Sansar Daily Current Affairs, 08 July 2021
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.
Topic : Governors
संदर्भ
हाल ही में, राष्ट्रपति द्वारा 8 राज्यों में नए राज्यपालों (Governors) की नियुक्ति की गयी है.
राज्यपाल की संवैधानिक स्थिति
- अनुच्छेद 155 में राज्यपाल की नियुक्ति से सम्बंधित प्रावधान और संविधान के अनुच्छेद 156 में राज्यपाल के कार्यकाल से सम्बंधित प्रावधान हैं.
- राज्यपाल, राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करता है.
- राज्यपाल राज्य का एक सैद्धांतिक प्रमुख होता है क्योंकि वास्तविक शक्तियाँ किसी भी राज्य में वहाँ के मुख्यमंत्री के पास होती हैं.
- संविधान के सातवें संशोधन के द्वारा 1956 में यह व्यवस्था की गई थी कि एक ही व्यक्ति दो अथवा दो से अधिक राज्यों का राज्यपाल हो सकता है.
- संघीय क्षेत्रों में राज्यपाल के बदले उप-राज्यपाल होते हैं जिन्हें अंग्रेजी में लेफ्टिनेंट गवर्नर कहा जाता है.
नियुक्ति- APPOINTMENT OF GOVERNOR
संघ की तरह ही भारतीय संघ के राज्यों में संसदीय शासन पद्धति की स्थापना की गई है. संसदीय शासन पद्धति का आधारभूत सिद्धांत यह है कि राज्याध्क्ष शासन का प्रधान न होकर नाममात्र का प्रधान होता है. अतः, राज्यपाल एक सांविधानिक प्रधान है और वास्तविक कार्यपालिका शक्ति राज्य की मंत्रिपरिषद में ही निहित है. संविधान के अनुसार राज्यपाल को शासन-सम्बन्धी कार्यों में सहायता और मंत्रणा देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होती है, जिसका नेता मुख्यमंत्री होता है.
राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा पाँच वर्षों के लिए होती है. राष्ट्रपति से अभिप्राय केन्द्रीय कार्यपालिका से है अर्थात्, केन्द्रीय मंत्रिमंडल राष्ट्रपति की औपचारिक स्वीकृति से उसकी नियुक्ति करता है. सामान्यतः उसकी नियुक्ति में सम्बद्ध राज्य के मुख्यमंत्री का परामर्श ले लिया जाता है. राष्ट्रपति पाँच वर्ष के भीतर भी राज्यपाल को पदच्युत कर सकता है अथवा उसका स्थानान्तरण कर सकता है. वह इस अवधि के भीतर भी राष्ट्रपति के पास त्यागपत्र भेजकर पदत्याग कर सकता है. राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपने पद पर बना रहता है. यद्दपि उसका कार्यकाल पाँच वर्ष का है पर वह नए राज्यपाल के पद-ग्रहण करने के पूर्व तक अपने पद पर रहता है.
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Parliament and State Legislatures – structure, functioning, conduct of business, powers & privileges and issues arising out of these.
Topic : Ministry of Cooperation
संदर्भ
देश में ‘सहकारिता आंदोलन’ को दृढ बनाने के लिए एक नया ‘सहकारिता मंत्रालय’ (Ministry of Cooperation) का गठन किया गया है.
नए मंत्रालय की भूमिकाएं / कार्य
- यह मंत्रालय देश में सहकारिता आंदोलन को दृढ बनाने के लिए एक पृथक् प्रशासनिक, कानूनी और नीतिगत ढांचा प्रदान करेगा.
- यह सहकारी समितियों को जमीनी स्तर तक पहुंचने वाले एक सच्चे जनभागीदारी आधारित आंदोलन को दृढ बनाने में भी सहयोग प्रदान करेगा.
- यह मंत्रालय सहकारी समितियों के लिए ‘कारोबार में सुगमता’ के लिए प्रक्रियाओं को कारगर बनाने और बहु-राज्य सहकारी समितियों (multi-state cooperatives – MSCS) के विकास को सक्षम बनाने की दिशा में काम करेगा.
सहकारी समिति किसे कहते हैं?
- सहकारी अर्थात् साथ मिलकर कार्य करना. सहकारी समिति लोगों का ऐसा संघ होता है, जो अपने पारस्परिक लाभ के लिये स्वेच्छा-पूर्वक सहयोग करते हैं.
- यह ऐसे व्यक्तियों की स्वयंसेवी संस्था है, जो अपने आर्थिक हितों के लिये कार्य करते हैं. यह अपनी सहायता स्वयं और परस्पर सहायता के सिद्धान्त पर करती है.
- सहकारी समिति में कोई भी सदस्य व्यक्तिगत लाभ के लिये कार्य नहीं करता है. इसके सभी सदस्य अपने-अपने संसाधनों को एकत्र कर उनका अधिकतम उपयोग कर कुछ लाभ प्राप्त करते हैं, जिसे वह आपस में बाँट लेते हैं.
- भारत में सहकारिता आन्दोलन का प्रारम्भ 1904 में फेड्रिक निकल्सन द्वारा सहकारी ऋण समिति की स्थापना के साथ हुआ था. आज इसका दायरा बहुत ही विस्तृत हो चुका है.
- भारत के संविधान के भाग 9 (ख) के अनुच्छेद 243 में इसका प्रावधान किया गया है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Statutory, regulatory and various quasi-judicial bodies.
Topic : Central Information Commission
संदर्भ
हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को ‘केंद्रीय सूचना आयोग’ (Central Information Commission) में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति, रिक्तियों और लंबित मामलों की नवीनतम जानकारी को आधिकारिक तौर पर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.
संबंधित प्रकरण
उच्चतम न्यायालय में दायर एक याचिका में, साल 2019 के एक निर्णय में शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए निर्देशों को लागू करने के लिए सरकारी अधिकारियों को निर्देश देने की माँग की गई है.
सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय में,
- केंद्र और राज्य सरकारों को पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से केंद्रीय और राज्य सूचना आयोगों में रिक्त पदों को भरने के लिए कई निर्देश निर्गत किए थे.
- न्यायालय ने ‘केंद्रीय सूचना आयोग’ में मौजूद रिक्तियों को भरने के लिए केंद्र को तीन महीने का समय दिया था.
CIC क्या है?
सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 के अनुभाग 12 यह प्रावधान करता है कि भारत सरकार सरकारी राजपत्र में अधिसूचना देकर केन्द्रीय सूचना आयोग का गठन करेगी जिसमें 1 मुख्य सूचना आयुक्त और अधिकतम 10 केन्द्रीय सूचना आयुक्त होंगे.
अधिनियम के अनुभाग 12 (3) में आगे कहा गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त और केन्द्रीय सूचना आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की अनुशंसा पर होगी. इस समिति का स्वरूप निम्नवत् होगा –
- प्रधानमंत्री इस समिति के अध्यक्ष होंगे.
- लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष एक सदस्य होंगे.
- तीसरे सदस्य कोई केंद्र सरकार के कैबिनेट मंत्री होंगे जो प्रधानमंत्री द्वारा नामांकित किए जायेंगे.
केन्द्रीय सूचना आयोग के पदों के लिए अर्हता
- सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 के अनुभाग 12 (5)के अनुसार मुख्य सूचना आयुक्त एवं अन्य केन्द्रीय सूचना आयुक्त वे व्यक्ति होंगे जो सार्वजनिक रूप से सुप्रतिष्ठित होंगे और जिन्हें इन विषयों का गहन ज्ञान और अनुभव होगा – विधि, विज्ञान एवं तकनीक, समाज सेवा, प्रबन्धन, पत्रकारिता, जन-मीडिया अथवा प्रशासन.
- अधिनियम के अनुभाग 12 (6)में यह बतलाया गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त अथवा केन्द्रीय सूचना आयुक्त संसद के सदस्य अथवा किसी भी राज्य अथवा केन्द्रीय-शाषित क्षेत्र के विधायक नहीं होंगे. साथ ही वे ऐसे व्यक्ति नहीं होंगे जो किसी अन्य लाभ के पद पर हैं अथवा किसी राजनीतिक दल से जुड़े हुए हैं अथवा कोई व्यवसाय करते हों अथवा कोई पेशा करते हों.
मुख्य सूचना आयुक्त का कार्यकाल और वेतन
- अधिनियम के अनुभाग 13 के अनुसार मुख्य सूचना आयुक्त का कार्यकाल पदधारण के अगले पाँच साल तक या 65 वर्ष की आयु तक होगा. उसकी दुबारा नियुक्ति नहीं होगी.
- अधिनियम के अनुभाग 13(5)(a) में बतलाया गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त का वेतन, भत्ते और अन्य सेवा शर्तें वही होंगी जो मुख्य चुनाव आयुक्त की होती हैं.
केन्द्रीय सूचना आयुक्तों का कार्यकाल एवं सेवा शर्तें
- प्रत्येक सूचना आयुक्त, उस तारीख से, जिसको वह अपना पद ग्रहण करता है, पाँच वर्ष की अवधि के लिये या 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक इनमें से जो भी पहले आये, पद धारण करेगा और सूचना आयुक्त के रूप में पुनर्नियुक्ति के लिये पात्र नहीं होगा.
- परन्तु प्रत्येक सूचना आयुक्त, इस उपधारा के अधीन अपना पद रिक्त करने पर, धारा 12 की उपधारा (3) में विनिर्दिष्ट रीति से मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्ति के लिये पात्र होगा.
- परन्तु यह प्रावधान भी है कि जहाँ सूचना आयुक्त को मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्त किया जाता है वहाँ उसकी पदावधि सूचना आयुक्त और मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में कुल मिलाकर पाँच वर्ष से अधिक नहीं होगी.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization, of resources, growth, development and employment.
Topic : Wholesale, retail trade now in MSME fold
संदर्भ
हाल ही में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME), सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने खुदरा और थोक व्यापार को एमएसएमई के रूप में शामिल करते हुए एमएसएमई के लिए संशोधित दिशानिर्देशों की घोषणा की.
निर्णय के प्रभाव
- अब संशोधित दिशानिर्देशों के तहतखुदरा और थोक व्यापार को भी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशानिर्देशों के अनुसार प्राथमिकता वाले क्षेत्र के अंतर्गत ऋण प्राप्त करने का लाभ मिलेगा.
- अब खुदरा और थोक व्यापारियों को उद्यम पंजीकरण पोर्टल पर पंजीकरण कराने की अनुमति होगी.
- संशोधित दिशानिर्देशों से 2.5 करोड़ खुदरा और थोक व्यापारियों को लाभ प्राप्त होगा. कोविड महामारी से प्रभावित व्यापारी अब बैंकों से जरूरी ऋण लेकर अपना कारोबार नए सिरे से प्रारम्भ करेने में सक्षम होंगे.
ज्ञातव्य है कि पहले थोक और खुदरा व्यापार की गतिविधियों को एमएसएमई के तौर पर वर्गीकृत किया गया था, लेकिन 2017 में इसे उस दायरे से बाहर कर दिया गया क्योंकि ये विनिर्माण गतिविधियों से नहीं जुड़े थे.
सूक्ष्म उद्योग: सूक्ष्म उद्योग के अंतर्गत वे उद्यम आते हैं जिनमें एक करोड़ रुपये का निवेश (मशीनरी वगैरह में) और टर्नओवर 5 करोड़ तक हो. यहां निवेश से मतलब यह है कि कंपनी ने मशीनरी कौरह में कितना निवेश किया है. यह मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर दोनों क्षेत्र के उद्यमों पर लागू होता है.
लघु उद्योग: उन उद्योगों को लघु उद्योग की श्रेणी में रखते है जिन उद्योगों में निवेश 10 करोड़ और टर्नओवर 50 करोड़ रुपये तक है.
मध्यम उद्योग: मैनुफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के ऐसे उद्योग जिनमें 50 करोड़ का निवेश और 250 करोड़ टर्नओवर है वह मध्मम उद्योग में आते हैं.
MSME से सम्बंधित कुछ मुख्य तथ्य
- देश में कृषि के पश्चात् सर्वाधिक रोजगार एमएसएमई क्षेत्र के द्वारा ही दिया जा रहा है.
- देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में छोटे और मंझोले उद्योग-कारोबार का भाग लगभग 30% तथा देश के निर्यात में योगदान लगभग 48% है.
- देश में MSME के अंतर्गत लगभग 6.5 करोड़ उद्यम आते हैं जो 15 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मुहैया करवा रहे हैं और देश की करीब आधी जनसंख्या इनसे जुड़ी है.
- वर्तमान में देश में MSME क्षेत्र के 66% उद्यम समाज के निचले वर्ग से जुड़े लोगों द्वारा संचालित किये जाते हैं.
- इनमें से 5% अनुसूचित जाति, 4.1% अनुसूचित जनजाति और 49.7% अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित हैं. सभी श्रेणियों के MSMEs के कर्मचारियों में लगभग 80% पुरुष और मात्र 20% ही महिलाएँ हैं. भौगोलिक दृष्टि से देखें तो देश के केवल 7 राज्यों में ही लगभग 50% MSMEs स्थित हैं.
- इनमें उत्तर प्रदेश (14%), पश्चिम बंगाल (14%), तमिलनाडु (8%), महाराष्ट्र (8%), कर्नाटक (6%), बिहार (5%) और आंध्र प्रदेश (5%) हैं.
चिंताएँ
- भारत के आधे से अधिक एमएसएमई अन्य देशों के एमएसएमई की तरह तकनीक का प्रयोग नहीं कर पाते हैं परिणामस्वरूप वे अब भी परंपरागत रूप से कारोबार कर रहे हैं. इससे उनकी उत्पादकता कमी आती है और लागत भी बढ़ जाती है.
- इस क्षेत्र की आर्थिक स्थिति और वर्तमान नकदी संकट को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा इस क्षेत्र के लिए समर्पित कोष बनाना अनिवार्य दिखाई दे रहा है. इस के लिए एक बड़े आकार के MSME कोष की आवश्यकता है. साथ ही इस कोष से दिए जाने वाले ऋण पर कोई जमानत न माँगी जाए, ऐसी अपेक्षा है.
- केंद्र और राज्य सरकार के सरकारी विभाग इन छोटे उद्यमों के भुगतान में आनाकानी करते हैं. सरकारी विभागों पर सूक्ष्म और लघु उद्योगों की 11 हजार करोड़ रूपये से भी अधिक की राशि बकाया है.
Prelims Vishesh
Value Presidio Principles: Foundational Values for a Decentralized Future :-
- यह विश्व आर्थिक मंच (WEF) की ग्लोबल ब्लॉकचैन काउंसिल की एक पहल है.
- इसका उद्देश्य ब्लॉकचैन तकनीक और विकेन्द्रीकृत अवसंरचना के साथ निर्माण करने वालों के लिए सिद्धांतों का एक मूलभूत समुच्चय तैयार करना है.
- ये सिद्धांत ब्लॉकचेन अनुप्रयोगों के रचनाकारों को ऐसी प्रणालियों को डिजाइन करने के लिए आधार रेखा प्रदान करेंगे, जो उनके प्रतिभागियों के अधिकारों को सुरक्षित रखते हैं.
- सिद्धांतों का उद्देश्य निम्नलिखित सहभागी अधिकारों को संरक्षण प्रदान करना है: पारदर्शिता और पहुंच, सहायता एवं अन्तरसंक्रियता, निजता व सुरक्षा, जवाबदेही तथा अभिशासन.
Malaysia becomes India’s top palm oil supplier :-
- मलेशिया, 2020-21 में भारत के लिए पाम ऑयल का सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है.
- ज्ञातव्य है कि इससे पूर्व इंडोनेशिया, भारत के लिए पाम ऑयल का सबसे बड़ा निर्यातक था.
- इंडोनेशिया (शीर्ष उत्पादक) और मलेशिया विश्व के पाम ऑयल का 85% उत्पादन करते हैं.
- भारत पाम ऑयल का विश्य का सबसे बड़ा आयातक है.
- भारत के खाद्य तेल के कुल आयात में पाम ऑयल की हिस्सेदारी लगभग दो-तिहाई है.
- पाम ऑयल का उत्पादन, पाम ऑयल वृक्ष के फल “एलायस गाइनेंसिस” (Elaeis guineensis) से होता है.
- इसमें बीटा कैरोटीन की उच्च मात्रा होती है. इसका उपयोग खाना पकाने के तेल के रूप में तथा मार्जरीन (margarine) बनाने के लिए किया है जाता है. यह विभिन्न प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का एक घटक भी है.
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