Sansar Daily Current Affairs, 08 June 2021
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : Supreme Court urged to stop illegal adoptions
संदर्भ
कोविड महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों को निजी व्यक्तियों और संगठनों के द्वारा अवैध रूप से गोद लेने संबंधी बड़ी संख्या में शिकायतें प्राप्त हो रही हैं, इस विषय पर ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ (National Commission for Protection of Child Rights – NCPCR) द्वारा खतरे की घंटी बजाने के पश्चात् सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए सहमत हो गया है.
संबंधित प्रकरण
‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ (NCPCR) के आँकड़ों के अनुसार, 1 अप्रैल, 2021 से 5 जून, 2021 के दौरान 3,621 बच्चे अनाथ हो गए, 26,176 बच्चों ने माता या पिता को खो दिया और 274 बच्चों का परित्यक्त कर दिया गया है. इस अवधि के दौरान महामारी की दूसरी लहर अपने सबसे विकराल रूप में थी और यह पूरे देश में मौत के निशान छोड़ गई है.
- NCPCR को मई महीने में, निजी व्यक्तियों और संगठनों द्वारा, गोद लेने के लिए परिवारों और बच्चों की सहायता करने का दिखावा करते हुए, इन बच्चों के संदर्भ में जानकारी एकत्र करने की कई शिकायतें मिली थीं.
- सोशल मीडिया पर बच्चों को गोद लेने संबंधी पोस्ट प्रसारित की जा रही हैं. यह स्पष्ट रूप से गैर-कानूनी है और ‘किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम’ अर्थात् ‘जेजे एक्ट’ 2015 का उल्लंघन है.
- इस अधिनियम के अंतर्गत, बच्चों के नाम, स्कूल, उम्र, पता या किसी भी जानकारी के संबंध में पहचान को उजागर करने को निषिद्ध किया गया है.
बच्चे के दत्तकग्रहण के लिए कौन व्यक्ति पात्र होता है?
- भावी दत्तक माता-पिताको शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से स्थिर होना चाहिए, वित्तीय रूप से सक्षम होना चाहिए, बच्चे को अपनाने के लिए प्रोत्साहित होना चाहिए, बिना किसी जीवन संकट की चिकित्सकीय स्थिति के होना चाहिए.
- कोई भी दत्तक माता-पिता, अपनी वैवाहिक स्थिति और उसका कोई जैविक पुत्र या पुत्री है या नहीं, का लिहाज किए बिना, बच्चे को अपना सकते हैं.
- अविवाहित महिला किसी भी लिंग के बच्चे को अपनाने के लिए पात्र हैं.
- अविवाहित पुरुष किसी लड़की को अपनाने के पात्र नहीं होंगे.
- दंपतियों के मामले में, दोनों अभिभावकों की स्वीकृति आवश्यक होगी.
- दंपति को दत्तकग्रहण के लिए कोई भी बच्चा तब तक नहीं दिया जाएगा जब तक उनका वैवाहिक जीवन कम से कम दो वर्षतक का न हो.
- पंजीकरण की तारीख को भावी दत्तक माता-पिता की आयु की गणना पात्रता के निर्णय हेतु की जाएगी और विभिन्न आयु समूहों के बच्चों के लिए आवेदन करने के लिए भावी दत्तक माता-पिता की पात्रता निम्नवत होगी :
बालक की आयु |
भावी दत्तक माता-पिता की अधिकतमसंयुक्त आयु |
अविवाहित भावी दत्तक माता-पिताकी अधिकतम आयु |
4 वर्ष तक |
90 वर्ष |
45 वर्ष |
4 वर्ष से अधिक किंतु 8 वर्ष तक |
100 वर्ष |
50 वर्ष |
8 वर्ष से अधिक किंतु 18 वर्ष तक |
110 वर्ष |
55 वर्ष |
- बच्चे तथा भावी दत्तक माता-पिता के बीच न्यूनतम आयु का अंतर 25 वर्ष से कम नहीं होना चाहिए. पात्रता की आयु भावी दत्तक मता-पिता के पंजीकरण की तारीख होगी.
- 4 बच्चों से अधिक वाले दंपतियों के दत्तकग्रहण आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा.
‘जेजे एक्ट’ क्या है?
उद्देश्य: विधि का अभिकथित उल्लंघन करते पाए जाने वाले बालकों और देख-रेख तथा संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों से संबंधित मामलों का व्यापक रूप से समाधान करना.
- अधिनियम के तहत, प्रत्येक जिले में ‘किशोर न्याय बोर्ड’ और ‘बाल कल्याण समितियां’ स्थापित करने का निर्देश दिया गया है. इन संस्थाओं में कम से कम एक महिला सदस्य होनी अनिवार्य है.
- इसके अलावा, इसके तहत ‘केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण’ (Central Adoption Resource Authority– CARA) को वैधानिक निकाय का दर्जा दिया गया है, जिससे यह प्राधिकरण अपने कार्यों को प्रभावी ढंग से करने में सक्षम होगा.
- इस अधिनियम में बालकों के खिलाफ होने वाले कई नए अपराधों (जैसे, अवैध रूप से गोद लेना, आतंकवादी समूहों द्वारा बालकों का उपयोग, विकलांग बालकों के खिलाफ अपराध, आदि), जो किसी अन्य कानून के तहत पर्याप्त रूप से आच्छादित नहीं है, को शामिल किया गया है.
- राज्य सरकार द्वारा, स्वैच्छिक या गैर-सरकारी संगठनों द्वारा संचालित होने वाले सभी बाल देखभाल संस्थानों के लिए क़ानून के प्रारंभ होने की तारीख से 6 महीने के अन्दर अधिनियम के तहत अनिवार्य रूप से पंजीकृत होना आवश्यक है.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR)
- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की स्थापना मार्च 2007 में बाल अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत की गई थी.
- यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत काम करता है.
- “बाल” शब्द की परिभाषा में 0 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को सम्मिलित किया गया है.
- कमीशन को यह काम दिया गया है कि वह यह सुनिश्चित करे कि सभी कानून, नीतियाँ , कार्यक्रम एवं प्रशासनिक प्रणाली भारतीय संविधान और संयुक्त राष्ट्र के द्वारा किये गये समझौतों में वर्णित बाल अधिकारों के अनुकूल हों.
मेरी राय – मेंस के लिए
यह समय, रिश्तेदारों द्वारा देखभाल उपलब्ध कराए जाने पर ध्यान केंद्रित करने का है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और सभी संबंधित राज्य विभागों को तत्काल ही रिश्तेदार-देखभाल कार्यक्रम (kinship care programme) शुरू कर देना चाहिए और इसे ‘जेजे अधिनियम’ के तहत ‘पालक-देखभाल प्रावधानों’ (foster care provisions) का हिस्सा बनाया जाना चाहिए.
गोद लेना, कई विकल्पों में से एक विकल्प है परन्तु यह एकमात्र विकल्प नहीं है. ऐसे अनाथ बच्चों की देखभाल करने के लिए उनके चाचा-चाची अथवा अन्य कोई निकट संबंधी भी हो सकते हैं. बच्चे अपने स्वयं के परिवार के साथ संपर्क करने और अपनी पैतृक संपति में ही रहने की मांग कर सकते हैं. ऐसी परिस्थितियों में संबंधित बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना बहुत जरूरी हो जाता है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.
Topic : Shanghai Cooperation Organisation
संदर्भ
शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation – SCO) के सदस्यों के बीच संचार मीडिया के क्षेत्र में संघों के बीच समान और पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग को प्रोत्साहन देने के लिए, मंत्रिमंडल ने “संचार मीडिया के क्षेत्र में सहयोग” पर समझौते को अनुमोदन प्रदान किया है.
शंघाई सहयोग संगठन
शंघाई सहयोग संगठन एक राजनैतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग संगठन है जिसकी शुरुआत चीन और रूस के नेतृत्व में यूरेशियाई देशों ने की थी. दरअसल इसकी शुरुआत चीन के अतिरिक्त उन चार देशों से हुई थी जिनकी सीमाएँ चीन से मिलती थीं अर्थात् रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और तजाकिस्तान. इसलिए इस संघठन का प्राथमिक उद्देश्य था कि चीन के अपने इन पड़ोसी देशों के साथ चल रहे सीमा-विवाद का हल निकालना. इन्होंने अप्रैल 1996 में शंघाई में एक बैठक की. इस बैठक में ये सभी देश एक-दूसरे के बीच नस्ली और धार्मिक तनावों को दूर करने के लिए आपस में सहयोग करने पर राजी हुए. इस सम्मेलन को शंघाई 5 कहा गया.
इसके पश्चात् 2001 में शंघाई 5 में उज्बेकिस्तान भी सम्मिलित हो गया. 15 जून 2001 को शंघाई सहयोग संगठन की औपचारिक स्थापना हुई.
शंघाई सहयोग संगठन के मुख्य उद्देश्य
शंघाई सहयोग संगठन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं –
- सदस्यों के बीच राजनैतिक, आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को बढ़ाना.
- तकनीकी और विज्ञान क्षेत्र, शिक्षा और सांस्कृतिक क्षेत्र, ऊर्जा, यातायात और पर्यटन के क्षेत्र में आपसी सहयोग करना.
- पर्यावरण का संरक्षण करना.
- मध्य एशिया में सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखते हुए एक-दूसरे को सहयोग करना.
- आंतकवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी और साइबर सुरक्षा के खतरों से निपटना.
अधिक जानकारी के लिए पढ़ें – SCO in Hindi
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.
Topic : Global Corporate Tax Deal
संदर्भ
हाल ही में, समृद्ध देशों के समूह G7 के वित्त मंत्रियों द्वारा एक नए वैश्विक कॉर्पोरेट कर समझौते (Global Corporate Tax Deal) पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
इस समझौते पर अब जुलाई में होने वाली G20 समूह के वित्तीय मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक में विस्तृत रूप से चर्चा की जाएगी.
उद्देश्य
इसका उद्देश्य विश्व की कुछ सबसे बड़ी कम्पनियों द्वारा उपयोग की जाने वाली सीमा पर त्रुटियों (cross-border tax loopholes) का निवारण करना और उन देशों में ही करों का भुगतान सुनिश्चित करना है जहाँ व्यवसाय संचालित होता है.
प्रमुख बिंदु
- समझौते के अनुसार, G7 देश कम-से-कम 15 प्रतिशत की वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर दर का समर्थन करेंगे और उन देशों में करों का भुगतान सुनिश्चित करने के लिये उपाय किये जाएँगे, जहाँ व्यवसाय संचालित होते हैं.
- यह कंपनियों के विदेशी लाभ पर लागू होगा. ऐसे में यदि सभी देश वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर पर सहमत होते हैं, तब भी सरकारों द्वारा स्थानीय कॉर्पोरेट कर की दर स्वयं ही निर्धारित की जाएगी.
- परन्तु यदि कंपनियाँ किसी विशिष्ट देश में कम दरों का भुगतान करती हैं, तो उनकी घरेलू सरकारें अपने करों को सहमत न्यूनतम दर पर ला सकती हैं, जिससे लाभ को टैक्स हेवन में स्थानांतरित करने का लाभ समाप्त हो जाता है.
कॉर्पोरेट कर
कॉर्पोरेट कर अथवा निगम कर उस शुद्ध आय या लाभ पर लगाया जाने वाला प्रत्यक्ष कर है, जो उद्यम अपने व्यवसायों से लाभ कमाते हैं.
टैक्स हेवन
‘टैक्स हेवन’ का आशय आमतौर पर एक ऐसे देश से होता है, जो राजनीतिक और आर्थिक रूप से स्थिर वातावरण में विदेशी व्यक्तियों तथा व्यवसायों को बहुत कम या न्यूनतम कर देयता प्रदान करता है.
इस योजना से संबंधित मुद्दे/समस्याएँ
- टैक्स हेवन या निम्न काराधान वाले देशों की तुलना में भारत के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को आकर्षित करने हेतु निगम कर दरों (corporate tax rates) को कृत्रिम रूप से कम रखना हमेशा ही बहुत कठिन रहा है.
- यह योजना, संप्रभु राष्ट्रों के अपने देश की कर-नीति निर्धारित करने के अधिकार का अतिक्रमण करती है.
- एक ‘वैश्विक न्यूनतम दर’, मुख्य रूप से देशों के उस उपकरण से वंचित कर देगी, जिसका उपयोग वे अपने अनुकूल नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए करते हैं.
- साथ ही, कर-चोरी से निपटने के लिए ‘वैश्विक न्यूनतम टैक्स दर’ की भूमिका बहुत कम रहेगी.
क्या इससे ‘टैक्स हैवन’ का अंत हो जाएगा?
यदि यह समझौता टैक्स हेवन्स को पूरी तरह से खत्म नहीं करता है, तो अपने टैक्स-बिल में कटौती करने की तरकीब लगाने वाली कंपनियों के लिए, इन टैक्स हेवन्स को कम-लाभदायक अवश्य बना देगा और साथ ही, पर्यावरण, सामाजिक और कॉर्पोरेट प्रशासन पर ध्यान देने वाले निवेशकों में इन कंपनियों की साख को भी कम करेगा.
भारत का पक्ष
- यद्यपि कराधान अंततः एक संप्रभु गतिविधि है और राष्ट्र की आवश्यकताओं और परिस्थितियों पर निर्भर करती है, किंतु भारत सरकार कॉर्पोरेट कर संरचना को लेकर विश्व स्तर पर हो रही वार्ताओं में हिस्सा लेने पर सहमत है.
- भारत को वैश्विक न्यूनतम 15 प्रतिशत कॉर्पोरेट कर दर समझौते से लाभ होने की संभावना है, क्योंकि भारत की प्रभावी घरेलू कर दर, 15 प्रतिशत की न्यूनतम सीमा से अधिक है, और इस तरह भारत अधिक निवेश आकर्षित करता रहेगा.
- सितंबर 2019 में सरकार ने कंपनियों के लिये कॉर्पोरेट कर की दर को घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया था. इसके अलावा नई विनिर्माण फर्मों के लिये 15 प्रतिशत की दर की पेशकश की गई थी.
- भारतीय घरेलू कंपनियों के लिये प्रभावी कर दर, अधिभार और उपकर सहित, लगभग 25.17 प्रतिशत है.
G7 शिखर सम्मेलन क्या है?
- यह 7 प्रमुख राष्ट्रों के प्रमुखों की बैठक है. पहले इसमें 8 देश थे. इसकी स्थापना 1975 में हुई थी.
- इसमें विश्व के 7 प्रमुख सशक्त देश शामिल होते हैं – अमेरिका, कनाडा, UK, फ़्रांस, जर्मनी, जापान और इटली. इसके अतिरिक्त यूरोपीय संघ के नेतागण भी इस बैठक में बुलाये जाते हैं. वे आपसी सहमति से नीतियाँ बनाते हैं और फिर सम्बंधित मुद्दों का समाधान ढूँढते हैं.
- इस सम्मलेन में विश्व भर के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा होती है. जहाँ यह सम्मलेन होता है उसी देश का राष्ट्र प्रमुख बैठक की अध्यक्षता करता है और उसे यह अधिकार होता है कि वह अपनी इच्छा से किसी एक और देश को बैठक में आमंत्रित करे.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.
Topic : China hosts ASEAN ministers
संदर्भ
चीन, हाल ही में प्रस्तावित, आसियान समूह के दस देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक की मेजबानी कर रहा है. यह बैठक चीन और आसियान के संबंधों के 30 वर्ष पूर्ण होने के प्रायः पर आयोजित की जा रही है.
आसियान को एक ऐसे प्रमुख स्थान के रूप में देखा जा रहा है जहां चीन और क्वाड पहल, एक-दूसरे को अपना प्रभाव दिखा सकते हैं.
चीन की चिंताएँ
चूँकि दक्षिण पूर्व एशिया अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है, अतः ऐसी संभावनाएं हैं, कि चीन का मुकाबला करने के लिए, क्वाड सदस्य, आसियान राष्ट्रों को अपने समूह में सम्मिलित कर सकते हैं.
हाल ही में, चीन ने क्वाड को ‘एशियाई NATO’ भी बताया था.
ASEAN के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ
- ASEAN का full-form है – Association of Southeast Asian Nations.
- ASEAN का headquarters जकार्ता, Indonesia में है.
- आसियान में 10 सदस्य देश (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम) हैं और 2 पर्यवेक्षक देश हैं (Papua New Guinea और East Timor).
- ASEAN देशों की साझी आबादी 64 करोड़ से अधिक है जो कि यूरोपियन यूनियन से भी ज्यादा है.
- अगर ASEAN को एक देश मान लें तो यह दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.
- इसकी GDP 28 हजार करोड़ डॉलर से अधिक है.
- आसियान के chairman Lee Hsien Loong हैं जो ब्रूनेई से हैं.
- आसियान में महासचिव का पद सबसे बड़ा है.पारित प्रस्तावों को लागू करने का काम महासचिव ही करता है. इसका कार्यकाल 5 साल का होता है.
- क्षेत्रीय सम्बन्ध को मजबूत बनाने के लिए 1997 मेंASEAN +3 का गठनकिया गया था जिसमें जापान, दक्षिण कोरिया और चीन को शामिल किया गया.
- बाद में भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैण्ड को भी इसमें शामिल किया गया. फिर इसका नाम बदलकरASEAN +6कर दिया गया.
- 2006 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने आसियान को पर्यवेक्षक का दर्जा दिया.
- आसियान की बढ़ती महत्ता को देखते हुए अब कई देश इसके साथ करार करना चाहते हैं.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Inclusive growth and issues arising from it.
Topic : NARCL and ARC
संदर्भ
ऋणदाताओं द्वारा शुरुआत में 89,000 करोड़ रुपये के 22 खराब ऋण खातों को प्रस्तावित ‘राष्ट्रीय आस्ति पुनर्संरचना कंपनी लिमिटेड’ (National Asset Reconstruction Company Ltd. – NARCL) में अंतरित करने का निर्णय लिया गया है. इससे ऋणदाताओं के लिए अपनी बैलेंस शीट को साफ़ करने में सहायता मिलेगी.
NARCL में अंतरित किए जाने वाले अशोध्य ऋणों की कुल राशि लगभग ₹2 ट्रिलियन होगी.
‘राष्ट्रीय आस्ति पुनर्संरचना कंपनी लिमिटेड’ (NARCL) क्या है?
ऋणदाताओं की तनावग्रस्त आस्तियों की जिम्मेवारी लेने के लिए प्रस्तावित बैड बैंक अर्थात् ‘राष्ट्रीय आस्ति पुनर्संरचना कंपनी लिमिटेड’ (National Asset Reconstruction Company Ltd. – NARCL) की स्थापना की घोषणा 2021-22 के बजट में की गई थी.
- घोषणा के अनुसार, 500 करोड़ और उससे अधिक के बुरे ऋणों को सँभालने हेतु एक बैड बैंक (Bad Bank) की सथापना की जाएगी, तथा इसमें एक‘आस्ति पुनर्संरचना कंपनी’ (Asset Reconstruction Company- ARC) और एक ‘आस्ति प्रबंधन कंपनी’ (Asset Management Company- AMC) भी शामिल होगी जो बेकार संपत्तियों का प्रबंधन और वसूली करेगी.
- यह नई इकाईसार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्र के बैंकों के सहयोग से स्थापित की जा रही है.
NARCL, विद्यमान ‘आस्ति पुनर्संरचना कंपनियों’ (ARCs) से किस प्रकार अलग होगा?
- चूँकि, यह विचार सरकार द्वारा प्रस्तुत किया गया है और इसका अधिकांश स्वामित्व, राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों के पास रहने की संभावना है, अतः इस प्रस्तावित बैड बैंक का स्वरूप सार्वजनिक क्षेत्र का होगा.
- आज की तिथि में, ‘आस्ति पुनर्संरचना कंपनियां’ आमतौर पर ऋणों पर भारी छूट चाहती हैं. चूंकि यह एक सरकारी पहल है, अतः प्रस्तावित बैड बैंक के साथ आकलन संबंधी मुद्दा नहीं होगा.
- सरकार समर्थित ‘आस्ति पुनर्संरचना कंपनी’ के पास बड़े खातों को खरीदने के लिए पर्याप्त क्षमता होगी और इस प्रकार बैंकों के लिए इन बुरे खातों को अपने खाता-विवरण में रखने से मुक्त किया जाएगा.
‘परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी’ (ARC) क्या है?
‘परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी’ (Asset Reconstruction Companies- ARCs), ऐसे विशेष वित्तीय संस्थान होते है जो बैंकों और वित्तीय संस्थानों से ‘गैर-निष्पादित आस्तियों’ (Non Performing Assets- NPAs) खरीदते हैं, ताकि वे अपनी बैलेंसशीट को साफ कर सकें.
- इससे बैंकों को सामान्य बैंकिंग गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने में सहायता मिलती है.
- बैंक, बकाएदारों पर अपना समय और प्रयास बर्बाद करने के बजाय, ‘परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी’ (ARC) को पारस्परिक रूप से सहमत कीमत पर अपनी ‘गैर-निष्पादित आस्तियों’ (NPAs) को बेच सकते हैं.
- ‘परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी’ अथवा ‘एआरसी’ (ARC), आरबीआई के अंतर्गत पंजीकृत होती हैं.
कानूनी आधार
- ‘वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्रचना एवं प्रतिभूति हित प्रवर्तन’ (Securitization and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Interest -SARFAESI) अधिनियम 2002, भारत में ‘परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों’ (ARCs) का गठन करने हेतु वैधानिक आधार प्रदान करता है.
- SARFAESI अधिनियम न्यायालयों के हस्तक्षेप के बगैर ‘गैर-निष्पादित अस्तियों’ की पुनर्संरचना में सहायता करता है.
- तब से, इस अधिनियम के तहत, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अधीन पंजीकृत बड़ी संख्या में ARCs का गठन किया गया है. आरबीआई के लिए ARCs को विनियमित करने की शक्ति प्राप्त है.
ARCS के लिये पूंजी आवश्यकताएँ
- SARFAESI अधिनियम में, वर्ष 2016 में किये गए संशोधनों के अनुसार, किसी ‘परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी’ (ARC) के पास न्यूनतम 2 करोड़ रुपए की स्वामित्व निधि होनी चाहिये.
- रिज़र्व बैंक द्वारा वर्ष 2017 में इस राशि को बढ़ाकर 100 करोड़ रुपए कर दिया गया था. ‘परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी’ के लिए अपनी जोखिम भारित आस्तियों / परिसंपत्तियों के 15% का पूंजी पर्याप्तता अनुपात बनाए रखना आवश्यक है.
Prelims Vishesh
Sustainable Urban Development :-
- हाल ही में, सतत शहरी विकास के लिए मंत्रिमंडल ने भारत और मालदीव के मध्य समझौता ज्ञापन तथा भारत व जापान के मध्य सहयोग ज्ञापन (MoC) को स्वीकृति प्रदान की है.
- सतत शहरी विकास अर्थव्यवस्था, समाज और प्रकृति के बीच अंतर्सबंधित त्रयी (triad) का प्रतिनिधित्व करता है.
- यह त्रयी एक ऐसी सामाजिक-आर्थिक प्रणाली की स्थापना की सुविधा प्रदान करती है, जो प्राकृतिक विश्व को क्षति नहीं पहुँचाती है.
- यह शहरों और मानव बस्तियों को समावेशी, सुरक्षित, लचीला एवं टिकाऊ बनाने के लिए सतत विकास लक्ष्य (SDG)-11 के तहत SDGs का हिस्सा है.
SWASTIIK technology for disinfecting water :-
- स्वास्तिक (भारतीय ज्ञान आधार से सुरक्षित जल और टिकाऊ प्रौद्योगिकी पहल) एक हाइब्रिड तकनीक है.
- यह सुरक्षित और स्वस्थ पेयजल के लिए आधुनिक तकनीक एवं भारतीय पारंपरिक ज्ञान को संयोजित करती है.
- उपयोग की जाने वाली तकनीक- हाइड्रोनैमिक कैविटेशन तकनीक प्राकृतिक तेलों तथा पादप रस के रूप में प्राकृतिक संसाधनों के साथ केमिस्ट्री, बायोलॉजी तथा केमिकल इंजीनियरिंग को संयोजित करती है.
- जल का विसंक्रमण ऐसे रोगजनक सूक्ष्मजीवों को हटाने के लिए आवश्यक है, जो कई जल जनित रोगों के लिए उत्तरदायी होते हैं.
- हालाँकि, क्लोरीनीकरण जैसी रासायनिक विधियों की सामान्य कमियों में हानिकारक / कैंसरजन्य विसंक्रमण उप-उत्पादों का सृजन शामिल है.
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