Sansar Daily Current Affairs, 08 April 2021
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Statutory, regulatory and various quasi-judicial bodies.
Topic : FCAT
संदर्भ
केंद्र सरकार ने हाल ही में अधिकरण सुधार अध्यादेश, 2021 निर्गत कर के फिल्म प्रमाणन अपीलीय न्यायाधिकरण (Film Certificate Appellate Tribunal – FCAT) को समाप्त करने का निर्णय किया है.
अध्यादेश के माध्यम से सिनेमेटोग्राफी एक्ट, 1952 में संशोधन प्रस्तावित किया गया है. सरकार के इस कदम का फिल्म निर्माताओं द्वारा व्यापक विरोध किया जा रहा है. इस निर्णय का प्रभाव यह होगा कि अब तक फिल्म निर्माता अपनी फिल्मों के प्रमाणन संबंधी केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (Central Board of Film Certification – CBFC) के निर्णयों के विरुद्ध अपील के लिए FCAT के पास जाते थे, परन्तु अब उन्हें इसके लिए उच्च न्यायालय जाना होगा.
फिल्म प्रमाणन अपीलीय न्यायाधिकरण (FCAT)
- यह एक विधिक संस्था थी, जिसे सिनेमेटोग्राफी एक्ट, 1952 के सेक्शन 5D के अंतर्गत वर्ष 1983 में स्थापित किया गया था.
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में था.
- इसमें एक अध्यक्ष सहित 5 सदस्य होते थे, जिनमें से एक भारत सरकार द्वारा नियुक्त सचिव भी होता था.
केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC)
- इसमें एक अध्यक्ष और 23 सदस्य होते हैं और सभी की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है.
- CBFC भारत में किसी फिल्म के सार्वजनिक प्रदर्शन से पहले उसके उचित ऑडियंस को दिखाए जाने का प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए जिम्मेवार संस्था है.
- इसकी स्थापना वर्ष 1952 में की गई थी.
- इसके वर्तमान अध्यक्ष प्रसून जोशी हैं.
- प्रमाणन कई श्रेणियों में दिया जाता है:-
- U श्रेणी वाली फिल्मे सभी आयु वर्गों को दिखाई जा सकती हैं.
- U/A श्रेणी की फ़िल्में, 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों को अभिभावकों की अनुमति से दिखाई जानी चाहिए.
- A श्रेणी की फिल्में, 18+ आयु के लोगों के लिए होती हैं.
- S श्रेणी की फिल्में विशेष पेशेवरों जैसे वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, इंजीनियरों के लिए होती हैं.
भारत में मीडिया का विनियमन
भारत में मीडिया का विनियमनः प्रेस की निगरानी भारतीय प्रेस परिषद् द्वारा, सिनेमा की निगरानी केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) द्वारा, विज्ञापन की निगरानी भारतीय विज्ञापन मानक परिषद् (ASCI) द्वारा तथा टीवी पर प्रसारित सामग्री की निगरानी केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 के तहत की जाती है.
न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA)
- न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) निजी टेलीविजन समाचार और समसायिक घटनाओं के ब्रॉडकास्टर्स का प्रतिनिधित्व करता है.
- यह पूर्ण रूप से अपने सदस्यों द्वारा वित्तपोषित एक संगठन है. NBA में वर्तमान में 26 प्रमुख समाचार और समसामयिक घटनाओं के ब्रॉडकास्टर्स (कुल 70 न्यूज़ और समसामियक घटनाओं के चैनल) इसके सदस्य हैं.
मेरी राय – मेंस के लिए
- भारत में प्रिंट मीडिया का व्यवस्थित इतिहास 200 वर्षों से ज्यादा का रहा है. हाल के सालों में टेलीविज़न पत्रकारिता का तीव्र विस्तार हुआ है. टीवी पत्रकारिता में ‘सबसे पहले खबर दिखाने’ और ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ के नाम पर ‘व्यावसायिक प्रतिबद्धता’ और ‘पेशे की बुनियादी नैतिकता’ के उल्लंघन के बढ़ते मामलों की संख्या पत्रकारिता की निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं.
- दर्शकों के लिये निष्पक्ष, वस्तुनिष्ठ, सटीक और संतुलित सूचना प्रस्तुत करने के लिये पत्रकारों को पत्रकारिता के मौलिक सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए द्वारपाल की भूमिका निभाने की आवश्यकता को देखते हुए टेलीविज़न चैनलों के लिये आचार संहिता बनाई जानी चाहिये.
- ‘फेक न्यूज़’ के मामलों के प्रकाश में आने के बाद और इसके द्वारा सोशल मीडिया पर विस्तृत प्रभाव पैदा करने से वर्तमान समय में टेलीविज़न समाचार चैनलों के लिये आचार संहिता का निर्माण बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण है. सनसनीखेज, पक्षपातपूर्ण कवरेज़ और पेड न्यूज मीडिया का आधुनिक चलन बन गया है. किसी भी स्थिति में राय देने वाली रिपोर्टिंग को व्याख्यात्मक रिपोर्टिंग नहीं कहा जा सकता है.
- व्यापारिक समूह और यहाँ तक कि राजनीतिक दल अपने हितों की पूर्ति समाचार पत्र और टेलीविज़न चैनलों का संचालन कर रहे हैं. यह चिंताजनक होने के साथ ही इससे पत्रकारिता के मूल उद्देश्य समाप्त हो रहे हैं.
- अधिकारों और कर्तव्यों को अविभाज्य नहीं माना जा सकता है. मीडिया को न केवल लोकतंत्र की रक्षा करने के लिये प्रहरी के रूप में काम करना चाहिये बल्कि उसे समाज के वंचित वर्गों के हितों के रक्षक के रूप में भूमिका का निर्वहन करना चाहिये.
- मोबाइल फोन/स्मार्ट फोन के आने के पश्चात् सूचनाओं को साझा करने के क्रम में क्रांति आई है. प्रत्येक स्मार्ट फोन उपयोगकर्ता एक संभावित पत्रकार बन गया है. हालाँकि इंटरनेट और मोबाइल फोन ने सूचना की उपलब्धता का लोकतांत्रिकरण किया है लेकिन फेक न्यूज़ और अफवाहों के प्रसार की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है. पत्रकारों को इस तरह के समाचारों और नकली आख्यानों से बचना चाहिये क्योंकि उनका उपयोग निहित स्वार्थों को पूरा करने के लिये हमारे बहुलवादी समाज में विघटन और विभाजन पैदा करने में किया जा सकता है.
- अपेक्षित परिवर्तन लाने के लिये भ्रष्टाचार और लैंगिक एवं जातिगत भेदभाव जैसी सामाजिक बुराइयों को दूर करने की आवश्यकता पर प्रिंट मीडिया और टेलीविज़न समाचार चैनलों द्वारा जनता की राय बनाने में सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिये.
- इस संदर्भ में न्यूज़ मीडिया ने कई बार सकारात्मक भूमिका का निर्वहन भी किया है. ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को बढ़ावा देने में न्यूज़ मीडिया ने सकारात्मक भूमिका निभाई थी.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Issues related to education.
Topic : SARTHAQ Scheme
संदर्भ
हाल ही में भारत सरकार के शिक्षा मंत्री ने ‘सार्थक’ (SARTHAQ) नामक एक योजना की शुरुआत की है. सार्थक योजना नई शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 के लक्ष्यों एवं उद्देश्यों को लागू करने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
इसके अलावा, केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने नई शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 के कार्यान्वयन पर एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता भी की.
‘सार्थक’ (SARTHAQ) योजना
- 29 जुलाई, 2020 को निर्गत NEP-2020 के लक्ष्यों एवं उद्देश्यों के अनुसरण में और राज्यों एवं केंद्र-शासित प्रदेशों को इस कार्य में सहयोग पहुँचाने के लिए स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने स्कूल शिक्षा के लिए एक निर्देशात्मक और विचारोत्तेजक योजना विकसित की है. इसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से ‘छात्रों’ और ‘शिक्षकों’ की समग्र उन्नति’ (सार्थक) [‘Students’ and Teachers’ Holistic Advancement through Quality Education (SARTHAQ)] नाम दिया गया है.
- सार्थक योजना को भारतीय स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित होने वाले अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में शुरू किया गया है.
- यह योजना शिक्षा की समवर्ती प्रकृति को ध्यान में रखती है और संघवाद की भावना का पालन करती है.
- वहीं राज्यों एवं केंद्र-शासित प्रदेशों को इस योजना को स्थानीय संदर्भीकरण के साथ अनुकूलित करने और उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप संशोधित करने का लचीलापन दिया गया है.
- यह कार्यान्वयन योजना आगामी 10 सालों के लिए एनईपी-2020 के कार्यान्वयन का मार्ग प्रशस्त करती है जो इसके सुचारू एवं प्रभावी कार्यान्वयन के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है.
- सार्थक योजना को राज्यों एवं केंद्र-शासित प्रदेशों, स्वायत्त निकायों और सभी हितधारकों से प्राप्त सुझावों के साथ व्यापक एवं गहन परामर्श प्रक्रिया के जरिये विकसित किया गया है.
- एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने एक वर्ष के भीतर राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की कार्य योजना तैयार की है.
सार्थक योजना के लक्ष्य
- यह योजना स्कूल शिक्षा के लिए नए राष्ट्रीय एवं राज्य पाठ्यक्रम ढाँचे, प्रारम्भिक बाल्यकाल की देखभाल एवं शिक्षा, शिक्षक शिक्षा एवं वयस्क शिक्षा को एनईपी-2020 की भावना के अनुरूप विकसित करने में मार्ग प्रशस्त करेगी.
- सभी स्तरों पर सकल नामांकन अनुपात (जीईआर), शुद्ध नामांकन अनुपात (एनईआर) और ड्रॉप आउट एवं स्कूल तक न पहुंचने वाले बच्चों की संख्या को कम करना.
- प्रारम्भिक वर्षों में मातृभाषा/स्थानीय/क्षेत्रीय भाषाओं के माध्यम से शिक्षण और सीखने पर जोर देने के साथ सभी चरणों में सीखने के परिणामों में सुधार करना.
- सभी चरणों में व्यावसायिक शिक्षा, खेल, कला, भारत का ज्ञान, 21वीं सदी के कौशल, नागरिकता के मूल्य और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता आदि का एकीकरण.
- सभी चरणों में प्रायोगिक शिक्षा का परिचय और कक्षा के संचालन में शिक्षकों द्वारा अभिनव अध्यापन विज्ञान को अपनाना.
- बोर्ड परीक्षाओं और विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं में सुधार.
- उच्च गुणवत्ता और विविध शिक्षण-अधिगम साम्रागी का विकास.
- क्षेत्रीय/स्थानीय/घरेलू भाषा में पाठ्य पुस्तकों की उपलब्धता.
- शिक्षक शिक्षा कार्यक्रमों की गुणवत्ता में सुधार.
- नवनियुक्त शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार और सतत पेशेवर विकास के माध्यम से क्षमता निर्माण.
- छात्रों एवं शिक्षकों के लिए सुरक्षित, समावेशी और अनुकूल शिक्षण वातावरण का निर्माण.
- शिक्षा क्षेत्र की बुनियादी सुविधाओं में सुधार और विद्यालयों के मध्य संसाधनों को साझा करना.
- शैक्षणिक क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का एकीकरण और कक्षाओं में आईसीटी और गुणवत्ता ई-सामग्री की उपलब्धता.
लाभ
- सार्थक योजना बच्चों एवं युवाओं के लिए वर्तमान और भविष्य की विविध राष्ट्रीय एवं वैश्विक चुनौतियों का सामना करने का मार्ग प्रशस्त करेगी और उन्हें राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में भारत की परंपरा, संस्कृति और मूल्य प्रणाली के साथ-साथ 21वीं सदी के कौशल को समझने में सहायता करेगी.
- सार्थक योजना के कार्यान्वयन से 25 करोड़ छात्रों, 15 लाख विद्यालयों, 94 लाख शिक्षकों, शैक्षणिक प्रशासकों, अभिभावकों आदि सभी हितधारकों को लाभ होगा, क्योंकि शिक्षा एक न्यायसंगत और न्यायपूर्ण समाज का आधार है.
Sarthak GS Paper 2 Source : The Hindu UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora- their structure, mandate. संदर्भ अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के एक प्रस्ताव के अनुसार, IMF कोटा की 16वीं सामान्य समीक्षा (General Review of Quotas) 15 दिसम्बर, 2023 तक समाप्त हो जानी चाहिए. विदित हो कि फ़रवरी, 2020 में की गई विगत समीक्षा के अधीन, कोटा को अपवर्तित रखा गया है. कोटा समीक्षा के लिए नियमित अंतराल पर (5 साल से अधिक का नहीं) IMF का बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स समीक्षा करता है. कोटा में बदलाव का अनुमोदन तभी होता है जब इसपर 85% मत मिलते हैं. किसी सदस्य देश का कोटा तब तक नहीं बदला जा सकता है जब तक इसके लिए उसकी सहमति नहीं हो. समीक्षा के समय कोटा में बदलाव के लिए इस बात पर ध्यान रखा जाता है कि कुल मिलाकर कोटा में कितनी वृद्धि की आवश्यकता है और इसी के अनुसार बढ़े हुए कोटे का आवंटन होता है. पढ़ें – SDR in Hindi GS Paper 2 Source : PIB UPSC Syllabus : Statutory, regulatory and various quasi-judicial bodies. संदर्भ हाल ही में, भारत के राष्ट्रपति द्वारा ‘अधिकरण सुधार (सुव्यवस्थीकरण और सेवा शर्तें) अध्यादेश’, 2021 (Tribunals Reforms (Rationalisation and Conditions of Service) Ordinance, 2021) लागू कर दिया गया है. अध्यादेश के अंतर्गत किए गए परिवर्तन, ‘मद्रास बार एसोसिएशन मामले’ में गत वर्ष सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्गत निर्देशों पर आधारित हैं. अध्यादेश में निम्नलिखित अधिकरणों / अपीलीय प्राधिकारियों को वित्त अधिनियम के दायरे से बाहर किया गया है: GS Paper 3 Source : The Hindu UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization of resources, growth, development and employment. संदर्भ भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने हाल ही में भारत में विद्यमान व्यापक आर्थिक विकास पर चर्चा के लिए बैठक आयोजित की. रेपो रेट क्या होता है? बैंक अपने रोज के खर्चों को चलाने के लिए RBI से पैसा उधार लेते हैं. बैंक जिस दर पर रिज़र्व बैंक से उधार लेते हैं, उसे रेपो रेट कहते हैं. इससे उलट, जब बैंक अपना पैसा रिज़र्व बैंक में जमा करते हैं, तो उन्हें ब्याज़ मिलता है. इस ब्याज की दर को ही रिवर्स रेपो रेट कहते हैं. रिवर्स रेपो रेट क्या है? इससे उलट, जब बैंक अपना पैसा रिज़र्व बैंक में जमा करते हैं, तो उन्हें ब्याज़ मिलता है. इस ब्याज की दर को ही रिवर्स रेपो रेट कहते हैं. दीर्घावधि रेपो परिचालन (LTRO) क्या है? LAF LAF का उपयोग मौद्रिक नीति में किया जाता है, जो राज्य सरकार की प्रतिभूतियों सहित केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों की संपार्श्विकता के आधार पर पुनर्खरीद समझौते (रेपो) {(repurchase agreement (repo)} के माध्यम से बैंकों को RBI से धन उधार लेने या रिवर्स रेपो (reverse repo) का उपयोग करके RBI को ऋण देने में सक्षम बनाता है. MSF अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए एक अत्यधिक अल्पकालिक उधार योजना है. RBI द्वारा सीमांत स्थायी सुविधा की शुरुआत इंटर-बैंक मार्केट में एक दिवसीय (overnight) उधार दरों में अस्थिरता को कम करने और वित्तीय प्रणाली में सहज मौद्रिक संचरण को सक्षम करने के लिए की गई थी. सामान्यतः MSF दर रेपो दर से अधिक होती है. Important Links Nuthalapati Venkata Ramana (NV Ramana) as 48th Chief Justic of India :- Receivables Exchange of India Ltd (RXIL) :- Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Current Affairs Hindi February, 2020 Sansar DCA is available Now, Click to Download इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
Topic : IMF Quota
IMF कोटा का महत्त्व
कोटा समीक्षा
IMF के बारे में
विशेष आहरण अधिकार (SDR)
Topic : Tribunals Reforms (Rationalisation and Conditions of Service) Ordinance, 2021
महत्त्वपूर्ण परिवर्तन
Topic : Monetary Policy Committee (MPC) Meeting held
बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णय
मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee – MPC)
इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
Prelims Vishesh