसने देश छोड़ दिया हो और अभियोजन का सामना करने के लिए वापस लौटने से इन्कार कर दिया हो.
- यह न केवल लोन डिफ़ॉल्टर और फ्रॉडस्टर को शामिल करता है, बल्कि उन व्यक्तियों पर भी लागू होता है जो कर, काले धन, बेनामी सम्पत्तियों और वित्तीय भ्रष्टाचार से सम्बंधित कानूनों का उल्लंघन करते हैं.
- प्रवर्तन निदेशालय (ED) विधि प्रवर्तन के लिए सर्वोच्च एजेंसी होगी.
- किसी व्यक्ति को FEO घोषित करने के लिएएक विशेष अदालत में एक आवेदन दायर किया जायेगा जिसमें जब्त की जाने वाली सम्पत्ति का वितरण, और व्यक्ति के अता-पता से सम्बंधित जानकारी शामिल होगी.
- विशेष अदालत को व्यक्ति को किसी निर्दिष्ट स्थान पर उपस्थित होने के लिए नोटिस जारी करने सेकम से कम छह सप्ताह का समय दिया जाएगा. यदि वह उपस्थित हो जाता है तो कार्यवाही समाप्त कर दी जायेगी.
- यह अधिनियम विशेष अदालत के समक्ष आवेदन लंबित होने की स्थिति में अधिकारियों कोअस्थायी रूप से आरोपी की सम्पत्ति को कुर्क करने की अनुमति प्रदान करता है.
- FEO के रूप में घोषित हो जाने पर, किसी व्यक्ति की सम्पत्ति को जब्त किया जा सकता है.
- भगोड़े के रूप में वर्गीकृत व्यक्ति, जबतक भारत वापस नहीं आते हैं और अभियोजन का सामना नहीं करते हैं, वे भारत में कोई भी सिविल केस दायर करने में सक्षम नहीं होंगे.
GS Paper 2 Source: Down to Earth
Topic : Govt declares ‘one-time financial assistance’ for Rare diseases
संदर्भ
सरकार ने विरल रोगों (rare diseases) के लिए एकमुश्त आर्थिक सहायता की घोषणा की है. स्थायी वित्त समिति ने इस विषय में एक प्रस्ताव को अनुमोदित किया है. इस प्रस्ताव के अनुसार राष्ट्रीय आरोग्य निधि (Rashtriya Arogya Nidhi – RAN) नामक बहु-आयामी योजना के अंदर यह प्रावधान किया जाएगा कि जो लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं, उन्हें विशेष विरल रोगों के उपचार के लिए एकमुश्त वित्तीय सहायता दी जाए.
विरल रोग क्या होता है?
विरल रोग एक ऐसा रोग होता है जो जनसंख्या के एक छोटे प्रतिशत को ही होता है. इसे अनाथ रोग “orphan disease” भी कहते हैं.
अधिकांश विरल रोग आनुवंशिक होते हैं और व्यक्ति के पूरे जीवन में चलते रहते हैं चाहे रोग के लक्षण तुरंत नहीं दिखते हों. यूरोप में विरल रोग उस रोग को कहा जाता है जो 2,000 नागरिकों में से एक को प्रभावित करता है.
- विरल रोगों में कई प्रकार के लक्षण होते हैं जो एक ही रोग से ग्रस्त रोगियों में अलग-अलग हो सकते हैं. बौध यह होता है कि अपेक्षाकृत अधिक सामान्य लक्षण किसी गुप्त विरल रोग पर पर्दा डाल देते हैं और इस कारण रोग के निदान में गलती हो जाती है.
- भारत में जो विरल रोग सबसे अधिक प्रचलित हैं, वे हैं – हीमोफिलिया, थैलेसीमिया, सिकल-सेल एनीमिया और बच्चों में प्राथमिक प्रतिरक्षा की कमी, ऑटो-इम्यून डिजीज, लाइसो-सोमल स्टोरेज डिसऑर्डर जैसे कि पोम्पे डिजीज, हिर्स्चस्प्रुंग डिसीज, गौचर डिजीज, सिस्टिक फाइब्रोसिस, हेमांगीओमास और मस्कुलर डिसस्ट्रोफी के कुछ रूप.
राष्ट्रीय नीति की आवश्यकता
संविधान की धारा 21, 38 और 47 के अधीन स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के महत्त्व को दर्शाया गया है. अतः यह सरकार की जिम्मेवारी है कि वह प्रत्येक नागरिक के लिए सुलभ विश्वसनीय और सस्ती स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराए.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Polavaram project
संदर्भ
गोदावरी नदी पर चल रही पोलावरम बहु-उद्देशीय परियोजना के तेजी से क्रियान्वयन के लिए आंध्र प्रदेश सरकार को केन्द्रीय सिंचाई एवं ऊर्जा बोर्ड (Central Board of Irrigation and Power – CBIP) पुरस्कार मिला है. आंध्र प्रदेश को यह पुरस्कार सर्वोत्कृष्ट जल संसाधन परियोजना क्रियान्वयन की श्रेणी के अंतर्गत “बेहतर योजना निर्माण, क्रियान्वयन और अनुश्रवण” के लिए दिया गया है.
पोलावरम परियोजना क्या है?
- पोलावरम परियोजना एक बहु-उद्देशीय सिंचाई परियोजना है. यह बाँध गोदावरी नदी पर बनाया जा रहा है और यह आंध्र प्रदेश के पश्चिमी और पूर्वी गोदावरी जिलों में अवस्थित है.
- इस परियोजना के अंतर्गत आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले एवं पूर्वी गोदावरी जिले में गोदावरी नदी पर एक बाँध का निर्माण चल रहा है.
- इस बाँध के लिए बनाया गए विशाल जलाशय के कुछ अंश छतीसगढ़ और ओडिशा राज्यों में भी पड़ते हैं.
- इस प्रयोजना के अधीन सिंचाई, पनबिजली एवं पेय-जल की सुविधा आंध्र प्रदेश के पूर्वी-गोदावरी, पश्चिमी-गोदावरी एवं कृष्णा जिले के अतिरिक्त विशाखापत्तनम को मुहैया की जायेगी.
- इस परियोजना के चलते 222 गाँवों के 1 लाख 88 हजार लोग विस्थापित हो गये हैं. इनमें से 1,730 लोगों का पुनर्वास किया जा चुका है.
परियोजना से सम्बंधित विवाद
पोलावरम बहु-उद्देशीय परियोजना की स्थिति से सम्बंधित एक याचिका की सुनवाई के क्रम में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को आदेश दिया था कि परियोजना से प्रभावित ओडिशा एवं छत्तीसगढ़ के क्षेत्रों में जाकर जन-सुनवाई करे. केंद्र सरकार ने भी अपने उत्तर में कहा था कि वह इस प्रकार की सुनवाई करने के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी नियुक्त करने के लिए तैयार है.
पोलावरम परियोजना पर आपत्ति क्यों?
जब 2014 में आंध्र प्रदेश का विभाजन हुआ तो पोलावरम परियोजना को राष्ट्रीय दर्जा देते हुए उसकी रुपरेखा में परिवर्तन किया गया था. याचिकाकर्ता ने न्यायालय को बताया था कि क्योंकि बाँध की रूपरेखा बदल दी गई है और इसमें नए-नए अवयव जोड़े गये हैं इसलिए इसको इसके लिए नई पर्यावरणीय अनुमति लेनी चाहिए.
केन्द्रीय सिंचाई एवं ऊर्जा बोर्ड (CBIP)
- केन्द्रीय सिंचाई एवं ऊर्जा बोर्ड (CBIP) भारत सरकार की एक प्रमुख संस्था है जिसकी स्थापना 1927 में हुई थी.
- यह बोर्ड ऊर्जा, जल संसाधन एवं नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों जुड़े हुए देश के व्यावसायिक संगठनों, अभियंताओं और व्यक्तियों को आठ से अधिक दशकों से अपनी समर्पित सेवाएँ प्रदान करता है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Cyclone Pabuk
संदर्भ
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department – IMD) ने चक्रवात पाबुक के लिए पीली चौकसी (yellow alert) जारी की है. विदित हो कि हाल ही में थाईलैंड की खाड़ी और आस-पास के क्षेत्र के ऊपर चक्रवात पाबुक उत्पन्न हुआ है.
चार चरणों की चेतावनियाँ
राज्य सरकार के अधिकारी किसी भी चक्रवात के लिए चार चरणों में चेतावनियाँ निर्गत करते हैं.
पहला चरण – इस चरण की चेतवानी को चक्रवात पूर्व सावधानी (PRE CYCLONE WATCH) कहते हैं जो चक्रवात के 72 घंटे पहले निर्गत की जाती है. इसमें उत्तरी हिन्द महासागर में बनने वाले चक्रवातीय क्षोभ के बारे में चेतावनी देते हुए यह बताया जाता है कि यह तेज होते हुए और उष्ण कटिबंधीय चक्रवात का रूप लेते हुए तटीय पट्टी के मौसम को खराब कर सकता है.
दूसरा चरण – इस चरण की चेतावनी को चक्रवात चौकसी (Cyclone Alert) कहा जाता है. यह चेतावनी तटीय क्षेत्रों में मौसम के खराब होना आरम्भ होने के 48 घंटे पहले निर्गत की जाती है. इसमें यह सूचना दी जाती है कि यह चक्रवात कहाँ बन रहा है और इसकी तीव्रता बढ़ रही है अथवा नहीं. साथ ही, इसकी दिशा बताते हुए यह सूचित किया जाता है कि किन तटीय जिलों में यह तबाही मचाएगा. मछुआरों, सामान्य लोगों, मीडिया और आपदा प्रबंधकों को भी सावधान किया जाता है.
तीसरा चरण – इस चरण की चेतावनी को चक्रवात चेतावनी (Cyclone Warning) कहते हैं. यह चेतावनी तटीय क्षेत्रों में मौसम बिगड़ने के न्यूनतम 24 घंटे पहले जारी होती है. इस चरण में बताया जाता है कि चक्रवात किस स्थान पर समुद्र पार कर भूभाग पर पहुंचेगा. इस चरण में हर तीन घंटे पर चक्रवात की स्थिति, तीव्रता, भूखंड पर आने के समय, साथ-साथ होने वाली भारी वर्षा, प्रबल पवनों और आंधियों के बारे में भी सूचना दी जाती है.
चौथा चरण – इस चरण को भूमिपात उपरान्त का परिदृश्य (Post Landfall Outlook) कहते हैं. चक्रवात के भूभाग पर आने के 12 घंटों के पहले यह चेतावनी दी जाती है. इसमें भी चक्रवात की दिशा, भुमिपात और मौसम के बारे में सूचना दी जाती है.
चक्रवात चौकसी के विभिन्न रंग
2006 के मौनसून के बाद से चक्रवात से सम्बंधित चेतावनी के विभिन्न चरणों को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन की इच्छानुसार अलग-अलग रंग दे दिए गये हैं –
- चक्रवात चौकसी – पीला.
- चक्रवात चेतावनी – नारंगी.
- भूमिपात परिदृश्य – लाल.
Prelims Vishesh
Asia Competitiveness Institute’s (ACI) EDB index :-
- एशिया प्रतिस्पर्धात्मकता संस्थान (ACI) ने व्यवसाय सुगमता सूचकांक (Ease of Doing Business Index) निर्गत किया है जिसमें निवेशकों को आकर्षित करने की क्षमता, व्यवसाय के मित्रवत वातावरण और प्रतिस्पर्धात्मक नीतियों को पैमाना बनाया गया है.
- भारत के राज्यों में इस मामले में सबसे अच्छा प्रदर्शन आंध्र प्रदेश का रहा जिसके पश्चात् महाराष्ट्र और दिल्ली का नंबर है.
World Braille Day- January 4th :–
- संयुक्त राष्ट्र ने 4 जनवरी को पहला औपचारिक विश्व ब्रेल दिवस मनाया जिसमें ब्रेल लिपि की महत्ता के प्रति जागरूकता उत्पन्न की गई.
- विदित हो कि यह दिवस जिस व्यक्ति के नाम पर वह लुई ब्रेल थे जिन्होंने ब्रेल लिपि का आविष्कार किया था.
Mandal Dam project :–
- झारखंड में उत्तरी कोयल नदी पर मंडल नामक बाँध बनाया जा रहा है जिससे झारखण्ड और बिहार की एक लाख ग्यारह हजार हेक्टर कृषि भूमि को सिंचाई की सुविधा मिलेगी.
- उत्तरी कोयल नदी झारखण्ड के राँची पठार से निकलती है और उत्तर-पश्चिम बढ़ती हुई सोन नदी में जा मिलती है.
- इसकी दो प्रमुख सहायक नदियाँ हैं – औरंगा और अमानत.
- रास्ते में ये बेतला राष्ट्रीय उद्यान से होकर गुजरती है.
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