Sansar डेली करंट अफेयर्स, 08 January 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 08 January 2021


GS Paper 2 Source : The Hindu

UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations.

Topic : China amends defence law to boost war preparedness

संदर्भ

हाल ही में चीन ने अपने राष्ट्रीय रक्षा कानून (National Defence Law) में संशोधन किया है ताकि देश और विदेश में ‘राष्ट्रीय हित’ की रक्षा में सैन्य और नागरिक संसाधनों को जुटाया जा सके. ये संशोधन सैन्य नीति तैयार करने में राज्य परिषद की भूमिका को कमजोर करते हैं और सीएमसी को निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करते हैं.

मुख्य परिवर्तन

  1. संशोधनों के तहत, एक नई और विस्तृत परिभाषा के अनुसार राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा हेतु संसाधन जुटाने के लिए केंद्रीय सैन्य आयोग (Central Military Commission- CMC) को और अधिक शक्तियाँ प्रदान की गयी हैं.
  2. विशेषज्ञों का कहना है कि, नए संशोधनों के तहत विकास हित’ (Development Interests) वाक्यांश में चीन की आर्थिक गतिविधियों और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) जैसे उपक्रमों के तहत विदेश स्थित परिसंपत्तियों की सुरक्षा हेतु सैन्य-तैनाती को सम्मिलित किया गया है.
  3. संशोधन के माध्यम से आवश्यक सुरक्षा क्षेत्रों के दायरे में स्थलीय, समुद्री और वायु सीमाओं के अतिरिक्त बाह्य अंतरिक्ष (Outer Space) और विद्युत चुंबकीय नेटवर्क (Electromagnetic Networks) को सम्मिलित किया गया है.
  4. चीन के अनुसार इस संशोधन के माध्यम से वह ‘वैश्विक सुरक्षा प्रशासन में भाग लेगा, बहुपक्षीय सुरक्षा वार्ता में सम्मिलित होगा और व्यापक रूप से स्वीकृत, निष्पक्ष और उचित अंतरराष्ट्रीय नियमों की स्थापना’ के लिए जोर देगा.

निहितार्थ

नागरिक-सैन्य समेकन हेतु किये जा रहे प्रयासों के तहत रक्षा क़ानून में ये संशोधन किये गए हैं, इनका लक्ष्य वर्ष 2049 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के 100 साल पूरे होने तक पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना के समान ‘विश्व स्तरीय’ बनाना है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

चीन का उद्भव एक वास्तविकता है, जिससे भारत को निपटना है. लेकिन कूटनीति एक ऐसी कला है जो सही संतुलन पर निर्भर करती है और भारत को वह संतुलन बनाकर चलना होगा. चीन की ‘वन बेल्ट वन रोड’ के अंतर्गत निर्मित हो रहे चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) को लेकर भारत की सम्प्रभुता संबंधी चिंताएँ वाज़िब हैं. चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करने पर भारतीय उपभोक्ताओं को कहीं और से उन्हें पाने के लिये अधिक भुगतान करना होगा, जिससे कि अर्थव्यवस्था पर अनावश्यक बोझ बढ़ेगा. आर्थिक मोर्चे पर भी चीन को अलग-थलग कर उसके प्रभुत्व को कम नहीं किया जा सकता है, क्योंकि शक्तिशाली युआन के सामने रुपया अभी भी कमज़ोर है. जब एक देश दूसरे देश के प्रति संरक्षणवादी रवैया अपनाता है अर्थात् वहाँ से आयात होने वाली वस्तुओं और सेवाओं पर शुल्क बढ़ाता है तो दूसरा देश भी जवाबी कार्रवाई में यही प्रक्रिया अपनाता है. ऐसी संरक्षणवादी नीतियों के प्रभाव को व्यापार युद्ध (Trade War) कहते हैं. अमेरिका और चीन बीते लगभग 17 महीनों से व्यापार युद्ध में उलझे हुए हैं. विश्लेषकों को उम्मीद थी कि इस व्यापार युद्ध से भारत को काफी लाभ होगा, परंतु स्टेट ऑफ इंडिया (SBI) द्वारा जारी जुलाई 2019 की एक रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका-चीन के व्यापार युद्ध से भारत को काफी कम लाभ हुआ है.


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : PM-AASHA

संदर्भ

गतिरोध को समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा पीएम-आशा (PM-AASHA) में चावल, गेहूँ को शामिल किया जा सकता है. केंद्र सरकार किसानों के साथ गतिरोध को समाप्त करने के लिए, प्रधान मंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान पीएम–आशा में धान और गेहूं को शामिल करने जैसे विभिन्‍न विकल्पों पर विचार कर रही है. पीएम-आशा में शामिल करने से धान और गेहूँ मूल्य न्यूनता भुगतान योजना (Price Deficiency Payment Scheme: PDPS) का लाभ उठाने के लिए पात्र हो जायँगे.

प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA)

सितम्बर 2018 में केन्द्रीय मंत्रीमंडल ने “प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान” (PM-AASHA) नामक बहु-आयामी योजना का शुभारम्भ किया था. यह योजना सरकार अन्नदाता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता एवं समपर्ण को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा तैयार की गई है. इसका उद्देश्य किसानों को अपनी उपज के लिए यथोचित मूल्य दिलवाना था जिसके लिए 2018 के बजट में घोषणा भी की गई थी.

इस बहु-आयामी योजना PM-AASHA के तीन अवयव हैं –

  • मूल्य समर्थन योजना / Price Support Scheme (PSS).
  • मूल्य में कमी के भुगतान की योजना / Price Deficiency Payment Scheme (PDPS).
  • निजी क्रय एवं भंडारक प्रायोगिक योजना / Pilot of Private Procurement & Stockist Scheme (PPPS).

मूल्य समर्थन योजना / Price Support Scheme (PSS)

इस योजना के अन्दर दालों, तिलहन एवं नारयिल रेशे के क्रय का काम केन्द्रीय नोडल एजेंसियों द्वारा राज्य सरकारों के सक्रीय सहयोग से किया जाएगा.

मूल्य में कमी के भुगतान की योजना / Price Deficiency Payment Scheme (PDPS)

इस योजना में तिलहन की खेती करने वाले किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा बाजार मूल्य के बीच के अंतर की राशि का सीधे उनके बैंक खातों में भुगतान कर दिया जाएगा.

निजी क्रय एवं भंडारक प्रायोगिक योजना / Pilot of Private Procurement & Stockist Scheme (PPPS)

इस योजना के अंतर्गत राज्यों के पास यह विकल्प होगा कि वे कुछ चुने हुए जिलों में प्रायोगिक तौर पर तिलहन के लिए निजी क्रय एवं भंडारण की सुविधा ले सकते हैं.

सरकार की किसान अनुकूल अन्य पहलें

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना
  • परंपरागत कृषि विकास योजना 
  • मृदा स्वास्थ्य कार्डों का वितरण
  • मॉडल कृषि उपज एवं पशुधन विपणन अधिनियम, 2017 और मॉडल अनुबंध खेती एवं सेवा अधिनियम, 2018

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus :India and its neighbourhood- relations.

Topic : GoI constitutes high-level group for South Asia energy security

संदर्भ

हाल ही में भारत ने दक्षिण एशिया में ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक उच्च-स्तरीय समूह स्थापित किया  है. यह सूचना प्रसारित हो रही है कि भारत ने विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs – MEA) के एक थिंक टैंक विकासशील देशों की अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली (Research and Information System for Developing Countries – RIS) के तहत एक साउथ एशिया ग्रुप फॉर एनर्जी (South Asia Group for Energy – SAGE) की स्थापना की है.

इसका उद्देश्य द्विपक्षीय, उप-द्षेत्रीय एवं क्षेत्रीय आधार पर परस्पर समझ और सहयोग के माध्यम से ऊर्जा अवसंरचना के इष्टतम विकास को प्राप्त करना है.

भारत के लिए इसका माहात्म्य

  • पड़ोसी देशों को विकेंद्रीकृत ऊर्जा समाधान प्रदान करके और पीढ़ीगत परिसंपत्तियों (generation assets) के उपयोग में सुधार के जरिये अधिक से अधिक सहायता प्राप्त करना.
  • यह दक्षिण एशियाई क्षेत्र में ऊर्जा (विशेष रूप से बिजली) की प्रति व्यक्ति खपत में वृद्धि के लिए इष्टतम समाधान विकसित कर सकता है.
  • यह जलवायु परिवर्तन से सम्बंधित चिंताओं के निवारण में भी सहयोग कर सकता है.
  • दक्षिण एशियाई क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभुत्व को नियंत्रित करने में सहयोगी हो सकता है.

क्षेत्रीय ऊर्जा सहयोग की दिशा में भारत ने क्या-क्या कदम उठाये हैं?

  • वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड (One Sun, One World, One Grid: OSOWOG) की परिकल्पना का प्रथम चरण मध्य पूर्व-दक्षिण एशिया-दक्षिण-पूर्व एशिया से संबंधित है.
  • OSOWOG का उद्देश्य सौर ऊर्जा को स्थानांतरित करने के लिए एक सामान्य ग्रिड के जरिये 140 देशों एक साथ लाना है.
  • सीमा पार विद्युत्‌ व्यापार विनिमय (Cross Border Trade of Electricity Regulation), 2019 के अंतर्गत भारत और पड़ोसी देशों के मध्य विद्युत्‌ के क्रय एवं विक्रय की अनुमति होगी.
  • भारत आज की तिथि में नेपाल और भूटान में पेट्रोलियम उत्पादों की लगभग संपूर्ण मांग की आपूर्ति करता है.

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

OSOWOG

  • OSOWOG का लक्ष्य 140 देशों को एक कॉमन ग्रिड के माध्यम से जोड़ना है, जिसका उपयोग सौर ऊर्जा के अंतरण के लिए किया जाएगा.
  • विश्व भर के शोधार्थियों की सौर ऊर्जा पर लेख प्रकाशित करने के लिए सहायता करने हेतु जर्नल ऑन सोलर एनर्जी (JOSE) का अनावरण किया गया.
  • OSOWOG अक्षय ऊर्जा संसाधनों को आपस में जोड़ने के लिए वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण भारत द्वारा प्रारम्भ की गयी एक पहल है.
  • OSOWOG का ब्लू प्रिंट विश्व बैंक के तकनीकी सहायता कार्यक्रम के अंतर्गत विकसित किया जाएगा.
  • OSOWOG को तीन चरणों में पूरा करने की योजना है. इसके पहले चरण में मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया (MESASEA) को परस्पर जोड़ा जाएगा. दूसरे चरण में अफ्रीका को जोड़ा जाएगा और तीसरे एवं आखिरी चरण में पूरी परियोजना का वैश्वीकरण होगा.

GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Infrastructure- railways.

Topic : Dedicated Rail Freight corridor -DRFC

संदर्भ

हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पश्चिमी समर्पित माल ढुलाई गलियारे (Western Dedicated Freight Corridor- WDFC) के रेवाड़ी-मदार खंड (Rewari – Madar section) को राष्ट्र को समर्पित किया है. इसके साथ ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस मार्ग पर डबल स्टैक लॉन्ग हॉल कंटेनर ट्रेन (Double Stack Long Haul Container Train) को भी झंडी दिखाकर रवाना किया. हरियाणा के न्यू अटेली से राजस्थान के न्यू किशनगंज तक पहली डबल स्टैक्ड कंटेनर मालगाड़ी के रवाना होने से भारत डबल स्टैक्ड कंटेनर मालगाड़ी सुविधा वाले दुनिया के चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है.

पश्चिमी समर्पित माल ढुलाई गलियारा क्या है?

  • यह एक ब्रॉड गेज (broad gauge corridor) वाला गलियारा है.
  • यह पश्चिमी गलियारा कुल मिलाकर 1,504 किलोमीटर का है.
  • यह उत्तर प्रदेश के दादरी से आरम्भ होकर मुंबई के निकट स्थित देश के सबसे बड़े कंटेनर बंदरगाह जवाहर लाल नेहरु बंदरगाह न्यास तक जाता है.
  • यह मार्ग पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों से गुजरता है. इसके मार्ग में वडोदरा, अहमदाबाद, पालनपुर, फुलेड़ा और रेवाड़ी शहर पड़ते हैं.
  • इस परियोजना को चलाने के लिए अक्टूबर, 2006 में एक समर्पित निकाय बनाया गया जिसे भारतीय समर्पित माल ढुलाई गलियारा निगम (Dedicated Freight Corridor Corporation of India – DFCCIL) कहते हैं.
  • इस परियोजना के लिए जापान इंटरनेशनल कारपोरेशन एजेंसी ने विशेष शर्तों पर 4 बिलियन डॉलर का एक कम ब्याज वाला कोष उपलब्ध कराया है.

पश्चिमी समर्पित माल ढुलाई गलियारा (Western DFC) का महत्त्व

  • यह गलियारा मात्र माल-ढुलाई के लिए बना है अर्थात् इस पर सवारी गाड़ियाँ नहीं चलेंगी. इस प्रकार माल ढुलाई की गति में तेजी आ जायेगी.
  • यहाँ जिन मालों की ढुलाई होगी, वे हैं – खाद, अनाज, नमक, कोयला, लोहा, इस्पात और सीमेंट.
  • उधर पूर्व में भी ऐसा ही गलियारा तैयार हो रहा है जिससे इस गलियारे को अंततः जोड़ दिया जाएगा.

भारत में समर्पित माल ढुलाई गलियारों की आवश्यकता क्यों?

  • भारत के पश्चिमी और पूर्वी माल ढुलाई गलियारों से गाड़ियों का सबसे अधिक आना-जाना होता है और इनमें जाम लगता रहता है. वस्तुतः इन पर माल ढुलाई का 58% और सवारी ढुलाई का 52% निर्भर है जैसा कि 2017 के मेक इन इंडिया रिपोर्ट में बताया गया है.
  • ये गलियारे प्रदूषण और लागत की दृष्टि की भी काम के सिद्ध होंगे. आज की तिथि में इन गलियारों पर लगने वाले जाम के कारण ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन अतिशय मात्रा में होता है और साथ ही ईंधन की खपत भी बढ़ जाती है. इन गलियारों के चालू हो जाने से प्रदूषण और ईंधन-लागत में कमी होगी.
  • पश्चिमी और पूर्वी गलियारों के निर्माण के साथ-साथ कई अन्य प्रकार के विनिर्माण होंगे, जैसे – औद्योगिक गलियारे और माल ढुलाई पार्क आदि. इस प्रकार निवेश के नए मार्ग प्रशस्त होंगे.

भारतीय समर्पित माल ढुलाई गलियारा निगम (DFCCIL) क्या है?

  • भारतीय समर्पित माल ढुलाई गलियारा निगम रेलवे मंत्रालय द्वारा संचालित एक निगम है जो समर्पित माल ढुलाई गलियारों के योजनान्यवन, निर्माण, वित्तीय स्रोतों को जुटाने के साथ-साथ इनके संचालन और संधारण का काम करता है.
  • DFCCIL कम्पनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत 30 अक्टूबर, 2006 को कम्पनी के रूप में पंजीकृत हो चुका है.

Prelims Vishesh

Bank Investment Company: BIC :-

  • सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों के लिए एक धारक कंपनी (BIC) स्थापित करने की योजना बना रही है.
  • वर्ष 2014 में BIC को पी.जे. नायक समिति द्वारा बैंकों के बोर्ड के अभिशासन की समीक्षा करने के लिए प्रस्तुत किया गया था.
  • BIC द्वारा स्वतंत्र रूप से सरकार के हस्तक्षेप के बिना सभी बैंकों को नियंत्रित किया जाएगा.
  • इसके द्वारा यह सुनिश्चित करने में भी सहायता प्रदान की जाएगी कि इन बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी को रणनीतिक रूप से कम करके 51% तक किया जाए.

Small Finance Banks: SFBs :-

  • विभिन्‍न लघु वित्त बैंक (SFBs) जो अपने प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (Initial Public Offerings: IPOs) का शुभारंभ करने की तैयारी कर रहे हैं, अपनी सूचीबद्धता (listing) की समय सीमा में विस्तार पाने की अपेक्षा कर रहे हैं.
  • ये वैसे बैंक हैं जिनका प्रमुख कार्य छोटे व्यवसायों, लघु एवं सीमान्त किसानों, सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों तथा असंगठित कारोबारों को सामान्य बैंकिंग सुविधाएँ देना है, जैसे – जमा लेना और ऋण देना.
  • भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुसार जब SFBs की नेट वर्थ 500 करोड़ रुपये हो जाती है, तो इसे तीन वर्षों के भीतर सूचीबद्ध कराना अनिवार्य होता है.
  • लघु वित्त बैंक का उद्देश्य उच्च प्रौद्योगिकी-निम्न लागत परिचालनों के माध्यम से बचत के प्रावधान तथा लघु व्यवसाय इकाइयों, लघु और सीमांत किसानों, सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों व अन्य असंगठित क्षेत्र की इकाइयों को ऋण की आपूर्ति द्वारा वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाना है.
  • ये बैंक (SMALL FINANCE BANKS) क्या नहीं कर सकते हैं? – i) बड़े निगमों और समूहों को उधार नहीं दे सकते ii) अपनी स्थापना के पहले पाँच वर्षों में आरबीआई के अनुमोदन के बिना ये अपनी शाखाएँ नहीं खोल सकते हैं iii) यह बैंक गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवाओं के लिए अलग से सहायक कार्यालय की स्थापना नहीं कर सकता है iv) यह किसी भी बैंक के व्यवसायिक सहायक नहीं बनेंगे.

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