Sansar Daily Current Affairs, 08 June 2019
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Home Ministry warns NGOs
संदर्भ
पिछले दिनों भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने उन NGO को दंडात्मक कार्रवाई की धमकी दी है जिन्होंने अपने पदाधिकारियों एवं मुख्य कर्मचारियों को मंत्रालय को बिना बताये बदल दिया है. यदि वह दंड से बचना चाहते हैं तो उनको एक महीने में वांछित सूचना दे देनी पड़ेगी.
पृष्ठभूमि
विदेशी योगदान नियमन अधिनियम, 2010 (FCRA, 2010) के अंतर्गत पंजीकृत सभी NGO और संघों को एक महीने के अन्दर पदाधिकारियों तथा मुख्य कर्मचारियों की सूची में नाम जोड़ने, नाम हटाने और उनसे सम्बंधित विवरणों को बदलने के लिए ऑनलाइन आवेदन देना पड़ता है.
विदेशी राशि लेने से सम्बंधित नियमन
विदेशी योगदान (नियमन) अधिनियम, 2010 और इस अधिनियम के तहत बनाये गये नियम भारत में गैर सरकारी संगठनों के द्वारा विदेशी योगदान की प्राप्ति एवं उपयोग को नियमित करने का काम करते हैं.
FCRA का प्रभाव क्षेत्र और उद्देश्य
FCRA इसलिए पारित किया गया था कि राष्ट्रीय हित के विरुद्ध किसी गतिविधि में विदेशी योगदान की रोकथाम की जाए. इस अधिनियम का प्रभाव क्षेत्र बहुत व्यापक है. यह किसी व्यक्ति, निगमित निकाय, अन्य प्रकार की भारतीय इकाइयों (निगमित अथवा अनिगमित), प्रवासी भारतीयों, विदेश में स्थित भारतीय कंपनियों की शाखाओं अथवा उपकार्यालयों एवं भारत में निर्मित अथवा पंजीकृत इकाइयों पर लागू होता है. इसका इसका कार्यान्वयन भारत सरकार का गृह मंत्रालय करता है.
विदेशी धन लेने की अनुमति
FCRA उन्हीं NGO को विदेशी दान स्वीकार करने की अनुमति देता है जिनके पास कोई निश्चित सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षणिक, धार्मिक अथवा सामाजिक कार्यक्रम हो और वह भी तब जब सम्बंधित NGO अधिनियम के तहत पूर्वानुमति प्राप्त करे अथवा पंजीकरण का प्रमाणपत्र प्राप्त करे.
विदेशी धन के प्रयोग की शर्तें
- NGO द्वारा ली जाने वाली राशि का उपयोग मात्र उसी उद्देश्य के लिए हो जिसके लिए वह ली गई हो.
- प्राप्त राशि का उपयोग अधिनियम में बताई गई अनुमानात्मक गतिविधियों में किसी भी दशा में न हो.
- सक्षम प्राधिकार की पूर्वानुमति के बिना विदेशी धनराशि ऐसी किसी इकाई को नहीं दी जा सकती है जो अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत नहीं है.
- विदेशी धनराशि से खरीदी गई कोई भी सम्पदा NGO के नाम से ही होनी चाहिए न कि इसके पदाधिकारियों अथवा सदस्यों के नाम से.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Criteria and benefits of being a National Political Party of India
संदर्भ
भारतीय निर्वाचन आयोग ने नेशनल पीपल्स पार्टी (NPP) को एक राष्ट्रीय दल घोषित कर दिया है. यह दर्जा पाने वाला NPP पूर्वोत्तर भारत का पहला दल है. विदित हो कि 2013 में गठित NPP वर्तमान में अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय और नागालैंड में एक राज्य दल की मान्यता रखता है.
राष्ट्रीय दल घोषित होने के लिए शर्तें
- राष्ट्रीय दल बनने के लिए एक दल को किसी चार या उससे अधिक राज्यों में हुए लोक सभा एवं विधान सभा चुनावों में पड़े हुए सम्पूर्ण वोट में से 6% वोट लेना आवश्यक होता है.
- इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय दल बनने के लिए यह आवश्यक है कि कोई दल कम से कम चार लोक सभा सीट जीते.
- राष्ट्रीय दल बनने के लिए किसी भी दल को लोक सभा के सीटों की कुल संख्या की 2% सीट अवश्य जीतनी चाहिए और जीतने वाले सांसद कम से कम तीन अलग-अलग राज्यों से जीते हों.
राष्ट्रीय दल घोषित होने के लाभ
- यदि कोई दल राष्ट्रीय दल घोषित हो जाता है तो वह पूरे भारत में चुनाव लड़ने वाले अपने प्रत्याशियों को अपना सुरक्षित सिम्बल (reserved symbol) आबंटित कर सकता है.
- नामांकन भरने के समय राष्ट्रीय दल के प्रत्याशी को एक केवल प्रस्तावक की आवश्यकता होती है और उसे मतदाता सूची के सुधार के समय में दो प्रतियाँ निःशुल्क मिल जाती हैं.
- राष्ट्रीय दल को आकाशवाणी दूरदर्शन में आम चुनाव के समय प्रसारण करने दिया जाता है.
- राष्ट्रीय दल आम चुनाव के समय स्टार कैम्पेनर नामांकित करने के अधिकारी होते हैं.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : RBI issues revised norms to deal with stressed assets
संदर्भ
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा फंसी हुई संपदाओं के निपटारे के लिए बनाए गये संशोधित ढाँचे को अप्रैल, 2019 में निरस्त कर दिया गया था. अतः भारतीय रिज़र्व बैंक ने उसकी जगह एक नया ढाँचा बनाया है जिसका नाम “फंसी हुई सम्पदाओं के निपटारे के लिए बुद्धिमत्तापूर्ण ढाँचा” (prudential framework for resolution of stressed assets ) दिया गया है.
नए ढाँचे के मुख्य तथ्य
- पहले वन-डे डिफ़ॉल्ट रूल हुआ करता था जिसमें ऋणदाता को पहली डिफ़ॉल्ट के 180 दिन के भीतर कार्यान्वयन के लिए एक संकल्प योजना बनानी पड़ती थी. नये ढाँचे में ऋणदाताओं को इससे छूट मिल गयी है.
- अब ऋणदाताओं को डिफ़ॉल्ट होने पर ऋण लेने वाले के खाते की समीक्षा के लिए 30 दिन मिल गये हैं. विदित हो कि ये ऋणदाता अनुसूचित वाणिज्य बैंक के अतिरिक्त अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान एवं लघु वित्त बैंक के हो सकते हैं.
- इस समीक्षा अवधि के दौरान ऋणदाता निपटारे की रणनीति तय कर सकते हैं.
- ऋणदाताओं को अब यह अधिकार है कि वे दिवालियापन अथवा वसूली के लिए कानूनी कार्रवाई शुरू कर सकें.
- जिन मामलों में निपटारे की योजना कार्यान्वित होनी है और जिनमें ऋणदाता एक से अधिक हैं तो ऋणदाताओं को एक इंटर-क्रेडिटर अग्रीमेंट (ICA) करना होगा.
- ICA होने पर यदि 7% ऋणदाता अथवा जिन ऋणदाताओं का 75% पैसा लगा हुआ है वे ऋणदाता किसी निर्णय पर पहुँचते हैं, वह सभी ऋणदाताओं के लिए मान्य होगा.
- जिन मामलों में ऋण की मात्रा 2,000 करोड़ रु. या उससे अधिक है तो समीक्षा अवधि की समाप्ति के 180 दिनों के भीतर-भीतर निपटारा योजना का कार्यान्वयन पूरा होना आवश्यक है. इसके लिए जून 7, 2019 को रिफरेन्स तिथि निर्धारित की गई है.
- यदि फंसा हुआ ऋण 2,000 करोड़ रु. से कम हो परन्तु 1,500 करोड़ रु. से अधिक हो तो निपटारा योजना को जनवरी 1, 2020 तक पूरा कर लेना आवश्यक होगा.
- जहाँ 1,500 करोड़ रु. से कम का ऋण फंसा है उसके लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने कोई रिफरेन्स तिथि अभी तक निर्धारित नहीं की है, परन्तु समय आने पर यह ऐसा करेगा.
GS Paper 3 Source: Times of India
Topic : NASA’s InSight spacecraft
संदर्भ
पिछले दिनों NASA के InSight लैंडर में कुछ समस्याएँ सामने आई हैं. विदित हो कि इस अन्तरिक्षयान में “मोल” नामक एक उपकरण लगा हुआ था जिसका काम मंगल की सतह में गहरे खुदाई करना और तामपान में होने वाले परिवर्तनों की निगरानी करना था. योजना था कि 16 फीट गहरी खुदाई की जाए, परन्तु वहाँ की मिट्टी की बनावट के चलते ऐसा करना कठिन हो रहा है. सच्चाई यह कि “मोल” एक ही फुट गहरा खुदाई कर पाया है.
अब क्या किया जाए?
इस समस्या के निदान के लिए नासा ने एक नई योजना बनाई है जिसके अंतर्गत InSight की रोबोटिक बाँह को उस जगह पर घुसेड़ा जाएगा जहाँ पर “मोल” अपना काम कर रहा है. इससे यह होगा कि वहाँ की मिट्टी भुरभुरी हो जायेगी और “मोल” को और भीतर जाने में मदद होगी.
नासा का InSight Mars Lander मिशन
नासा इस अभियान में एक रोबोटिक geologist भेजा है जो मंगल की खुदाई करके मंगल के तामपान को जानने की कोशिश करेगा. इस मिशन का मुख्य काम मंगल ग्रह की गहरी संरचना के विषय में जानकारी इकठ्ठा करना है. मंगल के सतह, वायुमंडल, आयनमंडल के बारे में वैज्ञानिक पहले से ही जान चुके हैं पर मंगल की सतह के नीचे क्या है, यह अभी भी जानना बाकी रह गया है.
क्या है तकनीक?
- इस मार्स लैंडर में एक सिस्मोमीटर लगा है जो भूकम्प की तीव्रता की जाँच करेगा.
- इसमें एक हीट फ्लो लगा है जो मंगल के सतह से 5 मीटर/16 ft. तक अन्दर जाकर तापमान जानने की कोशिश करेगा.
- इस अन्तरिक्ष यान में एक रेडियो विज्ञान यंत्र भी लगा हुआ है जो मंगल ग्रह की संरचना और बदलावों की जाँच करेगा.
- इस लैंडर में एक थर्मल शील्ड भी लगा है जिसका कार्य पर्यावरण से सिस्मोमीटर को बचाना है.
क्या-क्या खोज करेगा?
- यह Insight Mars Lander मंगल ग्रह की चट्टानों और इस ग्रह का निर्माण कैसे हुआ, यह पता लगाएगा.
- मंगल के rotation track और core के बारे में जानकारी जुटाएगा.
मिशन के लिए मंगल ग्रह ही क्यों?
सौर मंडल के अन्य ग्रहों की तुलना में मंगल न तो बहुत बड़ा है और न ही बहुत छोटा ही है. इसका अर्थ यह हुआ कि मंगल में उसके निर्माण का रिकॉर्ड सुरक्षित है जिससे यह पता लग सकता है कि हमारे ग्रह कैसे बने हैं. सच पूछा जाए तो मंगल ग्रह एक ऐसी उपयुक्त प्रयोगशाला है जिसमें चट्टानी उपग्रहों के निर्माण और विकास का अध्ययन किया जा सकता है. वैज्ञानिकों को पता है कि इस ग्रह में भूवैज्ञानिक गतिविधियाँ उतनी प्रबल नहीं है परन्तु InSight जैसे अन्तरिक्षयान इस सम्बन्ध में अधिक सटीक ज्ञान दे सकेंगे.
InSight Mars Lander Quick Facts
- इसकी लागत 88 करोड़ डॉलर है.
- इसकी भार 360 kg. है.
- NASA पहली बार InSight को अमेरिका के पश्चिमी तट से प्रक्षेपित कर रहा है. इससे पहले NASA के ज्यादातर मिशन अमेरिका के पूर्वी तट में स्थित फ्लोरिडा के Kennedy Space Center से छोड़े जाते हैं.
NASA के पहले के Mars Mission
मरीनर 3 and 4
मरीनर 3 प्रक्षेपण की तिथि: Nov. 5, 1964
मरीनर 4 प्रक्षेपण की तिथि: Nov. 28, 1964
मरीनर 6 and 7
मरीनर 6 प्रक्षेपण की तिथि: Feb. 24, 1969
मरीनर 7 प्रक्षेपण की तिथि: Mar. 27, 1969
मरीनर 8 and 9
मरीनर 8 प्रक्षेपण की तिथि: May 8, 1971
मरीनर 9 प्रक्षेपण की तिथि: May 30, 1971
Viking (विकिंग)
Viking (विकिंग) 1 प्रक्षेपण की तिथि: Aug. 20, 1975
Viking (विकिंग) 2 प्रक्षेपण की तिथि: Sept. 9, 1975
मार्स आब्जर्वर
प्रक्षेपण की तिथि: Sept. 25, 1992
मार्स पाथ-फाइंडर
प्रक्षेपण की तिथि: Dec. 4, 1996
मार्स क्लाइमेट ऑर्बिटर
प्रक्षेपण की तिथि: Dec. 11, 1998
मार्स पोलर लैंडर/डीप स्पेस 2
प्रक्षेपण की तिथि: Jan. 3, 1999
मार्स ग्लोबल सर्वेयर
प्रक्षेपण की तिथि: Nov. 7, 1996
Phoenix
प्रक्षेपण की तिथि: Aug. 4, 2007
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