Sansar Daily Current Affairs, 07 March 2019
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Swachh Survekshan Awards 2019
संदर्भ
हाल ही में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार, 2019 का वितरण किया. विदित हो कि यह सर्वेक्षण विश्व में अपने ढंग का सबसे बड़ा सर्वेक्षण है जिसमें देश के समस्त शहरी स्थाई निकायों की जाँच की गई है.
विभिन्न शहरों का प्रदर्शन
- लगातार तीसरे वर्ष इंदौर को भारत का सर्वाधिक स्वच्छ शहर माना गया. इस श्रेणी में उसके बाद क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर और कर्नाटक के मैसूरु का नाम आया.
- राज्य की राजधानियों में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल सबसे स्वच्छ पाया गया.
- स्वच्छतम छोटे शहर की श्रेणी का पुरस्कार नई दिल्ली नगर परिषद् को दिया गया.
- गंगा नदी के तट पर स्थित शहरों की श्रेणी में उत्तराखंड के गौचर को सर्वश्रेष्ठ माना गया.
- स्वच्छतम बड़े शहर का पुरस्कार अहमदाबाद को मिला.
- तेजी से बढ़ रहे बड़े शहरों में रायपुर को सर्वोच्च पाया गया.
- स्वच्छतम मध्यम श्रेणी के शहर का पुरस्कार उज्जैन को मिला.
- तेजी से बढ़ रहे मध्यम कोटि के शहर की पदवी मथुरा/वृन्दावन को मिली.
उपसंहार
यह कहने की आवश्यकता नहीं कि स्वच्छता यदि लानी है और उसे कारगर एवं टिकाऊ बनाना है तो प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य हो जाता है कि वह अपनी ओर से इसमें योगदान करें. कई लोग अपनी निजी साफ़-सफाई में ध्यान देते हैं, किन्तु जब सार्वजनिक एवं सामुदायिक स्वच्छता की बात आती है तो वे मुंह फेर लेते हैं. इस मानसिकता को बदले बिना स्वच्छ भारत का लक्ष्य प्राप्त करना संभव नहीं होगा.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : UNODC
संदर्भ
संयुक्त राष्ट्र औषधि एवं अपराध कार्यालय (United Nations Office of Drugs and Crime – UNODC) ने अपने सबसे हालिया प्रतिवेदन में बताया है कि भारत अवैध औषधि व्यापार के बड़े नाभिकेंद्रों में से एक है जहाँ पुरातन गांजे से लेकर ट्रेमाडोल जैसे आधुनिक चिट्ठे पर दी जाने वाली दवाओं तथा मेथमफेटमिन जैसी डिज़ाइनर दवाइयों का पूरा प्रचलन है.
मुख्य निष्कर्ष
- वैसे तो पूरे संसार में इन्टरनेट पर दवाएँ क्रिप्टो मुद्राओं के द्वारा खरीदी जा रही हैं, पर भारत में यह विशेषकर हो रहा है.
- इसके अतिरिक्त भारत का उपयोग दूसरे देशों में अवैध रूप से उत्पादित अफीम से बनी दवाओं, विशेषकर हेरोइन, को पहुँचाने का काम भी हो रहा है.
- वस्तुतः भारत में मोर्फिन-युक्त कच्चे अफीमी माल का चुपचाप उत्पादन होता है. वस्तुतः 2017 में, इस मामले में वैश्विक उत्पादन का 83% भारत, ऑस्ट्रेलिया, फ़्रांस और टर्की में ही हुआ था. कहा जाता है कि कच्चे माल का यह भंडार विश्व की अवैध दवाओं को बनाने वाले निर्माताओं की 19 महीने की माँग पूरी हो सकती है.
UNODC क्या है?
- यह संयुक्त राष्ट्र का एक कार्यालय है जो अवैध औषधियों और अंतर्राष्ट्रीय अपराध के विरुद्ध लड़ाई में वैश्विक नेतृत्व संभाले हुए है.
- इसकी स्थापना 1997 में संयुक्त राष्ट्र औषधि नियंत्रण कार्यक्रम तथा अंतर्राष्ट्रीय अपराध रोकथाम केंद्र का विलय कर की गई थी.
- UNODC का 90% खर्चा विभिन्न सरकारों द्वारा दिए गये स्वैच्छिक योगदान से चलता है.
- UNODC का काम है कि वह सदस्य देशों को उनके द्वारा अवैध औषधियों, अपराधों और आतंकवाद के विरुद्ध छेड़ी गई लड़ाई में सहायता करे.
UNODC के तीन मुख्य कार्यक्रम
- तकनीकी सहयोग की योजनाएँ चलाना जिससे अवैध दवाओं. अपराध और आतंकवाद से लड़ने की सदस्य देशों की क्षमता में वृद्धि हो.
- अनुसंधान और विश्लेषणात्मक कार्यकलाप संचालित करना जिससे कि दवाओं और आपराधिक मामलों के बारे में जानकारी और समझ बढ़ सके तथा नीतिगत एवं संचालनगत निर्णयों के लिए साक्ष्य के आधार में बढ़ोतरी हो.
- इन कार्यों में देशों को सहायता करना – i) प्रासंगिक अंतर्राष्ट्रीय संधियों पर हस्ताक्षर करना और उनका कार्यान्वयन करना ii) दवाओं, अपराध और आतंकवाद पर कानून बनाना एवं iii) विभिन्न संधियों के अनुसार सचिवालय, प्रशासी निकाय और आनुसंगिक सेवाओं का प्रावधान करना.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : International Criminal Court (ICC)
संदर्भ
मलेशिया ने रोम कानून (Rome Statute) को अंगीकृत कर लिया है और इस प्रकार वह अंतर्राष्ट्रीय फौजदारी न्यायालय (International Criminal Court – ICC) में शामिल होने वाला विश्व का 124वाँ देश बन गया है.
ICC क्या है?
- यह फौजदारी का अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय है जो हेग में स्थित है.
- अंतर्राष्ट्रीय फौजदारी न्यायालय को 1998 में घोषित रोम कानून (Rome Statute) के द्वारा स्थापित किया गया था.
- यह संसार का ऐसा पहला अंतर्राष्ट्रीय स्थाई फौजदारी न्यायालय है जो किसी संधि पर आधारित है.
- इसकी स्थापना अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के विरुद्ध जघन्य और परम चिंतनीय अपराध करने वालों को सजा दिलवाना है.
- इस न्यायालय का काम है – जनसंहार, युद्ध-अपराध, मानवता के प्रति अपराध तथा आक्रमण के अपराध के आरोपी व्यक्तियों का अपराध तय करना और उनके खिलाफ मुकदमा चलाना.
- भारत ने अभी तक रोम कानून पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं और इसलिए वहअंतर्राष्ट्रीय फौजदारी न्यायालय सदस्य नहीं है.
- वैसे तो इस न्यायालय का खर्चा मुख्य रूप से सदस्य देश देते हैं किन्तु इसको अन्य स्रोतों से भी स्वैच्छिक वित्तीय सहायता मिलती है, जैसे – सरकारें, अंतर्राष्ट्रीय संगठन, व्यक्ति, निगम और अन्य इकाइयाँ.
न्यायालय का स्वरूप और मतदान की शक्ति
- न्यायालय का प्रबंधन और पर्यवेक्षण एक विधायी निकाय द्वारा किया जाता है जिसका नाम असेम्बली ऑफ़ स्टेट्स पार्टीज है जिसमें प्रत्येक देश का एक प्रतिनिधि होता है. इस असेंबली में एक अध्यक्ष और दो उपाध्यक्ष होते हैं जो सदस्यों द्वारा तीन वर्ष के लिए चुने जाते हैं.
- प्रत्येक देश के पास एक वोट होता है. प्रयास किया जाता है कि जो भी निर्णय हो वह सर्वसहमति से हो. यदि सर्वसहमति नहीं होती है तभी मतदान होता है.
आलोचना
- अंतर्राष्ट्रीय फौजदारी न्यायालय के पास संदिग्ध व्यक्ति को गिरफ्तार करने की क्षमता नहीं होती है और वह इसके लिए सदस्य देशों पर निर्भर रहता है.
- इस न्यायालय के अभियोजकों और न्यायाधीशों के अधिकारों पर पर्याप्त नियंत्रण नहीं दिखता. फलस्वरूप इसके दुरुपयोग की संभावना को नकारा नहीं जा सकता.
- बहुधा इस न्यायालय को पश्चिमी साम्राज्यवाद का संवाहक और पक्षपातपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह अमीर और शक्तिशाली देशों द्वारा किये गये अपराधों से आँख मूँद लेता है और छोटे, दुर्बल देशों के नेताओं को ही दण्डित करता है.
- ICC वादों के चुनाव में एक-सी नीति नहीं अपनाता. इसको कठोर वाद नहीं दिए जाते. बड़े-बड़े अपराधी अपने देशों को अपने प्रभाव में लाकर इस न्यायालय में जाने से बच जाते हैं.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Janaushadhi Diwas
संदर्भ
7 मार्च, 2019 को पूरे भारत में ‘जनऔषधि दिवस’ मनाया जाएगा. केंद्रीय रसायन और उर्वरक, सड़क परिवहन और राजमार्ग, जहाजरानी राज्य मंत्री श्री मनसुख मंडाविया ने हाल ही में नई दिल्ली में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि देश में सभी लोगों के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा को सस्ता बनाने की दिशा में, सरकार ने सस्ती और गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयों को प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) के माध्यम से लोगों के बीच पहुंचाने के लिए महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं.
प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना क्या है?
- प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP) भारत सरकार के फार्मास्यूटिकल विभाग द्वारा आरम्भ की गई एक योजना है जिसके उद्देश्य PMBJP केन्द्रों के माध्यम से जन-सामान्य को सस्ती किन्तु गुणवत्ता युक्त औषधियाँ मुहैया करना है.
- ज्ञातव्य है कि जेनेरिक दवाओं को उपलब्ध कराने के लिए इस योजना के अन्दर कई वितरण केंद्र बनाए गए हैं जिन्हें प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र कहते हैं. विदित हो कि जेनेरिक दवाएँ उतनी ही गुणवत्तायुक्त और कारगर हैं जितनी ब्रांड की गई महँगी दवाइयाँ. साथ ही इनके दाम इन महँगी दवाइयों की तुलना में बहुत कम होते हैं.
- भारतीय फार्मा लोक सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम ब्यूरो (Bureau of Pharma PSUs of India – BPPI) इस योजना के लिए कार्यान्वयन एजेंसी बनाई गई है. इसकी स्थापना केंद्र सरकार के फार्मास्यूटिकल विभाग ने की है.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Quality Assurance Scheme
संदर्भ
राष्ट्रीय परीक्षण एवं केलिब्रेशन प्रयोगशाला अभिप्रमाणन बोर्ड (NABL) द्वारा बेसिक कंपोजिट चिकित्सा प्रयोगशालाओं के लिए गुणवत्ता आश्वासन योजना (Quality Assurance Scheme) का शुभारंभ किया गया.
योजना के लाभार्थी कौन होंगे?
ब्लड ग्लूकोज, ब्लड काउंट्स, सामान्य संक्रमणों के लिए त्वरित परीक्षण, लिवर और गुर्दे के कार्य परीक्षण तथा मूत्र के नियमित परीक्षण जैसी बुनियादी नियमित परीक्षण करने वाली प्रयोगशालाएं इस योजना के तहत आवेदन करने की पात्र होंगी.
योजना के लाभ
- यह योजना भारत की स्वास्थ्य प्रणाली में, जहां प्रयोगशालाएं अपनी सभी प्रक्रियाओं में गुणवत्ता की अनिवार्यताओं का अनुपालन करती हैं, जमीनी स्तर पर गुणवत्ता लाने में मदद करेगी.
- इससे गुणवत्ता की आदत विकसित होने के साथ-साथ प्रयोगशालाओं को एक निश्चित समय में आईएसओ 15189 की बैंच मार्क मान्यता प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी.
- इस योजना से अगले 5 वर्षों में अधिक से अधिक प्रयोगशालाओं में भारी बदलाव लाने के लिए प्रयोगशालाओं को गुणवत्ता युक्त सेवा प्राप्त होने की उम्मीद है.
- इस योजना के माध्यम से प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों, समुदाय स्वास्थ्य केंद्रों, डॉक्टरों के क्लीनिकों, छोटी प्रयोगशालाओं और छोटे नर्सिंग होम की प्रयोगशालाओं को भी गुणवत्ता युक्त प्रयोगशाला के परिणामों तक पहुंच उपलब्ध होगी.
- राज्य सरकारों को नैदानिक प्रतिष्ठान अधिनियम के तहत एक प्रतिष्ठान के रूप में प्रयोगशालाओं का पंजीकरण कराने के लिए इस प्रवेश स्तर योजना को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है अभी तक यह अधिनियम 11 राज्यों और सभी केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया जा चुका है.
- इससे इन राज्यों में निदान के क्षेत्र को व्यवस्थित करने में सहायता मिलेगी.
- यह योजना भारत सरकार की आयुष्मान योजना को आवश्यक समर्थन देगी.
NABL क्या है?
- NABL वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीनस्थ भारतीय गुणवत्ता परिषद् का एक अंगीभूत बोर्ड है.
- इस बोर्ड ने कई अंतर्राष्ट्रीय निकायों, जैसे – अंतर्राष्ट्रीय प्रयोगशाला अभिप्रमाणन संघ (International Laboratory Accreditation Co-operation – ILAC) और एशिया-प्रशांत अभिप्रमाणन संघ (Asia Pacific Accreditation Co-operation – APAC) के साथ प्रयोगशालाओं के अभिप्रमाणन के लिए समझौते कर रखे हैं.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : National Rural Economic Transformation Project
संदर्भ
हाल ही में भारत ने विश्व बैंक के साथ अपनी परियोजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आर्थिक रूपांतरण परियोजना (National Rural Economic Transformation Project – NRETP) – के लिए 250 मिलियन डॉलर के ऋण का एक समझौता किया है. इस परियोजना का उद्देश्य गाँव में रहने वाली महिलाओं को खेती से जुड़े उत्पादों और अन्य प्रकार के उत्पादों से सम्बंधित नवीनतम आर्थिक पहलों को अपनाने में सहायता करना है.
राष्ट्रीय ग्रामीण आर्थिक रूपांतरण परियोजना क्या है?
- विश्व बैंक ने जुलाई 2011 में 500 मिलियन डॉलर की राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका परियोजना को अनुमोदित किया था. यह परियोजना (NRETP) इसी क्रम में एक अतिरिक्त वित्तीय खेप है.
- इस परियोजना में ग्रामीण निर्धन महिलाओं और युवाओं को स्टार्ट-अप खोलने और व्यक्तिगत एवं सामूहिक उद्यम शुरू करने के लिए वित्त उपलब्ध कराने का एक मंच रचा जायेगा तथा इस प्रकार उन्हें अपने उद्यम स्थापित करने में सहायता मिलेगी.
- परियोजना के अंतर्गत डिजिटल वित्तीय सेवाओं का प्रयोग करते हुए ऐसी वित्त सुविधाएँ दी जाएँगी जिनसे छोटे-छोटे उत्पादक अपने उत्पादन को बढ़ा सकें और बाजार में ले जा सकें.
- इस परियोजना में युवाओं के कौशल के विकास में भी सहायता दी जायेगी और इसके लिए दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना से आवश्यक समन्वय किया जाएगा.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Nitrogen pollution
संदर्भ
संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकाशित वार्षिक फ्रंटियर्स रिपोर्ट 2019 में एक अध्याय डाला गया है जिसमें नाइट्रोजन प्रदूषण की चर्चा है. यह रिपोर्ट हाल ही में नेरोबी में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण असेंबली (UNEA) के द्वारा निर्गत किया गया.
रिपोर्ट के मुख्य तथ्य
- नाइट्रोजन के प्रतिक्रियात्मक (reactive) रूपों से होने वाला प्रदूषण वैश्विक स्तर पर गंभीर पर्यावरणिक चिंता का विषय है.
- नाइट्रोजन के प्रतिक्रियात्मक रूपों के उदाहरण हैं – अमोनिया, नाइट्रेट, नाइट्रिक ऑक्साइड (NO), नाइट्रस ऑक्साइड (N2O).
- प्रतिक्रियात्मक नाइट्रोजन की मवेशीपालन, कृषि, परिवहन, उद्योग एवं ऊर्जा प्रक्षेत्र में बहुत माँग है. इस कारण हमारे पारिस्थितिकी तन्त्र में इनका स्तर बहुत तेजी से बढ़ा है.
- रिपोर्ट के अनुसार पारिस्थितिकी तन्त्र में नाइट्रोजन प्रदूषण की उपस्थिति के कारण स्वास्थ्य की देखभाल की सेवाओं में 340 बिलियन डॉलर का वार्षिक खर्च हो रहा है.
- रिपोर्ट में कहा गया है कि समस्या इसलिए भी गंभीर है कि इसको अभी भी अधिकांश लोग नहीं जानते हैं और नहीं मानते हैं. इस समस्या से अवगत अभी तक मात्र वैज्ञानिक लोग ही हैं.
नाइट्रोजन प्रदूषण
नाइट्रोजन प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला तत्त्व है. यह पौधों और जन्तुओं दोनों में वृद्धि एवं प्रजनन के लिए आवश्यक है. पृथ्वी के वायुमंडल का लगभग 78% भाग इसी से बना है. भारत में नाइट्रोजन प्रदूषण का मुख्य स्रोत कृषि है. इसके पश्चात् सीवेज एवं जैविक ठोस अपशिष्ट का स्थान आता है.
प्रदूषित नाइट्रोजन के प्रभाव
- खाद्य उत्पादकता कम होना :-उर्वरकों के अत्यधिक और विवेकहीन उपयोग से फसलों की पैदावार कम हो गई है, जो इसके उपयोग के मूल उद्देश्य के ठीक विपरीत है.
- खाद्य फसलों द्वारा उर्वरकों का अपर्याप्त ग्रहण :- उर्वरकों के जरिये चावल और गेहूँ के लिए प्रयुक्त नाइट्रोजन का केवल 33% ही नाइट्रेट के रूप में पौधों के द्वारा ग्रहण किया जाता है.
- भूजल प्रदूषित होना :- उर्वरकों के निक्षालन ने पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भूजल में नाइट्रेट की सांद्रता (nitrate concentration) में वृद्धि कर दी है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित सीमा से कहीं अधिक है.
- प्रबल ग्रीनहाउस गैस (GHG) :- नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) के रूप में नाइट्रोजन CO2 की तुलना में GHG के रूप में 300 गुना अधिक प्रबल है.
- आर्थिक प्रभाव :- भारत को हर साल 10 बिलियन डॉलर उर्वरक की सब्सिडी पर खर्च करना पड़ता है.
- स्वास्थ्य पर प्रभाव :- ब्लू बेबी सिंड्रोम, थायराॅयड ग्रन्थि से सम्बंधित बीमारी, विटामिन A की कमी आदि.
- अम्लीय वर्षा:- H2SO4 के साथ मिलकर नाइट्रिक अम्ल अम्लीय वर्षा का कारण बनता है, जो फसलों एवं मृदाओं को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है.
- हानिकारक काई क्षेत्र :- जलमार्गों और महासागरों में प्रदूषित नाइट्रोजन से हानिकारक काई क्षेत्र और मृत क्षेत्र (dead zone) का निर्माण होता है. इन काइयों से मनुष्य और जलजीवों को हानि पहुँचाने वाले टोक्सिन उत्पन्न होते हैं. इस कारण अप्रत्यक्ष रूप से मछली पालन और साथ ही तटीय क्षेत्रों में जैव-विविधता को क्षति पहुँचती है.
- ओजोन क्षय :-नाइट्रस ऑक्साइड (N2O/laughing gas) मानव द्वारा उत्सर्जित प्रमुख ओजोन-क्षयकारी पदार्थ माना जाता है.
- स्मॉग निर्माण :-उद्योगों से उत्सर्जित नाइट्रोजन प्रदूषण स्मॉग निर्माण में सहायक होता है.
नाइट्रोजन प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए उठाये गए कदम
अनिवार्य नीम-लेपित यूरिया उत्पादन
नीम-लेपित यूरिया (neem coated urea) धीमी गति से नाइट्रोजन मुक्त करता है जिससे पौधों को इसे अवशोषित करने का समय मिल जाता है, इसलिए नाइट्रोजन का इष्टतम उपयोग होता है.
मृदा स्वास्थ्य कार्ड
यह मृदा के स्वास्थ्य और इसकी उर्वरता में सुधार लाने के लिए पोषक तत्त्वों की उचित मात्रा के सम्बन्ध में परामर्श के साथ-साथ किसानों को मृदा में पोषक तत्त्वों की स्थिति के विषय में जानकारी देता है. इससे कृषि में नाइट्रोजन के उपयोग में कमी है.
भारत स्टेज मानक
इसका उद्देश्य वाहनों से होने वाले हानिकारक उत्सर्जन जैसे – कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), अदग्ध हाइड्रोकार्बन (HC), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और कणिकीय पदार्थों (PM) को नियंत्रित करना है.
राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (NAQI) को लागू किया गया है जिसमें आठ प्रदूषकों में से एक नाइट्रोजन डाइऑक्साइड है जिसे नियंत्रित किया जाना चाहिए और इसके उत्सर्जन की निगरानी की जानी चाहिए.
अंतराष्ट्रीय पहलें
गोथेनबर्ग प्रोटोकॉल
इसका लक्ष्य अम्लीकरण, सुपोषण और भू-स्तरीय ओजोन को कम करना है और यह कन्वेंशन ऑन लॉन्ग-रेंज ट्रांस बाउंड्री एयर पॉल्यूशन का भाग है. इसका अन्य उद्देश्य मानव गतिविधियों के चलते होने वाले सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), अमोनिया (NH3), वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOC) और कणिकीय पदार्थों (PM) के उत्सर्जन को नियंत्रित और कम करना.
क्योटो प्रोटोकॉल
इसका उद्देश्य मीथेन (CH4), नाइट्रस ऑक्साइड (N2O), हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC), परफ्लोरोकार्बन (PFC), सल्फर हेक्साफ्लोराइड (SF6) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) जैसी ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करना है.
इंटरनेशनल नाइट्रोजन इनिशिएटिव (INI)
यह खाद्य उत्पादन में नाइट्रोजन की लाभकारी भूमिका को इष्टतम करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम है. इसकी स्थापना 2003 में साइंटिफिक कमिटी ऑफ़ द एनवायरनमेंट (SCOPE) तथा इंटरनेशनल जीओस्फीयर-बायोस्फीयर प्रोग्राम (IGBP) की स्पोंसरशिप के अंतर्गत की गई थी.
Prelims Vishesh
National Centre for Good Governance (NCGG) :-
- प्रशासकीय प्रशिक्षण तन्त्र को सुदृढ़ करने के लिए राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (National Centre for Good Governance – NCGG) ने हाल ही में भारतीय निगम मामले संस्थान (Indian Institute of Corporate Affairs – IICA) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं.
- ज्ञातव्य है कि राष्ट्रीय सुशासन केंद्र भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के अधीनस्थ प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग के अन्दर आता है.
CERT-In (the Indian Computer Emergency Response Team):
- हाल ही में भारत में उपयोग में आने वाले कम से कम 16 ऑनलाइन मंचों से डाटा का जोरदार रिसाव हुआ है जिसकी जाँच करने का काम भारतीय साइबर सुरक्षा एजेंसियों को दे दी गई है. इस काम में राष्ट्रीय कंप्यूटर आपातकाल प्रतिक्रिया दल अग्रणी भूमिका निभा रहा है.
- CERT-In का full form है – Computer Emergency Response Team – India
- यह एक सरकारी सूचना प्रौद्योगिकी सुरक्षा संगठन है.
- इसे 2004 में भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने सृजित किया था और यह उसी विभाग के अधीन काम करता है.
- CERT- In के कार्य हैं – कंप्यूटर सुरक्षा से सम्बंधित मामलों पर प्रतिक्रिया देना, कहाँ-कहाँ साइबर आक्रमण हो सकता है उस पर प्रतिवेदन देना और देशभर में सूचना प्रौद्योगिकी सुरक्षा के लिए कारगर चलनों को बढ़ावा देना.
- सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम, 2008 में यह प्रावधान किया गया है कि इस अधिनियम के कार्यान्वयन का निरीक्षण करने के लिए CERT-In ही उत्तरदायी होगी.
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